लेखक अपने जीवन में चिड़िया का उपकार क्यों मानता था? - lekhak apane jeevan mein chidiya ka upakaar kyon maanata tha?

Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Exercise Questions and Answers.

Hindi Guide for Class 9 PSEB वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Questions and Answers

(क) विषय-बोध

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग क्यों घटने लगी है ?
उत्तर:
मोबाइल फ़ोन में अलार्म उपलब्ध रहने के कारण बाज़ार में अलार्म घड़ियों की माँग घटने लगी है।

प्रश्न 2.
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में कौन-सी घड़ी मिली थी ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में पुरस्कार में अलार्म घड़ी मिली थी।

प्रश्न 3.
लेखक को कविताओं में डूबे रहना कैसे लगता था ?
उत्तर:
लेखक को कविताओं में डूबे रहना स्वर्ग में जीने जैसा लगता था।

लेखक अपने जीवन में चिड़िया का उपकार क्यों मानता था? - lekhak apane jeevan mein chidiya ka upakaar kyon maanata tha?

प्रश्न 4.
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी किसकी तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी ?
उत्तर:
चिड़िया कमरे में दीवार पर लगी सुमित्रानंदन पंत की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बनाने लगी थी।

प्रश्न 5.
लेखक अपनी कौन-सी दुनिया में खोया रहता था कि चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था ?
उत्तर:
लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया रहता था इसी कारण वह चिड़िया की तरफ़ ध्यान ही नहीं देता था।

प्रश्न 6.
लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी कौन थी ?
उत्तर:
‘लेखक के लिए अब अलार्म घड़ी चिड़िया थी।

प्रश्न 7.
चिड़िया ने लेखक को कौन-सा रत्न दिया था ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक को ‘ऊषा सुंदरी’ रूपी रत्न दिया था।

2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए

प्रश्न 1.
पहले किन-किन अवसरों पर घड़ी देने की परंपरा थी ?
उत्तर:
पहले कलाई पर बाँधने के लिए अथवा पहनने के लिए घड़ी एक उपहार हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी उपहार के रूप में दी जाती थी। कॉलेज में दाखिल होने पर बच्चों को घड़ी दिलवाई जाती थी। शादी में दूल्हे को ससुराल वाले घड़ी अवश्य ही देते थे। कई सरकारी विभागों में सेवा-निवृत्ति पर भी घड़ी देने की परंपरा थी।

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प्रश्न 2.
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब उनके पिता जी क्या कहा करते थे ?
उत्तर:
जिन दिनों लेखक के पास घड़ी नहीं थी तब लेखक के पिता जी उससे कहा करते थे कि तुम्हें सुबह जितने बजे भी उठना हो, तुम अपने तकिये से यह कह कर सो जाओ कि मुझे सुबह जल्दी उठा देना। इतना कहने के बाद तुम्हारी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करेगी। लेखक द्वारा तकिये से कहने पर उसकी नींद सुबह जल्दी खुल जाया करती थी।

प्रश्न 3.
शाम को चिड़िया लेखक के कमरे में कैसे पधार जाती थी ?
उत्तर:
लेखक दिनभर दफ्तर में काम करने के बाद शाम को पढ़ने-लिखने के लिए अपने कमरे का दरवाज़ा खोल कर बैठ जाता था। वह लिखते-पढ़ते समय अपनी किताबों की दुनिया में इतना खोया हुआ होता था कि कमरे में और क्या हो रहा है उसे पता ही नहीं चलता। चिड़िया लेखक के कमरे का दरवाज़ा खुला होने के कारण तथा उसके किताबों में रमे होने के कारण कमरे में पधार जाती थी।

प्रश्न 4.
रोज़ सुबह-सुबह चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती क्यों थी ?
उत्तर:
चिड़िया ने लेखक के कमरे की दीवार पर टंगे सुमित्रानंदन पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना रखा था। वह प्रतिदिन शाम को दरवाज़े के अंदर से आकर अपने घोंसले में बैठ जाया करती। लेखक देर रात तक पढ़ता और लिखता रहता था। इसी कारण वह सुबह देर से उठता था। चिड़िया को सुबह कमरे के बाहर जाना होता था, इसलिए चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर चहचहाती थी कि लेखक कमरे का दरवाज़ा खोल दे और वह बाहर चली जाए।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से क्यों की है ?
उत्तर:
लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से इसलिए की है क्योंकि लेखक के बचपन में उसकी माँ चिड़िया की ही भाँति बड़े ही प्यार से जगाती थी। जब लेखक देर तक सोया रहता था तब उसकी माँ चिड़िया की भाँति ही बड़ी ही झुंझलाहट से लेखक को जगा दिया करती थी। आज लेखक को चिड़िया द्वारा स्वयं को जगाना माँ की तरह जगाना लग रहा था। इसलिए लेखक ने चिड़िया की तुलना माँ से की है।

