उत्तर : मस्तिष्क- मानव मस्तिष्क अत्यंत विकसित कोमल अंग है जो खोपड़ी की हड्डियों (Skull) में सुरक्षित रहता है। इसके चारों ओर तीन झिल्लियां होती हैं जो एक तरल पदार्थ से घिरी रहती हैं। मस्तिष्क के प्रमुख तीन भाग होते हैं- Show
(i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain) (ii) मध्यमस्तिष्क (Mid Brain) (iii) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain) (i) अग्रमस्तिष्क (Fore Brain)-पूरे मस्तिष्क का दो-तिहाई भाग अग्रमस्तिष्क ही जाता है। यह मस्तिष्क का प्रमुख भाग है। इसलिए कई लोग इसे बड़ा मस्तिष्क भी कहते हैं। इसके दो हिस्से हैं-प्रमस्तिष्क तथा डाइएन सिफेलॉन। प्रमस्तिष्क (Cerebrum)-प्रमस्तिष्क निपुणता, बुद्धिमता, चेतना और स्मरण शक्ति का आधार है। आंख, नाक, कान, त्वचा और जिह्वा नामक पाँचों ज्ञानेंद्रियों का सीधा संबंध इसी से होता है। यही उनसे प्राप्त प्रेरणाओं का विश्लेषण और समन्वय करता है। ऐच्छिक क्रियाओं को कराने वाला मख्य तंत्र यही है। इसी के कारण हम घृणा, द्वेष, प्रेम, सहानुभूति आदि संवेदनाओं को प्रकट करते हैं। यही हमें नई-पुरानी बातों को याद कराता है या भुला देता है। यह बाहर से भूरा और भीतर से सफेद होता है। प्रमस्तिष्क में दो गोलार्ध होते हैं जिन्हें सेरिब्रल-गोलार्ध कहते हैं। इनमें गहरी दरारें-सी होती हैं जो इसे विभिन्न चार भागों में बांट देती हैं। वे भाग हैं-फ्रन्टल पालि, पैराइटल पालि, टैंपोरल पालि और ऑक्सीपीटल पालि। (a) फ्रंटल पालि (Frontal Lobe)-इसके द्वारा मांस-पेशियों पर नियन्त्रण रखा जाता है। यही ऐच्छिक पेशियों की क्रियाओं का आधार है। (b) पैराइटल पालि (Parietal Lobe)-इसका संबंध हमारी संवेदनाओं से होता है। स्पर्श, गंध, तापमान, दर्द आदि संवेदनाओं को कराने वाला यही भाग होता है। (c) ऑक्सीपीटल पालि (Occipital Lobe)-इसका संबंध हमारी दृष्टि से है। यह दृश्य संवेदनाओं को ग्रहण करता है। (d) टेंपोरल पालि (Temporal Lobe)—इसका संबंध सुनने से है। हम इसी की सहायता से विभिन्न ध्वनियाँ सुन पाते हैं और उनमें भेद कर सकते हैं। डाइएनसिफेलॉन-मस्तिष्क का यह भाग अत्यन्त महत्त्वपूर्ण कार्य कराता है। इसमें उपस्थित थेलेमस हमें दर्द, ठंडा-गर्म, चुभन, जलन आदि का अहसास कराता है। इसी भाग में उपस्थित हाइपोथेलेमस हमारी भूख, प्यास, घृणा, प्यार, ताप आदि पर नियंत्रण करता है। यही भाग वसा और कार्बोहाइड्रेट्स के उपापचय पर भी नियन्त्रण करता है। अग्रमस्तिष्क के कार्य– (i) यह सभी संवेदी अंगों के संदेशों को प्राप्त करता है। (ii) यह सभी पेशियों, ग्रंथियों, अंगों को उचित कार्यवाही का आदेश देता है। (iii) यह उद्दीपनों और क्रियाओं के बीच संतुलन करता है। (iv) यह पिछले अनुभव और स्मृतियों के आधार पर हमारे व्यवहार में परिवर्तन लाता है। (v) यह सभी सूचनाओं और ज्ञान को प्राप्त करता है और उनका संग्रह कर लेता है। (ii) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)- मध्य मस्तिष्क दो भागों में बंटा होता है-बारपोरा क्वार्डीजेमिना और सेरीब्रल