सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करें - saans lene mein takaleeph ho to kya karen

सांस लेने में दिक्कत को डिस्पनिया कहा जाता है. यह ऐसी असहज स्थिति है, जिसके कारण फेफड़ों तक हवा ठीक से नहीं पहुंच पाती है. कुछ लोगों को यह समस्या कम समय के लिए अचानक होती है. वहीं, कुछ को लंबे समय के लिए सांस लेने की दिक्कत होती है, जो कई सप्ताह तक चल सकती है. आगे झुककर बैठने, टेबल पर सिर झुकाकर बैठने, कॉफी पीने, पंखे का इस्तेमाल करने जैसी घरेलू उपाय से सांस लेने में होने वाली दिक्कत को ठीक करने में मदद मिलती है.

आज इस लेख में हम सांस लेने में दिक्कत होने पर इस्तेमाल किए जाने वाले घरेलू उपायों के बारे में बताएंगे -

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  1. सांस लेने में दिक्कत के घरेलू उपाय
    • पंखे का इस्तेमाल
    • कॉफी पीना
    • होंठ गोल करके सांस लेना
    • आगे झुककर बैठना
    • टेबल की मदद से आगे झुकना
    • सहारा लेकर खड़े होना
    • बांहों की मदद से खड़े रहना
    • रिलैक्स पोजीशन में सोना
    • डायाफ्रामिक सांस लेना
  2. सारांश

सांस लेने में दिक्कत के लिए घरेलू उपाय के डॉक्टर

सांस लेने में तकलीफ हो तो क्या करें - saans lene mein takaleeph ho to kya karen

सांस लेने में दिक्कत के घरेलू उपाय

सांस लेने में दिक्कत से व्यक्ति को अच्छा महसूस नहीं होता, उसे ऐसा लगता है मानो वह और नहीं जी पाएगा. इस स्थिति में कॉफी पीने, पंखे की हवा खाने, आगे झुककर बैठने, टेबल पर सिर झुकाकर बैठने जैसे घरेलू उपाय से सांस लेने में दिक्कत को काफी हद तक कंट्रोल में लाया जा सकता है. आइए, सांस लेने में दिक्कत के घरेलू उपायों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

पंखे का इस्तेमाल

शोध और एक्सपर्ट दोनों मानते हैं कि पंखे से आने वाली ठंडी हवा सांस लेने में दिक्कत को कम करती है. इसके लिए हाथ में पकड़ने वाले छोटे पंखे का इस्तेमाल करना सही रहता है.

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कॉफी पीना

शोध बताते हैं कि कैफीन के सेवन से अस्थमा वाले लोगों की हवा की नली में मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं. इसकी वजह से 4 घंटे तक के लिए फेफड़ों के कामकाज में सुधार आता है. यह कुछ केमिकल के उन रिसेप्टर्स को ब्लॉक करता है, जो सांस लेने में दिक्कत का कारण बनते हैं.

यहां हम स्पष्ट कर दें कि कैफीन का सेवन डॉक्टर की सलाह पर ही करना चाहिए. ऐसा इसलिए, क्योंकि इसके स्टिमूलेन्ट प्रभाव के चलते ज्यादा कैफीन का सेवन स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है. खासकर, तब जब उस व्यक्ति को दिल की बीमारी भी हो.

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होंठ गोल करके सांस लेना

अगर पैनिक की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है, तो होंठ गोल करके सांस लेना इसे ठीक करने का यह सबसे सही घरेलू उपाय है. इस तरह से सांस लेने से फेफड़ों को ठीक तरह से काम करने में मदद मिलती है. इससे फेफड़ों में फंसी हवा को बाहर निकालने में मदद मिलती है. किसी भी समय सांस लेने में दिक्कत का अनुभव करते समय ऐसा करने से राहत मिलती है. इसे करने का तरीका नीचे बताया गया है -

  • सबसे पहले गर्दन व कंधे की मांसपेशियों को रिलैक्स करें.
  • फिर नाक से लंबी गहरी सांस लेनी है, इस समय मुंह बंद होना चाहिए.
  • अब होंठों को इस तरह गोल आकार देना है, जैसे सीटी बजाते समय गोल किया जाता है.
  • अब धीरे-धीरे होंठों के जरिए सांस को चार बार में बाहर करना है.

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आगे झुककर बैठना

इस पोजीशन में बैठने से शरीर को आराम मिलता है और सांस लेने में आसानी रहती है. इसे करने का तरीका नीचे बताया गया है -

  • किसी कुर्सी पर बैठकर पैरों को जमीन पर रखना है.
  • फिर छाती को थोड़ा आगे की ओर झुकाना है.
  • अब कोहनियों को घुटनों पर रखना है या हाथ से ठुड्डी को पकड़ना है. इस समय गर्दन और कंधे की मांसपेशियां रिलैक्स रहनी चाहिए.
  • इस पोजीशन को “ट्राइपॉड स्टैन्स” कहा जाता है, जिसका मतलब फेफड़ों के लिए चेस्ट कैविटी में अधिक स्पेस बनाना है. क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज में भी यह मददगार है, लेकिन अधिक मोटे लोगों के लिए यह प्रक्रिया सही नहीं है.