लेखक अपने जीवन में चिड़िया का उपकार क्यों मानता था? - lekhak apane jeevan mein chidiya ka upakaar kyon maanata tha?

3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए :

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक क्या संदेश देना चाहता है ?
उत्तर:
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ कहानी के द्वारा लेखक ने मनुष्य की आदत में आने वाले बदलाव का संदेश दिया है। लेखक का मानना है कि मानव की आदत कभी नहीं बदलती। किंतु कभी-कभी कुछ ऐसे कारण भी बन जाते हैं जिनके कारण व्यक्ति को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है। यह बदलाव व्यक्ति के जीवन की दिशा और दशा बदल देता है। व्यक्ति के जीवन में आने वाला यह बदलाव अमूक-चूक परिवर्तन लाता है। कहानी में लेखक ने सवेरे के समय को सोते हुए बिताना बेकार बताया है। लेखक का मानना है कि सुबह-सवेरे का समय एक स्वर्णिम आभा का समय होता है जो व्यक्ति के जीवन में खुशियों का संचार करता है।

प्रश्न 2.
चिड़िया द्वारा लेखक को जगाए जाने के प्रयास को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर:
चिड़िया प्रतिदिन शाम को लेखक के कमरे में बने अपने घोंसले में आकर आराम करती थी। वह सुबह जल्दी उठकर बाहर जाना चाहती थी। किंतु लेखक सुबह के समय सोया हुआ होता था, तब चिड़िया लेखक के पलंग के सिरहाने बैठकर एक अलग प्रकार की झुंझलाहट से भरी चीं-ची, चीं-चीं किया करती थी ताकि लेखक अपनी नींद से उठ जाए। वह बार-बार पलंग के सिरहाने आकर फुदकती और अपनी तेज़ आवाज़ से सारे कमरे को गुंजायमान कर देती थी। कई बार चिड़िया लेखक की रज़ाई का कोना अपनी चोंच से पकड़ कर खींचने लगती थी। वह लेखक के सीने पर पड़ी रजाई के ऊपर बैठकर लेखक को अपनी चहचहाहट से जगाने का प्रयास करती थी।

प्रश्न 3.
लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार क्यों मानता है ?
उत्तर:
लेखक वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार इसलिए मानता है क्योंकि चिड़िया ने एक माँ की भाँति उसे प्यार दिया। माँ की भाँति गीत-संगीत अपनी चहचहाहट में सुनाया। लेखक की सुबह देर तक सोने की आदत को भी एक माँ की भांति अपनी चहचहाहट रूपी डाँट से दूर किया। लेखक को सुबह जल्दी उठना सिखाया। लेखक को समय के महत्त्व तथा सवेरे की स्वर्णिम आभा का अवलोकन कराया। सुबह की शीतलता तथा प्रकाश से लेखक को अवगत कराया। अपने मधुर संगीत तथा मूल्यवान समय का ज्ञान कराया। इसी कारण लेखक सुबह जल्दी उठना सीख गया। सुबह-सवेरे का आनंद, जो वह बचपन से खोता आ रहा था, अब वह पाने लगा था। इसलिए लेखक अपने जीवन में आए बदलाव को वात्सल्यमयी चिड़िया का उपकार मानता है।

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(ख) भाषा-बोध

1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए

एकवचन – बहुवचन
घोंसला – ……………….
कमरा – ……………….
दरवाज़ा – ……………….
बच्चा – ……………….
दूल्हा – ……………….
चिड़िया – ……………….
डिबिया – ……………….
घड़ी – ……………….
खिड़की – ……………….
छुट्टी – ……………….
उत्तर:
एकवचन – बहुवचन
घोंसला – घोंसले
कमरा – कमरे
दरवाज़ा – दरवाजे
बच्चा – बच्चे
दूल्हा – दूल्हे
चिड़िया – चिड़ियाँ
डिबिया – डिबियाँ
घड़ी – घड़ियाँ
खिड़की – खिड़कियाँ
छुट्टी – छुट्टियाँ

