हमारे शरीर में तीन तरह के ब्लड सेल्स लाल रक्त कोशिकाएं, व्हाइट ब्लड सेल्स और प्लेटलेट्स मौजूद होते हैं। यह ब्लड कोशिकाएं प्लाज्मा नामक द्रव में तैरती हैं। शरीर में जब कहीं चोट या फिर कट लगती है, तो प्लेटलेट्स की कोशिकाएं ब्लड को थक्के के रूप में परिवर्तित कर देती है, जिससे ब्लीडिंग रूक जाती है। ऐसे में हमारे शरीर में पर्याप्त रूप से प्लेटलेट्स रहना जरूरी होता है। अगर प्लेटलेट की संख्या में कमी हो जाए, तो ब्लड के थक्के नहीं बनते हैं। यह एक गंभीर स्थिति हो सकती है। Show
डेंगू होने पर शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, लेकिन क्या आज जानते हैं कि डेंगू के अलावा कई अन्य गंभीर बीमारियों की वजह से भी शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में शरीर में प्लेटलेट्स कम होने के लक्षणों को पहचानना बहुत ही जरूरी होता है। ताकि समय पर इन गंभीर बीमारियों का इलाज हो सके। आज हम इस लेख में प्लेटलेट्स की कमी से शरीर में दिखने वाले लक्षणों के बारे में जानेंगे। प्लेटलेट संख्या कम होने के कारण (Low Platelet Count Causes in Hindi)डेंगू के अलावा शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने कई अन्य कारण हो सकते हैं। जैसे- ब्लड में बैक्टीरिया संक्रमण, अस्थि मज्जा की परेशानी, हाइपरसप्लेनिज्म इत्यादि हो सकते हैं।
प्लेटलेट संख्या कम होने के लक्षण (Low Platelet Count Symptoms in Hindi )कुछ सामान्य स्थितियों में शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है। लेकिन कई ऐसे गंभीर मामले हैं, जिसकी वजह से शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम हो सकती है। ऐसे में समय पर लो प्लेटलेट काउंट के लक्षणों की पहचान करनी चाहिए। ताकि गंभीर स्थिति से बचा जा सके। आइए जानते हैं इसके कुछ लक्षणों के बारे में-
गंभीर लक्षणशरीर में प्लेटलेट की संख्या कम होने पर आपको कई लक्षण दिख सकते हैं। लेकिन अगर आपके मूत्र से खून आना, मल में ब्लड आना और गहरे रंग की लाल उल्टी होना जैसे लक्षण दिख रहे हैं, तो इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि इसके जोखिमों से बचा जा सके। कुछ लोगों को आंतरिक रूप से भी ब्लीडिंग हो सकती है। इस स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क की आवश्यकता होती है। आंतरिक रूप से ब्लीडिंग होने पर सिर में तेज दर्द और तंत्रिका संबंधी परेशानी दिख सकती है। शरीर में प्लेटलेट्स की संख्या कम होने पर आपको सिरदर्द, हैवी ब्लीडिंग, कमजोरी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इन लक्षणों को पहचानकर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। ताकि गंभीर स्थितियों से बचा जा सके। होम -> समाज | 4-मिनट में पढ़ें | भारत में एक बार फिर से बीमारियों ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए हैं. वैसे तो ये कोई नई बात नहीं है, लेकिन बीमारियों के नाम नए हो गए हैं और उनके मरीज भी साल दर साल बढ़ते जा रहे हैं. इन दिनों वैसे तो जीका वायरस का खतरा भी भारत में फैल रहा है पर एक और बीमारी है जिसके मरीजों की संख्या बढ़ रही है. वो है ब्लड प्लैटिलेट (Blood platelets) काउंट कम होने वाले मरीज. आम तौर पर जब शरीर में ब्लड प्लैटिलेट कम होते हैं तो मरीजों को डेंगू का डर सताता है, क्योंकि डेंगू का ये अहम लक्षण है, लेकिन ऐसा जरूरी नहीं कि Blood platelets की कमी का मतलब डेंगू ही हो. शरीर में कई कारणों से इसकी कमी हो सकती है और मरीज को कमजोरी से लेकर किसी खतरनाक बीमारी तक बहुत कुछ हो सकता है. Blood platelets की कमी दरअसल अपने आप में एक बीमारी है जिसे Thrombocytopenia कहते हैं. इस बीमारी में खून में मौजूद प्लैटिलेट्स तेजी से गिरने लगते हैं. प्लैटिलेट्स पार्दर्शी सेल होते हैं जो हमारे खून में मिले होते हैं और ये बहुत मदद करते हैं शरीर में बीमारियों को रोकने में. इन्हीं के कारण किसी चोट के लगने पर ब्लड क्लॉट हो जाता है. Thrombocytopenia बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है. हालांकि, जरूरी नहीं कि अगर प्लैटिलेट्स की कमी हो तो Thrombocytopenia ही हो. इसका कारण कुछ दवाएं भी हो सकती हैं जिन्हें पहले लिया गया हो या फिर ये भी हो सकता है कि शरीर के इम्यूनिटी सिस्टम में कोई समस्या हो. कैंसर के मरीजों के शरीर में भी प्लैटिलेट्स की कमी होती है. प्लैटिलेट काउंट जब बहुत कम हो जाता है तब शरीर के अंदरूनी हिस्से में ब्लीडिंग होने लगती है और इंसान को बहुत कमजोरी लगती है. अगर जरा भी शक हो तो इस समस्या का इलाज जरूर करवाना चाहिए. ये बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है और ये समस्या बहुत गंभीर है. कैसे पता करें कि प्लैटिलेट काउंट कम है?इसे पता लगाने का तरीका ब्लड टेस्ट ही है. एक स्वस्थ्य इंसान में 140,000 से 450,000 प्लैटिलेट्स प्रति माइक्रोलीटर होते हैं. अगर प्लैटिलेट 140,000 से कम हैं तो यकीनन शरीर में कुछ चल रहा है और डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. क्योंकि ब्लड प्लैटिलेट्स शरीर में रिपेयर टिशू होते हैं इसलिए जरूरी है कि इनकी कमी को ठीक किया जाए. क्यों होता है ये? इसके होने के तीन कारण हो सकते हैं. 1. शरीर में इन्फेक्शन है.. शरीर में किसी तरह का कोई इन्फेक्शन होता है जैसे अनीमिया, वायरल इन्फेक्शन, डेंगू, विटामिन की कमी आदि तो ब्लड प्लैटिलेट्स का बनना कम हो जाता है. ब्लड टेस्ट से ये पता चल सकता है कि शरीर में किस तरह का इन्फेक्शन हो रहा है. 2. किसी कारण प्लैटिलेट खत्म हो रहे हों.. ये हो सकता है कि किसी कारण प्लैटिलेट्स खत्म हो रहे हों. जैसे हैवी दवा के कारण, प्रेग्नेंसी के कारण, स्प्लीन से जुड़ी बीमारी के कारण. पाचन तंत्र में खराबी के कारण. किसी अन्य बीमारी के कारण जो शरीर में लग गई हो. 3. किसी गंभीर बीमारी के कारण... गंभीर बीमारी जैसे कैंसर या दिल की बीमारी में ली जाने वाली दवाइयां भी ब्लड प्लैटिलेट्स के कम होने का कारण बनती है. ऐसे में जो दवाएं ली जाती हैं वो खून को पतला करती हैं और इस कारण शरीर में प्लैटिलेट्स की कमी हो जाती है. क्या होते हैं लक्षण... - शरीर में जगह-जगह नील पड़ जाना. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि शरीर की कोशिकाओं में ब्लड प्लैटिलेट्स की कमी के कारण ब्लीडिंग होने लगती है. - दांतों और मसूढ़ों से खून निकलना. - यूरीन से खून निकलना. - स्प्लीन का साइज बढ़ जाना. - कोशिकाओं का स्किन के ऊपर दिखने लग जाना. - नाक से खून निकलना. - पीरियड्स में बहुत ज्यादा खून निकलना. - कमजोरी होना. अगर इसमें से कोई भी लक्षण दिख रहा है तो यकीनन डॉक्टर के पास जाना जरूरी है. डॉक्टर मरीज के ब्लड टेस्ट के मुताबिक इलाज बता सकता है. प्लैटिलेट्स की कमी अगर सही समय पर पकड़ ली गई तो बीमारियों की गुंजाइश कम हो सकती है, लेकिन अगर इसमें देरी हो गई तो समस्या और बढ़ सकती है. कई गंभीर बीमारियां भी हो सकती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि अगर किसी भी तरह की समस्या समझ आ रही है तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें. ये भी पढ़ें- घरेलू नुस्खे, जिनको न ही अपनाया जाए तो अच्छा है दिल की बीमारी का शक है तो पहले कान का आकार देख लें लेखक
इंडिया टुडे ग्रुप का ऑनलाइन ओपिनियन प्लेटफॉर्म. बार बार प्लेटलेट क्यों कम होता है?डेंगू ही नहीं शरीर में प्लेटलेट्स कम होने के पीछे कई अन्य कारण भी जिम्मेदार हो सकते हैं। उदाहरण के लिए खून में बैक्टीरियल संक्रमण, अस्थि मज्जा की परेशानी, आईडियोपैथिक थ्रोम्बोसाइटोपेनिक पुरपुरा, हीमोलाइटिक यूरीमिक सिंड्रोम ,हाइपरसप्लेनिज्म,स्वप्रतिरक्षित रोग इत्यादी। -सामान्य खरोंच का भी गंभीर हो जाना।
प्लेटलेट्स कम होने पर क्या क्या लक्षण होते हैं?ज्वाइंट में बहुत ज्यादा दर्द, खासकर घुटने और कूल्हों में. नाक से अक्सर खून निकलना. स्टूल और पेशाब से खून आना. सिर दर्द.
प्लेटलेट्स क्यों गिरती है?प्लेटलेट्स डेंगू में ही नहीं, वायरल इंफेक्शन,मलेरिया और मलेरिया की दवा के सेवन से भी गिरते हैं। उक्त बीमारी और मलेरिया की दवा शरीर में प्लेटलेट्स के टूटने की प्रक्रिया तेज कर देती है। इसके अलावा सैप्सिस नामक बीमार में भी प्लेटलेट्स गिरने लगते हैं। मलेरिया पैरासाइट (परजीवी) की बीमारी है।
प्लेटलेट्स कब कम होती है?डेंगू बुखार होने पर व्यक्ति का प्लेटलेट काउंट काफी कम हो जाता है. इसके अलावा कुछ अन्य स्थितियों में भी प्लेटलेट काउंट कम हो सकते हैं, जैसे- एप्लास्टिक एनीमिया, आयरन डेफिशियेंसी, विटामिन बी12 डेफिशियेंसी, ल्यूकेमिया, सिरोसिस, मायलोडायप्लासिया इत्यादि शामिल है.
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