परंपरागत ऊर्जा का स्रोत क्या है? - paramparaagat oorja ka srot kya hai?

विषय-सूचि

  • पारंपरिक ऊर्जा स्रोत की विशेषता (qualities of Conventional sources of energy in hindi)
  • पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोत (Conventional sources of energy in hindi)
  • गैर नवीकरणीय होने का कारण (Reason for being Non renewable)
  • ग्लोबल वार्मिंग (Global warming)
  • प्रदूषण (Pollution)
  • पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का विकल्प (alternative of conventional sources of energy in hindi)


ऊर्जा हमारे जीवन का अभिन्न अंग है। आज के युग में सब कुछ ऊर्जा पर ही निर्भर करता है। फिर चाहे वह गृहस्थी मे काम आने वाले उपकरण जैसे फ्रिज, टीवी, या चूल्हा हो, उद्योगों में लगे हुए यंत्र या विद्यालय तथा अस्पतालों में चलने वाले विद्युत उपकरण हों, ऊर्जा की आवश्यकता हर जगह है।

यहाँ तक की किसी देश के आर्थिक विकास को भी उसकी ऊर्जा की खपत द्वारा ही नापा जाता है। जितना अधिक प्रति व्यक्ति ऊर्जा का सेवन, उतना ही विकसित वह देश।

वर्तमान में, भारत की ऊर्जा का सेवन अन्य देशों से बहुत कम है।

ऊर्जा के स्रोत दो प्रकार के हो सकते हैं-
1) पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Conventional sources of energy)
2) गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोत (Non conventional sources of energy)

इस लेख में हम केवल पारंपरिक ऊर्जा पर ही चर्चा करेंगे।

पारंपरिक ऊर्जा स्रोत की विशेषता (qualities of Conventional sources of energy in hindi)

पारंपरिक ऊर्जा स्रोत वे हैं, जो लंबे समय से प्रयोग में हैं। ये प्रकृति में तय तथा सीमित मात्रा में उपलब्ध होते हैं-

  1. ये गैर नवीकरणीय (non renewable) होते हैं।
  2. पारंपरिक स्रोत कुछ समय पश्चात लुप्त हो जाएँगे (exhaustible), यानी ख़त्म हो जाएँगे।
  3. इन स्रोतों से प्रदूषण होता है- जल, वायु तथा थल प्रदूषण।
  4. यह प्रदूषण प्रकृति को बड़े स्तर पर प्रभावित करता है तथा ग्लोबल वार्मिंग का एक बहुत बड़ा कारण भी है।
  5. मुख्य रूप से ये स्रोत औद्योगिक तथा व्यावसायिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए प्रयोग होते हैं।
  6. ये बहुत ही महंगे होते हैं।
  7. इनके उदाहरण हैं – कोयला, पेट्रोल , डीजल, कच्चा तेल आदि।

पारंपरिक ऊर्जा के स्त्रोत (Conventional sources of energy in hindi)

  1. जीवाश्म ईंधन (fossil fuels)
  2. ऊष्मीय शक्ति ऊर्जा (thermal power plant)
  3. जलविद्युत ऊर्जा (hydropower plant)
  4. बायोमास (Biomass)
  5. पवन ऊर्जा (wind energy)

गैर नवीकरणीय होने का कारण (Reason for being Non renewable)

कोयला पेड़ पौधों से तथा पेट्रोल समुद्री जीवों से बनता है। लाखों वर्ष पूर्व जब पेड़ पौधे और समुद्री जीव मर गए तथा धरती और सागर के नीचे दब गए, तो समय के साथ उन पर दबाव तथा उनका तापमान बढ़ता गया।

वे जिन पत्थरों के नीचे थे, उन पर उनकी छाप आ गई। धीरे धीरे ये जीव जीवाश्म (फॉसिल्स) बन गए। इन्ही जीवाश्मों से हम ईंधन बनाते हैं।

इसी कारण कोयले तथा पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन (fossil fuels) भी कहते हैं।