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2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – ………………. – ……………….
उपस्थित – ………………. – ……………….
उपलब्ध – ………………. – ……………….
उपकार – ………………. – ……………….
अभिभूत – ………………. – ……………….
सुमंगल – ………………. – ……………….
अनुभूति – ………………. – ……………….
बेख़बर – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द
उपहार – उप – हार
उपस्थित – उप – स्थित
उपलब्ध – उप – लब्ध
उपकार – उप – कार
अभिभूत – अभि – भूत
सुमंगल – सु – मंगल
अनुभूति – अनु – भूति
बेख़बर – बे – खबर

3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए

शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – ………………. – ……………….
झुंझलाहट – ………………. – ……………….
रोशनदान – ………………. – ……………….
कृतज्ञता – ………………. – ……………….
सघनता – ………………. – ……………….
मानवीय – ………………. – ……………….
उत्तर:
शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय
चहचहाहट – चहचह – आहट
झुंझलाहट – झुंझला – आहट
रोशनदान – रोशन – दान
कृतज्ञता – कृतज्ञ – ता
सघनता – सघन – ता
मानवीय – मानव – ईय

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4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए

तत्सम – तद्भव
रात्रि – ……………….
आश्रय – ……………….
कृपा – ……………….
गृह – ……………….
सूर्य – ……………….
सच – ……………….
नींद – ……………….
मोती – ……………….
चिड़िया – ……………….
माँ – ……………….
उत्तर:
तत्सम – तद्भव
रात्रि – रात
आश्रय – आसरा
कृपा – किरपा
गृह – घर
सूर्य – सूरज
सच – सत्य
नींद – निद्रा
मोती – मुक्ता
चिड़िया – खग
माँ – मातृ

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(ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति

प्रश्न 1.
यदि आपके घर में भी किसी चिड़िया ने घोंसला बनाया है तो उसके क्रियाकलाप को ध्यान से देखिए और अपना अनुभव लिखिए।
उत्तर:
हाँ, मेरे घर में भी एक मादा पक्षी ने अपना घोंसला बनाया हुआ है। वह देखने में बहुत सुंदर है। देर शाम को वह अपने घोंसले में आ जाती है। सुबह सूर्य की प्रथम किरण के साथ वह उठ जाती है। उसकी ची-चीं की ध्वनि पूरे घर में गूंजने लगती है। वह पंखों को फड़फड़ाते हुए इधर से उधर, उधर से इधर चक्कर काटने लगती है। उसका घोंसला घास के तिनकों से बना है। घोंसले में उसके दो बच्चे भी हैं। उनके लिए वह दाना चुग कर लाती है और बच्चों की चोंच में चोंच मिलाकर उन्हें खिलाती है। बच्चों के साथ उसका चोंच लड़ाना मुझे बहुत ही अच्छा लगता है।

प्रश्न 2.
यदि किसी पशु-पक्षी के कारण आपके जीवन में भी परिवर्तन आया है तो वर्णन कीजिए।
उत्तर:
एक बार मैं अपनी गर्मियों की छुट्टियों में अपने गाँव सोनपुर गया हुआ था। हमारे घर के पास एक आम का बाग था। बाग में बहुत से आम के पेड़ थे। उन पेड़ों पर बहुत-से पक्षियों ने अपने घोंसले बना रखे थे। एक दिन मैं अपने दोस्तों के साथ बाग में गुलेल लेकर घूमने गया था। वहाँ मैंने एक वृक्ष पर एक गौरैया पक्षी को बैठा देखा। तभी मैंने एक निशाना लगाकर उस गैरैया पक्षी को मार गिराया। वह पक्षी तड़पता हुआ नीचे धरती पर आ गिरा। गैरैया पक्षी का दर्द मुझसे देखा नहीं गया। मैंने उसे उठाकर उसका उपचार किया। तब से मेरे मन में पक्षियों के प्रति प्रेम उत्पन्न हो गया है। उसके बाद से मैं दूरबीन लेकर विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की खोज करता रहता हूं।

