मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था PDF - madhy pradesh mein panchaayatee raaj vyavastha pdf

Panchayati Raj Vyavastha mp pdf

GkExams on 22-05-2022

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सम्बन्धित प्रश्न

मध्यप्रदेश में कितनी जिला पंचायतें हैं ?

मध्य प्रदेश में पंचायत की संख्या



Comments Janavi on 28-10-2022

Tristariya panchayti raj vyavastha par tipanni likhiye

Govind on 21-09-2022

Balvant rai mhta samiti ka gdhn kb huva tha

Govind on 21-09-2022

Balvant rai mhta samiti ka gathan

Rakesh sisodiya on 03-09-2022

Ha

मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था PDF - madhy pradesh mein panchaayatee raaj vyavastha pdf

मध्यप्रदेश पंचायती राज

  • मध्यप्रदेश में 73 वें  संविधान संशोधन के अंतर्गत 30 दिसम्बर 1993 को म.प्र पंचायती राज अधिनियम 1993 लागु किया गया, जिसे 25, जनवरी 1994 को पारित किया गया और 20 अगस्त, 1994 को लागू किया गया|
  •  इस अधिनियम के अनुसार पंचायती राज व्यवस्था के तीन स्तर है। सभी तीनों स्तरों का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है . 

ग्राम पंचायत ( Gram Panchayat )

  • 1000 से अधिक जनसँख्या वाले गावों में एक ग्राम पंचायत बनाई जाएगी|
  • गाव को वार्ड में बाटा जाता है|
  • मुखिया: सरपंच
  • सदस्य संख्या न्यूनतम: 10
  • सदस्य संख्या अधिकतम: 20
  • सरपंच व पंच प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा व उप-सरपंच अप्रत्यक्ष रूप से पंचों द्वारा चुना जाता है।
  • ग्राम के सदस्य मतदाता होते है।

पंचायत सचिव

पंचायत द्वारा नियुक्त किया जाता है, पर वह एक शासकीय कर्मचारी होता है।

  • सरपंच, उपसरपंच को उनके 5 साल के कार्यकाल से पहले भी, अविश्वास प्रस्ताव द्वारा हटाया जा सकता है।
  • Right To Recall के अधिकार द्वारा सरपंच निर्वाचित होने के 2 बर्ष के बाद 2/3 बहुमत द्वारा उसे हटाया जा सकता है|
  • वर्तमान में पंचायतो की सबसे बड़ी समस्या वित की कमी है।
  • वर्तमान म.प्र. में ग्राम पंचायतो की संख्या: 23,012
  • किसी भी ग्रामसभा में 200 या उससे अधिक की जनसंख्या का होना आवश्यक है।
  • 1000 तक की आबादी वाले गाँवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य, 2000 तक 11 तथा 3000 की आबादी तक 15 सदस्य हाेने चाहिए।
  • ग्राम सभा की बैठक साल में दो बार होनी जरूरी है। जिसकी सूचना 15 दिन पहले नोटिस से देनी होती है।
  • ग्रामसभा की बैठक बुलाने का अधिकार ग्राम प्रधान को होता है। बैठक के लिए कुल सदस्यों की संख्या के 5वें भाग की उपस्थिति जरूरी होती है।

ग्राम पंचायत के कार्य

  1. गाँव की सफाई, प्रकाश एवं पेयजल व्यवस्था, आँगनवाड़ियो का संचालन, ग्रामीण विकास कार्यक्रमो की निगरानी
  2. कृषि संबंधी कार्य
  3. ग्राम्य विकास संबंधी कार्य
  4. प्राथमिक विद्यालय, उच्च प्राथमिक विद्यालय व अनौपचारिक शिक्षा के कार्य
  5. युवा कल्याण सम्बंधी कार्य
  6. राजकीय नलकूपों की मरम्मत व रखरखाव
  7. चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सम्बंधी कार्य
  8. महिला एवं बाल विकास सम्बंधी कार्य
  9. पशुधन विकास सम्बंधी कार्य
  10. समस्त प्रकार की पेंशन को स्वीकृत करने व वितरण का कार्य
  11. समस्त प्रकार की छात्रवृत्तियों को स्वीकृति करने व वितरण का कार्य
  12. राशन की दुकान का आवंटन व निरस्तीकरण
  13. पंचायती राज सम्बंधी ग्राम्यस्तरीय कार्य आदि।

