भारत का सामान्य परिचय भारत के राज्यों की अन्तर्राज्यीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति भारत के भू-आकृतिक प्रदेश भारत के दर्रे भारत की नदियाँ(हिमालय से निकलने वाली नदियाँ) भारत की नदियाँ(प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र) भारत की प्रमुख झीलें भारत के प्रमुख जल प्रपात भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएं भारत के प्रमुख बांध भारत के राष्ट्रीय प्रतीक भारत की जलवायु भारत का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता वैदिक काल प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म) प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(बौद्ध धर्म) महाजनपद काल भारत पर विदेशी आक्रमण मौर्यकाल मौर्योत्तर काल गुप्त काल गुप्तोत्तर काल दक्षिण भारत का इतिहास मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत पूर्व मध्यकाल में भारत के कुछ राजवंश अरबों का आक्रमण तुर्कों का आक्रमण दिल्ली सल्तनत गुलाम/ममलूक वंश खिलजी वंश तुगलक वंश सैयद वंश लोदी वंश सल्तनतकालीन स्थापत्य कला सल्तनत कालीन प्रशासन सल्तनत कालीन स्वतंत्र प्रांतीय राज्य उत्तर भारत के स्वतंत्र राज्य दक्षिण भारत के स्वतंत्र राज्य (विजयनगर साम्राज्य) दक्षिण भारत के स्वतंत्र राज्य (बहमनी साम्राज्य) सूफी एवं भक्ति आन्दोलन(सूफी आन्दोलन) सूफी एवं भक्ति आन्दोलन(भक्ति आन्दोलन) बाबर हुमायूँ अकबर सलीम(जहांगीर) शाहजहां औरंगजेब उत्तरकालीन मुगल शासक मुगल शासन प्रणाली मुगलकालीन कला और साहित्य 18वीं शताब्दी में भारतीय समाज भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन नवीन राज्यों का उदय मराठा साम्राज्य भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 1857 का विद्रोह सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन भाग-1 सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन भाग-2 निम्न जाति, जनजाति, मजदूर तथा किसान आन्दोलन भाग-1 निम्न जाति, जनजाति, मजदूर तथा किसान आन्दोलन भाग-2 भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भारत की प्राकृतिक वनस्पतियां भारत में वन्य जीवन भारत की मिट्टियाँ Show
भारत जी.के.भारत का सामान्य परिचय भारत के राज्यों की अन्तर्राज्यीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्थिति भारत के भू-आकृतिक प्रदेश भारत के दर्रे भारत की नदियाँ(हिमालय से निकलने वाली नदियाँ) भारत की नदियाँ(प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र) भारत की प्रमुख झीलें भारत के प्रमुख जल प्रपात भारत की प्रमुख नदी घाटी परियोजनाएं भारत के प्रमुख बांध भारत के राष्ट्रीय प्रतीक भारत की जलवायु भारत का इतिहास सिन्धु घाटी सभ्यता वैदिक काल प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(जैन धर्म) प्राचीन धार्मिक आन्दोलन(बौद्ध धर्म) महाजनपद काल भारत पर विदेशी आक्रमण मौर्यकाल मौर्योत्तर काल गुप्त काल गुप्तोत्तर काल दक्षिण भारत का इतिहास मध्यकालीन भारतीय इतिहास के स्रोत पूर्व मध्यकाल में भारत के कुछ राजवंश अरबों का आक्रमण तुर्कों का आक्रमण दिल्ली सल्तनत गुलाम/ममलूक वंश खिलजी वंश तुगलक वंश सैयद वंश लोदी वंश सल्तनतकालीन स्थापत्य कला सल्तनत कालीन प्रशासन सल्तनत कालीन स्वतंत्र प्रांतीय राज्य उत्तर भारत के स्वतंत्र राज्य दक्षिण भारत के स्वतंत्र राज्य (विजयनगर साम्राज्य) दक्षिण भारत के स्वतंत्र राज्य (बहमनी साम्राज्य) सूफी एवं भक्ति