राजस्थान का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है? - raajasthaan ka sabase kam van kshetr vaala jila kaun sa hai?

वन

अंग्रेजी शासन से पहले भारत में जनता द्वारा जंगलों का इस्तेमाल मुख्यतः स्थानीय रीति-रिवाजों के अनुसार होता था। भारत में सबसे पहले लार्ड डलहौजी ने 1855 में एक वन नीति घोषित की, जिसके तहत राज्य के वन क्षेत्र में जो भी इमारती लकड़ी के पेड़ हैं वे सरकार के हैं और उन पर किसी व्यक्ति का कोई अधिकार नहीं है। ब्रिटिश काल में भारत की पहली राष्ट्रीय वन नीति वर्ष 1894 में प्रकाशित की गई। स्वतंत्रता के पश्चात् 1952 में नई वन नीति बनाई गई। इस वन नीति को 1988 में संशोधित किया गया। इस नीति के अनुसार देश के 33 प्रतिशत भू भाग पर वन होने आवश्यक है।

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संविधान के 42वें संशोधन 1976 के द्वारा वनों का विषय राज्यसूची से समवर्ती सूची में लाया गया।

राजस्थान में सर्वप्रथम 1910 में जोधपुर रियासत ने, 1935 में अलवर रियासत ने वन संरक्षण नीति बनाई। राज्य में 1949-50 में वन विभाग की स्थापना की गई। इसका मुख्यालय जयपुर में है। स्वतंत्रता के पश्चात् राजस्थान वन अधिनियम 1953 में पारित किया गया।

राजस्थान वन अधिनियम 1953 के अनुसार वनों को तीन भागों में बांटा गया है।

आरक्षित वन या संरक्षित

इन वनों पर सरकार का पूर्ण स्वामित्व होता है। इनमें किसी वन सम्पदा का दोहन नहीं कर सकते हैं।

सुरक्षित वन या रक्षित

इन वनों के दोहन के लिए सरकार कुछ नियमों के आधार पर छुट देती है।

अवर्गीकृत वन

इन वनों में सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करवाकर वन सम्पदा का दोहन किया जा सकता है।

राजस्थान सरकार द्वारा 8 फरवरी 2010 में अपनी पहली राज्य वन नीति घोषित की गई है । साथ ही राजस्थान वन पर्यावरण निति घोषित करने वाला देश का पहला राज्य हो गया!

भारतीय वन संरक्षण अधिनियम 1980 के तहत 1981 में केन्द्रीय वन अनुसंधान संस्थान देहरादून की स्थापना की गई। इसके चार क्षेत्रीय कार्यालय हैं - शिमला, कोलकाता, नागपुर एवं बंगलौर। पहली रिपोर्ट 1987 को जारी की गई।

राजस्थान में वन का वर्गीकरण - ISFR 2021

राजस्थान का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है? - raajasthaan ka sabase kam van kshetr vaala jila kaun sa hai?

पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने 13 जनवरी 2022 को भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) द्वारा तैयार ‘इंडिया स्टेट आॅफ फाॅरेस्ट रिपोर्ट (आईएसएफआर) 2021 ’ जारी की। 2021 की रिपोर्ट 17वीं रिपोर्ट है।

इंडिया स्टेट आॅफ फाॅरेस्ट रिपोर्ट 2021, (ISFR 2021) के अनुसार, राजस्थान में (प्रशासनिक प्रतिवेदन 2020-21 के अनुसार) लगभग 32,862.50 वर्ग किलोमीटर का वन क्षेत्र दर्ज किया गया है। यह वन क्षेत्र राज्य के भौगोलिक क्षेत्र का 9.60% है। कानूनी स्थिति के आधार पर, सरकार ने इस वन क्षेत्र को तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया है:

आरक्षित वन - 12,176.24 वर्ग किलोमीटर

संरक्षित वन - 18,543.22 वर्ग किलोमीटर

अवर्गीकृत वन - 2,143.04 वर्ग किलोमीटर

आरक्षित वन:

इन वनों पर सरकार का पूर्ण स्वामित्व होता है। इनमें किसी वन सम्पदा का दोहन नहीं कर सकते हैं। राजस्थान में आरक्षित वन के रूप में 12,176.24 वर्ग किलोमीटर या 37.05% वन हैं। सर्वाधिक आरक्षित वन उदयपुर में है।

सुरक्षित वन या रक्षित:

इन वनों की देखभाल सरकार द्वारा की जाती है, इन वनों के दोहन के लिए सरकार कुछ नियमों के आधार पर छुट देती है। राजस्थान में संरक्षित वन के अंतर्गत 18,543.22 वर्ग किलोमीटर या 56.43% वन क्षेत्र है। सर्वाधिक रक्षित वन बारां में है।

अवर्गीकृत वन:

अवर्गीकृत वन वे हैं जिनमें पेड़ों के कटने और मवेशियों के चरने पर कोई प्रतिबंध नहीं है। इन वनों में सरकार द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करवाकर वन सम्पदा का दोहन किया जा सकता है। राजस्थान में 2,143.04 वर्ग किलोमीटर या 6.52% क्षेत्र में अवर्गीकृत वन हैं। सर्वाधिक अवर्गीकृत वन बीकानेर में है।

वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार राजस्थान में कुल वनावरण 16654.96 वर्ग किमी. (16655 वर्ग किमी.) है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 4.87 प्रतिशत है।

वन रिपोर्ट 2019 के अनुसार राजस्थान में कुल वनावरण 16629.51 वर्ग किमी था, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 4.86% था।

वनावरण में वर्ष 2019 की तुलना में 25 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है। यानि 0.01 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

वन रिपोर्ट 2021 के अनुसार राजस्थान में कुल वृक्षावरण 8733 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल क्षेत्रफल का 2.55% है। वृक्षावरण में वर्ष 2019 की तुलना में 621 वर्ग किमी की वृद्धि (2019 में 8112 वर्ग किमी) हुई है।

राजस्थान में कुल वनावरण एवं वृक्षावरण 25387.96 (16654.96+8733)वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल का 7.41% है।

वनावरण और वृक्षावरण

वनावरण - वह सभी भूमि जिसका क्षेत्रफल 1 हेक्टेयर से अधिक हो और वृक्ष घनत्व 10 % से अधिक हो वनावरण कहलाता है।

वृक्षावरण - अभिलिखित वन क्षेत्र के बाहर 1 हेक्टर क्षेत्रफल से कम वाले वृक्ष क्षेत्रों (वनावरण के अतरिक्त ) को इसमें शामिल किया जाता है।

स्टेट ऑफ़ फ़ॉरेस्ट रिपोर्ट 2021 राजस्थान: कैनोपी घनत्व के आधार पर वर्गीकरण

राजस्थान का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है? - raajasthaan ka sabase kam van kshetr vaala jila kaun sa hai?

वन आच्छादन (Forest Cover)

श्रेणीक्षेत्रफलभौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत
अत्यधिक सघन वन (VDF) 78.15 0.02
मध्यम सघन वन (MDF) 4,368.65 1.28
खुले वन (OF) 12,208.16 3.57
कुल 16,654.96 4.87
झाड़ी 4,808.51 1.41

गैर-वन क्षेत्र- 93.72%

बहुत घने जंगल (VDF):

70% और अधिक की कैनोपी घनत्व वाले वन कवर भूमि को बहुत घने वन (VDF) कहा जाता है। राजस्थान में, केवल 78.15 वर्ग किलोमीटर बहुत घने जंगल हैं।

प्रतिशत VDF: भौगोलिक क्षेत्र का 0.02%

मध्यम रूप से घने वन (MDF):

40-70% की कैनोपी घनत्व वाले वन कवर भूमि को मध्यम घनत्व वन (एमडीएफ) कहा जाता है। राजस्थान में, केवल 4368.65 वर्ग किलोमीटर के घने जंगल हैं।

प्रतिशत MDF: भौगोलिक क्षेत्र का 1.28%

खुले वन (OF):

10-40% की कैनोपी घनत्व वाले वन कवर के साथ भूमि को ओपन फॉरेस्ट कहा जाता है। राजस्थान में, केवल 12,208.16 वर्ग किलोमीटर खुले जंगल हैं।

प्रतिशत OF : भौगोलिक क्षेत्र का 3.57%

स्क्रब्स:

10% से कम की कैनोपी घनत्व वाली वन भूमि को स्क्रब कहा जाता है। राजस्थान में, लगभग 4808.51 वर्ग किलोमीटर का स्क्रब है।

प्रतिशत Scrubs : भौगोलिक क्षेत्र का 1.41%

गैर-वन क्षेत्र:

गैर-वन क्षेत्र में वन क्षेत्र को छोड़कर अन्य सभी भूमि शामिल हैं।

प्रतिशत गैर-वन: 93.72%

ISFR 2021 राजस्थान: राजस्थान में ऊंचाई-वार वन आवरण

राजस्थान का सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है? - raajasthaan ka sabase kam van kshetr vaala jila kaun sa hai?