ग्राम पंचायत की समितियां

  1.  नियोजन एवं विकास समिति
  2. निर्माण कार्य समिति
  3. शिक्षा समिति
  4. प्रशासनिक समिति
  5. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
  6. जल प्रबंधन समिति

ग्राम पंचायत की आय के साधन

  •  भारत सरकार से प्राप्त अंशदान, अनुदान या ऋण अथवा अन्य प्रकार की निधियाँ
  • राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त चल एवं अचल सपंत्ति से प्राप्त आय
  • भूराजस्व एवं सेस से प्राप्त राशियाँ
  • राज्य सरकार द्वारा प्रदत्त अंशदान, अनुदान या ऋण सबंधी अन्य आय
  • राज्य सरकार की अनुमति से किसी निगम, निकाय, कम्पनी या व्यक्ति से प्राप्त अनुदान या ऋण
  • दान के रूप में प्राप्त राशियाँ या अंशदान
  • सरकार द्वारा निर्धारित अन्य स्रोत

जनपद पंचायत ( Janpad Panchayat )

  •  सदस्य संख्या न्यूनतम: 10
  • सदस्य संख्या अधिकतम: 25
  • वर्तमान मध्यप्रदेश में 313 जनपद पंचायतें हैं !
  • यह मध्य स्तर है , जिसका गठन विकासखण्ड पर होता है।
  • 5 हजार से अधिक आबादी वाले विकासखण्ड में एक जनपद पंचायत का गठन किया जाता है।
  • सदस्यो का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा जबकि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यो द्वारा किया जाता है।
  • पदेन सदस्य: सांसद , सरपंच ओैर विधायक होते हे !
  • सहकारी बैकों का अध्यक्ष सहयोजित सदस्य होता है।
  • जनपद पंचायत का मुख्य प्रशासकीय अधिकारी CEO होता जो राज्य लोक सेवा आयोग द्वारा चयनित अधिकारी होता है !

जनपद पंचायत के आय के साधन

  •  जिला परिषद् से प्राप्त स्थानीय सेस, भूराजस्व का अंश और अन्य रकम
  • कर, चुंगी, अधिभार (surcharge) और फीस से प्राप्त आय
  • सार्वजनिक घाटों, मेलों, हाटों तथा ऐसे ही अन्य स्रोतों से आनेवाली आय
  • वैसे अंशदान या दान, जो जिला परिषदों, ग्राम पंचायतों, अधिसूचित क्षेत्र समितियों, नगरपालिकाओं या न्यासों एवं संस्थाओं से प्राप्त हो
  • भारत सरकार और राज्य सरकार से प्राप्त अंशदान या अनुदान या ऋण सहित अन्य प्रकार की निधियाँ
  • अन्य संस्थाओं से प्राप्त ऋण आदि

जनपद पंचायत की स्थाई समितियाँ

  •  कृषि, पशुपालन, लघु सिंचाई और सहकारिता समिति
  • शिक्षा समिति जिसमें समाज-शिक्षा, स्थानीय कला और शिल्प, लघु बचत तथा कुटीर उद्योग और शिक्षा आदि होंगे
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य और सफाई समिति, यातायात और निर्माण समिति
  • आर्थिक और वित्तीय समिति
  • समाज कल्याण समिति इत्यादि

सदस्य

  • प्रखंड की प्रत्येक पंचायत के सदस्यों द्वारा निर्वाचित दो सदस्य होंगे. जनसंख्या के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए स्थान अरक्षित रहेंगे.
  • आरक्षित पदों में भी तीस प्रतिशत पद अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लिए अरक्षित रहेंगे. यदि दो ही पद आरक्षित हों तो एक महिला के लिए आरक्षित रहेगा.
  • अनारक्षित पदों में भी 30% स्थान महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे.

