Rajasthan Board RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योग Important Questions and Answers. Show RBSE Class 10 Social Science Important Questions Geography Chapter 6 विनिर्माण उद्योगवस्तुनिष्ठ प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए- 1. ........ कार्यों में लगे व्यक्ति कच्चे माल को परिष्कृत वस्तुओं में परिवर्तित करते हैं। अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2.
प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6.
प्रश्न 7. प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12.
प्रश्न 13. प्रश्न 14.
प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19.
प्रश्न 20.
प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23.
प्रश्न 24.
प्रश्न 25. प्रश्न 26. प्रश्न 27. प्रश्न 28. प्रश्न 29. प्रश्न 30.
प्रश्न 31. प्रश्न 32. प्रश्न 33. प्रश्न 34.
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-I) प्रश्न 1.
प्रश्न 2.
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5.
प्रश्न 6.
प्रश्न 7. रसायन उद्योग का महत्त्व-
प्रश्न 8. प्रश्न 9.
प्रश्न 10.
प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14.
प्रश्न 15.
प्रश्न 16.
प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20.
लघूत्तरात्मक प्रश्न (Type-II) प्रश्न 1.
भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि उद्योगों का महत्त्व-
प्रश्न 2. उत्तर: (1) कारखाना (2) पूँजी। (ii) स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्गों का क्या महत्त्व है?
प्रश्न 3.
प्रश्न 4.
प्रश्न 5. वितरण- वर्तमान समय में देश में 8 एल्यूमिनियम प्रगलन संयन्त्र हैं जो कि नालको व बालको (उड़ीसा), पश्चिमी बंगाल, केरल, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र व तमिलनाडु राज्यों में स्थित हैं। प्रश्न 6. प्रश्न 7.
प्रश्न 8.
प्रश्न 9.
प्रश्न 10. प्रश्न 11.
प्रश्न 12.
प्रश्न 13. विकास-भारत में पहला सीमेंट कारखाना सन् 1904 में चेन्नई में लगाया गया था। स्वतंत्रता के पश्चात् इस उद्योग का प्रसार हुआ। सन् 1989 से मूल्य व वितरण में नियंत्रण समाप्ति तथा अन्य नीतिगत सुधारों से सीमेंट उद्योग ने क्षमता, प्रक्रिया व प्रौद्योगिकी व उत्पादन में अत्यधिक तरक्की की है। अब देश में अनेक बड़े तथा छोटे सीमेंट संयंत्र हैं जिनमें विविध प्रकार के सीमेंटों का उत्पादन किया जाता है। सीमेंट की घरेलू बाजार में बहुत माँग है साथ ही पूर्वी एशिया, मध्यपूर्व, अफ्रीका तथा दक्षिण एशिया के बाजारों में भी बहुत माँग है। प्रश्न 14.
प्रश्न 15.
निबन्धात्मक प्रश्न प्रश्न 1. (i) विनिर्माण उद्योग न केवल कृषि के आधुनिकीकरण में सहायक होते हैं, अपितु द्वितीयक व तृतीयक सेवाओं में रोजगार उपलब्ध करवाकर कृषि पर निर्भरता को कम करते हैं। (iii) विनिर्माण उद्योगों में निर्मित वस्तुओं के निर्यात से वाणिज्य-व्यापार को बढ़ावा मिलता है जिससे अपेक्षित विदेशी मुद्रा की प्राप्ति होती है। (v) कृषि तथा उद्योग एक-दूसरे से अलग नहीं हैं। ये एक-दूसरे के पूरक हैं। यथा-भारत में कृषि पर आधारित उद्योगों ने कृषि पैदावार में वृद्धि को प्रोत्साहित किया है। ये उद्योग कच्चे माल के लिए कृषि पर निर्भर हैं तथा इनके द्वारा निर्मित उत्पाद यथा सिंचाई के लिए पम्प, उर्वरक, कीटनाशक दवाएँ, प्लास्टिक पाइप, मशीनें व कृषि औजार आदि पर किसान निर्भर हैं। इसी कारण विनिर्माण उद्योग के विकास तथा स्पर्धा से न केवल कृषि उत्पादन को बढ़ावा मिला है, अपितु उत्पादन प्रक्रिया भी सक्षम हुई है। प्रश्न 2.
