नील नदी कहां से निकलती है - neel nadee kahaan se nikalatee hai

अफ्रीकी देश इथियोपिया ने शनिवार को कहा है कि वो नील नदी पर बने विशाल बांध में पानी भरने की शुरुआत जल्द ही करने जा रहा है. साथ ही इथियोपिया ने यह भी कहा है कि वो पड़ोसी देश मिस्र और सूडान के साथ नदी के पानी को लेकर विवाद को ख़त्म करने के लिए भी प्रतिबद्ध है.

नील नदी इथियोपिया से होकर मिस्र और सूडान में आती है. एक दशक पहले इथियोपिया ने नील पर बांध बनाने की शुरुआत की थी.

द ग्रैंड इथियोपियन रेनेसां डैम या जीईआरडी अफ़्रीका का सबसे बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट है और शुरुआत से ही ये नील बेसिन क्षेत्र में तनाव का कारण भी है.

शुक्रवार को मिस्र और सूडान की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि इथियोपिया ने समझौता होने तक बांध न भरने पर सहमति जता दी है. लेकिन शनिवार को प्रधानमंत्री एबी अहमद के दफ़्तर से जारी बयान में मिस्र और सूडान के बयान की अनदेखी कर दी गई.

क्यों डर रहे हैं मिस्र और सूडान?

एक ओर इथियोपिया का कहना है कि उसके विकास के लिए ये बांध ज़रूरी है.

वहीं मिस्र और सूडान को डर है कि इससे उनके हिस्से का पानी इथियोपिया में ही रोक लिया जाएगा.

अफ़्रीकी यूनियन के मौजूदा अध्यक्ष सिरिल रामाफ़ोसा के आह्वान पर तीनों देशों के नेताओं ने शुक्रवार को फ़ोन पर वार्ता की थी.

इस वार्ता के बाद सूडान और मिस्र दोनों ने अपने बयान में कहा कि इथियोपिया बांध में पानी भरने का समझौता होने तक रोकने के लिए तैयार हो गया है.

इथियोपिया ने अपने बयान में ऐसी किसी बात का ज़िक्र नहीं किया.

प्रधानमंत्री कार्याल की ओर से जारी बयान में कहा गया है, "इथियोपिया अगले दो सप्ताह में जीईआरडी में पानी भरना शुरू करेगा, इस दौरान निर्माण कार्य चलता रहेगा. इस दौरान तीनों देश लंबित मामलों पर अंतिम समझौता करेंगे."

तीनों देशों के बीच बांध को लेकर वार्ता इसी महीने शुरू हुई थी. विवाद का सबसे बड़ा विषय है कि सूखे की स्थिति में बांध कैसे काम करेगा और जो लंबित विवाद हैं उन्हें कैसे निबटाया जाएगा.

समाचार एजेंसी एएफ़पी ने राजनयिक सूत्रों के हवाले से कहा है कि मिस्र और सूडान की ओर से उठाए गए विरोध पर संयुक्त राष्ट्र की सुरक्षा परिषद सोमवार को चर्चा कर सकती है.

समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक़, इथियोपिया को बांध में पानी भरने से रोकने के लिए मिस्र ने मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाने की कोशिश की है और परिषद सोमवार को इसे लेकर बैठक भी कर सकती है.

इथियोपिया इस वार्ता में किसी भी बाहरी देश के दख़ल को लेकर चिंतित है.

फ़रवरी में अमरीकी राजस्व विभाग की मध्यस्था में हो रही वार्ता टूट गई थी. एबी सरकार ने अमरीका पर मिस्र का पक्ष लेने के आरोप लगाए थे.

अफ़्रीकी यूनियन आयोग के चेयरमैन मूसा फ़ाकी मोहम्मद ने तीनों देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच वार्ता के बाद एक बयान में कहा है कि 'तीनों नेता विवाद के निपटारे के लिए अफ्रीकी आयोग के नेतृत्व में वार्ता प्रक्रिया के लिए तैयार हो गए हैं.'

वहीं प्रधानमंत्री एबी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि "अफ़्रीका के मुद्दे का समाधान अफ़्रीका में ही होना चाहिए."

10 देशों से होकर गुज़रती है नील नदी

शनिवार को जारी अपने बयान में अफ़्रीकी यूनियन ने कहा है कि, "इथियोपिया, मिस्र और सूडान के बीच 90 फ़ीसदी विवादों का निपटारा हो चुका है."

यूनियन ने ये भी कहा है कि तीनों ही देश ऐसा कोई बयान न दें या ऐसा कोई क़दम न उठाएं जिससे वार्ता प्रक्रिया को ठेस पहुंच सकती है.

आयोग ने कहा है कि एक समिति गठित की गई है जो एक सप्ताह के भीतर सिरिल रामाफ़ोसा को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.

अफ़्रीका की सबसे बड़ी नदी नील दस देशों से होकर गुज़रती है और ये इन देशों की जीवनरेखा है. पानी के अलावा ये बिजली का भी अहम स्रोत है.

नील नदी पर बन रहे इथियोपिया के जीईआरडी बांध पर क़रीब 4 अरब डॉलर ख़र्च हुए हैं और ये 6450 मेगावॉट बिजली पैदा करेगा.

ह्यूस्टन, प्रेट्र। विश्व की सबसे लंबी नदी 'नील' की उत्पत्ति के संबंध में वैज्ञानिकों ने एक नया दावा किया है। उनका मानना है कि यह नदी पिछले अनुमानों के मुकाबले छह गुना पुरानी हो सकती है। एक नए अध्ययन के अनुसार, इसकी उत्पत्ति कम से कम 30 मिलियन यानी तीन करोड़ वर्ष पहले हुई थी।

नील नदी अफ्रीका की सबसे बड़ी विक्टोरिया झील से निकलकर विस्तृत सहारा मरुस्थल के पूर्वी भाग को पार करती हुई उत्तर में भूमध्यसागर में उतरती है। कर्क रेखा के आस-पास के वर्षा वनों से होते हुए यह नदी युगांडा, इथोपिया, सूडान और मिस्त्र से होकर बहते हुए काफी लंबी घाटी बनाती है।

नेचर जियो साइंस नामक जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पृथ्वी से निकले मैग्मा से बनी चट्टानों के बीच से प्रवाहित होने वाली इस नदी की भौगोलिक और भौतिक विशेषताओं के बीच संबंधों का आकलन किया।

इस अध्ययन के शोधकर्ताओं में अमेरिका के ऑस्टिन स्थित टेक्सास विश्वविद्यालय (यूटी) के शोधार्थी भी शामिल थे। इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि नील नदी की स्थलाकृति की प्रकृति दक्षिण से उत्तर की ओर झुकी हुई है। इसका एक कारण मैग्मा से बनी चट्टानें भी हैं क्योंकि इसकी ढलान दक्षिण से उत्तर की ओर है। अध्ययन में बताया गया है कि यदि भूगर्भिक परिवर्तन नहीं होते और मैग्मा की चट्टानों का निर्माण नहीं हुआ होता शायद आज नील नदी पश्चिम की ओर मुड़ गई होती।

नील नदी कहां से निकलती है - neel nadee kahaan se nikalatee hai

नदी की स्थालाकृति के लिए मेंटल है जिम्मेदार

शोधकर्ताओं ने कहा, 'पृथ्वी की स्थलाकृति में बदलाव के लिए पृथ्वी के आंतरिक हिस्से में ठोस रूप में पाया जाने वाला मेंटल भी महत्वपूर्ण है।' भूगर्भिक प्रक्रिया के कारण कई बार यह मैग्मा के रूप में पृथ्वी की सतही हिस्से में आ जाता है और ज्यादा मात्रा में लावा निकलने पर चट्टानों का निर्माण भी होता है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने इथियोपियाई हाइलैंड्स में प्राचीन ज्वालामुखी चट्टानों का अध्ययन करके नील नदी के भूवैज्ञानिक इतिहास का पता लगाया और नील डेल्टा के नीचे दफन नदी तलछट के नमूनों के साथ इसके जुड़ाव का अध्ययन किया।

तलछट और चट्टानों के नमूनों में एकरूपता

निष्कषरें के आधार पर शोधकर्ताओं ने कहा कि इथियोपियाई हाइलैंड्स की ऊंचाई लाखों सालों से एक जैसी है। इसकी वजह हाइलैंड्स के नीचे की मेंटल की चट्टानें हैं। यूटी के शोधकर्ता और इस अध्ययन के सह-लेखक थोरस्टेन बेकर ने कहा, 'हम जानते हैं कि इथियोपियाई पठार की उच्च स्थलाकृति का गठन लगभग तीन करोड़ साल पहले हुआ था।' जब वैज्ञानिकों ने कंप्यूटर सिमुलेशन के जरिये चार करोड़ साल पहले हुई टेक्टॉनिक गतिविधियों को दोबारा संचालित किया तो पाया कि भारी मात्रा में लावा निकल कर इथोपियाई पठारों की ओर बढ़ने लगा था। शोधकर्ताओं ने कहा कि अध्ययन के दौरान इन ज्वालामुखी चट्टानों और नदी के तलछट में से कई तत्व हैं जो यह बताते हैं कि इसकी उत्पत्ति तीन करोड़ साल पहले हुई थी।

नील नदी कौन सी झील से निकलती है?

नील नदी का स्रोत इथियोपिया में ताना झील है।

नील नदी कौन से देश में आती है?

नील नदी इथियोपिया से होकर मिस्र और सूडान में आती है.

नील नदी का दूसरा नाम क्या है?

मिस्र की भाषा में नील को 'इतेरु' कहते हैं, जिसका अर्थ है- 'महान नदी'। इस नदी ने मिस्र के समाज और जीवन को काफी प्रभावित किया है। यह नदी प्राचीन मिस्र के लोगों को भोजन, परिवहन, घर बनाने के लिए समान और अन्य कई चीज़ें उपलब्ध करवाती थी। प्राचीन मिस्र दो भागों में बंटा हुआ था – ऊपरी मिस्र और निचला मिस्र।

नील नदी क्यों प्रसिद्ध है?

मिस्र की प्राचीन सभ्यता का विकास इसी नदी की घाटी में हुआ है। इसी नदी पर मिस्र देश का प्रसिद्ध अस्वान बाँध बनाया गया है। नील नाम यूनानी भाषा के शब्द नीलोस (Νεῖλος) से निकला है।