भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी.जी. खेर की अध्यक्षता में निम्नांकित विषयों पर सिफारिशें करने के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया – Show
अपनी सिफारिशें करते समय आयोग को इस बात का ध्यान रखना था कि उन सिफारिशों से भारत की औद्योगिक, सांस्कृतिक और वैज्ञानिक प्रगति में किसी प्रकार की बाधा न पहुंचे और सरकारी नौकरियों के मामले में हिन्दीतर क्षेत्रों के लोगों के उचित अधिकार और हित सुरक्षित रहें। आयोग ने अपने विचारार्थ विषय के विभिन्न पहलुओं से आधुनिक भाषा, भारतीय भाषाओं का स्वरूप, पारिभाषिक शब्दावली, संघ की भाषा और शिक्षा पद्धति, सरकारी प्रशासन में भाषा, कानून और न्यायालयों की भाषा, संघ की भाषा , लोक सेवाओं की परीक्षाएं , हिन्दी और प्रादेशिक भाषाओं का प्रचार और विकास, राष्ट्रीय भाषा संबधी कार्यक्रम को कार्य रूप देने के लिए संस्थाओं आदि की व्यवस्था आदि के बारे में विस्तार से विवेचन तथा विचार विमर्श करने के पश्चात 31 जुलाई 1956 को अपना प्रतिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया। आयोग की संस्तुतियाँ[संपादित करें]इस आयोग ने 31 जुलाई, 1956 को अपना प्रनिवेदन राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया। आयोग की संस्तुतियाँ ये थीं-
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राजभाषा आयोगसंविधान के भाग 17 (अनुच्छेद 344)के अन्तर्गत उपबंधित राजभाषा आयोग के कार्यों, उसकी सिफारशों तथा संसदीय समिति और राष्ट्रपति आदेशों का विस्तारपूर्वक अध्ययन एवं विश्लेषण - भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के अन्तर्गत यह प्रावधान है कि- राष्ट्रपति, इस संविधान के प्रारम्भ से 5 वर्ष की समाप्ति पर और तत्पश्चात् ऐसे प्रारम्भ से दस वर्ष की समाप्ति पर, आदेश द्वारा, एक आयोग गठित करेगा जो एक अध्यक्ष और आठवीं अनुसूची में दिये गये विभिन्न भाषाओं का प्रतिनिधित्व करने वाले ऐसे अन्य सदस्यों से मिलकर बनेगा। जिनको राष्ट्रपति नियुक्त करे और आदेश में ही आयोग की प्रक्रिया एवं कार्यों का भी विनिश्चय होगा। इसके अनुसार ही 7 जून 1955 को बी. जी. खरे की अध्यक्षता में राजभाषा आयोग का गठन किया गया, जिसमें 20 सदस्य थे। राजभाषा आयोग के कार्यभारतीय संविधान के भाग 17 (अनुच्छेद 344(2) के अन्तर्गत ही राजभाषा आयोग के कार्यों को निर्दिष्ट किया गया है:
राजभाषा आयोग की सिफारशेंभारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 के अन्तर्गत राजभाषा आयोग द्वारा कार्यों के सम्बन्ध में की जाने वाली सिफारिशों का भी प्रावधान है। राजभाषा आयोग अपनी सिफारिशों में:
इस प्रकार हमने देखा कि राजभाषा आयोग के कार्यो तथा उसके द्वारा उससे सम्बन्धित की जाने वाली सिफारिशों का सविस्तार पूर्वक प्रावधान भारतीय संविधान में किया गया है। 1955 में गठित राजभाषा आयोग को यह उत्तरदायित्व सौपा गया कि वह अपने विभिन्न कार्यों के साथ ही साथ यह ध्यान रखे कि सभी भाषाओं का विकास सुनिश्चित रुप में होना चाहिए। देश के सांस्कृतिक, और वैज्ञानिक विकास का ध्यान रखते हुए ही अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करना चाहिए। यह भी पढ़ें भारतीय संविधान एवं राजभाषाराजभाषा आयोग में कुल कितने सदस्य हैं?संविधान के अनुच्छेद-344 (4) के अंतर्गत राजभाषा आयोग की अनुशंसाओं पर विचार करने के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (Joint Parliamentary Committee) का गठन किया जाता है। इस समिति में 30 सदस्य होते हैं, जिनमें 20 लोकसभा तथा 10 राज्य सभा के सदस्य होते हैं।
प्रथम राजभाषा आयोग की स्थापना कब हुई थी?प्रथम राजभाषा आयोग का गठन 1955 में बी. जी. खेर की अध्यक्षता में हुआ। अनुच्छेद-343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी तथा लिपि देवनागरी होगी।
भारत में प्रथम राजभाषा आयोग के अध्यक्ष कौन बने थे?भारतीय संविधान के अनुच्छेद 344 में प्राप्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को राज्य भाषा आयोग का गठन किया गया . प्रथम राज्य भाषा आयोग का अध्यक्ष बी. जी. खेर द्वारा की गई।
भाषा आयोग का गठन कब हुआ और इसके अध्यक्ष कौन थे?भारत के राष्ट्रपति ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 344 (1) में प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए 7 जून 1955 को श्री बी. जी. खेर की अध्यक्षता में निम्नांकित विषयों पर सिफारिशें करने के लिए राजभाषा आयोग का गठन किया –.
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