प्रश्न 3. भारत में सर्वप्रथम सफल सूती वस्त्र उद्योग 1854 में मुम्बई में स्थापित किया गया। स्थानीयकरण के कारक- आरम्भिक वर्षों में सूती वस्त्र उद्योग महाराष्ट्र तथा गुजरात के कपास उत्पादन क्षेत्रों तक ही सीमित थे। कपास की उपलब्धता, बाजार, परिवहन, बन्दरगाहों की समीपता, श्रम, नमीयुक्त जलवायु आदि कारकों ने सूती वस्त्र के स्थानीयकरण को बढ़ावा दिया। भारत में सूती धागों की कताई का कार्य महाराष्ट्र, गुजरात तथा तमिलनाडु राज्यों में केन्द्रित है लेकिन सूती, रेशमी, जरी, कशीदाकारी आदि में बुनाई के परम्परागत कौशल और डिजाइन देने के लिए बुनाई अत्यधिक विकेन्द्रित है। अन्य उद्योगों को लाभ-इस उद्योग का कृषि से निकट सम्बन्ध है; यह किसानों, कपास चुनने वालों, डिजाइन बनाने वालों, पैकेट बनाने वालों और सिलाई करने वालों को जीविका प्रदान करता है। इस उद्योग के कारण रसायन रंजक मिल स्टोर तथा पैकेजिंग सामग्री और इंजीनियरिंग उद्योग की माँग बढ़ती है। फलस्वरूप इन उद्योगों का विकास होता है। व्यापार-भारत जापान को सूत का निर्यात करता है। देश में बने सूती वस्त्र के अन्य आयातक देश संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैण्ड, रूस, फ्रांस, पूर्वी यूरोपीय देश, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका तथा अफ्रीका के देश हैं। सूती रेशे के विश्व व्यापार में हमारे देश की भागीदारी काफी महत्त्वपूर्ण है। यह कुल अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का लगभग एक-चौथाई भाग है। देश में बुनाई और कताई तथा प्रक्रमण इकाइयाँ देश में उत्पन्न किये गये उच्च कोटि के धागे का उपयोग नहीं कर पाती हैं। इसके परिणामस्वरूप हमार बहुत से कताई करने वाले सूती धागे का निर्यात करते हैं जबकि परिधान निर्माताओं को कपड़ा आयात करना पड़ता है। प्रश्न 4. हुगली नदी तट पर पटसन उद्योग के विकास के कारण भारत में हुगली नदी तट पर पटसन उद्योग के विकसित होने के प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-
पटसन उद्योग की चुनौतियाँ- पटसन उद्योग की चुनौतियों में प्रमुख भारत में जूट उत्पादक क्षेत्रों का कम होना है। 1947 में देश के विभाजन के पश्चात् पटसन मिलें तो भारत में रह गईं लेकिन तीन-चौथाई जूट उत्पादक क्षेत्र पूत्री पाकिस्तान अर्थात् बांग्लादेश में चले गये। इसके अलावा अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में कृत्रिम वस्त्रों से और बांग्लादेश. व्राजील. फिलीपीन्स, मित्र तथा थाईलैण्ड जैसे अन्य देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा शामिल है। व्यापार- भारत में उत्पादित किए जाने वाले पटसन के प्रमुख खरीददार अमेरिका, कनाडा, रूस. सऊदी अरब, इंग्लैण्ड और आस्ट्रेलिया हैं। प्रश्न 5. लौह-इस्पात उद्योग के विकास की दशाएँ-लोहा तथा इस्पात एक भारी उद्योग है; क्योंकि इसमें प्रयुक्त कच्चा तथा तैयार माल दोनों ही भारी और स्थूल होते हैं और इसके लिए अधिक परिवहन लागत की आवश्यकता होती है। इस उमंग के लिए लौह-अयस्क, कोकिंग कोल तथा चूना-पत्थर का अनुपात लगभग 4 : 2 : 1 का है। इस्पात को कठोर वनाने के लिए इसमें मैंगनीज की कुछ मात्रा की भी आवश्यकता होती है। इस्पात उद्योगों की स्थापना में सक्षम परिवहन की आवश्यकता होती है। उत्पादन एवं खपत-वर्ष 2018 में भारत 106.5 मिलियन लाख टन इस्पात का विनिर्माण करके विश्व में कने इस्पात उत्पादकों में दूसरे स्थान पर था। यह स्पंज लौह का सबसे बड़ा उत्पादक है। इस्पात के अधिक उत्पादन के बावजूद भी 2018 में यहाँ प्रतिवर्ष प्रति व्यक्ति खपत केवल 70.9 किलोग्राम थी जबकि इसी अवधि में विश्व में प्रति व्यक्ति ओसत खपत 224.5 किलोग्राम थी। कारखानों की संख्या वर्तमान समय में भारत में 10 मुख्य संकलित उद्योग तथा बहुत से छोटे इस्यात संयन्त्र है। सार्वजनिक क्षेत्र के लगभग सभी उपक्रम अपने इस्पात को स्टील अथॉरिटी ऑफ इण्डिया के माध्यम से बेचते हैं जवांक टिस्को टाटा स्टील के नाम से अपने उत्पाद को स्वयं बेचती है। अवस्थिति-पश्चिमी बंगाल, उड़ीसा, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, कर्नाटक तथा तमिलनाडु राज्यों में भारत के लोह इस्पात उद्योग का केन्द्रीयकरण हुआ है। हमारा कुल इस्पात उत्पादन घरेलू माँग पूर्ति हेतु पर्याप्त है फिर भी हम उच्च कोटि का इस्पात दूसरे देशों से आयात करते हैं। संभावनाए-निजी क्षेत्र में उद्यमियों के प्रयत्न से तथा उदारीकरण व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ने इस उद्योग को प्रोत्साहन दिया है। इस्पात उद्योग को अधिक स्पर्धावान बनाने के लिए अनुसंधान और विकास के संसाधनों को नियत करने की आवश्यकता है। प्रश्न 6.
प्रश्न 7.
प्रश्न 8. प्रश्न 9. (1) अकार्बनिक रसायन- अकार्बनिक रसायनों में सल्फ्यूरिक अम्ल यथा उर्वरक, कृत्रिम वस्त्र, प्लास्टिक, गोंद, रंग-रोगन, डाई, नाइट्रिक अम्ल, क्षार, सोडा एश, काँच, साबुन, शोधक या अपमार्जक, कागज में प्रयुक्त होने वाले रसायन तथा कास्टिक सोडा आदि शामिल हैं। इन उद्योगों का देश में विस्तृत फैलाव है। (2) कार्बनिक रसायन- कार्बनिक रसायनों में पेट्रोरसायन शामिल हैं जो कि कृत्रिम वस्त्र, कृत्रिम रबर, प्लास्टिक, रंजक पदार्थ, दवाइयाँ, औषध रसायनों के बनाने में प्रयोग किए जाते हैं। ये उद्योग तेलशोधनशालाओं या पेट्रोरसायन संयन्त्रों के समीप स्थित हैं। उपभोक्ता उद्योग होना-रसायन उद्योग अपने आप में एक बड़ा उपभोक्ता भी है। आधारभूत रसायन एक प्रक्रिया के द्वारा अन्य रसायन उत्पन्न करते हैं, जिनका उपयोग औद्योगिक अनुप्रयोग, कृषि अथवा उपभोक्ता बाजारों के लिए किया जाता है। प्रश्न 10. उत्पादन- भारत नाइट्रोजनी उर्वरकों के उत्पादन में विश्व के प्रमुख देशों में एक है। यहाँ अनेक उर्वरक इकाइयाँ हैं जो कि नाइट्रोजन तथा मिश्रित नाइट्रोजनी उर्वरक निर्मित करती हैं, कुछ इकाइयाँ यूरिया उत्पादन तथा कुछ इकाइयाँ उप-उत्पाद के रूप में अमोनियम सल्फेट का उत्पादन करती हैं तथा कुछ लघु इकाइयाँ केवल सुपर फॉस्फेट का उत्पादन करती हैं। प्रमुख उत्पादक राज्य-भारत में हरित क्रान्ति के पश्चात् यह उद्योग देश के अन्य अनेक भागों में भी फैल गया। गुजरात, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब और केरल राज्य कुल उर्वरक उत्पादन का लगभग 50 प्रतिशत उत्पादन करते हैं। देश के अन्य महत्त्वपूर्ण उत्पादक राज्य आन्ध्र प्रदेश, उड़ीसा, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र, असम, पश्चिमी बंगाल, गोवा, दिल्ली, मध्य प्रदेश तथा कर्नाटक हैं। प्रश्न 11.
(2) स्वामित्व के आधार पर-
(3) कच्चे तथा तैयार माल की मात्रा व भार के आधार पर-
प्रश्न 12. वितरण- भारत में चीनी मिलें उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात, पंजाब, हरियाणा तथा मध्य प्रदेश राज्यों में फैली हैं। चीनी मिलों का 60 प्रतिशत उत्तर प्रदेश तथा बिहार में है। यह उद्योग मौसमी है, अतः सहकारी क्षेत्र के लिए उपयुक्त है। वर्तमान प्रवृत्ति- पिछले कुछ वर्षों से इन मिलों की संख्या दक्षिणी और पश्चिमी राज्यों में विशेषकर महाराष्ट्र में बढ़ी है। इसका मुख्य कारण यहाँ के गन्ने में अधिक सूक्रोस की मात्रा है। अपेक्षाकृत ठंडी जलवायु भी गुणकारी है। इसके अतिरिक्त इन राज्यों में सहकारी समितियाँ भी सफल रही हैं। समस्याएँ-चीनी उद्योग की प्रमुख समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
विनिर्माण क्या है उदाहरण देकर बताएं?कच्चे माल को मूलयवान उत्पादन में परिवर्तित कर अधिक मात्रा में वस्तुओं के उत्पादन को विनिर्माण कहते है। कच्चे माल को परिष्कृत करके विनिर्माण किया जाता है। चीनी से गन्ना और लकड़ी से कागज बनाया जाता है।
3 विनिर्माण क्या है?Solution : जब कच्चे माल को मूल्यवान उत्पाद में बनाकर अधिक मात्रा में वस्तुओं का उत्पादन किया जाता है तो उस प्रक्रिया को विनिर्माण या वस्तु निर्माण कहते हैं।
भारत में 5 उद्योग कौन से हैं?भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख उद्योग कौन से हैं? उत्तर: भारतीय अर्थव्यवस्था में प्रमुख उद्योग लोहा और इस्पात, कपड़ा, जूट, चीनी, सीमेंट, कागज, पेट्रोकेमिकल, ऑटोमोबाइल, सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), और बैंकिंग और बीमा हैं।
उद्योग से आप क्या समझते हैं?किसी विशेष क्षेत्र में भारी मात्रा में सामान का निर्माण/उत्पादन या वृहद रूप से सेवा प्रदान करने के मानवीय कर्म को उद्योग (industry) कहते हैं।
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