कैनोपी और कैनोपी घनत्व

पेड़ों के शाखाओं और पर्ण के आवरण को कैनोपी कहा जाता है। पेड़ों की छतरी द्वारा कवर की गई भूमि के प्रतिशत क्षेत्र को कैनोपी घनत्व कहा जाता है।

भारत में सबसे ज्यादा वन मध्यप्रदेश और सबसे कम हरियाणा में हैं।

राजस्थान, भारत के भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार, आरक्षित वन क्षेत्र में 15वां स्थान रखता है।

राज्य में सर्वाधिक वन उदयपुर में है।

राज्य में न्यूनतम वन चुरू में है तथा इसके बाद हनुमानगढ़ है।

राज्य के कुल वन क्षेत्र में सर्वाधिक एवं न्यूनतम वन क्षेत्र वाले जिले -

राजस्थान के सबसे अधिक वन क्षेत्र वाले जिले

क्र. सं.जिला क्षेत्रफल
1. उदयपुर 2753.39
2. अलवर 1195.91
3. प्रतापगढ़ 1033.77
4. बारां 1010.05
5. चित्तौड़गढ़ 990.05

सर्वाधिक प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन क्षेत्र वाले जिले

क्र. सं.जिला भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत
1. उदयपुर 23.49%
2. प्रतापगढ़ 23.24%
3. सिरोही 17.49%
4. करौली 15.28%
5. बारां 14.45%

राजस्थान के न्यूनतम वन क्षेत्र वाले जिले

क्र. सं.जिला क्षेत्रफल
33. चूरू 77.69
32. हनुमानगढ़ 92.97
31. जोधपुर 109.25
30. गंगानगर 115.09
29. दौसा 116.60

राजस्थान के न्यूनतम प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन क्षेत्र वाले जिले

क्र. सं.जिला भौगोलिक क्षेत्र का प्रतिशत
33. जोधपुर 0.48%
32. चूरू 0.56%
31. जैसलमेर 0.84%
30 बीकानेर 0.92%
29-28 हनुमानगढ़ / नागौर 0.96%

वन स्थिति रिपोर्ट 2019 की तुलना में वनावरण क्षेत्र में सर्वाधिक वृद्धि एवं सर्वाधिक कमी वाले जिले -

सर्वाधिक वृद्धि वाले सर्वाधिक कमी वाले
जिला वर्ग किमी जिला वर्ग किमी
अजमेर 26.45 जालौर 32.46
पाली 26.01 करौली 26.16
बीकानेर 24.10 सिरोही 13.49

आधिकारिक PDF लिंक

वनों के प्रकार

शुष्क सागवान वन

ये वन बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, प्रतापगढ़, उदयपुर, कोटा तथा बारां में मिलते है। बांसवाड़ा में सर्वाधिक है। ये कुल वनों का 7 प्रतिशत हैं इन वनों में बरगद, आम,तेंदुु,गुलर महुआ, साल खैर के वृक्ष मिलते है।

शुष्क पतझड़ वन

ये वन उदयपुर, राजसमंद, चितौड़गढ़, भीलवाड़ा, सवाई माधाुपुर व बुंदी में मिलते हैं। ये कुल वनों का 27 प्रतिशत हैं। इन वनों में छोकड़ा, आम, खैर , ढाक, बांस, जामुन, नीम आदि के वृक्ष मिलते हैं।

उष्ण कटिबंधीय कांटेदार वन

ये वन पश्चिमी राजस्थान जोधपुर, बीकानेर, जालौर, सीकर, झुंझनू में मिलते हैं। ये कुल वनों का 65 प्रतिशत हैं इन वनों में बबूल, खेजड़ी, केर, बेर, आदि के वृक्ष मिलते है।

उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वन

ये वन केवल माउंट आबू के चारों तरफ ही पाये जाते हैं। ये सघन वन वर्ष भर हरे - भरे रहते है। इन वनो का क्षेत्रफल मात्र 0.4 प्रतिशत है। इन वनों में आम, धाक, जामुन, सिरिस, अम्बरतरी, बेल के वृक्ष मिलते है।