जीवाश्मों की रचना होने में कई वर्ष (लाखों-करोड़ों) लग जाते हैं। एवं ये धरती में सीमित मात्रा में ही उपलब्ध हैं। इसलिए यदि एक बार ये समाप्त हो जाएँ, तो इन्हें पुनः प्राप्त नहीं किया जा सकता।

इनका प्रयोग विवेकपूर्ण तरीके से किया जाना चाहिए, जिससे कि आने वाली पीढ़ियाँ भी इनका लाभ ले सकें।

ग्लोबल वार्मिंग (Global warming)

जब इन पारंपरिक ईंधनों को जलाया जाता है तब इनमे से कई तरह की गैस निकलती है। उनमें से एक है कार्बन डाइऑक्साइड (Carbon dioxide-CO2)। CO2 ग्रीन हाउस गैस हैं।

ग्रीन हाउस गैस वो होती हैं, जो सूर्य से आने वाली ऊष्मा को सोख लेती है, जिससे पृथ्वी के वायुमंडल में उचित तापमान बना रहता है।

परंतु जब प्रदूषण के कारण ग्रीन हाउस गैसें बढ़ जाती हैं, तब ये आवश्यकता से अधिक गर्मी सोखने लगती हैं। इस कारण पृथ्वी का तापमान बढ़ता जा रहा है। गर्मी आम सीमा से ज़्यादा हो रही है। सारी ऋतुएँ चरम होती जा रही हैं।

इसी को ग्लोबल वार्मिंग कहते हैं।

प्रदूषण (Pollution)

पेट्रोल तथा डीजल वाहनों में प्रयोग किया जाता है। कोयला का थर्मल पावर प्लांट्स में उपयोग होता है, जहाँ उसे जलाकर बिजली का उत्पादन किया जाता है।

इन सभी ऊर्जा स्रोतों के जलने से हानिकारक गैस बनती है, जो हमारे वायुमंडल को दूषित करती हैं। वे दूषित वायु हमारे, तथा अन्य जीवों के लिए अनुपयुक्त है और बीमारियों का कारण बनती हैं।

ये गैस से अणु जब वर्षा की बूंदों में घुल जाते हैं, तब अपने अम्लीय (एसिडिक) व्यवहार की वजह से पानी को भी अम्लीय बना देते हैं। ऐसी अम्लीय वर्षा से पेड़ पौधों, फसलों, जानवरों तथा स्मारकों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। ऐसी वर्षा से मनुष्यों को भी रोग हो सकते हैं।

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों का विकल्प (alternative of conventional sources of energy in hindi)

पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के इतने दुष्प्रभावों के कारण अब हम दूसरे प्रकार के स्रोत, गैर पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों ( Non conventional sources of energy) की ओर कदम बढ़ा रहे हैं।

ये स्रोत प्रदूषण में भागीदार नहीं हैं (बहुत कम प्रदूषण)। तथा तुलना में सस्ते भी हैं। गैर पारंपरिक स्रोत ही भविष्य के ऊर्जा स्रोत है, क्योंकि पारंपरिक स्रोत घटते जा रहे हैं और आने वाले समय मे विलुप्त हो जाएँगे।

यद्यपि हम पारंपरिक स्रोतों पर बेहद निभर हैं, हमने नए विकल्पों पर शोध तथा अनुसंधान आरम्भ कर दिया है।

इस लेख से सम्बंधित यदि आपका कोई भी सवाल या सुझाव है, तो आप उसे नीचे कमेंट में लिख सकते हैं।

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By: RF competition   Copy  Share  (18)

Aug 02, 2021 03:08PM 7822

ऊर्जा के पारंपरिक स्रोत- पृथ्वी में अनेक वर्षों तक हुई भौतिक तथा रासायनिक क्रियाओं के फलस्वरूप प्राप्त स्रोत 'परंपरागत ऊर्जा स्रोत' कहलाते हैं। पृथ्वी पर इनके सीमित भंडार उपलब्ध हैं। इन्हें ऊर्जा के प्राथमिक स्रोत के नाम से भी जाना जाता है। इन्हें पुनः प्राप्त करना संभव नहीं है। क्योंकि इनके निर्माण में अनेक वर्षों का समय लगता है। अतः इन्हें अनवीकरणीय स्रोत भी कहा जाता है। पृथ्वी के कुल ऊर्जा संसाधनों का लगभग 87% परंपरागत ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होता है। पृथ्वी के प्रमुख परंपरागत ऊर्जा स्रोत निम्नलिखित हैं-

