रहीमदास जी के अनुसार हमें किन लोगों को सौ बार भी मना लेना चाहिए और क्यों? - raheemadaas jee ke anusaar hamen kin logon ko sau baar bhee mana lena chaahie aur kyon?

रहीमदास जी के अनुसार हमें किन लोगों को सौ बार भी मना लेना चाहिए और क्यों? - raheemadaas jee ke anusaar hamen kin logon ko sau baar bhee mana lena chaahie aur kyon?

संत रहीम के दोहे

संत रहीम दास के दोहे (Rahim Ke Dohe): रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार. रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.

  • News18Hindi
  • Last Updated : May 13, 2020, 17:27 IST

    संत रहीम दास के दोहे (Rahim Ke Dohe): रहीम दास का वास्तविक नाम अब्दुल रहीम ख़ान-ए-ख़ानां था. रहीम दास ने ब्रज भाषा में सूदी पदों की रचना की है. रहीम दास सभी धर्मों को एक सामान मानते थे. उनके अनुयायी सभी धर्मों के व्यक्ति थे. रहीम दास की रचनाओं में भी हिंदू ग्रंथों और हिंदू देवी, देवताओं की जलक देखने को मिलती है. आज हम आपके लिए भारत दर्शन के सभार से रहीम दास जी के कुछ दोहे लाए हैं. इन दोहों में आप जीवन के गूढ़ मर्म, मानव स्वभाव और विपरीत हालात में भी खुद को कैसे सकारात्मक रखा जाए यह सीख सकते हैं...

    रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून।
    पानी गये न ऊबरे, मोती, मानुष, चून॥

    अर्थात:
    रहीम दास जी ने इस दोहे में पानी से मतलब विनम्रता से लिया है. इस दोहे का अर्थ है कि मनुष्य में हमेशा विनम्रता होनी चाहिए. जिस तरह से पानी के बिना आटे का और चमक के बिना मोती का कोई महत्व नहीं रह जाता है. उसी तरह मनुष्य भी बिना विनम्रता के आभाहीन हो जाता है और उसके मूल्यों का पतन हो जाता है.

    रहिमन चुप हो बैठिये, देखि दिनन के फेर।
    जब नीके दिन आइहैं, बनत न लगिहैं देर॥

    अर्थात:
    इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि जब जीवन में बुरा दौर चल रहा हो तो चुपचाप बैठ कर इंतजार करना चाहिए. ये दिन दिन के फेर की बात है. जब अच्छे दिनों की शुरुआत होगी या दिन बदलेंगे तो बात बनते देर नहीं लगेगी.

    रहिमन देख बड़ेन को, लघु न दीजिये डारि.
    जहाँ काम आवै सुई, कहा करै तलवार.

    अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि बड़ों को देखकर छोटों को भगा नहीं देना चाहिए। क्योंकि जहां छोटे का काम होता है वहां बड़ा कुछ नहीं कर सकता. जैसे कि सुई के काम को तलवार नहीं कर सकती.

    रूठे सुजन मनाइए, जो रूठे सौ बार.
    रहिमन फिरि फिरि पोइए, टूटे मुक्ता हार.

    अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि यदि आपका प्रिय सौ बार भी रूठे, तो भी रूठे हुए प्रिय को मनाना चाहिए,क्योंकि यदि मोतियों की माला टूट जाए तो उन मोतियों को बार बार धागे में पिरो लेना चाहिए.

    बिगरी बात बने नहीं, लाख करो किन कोय.
    रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय.

    अर्थात: इस दोहे के माध्यम से रहीम दास जी का कहना है कि मनुष्य को सोच समझ कर व्यवहार करना चाहिए, क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.undefined

    ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी | आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी |

    Tags: Religion

    FIRST PUBLISHED : May 13, 2020, 17:27 IST