सालर वन - ये वन अलवर, चितौड़गढ़ सिरोही और उदयपुर में मिलते है।इन वनों से प्राप्त लकड़ी सामान की पैकिंग और फर्नीचर उद्योग में काम आती है।

वन सम्पदा

बांस - बांसवाड़ा, चितौड़गढ़, उदयपुर, सिरोही।

कत्था - उदयपुर, चितौडगढ़, झालावाड़, बूंदी, भरतपूर।

तेन्दुपत्ता - उदयपुर, चितौड़गढ़, बारां, कोटा, बूंदी, बांसवाड़ा।

खस - भरतपुर, सवाईमाधोपुर, टोंक।

महुआ - डुंगरपुर, उदयपुर, चितौड़गढ़,झालावाड़।

आंवल या झाबुई - जोधपुर, पाली, सिरोही, उदयपुर।

शहर/मोम - अलवर, भरतपुर, सिरोही, जोधपुर।

गांेंद - बाड़मेर का चैहट्टन क्षेत्र।

तथ्य

तेन्दुपत्ता से बीड़ी बनती है। इसे टिमरू भी कहते है।

खस एक प्रकार की घास है। इससे शरबत, इत्र बनते है।

महुआ से आदिवासी शराब बनाते है।

आंवल चमड़ा साफ करने में काम आती है।

कत्था हांडी प्रणाली से कथौड़ी जाति द्वारा बनाया जाता है। कत्थे के साथ केटेचिन निकलती है जो चमड़े को रंगने में काम आति है।

वानिकी कार्यक्रम

अरावली वृक्षारोपण योजना

अरावली क्षेत्र को हरा भरा करने के लिए जापान सरकार(OECF - overseas economic co. fund) के सहयोग से 01.04.1992 को यह परियोजना 10 जिलों (अलवर,जयपुर,नागौर, झुंझनूं, पाली, सिरोही, उदयपुर, बांसवाड़ा, दौसा, चितौड़गढ़) में 31 मार्च 2000 तक चलाई गई।

मरूस्थल वृक्षारोपण परियोजना

मरूस्थल क्षेत्र में मरूस्थल के विस्तार को रोकने के लिए 1978 में 10 जिलों में चलाई गई। इस परियोजना में केन्द्र व राज्य सरकार की भागीदारी 75:25 की थी।

वानिकी विकास कार्यक्रम

1995-96 से लेकर 2002 तक जापान सरकार के सहयोग से यह कार्यक्रम 15 गैर मरूस्थलीय जिलों में चलाया गया।

इंदिरा गांधी क्षेत्र वृक्षारोपण परियोजना

सन् 1991 में IGNP किनारे किनारे वृक्षारोपण एवं चारागाह हेतु यह कार्यक्रम जी जापान सरकार के सहयोग से चालाया गया। 2002 में यह पुरा हो गया।

राजस्थान वन एवं जैविक विविधता परियोजना

वनों की बढोतरी के अलावा वन्य जीवों के संरक्षण हेतु यह कार्यक्रम भी जापान सरकार के सहयोग से 2003 में प्रारम्भ किया गया। इन कार्यक्रमों के अलावा सामाजिक वानिकी योजना 85-86, जनता वन योजन 1996, ग्रामीण वनीकरण समृद्धि योजना 2001-02 एवं नई परियोजना (आदिवासी क्षेत्र में वनों को बढ़ाने हेतु) हरित राजस्थान 2009 अन्य वनीकरण के कार्यक्रम है।

तथ्य

पं. राज. के लाठी सिरिज क्षेत्र(भूगर्भीय जल पट्टी) में सेवण प्लसियुरस सिडीकुस, धामन एवं मुरात घासें मिलती है।

राजस्थान में सर्वाधिक धोकड़ा के वन है।

जैसलमेर के कुलधरा में कैक्टस गार्डन विकसित किया जा रहा है।

पलास/ढाक के फूलों से लदा वृक्ष जंगल की आग कहलाता है। इसका वानस्पतिक नाम ब्यूटिया मोनोस्पर्मा है।

खेजड़ी केा रेगिस्तान का कल्पवृक्ष कहते है। इसे शमी, जांटी(पंजाबी, हरियाणी, राजस्थानी), छोकड़ा(सिन्धी) , पेयमय(तमिल), बन्नी(कन्नड़), प्रोसोपिस सिनोरिया(विज्ञान) में कहते हैं 1983 में इसे राज्य वृक्ष घोषित किया गया। इसकी पत्तियों को लुम फली को सांगरी कहते है।

