Punjab State Board PSEB 9th Class Hindi Book Solutions Chapter 11 वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Exercise Questions and Answers. Hindi Guide for Class 9 PSEB वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…. Textbook Questions and Answers (क) विषय-बोध 1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए प्रश्न
1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर तीन-चार पंक्तियों में दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. 3.निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर छः-सात पंक्तियों में दीजिए : प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (ख) भाषा-बोध 1. निम्नलिखित एकवचन शब्दों के बहुवचन रूप लिखिए एकवचन – बहुवचन 2. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – उपसर्ग – मूल शब्द 3. निम्नलिखित शब्दों के प्रत्यय तथा मूल शब्द अलग-अलग करके लिखिए शब्द – मूल शब्द – प्रत्यय 4. पाठ में आए निम्नलिखित तत्सम शब्दों के तद्भव रूप तथा तद्भव शब्दों के तत्सम रूप लिखिए तत्सम – तद्भव (ग) रचनात्मक अभिव्यक्ति प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. (घ) पाठेत्तर सक्रियता प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. (ङ) ज्ञान-विस्तार महादेवी वर्मा : महादेवी वर्मा हिंदी की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री है। हिंदी साहित्य के ‘आधुनिक काल’ की छायावादी कविता में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान है। छायावाद की प्रायः रहस्यवादी, प्रकृति-चित्रण, काव्य-वेदना आदि सभी विशेषताएँ इनके काव्य में मिलती हैं। कवयित्री के साथ-साथ ये उत्कृष्ट लेखिका के रूप में प्रसिद्ध हैं। इनकी ‘नीहार’, ‘नीरजा’, ‘सांध्यगीत’, ‘दीपशिखा’, ‘काव्य-संग्रह’ तथा ‘अतीत के चलचित्र’, ‘पथ के राही’, ‘मेरा परिवार’ आदि संस्मरण और रेखाचित्र प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। पंत : पंत जी का पूरा नाम ‘सुमित्रानंदन पंत’ है। इन्हें प्रकृति के रंग-भीने वातावरण ने अत्यधिक प्रभावित व प्रेरित किया। इनकी कविताओं में प्रकृति की अनुपम छटा के दर्शन स्वतः ही हो जाते हैं। इसीलिए इन्हें प्रकृति का सुकुमार (कोमल) कवि कहा जाता है। ‘उच्छ्वास’, ‘ग्रंथि’, ‘वीणा’, ‘चिदम्बरा’ आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं। निराला : निराला जी का पूरा नाम सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ है। हिन्दी-साहित्य में छायावादी काव्य परम्परा को आगे बढ़ाने वाले प्रसाद के बाद दूसरे कवि हैं। छायावादी कविता में वेदना का जो चित्रण व्यापक परिवेश में हुआ है, वह इनकी कविताओं में प्रचुर मात्रा में मिलता है। इसके अतिरिक्त रहस्यवाद तथा प्रकृति चित्रण भी इनके काव्य की विशेषता है। तुलसीदास : भक्तिकालीन हिंदी-साहित्य में रामभक्त कवियों में तुलसीदास का स्थान सब से ऊपर है। यद्यपि इनके अतिरिक्त कई अन्य कवियों ने भी राम काव्य से सम्बन्धित रचनाएँ लिखीं किंतु तुलसीदास द्वारा रचित ‘रामचरितमानस’ जैसी अभूतपूर्व सफलता किसी को नहीं मिली। इन्होंने ‘रामचरितमानस’ के माध्यम से राम कथा को घर-घर तक पहुँचाने का अनुपम कार्य किया। रवीन्द्रनाथ ठाकुर :
रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार और दार्शनिक के रूप में जाने जाते हैं। इनका जन्म 7 मई, सन् 1861 को कोलकाता के जोड़ासाँको ठाकुरबाड़ी में हुआ। इनके पिता का नाम देवेन्द्रनाथ टैगोर व माता का नाम शारदा देवी था। वे एशिया के प्रथम नोबल पुरस्कार विजेता हैं। उनकी काव्य रचना ‘गीतांजलि’ के लिए उन्हें सन् 1913 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिला। वे एकमात्र कवि हैं जिनकी दो रचनाएँ दो देशों का राष्ट्रगान बनीं। भारत का राष्ट्रगान-जन गण मन और बांग्लादेश का राष्ट्रीय गान-आमार सोनार बाँग्ला । इन्हें
‘गुरुदेव’ के नाम से भी जाना जाता है। 7 अगस्त, सन् 1941 को इनका निधन हो गया।
PSEB 9th Class Hindi Guide वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Important Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. एक शब्द/एक पंक्ति में उत्तर दीजिए प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. हाँ-नहीं में उत्तर दीजिए प्रश्न 6. प्रश्न 7. सही-गलत में उत्तर दीजिए प्रश्न 8. प्रश्न 9. रिक्त स्थानों की पूर्ति करें प्रश्न 10. प्रश्न 11. बहुविकल्पी प्रश्नों में से सही विकल्प चुनकर उत्तर लिखें प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. कठिन शब्दों के अर्थ सिरहाने = सिर के पास। ख्याल = विचार। अव्यवस्थित = बिगड़ जाना, बिना किसी व्यवस्था के, ऊबड़-खाबड़। बेख़बर = जिसे कुछ न पता हो। [जाना = किसी आवाज़ से शोर करना। सुहाता = अच्छा लगना। वाणी = आवाज़। स्पर्श = छूना। सहसा = अचानक। उषा = सुबह। सरिता = नदी। गृह = घर। भोर = प्रात:काल। उपहार = भेंट। सेवा-निवृत्ति = रिटायरमेंट, कार्यकाल समाप्त होना। उपस्थित = हाज़िर। संवेदना = अनुभूति। कौतूहल = उत्सुकता। निशाचरी = रात को जागने वाली, राक्षसी। व्यसन = बुरी आदत। व्यवधान = बाधा। अभिनंदन = स्वागत। सृष्टि = संसार। व्यर्थ = बेकार। स्पंदन = कंपन, हिलना। नभचारिणी = आकाश में घूमने वाली। सौरभ = खुशबू। स्वर्णिम = सोने जैसी। अभिभूत = प्रभावित किया हुआ। शय्या = बिस्तर। अप्रतिम = अनोखा। वात्सल्य = प्यार। अवतरित = उतरती हुई। कृतज्ञता = अहसान। स्मृति = याद। वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. Summaryवह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. लेखक-परिचय जीवन-परिचय-गोविंद कुमार ‘गुंजन’ आधुनिक हिन्दी-साहित्य के प्रमुख साहित्यकार
माने जाते हैं। उनका जन्म 28 अगस्त, सन् 1956 ई० में मध्य प्रदेश प्रांत के सनवाद में हुआ था। इन्होंने अंग्रेजी साहित्य में एम० ए० की परीक्षा पास की। इनकी साहित्य-प्रतिभा तथा साहित्य-साधना को देखते हुए सन् 1994 में प्रथम समानांतर नवगीत अलंकार, सन् 2002 में अखिल भारतीय अम्बिका प्रसाद दिव्य प्रतिष्ठा पुरस्कार से सम्मानित किया गया। हिन्दी निबंध हेतु इन्हें सन् 2002 में निर्मल पुरस्कार प्रदान किया गया। सन् 2007 में इन्हें मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी का बाल कृष्ण शर्मा नवीन पुरस्कार देकर अलंकृत किया गया।