प्रश्न 3.
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त आप और क्या नाम देंगे और क्यों ?
उत्तर:
चिड़िया को ‘अलार्म घड़ी’ के अतिरिक्त ‘स्वर-कोकिला’ नाम दे सकते हैं, क्योंकि चिड़िया का स्वर कौए की भाँति कर्कश न होकर कोयल की भाँति मीठा और सरस लगता है। उसकी ची-ची में अपनापन-सा झलकता है। उसकी चहचहाहट माँ की डांट और प्यार के समान लगती है तथा उस चहचहाहट में संगीत के सभी सुरों का आनंद एक साथ सुनाई देता है। इसलिए चिड़िया को ‘स्वर कोकिला’ नाम देना उचित ही जान पड़ता है।

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(घ) पाठेत्तर सक्रियता

प्रश्न 1.
प्रातःकाल में प्रकृति को ध्यानपूर्वक निहारिए और कक्षा में सभी को अपना अनुभव बताइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 2.
विभिन्न प्रकार के पक्षियों की आवाज़ों, उनके स्वभाव और उनके घोंसले के बारे में सामग्री जुटाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 3.
पक्षी-विज्ञानी सालिम अली की पुस्तक ‘भारतीय पक्षी’ पढ़िए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 4.
कहानी पढ़कर आपके सामने चिड़िया का जो चित्र उभरता है, उस चित्र को बनाइए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

प्रश्न 5.
चिड़िया और प्रातःकालीन सौंदर्य पर कविताओं का संकलन कीजिए।
उत्तर:
अध्यापक की सहायता से स्वयं करें।

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(ङ) ज्ञान-विस्तार

महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री है। हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ की छायावादी कविता में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। छायावाद की प्रायः रहस्यवादी, प्रकृति-चित्रण, काव्य-वेदना आदि सभी विशेषताएँ इनके काव्य में मिलती हैं। कवयित्री के साथ-साथ ये उत्कृष्ट लेखिका के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘काव्य-संग्रह’ तथा ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के राही’, ‘मेरा परिवार’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र प्रसिद्ध रचनाएँ हैं।

पंत : पंत जी का पूरा नाम ‘सुमित्रानंदन पंत’ है। इन्हें प्रकृति के रंग-भीने वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित व प्रेरित किया। इनकी कविताओं में प्रकृति की अनुपम छटा के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार (कोमल) कवि कहा जाता है। ‘उच्छ्वास’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘चिदम्बरा’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।

निराला : निराला जी का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। हिन्दी-साहित्य में छायावादी काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रसाद के बाद दूसरे कवि हैं। छायावादी कविता में वेदना का जो चित्रण व्यापक परिवेश में हुआ है, वह इनकी कविताओं में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त रहस्यवाद तथा प्रकृति चित्रण भी इनके काव्य की विशेषता है।

तुलसीदास : भक्तिकालीन हिंदी-साहित्य में रामभक्त कवियों में तुलसीदास का स्थान सब से ऊपर है। यद्यपि इनके अतिरिक्त कई अन्य कवियों ने भी राम काव्य से सम्बन्धित रचनाएँ लिखीं किंतु तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ जैसी अभूतपूर्व सफलता किसी को नहीं मिली। इन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम कथा को घर-घर तक पहुँचाने का अनुपम कार्य किया।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर : रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 7 मई, सन् 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था। वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान-जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान-आमार सोनार बाँग्ला । इन्हें ‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त, सन् 1941 को इनका निधन हो गया।
लोकोक्तियों में पक्षी

  • अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत।
  • खग ही जाने खग ही की भाषा।
  • घर की मुर्गी दाल बराबर।
  • कौआ चला हंस की चाल।
  • जंगल में मोर नाचा किसने देखा ?
  • आधा तीतर, आधा बटेर।
  • झूठ बोले कौआ काटे।
  • अंधे के हाथ लगा. बटेर।
  • आधा बगुला आधा बटेर।

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PSEB 9th Class Hindi Guide वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
सेवानिवृत्ति के स्थान पर लेखक व्यक्ति को घड़ी देने की बात कब करता है ?
उत्तर:
घड़ी मानव को उसका जीवन समय पर चलाने का काम करती है। मानव जीवन में समय की उपयोगिता समझाती है। हर काम को समय पर करने की बात बताती है। इसलिए लेखक कहता था कि सेवानिवृत्ति के बजाय नौकरी लगने पर विभाग द्वारा पहले ही कर्मचारी को एक घड़ी भेंट में दी जानी चाहिए ताकि वह समय पर अपने काम तथा दफ्तर में उपस्थित हो जाया करे।

