पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

Pitru Paksha 2020: खास करके पितृ पक्ष के दौरान हमारे मन में अपने पितरों या पूर्वजों के बारे में कुछ जानने की इच्छा पैदा हो जाती है कि- पितर कौन होते हैं? पितर हमसे नाराज या असंतुष्ट क्यों होते हैं? पितरों के नाराज होने से हमारे जीवन में क्या-क्या परेशानियां आती हैं? और नाराज हुए पितरों को कैसे खुश किया जा सकता है? आइए जानते हैं इन प्रश्नों के उत्तर के बारे में.

पितरों या पूर्वजों की नाराजगी का कारण है पितृ दोष: ऐसी मान्यता है कि मनुष्य की जन्म-पत्री में पितृ दोष, पूर्वजों की नाराजगी की वजह से भी होता है. पितरों की यह नाराजगी कई कारणों से हो सकती है. जैसे- परिवार के किसी सदस्य की अकाल मृत्यु होने पर उसके अंतिम संस्कार आदि में हुई किसी गलती से, श्राद्ध आदि कर्म न करने से और परिवार के किसी सदस्य के द्वारा की गयी गलती से हमारे पितर हमसे नाराज हो जाते हैं.

पितरों के नाराज होने से आने वाली समस्याएं: पितरों के नाराज होने से कई  तरह की समस्याएं आने लगती हैं. जैसे- खाने में अक्सर बाल निकलना, घर से बदबू या दुर्गंध का आना लेकिन बदबू या दुर्गंध कहां से आ रही है इसकी पहचान न हो पाना, सपने में बार-बार पूर्वजों का आना, परिवार के किसी एक सदस्य का अविवाहित रह जाना, संतान का न होना, परिवार के किसी सदस्य का हमेशा बीमार रहना, परिवार के द्वारा जमीन की खरीद-फरोख्त में समस्या आना आदि पितरों के नाराज होने के लक्षण हैं.

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पितरों की नाराजगी या पितृ दोष दूर करने के उपाय:

पितरों की नाराजगी दूर करने या उनकी संतुष्टि के लिए वेदों और पुराणों में मंत्र, स्तोत्र और सूक्त का वर्णन किया गया है. इन मन्त्रों, स्तोत्रों और सूक्तों का रोज पाठ करने से पितरों की नाराजगी या पितृ बाधा शांत हो जाती है. अगर पाठ रोज न किया जा सके तो कम से कम पितृ पक्ष में पाठ तो जरूर करना चाहिए.

  • पितृ पक्ष की अमावस्या के दिन पितरों के लिए बना भोजन और चावल का बूरा, घी और रोटी गाय को खिलाने से भी पितृ दोष शांत होता है.
  • अमावस्या के दिन किसी मंदिर में या किसी ब्राह्मण को अपने पूर्वजों के नाम से दूध, चीनी, सफ़ेद वस्त्र और दक्षिणा आदि जरूर दान करने से भी लाभ होता है.

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इस विधि से घर पर ही आसान तरीके से पितरों को कर सकते हैं प्रसन्न

पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

रिलिजन डेस्क. पितृपक्ष में आप गया, गोदावरी तट और प्रयाग में श्राद्ध- तर्पण नहीं कर सकते हैं तो घर पर रहकर भी पितरों को खुश कर सकते हैं। महाभारत और पद्मपुराण सहित अन्य स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त सामर्थ्य के अनुरूप पूरी विधि से श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। घर-परिवार में शांति होती है। व्यवसाय तथा आजीविका में उन्नति होती है। साथ ही हर तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं।

1) इस तरह घर पर ही कर सकते हैं श्राद्ध और तर्पण

श्राद्ध तिथि पर सूर्योदय से दिन के 12 बजकर 24 मिनट की अवधि के बीच ही श्राद्ध करें।

