विषयसूची श्रवण कुमार की ससुराल कहाँ थी?इसे सुनेंरोकेंउत्तर प्रदेश के मेरठ में एक ऐसा मोहल्ला है जहां छत पर पहुंचते ही पूरा का पूरा शहर नज़र आता है पंडित जी बताते हैं कि कभी ये स्थान मयराष्ट्र कहलाता था और यहां सुरंगें हुआ करती थीं. वो कथा भी बताते हैं कि एक बार श्रवण कुमार यहां अपने मात-पिता को लेकर आए और उन्होंने इसी स्थान पर उन्होंने अपनी यात्रा रोक दी थी. श्रवण कुमार के माता पिता कैसे थे?इसे सुनेंरोकेंश्रावण कुमार के माता का नाम ज्ञानवंती था और पिता का नाम शांतनु था। शांतनु और ज्ञानवंती को कोई संतान नहीं थे । एक दिन शांतनु और उनकी पत्नी ज्ञानवंती घर के आंगन में बैठे थे तभी ब्रह्मऋषि नारद जी प्रकट हुए। श्रवण कुमार पूर्व जन्म में कौन थे? इसे सुनेंरोकेंश्रवण कुमार का जन्म Shrvan kumar ka janm श्रवण कुमार का जन्म त्रेता युग में हुआ था। उनके पिता का नाम शांतनु जो महातपस्वी ज्ञानी थे और माता का नाम ज्ञानवन्ति देवी था जो एक ज्ञानी महिला थी। सरवन कुमार के माता पिता अंधे क्यों थे?इसे सुनेंरोकेंइस पर ब्रह्माजी ने कहा कि मैं तुम्हें आशीर्वाद देता हूं कि तुम्हें पुत्र प्राप्ति होगी और यह भी आशीर्वाद देता हूं कि तुम्हारे इस पुत्र का नाम संसार में युगों युगों तक याद किया जाएगा । बाद में शांतनु के पुत्र होने पर दोनों माता-पिता की नेत्र ज्योति चली गई और वो अंधे हो गए । उस बालक का नाम श्रवण कुमार रखा गया। श्रवण कुमार की पत्नी का नाम क्या था?इसे सुनेंरोकेंश्रवण कुमार एक त्रेता युग की पौराणिक कथा है। एक गांव में शांतनु नामक साधु रहता था, उनकी पत्नी का नाम ज्ञानवती था। श्रवण कुमार की पत्नी का क्या नाम? इसे सुनेंरोकेंइतिहास में कहीं पर भी श्रवण कुमार की पत्नी के नाम का वर्णन नहीं है। सरवन कुमार अपने माता पिता का भक्त था इसलिए उसका नाम इतिहास में दर्ज है। श्रवण कुमार के माता पिता का क्या नाम है?इसे सुनेंरोकेंपानी की आवाज सुनते राजा दशरथ को लगा कोई जानवर पानी पीने आया है इसलिए उसने अपने धनुष से एक तीर उस दिशा में चलाया लेकिन वह तीर सीधा श्रवण कुमार के सीने पर जाकर लगा. श्रवण कुमार के माता पिता पूर्व जन्म में क्या थे?इसे सुनेंरोकेंश्रवण कुमार : जब भी मातृ-पितृभक्ति की बात होती है तो सबसे पहले श्रवण कुमार का ही नाम याद आता है। श्रवण कुमार का नाम इतिहास में मातृभक्ति और पितृभक्ति के लिए अमर रहेगा। श्रवण कुमार की कहानी उस समय की है जब महाराज दशरथ अयोध्या पर राज किया करते थे। श्रवण के माता-पिता अंधे थे। श्रवण कुमार और दशरथ का क्या रिश्ता था? इसे सुनेंरोकेंश्रवण कुमार का वध राजा दशरथ से भूलवश हो गया था, जिस कारण इनके माता पिता ने राजा दशरथ को पुत्र वियोग का शाप दे दिया था इसी के फलस्वरूप राम को वनवास हुआ और राजा दशरथ ने पुत्र वियोग में राम को याद करते हुए प्राण त्यागेश्रवण अथवा श्रवण कुमार संस्कृत काव्य रामायण के एक पात्र का नाम है। श्रवण कुमार के भाई का क्या नाम था?