आन्दोलन(सूफी आन्दोलन) सूफी एवं भक्ति आन्दोलन(भक्ति आन्दोलन) बाबर हुमायूँ अकबर सलीम(जहांगीर) शाहजहां औरंगजेब उत्तरकालीन मुगल शासक मुगल शासन प्रणाली मुगलकालीन कला और साहित्य 18वीं शताब्दी में भारतीय समाज भारत में यूरोपीय कंपनियों का आगमन नवीन राज्यों का उदय मराठा साम्राज्य भारतीय राज्यों के प्रति ब्रिटिश नीति ब्रिटिश शासन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव 1857 का विद्रोह सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन भाग-1 सामाजिक एवं धार्मिक सुधार आन्दोलन भाग-2 निम्न जाति, जनजाति, मजदूर तथा किसान आन्दोलन भाग-1 निम्न जाति, जनजाति, मजदूर तथा किसान आन्दोलन भाग-2 भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन भारत की प्राकृतिक वनस्पतियां भारत में वन्य जीवन भारत की मिट्टियाँपूर्व मध्यकाल में भारत के कुछ राजवंश छठी शताब्दी के अंतिम चरण में गुप्त साम्राज्य के पतन के साथ भारतीय राजनीति में अनेक नए राज्यों का उदय हुआ। गुप्तों के पतन के बाद उत्तर में कन्नौज राजनीतिक शक्ति का प्रमुख केन्द्र बन गया। गुप्त साम्राज्य के पतन के परिणामभारत के विभिन्न भागों में राजनीतिक सत्ता के अनेक स्वतंत्र केन्द्रों का उदय। भारत में बहु-राज्यवादी व्यवस्था के विस्तार का प्रारंभ। जाति व्यवस्था अत्यधिक जटिल हो गयी एवं समाज रूढ़िवादी हो गया। अर्थव्यवस्था का पतन शुरू हुआ एवं सर्वत्र सामंतवाद की जड़े मजबूत हुई। उत्तर भारत में राजनीतिक अराजकता की स्थित बन गयी। राजनीतिक अस्थिरता एवं अनके छोटे राज्यों के बनने के कारण विदेशी आक्रमणकारियों द्वारा भारतीय हिस्सों को जीतना आसान हो गया। पूर्व मध्यकालीन प्रमुख राजवंशराजवंश(पूर्व मध्यकालीन)उत्तर भारतदक्षिण भारतपुष्य भूति वंश(थानेश्वर, हरियाणा)चालुक्य वंश(वातापी)मौखरी वंश(कन्नौज)पल्लव वंश(कांची)पाल वंश, सेन वंश(बंगाल)पांड्य वंश(मदुरा)राजपूत वंश गुर्जर प्रतिहार वंश(गुजरात) चौहान वंश(दिल्ली) चन्देल वंश(बंुदेलखंड/जेजाक भुक्ति) परमार वंश(मालवा) चालुक्य(सोलंकी) वंश(अन्हिलवाड, गुजरात)चोल वंश(चोलमण्डलम्)हिंदुशाही वंश(गांधार)राष्ट्रकूट वंश(मान्यखेत)पाल वंश(बंगाल)पाल वंश की स्थापना बौद्ध धर्म के अनुयायी गोपाल ने की थी। गोपाल ने बिहार शरीफ के निकट ओदन्तीपुरी विहार की स्थापना करवायी थी। धर्मपालउपाधियां - परमेश्वर, परम भट्टारक एवं महाराजाधिराज। यह गोपाल का पुत्र एवं उत्तराधिकारी था। इसने ‘कन्नौज के त्रिदलीय संघर्ष‘ की शुरूआत की। गुजराती कवि सोड्ढ़ल ने धर्म पाल को ‘उत्त्तरापथ स्वामिन’ कहा है। धर्मपाल ने कन्नौज के शासक इंद्रायुद्ध को हराकर चक्रायुद्ध को अपने संरक्षण में कन्नौज का शासक बनाया। धर्मपाल ने ‘विक्रमशिला विश्वविद्यालय’ की स्थापना करवायी। धर्मपाल के शासनकाल में यात्री सुलेमान भारत आया था। सुलेमान ने धर्मपाल को ‘रूहमा’ कहा है। देवपालदेवपाल ने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाया था। देवपाल ने प्रतिहार शासक नागभट्ट-2 को पराजित किया। देवपाल ने परम सौगात की उपाधि ग्रहण की। महिपाल प्रथमइसे पाल वंश का दूसरा संस्थापक माना जाता है। गुजरात का चालुक्य वंशगुजरात के चालुक्य वंश की स्थापना मूलराज-1 ने की थी एवं अपनी राजधानी अन्हिलवाड़ को बनाया था। भमी-1 के सामन्त विमल शाह ने माउन्ट आबू, राजस्थान में दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण करवाया था। भीम-1 के समय महमूद गजनवी ने सोमनाथमंदिर पर आक्रमण किया था तथा भारी लूटपाट की थी। मूलराज-2 ने 1178 ई. में आबू पर्वत के समीप मुहम्मद गौरी को परास्त किया। 