प्रार्थना कविता पाठ से आपने क्या सीखा? - praarthana kavita paath se aapane kya seekha?

कवि ईश्वर से प्रार्थना कर रहा है। कवि ईश्वर से यह प्रार्थना कर रहा है कि ईश्वर उसे हर विपत्ति से सामना करने की सामर्थ्य प्रदान करें। ईश्वर उसे निर्भय होने का वरदान प्राप्त करें ताकि वह जीवन के संघर्षों से भयमुक्त होकर सामना कर सके। कवि ईश्वर से प्रार्थना कर के स्वंय के लिए आत्मबल और पुरुषार्थ पाने की कामना कर रहा है। कवि स्वयं को मजबूत बनाना चाहता है ताकि वह किसी भी तरह की आपदा, विपदा, निराशा, दुख, कष्ट, संकट आदि से सामना करने के लिए आत्मविश्वास से परिपूर्ण हो सके ।

पाठ के बारे में…

इस पाठ में रवींद्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित कविता ‘आत्मत्राण’ को प्रस्तुत किया गया है। यह कविता मूल रूप से बांग्ला में लिखी गई थी, जिसका अनुवाद हजारी प्रसाद द्विवेदी ने हिंदी में किया है। इस कविता के माध्यम से कवि गुरु रविंद्र टैगोर मानते हैं कि ईश्वर ने सब कुछ संभव कर देने की सामर्थ होती है, फिर भी ईश्वर नहीं चाहते कि वह वही सब कुछ करें। क्योंकि ईश्वर चाहते हैं कि मनुष्य अपने जीवन में आपदा विपदा, कष्ट से आदि की स्थिति में स्वयं संघर्ष करना सीखें ।

कविता में कवि ने कहा है कि तैरना चाहने वालों को पानी में कोई उतार तो सकता है, लेकिन तैरना सीखने के लिए तैरने वाले को ही स्वयं हाथ पैर चलाने पड़ते हैं। तभी वह तैराक बनाता है। परीक्षा देने जाने वाला छात्र अपने बड़ों से और गुरुजनों से आशीर्वाद लेता है और उसके बड़े उसे सफल होने का आशीर्वाद तो देते हैं, लेकिन आशीर्वाद देने से ही सफल नही हुआ जा सकता है, उसे स्वयं परीक्षा देनी होगी, तभी आशीर्वाद फलीभूत होगा।

कविता में कवि के कहने का मूलभाव यही है कि मनुष्य को जीवन में स्वयं संघर्ष करना सीखना चाहिए तो ईश्वर उसके संघर्ष को आसान बना सकते हैं। हाथ-पर हाथ रखरकर बैठने वाले की ईश्वर सहायता नहीं करतेष ईश्वर केवल कर्मशील मनुष्य की सहायता करते हैं।रवींद्रनाथ ठाकुर बंगाली भाषा के महान कवि एवं लेखक रहे हैं। उनका जन्म 6 मई 1818 को कोलकाता के एक संपन्न बंगाली परिवार में हुआ था। वह साहित्य के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय भी हैं। उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार उनकी काव्य कृति ‘गीतांजलि’ के लिए मिला था।

उनके उनके द्वारा रची गई अन्य काव्य कृतियों के नाम इस प्रकार हैं, पूरबी, काबुलीवाला,  नैवेद्य, बलाका, क्षणिका, चित्र और सांध्यगीत। इनके अलावा उन्होंने अनेकों कहानियां लिखी थीं। उनका निधन 1941 में हुआ था।

प्रार्थना कविता पाठ से अपने क्या सीखा?

प्रश्न-3 'प्रार्थना' कविता पाठ से आपने क्या सीखा, उसे अपने शब्दों में लिखिए? उत्तर - प्रार्थना कविता के पाठ से हमने सीखा कि हमें अपनी मातृभूमि की सदैव सेवा करनी चाहिए। यहाँ के व्यक्तियों, यहाँ की प्रकृति अर्थात् पेड़-पौधे, पशु-पक्षी आदि को अपना सगा मानना चाहिए। इनके दुखों को दूर करना चाहिए।

इस कविता से हमें क्या सीख मिलती है?

इस कविता से यह प्रेरणा मिलती है कि मनुष्य को कभी अहंकार नहीं करना चाहिए। एक तिनका कवि के आँख में जाने। के बाद उनका घमंड चूर-चूर हो गया। अतः अपने उपलब्धि पर अहंकार आ जाना सही नहीं है।

प्रार्थना कविता के अनुसार हमारा जीवन कैसे सफल होगा?

उत्तर - कविता के अनुसार हमारा जीवन दूसरों की सेवा और उनकी भलाई अर्थात उपकार करने से सफल होगा

प्रार्थना कविता के कवि का क्या नाम है?

इसके रचनाकार सुप्रसिद्ध साहित्यकार भवानी प्रसाद मिश्र हैं। प्रसंग - उक्त पंक्तियों में कवि ईश्वर का उपकार मानते हुए उनसे भारत देश के योग्य बनाने की प्रार्थना करते हैं