प्रश्न 2.
“वहं चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….” कहानी में लेखक ने मानवीय मन की संवेदना का खेल किसे कहा है ?
उत्तर:
लेखक को कॉलेज में निबंध प्रतियोगिता में मिली अलार्म घड़ी की ध्वनि अत्यधिक प्रिय थी। उस ध्वनि का नशा और स्वाद अब महंगे-से-महंगे मोबाइल फ़ोन से भी नहीं मिलता। संवेदना का स्तर जीवन में सदा एक जैसा नहीं रहता। यह परिवर्तित होता रहता है। कभी इसकी सघनता कम हो जाती है तो कभी बढ़ जाती है। सघनता घट जाने पर बड़ी-बड़ी बातें पहले जैसा स्वाद एवं रस नहीं देती। मानव-मन में होने वाला यह परिवर्तन मानवीय-मन की संवेदना का खेल है।

एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए

प्रश्न 1.
‘वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी’ किसकी रचना है ?
उत्तर:
गोबिन्द कुमार गुंजन की।

प्रश्न 2.
अब किसमें अलार्म की सुविधा है ?
उत्तर:
मोबाइल फोन में।

प्रश्न 3.
पहले दूल्हे को ससुराल पक्ष वाले शादी में क्या अवश्य देते थे ?
उत्तर:
घड़ी।

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प्रश्न 4.
लेखक को पहली बार कलाई घड़ी कब मिली थी ?
उत्तर:
कॉलेज में प्रवेश लेने पर।

प्रश्न 5.
लेखक ने चिड़िया को अलार्म घड़ी क्यों कहा है ?
उत्तर:
चिड़िया अपनी चहचहाहट से उसे जगाती थी।

हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए

प्रश्न 6.
मुझे सुबह-सुबह उठकर पढ़ना रास नहीं आता था।
उत्तर:
हाँ।

प्रश्न 7.
मेरे कमरे में सिर्फ एक दरवाजा, एक खिड़की और एक रोशनदान था।
उत्तर:
नहीं।

सही-गलत में उत्तर दीजिए

प्रश्न 8.
पड़ोसी कृपा करके दरवाजा खटखटाते तो नींद खुलती।
उत्तर:
सही।

प्रश्न 9.
पलंग के सिरहाने बैठी वह चिड़िया मुझे प्यार से देख रही थी।
उत्तर:
गलत।

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रिक्त स्थानों की पूर्ति करें

प्रश्न 10.
उस सुबह ……. खुलने पर …….. ही लगा, जैसे किसी ने ……. का गीत गाया हो।
उत्तर:
उस सुबह पलकें खुलने पर ऐसा ही लगा, जैसे किसी ने जागृति का गीत गाया हो।

प्रश्न 11.
मैं उस …… चिड़िया के उस ………… को बहुत …… से महसूस करता हूँ।
उत्तर:
मैं उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता हूँ।

बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें

प्रश्न 12.
लेखक की नई-नई नौकरी किस दशक में लगी थी
(क) साठवें
(ख) पचासवें
(ग) अस्सीवें
(घ) नब्बेवें।
उत्तर:
(ग) अस्सीवें।

प्रश्न 13.
लेखक को पहली अलार्म घड़ी कहाँ से मिली थी ?
(क) कॉलेज से
(ख) पिता से
(ग) दफ्तर से
(घ) मित्र से।
उत्तर:
(क) कॉलेज से।

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प्रश्न 14.
किस वृत्ति के कारण लेखक का सुबह जल्दी उठना मुश्किल हो जाता ?
(क) यायावरी
(ख) लेखकीय
(ग) निशाचरी
(घ) भ्रमरी।
उत्तर:
(ग) निशाचरी।

प्रश्न 15.
दरवाज़ा खुलवाने के लिए चिड़िया किसके सिरहाने बैठकर चहचहाती थी ?
(क) पलंग
(ख) कुर्सी
(ग) मेज़
(घ) कार्निस।
उत्तर:
(क) पलंग।