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टेबल की मदद से आगे झुकना

सांस लेने में दिक्कत को ठीक करने का यह एक आसान तरीका है, लेकिन इसके लिए टेबल और कुर्सी दोनों की जरूरत पड़ती है. इसे ऐसे करना चाहिए -

  • कुर्सी पर बैठकर पैर जमीन पर बराबर होने चाहिए. मुंह टेबल की ओर होना चाहिए. 
  • छाती को आगे की ओर करना है और बांहों को टेबल पर टिकाना है. 
  • टेबल पर बांह या किसी तकिये को रखकर सिर टिकाकर आराम करना है. 
  • यह पोजीशन ट्राइपॉड ब्रीदिंग का एक अन्य फॉर्म है और इससे फेफड़ों में अधिक स्पेस बनती है.

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सहारा लेकर खड़े होना

इस तरह से खड़े होने से बॉडी और हवा के रास्ते को रिलैक्स होने में मदद मिलती है. इसे करने का तरीका इस प्रकार है -

  • किसी दीवार के नजदीक खड़े होकर कूल्हों को दीवार के साथ सटा लें.
  • पैरों को कंधे के बराबर फैलाना है और हाथों को जांघों पर रखना है.
  • कंधों के रिलैक्स होते ही आगे की ओर झुकना है और हाथों को आगे रखना है.

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बांहों की मदद से खड़े रहना

इस पोजीशन को टेबल की मदद से किया जा सकता है. इसे ऐसे कर सकते हैं - 

  • किसी टेबल या अन्य फर्नीचर के नजदीक खड़े होना है, लेकिन ध्यान रखना है कि यह फर्नीचर कंधे की हाइट से ठीक नीचे होना चाहिए.
  • इस पर अपने हाथ या कुहनी को रखकर आराम करना है.
  • फिर बांहों पर सिर को टिकाना है और कंधे को रिलैक्स करना है.

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रिलैक्स पोजीशन में सोना

कुछ लोगों को स्लीप एपनिया की वजह से सांस लेने में दिक्कत होती है, जिससे व्यक्ति बार-बार जागता है. इससे उसकी नींद ठीक से पूरी नहीं हो पाती है. इसलिए, पैरों के बीच में तकिया रखकर करवट लेकर सोना है. इस पोजीशन से बॉडी और सांस लेने के रास्ते रिलैक्स होते हैं, जिससे सांस लेने की दिक्कत कम होती है.

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डायाफ्रामिक सांस लेना

डायाफ्रामिक सांस लेना भी सांस की तकलीफ को ठीक करने में मदद कर सकता है. इसे करने का तरीका नीचे बताया गया है -

  • सबसे पहले आराम से कुर्सी पर बैठना है, इस समय कंधे, सिर और गर्दन रिलैक्स रहने चाहिए.
  • पेट पर हाथ रखना है.
  • नाक के जरिए धीरे-धीरे सांस लेनी है.
  • अब होंठों को गोल करके मुंह के जरिए सांस को बाहर करना है. सांस बाहर छोड़ते समय पेट अंदर की ओर जाना चाहिए.
  • सांस अंदर लेने से ज्यादा सांस बाहर करने पर ध्यान देना चाहिए. सांस अंदर लेने की तुलना में सांस बाहर करने में समय लगना चाहिए.
  • इस प्रक्रिया को 5 मिनट के लिए दोहराना है.

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सारांश

सांस लेने में दिक्कत होने पर व्यक्ति को बहुत असहज महसूस होता है. इससे राहत पाने में पंखे का इस्तेमाल, कॉफी पीना, रिलैक्स पोजीशन में सोने, होंठ गोल करके सांस लेने जैसे घरेलू उपाय मददगार हो सकते हैं. अगर घरेलू उपाय करने पर भी सांस लेने में दिक्कत हो, तो बिना देरी किए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

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ब्लैक कॉफी.
भांप लेना.
होंठ दबाकर सांस लेना.

सांस के लिए सबसे अच्छी दवा कौन सी है?

रोफ्लेयर टैबलेट का उपयोग क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) को रोकने के लिए किया जाता है, फेफड़ों के विकारों का समूह जिसमें फेफड़ों में हवा का प्रवाह अवरुद्ध होता है और क्रोनिक ब्रोंकाइटिस हो जाता है. यह वायुमार्ग खोलकर काम करता है और सांस लेना आसान बनाता है.

सांस लेने में दिक्कत के क्या लक्षण है?

जब हम श्वसन रोगों के लक्षणों के बारे में बात करते हैं तो खांसी, सांस की तकलीफ, सीने में दर्द और हिमोपटाइसिस (बलगम में खून आना) प्रमुख लक्षण हैं। खांसी लंबे समय तक बलगम और कभी-कभी बलगम में खून के साथ भी मौजूद हो सकती है। थूक में रक्त की उपस्थिति एक अशुभ संकेत है और रोगी की ठीक से जांच की जानी चाहिए।

सांस की तकलीफ क्यों होती है?

अगर आपको सांस लेने जैसी किसी तरह की तकलीफ है तो आप पहले डॉक्टर से इसकी जांच कराएं ताकि आपको अपनी बीमारी का पता चल सके, इसके साथ ही कई स्वास्थ्य समस्याओं की वजह से भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है. यह समस्या श्वसन प्रणाली में संक्रमण या बीमारी, हृदय की बीमारी, ब्रोंकाइटिस, एलर्जी और खून की कमी से भी हो सकती है.