जिला पंचायत ( Jila Panchayat )

  •  पंचायती राज व्यवस्था का शीर्षस्तर ज़िला पंचायत है। इसका अध्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित होता है।

  ज़िला पंचायत में निम्नलिखित सदस्य होते हैं

  •  इसकी सदस्य संख्या न्यूनतम 10 व अधिकतम 35 हो सकती है !
  • अध्यक्ष, निर्वाचित सदस्य, ज़िले से सम्बन्धित, लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा तथा विधान परिषद् के सदस्य
  • महिलाओं के लिए एक-तिहाई स्थान आरक्षित।
  • वर्तमान मध्यप्रदेश में 51 जिला पंचायतें हैं !
  • 50 हजार या अधिक आबादी वाले क्षेत्र में एक जिला पंचायत का गठन किया जाता है
  • सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से व अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का निर्वाचन सदस्यो द्वारा अप्रत्क्ष रूप से किया जाता है।
  • इसके पदेन सदस्य के रूप मे जनदप पंचायत के अध्यक्ष , विधायक व सांसद होते है।
  • कलेक्टर भी पदेन सदस्य होता है।
  • कार्यकारी अधिकारी एक IAS होता है। जो राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।

सचिव:

  •  सचिव ज़िला पंचायत का प्रमुख अधिकारी होता है। वह ज़िला पंचायत की माँग पर सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है। सचिव ज़िला पंचायत का बजट तैयार करता है तथा उसे ज़िला पंचायत के सम्मुख प्रस्तुत करता है।
  • वह ज़िला पंचायत की ओर से सरकारी अनुदान तथा धन प्राप्त करता है। उसके द्वारा ज़िला पंचायत के आय-व्यय की अदायगी की जाती है।

 मुख्य कार्यपालिका अधिकारी

  •   यह प्रान्तीय सरकार द्वारा भारतीय प्रशासनिक सेवा के उच्च टाइम स्केल अधिकारियों में से नियुक्त किया जाता है।

 ज़िला पंचायत के कार्य:

  •  ज़िला पंचायत ज़िले में क्षेत्र पंचायतों तथा पंचायतों के कार्यों में ताल मेल उत्पन्न करती है, उनको परामर्श देती है तथा उनके कार्यों की देखभाल करती है। ज़िला पंचायत को स्वास्थ्य, शिक्षा तथा समाज कल्याण आदि के क्षेत्रों में कार्यकारी कार्य भी करने पड़ते हैं।

 ज़िला पंचायत की समितियाँ

  1.  कार्यकारी समिति
  2. नियोजन एवं वित्त समिति
  3. उद्योग एवं निर्माण कार्य समिति
  4. शिक्षा समिति
  5. स्वास्थ्य एवं कल्याण समिति
  6. जल प्रबन्धन समिति

आय के स्रोत

  1. केन्द्र तथा प्रान्तीय सरकारों द्वारा अनुदान,
  2. अखिल भारतीय संस्थाओं से प्राप्त अनुदान,
  3. राजस्व का निश्चित हिस्सा,
  4. ज़िला पंचायत द्वारा क्षेत्र पंचायतों से की गई वसूलियाँ,
  5. ज़िला पंचायत द्वारा प्रशासनिक ट्रस्ट्रों से आय,
  6. ज़िला पंचायत द्वारा तथा लोगों द्वारा दिया गया अनुदान,
  7. ज़िला पंचायत सरकारी ऋण तथा सरकार की पूर्व अनुमति से ग़ैर-सरकारी ऋण भी ले सकती है।

