राजभाषा आयोग 1955 में कितने सदस्य थे - raajabhaasha aayog 1955 mein kitane sadasy the

भारत के राष्‍ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 344 (1) में प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी.जी. खेर की अध्‍यक्षता में निम्‍नांकित विषयों पर सिफारिशें करने के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया –

  • (क) संघ के सरकारी कामकाज के लिए हिन्‍दी भाषा का क्रमशः अधिक से अधिक से प्रयोग,
  • (ख) संघ के सभी या कुछ सरकारी कामों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग की मनाही,
  • (ग) संविधान के अनुच्‍छेद 348 में वर्णित सभी अथवा कुछ कार्यों के लिए किस भाषा का प्रयोग किया जाए,
  • (घ) संघ के किसी या किन्‍ही खास कार्यो के लिए प्रयोग में आने वाले अंकों का रूप,
  • (ङ) एक समग्र अनुसूची तैयार करना जिसमें ये बताया जाए कि कब और किस प्रकार संघ की राजभाषा तथा संघ एवं राज्‍यों के बीच और एक राज्‍य और दूसरे राज्‍यों के बीच संचार की भाषा के रूप में अंग्रेजी का स्‍थान धीरे-धीरे हिन्‍दी ले।

अपनी सिफारिशें करते समय आयोग को इस बात का ध्‍यान रखना था कि उन सिफारिशों से भारत की औद्योगिक, सांस्‍कृतिक और वैज्ञानिक प्रगति में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचे और सरकारी नौकरियों के मामले में हिन्‍दीतर क्षेत्रों के लोगों के उचित अधिकार और हित सुरक्षित रहें। आयोग ने अपने विचारार्थ विषय के विभिन्‍न पहलुओं से आधुनिक भाषा, भारतीय भाषाओं का स्‍वरूप, पारिभाषिक शब्दावली, संघ की भाषा और शिक्षा पद्धति, सरकारी प्रशासन में भाषा, कानून और न्‍यायालयों की भाषा, संघ की भाषा , लोक सेवाओं की परीक्षाएं , हिन्‍दी और प्रादेशिक भाषाओं का प्रचार और विकास, राष्‍ट्रीय भाषा संबधी कार्यक्रम को कार्य रूप देने के लिए संस्‍थाओं आदि की व्‍यवस्‍था आदि के बारे में विस्‍तार से विवेचन तथा विचार विमर्श करने के पश्‍चात 31 जुलाई 1956 को अपना प्रतिवेदन राष्‍ट्रपति को प्रस्‍तुत किया।

आयोग की संस्तुतियाँ[संपादित करें]

इस आयोग ने 31 जुलाई, 1956 को अपना प्रनिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया। आयोग की संस्तुतियाँ ये थीं-

  • (1) भारत की जनतान्त्रिक पद्धति को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय स्तर पर सामूहिक माध्यम के रूप में अंग्रेजी को स्वीकार करना संभव नहीं है। भारतीय भाषाओं के माध्यम से ही अनिवार्य शिक्षा देने की संभावनाओं पर विचार करना चाहिए। प्रशासन को सार्वजनिक जीवन एवं दैनिक कार्यकलापों में विदेशी भाषा का प्रयोग करना उचित नहीं है।
  • (२) बहुमत द्वारा बोली तथा समझी जाने वाली हिन्दी ही पूरे देश के लिए एक सुस्पष्ट भाषा माध्यम है।
  • (३) १४ वर्ष की उम्र तक के प्रत्येक विद्यार्थी को हिन्दी का उचित ज्ञान प्राप्त कराया जाना चाहिए।
  • (४) सारे देश में माध्यमिक शिक्षा के स्तर तक हिन्दी का शिक्षण अनिवार्य कर दिया जाए। हिन्दीभाषी क्षेत्र के विद्यार्थियों के लिए एक दूसरी दक्षिण भारतीय भाषा का ज्ञान अनिवार्य किया जाना आयोग को मान्य नहीं है।
  • (५) सभी विश्वविद्यालयों को चाहिए कि हिन्दी माध्यम से जो विद्यार्थी परीक्षा में बैठना चाहें उनके लिए वे उचित प्रबंध करें।
  • (६) वैज्ञानिक एवं तकनीकी शिक्षण संस्थाओं में यदि सब विद्यार्थी एक भाषायी वर्ग के हों तो उनकी भाषा के माध्यम से ही उन्हें शिक्षा दी जाए और यदि वे विभिन्न भाषायी क्षेत्रों के हों तो हिन्दी भाषा को ही उन सभी के लिए माध्यम के रूप में अपनाया जाए।
  • (७) प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए हिन्दी का निश्चित अवधि में आवश्यक ज्ञान प्राप्त करने के लिए नियम लागू किए जाएँ और ऐसा न करने वालों को दंडित किया जाए।
  • (८) जनता से सीधा संबध रखने वाले विभागों और संगठनों में आंतरिक कार्यो में हिन्दी तथा जनता से व्यवहार हेतु क्षेत्रीय भाषा व्यवहार में लाई जाए।
  • (९) राज्य और संघ सरकार के अधिकारियों के लिए किसी स्तर का हिन्दी ज्ञान अनिवार्य किया जाय और इसके लिए उन्हें अधिकाधिक पुरस्कार देकर प्रोत्साहित किया जाय।
  • (१०) स्वीकृत सरकारी कानून हिन्दी में ही होने चाहिए, परंतु जनता की सुविधा केलिए क्षेत्रीय भाषाओं में उनके अनुवाद प्रकाशित किए जाने चाहिए।
  • (११) देश में न्याय, देश की भाषा में किया जाए, इसके लिए यह जरूरी है कि उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की समस्त कार्यवाही तथा विलेखों, निर्णयों तथा आदेशों के आवश्यकतानुसार क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद भी संलग्न किए जाएं।
  • (१२) अखिल भारतीय सेवाओं और केंद्रीय सेवाओं हेतु कर्मचारियों के लिए हिन्दी की योग्यता रखना आवश्यक किया जाए। इन परीक्षाओं में हिन्दी का अनिवार्य प्रश्न-पत्र रखा जाए, परंतु अहिन्दीभाषी विद्यार्थियों की सुविधा की दृष्टि से उसका स्तर अति साधारण रहे।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • भारत की राजभाषा के रूप में हिन्दी