कठिन शब्दों के अर्थ

सिरहाने = सिर के पास। ख्याल = विचार। अव्यवस्थित = बिगड़ जाना, बिना किसी व्यवस्था के, ऊबड़-खाबड़। बेख़बर = जिसे कुछ न पता हो। [जाना = किसी आवाज़ से शोर करना। सुहाता = अच्छा लगना। वाणी = आवाज़। स्पर्श = छूना। सहसा = अचानक। उषा = सुबह। सरिता = नदी। गृह = घर। भोर = प्रात:काल। उपहार = भेंट। सेवा-निवृत्ति = रिटायरमेंट, कार्यकाल समाप्त होना। उपस्थित = हाज़िर। संवेदना = अनुभूति। कौतूहल = उत्सुकता। निशाचरी = रात को जागने वाली, राक्षसी। व्यसन = बुरी आदत। व्यवधान = बाधा। अभिनंदन = स्वागत। सृष्टि = संसार। व्यर्थ = बेकार। स्पंदन = कंपन, हिलना। नभचारिणी = आकाश में घूमने वाली। सौरभ = खुशबू। स्वर्णिम = सोने जैसी। अभिभूत = प्रभावित किया हुआ। शय्या = बिस्तर। अप्रतिम = अनोखा। वात्सल्य = प्यार। अवतरित = उतरती हुई। कृतज्ञता = अहसान। स्मृति = याद।

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Summary

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. लेखक-परिचय

जीवन-परिचय-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार माने जाते हैं। उनका जन्म 28 अगस्त, सन् 1956 ई० में मध्य प्रदेश प्रांत के सनवाद में हुआ था। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० की परीक्षा पास की। इनकी साहित्य-प्रतिभा तथा साहित्य-साधना को देखते हुए सन् 1994 में प्रथम समानांतर नवगीत अलंकार, सन् 2002 में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी निबंध हेतु इन्हें सन् 2002 में निर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 2007 में इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार देकर अलंकृत किया गया। रचनाएँ-रुका हुआ संवाद (कविता संग्रह), समकालीन हिन्दी गजलें (सहयोगी प्रकाशन), कपास के फूल, सभ्यता की तितली, पंखों पर आकाश, ज्वाला भी जलधारा भी।
साहित्यिक विशेषताएँ-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक संवेदना से ओत-प्रोत साहित्यकार हैं। गुंजन जी के लेखन की महत्त्वपूर्ण विशेषता है कि हर उम्र और हर वर्ग के पाठकों के मध्य उनकी भिन्न-भिन्न रचनाएँ लोकप्रिय हैं। मानवता उनके साहित्य की प्राण तत्व हैं। गुंजन जी के साहित्य में आधुनिक युग की विसंगतियों, समस्याओं, मूल्यहीनता आदि का सुन्दर चित्रण हुआ है। अनेक स्थलों पर इनका साहित्य अत्यन्त मार्मिक बन पड़ा है। ‘गुंजन’ जी श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ एक श्रेष्ठ ललित निबन्धकार हैं। कहानी लेखन में गुंजन जी पूर्णतः सिद्धहस्त हैं।
भाषा-शैली-‘गुंजन’ जी एक श्रेष्ठ कवि होने के साथ-साथ श्रेष्ठ गद्यकार भी हैं। उनके गद्य लेखन में सहजता और आत्मीयता है। वे बड़ी-से-बड़ी बात को भी बातचीत की शैली में कहते हैं और सीधे पाठकों के मन को छ लेते हैं। लेखक ने मुख्यतः खड़ी बोली भाषा का सहज स्वाभाविक प्रयोग किया है।

लेखक अपने जीवन में चिड़िया का उपकार क्यों मानता था? - lekhak apane jeevan mein chidiya ka upakaar kyon maanata tha?

वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. कहानी का सार

“वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…….” गोविंद कुमार गुंजन द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से मनुष्य की आदत पर प्रकाश डालना चाहा है। लेखक ने कहानी में बताया है कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती किंतु कभी-कभी कुछ कारण ऐसे बन जाते हैं जिनके कारण मानव को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है।
बाज़ार में पहले अलार्म घड़ियाँ खूब बिका करती थीं। वर्तमान समय में मोबाइल फ़ोन में अलार्म रहने के कारण इनकी माँग लगातार कम होती जा रही है। पुराने समय में अलार्म घड़ी का अपना विशेष महत्त्व हुआ करता था। बच्चों की परीक्षा के समय अलार्म घड़ी उन्हें सुबह-सवेरे उठाने का काम करती थी। सुबह किसी यात्रा में जाना होता था तो अलार्म घड़ी सुबह जल्दी उठाने का काम करती थी। जिस प्रकार आज सभी के पास मोबाइल फ़ोन हैं, उसी प्रकार पहले सभी के पास अलार्म घड़ियाँ नहीं हुआ करती थीं। घड़ी उपहार में देने की वस्तु हुआ करती थी। परीक्षा में पास होने पर घड़ी दी जाती थी। कॉलेज में प्रवेश लेने पर तथा ससुराल पक्ष वालों की तरफ से घड़ी अवश्य दी जाती थी। कई सरकारी विभागों में भी सेवा-निवृत्ति पर घड़ी देने की परंपरा थी। लेखक को पहली बार हाथ घड़ी उस समय मिली थी, जब उसने कॉलेज में प्रवेश लिया था। उसे पहली अलार्म घड़ी भी कॉलेज में एक बिनंध प्रतियोगिता में भाग लेने पर मिली थी।