पेडंकल। बारपोरा क्वार्डीजेमिना में चार ठोस पिंड होते हैं पर सेरीब्रल पेडंकल में अनेक तंतु होते हैं। (iii) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)- इसे अनुमस्तिष्क भी कहते हैं। इसकी रचना करने वाले मेडला ऑब्लाँगेटा तथा सेरीबेलम हैं। सेरीबेलम की रचना बहुत जटिल है। यह ठोस होता है। यह प्रमस्तिष्क के बिल्कुल नीचे होता है। यह गतियों का ठीक प्रकार से नियंत्रण करता है। हमारा चलना, दौड़ना, भागना, उठना, बैठना, नाचना आदि इसी के द्वारा नियन्त्रित होता है। मस्तिष्क के पीछे के त्रिभुजाकार भाग को मेडूला ऑब्लाँगेटा कहते हैं। यह हृदय की धड़कन, श्वसन, पाचन आदि अनैच्छिक क्रियाओं को नियन्त्रित करता है। Solution : मस्तिष्क के तीन भाग होते हैं, जो कि स्पष्टतः भिन्न होते हैं (1) अग्र मस्तिष्क (Cerebral Cortex)-यह मस्तिष्क के आधे से भी अधिक भाग होता है। इसे प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध (Hemisphere) कहते हैं। मस्तिष्क का यह भाग बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह चेतना, बुद्धि और स्मरण शक्ति का केन्द्र है। (2) मध्य मस्तिष्क (Mid Brain)-यह मानव मस्तिष्क का मध्य भाग होता है, जो दो जोड़ी उभारों (पिण्डों) का बना होता है और दृष्टि तथा श्रवण उद्दीपनों को ग्रहण करता है। (3) पश्च मस्तिष्क (Hind Brain)-इसे अनुमस्तिष्क (Cerebellum) भी कहते हैं। यह मस्तिष्क का पश्च भाग होता है, जो मेरुरज्जू से जुड़ा होता है, इसके इस भाग को मेड्यूला आब्लांगेटा कहते हैं। अनुमस्तिष्क पेशीय गति तथा हस्त कौशल का नियन्त्रण एवं समन्वय करता है। मेड्यूला ऑब्लांगेटा हृदय गति, श्वासोच्छ्वास की गति, रक्त वाहिनियों और सभी प्रतिवर्ती तथा अनैच्छिक क्रियाओं को नियन्त्रित करता है। यदि आप मनुष्य के मस्तिष्क के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो आप एकदम सही जगह आए हैं क्योकि इस पेज पर हमने मनुष्य के मस्तिष्क की समस्त जानकारी शेयर की है। पिछली पोस्ट में हमने मानव के श्वसन तंत्र की जानकारी दी हुई है उसे जरूर पढ़े। चलिए मनुष्य के मस्तिष्ककी समस्त जानकारी विस्तार से पढ़कर समझते हैं।
मानव मस्तिष्कमनुष्य का मस्तिष्क अस्थियों के खोल क्रेनियम में बंद रहता हैं जो इसे बाहरी आघातों से बचाता हैं। मस्तिष्क केंद्रीय तंत्रिका तंत्र का मुख्य भाग माना जाता हैं। पूर्णरूप से विकसित मानवीय मस्तिष्क शरीर के भार का लगभग 1/50 होता है और कपाल गुहा (Cranial cavity) में अवस्थित रहता है। मस्तिष्क का कुल वजन 1400 ग्राम होता हैं मस्तिष्क 8 हड्डियों के खोल क्रेनियम के अंदर सुरक्षित होता हैं। मस्तिष्क के भागविकास की आरम्भिक अवस्था में मस्तिष्क को तीन भागों में विभाजित किया जाता है। 1. अग्र मस्तिष्क (Prosencephalon Brain)यह अग्र मस्तिष्क का सबसे बड़ा भाग होता हैं मनुष्य को सूंघने संबंधी संवेनाओं के साथ-साथ गन्ध, दुर्गंध, स्वाद, घ्राण आदि संबंधी संवेदनाओं को पहचानने में यह सहायक होता हैं। अग्र मस्तिष्क में उपर युक्त संवेदनाओं को पहचानने में शाल्क मदद करते हैं। अग्र मस्तिष्क का भाग जो कि सम्पूर्ण मस्तिष्क का दो तिहाई हिस्सा होता हैं यह कुंडलित रूप में मध्य मस्तिष्क और पश्च मस्तिष्क का सुरक्षा कवज बनाता हैं। इसमें लगभग 200 मिलियन तंत्रिका (संवेदी) उपस्थित होती हैं। इन तंत्रिका को कर्पल्स कैलोसम कहा जाता हैं। इसके मुख्य दो भाग होते हैं।
(a). प्रमस्तिष्क मस्तिष्क (Cerebrum Brain)यह मस्तिष्क का 2/3 भाग बनाता है। यह अनुलम्ब बिदर द्वारा दाएँ तथा बाएँ प्रमस्तिष्क गोलार्द्धों में बँटा रहता है। प्रत्येक प्रमस्तिष्क गोलार्द्ध की समूची सतह अनेकों भंजों में वलित होती है। प्रमस्तिष्क के बाहरी भाग कार्टेक्स में तन्त्रिका कोशिकाओं के कोशिकाय तथा इनके डेन्ड्राइट्स स्थित होते हैं। भीतर के श्वेत द्रव्य में तन्त्रिका कोशिकाओं के एक्सॉन स्थित होते हैं। प्रमस्तिष्क के कार्यात्मक क्षेत्र निम्लिखित हैं।
(b). डाइएनसिफेलॉन (Diencephalon)इसको अग्रमस्तिष्क पश्च (posterior part of the forebrain) भी कहा जाता है यह भाग प्रमस्तिष्क के नीचे स्थित होता है। इसमें निम्नलिखित दो भाग होते है।
थैलमस के कार्य – यह दर्द, ठंडा तथा गरम को पहचानने का कार्य करता हैं।
हाइपोथैलमस के कार्य
हाईपोथैलमस का भाग – पोस्टीरियर एवं लेटरल भाग पोस्टीरियर एवं लेटरल भाग अनुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र (Sympathetic nervous system):- पोस्टीरियर एवं लेटरल भाग के कार्यों को सम्पन्न करने में पूर्ण सहयोग देते हैं। एन्टीरियर एवं सेन्ट्रल भाग परानुकम्पी तन्त्रिका तन्त्र के कार्यों को सम्पन्न करते हें। इसके अतिरिक्त यह तन्त्रिका तन्तुओं को मेड्यूला आब्लांगेटा (Medulla oblogata) की ओर भेजकर श्वसन कार्य में सहायता करता है। शरीर के ताप को नियमित तथा नियन्त्रित करता है वसा, कार्बोहाइड्रट तथा जल की पाचन क्रिया को नियमित रखता है एवं भावना को नियन्त्रित करने में भूमिका निभाता हैं पिट्यूटरी ग्रन्थि की सहायता से यह शरीर की समस्त अन्त:स्त्रावी ग्रन्थियों के कार्य में सहायता करता है। मस्तिष्क की गहराई मे थैलेमस एवं बेसल गैंगलिया के बीच स्थित उभरे हुए प्रेरक तन्तुओं (Motor fibres) से बना एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होता है जिसे इन्टरनल कैप्सूल कहा जाता हैं जिसके माध्यम से समस्त तन्त्रिका आवेगों (Nerve impulses) का संवहन होता है। 2. मध्यमस्तिष्क / लघुमस्तिष्क (Mesencephalon Brain)यह अग्र मस्तिष्क के हाइपोथैलेमस एवं पश्च मस्तिष्क के पांस बैरोलाई के मध्य स्थित होता हैं। मध्य मस्तिष्क का छोटा भाग होता हैं जोकि स्टेम सेल का ऊपरी भाग होता हैं। इसमें बहुत सारी तंत्रिकाओं के समूह उपस्थित होते हैं यह शरीर के सभी अंगों एवं सम्पूर्ण शरीर को एक संतुलन बनाए रखने में एवं मस्तिष्क में आंखों की मास-पेशियों एवं संतुलन में सहायक हैं। यह मस्तिष्क आंतरिक अनेक्षिक क्रियाओं एवं आदत बन जाने वाली क्रियाओं को भी नियंत्रित करना हैं। इसके मुख्य दो भाग होते हैं।
(a). कॉरपोरा क्वाड्रीजेमिना (Corpora)अग्र और पश्च मस्तिष्क के बीच में एक छोटा-सा नलिकाकार भाग होता है। जिसे मेसेन्सफ्लोन (mesencephalon) भी कहा जाता है, मेसेन्सफ्लोन (मध्य मस्तिष्क) चार पिण्डों से बना है। इन पिण्डों को कोर्पोरा क्वाड्रीजेमिन (corpora quadrigemina) कहते है। ऊपर के दो पिण्ड टेक्टम (tectum) और नीचे के पिण्ड टेगमेंटम (tegmentum) कहलाते है। टेक्टम देखने के लिए तथा टेगमेंटम सुनने के लिए उतरदायी होते है। कॉरपोरा क्वाड्रीजेमिना के कार्य – यह दृष्टि एवं श्रवण शक्ति पर नियंत्रण का केन्द्र हैं। (b). सेरिब्रल पेंडिकल (Cerebral Pendical)सेरीब्रल पेडन्क्ल्स डंठलनुमा रचनाएँ होती हैं जो इसकी वेंट्रल सतह पर स्थित होती है। कॉपोंरा क्वाड्रिजेमिना डॉर्सल सतह पर चार गोलाकार उभार होते हैं। जिन्हें दो जोड़े संवेदी केन्द्रों में विभक्त किया गया है। एक को सुपीरियर कोलीकुलि तथा दूसरे को इन्फीरियर कोलीकुलि कहते हैं। सुपीरियर कोलीकुलि द्वारा किसी वस्तु को देखने की क्रिया सम्पन्न होती है तथा इन्फीरियर कोलीकुलि द्वारा सुनने की क्रिया सम्पन्न होती है। सेरीब्रल पेडन्क्ल्स के समीप लाल केन्द्रक स्थित रहता है। सुपीरियर कोलीकुलि के बीच पिनीयल बॉडी स्थित रहती है। सेरिब्रल पेंडिकल के कार्य
3. पश्च मस्तिष्क (Rhombencephalon Brain)यह मस्तिष्क का सबसे पीछे का हिस्सा होता हैं जो कि मेडुला के सहारे मेरुरज्जु से जुड़ा होता हैं। शरीर की एक हड्डी (एटलज कशेरुका) सम्पूर्ण सिर को आधार प्रदान करती हैं। पश्च मस्तिष्क के मुख्य तीन भाग होते हैं। (a). पोन्स (Pons)यह अनुमस्तिष्क के आगे मध्यमस्तिष्क के नीचे तथा मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर रहता है। यह मस्तिष्क स्तम्भ के बीच का भाग होता है। इसके आधारी भाग को मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल कहते हैं। इस भाग से होकर संवेदी एवं प्रेरक तन्त्रिकाओं के तन्तु गुजरते हैं जो अनुमस्तिष्क को मध्य मस्तिष्क एवं मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जोड़ते हैं। (b). सेरिबेलम (Cerebellum)यह मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग है। यह प्रमस्तिष्क के आधार पर उसके नीचे स्थित होता है। इसमें अनेक खांचें होती हैं। इसका वल्कुट भाग (Cortex) भी धूसर द्रव्य (Gray matter) का बना होता है। सेरेबेलम (अनुमस्तिष्क) शरीर का संतुलन बनाए रखना और पेशीय क्रियाओं में समन्वय बनाए रखने का कार्य करता है। सेरिबेलम के कार्य :
(c). मेड्यूला आबलांगेटा (Medulla Oblongata)यह मस्तिष्क स्तम्भ का सबसे नीचे का भाग होता है जो ऊपर की ओर पोन्स एवं नीचे की ओर स्पाइनल कॉर्ड के बीच स्थित रहता है। इसका आकार बेलनाकार दण्ड की तरह होता है जो औसतन 2.5 सेमी. लम्बा होता है। इसका ऊपरी भाग कुछ फूला रहता है। यह पोस्टीरियर क्रेनियल फोसा में स्थित होता है और ऑक्सिपिटल अस्थि के महारन्ध्र के ठीक नीचे स्पाइनल कॉर्ड से जुड़ जाता है। इसका बाह्य भाग श्वेत द्रव्य तथा भीतरी भाग भूरे द्रव्य का बना होता है। इसमें हृदीय एवं श्वसनीय केन्द्र स्थित होते हैं, जो हृदय एवं श्वसन क्रिया को नियन्त्रित करते हैं। इसमें निद्रा, निगरण एवं लालास्त्राव (Salivation) के भी केन्द्र होते हैं। मेड्यूला आबलांगेटा के कार्य :
मेड्यूला आबलांगेटा महत्वपूर्ण कार्यों का नियमन करते हैं।
अनुमस्तिष्क या सेरीबेलम (Cerebellum) : यह प्रमस्तिष्क के आक्सिपिटल लोब के नीचे पीछे की ओर उभरा हुआ भाग होता है जो मेड्यूला ऑब्लांगेटा के ऊपर पोन्स के पीछे कपालीय गुहा ब्तंदपंस बंअपजलद्ध में स्थित होता है तथा डॉर्सल सतह की ओर प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलार्द्ध से ढँका रहता है। अनुमस्तिष्क दो अर्द्धगोलाद्व में विभक्त रहता है परन्तु बीच में एक मध्यस्थ पट्टी जिसे वर्मिस (Vermis) कहते हैं से जुड़ा रहता है। इसमें प्रमस्तिष्क के समान भूरा द्रव्य (Gray matter) बाहर की ओर और श्वेत द्रव्य (White matter) भीतर की ओर स्थित होता है। अनुमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स (Cerebellar cortex) : प्रमस्तिष्कीय कार्टेक्स की अपेक्षा अधिक पतला होता है। अनुमस्तिष्क का भार मस्तिष्क के कुल भार का दसवाँ भाग होता है। अनुमस्तिष्कीय केन्द्रक (Cerebellar nuclei) : श्वेत द्रव्य में गहराई में स्थित रहते हैं जो सुपीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मध्य मस्तिष्क से मिडिल सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा पोन्स से तथा इन्फीरियर सेरीबेलर पेडन्क्ल के द्वारा मेड्यूला ऑब्लांगेटा से जुड़े रहते हैं। अनुमस्तिष्क ऐच्छिक पेशियों में समन्वय स्थापित करता है तथा शरीर की मुद्रा और उसके सन्तुलन को बनाए रखता है। यह पेशियों में तनाव की श्रेणी, सिन्धयों (Joints) की स्थिति और प्रमस्तिष्कीय कॉर्टेक्स से आने वाली जानकारी से सम्बन्धित संवेदी आवेगों को निरन्तर प्राप्त करता रहता है। मस्तिष्क स्तम्भ (Brain stem) किसे कहते हैमध्य मस्तिष्क, पोन्स एवं मेड्यूला ऑब्लांगेटा के एक साथ कई सामान्य कार्य हैं और इन्हें प्राय: संयुक्त रूप से मस्तिष्क स्तम्भ कहा जाता है। इस क्षेत्र में न्यूिक्लाइ (Nuclei) भी रहते हैं। जहाँ से कपालीय तन्त्रिकाएँ निकलती हैं। मस्तिष्कावरण या मेनिन्जीज (Meninges) किसे कहते हैमस्तिष्कावरण या मेनिन्जीज सुरक्षात्मक झिल्लियाँ (Membranes) हैं जो खोपड़ी एवं मस्तिष्क के बीच स्थित रहकर स्पाइनल कॉर्ड (सुशुम्ना) को पूर्णरूप से ढँके रहती हैं तथा इन्हें आघात से बचाती हैं मेनिन्जीज तीन प्रकार की होती हैं। यह बाहर से भीतर की ओर निम्न प्रकार व्यवस्थित होती हैं।
1. ड्यूरामैटर (Duramater)ड्यूरामैटर का सबसे ऊपरी आवरण (झिल्ली) होती है जो कठोर सघन संयोजी ऊतकों की बनी होती है। इसमें दो परतें होती हैं, बाह्य परत खोपड़ी की अन्दरूनी सतह का अस्तर है और पेरिऑस्टिम बनाती है। फोरामन मैग्नम के स्थान पर यह परत खोपड़ी की बाहरी सतह पर पेरिऑस्टियम के रूप में निरन्तर रहती है। इसकी आन्तरिक परत कुछ स्थानों पर अन्दर की ओर उभ्ज्ञरी होती है और दोहरी परत बनाती है, जो मस्तिष्क के भागों को अलग करती है एवं उन्हें स्थिति में बनाये रखने में