‘अहमदनगर का किला’ पाठ कब, कहाँ और किसके द्धारा लिखा गया? Show ’अहमदनगर का किला’ पाठ अहमदनगर किले में बंदी रूप में रह रहे पंडित जवाहरलाल नेहरू द्धारा 13 अप्रैल, 1944 को लिखा गया। 30023 Views नेहरू जी ने चाँद को अपना सहचर क्यों कहा? उन्हें वह क्या सीख देता प्रतीत होता है?जेल में रहते हुए उन्हें चाँद ही अपना साथी इसलिए लगा क्योंकि वह प्रतिदिन निश्चित समय पर आकर उन्हें एक-एक दिन का अहसास करवाता था। साथ ही यह सीख भी देता था कि अंधकार के बाद प्रकाश अर्थात् दुख के बाद सुख के दिन भी अवश्य आते हैं। 8350 Views नेहरु जी कितनी बार जेलयात्रा कर चुके थे? नेहरू जी की नौवीं जेलयात्रा थी। 8706 Views अहमदनगर किले में रहकर नेहरू जी ने क्या कार्य करना प्रारंभ किया? अहमदनगर किले में नेहरू जी ने बागवानी का कार्य शुरू किया। क्योंकि वे खाली बैठकर समय व्यर्थ नहीं करना चाहते थे। उन्होंने पथरीली व कंकरीली जमीन को भी उपजाऊ बना डाला। 10523 Views अहमदनगर किले के साथ कौन-सी घटना जुड़ी है? अहमदनगर किले के साथ साहसी चाँद बीवी की घटना जुड़ी है जिसने अकबर की शाही सेना के विरुद्ध हाथ में तलवार उठाकर अपनी सेना का नेतृत्व किया, लेकिन बाद में उसके अपने ही एक आदमी ने उसकी हत्या कर दी। 12093 Views नेहरू जी ने चांद को अपना सहचर क्यों कहा है?नेहरू जी ने यह अभिव्यक्ति कब की? उत्तर - नेहरू जी ने यह अभिव्यक्ति (अहमदनगर का किला) अपनी नौवीं जेल-यात्रा के समय 13 अप्रैल, 1922 को की।
लेखक को चाँद क्या संदेश देता है?रंग बिरंगे फूल खिलते हैं फूलों पर भँवरे, तितलियाँ मँडराती प्रकृति के सौदंर्य में चार चाँद लगाती है। प्रात: कालीन भ्रमण तो अनूठा आनंद देता है।
चाँद नेहरू जी को क्या याद दिलाता है?Answer. उत्तर - नेहरू जी अहमदनगर किले में जब आए उस समय आकाश में झिलमिलाते दूज के चाँद ने उनका स्वागत किया। तब से शुक्ल पक्ष के इस चाँद का हर महीने जब-जब उदय हुआ, नेहरू जी का एक माह और बीतने का अनुभव होता गया। उनके बंदी जीवन का सहचर चाँद उन्हें यह याद दिलाता रहा कि हर दुखद समय के बाद सुखद समय जरूर आता है।
नेहरू जी के बंदी जीवन का कौन स्थायी सहचर रहा?श्री जवाहर लाल नेहरू | भारत के प्रधानमंत्री
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