पितरों को प्रसन्न करने के लिए क्या करना चाहिए? - pitaron ko prasann karane ke lie kya karana chaahie?

Pitru Paksha 2022 Upay, Pitru Dosh Remedies: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है. इसे श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इस पक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए परिजनों द्वारा तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध किया जाता है. पितृ पक्ष में विधि पूर्वक श्राद्ध कर्म करने से पितृ प्रसन्न होकर अपने परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं लेकिन जब परिजन पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म नहीं करते है तो पितर अपना तिरस्कार समझते हैं. इससे वे नाराज हो जाते हैं. पितरों की नाराजगी परिजनों को भारी पड़ जाती है. उनके नाराज होने से घर में अशांति फ़ैल जाती है. पारिवारिक सदस्य बीमार होने शुरू हो जाते हैं. घर में अनेक प्रकार की अशुभ घटनाएं होती है. इस लिए कभी पितरों को नाराज नहीं होने देना चाहिए. इसके लिए ये उपाय करने चाहिए.

पितरों को प्रसन्न करने के उपाय  

तस्वीर लगाएं और पूजा पाठ करें

घर में अपने पितरों की ऐसी तस्वीर लगायें जिसमें वे हंसते मुस्कराते हों. ऐसा करने से पितर खुश रहते हैं. पितरों की तस्वीर लगाते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि यह तस्वीर घर की दक्षिण-पश्चिम दीवार या कोने में लगाएं. पितरों की प्रसन्नता से घर में शांति बनी रहती है और घर की तरक्की होती है.

प्रातः काल प्रणाम करना

प्रतिदिन प्रातः काल उठकर पितरों को प्रणाम करना चाहिये. इसके बाद उन्हें फूलों की माला चढ़ानी चाहिए. इसे पितर प्रसन्न होते हैं और परिजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. उनके आशीर्वाद से घर के सारे दोष दूर हो जाते हैं.

खास दिनों को मनाएं

पितरों की जयंती और पुण्य तिथि जरूर मनानी चाहिए. इससे पितर खुश होते हैं. उनके बरसी या पुण्य तिथि या सालगिरह पर गरीब और जरूरतमंदों लोगों को भोजन कराना चाहिए तथा यथा शक्ति दान भी देना चाहिए. इससे उनकी कृपा हमेशा आप पर बनी रहती है.

दान दक्षिणा करें

पितरों को प्रसन्न करने के लिए किसी गरीब को भोजन, कपड़े, जूते-चप्पल, पैसे आदि चीजों का दान करना चाहिए.  

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

धर्म डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: श्वेता सिंह Updated Sun, 11 Sep 2022 07:33 AM IST

Pitru Paksha 2022: पितृ पक्ष 10 सितंबर 2022 (शनिवार) से शुरू होकर 25 सितंबर 2022 (रविवार) तक रहेंगे। भाद्रपद की पूर्णिमा और अश्विन मास की कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को पितृ पक्ष कहते हैं। ब्रह्मपुराण की मानें तो मनुष्य को सर्वप्रथम  अपने पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इससे देवता प्रसन्न होते हैं। इसी वजह से भारतीय समाज में बड़ों का सम्मान और मरणोपरांत पूजा की जाती है। जिसे हम श्राद्ध कहते हैं। वैसे तो श्राद्ध मृत्यु तिथि पर किया जाता है लेकिन यदि तिथि याद नहीं तो अश्विन अमावस्या की पूजा की जा सकती है जिसे सर्व प्रभु अमावस्या भी कहा जाता है। श्राद्ध के दिन हम तर्पण करके अपने पूर्वजों का स्मरण करते हैं और ब्राह्मणों या जरूरतमंद लोगों को भोजन और दक्षिणा अर्पित करते हैं। पद्मपुराण एवं अन्य कई स्मृति ग्रंथों में कहा गया है कि जो पितृपक्ष में अपने पितरों के निमित्त अपने सामर्थ्य के अनुसार पूरी विधि से श्राद्ध करता है, उसकी इच्छाएं पूरी होती हैं। साथ ही हर तरह की रुकावटें दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं पितृ पक्ष में घर में श्राद्ध करके आप पितरों को कैसे प्रसन्न कर सकते हैं। 

घर पर श्राद्ध करने का तरीका 

  • श्राद्ध तिथि पर प्रातः उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूरे घर की साफ सफाई करें। इसके बाद घर को गंगाजल से स्वच्छ करें। 
  • पूजा के लिए तांबे के बर्तन में काले तिल, गाय का कच्चा दूध, गंगाजल और पानी का मिश्रण बनाएं। जल के इस मिश्रण को अंजुली बनाकर सीधे हाथ के अंगूठे से उसी बर्तन में गिराएं। इस तरह 11 बार करते हुए पितरों का ध्यान करें। 
  • श्राद्ध में सफेद फूलों का उपयोग करना चाहिए। श्राद्ध के लिए आवश्यक सामग्री में गंगाजल, शहद, दूध, सफेद वस्त्र, तिल मुख्य है।

  • श्राद्ध हमेशा अभिजित मुहूर्त में करें। 
  • श्राद्ध के दौरान पितरों के लिए किए गए हवन की अग्नि में गाय के दूध से बनी खीर अर्पित करें। ब्राह्मण भोज से पूर्व गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चींटी यानी पंचबलि के लिए भोजन पत्ते पर निकालें। 
  • दक्षिण दिशा में मुंह रखकर कुश, जौ, तिल, चावल और जल लेकर संकल्प करें। इसके बाद एक या तीन ब्राह्मण को भोजन कराएं। 

  • महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाएं। श्राद्ध के दिन ब्राह्मण को निमंत्रण दें और उन्हें श्रद्धापूर्वक भोजन कराएं। भोजन कराने से पहले ब्राह्मण देव के चरण धोएं। चरण धोते समय इस बात का ध्यान रखें कि पत्नी को दाहिनी तरफ होना चाहिए। 
  • भोजन के उपरांत अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा और दान करें। दान सामग्री के अंतर्गत गाय, भूमि, तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, अनाज, गुड़, चांदी तथा नमक आदि दान कर सकते हैं। 
  • दान करने के बाद निमंत्रित ब्राह्मण की चार बार प्रदक्षिणा कर आशीर्वाद लें। ब्राह्मण को चाहिए कि स्वस्तिवाचन तथा वैदिक पाठ करें तथा गृहस्थ एवं पितर के प्रति शुभकामनाएं व्यक्त करें।

पितृ दोष दूर करने के उपाय 

  • पितृ दोष दूर करने के लिए पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण-श्राद्ध और पिंडदान करें। 
  • दक्षिण दिशा में पितरों की तस्वीर लगाकर रोज उनको प्रणाम करने से पितृ दोष से राहत मिलती है। 
  • पितृ दोष के छुटकारा पाने के लिए पीपल के पेड़ जल अर्पित करें। 
  • अमावस्या के दिन पीपल में जल से साथ-साथ ही फूल, अक्षत, दूध और काले तिल भी चढ़ाएं।  

पित्र देव को खुश करने के लिए क्या करें?

पितरों को प्रसन्न करने के 10 अचूक उपाय.
प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा। श्राद्ध पक्ष में अच्छे से करें श्राद्ध कर्म।.
गरीब, अपंग व विधवा महिला को दें दान। ... .
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तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें। ... .
घर का वास्तु ठीक करवाएं। ... .
गया में जाकर तर्पण पिंडदान करें।.

पितरों का आशीर्वाद कैसे मिलता है?

Pitru Paksha 2022: पितृपक्ष में इन पांच चीजों के दान से बरसता है पितरों का आशीर्वाद.
गोदान हिंदू धर्म में गाय का बहुत महत्व है. ... .
तिल दान पितरों के लिए की जाने वाली पूजा में तिल का विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है. ... .
घृत दान आश्विन मास में घी का दान बहुत ज्यादा पुण्यदायी माना गया है. ... .
अन्न दान ... .
नमक दान.

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है?

कैसे पहचाने घर में पितृ दोष है ? ( पितृ दोष होने पर वैवाहिक जीवन में सदा तनाव बना रहता है. पति-पत्नी के बीच आए दिन झगड़े होते हैं. परिवार में एकता नहीं होती. अक्सर घर में क्लेश होते है, मानसिक शांति नहीं मिलती, बिना बात के घर में लड़ाई होना पितृ दोष के लक्ष्ण हैं.

पितरों को जल देते समय क्या बोलना चाहिए?

जल देते समय ध्यान करें कि वसु रूप में मेरे पिता जल ग्रहण करके तृप्त हों। इसके बाद पितामह को जल जल दें। अपने गोत्र का नाम लेकर बोलें, गोत्रे अस्मत्पितामह (पितामह का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः। इस मंत्र से पितामह को भी 3 बार जल दें।