इसे सुनेंरोकेंवरिष्ठ संवाददातात्रेतायुग में जिस प्रकार श्रवण कुमार ने अपने अंधे माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर तीर्थ यात्रा कराई थी, उसी प्रकार पलवल के फूलवाड़ी गांव के बंशीलाल, राजू, महेंद्र और जगपाल चारों भाई अपनी माता (रुपवती) पिता (चंद्रपाल) को कांवड़ में बैठाकर हरिद्वार से लेकर आए हैं। क्या श्रवण कुमार की शादी हुई थी?इसे सुनेंरोकेंश्रवण कुमार के माता पिता दोनो अन्धे थे। फिर हुआ यू की जब श्रवण कुमार बड़े हो गये तो इनकी शादी करा दी गयी। अब उनकी पत्नी आ गयी थी। राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी How many wives did king dasaratha hadहैलो दोस्तों आपका हमारे इस लेख राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी?(How many wives did king dasaratha have) में बहुत बहुत स्वागत है। दोस्तों आप इस लेख में जानेंगे कि रामायण के प्रमुख पात्र राम के पिता राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी इसके साथ ही आप उन सभी की कहानियों के बारे में जानेंगे कि वे कहाँ की थी? उनका विवाह कैसे हुआ? आदि तो दोस्तों बने रहिये हमारे इस लेख के साथ और पढ़ते है, राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी? भगवान विष्णु के 108 नाम राजा दशरथ कौन थे who was Raja Dashrathराजा दशरथ के बारे में तो आप सभी जानते हैं, कि राजा दशरथ कौन थे? राजा दशरथ एक ऎसे रघुवंशी राजा थे। जिन्होंने अपने वचन के लिए अपने प्राण भी त्याग दिए। राजा दशरथ रघुकुल के महान प्रतापी तथा तेजस्वी राजा थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार राजा दशरथ के पिता का नाम राजा अजा तथामाता का नाम इंदुमती था। इक्षवाकु कुल में जन्मे राजा दशरथ के पुत्र के रूप में स्वयं नारायण विष्णु भगवान ने राम के रूप में जन्म लिया था। बाली और सुग्रीव का जन्म कैसे हुआ राजा दशरथ अपनी प्रजा को अपने पुत्रों की तरह प्रेम करने वाले आदर्श राजा थे। महाराजा दशरथ की तीन पत्नियां थी कौशल्या कैकई और सुमित्रा। राजा दशरथ की कितनी पत्नियाँ थी how many wives did king dasaratha hadराजा दशरथ की तीन पत्नियाँ थी जिनमें सबसे बड़ी पत्नी कौशल देश की राजकुमारी कौशल्या दूसरी केकय देश की राजकुमारी कैकई तथा तीसरी काशी नरेश की राजकुमारी सुमित्रा थी। तीनों रानियों के बारे में निम्न प्रकार विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है:- राजा दशरथ की जन्म कथा
कौशल्या रानी की कथा Rani Kaushalya Storyकौशल्या रानी की कहानी - रानी कौशल्या राजा दशरथ की प्रथम पत्नी तथा रामायण की प्रमुख पात्र थी। महारानी कौशल्या कौशल प्रदेश (छत्तीसगढ़) की राजकुमारी थी। इनका जन्म छत्तीसगढ़ में ही हुआ था। महाराजा दशरथ से विवाह करने के पश्चात इनको दो संतान उत्पन्न हुई एक थे। भगवान श्री राम और एक पुत्री थी जिसका नाम था शांता। रानी कौशल्या के पिताजी का नाम राजा