रोहिड़ा को मरूस्थल का सागवान, राजस्थान की मरूशौभा, मारवाड़ टीका कहते है।इस पर केसरिया फुल आते हैं। इन फुलों को 1983 में राज्य पुष्प घोषित किया गया। इसका वानस्पतिक नाम टिकोमेला अण्डलेटा है।

पूर्व मुख्य सचिव मीणा लाल मेहता क प्रयासों से झालाना वन खण्ड, जयपुर में स्मृति वन विकसित किया गया है। 20.03.2006 में इसका नाम बदलकर कर्पूर चन्द कुलिस स्मृति वन कर दिया गया है।

जोधपुर में देश का पहला मरू वानस्पतिक उद्यान माचिया सफारी पार्क में स्थापित किया जा रहा है। जिसमे मरू प्रदेश की प्राकृति वनस्पति संरक्षित की जायेगी।

शेखावटी क्षेत्र में घास के मैदान बीड़ कहलाते है।कुमट,कैर, सांगरी, काचरी व गूंदा के फुल पचकूटा कहलाते हैं।

केन्द्र सरकार ने मरूस्थलीकरण को रोकन के लिए अक्टूबर 1952 में मरू. वृक्षारोपण शोध केन्द्र की स्थापना जोधपुर में की थी।

Arid Forest Research Institute आफरी भी जोधुपर में है।

राजसमंद जिले में खमनौर(हल्दीघाटी) व देलवाड़ा क्षेत्र को चंदन वन कहते हैं।

केन्द्र सरकार द्वारा 07.02.2003 कोर राष्ट्रीय वन अयोग का गठन किया गया।

भारतीय वन सर्वेक्षण की स्थापना 1981 में देहरादून में कि गई।

राजस्थान को वन प्रबन्ध हेतु 13 वृत्तों में बांटा गया है।

जोधपुर जिले के खेजड़ली गांव मं 1730 में बिश्नोई समाज के 363 स्त्री पुरूषों ने इमरती देवी बिश्नोई के नेतृत्व में अपने प्राणों की आहुति दे दी।

इसी स्मृति में खेजड़ली गांव में भाद्रपद शुक्ल दशमी को मेला लगता है।

इससे पहले जीवों की रक्षार्थ 1604 में जोधुपर रियासत के रामासड़ी गांव में पहला बलिदान करमा व गौरा दिया गया।

वन संरक्षण, वन अनुसंधान, वन विकास एवं वानिकी लेखन में उत्कृष्ण कार्य करने वाले व्यक्ति या संस्था के लिए 1994-95 में अमृता देवी स्मृति पुरस्कार प्रारम्भ किया गया।

पाली जिले के सोजत सिटी में पर्यावरण पार्क विकसित किया जा रहा है।

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राजस्थान में सबसे कम वन क्षेत्र वाला जिला कौन सा है?

राजस्थान का वन क्षेत्र प्रदेश में सर्वाधिक वन क्षेत्र उदयपुर जिले में 2753.39 वर्ग किमी है। उसके बाद अलवर जिले में है जिसका विस्तार 1195.91 वर्ग किमी है। इसके पश्चात् प्रतापगढ़ तथा बारां जिलें है। सबसे कम वन क्षेत्र चूरू जिले में है, जिसका विस्तार 77.69 वर्ग किमी में है।

सबसे कम वन वाला जिला कौन सा है?

राजस्थान में सबसे कम वन चुरू जिले में है।

राजस्थान में न्यूनतम 1 कौन से जिले में है?

Q. राजस्थान में न्यूनतम वन क्षेत्र वाला जिला कौनसा है? Notes: राजस्थान में न्यूनतम वन क्षेत्र वाला जिला चुरू है| भारत में सबसे पहले 1894 में ब्रिटिश सरकार ने वन नीति बनाई थी। भारत में 1952 में नई वन नीति बनाई गई।

राजस्थान में सर्वाधिक वन प्रतिशत वाला जिला कौन सा है?

सर्वाधिक प्रतिशत क्षेत्रफल पर वन क्षेत्र वाले जिले.
उदयपुर 23.49%.
प्रतापगढ़ 23.24%.
सिरोही 17.49%.
करौली 15.28%.