पुरुष भाले का भार कितना होता है? - purush bhaale ka bhaar kitana hota hai?

प्राचीन ओलंपिक की एक स्पर्धा डिस्कस थ्रो में एक प्रतियोगी एक भारी डिस्क फेंकता है। इसे 708 ईसा पूर्व प्राचीन ग्रीक पेंटाथलॉन इवेंट में शामिल किया गया था- दौड़, लंबी कूद, डिस्कस थ्रो, भाला फेंक और कुश्ती।

बाद में 1870 के दशक में ईसाई जॉर्ज कोहलरॉश और उनके छात्रों द्वारा इस स्पर्धा की फिर से खोज की गई। पुरुषों की डिस्कस थ्रो प्रतियोगिता 1986 में एथेंस में ओलंपिक के पहले संस्करण का हिस्सा बन गई। महिला प्रतियोगिता को एम्स्टर्डम 1928 में शामिल किया गया था।

डिस्कस थ्रो आधुनिक डिकैथलॉन का हिस्सा

उल्लेखनीय है कि चेक के एथलीट फ्रांटिसेक जांडा-सुक (Frantisek Janda-Suk) पूरे शरीर को घुमाते हुए डिस्कस फेंकने वाले पहले आधुनिक एथलीट थे। इस तकनीक से उन्होंने पेरिस में 1900 के ओलंपिक में रजत पदक जीता था।

डिस्कस का वजन कितना होता है और इसे कैसे फेंका जाता है?

डिस्कस का वजन पुरुषों के लिए 2 किलो और महिलाओं के लिए 1 किलो तय किया गया है। धातु की डिस्क को मूल रूप से एक एथलीट द्वारा 2.5 मीटर व्यास वाले एक वृत्त के अंदर खड़े होकर फेंका जाता है।

गौरतलब है कि डिस्कस फेंकने वालों को सर्कल के रिम के शीर्ष को छूने की अनुमति नहीं होती है, लेकिन इसके अंदर के किनारों को छू सकते हैं। एथलीटों को सर्कल से परे जमीन को छूने की भी मनाही है। अगर एथलीट डिस्क के जमीन पर गिरने से पहले सर्कल को पार कर लेता है, तो इसे फाउल थ्रो माना जाता है।

डिस्क को फेंकने के लिए एक विशेष सीमा रेखा भी चिह्नित है और यदि इससे आगे की जगह पर डिस्क को फेंकना अमान्य माना जाता है। प्रत्येक एथलीट को अपना सर्वश्रेष्ठ संभव थ्रो चिह्नित करने के लिए ओलंपिक में आठ प्रयास दिए जाते हैं।

ओलंपिक में डिस्कस थ्रो नियम और स्कोरिंग प्रणाली

ओलंपिक क्वालीफिकेशन मार्क प्राप्त करने वाले एथलीट गेम्स में देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। प्रत्येक देश को इस आयोजन में तीन डिस्कस थ्रोअर भेजने की अनुमति है।

क्वालीफाइंग इवेंट से सर्वश्रेष्ठ थ्रो वाले केवल 12 एथलीट ही फाइनल में जा सकते हैं। प्रत्येक प्रतियोगी को अपने सर्वश्रेष्ठ थ्रो को चिह्नित करने के लिए तीन प्रयासों की अनुमति है। शुरुआती तीन प्रयासों के आधार पर शीर्ष आठ को और तीन मौके दिए जाते हैं और उनकी स्थिति सबसे लंबे थ्रो के आधार पर तय की जाती है।

थ्रो की माप पहले बिंदु से की जाती है, जहां से डिस्क सर्कल के चाप के अंदर फेंकी जाती है। अधिकारी टेप को इस तरह से पकड़ते हैं कि शून्य छोर क्षेत्र में हो और मापने वाले टेप को फेंकने वाले सर्कल के केंद्र के माध्यम से खींचते हैं और एक रीडिंग बनाते हैं जहां टेप सर्कल की परिधि के अंदर के किनारे को पार करता है।