 पंचायती राज व्यवस्था से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

  •  26 जनवरी 2001 से ग्राम स्वराज योजना लागू की गई !
  • चुनाव संबंधी कार्यों के लिये 19 जनवरी 1994 को मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग का गठन किया गया ! जो इन तीनों स्तरों के चुनाव का कार्य करवाता है ! मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के प्रथम अध्यक्ष B. लौहानी थे !
  • मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के वर्तमान अध्यक्ष आर. परशुराम हैं !
  • मध्य प्रदेश निर्वाचन आयोग के वर्तमान सचिव सुनीता त्रिपाठी हैं !
  • पंचायतों को राज्य शासन से वित्त उपलब्ध करानें हेतु मध्य प्रदेश वित्त आयोग का गठन प्रत्येक 5 बर्ष के अंतराल पर किया जाता है !
  • मध्यप्रदेश सरकार के वित्त विभाग ने पांचवें राज्य वित्त आयोग का गठन 2017 में किया है। आयोग के अध्यक्ष के तौर पर वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व गृहमंत्री हिम्मत कोठारी को अध्यक्ष और मिलिंद वाईकर को सदस्य सचिव की भूमिका दी गई है।
  • मध्य प्रदेश पंचायती राज अधिनियम के अंतर्गत मध्य प्रदेश में प्रथम चुनाब मार्च अप्रैल 1994 में हुऐ !
  • तीनों स्तरों पर SC,ST,OBC व महिलाओं के लिये आरक्षण की भी व्यवस्था की गई है !
  • 73 वाँ संविधान संशोधन लागू करने वाला म.प्र. प्रथम राज्य था।
  • 1907 में सर्वप्रथम दतिया में नगरपालिका का गठन किया गया था !
  • 25 जनबरी को प्रतिदिन मतदाता दिबस मनाया जाता है !
  • म.प्र. पहला राज्य है जिनसे स्थानीय निकायो में Right To Recall का प्रावधान किया है।
  • मध्यप्रदेश में Right To Recall का सर्वप्रथम प्रयोग शहडोल जिले की अनुपपूर तहसील में किया गया था|

मध्य प्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था क्या है?

वर्तमान मध्यप्रदेश में 313 जनपद पंचायतें हैं ! यह मध्य स्तर है , जिसका गठन विकासखण्ड पर होता है। 5 हजार से अधिक आबादी वाले विकासखण्ड में एक जनपद पंचायत का गठन किया जाता है। सदस्यो का चुनाव प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा जबकि अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से सदस्यो द्वारा किया जाता है।

मध्य प्रदेश में पंचायती राज्य व्यवस्था के कुल कितने स्तर हैं?

भारत के संविधान के ७३ वें संशोधन के अनुरूप प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था को सफल बनाने, विकास योजनाओं को मूर्तरूप दिया जाकर लोकतंत्रीय ग्रामीण स्थानीय व्यवस्था और जनभागिदारी को सुदृड़ करना, आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय के लिये संविधान की ११ वीं अनुसूची में वर्णित विषयों से संबंधित योजनाओं के क्रियान्वयन, ...

मध्यप्रदेश में पंचायती राज व्यवस्था कब लागू हुई?

भारत के संविधान के 73 वें संशोधन अधिनियम 1992 के अनुरूप प्रदेश में मध्य प्रदेश पंचायत राज अधिनियम, 1993 (क्रमांक 1 सन् 1994) दिनांक 25 जनवरी 1994 से लागू किया गया है।

मध्य प्रदेश में पंचायती राज दिवस कब मनाया जाता है?

पंचायती राज मंत्रालय हर साल 24 अप्रैल को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाता है. 73वें संशोधन के तहत संविधान में भाग-9 जोड़ा गया था. जिसके अंतर्गत पंचायती राज से संबंधित उपबंधों की बात की गई है. साल 2010 से 24 अप्रैल को हर साल ये दिवस मनाया जा रहा है.