प्र07 तनती साँसों की डोरी से कवि का तात्पर्य है? - pra07 tanatee saanson kee doree se kavi ka taatpary hai?

Q3. भाव स्पष्ट कीजिये -
या तो क्षितिज मिलन बन जाता / या तनती सांसों की डोरी ।

Answer :
क्षितिज का अर्थ है जहाँ धरती आकाश मिलते हैं और पक्षी क्षितिज के अन्त तक जाने की लालसा रखते हैं फिर चाहे उन्हें किसी भी स्थिति का सामना करना पड़े। वो चाहते हैं या तो आज वह क्षितिज का अन्तिम छोर ही प्राप्त कर लें अन्यथा अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।


भाव स्पष्ट कीजिए या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।

Question

भाव स्पष्ट कीजिए-या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।

Solution

क्षितिज का अर्थ है जहाँ धरती और आकाश मिलते हुए प्रतीत होते हैं और पक्षी क्षितिज के अन्त तक जाने की लालसा रखते हैं फिर चाहे उन्हें किसी भी स्थिति का सामना करना पड़े। वो चाहते हैं या तो आज वह क्षितिज का अन्तिम छोर ही प्राप्त कर लें अन्यथा अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।

या तनती सांसों की डोरी से क्या तात्पर्य है?

तनती सांसों की डोरी का मतलब है प्राण न्योछावर कर देना।

क्षितिज मिलन बन जाता से कवि का क्या अभिप्राय है?

"या तो क्षितिज मिलन बन जाता/या तनती साँसों की डोरी।" इस पंक्ति में कवि ने बताया है कि पक्षी स्वतंत्र होकर क्षितिज यानी आकश और धरती के मिलन के स्थान तक जाने की इच्छा रखते हैं। वे या तो इसे प्राप्त करना चाहते हैं नहीं तो अपने प्राणों को न्योछावर कर दें।