रचनाएँ-रुका हुआ संवाद (कविता संग्रह), समकालीन हिन्दी गजलें (सहयोगी प्रकाशन), कपास के फूल, सभ्यता की तितली, पंखों पर आकाश, ज्वाला भी जलधारा भी। वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी….. कहानी का सार “वह चिड़िया एक अलार्म घड़ी थी…….” गोविंद कुमार गुंजन द्वारा रचित एक श्रेष्ठ कहानी है। लेखक ने अपनी इस कहानी के माध्यम से मनुष्य की आदत पर प्रकाश डालना चाहा है। लेखक ने कहानी में बताया है कि मनुष्य की आदत कभी नहीं बदलती किंतु कभी-कभी कुछ कारण ऐसे
बन जाते हैं जिनके कारण मानव को अपनी आदतों में बदलाव लाना पड़ता है। लेखक को उस अलार्म घड़ी की आवाज़ अत्यंत मनमोहक लगती थी। आज महँगे-महँगे मोबाइल फ़ोन की आवाज़ उसे पहले के समान मधुर नहीं लगती। लेखक के बचपन में जब उसके पास घड़ी नहीं थी तो उसके पिता जी उससे कहा करते थे कि यदि तुम्हें सुबह जल्दी उठना हो तो अपने तकिए से कह दिया करो वह तुम्हें जल्दी उठा दिया करेगा। लेखक पिता द्वारा दी सीख का पालन करता था और तकिया उसे सुबह जल्दी उठा देता था। लेखक को सुबह जल्दी उठना पसंद नहीं था। वह देर रात तक पढ़ता था और सुबह देर से उठता था। उसने सुबह की सुंदरता का अनुभव कविताओं में किया था। आज दशकों बाद भी लेखक के पास वह अलार्म घड़ी है। अब घड़ी ठीक होने योग्य नहीं बची। लेखक भी अपनी आदत में कहाँ सुधार कर पाया। अस्सी के दशक में पहली बार लेखक की नौकरी लगी थी। पहली बार लेखक घर से बाहर आया था। उसने एक कमरा किराये पर ले लिया। कमरे में उसने महादेवी वर्मा, सुमित्रानंदन पंत, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला तथा तुलसी दास जी की तस्वीरें फ्रेम करवा कर टाँगी हुई थीं। रात में देर तक जागकर कविता लिखना लेखक को स्वर्ग में जीना लगता था। रात में देर तक जागने के कारण उसे सुबह जल्दी उठना अत्यंत कठिन होने लगा था। वह अक्सर देर से दफ्तर पहुँचता था। लेखक ने जो कमरा किराए पर लिया था उसमें मात्र एक दरवाज़ा था। कमरे में हवा आने-जाने का दरवाज़े के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा रास्ता न था। पहले की तरह तकिया – अब लेखक की बात नहीं सुनता था। लेखक अपनी किताबों की दुनिया में खोया इतना बेख़बर था कि एक चिड़िया ने कब उसके कमरें में टंगी पंत जी की तस्वीर के पीछे अपना घोंसला बना लिया उसे पता ही नहीं चला। देर शाम को चिड़िया दरवाज़ा खुला पाकर कमरे में आ जाया करती थी। एक सुबह चिड़िया लेखक के सिरहाने बैठ कर चीं-चीं की ध्वनि कर उसे उठाने का प्रयास कर रही थी। उसकी ध्वनि में लेखक को गुस्सा नज़र आ रहा था। वह चाहती थी कि लेखक उठकर दरवाज़ा खोले और वह बाहर जाए। दूसरे दिन लेखक की नींद फिर देर से खुली। इस बार फिर चिड़ियाँ की झुंझलाहट भरी चहचहाहट ने उसे जगा दिया। पलंग के सिरहाने बैठी चिड़िया उसे देखकर नाराज़ हो रही थी कि वह अभी तक क्यों सोया है ? तब चिड़िया ने अपनी चोंच से लेखक की रज़ाई का एक कोना पकड़ उसे उठाने का प्रयास किया। ऐसा करने से चिड़िया को तनिक भी डर नहीं लग रह था। चिड़िया द्वारा इस प्रकार से जगाने पर लेखक को अपनी माँ की याद आ जाती थी। उसकी माँ भी इसी प्रकार सुबह-सवेरे जल्दी उठाती थी। अब लेखक ने वास्तव में सुबह सवेरे का सुंदर दृश्य अपनी आँखों से महसूस किया। उसने अब चिड़िया के साथ जल्दी उठना सीख लिया था। आज भी लेखक उस वात्सल्यमयी चिड़िया के उस उपकार को बहुत कृतज्ञता से महसूस करता जिसने उसे सुबह की मनोरम तथा मनमोहक छवि के दर्शन कराए और उपहार में ओस के मोती तथा नए खिलने वाले फूल दिखाए। |