सुकौशल तथा माताजी का नाम अमृतगाथा था। ऐसा माना जाता है, कि कौशल्या आदिति का अवतार थी। रानी कौशल्या के विवाह की बड़ी विचित्र घटना है. जब राजकुमारी कौशल्या विवाह के योग्य हुई तो उनके पिताजी ने चारों दिशाओं में सुयोग वर खोजने के लिए दूंतों को भेजा किंतु उसी समय महाराजा दशरथ ने अपना राज्य विस्तार के लिए कौशल देश में प्रस्ताव भेजा की या तो आप राजा दशरथ की अधीनता स्वीकार करें या फिर युद्ध के लिए तैयार हो जाएँ सुकौशल राजा ने युद्ध का रास्ता अपनाया और दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ जिसमें महाराजा दशरथ ने राजा सुकौशल को पराजित कर दिया। किंतु उन्हें अपने अधीन नहीं किया बल्कि मित्रता का हाँथ बढ़ाया जिससे राजा सुकौशल बड़े ही प्रभावित हुये और उन्होंने इस मैत्री को संबंध में बदलने का प्रयत्न किया तथा अपनी पुत्री कौशल्या का विवाह महाराज दशरथ के साथ कर दिया। रानी कैकई की कहानी Rani Kaikai storyरानी कैकई की कहानी - रानी कैकई केकय देश की राजकुमारी थी। उनके पिताजी का नाम राजा अश्वपति तथा माता जी का नाम शुभलक्षणा था। कैकई ने भरत जैसे धर्मात्मा पुत्र को जन्म दिया था। जिसने इतना बड़ा साम्राज्य भातृ प्रेम के कारण तिनके के समान त्याग दिया था। कैकेई बहुत ही सुंदर होने के साथ-साथ वीर भी थी उन्होंने देवासुर संग्राम में महाराजा दशरथ की सहायता भी की थी। जिससे प्रसन्न होकर महाराजा दशरथ ने उन्हें दो वर मांगने के लिए कहा और कैकई ने समय आने पर मांगने के लिए छोड़ दिया एक बार जब राजा दशरथ राजा अश्वपति के निमंत्रण पर उनके महल गई तब उनके स्वागत के लिए तैयारियाँ की जा रहीं थी। यहाँ तक की राजकुमारी कैकई स्वयं उनकी स्वागत में लगी हुई थी। इसके साथ ही नगर की जनता उनके स्वागत की तैयारियाँ कर रही थी। क्योंकि वह सभी जानते थे कि महाराजा दशरथ एक परम प्रतापी राजा हैं। जो महाराजा हरिश्चंद्र के सामान गुणों में सम्पन्न है जब महाराजा दशरथ ने राजा अश्वपति से राजकुमारी कैकई से विवाह करने का प्रस्ताव रखा। किंतु महाराजा अश्वपति ने कैकई से विवाह करने की एक ही शर्त रखी कि कैकई का पुत्र ही अयोध्या का उत्तराधिकारी होगा और महाराज दशरथ ने हाँ कर दिया इसके पश्चात राजा दशरथ तथा कैकई का विवाह हुआ किन्तु कौशल्या कि तरह ही कैकई को संतान उत्पन्न नहीं हुई। सुमित्रा की कहानी Rani Sumitra storyरानी सुमित्रा की कहानी - रामायण की एक प्रमुख पात्र तथा धैर्य और शांति की प्रतिमूर्ति की रूप में सुमित्रा को ही जाना जाता है। सुमित्रा काशी नरेश की पुत्री थी. जो बड़ी ही सीधी-सादी तथा शांत और सेवा भाव की जीती जगती प्रमाण थी। जब कौशल्या कथा कैकई से महाराजा दशरथ को पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई थी। तब उन्होंने काशी नरेश की पुत्री सुमित्रा से विवाह किया था। किंतु दुर्भाग्यवश वह भी माँ नहीं बन पायीं रानी सुमित्रा अपनी सबसे बड़ी सौतन कौशल्या के प्रति सेवा भावना और