लेखक को उस अलार्म घड़ी की आवाज़ अत्यंत मनमोहक लगती थी। आज महँगे-महँगे मोबाइल फ़ोन की आवाज़ उसे पहले के समान मधुर नहीं लगती। लेखक के बचपन में जब उसके पास घड़ी नहीं थी तो उसके पिता जी उससे कहा करते थे कि यदि तुम्हें सुबह जल्दी उठना हो तो अपने तकिए से कह दिया करो वह तुम्हें जल्दी उठा दिया करेगा। लेखक पिता द्वारा दी सीख का पालन करता था और तकिया उसे सुबह जल्दी उठा देता था। लेखक को सुबह जल्दी उठना पसंद नहीं था। वह देर रात तक पढ़ता था और सुबह देर से उठता था। उसने सुबह की सुंदरता का अनुभव कविताओं में किया था। आज दशकों बाद भी लेखक के पास वह अलार्म घड़ी है। अब घड़ी ठीक होने योग्य नहीं बची। लेखक भी अपनी आदत में कहाँ सुधार कर पाया। अस्सी के दशक में पहली बार लेखक की नौकरी लगी थी। पहली बार लेखक घर से बाहर आया था। उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। कमरे में उसने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा तुलसी दास जी की तस्वीरें फ्रेम करवा कर टाँगी हुई थीं। रात में देर तक जागकर कविता लिखना लेखक को स्वर्ग में जीना लगता था। रात में देर तक जागने के कारण उसे सुबह जल्दी उठना अत्यंत कठिन होने लगा था। वह अक्सर देर से दफ्तर पहुँचता था। लेखक ने जो कमरा किराए पर लिया था उसमें मात्र एक दरवाज़ा था। कमरे में हवा आने-जाने का दरवाज़े के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा रास्ता न था। पहले की तरह तकिया – अब लेखक की बात नहीं सुनता था।

लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया इतना बेख़बर था कि एक चिड़िया ने कब उसके कमरें में टंगी पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना लिया उसे पता ही नहीं चला। देर शाम को चिड़िया दरवाज़ा खुला पाकर कमरे में आ जाया करती थी। एक सुबह चिड़िया लेखक के सिरहाने बैठ कर चीं-चीं की ध्वनि कर उसे उठाने का प्रयास कर रही थी। उसकी ध्वनि में लेखक को गुस्सा नज़र आ रहा था। वह चाहती थी कि लेखक उठकर दरवाज़ा खोले और वह बाहर जाए। दूसरे दिन लेखक की नींद फिर देर से खुली। इस बार फिर चिड़ियाँ की झुंझलाहट भरी चहचहाहट ने उसे जगा दिया। पलंग के सिरहाने बैठी चिड़िया उसे देखकर नाराज़ हो रही थी कि वह अभी तक क्यों सोया है ? तब चिड़िया ने अपनी चोंच से लेखक की रज़ाई का एक कोना पकड़ उसे उठाने का प्रयास किया। ऐसा करने से चिड़िया को तनिक भी डर नहीं लग रह था। चिड़िया द्वारा इस प्रकार से जगाने पर लेखक को अपनी माँ की याद आ जाती थी। उसकी माँ भी इसी प्रकार सुबह-सवेरे जल्दी उठाती थी। अब लेखक ने वास्तव में सुबह सवेरे का सुंदर दृश्य अपनी आँखों से महसूस किया। उसने अब चिड़िया के साथ जल्दी उठना सीख लिया था। आज भी लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता जिसने उसे सुबह की मनोरम तथा मनमोहक छवि के दर्शन कराए और उपहार में ओस के मोती तथा नए खिलने वाले फूल दिखाए।