प्रक्रति के पांच तत्व और इनके गुण1. .आकाश, 2. वायु, 3. अग्नि, 4. जल, 5. प्रथ्वी / Show 1..आकाश; स्पेस/ से आवाज़ sound है, जिसे शब्द भी कहते हैं/ हमें जो आवाज़ एक दुसरे को जो आवाज़ ‘कान’ के द्वारा मिलती है, वो इसी आकाश की तरंगों से हं तक पंहुचती हैं/ 2. वायु; विंड / वायु हमें यह शब्द नुमा आवाज़ को हम तक पंहुचाने में ट्रांसपोर्ट का काम तो करती ही है, साथ ही स्पर्श का गुण भी इसी में है, जो कि हमारे शरीर की ‘त्वचा’ (स्किन) महसूस करवाती है /. 3. अग्नि; फायर / अग्नि के गुणों में आवाज़, स्पर्श के साथ ‘दृष्टि’ से दिखने वाला आकार (Shape) का गुण भी है कि आग चारों ओर फ़ैल रही है, कि उपर की दिशा पकड़ रही है/ 4. जल; वाटर / जल (पानी में आवाज़, स्पर्श, आकार, के साथ स्वाद भी है कि मीठा या खारा या उसमे जो फ्लेवर मिला दो, वैसा / जो कि हमारी ‘जीभ’ इंद्रा महसूस करवाती है / 5. प्रथ्वी; अर्थ / प्रथ्वी हमें आवाज़, स्पर्शता, आकार, स्वाद के गुणों से अतिरिक्त ‘गंध’ (स्मेल) गंध सुगन्धित हो या दुर्गन्ध वो हमारी ;नाक’ द्वारा प्रथ्वी के अनेक प्रकार के धातु जैसे भूमि से महसूस होती है / हमारी प्रक्रति के पांच तत्व से हमारे शरीर की पांच इन्द्रियों से ये भी एक संबंध है/ आर.डी. अग्रवाल ‘प्रेमी’ जल तत्व से मतलब
तरलता से है। जितने भी तरल तत्व शरीर में बह रहे हैं वे जल तत्व हैं, चाहे वह पानी हो, खून हो या शरीर में बनने वाले सभी तरह के रस और एंजाइम हों। जल तत्व ही शरीर की ऊर्जा और पोषक तत्वों को पूरे शरीर में पहुचाने का काम करते हैं। इसे आयुर्वेद में कफ के नाम से भी जाना जाता है। इसमें असंतुलन शरीर को बीमार बना देता है। अग्नि तत्व ऊर्जा, ऊष्मा, शक्ति और ताप का प्रतीक है। हमारे शरीर में जितनी गर्माहट है, सब अग्नि तत्व से है। यही अग्नि तत्व भोजन को पचाकर शरीर को स्वस्थ रखता है। इसे आयुर्वेद में पित्त
के नाम से जाना जाता है। ऊष्मा का स्तर ऊपर या नीचे जाने से शरीर भी बीमार हो जाता है। इसलिए इसका संतुलन जरूरी है। जिनमें प्राण है, उन सबमें वायु तत्व है। हम सांस के रूप में हवा (ऑक्सीजन) लेते हैं, जिससे हमारा जीवन है।
पतंजलि योग में जितने भी प्राण व उपप्राण बताए गए हैं, वे सब वायु तत्व के कारण ही काम कर रहे हैं। आयुर्वेद में इसे वात नाम से जानते हैं। आकाश तत्व अभौतिक रूप में मन है। जैसे आकाश अनंत है वैसे ही मन की भी कोई सीमा नहीं है। जैसे आकाश अनंत ऊर्जाओं से भरा है, वैसे ही मन की शक्ति की कोई
सीमा नहीं है जो दबी या सोयी हुई है। आकाश में कभी बादल, कभी धूल नजर आते हैं तो कभी वह बिल्कुल साफ होता है, वैसे ही मन भी कभी खुशी, कभी उदास तो कभी शांत रहता है। इन पंच तत्वों से ऊपर एक तत्व है आत्मा। इसके होने से ही ये तत्व अपना काम करते हैं। तभी शरीर में ऊर्जा रहती है और वह इन तत्वों को नियंत्रण में रख सकता है। मनुष्य का शरीर तंत्रिकाओं पर खड़ा है। विभिन्न प्रकार के ऊतकों से मिलकर अंगों का निर्माण हुआ है। शरीरतंत्र में मुख्य चार अवयव हैं- मस्तिष्क, प्रमस्तिष्क, मेरुदंड और तंत्रिकाओं का
पुंज। इसके अलावा कई और तंत्र हैं जैसे श्वसन तंत्र, पाचन तंत्र, ज्ञानेंद्रियां, प्रजनन तंत्र आदि। इन सभी तत्वों को समझ कर हम तत्वों को कुछ प्रयोग के द्वारा संतुलन में कर सकते हैं जिससे हमारे आगे की यात्रा बढ़ सके। जैसे-जैसे हम क्रिया करेंगे उसका अनुभव हमें प्रत्यक्ष मिलेगा। हमारी हाथ की उंगलियों में तत्व संदेश देंगे कि कौन सा तत्व आपके भीतर कम है और कौन सा अधिक है। हम जानते हैं कि हाथ की पांच उंगलियां इन्हीं पांच तत्वों का प्रतिनिधत्व करती हैं। अंगूठा अग्नि का, तर्जनी वायु का, मध्यमा आकाश का,
अनामिका पृथ्वी का और कनिष्का जल का प्रधिनिधित्व करती हैं। इन उंगलियों में विद्युत धारा प्रवाहित होती रहती है। मानव शरीर प्रकृति द्वारा तैयार की गई एक मशीन है जिसके सूक्ष्म संसाधनों व तंत्रों और तत्वों के प्रयोग की सटीक सहज क्रिया के जरिए हम अपनी ऊर्जा को निरंतर गति दे सकते हैं। Navbharat Times News App: देश-दुनिया की खबरें, आपके शहर का हाल, एजुकेशन और बिज़नेस अपडेट्स, फिल्म और खेल की दुनिया की हलचल, वायरल न्यूज़ और धर्म-कर्म... पाएँ हिंदी की ताज़ा खबरें डाउनलोड करें NBT ऐप लेटेस्ट न्यूज़ से अपडेट रहने के लिए NBT फेसबुकपेज लाइक करें बहुत अधिक साफ-सफाई व हाइजीन का खुमार हमें प्रकृति से दूर ले जा रहा है। इसके नतीजे भी सामने हैं। हालांकि कम उम्र में जीवनशैली से जुड़े रोगों से आजिज आ चुके लोग एक बार फिर प्रकृति की ओर लौट रहे हैं। प्राकृतिक चिकित्सा, ग्रीन थेरेपी आदि के रूप में एक बड़ा बाजार भी बन गया है। प्राकृतिक तत्वों से जुड़कर कैसे रखें अपने तन और मन को स्वस्थ, बता रही हैं शमीम खान मानव शरीर पांच तत्वों से बना होता है; मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु और शून्य। इन्हें पंच महाभूत या पंच तत्व भी कहा जाता है। ये सभी तत्व शरीर के सात प्रमुख चक्रों में बंटे हैं। सात चक्र और पांच तत्वों का संतुलन ही हमारे तन व मन को स्वस्थ रखता है। इन पांच तत्वों का उल्लेख हमारे वेदों में तो है ही, पश्चिमी विद्वानों ने भी सेहत के लिए इनकी भूमिका को स्वीकार किया है। पांचवीं सदी के महान ग्रीक चिकित्सक हिप्पोक्रेट्स ने कहा था कि किसी व्यक्ति की सेहत शरीर के चार द्रवों के संतुलन पर निर्भर करती है, जो प्राकृतिक तत्वों वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी के अनुरूप होते हैं। पांच तत्वों का संतुलन है जरूरी मिट्टी: पृथ्वी या मिट्टी, हमारे शरीर के उन अंगों के निर्माण से जुड़ी है, जो कठोर और भारी हैं। जैसे हड्डियां, दांत, मांस, त्वचा, बाल, मूंछें, नाक आदि। मिट्टी अपने घर में छोटा सा बगीचा या किचन गार्डन, टेरेस गार्डन बनाना या इनडोर प्लांट्स लगाना, प्रकृति के करीब ला सकता है। इससे मिट्टी के संपर्क में रहेंगे और शुद्ध हवा भी मिलेगी। मड बाथ आप चाहे तो घर पर ही मड बाथ ले सकते हैं। किसी आयुर्वेदिक स्टोर से आपको काली मिट्टी, मुल्तानी मिट्टी या समुद्री मिट्टी मिल जाएगी। बहुत सारे स्पा और मसाज सेंटर भी मड बाथ उपलब्ध कराते हैं। वह अपने क्लाइंट की जरूरत के
अनुसार मड बाथ देते हैं। अग्नि शरीर में ऊष्मा की मात्रा कम होने से हृदय रोगों, स्ट्रोक, तंत्रिका तंत्र संबंधी समस्याओं की आशंका बढ़ जाती है। मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। जठराग्नि मंद पड़ने से पाचन-तंत्र गड़बड़ा जाता है। यही कारण है कि सर्दियों में शरीर में ऊष्मा का सामान्य स्तर बनाए रखने के लिए सूर्य की धूप के साथ अदरक, लहसुन, काली मिर्च, हल्दी, हरी मिर्च आदि गर्म तासीर वाली चीजों पर जोर दिया जाता है। गर्मियों के मौसम में शरीर में ऊष्मा तत्व बढ़ जाता है। यही वजह है कि तरल पदार्थ, हल्का भोजन, कच्ची सब्जियां और फल अधिक मात्रा में लेने की सलाह दी जाती है। सन बाथ आकाश जल ध्यान यह भी रखें कि पानी कोई हेल्थ टॉनिक नहीं है, ना ही हर समस्या का उपचार। बहुत अधिक मात्रा में लेने से भी कई समस्याएं हो सकती हैं। किडनी से जुड़ी कई समस्याओं में कम और धीरे-धीरे पानी पीने की सलाह दी जाती है। पानी बहुत पीने से पोषक तत्व शरीर से जल्दी बाहर निकल जाते हैं। इसी तरह सुबह उठकर एक साथ ढेर सारा पानी पीने से आंखों पर भी दाब पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि महिलाओं को प्रतिदिन करीब ढाई लीटर और पुरुषों को तीन लीटर पानी पीना चाहिए। हाइड्रो थेरेपी इसे एक्वेटिक थेरेपी के नाम से भी जाना जाता है। इसमें गर्म पानी में एक्सरसाइज की जाती है। गर्म पानी के विशेष गुणों के कारण कड़े और फूले हुए जोड़ों की मूवमेंट्स में सुधार आता है और कमजोर मांसपेशियां मजबूत होती हैं। वायु ब्रीदिंग एक्सरसाइज प्रकृति के पांच तत्व कौन कौन से हैं?आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) - ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है।
पांच तत्वों के देवता कौन है?वायु साक्षात् विष्णु देवता से संबंधित तत्व है। शंकर पृथ्वी तत्व, देवी अग्नि तत्व तथा सूर्य आकाश तत्व के देवता हैं। इस प्रकार इन पांच देवता का पूजन कर हम अपने आपका ही पूजन करते हैं।
पांच तत्वों की उत्पत्ति कैसे हुई?शिव पुराण की कैलाश संहिता के अनुसार शिव से ईशान उत्पन्न हुए और ईशान से पांच मिथुन की उत्पत्ति हुई। पहला मिथुन आकाश, दूसरा वायु, तीसरा अग्नि, चौथा जल और पांचवां मिथुन पृथ्वी है। इन पांचों का स्वरूप इस प्रकार बताया गया है।
25 प्रकृति का नाम क्या है?सांख्य के अनुसार २५ तत्त्व हैं और शैव दर्शन के अनुसार ३६। सांख्य में २५ तत्त्व माने गए हैं—पुरुष, प्रकृति, महत्तत्व (बुद्धि), अहंकार, चक्षु, कर्ण, नासिका, जिह्वा, त्वक्, वाक्, पाणि, पायु, पाद, उपस्थ, मल, शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध, पृथ्वी, जल, तेज, वायु और आकाश।
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