टाई-ब्रेकर के मामले में दूसरा सर्वश्रेष्ठ थ्रो विजेता का निर्धारण करता है।

एक डिस्कस का विवरण

डिस्कस लकड़ी, प्लास्टिक, फाइबरग्लास या धातु से एक गोलाकार किनारे और धातु रिम के साथ बना हो सकता है। इसका व्यास पुरुषों के लिए 22 सेमी और महिलाओं के लिए 18 सेमी होना चाहिए। डिस्कस का आंतरिक सतह ठोस या खोखली हो सकती है, जबकि किनारे के क्रॉस सेक्शन की अर्धव्यास 6 मिमी होनी चाहिए।

यह भी ध्यान में रखा जाना चाहिए कि डिस्कस के किनारे समान हों और डिजाइन में किसी भी तरह की विषमता न हो और किनारे भी धारदार नहीं होने चाहिए। एथलीटों को इसे ठीक से पकड़ने में मदद करने के लिए डिस्क की फिनिशिंग क्रम में होनी चाहिए।

थ्रो करने वाले घेरे के चारों ओर के पिंजरे की विशिष्टता

पिंजरे का निर्माण इस तरह से किया जाना चाहिए कि यह 25 मीटर / सेकंड की गति से आने वाली लगभग 2 किग्रा की डिस्क को रोक सके। इसे भी इस तरह से बनाया जाना चाहिए कि डिस्कस टकराने के बाद पलटे नहीं।

पिंजरा ' U शेप' में बना और इसका एक किनारा डिस्कस के गुजरने के लिए खुला होना चाहिए। सबसे निचले बिंदु पर नेटिंग पॉइंट की ऊंचाई 4 मीटर होनी चाहिए और यह सिंथेटिक या प्राकृतिक फाइबर के इस्तेमाल से बना होना चाहिए।

डिस्कस थ्रो में विश्व रिकॉर्ड क्या है?

1988 के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता जुर्गन शुल्ट (Jurgen Schult) ने 1986 में 74.08 मीटर के थ्रो के साथ पुरुषों का विश्व रिकॉर्ड बनाया था। 1988 के ओलंपिक में पूर्वी जर्मनी का प्रतिनिधित्व करने वाली गेब्रियल रीन्स्चो (Gabriele Reinsch) ने 76.80 मीटर के थ्रो के साथ महिलाओं का विश्व रिकॉर्ड बनाया।

वहीं, वर्जिलिजस अल्कना (Virgilijus Alekna) ने 2004 एथेंस में 69.89 मीटर के थ्रो के साथ ओलंपिक पुरुषों का रिकॉर्ड बनाया। जर्मनी की मार्टिना हेलमैन (Martina Hellmann) ने 1988 सियोल में 72.30 मीटर के प्रयास के साथ महिलाओं का रिकॉर्ड बनाया।

भारत के सर्वश्रेष्ठ डिस्कस थ्रोअर

चार बार के ओलंपियन विकास गौड़ा (Vikas Gowda) भारत के सबसे सफल डिस्कस थ्रोअर हैं। उन्होंने 2004, 2008, 2012 और 2016 में ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया। उन्होंने एशियाई खेलों में दो पदक, राष्ट्रमंडल खेलों में कई और पांच पदक एशियाई चैंपियनशिप में जीते हैं।

अनुभवी भारतीय डिस्कस थ्रोअर और 2014 एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता सीमा पूनिया (Seema Punia) स्पर्धा में सबसे कुशल महिला एथलीटों में से एक हैं। हालांकि, तीन बार के राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता टोक्यो 2020 के लिए कोटा हासिल करने में विफल रहीं।

दूसरी तरफ, टोक्यो कोटाधारक कमलप्रीत कौर प्रगति पर है। वो 24वीं फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डिस्कस थ्रो में 65 मीटर बैरियर को तोड़ने वाली पहली भारतीय महिला बनीं और इसी प्रयास से टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी किया।

