मध्य काल में हुए प्राकृतिक परिवर्तन का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा? - madhy kaal mein hue praakrtik parivartan ka maanav jeevan par kya prabhaav pada?

मध्यपाषाण काल में हुए प्राकृतिक परिवर्तन का मानव जीवन पर प्रभाव

मध्यपाषाण काल में प्रकृति में अनेक परिवर्तन हुए। जिसका प्रभाव मानव जीवन पर पड़ा। नई परिस्थिति से तालमेल बैठाने के लिए उसने छोटे उपकरण बनाना प्रारंभ कर किया जलवायु पुहले की अपेक्षा गर्म हुई तो पृथ्वी की उर्वरा शक्ति बढ़ी और घास- व वनस्पतियों के मैदान विकसित हुए। घास को खानेवाले छोटे जानवर जैसे हिरण, खरगोश, भेड़ बकरी पैदा हुए। मानव इन घासों को एकत्र करने लगी। इन घासों में कई आज के अनाजों की पूर्वज थीं। इनका प्रयोग मानव ने भोजन में किया। इस प्रकार मध्यपाषाण युग में मानव संग्राहक बन गया और उसने कुत्ता पालना शुरू कर दिया।

मध्यपाषाण काल में हुए प्राकृतिक परिवर्तन का मानव जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा?

चूँकि इस समय में लोगों द्वारा सबसे पहले उपयोग किए गए औजार पत्थरों से बनाए गए थे, इसलिए मानव विकास के इस चरण को पाषाण युग के नाम से जाना जाता है ।

मध्य पाषाण युग में मानव जीवन में क्या परिवर्तन आए?

प्रागैतिहासिक काल जिसके दौरान पत्थर का उपयोग, मनुष्यों ने उपकरण और हथियार बनाने के लिए किया। पाषाण युग इतिहास का वह काल है जब मानव का जीवन पत्थरों (संस्कृत - पाषाणः) पर अत्यधिक आश्रित था। उदाहरणार्थ पत्थरों से शिकार करना, पत्थरों की गुफाओं में शरण लेना, पत्थरों से आग पैदा करना इत्यादि।

मध्य पाषाण काल में क्या बदलाव आये?

भारत में मध्य पाषाण काल का आरम्भ जीवन शैली में बदलाव आया। तापमान में भी वृद्धि हुई। साथ-साथ पशु और वनस्पति में भी बदलाव आये। इस युग को मध्य पाषण युग इसलिए कहा जाता है, क्योंकि यह युग पुरा पाषाण युग और नव पाषाण युग के बीच का काल है।