Conventional sources of energy- The sources obtained as a result of physical and chemical reactions in the earth for many years are called 'conventional energy sources' Huh. There are limited reserves of these available on earth. These are also known as primary sources of energy. It is not possible to retrieve them. Because it takes many years to build them. Therefore, they are also called non-renewable sources. About 87% of the Earth's total energy resources are derived from conventional energy sources. Following are the main conventional energy sources of the earth-

1. पेट्रोलियम- पेट्रोलियम का निर्माण करोड़ों वर्षों तक जीव-जंतुओं और जीवाश्मों की चट्टानों के नीचे दबने से होता है। भारत में पेट्रोलियम का सीमित भंडार है। देश अपनी कुल आवश्यकताओं का लगभग 70% पेट्रोलियम आयात करता है। भारत में लंकेश्वर (गुजरात), डिग्बोई (असम) और मुंबई हाई में पेट्रोलियम का उत्पादन होता है।

1. Petroleum- Petroleum is formed by being buried under rocks of animals and fossils for millions of years. India has limited reserves of petroleum. The country imports about 70% of its petroleum requirements. In India, petroleum is produced in Lankeshwar (Gujarat), Digboi (Assam) and Mumbai High.

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2. कोयला- भारत में कोयले के भंडार प्रायद्वीपीय भारत के पूर्वी पठार में उपलब्ध हैं। कोयला ऊर्जा का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत की कुल स्थापित ऊर्जा में 63.84% कोयले का योगदान है। देश में प्राप्त होने वाले कोयले की गुणवत्ता अच्छी नहीं है।अतः भारत को अपनी कोयले की आवश्यकता हेतु विदेशों से कोयले के आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। देश में कोयले का सर्वाधिक प्रयोग विद्युत उत्पादन में और उद्योगों में होता है।

2. Coal- Coal reserves in India are available in the eastern plateau of peninsular India. Coal is the most important source of energy. Coal accounts for 63.84% of India's total installed energy. The quality of coal received in the country is not good. Hence India has to depend on import of coal from abroad for its coal requirement. Most of the coal in the country is used in power generation and in industries.

3. नाभिकीय ऊर्जा- भारत की कुल स्थापित ऊर्जा में नाभिकीय ऊर्जा का भाग 1.95% है। पिछले कुछ समय में नाभिकीय ऊर्जा संसाधन में वृद्धि हुई है। देश के दक्षिण और पश्चिम भाग में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं, क्योंकि इन क्षेत्रों में कोयले की उपलब्धता नहीं है।

3. Nuclear Energy- The share of nuclear energy in India's total installed energy is 1.95%. Nuclear energy resources have increased in the recent times. Nuclear power plants have been set up in the south and west part of the country, as there is no availability of coal in these areas.

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4. Hydroelectricity- 13.09% of India's total energy needs are met from hydroelectric power. The major areas of hydropower in India are the Himalayan and Western Ghats.

ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोत- प्रकृति में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध संसाधन गैर-परंपरागत ऊर्जा स्रोत कहलाते हैं। इनका पुनः उपयोग किया जा सकता है। इनके समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है। अतः इन्हें नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत भी कहा जाता है। भारत की कुल ऊर्जा उत्पादन में इनका योगदान 13% है। ऊर्जा के प्रमुख गैर-परंपरागत स्रोत निम्नलिखित हैं-

Non-conventional sources of energy- The resources available in sufficient quantity in nature are called non-conventional energy sources. They can be reused. There is no chance of them ending. Therefore, they are also called renewable energy sources. They contribute 13% to India's total energy production. Following are the major non-conventional sources of energy-

1. पवन ऊर्जा- पवन से प्राप्त की जाने वाली गतिज ऊर्जा 'पवन ऊर्जा' कहलाती है। इस ऊर्जा संसाधन के दोहन के लिए 'टरबाइन' का प्रयोग किया जाता है। टरबाइन के माध्यम से पवन ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। दक्षिण भारत में पवन ऊर्जा का सर्वाधिक विकास हुआ है।

1. Wind Energy- The kinetic energy obtained from wind is called 'Wind Energy'. 'Turbine' is used to harness this energy resource. Wind energy is converted into electrical energy through turbines. Wind energy has been developed the most in South India.