भाला फेंक खेल के नियम / भाला फेंक का वजन कितनाहोता है – आपने भाला फेंक खेल का नाम तो सुना ही होगा. कुछ दिनों पहले भाला फेंक खेल बहुत चर्चा में आया था. क्योंकि इस खेल में खेलते हुए हमारे भारतीय खिलाडी नीरज चोपड़ा ने भारत को गोल्ड मेडल दिलाया था. इस खेल को Javelin throw के नाम से भी जाना जाता हैं.

पुरुष भाले का भार कितना होता है? - purush bhaale ka bhaar kitana hota hai?
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Javelin throw का अर्थ होता है भाला फेंकना. यह एक ओलंपिक खेल है. जिसमें सभी देश के खिलाडी खेल में भाग लेते है. और अपना प्रदर्शन दिखाते हैं. अगर आप भाला फेंक खेल के बारे में जानना चाहते है. तो हमारा यह आर्टिकल पूरा पढ़े.

दोस्तों आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भाला फेंक खेल के नियम के बारे में बताने वाले हैं. तथा इस खेल से जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान करने वाले हैं.

तो आइये हम आपको इस बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान करते हैं.

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अनुक्रम

  • भाला फेंक खेल के नियम
  • भाला फेंक की जानकारी
  • भाला फेंक का इतिहास
  • भाला फेंक का वजन कितना होता है
  • ओलंपिक में भाले का वजन कितना होता है
  • भाला फेंक दिवस
  • निष्कर्ष

भाला फेंक खेल के नियम

भाला फेंक खेल के नियम निम्नलिखित है:

  • भाला फेंक खेल में भाला लकड़ी का बना हुआ होता है. जो आगे से नुकीला होता हैं. आगे का नुकीला हिस्सा हल्की धातु से बनाया जाता हैं. जिससे भाला फेंकने में आसानी हो सके.
  • भाला फेंक खेल में भाला की लम्बाई5 मीटर की होती हैं.
  • जब भाला फेंका जाता है. तब खिलाडी कंधे के ऊपर से फेंकता है.
  • आप भाला फेंकने से पहले भाला फेंकने वाली दिशा की तरफ पीठ नहीं कर सकते हैं.
  • अगर भाला फेंकते समय खिलाडी के शरीर का कोई भी हिस्सा मैदान के छोर या सिरों पर बनी रेखा को छु जाता हैं. तो यह खेल का उलंघन माना जाता हैं.
  • भाला फेंकने के बाद अगर भाला जमीन में घुस जाए या जमीन पर खड़ा रहे वही थ्रो सही माना जाता है. अगर भाला फेंकने के बाद भाला जमीन में घुसे बीना जमीन पर गिर जाता है. तो यह थ्रो मान्य नहीं होता हैं.
  • भाला फेंक खेल में प्रत्येक खिलाडी को तीन बार भाला फेंकने का मौका दिया जाता हैं. जो खिलाडी सबसे दूर भाला फेंकता है. वह विजय घोषित किया जाता हैं.
  • अगर भाला फेंकते समय भाले का छोर टूट जाता है. या फिर किसी वजह से भाला खंडित हो जाता हैं. तो यह प्रयास विफल माना जाता हैं.

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भाला फेंक की जानकारी

भाला फेंक एक ओलंपिक खेल है. इस खेल में अलग-अलग देश के खिलाडी हिस्सा लेते हैं. भाला फेंक खेल में एक लकड़ी का 2.5 मीटर लंबा भाला होता हैं. जो आगे से नुकीला और हल्के धातु से बना हुआ होता है. भाला फेंक खेल में खिलाडी भाग कर भाला फेंकता है. जो खिलाडी सबसे दूर भाला फेंकता है. वह खिलाडी विजय घोषित कर दिया जाता हैं.

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भाला फेंक खेल में प्रत्येक खिलाडी को तिन बार भाला फेंकने का मौका दिया जाता हैं. यह एक आउटडोर खेल हैं. जिसमें खिलाडी दूर से दौड़ता हुआ आता है. और कूदकर भाला फेंकता हैं. यह खिलाडी की टेकनिक होती है. जो हर कोई नहीं कर सकता हैं. बहुत लंबी और सालों की प्रेक्टिस के बाद कोई एक भाला फेंक खिलाडी तैयार होता हैं.

भाला फेंक का इतिहास

पहले के समय में राजा-महाराजा अपने भाले से शिकार करते थे. तथा किसी युद्ध में भी भाला फेंककर दुश्मन पर हमला किया जाता था. वही से भाला फेंक खेल की शुरुआत हुई थी ऐसा माना जाता हैं.

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पहले के समय यह खेल प्राचीन ग्रीस में बहुत ही प्रचलित था. इसके बाद यह दुनिया में प्रचलित होने लगा. सन 1908 में पुरुषो के लिए और सन 1932 में महिलाओं के लिए इस खेल की ओलंपिक से शुरुआत हुई. तब से आज दिन तक कुछ नये नियम और बदलाव के साथ यह खेल खेला जा रहा हैं.

भाला फेंक का वजन कितना होता है

भाला फेंक खेल में भाला का वजन पुरुषों के लिए 800 ग्राम और महिलाओं के लिए 600 ग्राम निर्धारित किया गया हैं.

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ओलंपिक में भाले का वजन कितना होता है

ओलंपिक में भी भाले का वजन पुरुष के लिए 800 ग्राम और महिला के लिए 600 ग्राम निर्धारित किया गया हैं.

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भाला फेंक दिवस

एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने 10 अगस्त 2021 को प्रतिवर्ष 7 अगस्त को राष्ट्रीय भाला फेंक दिवस मनाने की घोषणा की थी.

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निष्कर्ष

दोस्तों आज हमने आपको इस आर्टिकल के माध्यम से भाला फेंक खेल के नियम बताए हैं. तथा इस खेल से संबंधित अन्य और भी जानकारियां प्रदान की हैं. हम उम्मीद करते है की आज का हमारा यह आर्टिकल आपके लिए उपयोगी साबित हुआ होगा.

दोस्तों हम आशा करते है की आपको हमारा यह भाला फेंक खेल के नियम / भाला फेंक का वजन कितना होता है आर्टिकल अच्छा लगा होगा. धन्यवाद

पुरुष भाले का वजन कितना होता है?

पुरुषों के भाले के वजन 800 ग्राम होता है परन्तु स्त्री के भाले का वजन 600 ग्राम होता है। पुरुष के भाले की लम्बाई 2.6 मीटर से 2.7 मीटर के बीच होता हैं और वहीं महीला के भाले की लम्बाई 2.2 मीटर से 2.3 मीटर के बीच होती है।

भाले का वजन कितना होना चाहिए?

ओलंपिक गेम्स के नियमों के अनुसार भाला फेंक में पुरुषों और महिलाओं के भाले के वजन तय होता है. पुरुष भाला फेंक प्रतियोगिता में भाले की लंबाई 2.6 से 2.7 मीटर के बीच होती है. इसका वजन 800 ग्राम होता है. जबकि महिलाओं के लिए भाले की वजन 600 ग्राम और लंबाई 2.2 से 2.3 मीटर होती है.

लड़कियों के भाले का वजन कितना होता है?

पुरुष भाले का वजन 800 ग्राम तो महिला भाले का वजन 600 ग्राम होता है।

नीरज चोपड़ा के भाले का वजन कितना है?

नीरज चोपड़ा के भाले का वजन नीरज चोपड़ा ने ओलंपिक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक के लिए जो भाला फेंका था उसका वजन लगभग 800ग्राम था।