अधिक प्रेम रखती थी। तथा अपना समय उन्हीं की सेवा में व्यतीत करती थी और उन्हीं के साथ रहा करती थी जबकि महाराजा दशरथ कैकई रानी से अधिक प्यार करते थे और अधिक समय उन्हीं के पास रहा करते थे। कई वर्षों के बाद भी जब महाराज दशरथ को संतान की प्राप्ति नहीं हुई तो उन्होंने कामेस्टी यज्ञ करवाया जिसमें से खीर के दो दोने प्राप्त हुये, जिसमें से एक खीर का दोनों कौशल्या को दिया गया और दूसरा कैकई को दिया गया। जिसमें से कौशल्या तथा कैकई ने अपने-अपने खीर के आधे आधे भाग को सुमित्रा को दे दिया। जिससे सुमित्रा ने दो महान सेवा भावना से परिपूर्ण पुत्रों लक्ष्मण और शत्रुघ्न को जन्म दिया। जबकि कौशल्या ने श्रीराम को और केकई ने भरत को जन्म दिया। सुमित्रा तीनों रानियों में से सबसे अधिक होशियार और संयम से काम लेने वाली रानी थी। वे हर कार्य सोच समझकर ध्यान से करती थी। जब भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ था तो उन्होंने अपने एक पुत्र लक्ष्मण को भगवान श्री राम की सेवा में प्रस्तुत कर दिया। जबकि लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला को माता कौशल्या की सेवा में तथा शत्रुघ्न भारत की सेवा में और शत्रुघ्न की पत्नी ऋतुकीर्ति को केकई की सेवा में लगा दिया था। जिससे स्पष्ट होता है कि महारानी सुमित्रा तीनों रानियों में महान थी। दोस्तों आपने इस लेख में राजा दशरथ की कितनी पत्नियां थी (How many wives did king dasaratha have) उनके बारे में विस्तार से पड़ा आशा करता हूँ, आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। इसे भी पढ़े:-
राजा दशरथ की ससुराल कहाँ थी?जब दशरथ विवाह योग्य हुए तो उनका विवाह सर्वप्रथम मगध देश की राजकुमारी कौशल्या (Raja Dashrath Wife Name In Hindi) के साथ हुआ। उसके बाद उन्होंने दो और विवाह किए जिसमे उनकी दूसरी पत्नी कैकेय देश (Raja Dashrath Ka Sasural Kahan Tha) की राजकुमारी कैकेयी व तीसरी पत्नी काशी देश की राजकुमारी सुमित्रा थी।
राजा दशरथ के दामाद का नाम क्या है?दशरथ ने केवल ऋंग ऋषि (उनके दामाद) को ही आमंत्रित किया लेकिन ऋंग ऋषि ने कहा कि मैं अकेला नहीं आ सकता। मेरी पत्नी शांता को भी आना पड़ेगा।
शांता किसकी बेटी थी?अयोध्या नरेश दशरथ की तीन पत्नियों कौशल्या, सुमित्रा और कैकेयी में से कौशल्या ने श्री राम को जन्म देने से पहले एक पुत्री को जन्म दिया था जिसका नाम शांता था। वह अत्यंत सुन्दर और सुशील कन्या थी। इसके अलावा वह वेद, कला तथा शिल्प में पारंगत थीं।
कौशल्या की शादी कैसे हुई?और दोनों राजाओं के बीच भयंकर युद्ध हुआ राजा सुकौशल ने अपने बहादुर सैनिकों के साथ राजा दशरथ की विशाल सेना का डटकर सामना किया किन्तु राजा दशरथ ने राजा सुकौशल को पराजित कर दिया। और उन्होंने राजकुमारी कौशल्या से विवाह कर लिया तथा राजकुमारी कौशल्या को रानी का मान-सम्मान तथा गौरव प्राप्त हुआ।
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