मोतियाबिंद की सर्जरी होने के बाद ठीक होने में कितना समय लगता है? - motiyaabind kee sarjaree hone ke baad theek hone mein kitana samay lagata hai?

मोतियाबिंद को कैटरैक्‍ट भी कहा जाता है। इसमें आंखों के लेंस में धुंधलापन होता है, जिससे देखने की क्षमता में कमी आती है। मोतियाबिन्द तब होता है जब आंखों में प्रोटीन के गुच्छे जमा हो जाते हैं जो लेंस को रेटिना को स्पष्ट चित्र भेजने से रोकते हैं।

जनसंख्या आधारित अध्ययन के मुताबिक, भारत में 60 वर्ष और उससे अधिक लोगों में से करीब 74% लोगों को मोतियाबिंद है या उनकी मोतियाबिंद सर्जरी हो चुकी है। इनमें महिलाओं की संख्या अधिक है और न्यूक्लियर मोतियाबिंद इसका सबसे सामान्य प्रकार है।

इमैच्यौर: यह मोतियाबिंद का शुरुआती चरण होता है। इस दौरान आंखों के लेंस का एक छोटे से भाग पर उजली सी परत जम जाती है जिससे देखने में थोड़ी परेशानी होने लगती है। अधिकांश लोग इस लक्षण पर अधिक गौर नहीं करते। सच यह है कि लोगों को यह अंदाजा ही नहीं होता कि उनको यह परेशानी मोतियाबिंद के कारण हो रही है।

मैच्यौर: जब शुरुआती संकेतों को नजरअंदाज कर दिया जाता है, तो मोतियाबिंद की बीमारी एक ऐसे चरण में पहुंच जाती है जहां आंखों के आगे बादल जैसी चीज स्थाई रूप से जम जाती है। यह चीज अपारदर्शी होती है और इससे रोगियों की आंखों की रोशनी कम होने लगती है। उन्हें देखने में दिक्कत होने लगती है। इस अवस्था में रोजमर्रा की दिनचर्या प्रभावित होने लगती है।

हाइपरमैच्योर: यह बीमारी की बहुत ही गंभीर स्थिति होती है जिसमें आंखों से पानी बहना शुरू हो जाता है। आंखें सूज जाती हैं। रिसाव के कारण आंखों के लेंस छोटे और झुर्रियों वाले हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में सूजन के कारण आंख में दर्द होने की शिकायत भी रहती है। इस अवस्था में सर्जरी के दौरान जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। डॉक्टर के अनुसार, मोतियाबिंद की बीमारी का समय पर इलाज नहीं कराया गया तो यह गंभीर बन जाता है।

मोतियाबिंद को अति गंभीर अवस्था तक नहीं पहुंचने देंं

असल बात यह है कि मोतियाबिंद की बीमारी हो जाए तो उसे टालना ही नहीं चाहिए क्योंकि इससे बीमारी बहुत गंभीर स्थिति तक पहुंच सकती है। वर्तमान में अनेक ऐसी तकनीक मौजूद हैं जिनकी सहायता से मोतियाबिंद का शुरुआती अवस्था में ही इलाज हो सकता है और इसे आंखों के लेंस के आगे से आसानी से हटाया जा सकता है।

जब कोई रोगी मोतियाबिंद की बीमारी का समय पर इलाज नहीं करा पाता है तो वह बहुत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। ऐसी स्थिति में आंखों के लेंस के आगे पड़ी उजली परत को हटाने में सर्जन को बहुत मुश्किल होती है और इसमें जटिलताओं का सामाना भी करना पड़ता है।
दरअसल शुरुआती चरण में मोतियाबिंद का जब इलाज कराया जाता है तो आंखों के लेंस के आगे के परत को टे टुकड़ों में करके निकालने के लिए अल्ट्रासाउंड और लेजर का उपयोग कम ही किया जाता है। इस समय बीमारी वाली परत मुलायम होती है, इसलिए इसे हटाने में आसानी होती है। जब बीमारी बहुत गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है तो आंखों के सामंने वाली परत कठोर हो जाता है। इसलिए सर्जरी के दौरान जटिलताओं का सामना करना पड़ता है।

इसलिए ऐसी स्थिति से बचने के लिए मोतियाबिंद की सर्जरी को टालना नहीं चाहिए बल्कि जैसे ही रोगी को यह एहसास हो कि उसे देखने में दिक्कत हो रही है तो उसे तुरंत अपनी आंखों की जांच करानी चाहिए। आंखों की जांच कराने के बाद अगर उसे मोतियाबिंद होने का पता चले तो बिना देर किए मोतियाबिंद का इलाज कराना चाहिए। वास्तव में जब बीमारी शुरुआती अवस्था में होती है तो इसका इलाज करना आसान हो जाता है और सर्जरी के बाद रिकवरी में भी आसानी होती है।