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2. Solar Energy- Due to the geographical location of India, there is availability of sun throughout the year. Hence solar power generation can be done in the country. Under this, the energy received from the sun is converted into electrical energy. This process is called photovoltaic process. At present, this technology is used for cooking food in homes and for supplying electricity in rural areas.

3. ज्वारीय ऊर्जा- समुद्र में आने वाले उच्च और निम्न ज्वार से प्राप्त ऊर्जा को ज्वारीय ऊर्जा कहा जाता है। इस संसाधन के दोहन के अंतर्गत ज्वारीय ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है। यह ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत है। भारतवर्ष में समुद्र तटों और नदियों के मुहाने पर ज्वारीय ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पादन की आदर्श दशा में उपलब्ध हैं।

3. Tidal Energy- The energy obtained from high and low tides coming into the sea is called tidal energy. Under the exploitation of this resource, tidal energy is converted into electrical energy. It is a renewable source of energy. In India, beaches and river mouths are available in ideal condition to produce electrical energy from tidal energy.

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4. लघु पनबिजली योजना- इसके अंतर्गत 25 mw से कम उत्पादन क्षमता के जलीय ऊर्जा स्रोत आते हैं। इस ऊर्जा संसाधन का उत्पादन मुख्य रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में होता है। इस ऊर्जा उत्पादन के लिए बड़े क्षेत्र की कोई आवश्यकता नहीं होती।

4. Small Hydro Electricity Scheme- Under this, hydroelectric power sources of less than 25 mw generation capacity are covered. This energy resource is mainly produced in mountainous areas. There is no need for a large area for this power generation.

5. जैव ईंधन- गन्ने की खोई को पेट्रोलियम में मिलाकर तैयार किया गया ईंधन जैव ईंधन कहलाता है। भारतवर्ष के प्रमुख जैव ईंधन एथेनॉल, बायो-डीजल और गैसोहाल हैं।

5. Biofuel- The fuel prepared by mixing sugarcane bagasse with petroleum is called biofuel. The major biofuels of India are ethanol, bio-diesel and gasohal.

भौगोलिक जानकारी से संबंधित इन 👇 प्रकरणों के बारे में भी जानें।
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5. विश्व की प्रमुख जल संधियाँ
6. विश्व की प्रमुख जल संधियाँ मुख्य बिन्दु सहित

आशा है, उपरोक्त जानकारी परीक्षार्थियों / विद्यार्थियों के लिए ज्ञानवर्धक एवं परीक्षापयोगी होगी।
धन्यवाद।।
R F Temre
rfcompetition.com

I hope the above information will be useful and important.
(आशा है, उपरोक्त जानकारी उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होगी।)
Thank you.
R F Temre
rfcompetiton.com

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत क्या है?

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: जलावन, उपले, कोयला, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली। गैर परंपरागत ऊर्जा के स्रोत: सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, ज्वारीय ऊर्जा, बायोगैस और परमाणु ऊर्जा। जलावन और उपले: अनुमानित आंकड़े के अनुसार आज भी ग्रामीण घरों की ऊर्जा की जरूरत का 70% भाग जलावन और उपलों से पूरा होता है।

परंपरागत ऊर्जा के स्रोत क्या है ?`?

इस प्रकार की ऊर्जा के स्त्रोत हैं: सौर, बहता पानी, पवन, हाइड्रोजन तथा भूतापीय | हम नवीकरणीय सौर ऊर्जा सीधे सूर्य से प्राप्त करते हैं और परोक्ष रूप से बहते हुए पानी, पवन एवं बायोमास से भी प्राप्त कर सकते हैं।

परंपरागत स्रोत क्या है परिभाषा?

गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत