मिट्टी का तेल क्यों बंद कर दिया? - mittee ka tel kyon band kar diya?

Kerosene Oil- खबर तो यह है कि केरोसीन अब भी चलन से बाहर नहीं हुआ है. कई राज्य अभी भी केंद्र सरकार से केरोसीन मांगते हैं और लोग भी इसे इस्तेमाल करते हैं. केंद्र केरोसीन पर सब्सिडी को बंद कर चुका है

Kerosene Oil-केरोसिन यानी मिट्टी के तेल का शायद नई पीढ़ी के कई लोगों ने नाम भी न सुना हो. आपको लगता होगा कि अब इसका इस्तेमाल कौन करता है. आपने शायद ही इसे कहीं बिकता हुआ देखा होगा. हम में से ज्यादातर लोग यही मानते हैं कि केरोसिन तो कब का सिस्टम से बाहर हो चुका है, लेकिन, ऐसा नहीं है. केरोसिन अभी भी चलन से बाहर नहीं हुआ है. कई राज्य अभी भी केंद्र से केरोसिन मांगते हैं और लोग भी इसे इस्तेमाल करते हैं. केंद्र केरोसिन पर सब्सिडी को बंद कर चुका है.हालांकि, पिछले फिस्कल में केंद्र ने इस पर 2,677 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी थी.

केरोसिन की बिक्री पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम यानी PDS के तहत अभी भी होती है. सितंबर से दिसंबर तिमाही के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय ने 44.74 करोड़ लीटर केरोसिन का आवंटन राज्यों को किया है. केरोसिन मांगने के मामले में पश्चिम बंगाल सबसे आगे रहा, जबकि बिहार दूसरे नंबर पर है. राज्यों का कहना है कि लोग केरोसिन की मांग कर रहे हैं. आपको बता दें कि केरोसीन (मिट्टी का तेल) एक तरल खनिज है जिसका मुख्य उपयोग दीप, स्टोव को जलाने में होता है.

पिछले साल फरवरी तक सब्सिडी को खत्म कर दिया गया था. चार साल के भीतर सभी कीमतों में 23.8 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई.

मुंबई में 15.02 रुपए प्रति लीटर से लेकर 36.12 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ोतरी हुई. इसके बाद, बेंचमार्क अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों के साथ पीडीएस की दरों ने मासिक रूप से संशोधित किया है.

मई 2020 में दरें गिरकर 13.96 रुपये प्रति लीटर हो गई, लेकिन तब से दोगुनी से भी ज्यादा बढ़कर 30.12 रुपए प्रति लीटर हो गई है. जनवरी में अंतिम मूल्य वृद्धि में, दरों में 3.87 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी हुई.

क्या है सरकार की चिंता

केरोसिन के लिए अभी भी डिमांड होना एक तरह से चिंता की भी बात है. वजह ये है कि केरोसिन के बड़े तौर पर खाना बनाने में इस्तेमाल किया जाता है. दूसरी ओर, सरकार गांव-देहातों में भी क्लीन एनर्जी यानी LPG सिलेंडर के इस्तेमाल को बढ़ाने पर पूरा जोर दे रही है.

वहीं उज्जवला योजना जैसी बेहद महत्वाकांक्षी योजना चलाई गई है. इसमें परिवारों को मुफ्त गैस कनेक्शन दिया जाता है, लेकिन, ऐसा जान पड़ रहा है कि लोगों ने इसके कनेक्शन तो लिए हैं, लेकिन महंगे सिलेंडर के चलते वे इसकी रीफिलिंग नहीं करा रहे हैं और ऐसे में वे केरोसिन का इस्तेमाल खाना बनाने में कर रहे हैं.

इससे ये भी पता चल रहा है कि लोगों की कमाई और कामकाज अभी भी पटरी पर नहीं लौटा है और वे सिलेंडर खरीदारी की हैसियत में नहीं हैं. यानी ये सरकार के लिए एक बड़े सिरदर्द से कम नहीं है और उसे अपनी नीतियों में इस बात को ध्यान में रखना होगा.

मिट्टी का तेल क्यों बंद हो गया है?

Kerosene Oil- खबर तो यह है कि केरोसीन अब भी चलन से बाहर नहीं हुआ है. कई राज्य अभी भी केंद्र सरकार से केरोसीन मांगते हैं और लोग भी इसे इस्तेमाल करते हैं. केंद्र केरोसीन पर सब्सिडी को बंद कर चुका है Kerosene Oil-केरोसिन यानी मिट्टी के तेल का शायद नई पीढ़ी के कई लोगों ने नाम भी न सुना हो.

भारत में मिट्टी के तेल पर प्रतिबंध क्यों है?

जानकारी के अनुसार देश में जल्द ही मिट्टी का तेल यानी कैरोसिन आॅयल मिलना बंद हो जाएगा। इस बात का दावा कबजली मंत्री आरके सिंह ने किया है। उनका मानना है कि देश में बिजली आैर गैस कनेक्शन होने के बाद कैरोसिन आॅयल की जरुरत नहीं होगी। साथ ही सरकार द्वारा दी जा रही 4500 करोड़ रुपए की सब्सिडी की बचत होगी।

मिट्टी का तेल लगाने से क्या होता है?

केरोसीन (मिट्टी का तेल) एक तरल खनिज है जिसका मुख्य उपयोग दीप, स्टोव और ट्रैक्टरों में जलाने में होता है। इस काम के लिये तेल की श्यानता कम, दमकांक ऊँचा, रंग साफ और हल्का, जलने पर दुर्गंध और धुआँ देनेवाले पदार्थों का अभाव रहना चाहिए।

सांप के ऊपर मिट्टी का तेल डालने से क्या होता है?

>यदि घर में सांप घुस आए तो सभी तरफ मिट्टी तेल या फिनाइल छिड़क दें, उसकी स्मेल सूंघकर सांप खुद-ब-खुद बाहर निकल जाएगा।