मोतियाबिंद की सर्जरी इन तरीकों से की जाती हैः-

मोतियाबिंद की सर्जरी अनेक प्रकार से की जाती है। मरीज का इलाज किस पद्धति या तकनीक से किया जाना है यह मरीज के आंखों के स्वास्थ्य, तकनीक की उपलब्धता और सर्जन की विशेषज्ञता आदि बातों पर निर्भर करता है।

फेको इमल्सीफिकेशन:

इस प्रक्रिया द्वारा मोतियाबिंद का इलाज बहुत सालों से किया जा रहा है। इस विधि में एक छोटे से चीरा के माध्यम से बीमारी का इलाज किया जाता है। इसमें किसी तरह का टॉका लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है। यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है और इसमें रोगी जल्दी ठीक होता है।

माइक्रो-इंसिजन कैटेरेक्ट (मोतियाबिंद) सर्जरी (MICS):

इस तकनीक में मोतियाबिंद का इलाज छोटा चीरा लगाकर किया जाता है। चीरे का आकार लगभभग 1.8 मिमी से 2.2 मिमी हो सकता है। इस चीरे के माध्यम से आंखों के लेंस के आगे की परत को हटाया जाता है। इसमें भी टॉका या इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती है। वास्तव में यह एक उन्नत प्रोसीजर है जिससे आंखों की रोशनी सही हो जाती है और रिकवरी का समय कम से कम 4-7 दिनों का होता है।

एडवांस्ड ब्लेड फ्री रोबोटिक-असिस्टैड कैटेरेक्ट (मोतियाबिंद) सर्जरी:

इसमें लेजर तकनीक द्वारा मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है और इसे मोतियाबिंद के इलाज के लिए सबसे उन्नत तकनीक के रूप में जाना जाता है। इसकी खास विशेषताएं यह हैं कि यह 3डी मैपिंग द्वारा सर्जन को रोगी की आवश्यकता के अनुसार सर्जरी करने की सुविधा देता है। इसमें किसी तरह के ब्लेड और या इंजेक्शन की जरूरत नहीं पड़ती और यह बहुत ही सुरक्षित प्रक्रिया माना जाता है। अन्य सर्जरी प्रक्रिया की तुलना में इसकी रिकवरी समय बहुत कम होती है।

मोतियाबिंद की सर्जरी बहुत ही सामान्य और दर्द रहित सर्जरी होती है।

अधिकांश लोग सर्जरी के नाम से डरते हैं। यदि आप भी मोतियाबिंद से ग्रस्त हैं और सर्जरी के नाम से बीमारी का इलाज कराने से पीछे हट रहे हैं तो आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे आप अपनी आंखों की रोशनी को हमेशा के लिए खो सकते हैैं।

अगर आप सर्जरी की प्रक्रिया से डर रहे हैं तो समझने वाली बात यह है कि मोतियाबिंद हटाने की प्रक्रिया बहुत ही आसान होती है।यह भारत में की जाने वाली सबसे आम सर्जरी है जिसका परिणाम प्रायः सुरक्षित ही होता है। वर्तमान में तकनीकों के विकसित होने के कारण आंखों के लेंस को बदलने की प्रक्रिया में बहुत कम समय लगता है और जटिलताएं कम होती हैं।

इसलिए इंतजार नहीं करें। हमारे अत्याधुनिक आईक्यू विजन के 15 स्टेप आई चेकअप द्वारा अपनी आंखों की जांच कराएं। यहां आंखों की जांच, देखभाल और इलाज बहुत ही उच्च गुणवत्ता वाली तकनीकों द्वारा किया जाता है। पूरे उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में आईक्यू के 37 सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल हैं। मरीज कहीं भी इस सुविधा का लाभ ले सकते हैं।

मोतियाबिंद का ऑपरेशन कितने दिन में ठीक हो जाता है?

आपको मोतियाबिंद सर्जरी से लगभग एक महीने में पूरा ठीक हो जाना चाहिए, जब आपकी आँख पूरी तरह से ठीक हो जाती है।

आंख के ऑपरेशन के बाद कितने दिन आराम करना चाहिए?

मोतियाबिंद की सर्जरी के बाद आपको एक महीने तक आराम करना चाहिए और आंखों का ध्यान रखना चाहिए

क्या मोतियाबिंद सर्जरी के बाद आंखों की रोशनी में सुधार होता है?

ऑपरेशन की मदद से खराब लेंस को बाहर निकालकर उसकी जगह पर एक अच्छा कृत्रिम लेंस (Artificial Lens) लगा दिया जाता है। आमतौर पर मोतियाबिंद का ऑपरेशन होने के बाद आपको कुछ ही घंटों के बाद साफ दिखाई देने लगता है। लेकिन कुछ मामलों में साफ दृष्टि (Sharp Vision) आने में कुछ समय लग सकता है।

ऑपरेशन के बाद कितने दिन ठीक होता है?

ऑपरेशन के कुछ साइड इफेक्ट आपको अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले ही बेहतर होने लगेंगे, मगर पूरी तरह ठीक होने में छह से आठ हफ्तों का समय लग सकता है।