1187 ई. में कुतुबुद्दीन एबक ने भीम-2 को परास्त किया था। चंदेल वंश(जेजाक भुक्ति)चंदेल वंश का प्रथम शासक ननुक था। चंदेल प्रतिहारों के सामन्त थे। यशोवर्मन ने खजुराहो के चतुर्भुज मंदिर(विष्णु मंदिर) का निर्माण करवाया। धंगदेव ने खजुराहो में अनेक मंदिरों का निर्माण करवाया। कीर्तिवर्मन ने महोबा के निकट कीरत सागर का निर्माण करवाया। चौहान वंश(शाकम्भरी, अजमेर के निकट)शाकंभरी में चौहान वंश की स्थापना वासुदेव ने की थी। अजयराज ने अजमेर(अजयमेरू) नगर की स्थापना की थी। प्रारंभ में चौहान शासक प्रतिहारों के सामंत थे। दसवीं शताब्दी के प्रारंभ में वाक्पति राज प्रथम ने प्रतिहारों से स्वंय को स्वतंत्र कर लिया। पृथ्वीराज-3 (पृथ्वीराज चौहान)अन्य नाम - राय पिथौरा यह सोमेश्वर का पुत्र था जो 1178 ई. में दिल्ली की गद्दी पर बैठा। 1182 ई. में पृथ्वीराज चौहान एवं चन्देल शासक परमार्दिदेव के बीच युद्ध हुआ इसमें परमार्दिदेव की पराजय हुई तथा परमार्दिदेव के लोक प्रसिद्ध सेना नायक आल्हा-ऊदल वीरगति को प्राप्त हुए। तराइन का प्रथम युद्धसन 1191 ई. में मुहम्मद गौरी एवं पृथ्वीराज चौहान के बीच तराइन का प्रथम युद्ध हुआ। इस युद्ध में मुहम्मद गौरी बुरी तरह पराजित एवं घायल हुआ और अपनी सेना के साथ वापस चला गया। तराइन का द्वितीय युद्धसन् 1192 ई. को पुनः मुहम्मद गौर एवं पृथ्वीराज चौहान के बीच युद्ध हुआ। परन्तु गौरी ने कुछ समय बाद प्रातःकाल में चौहान की सेना पर आक्रमण किया। सेना को हमले का आभास नहीं था अतः चौहान की हार हुई एवं चौहान को बंदी बना लिया गया। आप चौहान वंश और पृथ्वीराज चौहान के बारे में अधिक जानकारी यहां देख सकते हैं - सांभर का चौहान वंश राष्ट्रकूट वंशराष्ट्रकूटों के अभिलेख में उनका मूल स्थान लट्टलूर(लातूर, बीदर जिला) माना गया है किन्तु बाद में एलिचपुर (बरार) में इस वंश का राज्य स्थापित हुआ। दन्तिदृर्गराष्ट्रकूटों के स्वतंत्र राज्य की स्थापना दन्तिदुर्ग ने की थी। इसने अपनी राजधानी मान्यखेत(मालखण्ड) बनायी। इसने चालुक्य शासक कीर्तिवर्मन को परास्त कर अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की। चालुक्य शासक विक्रमादित्य ने असे पृथ्वी वल्लभ और खड्वालोक की उपाधि दी। दन्तिदुर्ग ने महाराजाधिराज, परमेश्वर, परमभट्टारक की उपाधि धारण की। दन्तिदुर्ग ने हिरण्यगर्भदान नामक महायज्ञ किया। कृष्ण-1कृष्ण प्रथम ने द्रविड शैली के एलोरा के प्रसिद्ध कैलाशनाथ मन्दिर का निर्माण करवाया। कृष्ण प्रथम ने चालुक्य राज्य का अस्तित्व समाप्त कर दिया। गोविन्द-3इसने पल्लवों, पाण्ड्यों, केरलों तथा गंग राजाओं के संघ को नष्ट कर दक्षिण में अपनी सार्वभौम सत्ता स्थापित की। मध्य काल कब से कब तक माना जाता है?इसे दो अवधियों में विभाजित किया जा सकता है: 'प्रारंभिक मध्ययुगीन काल' 6वीं से लेकर 13वीं शताब्दी तक और 'गत मध्यकालीन काल' जो 13वीं से 16वीं शताब्दी तक चली, और 1526 में मुगल साम्राज्य की शुरुआत के साथ समाप्त हो गई।
मध्यकाल में नाम क्या था?Detailed Solution. मध्यकालीन भारत में, "फणम" शब्द सिक्कों को संदर्भित करता है।
मध्यकालीन इतिहास के जनक कौन है?हेरोडोटस ( इतिहास का जनक). मध्यकाल का प्रथम शासक कौन था?कुतुबुद्दीन ऐबक (1206 ई.
मध्यकालीन भारत में दिल्ली सल्तनत का पहला शासक एवं गुलाम वंश का संस्थापक तुर्की सुल्तान 'कुतुबुद्दीन ऐबक' था।
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