सहायता करती है। इससे चार शिरीय साइनस तथा चार वलय बनते हैं। फ्लैक्स सेरेब्राइ एक ऐसा वलय है, जो दो प्रमस्तिष्कीय अर्द्धगोलाद्धो के बीच स्थित रहता है। इसका ऊपरी सिरा सुपीरियर लोंगिट्यूडिनल या सैजाइटल शिरीय साइनस बनता है जो मस्तिष्क से शिरीय रक्त उपलब्ध करता है इसका निचला सिरा इन्फीरियर लोंगिट्यूडिनल शिरीय साइनस बनता है, जो फॉक्स सेरेब्राई से रक्त को खींच लेता है। टेन्टोरियम सेरेबेलाई वलय प्रमस्तिष्क एवं अनुमस्तिष्क के बीच स्थित रहता है। इस वलय से तीन साइनस बनते हैं। फॉक्स सेरेबेलाई वलय दोनों अनुमस्तिष्कीय अर्द्धगोलाद्धो के बीच में स्थित रहता हे। डायाफै्रग्मा सेलीवलय स्फैनॉइड अस्थि में स्थित गड्ढे़ सेला टर्शिका के ऊपर छत बनाता है जिसमें पिट्यूटरी ग्रन्थि स्थित रहती है जो ऊपर हाइपोथैलेमस से जुड़ी होती है। 2. एराक्नॉइड मैटर (Arachnoid mater)यह ड्यूरामैटर के ठीक नीचे स्थित पतला और कोमल आवरण होता है, जो तन्तु एवं लचीले ऊतकों का बना होता हैं यह एक संकरे (कैपिलरी) सबड्यूरल अवकाश द्वारा ड्यूरामैटर से पृथक रहता है। एराक्नॉइड मैटर एवं पाया मैटर के बीच सब एराक्नॉइड अवकाश रहता है। पायामैटर से जुड़ने के लिए राक्नॉइड से सब-एराक्नॉइड अवकाश से होते हुए बारीब टै्रबीकुली निकलते हैं। सब-एराक्नॉइड अवकाश में सेरिब्रोस्पाइनल द्रव (CSF) विद्यमान रहता है, जो मस्तिष्क एवं स्पाइनल कॉर्ड को आघातों से बचाता है। 3. पायामैटर (Piamater)पायामैटर एराक्नॉइड के नीचे वाला आवरण है। यह संयोजी ऊतक की एक पतली झिल्ली होती है जिसमें बहुत-सी रक्तवाहिनियाँ (Highly vascular) होती हैं। यह मस्तिष्क एवं स्पाइनल कॉर्ड की सतह के सम्पर्क में रहती है और मस्तिष्क के सभी मोड़ों को ढँकती हुई प्रत्येक दरार में धँसी होती है। सेरिब्रोस्पाइनल द्रव की संरचनासेरिब्रोस्पाइनल द्रव का संगठन निम्न प्रकार होता है।
इनके अतिरिक्त इसमे पोटैशियम, कैल्सियम, सोडियम, यूरिक अम्ल, सल्फेट, फॉस्फेट तथा क्रिएटिनिन भी मिले रहते हैं। जरूर पढ़िए :-
आशा हैं मनुष्य के मस्तिष्क की जानकारी आपको पसंद आएगी। मस्तिष्क से संबंधित किसी भी प्रश्न के लिए कमेंट करे यदि यह जानकारी पसंद आयी है तो इसे फेसबुक और लिंकेडीन पर अपने दोस्तों के साथ शेयर करे। पश्च मस्तिष्क में कितने भाग होते हैं?मेडुला, पोन्स एवं अनुमस्तिष्क (Cerebellum) पश्च मस्तिष्क के भाग होते हैं।
पश्च मस्तिष्क क्या है?पश्च मस्तिष्क पश्च मस्तिष्क, मस्तिष्क का पिछला भाग होता है जिसमें मेटेनसिफेलोन (Metencephalon) और माइएलेनेसिफेलोन आते है। मेटेनसिफेलोन में सेतु (Pons) और लघुमस्तिष्क (Cerebellum) आते हैं जबकि माइएलेनेसिफेलोन में मेडुला ऑबलागांटा (Medulla oblongata) सम्मिलित होता है।
पश्च मस्तिष्क के कार्य क्या है?इसका मुख्य कार्य ज्ञान, बुद्धि, तर्कशक्ति, स्मरण, विचार निर्णय, व्यक्तित्व आदि का नियंत्रण एवं नियमन करना है।
मस्तिष्क का दूसरा सबसे बड़ा भाग कौन सा है?Detailed Solution. सही उत्तर प्रमस्तिष्क है।
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