  • इसके लिए सुबह उठकर नहाएं, उसके बाद पूरे घर की सफाई करें। घर में गंगाजल और गौमूत्र भी छीड़कें।
  • दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें।
  • घर के आंगन में रंगोली बनाएं। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध के अधिकारी व्यक्ति यानी श्रेष्ठ ब्राह्मण को न्यौता देकर बुलाएं। ब्राह्मण को भोजन करवाएं और निमंत्रित ब्राह्मण के पैर धोने चाहिए। ऐसा करते समय पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए।
  • पितरों के निमित्त अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पण करें। ब्राह्मण भोजन से पहले पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी के लिए भोजन सामग्री पत्ते पर निकालें।
  • दक्षिणाभिमुख (दक्षिण दिशा में मुंह रखकर) होकर कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें और एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद भोजन थाली अथवा पत्ते पर ब्राह्मण हेतु भोजन परोसें।
  • प्रसन्न होकर भोजन परोसें। भोजन के उपरांत यथाशक्ति दक्षिणा और अन्य सामग्री दान करें। इसमें गौ, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक (जिसे महादान कहा गया है) का दान करें। इसके बाद निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद लें। ब्राह्मण को चाहिए कि स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें तथा गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।
  • श्राद्ध में सफेद फूलों का ही उपयोग करें। श्राद्ध करने के लिए दूध, गंगाजल, शहद, सफेद कपड़े, अभिजित मुहूर्त और तिल मुख्य रूप से जरूरी है।

Authored by

Parag sharma

| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: May 2, 2022, 2:15 PM

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    जरूर करें ये पांच, होगा धन लाभ

    पितृपक्ष चल रहे हैं और यह समय बहुत शुभ माना जाता है क्योंकि इस काल में पूर्वज अपने परिजनों के यहां आते हैं और उनको आशीर्वाद देते हैं। शास्त्रों में भी पितृ पक्ष को लेकर कई बातें बताई हैं। इन दिनों सुबह उठकर अगर कुछ कार्य कर लें तो ना केवल पितर प्रसन्न होंगे बल्कि माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। पितृपक्ष में सुबह उठकर इन कार्यों के करने से जीवन को नई दिशा मिलती है। आप पितृ पक्ष से ही नियम बना लें कि हर रोज ये पांच कार्य करेंगे, जिससे ना केवल दरिद्रता दूर होगी बल्कि कुंडली में मौजूद दोष भी खत्म होते हैं। आइए जानते हैं उन बातों को जो सुबह सबसे पहले करने चाहिए…

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    धन का मार्ग होता है प्रशस्त

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    मां लक्ष्मी का मिलता है आशीर्वाद

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    धन संबंधी समस्या होती है दूर

    केवल पितृ पक्ष में ही नहीं बल्कि अन्य दिनों में भी कटोरे मे जल भरकर उसमें रोटी के टुकड़े डालकर छत पर रख देना चाहिए। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और धन और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी दूर होती हैं। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को भी शांति मिलती है।

    सुबह उठकर ना करें ऐसे काम, दिन भर रहेंगे परेशान

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    धन-धान्य की नहीं होती कमी

  • पित्र देव को खुश कैसे करें? - pitr dev ko khush kaise karen?

    पितरों की आत्मा को मिलती है शांति

    हर रोज सूर्य देव को जल देना बहुत शुभ कार्य माना गया है। सूर्य देव को जल देने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके पितरों का ध्यान करते हुए जल गिरा देना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, साथ ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पित्र देव को खुश करने के लिए क्या करें?

पितरों को प्रसन्न करने के 10 अचूक उपाय.
प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा। श्राद्ध पक्ष में अच्छे से करें श्राद्ध कर्म।.
गरीब, अपंग व विधवा महिला को दें दान। ... .
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तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें। ... .
घर का वास्तु ठीक करवाएं। ... .
गया में जाकर तर्पण पिंडदान करें।.

रोज पितरों की पूजा कैसे करें?

दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें

क्या पितरों की रोज पूजा करनी चाहिए?

शास्त्रों के अनुसार पितर पक्ष में प्रतिदिन की तरह ही पूजा करनी चाहिए। हालांकि इस दौरान पितर हमारे पूजनीय अवश्य हैं लेकिन ईश्वर से उच्च नहीं है।

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?

पितृ दोष के लक्षण.
परिवार में आकस्मिक निधन या दुर्घटना होना।.
बीमारी होना और लंबे समय तक चलना।.
परिवार में विकलांग या अनचाहे बच्चे का जन्म होना।.
बच्चों द्वारा असम्मान व प्रताड़ना का व्यवहार करना।.
गर्भ धारण न होना।.
परिवार के किसी सदस्य का विवाह न होना।.
बुरी आदतों की लत लग जाना।.
परिवार में किसी बात को लेकर झगड़ा होना।.