Show मथुरा13 दिन पहले
10 सितंबर को भाद्रपद मास की अंतिम तिथि पूर्णिमा है। इस दिन से 25 सितंबर तक रोज पितरों के लिए श्राद्ध, तर्पण आदि काम किए जाएंगे। 11 सितंबर से पितृ पक्ष शुरू हो रहा है। पूर्णिमा तिथि के श्राद्ध भादौ पूर्णिमा पर किए जा सकते हैं। सनातन धर्म में श्राद्ध पक्ष का बहुत अधिक महत्व है। पितृ पक्ष के 15 दिनों में पितरों की पूजा, तर्पण और पिंडदान करने से पितृ देव प्रसन्न होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है। पितृ पक्ष के दौरान पितरों की पूजा और उनकी आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंडदान करने की परंपरा निभाई जाती है। आत्मा शांति के लिए पिंड दान और तर्पण की है परंपरा शनिवार से शुरू हो रहा पितृ पक्ष भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से आश्विन माह की अमावस्या तक पितरों का तर्पण देने और उनकी की आत्मा की शांति के लिए पितृपक्ष रखे गए हैं। पितृपक्ष के दौरान लोग अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म करते हैं। पितृपक्ष में श्राद्ध कर्म करने पर पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। पं. अजय कुमार तैलंग (ज्योतिषाचार्य) पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को बताया था कैसे शुरू हुए श्राद्ध कर्म शुभ कार्य करने से पहले करनी चाहिए पूर्वजों की पूजा अगर विधि-विधान से मृत्यु के बाद परिवार के सदस्यों का तर्पण या पिंडदान न किया जाये तो उसकी आत्मा को मुक्ति नहीं मिलती है। पितृगण की पिंडदान न करने पर उसकी आत्मा मृत्यु लोक में भटकती रहती है। किस तिथि पर करें मृत्यु तिथि न पता होने पर श्राद्ध अगर किसी परिजन की मृत्यु की सही तारीख पता नहीं है तो आश्विन अमावस्या के दिन उनका श्राद्ध किया जा सकता है। पिता की मृत्यु होने पर अष्टमी तिथि और माता की मृत्यु होने पर नवमी तिथि तय की गई है। जब किसी व्यक्ति की मृत्यु किसी दुर्घटना में हुई तो उसका श्राद्ध चतुर्दशी तिथि पर करना चाहिए। मथुरा में कर सकते हैं तर्पण श्राद्ध करने का पहला अधिकार पुत्र को सर्व पितृ अमावस्या, महालय श्राद्ध किया जायेगा। अगर कोई श्राद्ध छूट जाये तो अमावस्या को श्राद्ध कर सकते हैं । पितरों की पूजा कब करनी चाहिए?Pitra Paksha Me Puja Karna Chahiye Ki Nahi: आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि के दिन से पितृपक्ष की शुरुआता हो गई है, जो कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को समाप्त होती है. इस दौरान पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनका तर्पण और पिंडदान किया जाता है.
कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है ? (
पितृ दोष होने पर वैवाहिक जीवन में सदा तनाव बना रहता है. पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होते हैं. परिवार में एकता नहीं होती. अक्सर घर में क्लेश होते है, मानसिक शांति नहीं मिलती, बिना बात के घर में लड़ाई होना पितृ दोष के लक्ष्ण हैं.
रोज पितरों की पूजा कैसे करें?दक्षिण दिशा में मुंह रखकर बांए पैर को मोड़कर, बांए घुटने को जमीन पर टीका कर बैठ जाएं। इसके बाद तांबे के चौड़े बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी डालें। उस जल को दोनों हाथों में भरकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें।
पितरों को क्या खिलाना चाहिए?श्राद्ध में दूध, दही और घी तीनों ही गाय के होने चाहिए. इसके सेवन से ब्राह्मण संतुष्ट होते हैं, जिससे पूर्वजों को भी खुशी मिलती है. इसके अलावा खीर के सेवन से देवता भी प्रसन्न होते हैं इसलिए नेताओं को भी खीर का भोग लगाया जाता है. श्राद्ध का खाना बनाते वक्त व्यक्ति को प्याज लहसुन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए.
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