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

  • राजभाषा (विधिक) आयोग द्वारा निर्मित विधिक शब्दावली

राजभाषा आयोग

राजभाषा आयोग 1955 में कितने सदस्य थे - raajabhaasha aayog 1955 mein kitane sadasy the

संविधान के भाग 17 (अनुच्छेद 344)के अन्तर्गत उपबंधित राजभाषा आयोग के कार्योंउसकी सिफारशों तथा संसदीय समिति और राष्ट्रपति आदेशों का विस्तारपूर्वक अध्ययन एवं विश्लेषण -

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि- राष्ट्रपतिइस संविधान के प्रारम्भ से 5 वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात् ऐसे प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति परआदेश द्वाराएक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में दिये गये विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा। जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में ही आयोग की प्रक्रिया एवं कार्यों का भी विनिश्चय होगा। 

इसके अनुसार ही 7 जून 1955 को बी. जी. खरे की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन किया गयाजिसमें 20 सदस्य थे। 

राजभाषा आयोग के कार्य 

भारतीय संविधान के भाग 17 (अनुच्छेद 344(2) के अन्तर्गत ही राजभाषा आयोग के कार्यों को निर्दिष्ट किया गया है:

  • संघ के शासकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी भाषा के अधिकाधिक प्रयोग, 
  • संघ के किसी या सभी शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा के प्रयोग पर निर्बन्धों, 
  • अनुच्छेद 348 में उल्लिखित सभी या किन्हीं प्रयोजनों के लिए प्रयोग की जाने वाली भाषा, 
  • संघ के किसी एक या अधिक विरनिष्ट प्रयोजनों  के लिए किये जाने वाले अंको के रुप, 
  • संघ की राजभाषा तथा संघ और किसी राज्य के बीच या एक राज्य और दसरे राज्य के बीच पत्रादि की भाषा और उनके प्रयोग के सम्बन्ध में राष्ट्रपति द्वारा आयोग को निर्देशित किये गये किसी अन्य विषयके बारे में सिफारिशें करे। 

राजभाषा आयोग की सिफारशें

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के अन्तर्गत राजभाषा आयोग द्वारा कार्यों के सम्बन्ध में की जाने वाली सिफारिशों का भी प्रावधान है। राजभाषा आयोग अपनी सिफारिशों में:

  •  भारत की सांस्कृतिकऔद्योगिक और वैज्ञानिक उन्नति काऔर 
  • लोक सेवाओं में अहिन्दी भाषी क्षेत्रों के व्यक्तियों के न्यायसंगत दावों और हितों का पूर्णतया ध्यान रखेगा। 

इस प्रकार हमने देखा कि राजभाषा आयोग के कार्यो तथा उसके द्वारा उससे सम्बन्धित की जाने वाली सिफारिशों का सविस्तार पूर्वक प्रावधान भारतीय संविधान में किया गया है।

1955 में गठित राजभाषा आयोग को यह उत्तरदायित्व सौपा गया कि वह अपने विभिन्न कार्यों के साथ ही साथ यह ध्यान रखे कि सभी भाषाओं का विकास सुनिश्चित रुप में होना चाहिए। देश के सांस्कृतिकऔर वैज्ञानिक विकास का ध्यान रखते हुए ही अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना चाहिए।

यह भी पढ़ें भारतीय संविधान एवं राजभाषा 

राजभाषा आयोग में कुल कितने सदस्य हैं?

संविधान के अनुच्छेद-344 (4) के अंतर्गत राजभाषा आयोग की अनुशंसाओं पर विचार करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) का गठन किया जाता है। इस समिति में 30 सदस्य होते हैं, जिनमें 20 लोकसभा तथा 10 राज्य सभा के सदस्य होते हैं

प्रथम राजभाषा आयोग की स्थापना कब हुई थी?

प्रथम राजभाषा आयोग का गठन 1955 में बी. जी. खेर की अध्यक्षता में हुआ। अनुच्छेद-343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी तथा लिपि देवनागरी होगी।

भारत में प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन बने थे?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को राज्य भाषा आयोग का गठन किया गया . प्रथम राज्य भाषा आयोग का अध्यक्ष बी. जी. खेर द्वारा की गई।

भाषा आयोग का गठन कब हुआ और इसके अध्यक्ष कौन थे?

भारत के राष्‍ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्‍छेद 344 (1) में प्रदत्‍त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी. जी. खेर की अध्‍यक्षता में निम्‍नांकित विषयों पर सिफारिशें करने के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया –.