मेरा शरीर कमजोर और थका हुआ क्यों महसूस करता है? - mera shareer kamajor aur thaka hua kyon mahasoos karata hai?

अधिक काम के बाद थकान होना आम बात है, लेकिन हर काम के बाद थकान होना सामान्य नहीं है। अत्यधिक थकान होना कई बार एनिमिया के लक्षणों में शामिल होता है। ऐसा जरूरी नहीं है कि यह सिर्फ एनिमिया ही हो, लेकिन इसके प्रति जागरूक रहना अापके लिए बेहद जरूरी है। अगर आपको भी होती है, बहुत अधिक थकान तो रहें सावधान, और रखें अपना ध्यान ...


जब आपके शरीर में रक्त कोशिकाओं की कमी होती है ऐसे में शरीर बहुत थकावट महसूस करता है और आपको बहुत अधिक थकान महसूस होती है। इस बारे में डॉक्टर्स कहते हैं कि ‘‘शरीर को हीमोग्लोबिन का निर्माण करने के लिए आयरन की आवश्यकता होती है और हीमोग्लोबिन
लाल रक्त कोशिकाओं में आक्सीजन ले जाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसकी कमी से आपकी मांसपेशियां तथा हड्डियां कमजोर हो सकती हैं।’’

यही कारण है कि आयरन की कमी से शरीर में एनिमिया रोग हो सकता है, और अत्यधिक थकान होना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल है। इसके अलावा एनिमिया के कुछ और भी प्रमुख लक्षण हैं, जिनके आधार पर आप इसकी पहचान कर सकते हैं -


1. सीढ़ि‍यां चढ़ते समय या जिम में नियमित कसरत करते समय सांस का फूलना एनीमिया का संकेत हो सकता है।

2. त्वचा का रंग पीला होना भी एनिमिया का एक संकेत है, इसे नजर अंदाज बिल्कुल न करें। डॉक्टर्स के अनुसार शरीर में रक्त प्रवाह में कमी या फिर लाल रक्त कोशिकाओं की कमी के कारण त्वचा पीली पड़ सकती है।

3. अगर आप संवेदशीलता में वृद्धि और सहनशक्ति में कमी महसूस कर रहे हैं, तो यह भी एनिमिया का एक लक्षण हो सकता है।इसका मुख्य कारण शरीर में आयरन का सतर कम होना है, और यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को बुरी तरह प्रभावित करता है।

4.
अगर आप पहले की अपेक्षा अपनी एकाग्रता में कमी महसूस करते हैं और किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में आपको परेशानी होती है, तो यह भी एनीमिया का लक्षण है।

5. शरीर में विटामिन डी की कमी से एनिमिया का खतरा होता। विटामिन डी की कमी के कारण इन्म्यून इन्फ्लॉमेशन की समस्या भी पैदा हो सकती है। इसके अलावा इसकी कमी हड्डियों को भी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखती है।

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यह होती है समस्या-

कई लोगों को छोटा मोटा काम करने पर भी बहुत थकान हो जाती है। शरीर में दर्द रहता है, सीढ़ियां चढ़ने उतरने में सांस फूलने लगती है। किसी काम को करने में भी मन नहीं लगता है। हालांकि कई बार मौसम में बदलाव आने के कारण भी इस प्रकार की समस्या होती है। लेकिन अगर आप अपनी लाइफ स्टाइल को बेहतर रखेंगे। तो निश्चित ही आपको थकान और कमजोरी का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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किशमिश का करें सेवन-

किशमिश का सेवन करने से आपको कई प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं। आप रात को इसे भिगोकर रख दें और सुबह उसके पानी का सेवन करने के साथ ही किशमिश खाएं। इससे आपकी शारीरिक कमजोरी कुछ ही दिनों में खत्म हो जाएगी। दरअसल, किशमिश में पर्याप्त मात्रा में विटामिन बी कॉम्प्लेक्स होता है। इससे खून की कमी भी नहीं होती है और यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद होता है। यह कब्ज को दूर करने में बहुत फायदेमंद होता है।

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खजूर का करें सेवन-

खजूर का सेवन शरीर के लिए बहुत फायदेमंद है। आप रोजाना पांच बदाम और पांच खजूर खाएं।इससे आपके शरीर में थकान महसूस नहीं होगी। खजूर में पर्याप्त मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट होता है और यह फाइबर से भरपूर होता है। जो आपके पाचन तंत्र को मजबूत करता है। इसी तरह बादाम में विटामिन ई भरपूर मात्रा में होता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करके गुड कोलेस्ट्रॉल बढ़ाता है। आप अगर भीगे हुए बादाम खाते हैं, तो यह आपके दिमाग के लिए भी काफी फायदेमंद होता है।

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दालचीनी ओर शहद का सेवन करें -

दालचीनी का पाउडर और शहद को मिक्स करके सेवन करने से आपका इम्युनिटी सिस्टम स्ट्रांग होता है। दालचीनी और शहद दोनों ही शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं।

दूध और केले का करें सेवन-

कमजोरी दूर करने के लिए आप दूध और केले का सेवन कीजिए। इससे कुछ ही दिनों में आपको फर्क नजर आने लगेगा। आप रोजाना एक केला और गर्म दूध पीएं। इससे आपकी हड्डियां भी मजबूत होगी और शारीरिक कमजोरी भी नहीं रहेगी।

अश्वगन्धा का चूर्ण खाएं-

अगर आप रोजाना अश्वगंधा का चूर्ण दूध के साथ पीते हैं। तो इससे आपकी शारीरिक कमजोरी दूर हो जाएगी और थकान से भी आप को राहत मिलेगी।

पर्याप्त पानी पौष्टिक आहार-

अपने आपको हमेशा फिट और तंदुरुस्त रखने के लिए आप को पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। भोजन में पौष्टिक आहार लेना चाहिए। इससे आपके शरीर में कमजोरी नहीं रहेगी और आपका शरीर मजबूत रहेगा। इसी के साथ आप रोजाना थोड़ा-बहुत व्यायाम जरूर करें। जो भी व्यायाम आपको आसान लगे अपनी सुविधा अनुसार कर सकते हैं।

आप क्यों इतनी थकान महसूस करते हैं?

  • डेविड रॉबसन
  • बीबीसी फ़्यूचर

28 जुलाई 2016

मेरा शरीर कमजोर और थका हुआ क्यों महसूस करता है? - mera shareer kamajor aur thaka hua kyon mahasoos karata hai?

इमेज स्रोत, Alamy

आज अक्सर लोग थके हुए, उदास, निराश नज़र आते हैं. बहुत से लोग हैं जो रोज़मर्रा के काम करने में ही थक जाते हैं. उनका कुछ करने का ही मन नहीं होता.

छोटे-मोटे काम भी थकाऊ और उबाऊ लगते हैं. ऐसा महसूस होता है कि जैसे शरीर में जान ही नहीं. भारीपन महसूस होता रहता है.

ब्रिटेन की एना कैथरीना शैफ्नर को ही लीजिए. वो हर वक़्त थकान महसूस करती थीं. यूं लगता था कि जैसे शरीर में ताक़त ही नहीं बची.

एना घरेलू काम में ही इतना थक जाती थीं कि उनका दफ़्तर का काम निपटाना बहुत भारी पड़ जाता था.

मगर एना कहती हैं कि थकान मिटाने के लिए वो जब भी बैठती थीं तो अपना फ़ोन चेक करना नहीं भूलती थीं.

जैसे कि उनकी थकान मिटाने का कोई नुस्खा मेल पर आने वाला हो. एना कहती हैं कि उन्हें बेज़ारी महसूस होती थी. हर उम्मीद से मोह भंग हो गया था.

आज एना जैसी हालत दुनिया में कई लोगों की है. इनमें से कई तो मशहूर शख़्सियतें हैं. जैसे कि गायिका मारिया कैरे या फिर पोप बेनेडिक्ट सोलहवें.

जिन्हें थकान की ये बीमारी हुई. लोग कहते हैं कि ये बीमारी इसी दौर की पैदाइश है.

आज टीवी में ढेरों बहस होती दिखेंगी जो ये बताएंगी कि ये थकान, ये उदासी, हमारे लिए क़यामत जैसी है.

क्या ये वाक़ई सच है? या सुस्ती का ये दौर अस्थाई है? इंसान की ज़िंदगी का एक अटूट हिस्सा है.

एना शैफ्नर ब्रिटेन की केंट यूनिवर्सिटी में मेडिकल की इतिहासकार हैं. इसीलिए उन्होंने ख़ुद ही इस थकान की जड़ को तलाशने का फ़ैसला किया.

इसका नतीजा एक क़िताब के तौर पर सामने आया. क़िताब का नाम है-'एग्ज़ॉशन:अ हिस्ट्री' (Exhaustion:A History). ये क़िताब बेहद दिलचस्प है.

इसमें बताया गया है कि इंसान की थकान, शरीर में ताक़त की कमी और दिमाग़ी थकान को डॉक्टरों या मनोवैज्ञानिकों ने किस तरह जाना-समझा है.

इसमें कोई शक़ नहीं कि आज के दौर में थकान एक गंभीर मसला है. सेहत के मोर्चे पर ये थकान आपके लिए बहुत नुक़सानदेह हो सकती है.

जर्मनी के डॉक्टरों के बीच हुए एक सर्वे के मुताबिक़ क़रीब पचास फ़ीसद डॉक्टर थका हुआ महसूस करते हैं.

इनमें से कई लोग हर वक़्त थका, बेज़ार महसूस करते हैं. काम में उनका ज़रा भी मन नहीं लगता. काम का ख़्याल आते ही शरीर की ताक़त ख़त्म हुई सी मालूम होती है.

मगर एक सर्वे के मुताबिक़ औरते और मर्द थकान से अलग-अलग तरह से निपटने हैं.

आदमी इस वजह से ज़्यादा लंबी छुट्टियां लेते हैं. उनके मुक़ाबले महिलाएं, थकान की हालत से निपटने के लिए कम छुट्टियां लेती हैं.

एना शैफ्नर कहती हैं कि काम न करने की हालत को लोग अलग-अलग तरह से लेते हैं.

कुछ लोग इसे रईसाना परेशानी बताते हैं. एक जर्मन अख़बार के मुताबिक़ अमीर लोगों ने अवसाद या डिप्रेशन को नया नाम दे दिया है.

जब वो काम नहीं करना चाहते, तो उसे बर्नआउट का नाम दे देते हैं. कामयाब लोग ख़ुद को डिप्रेशन के शिकार नहीं बताना चाहते हैं.

वो इसके लिए बर्नआउट शब्द इस्तेमाल करते हैं. वहीं जो लोग नाकाम होते हैं, उन्हें अवसाद का शिकार बता दिया जाता है.

हालांकि जानकार कहते हैं कि अवसाद और थकान, दो एकदम अलग चीज़ें हैं. डिप्रेशन में लोग आत्मविश्वास गंवा देते हैं.

या फिर वो ख़ुद से ही नफ़रत करने लगते हैं. वहीं थकान के शिकार लोगों के साथ ऐसा नहीं है. ख़ुद के बारे में उनकी राय वही रहती है.

एना शैफ्नर कहती हैं कि थकान के दौरान ग़ुस्सा, असल में अपने काम के माहौल के ख़िलाफ़ बग़ावत है.

एना कहती हैं कि बर्नआउट और फैटीग यानी ऊंचे दर्जे की थकान में फ़र्क़ होता है. फैटीग में लंबे वक़्त तक लोगों का काम करने का मन नहीं होता.

कुछ लोग कहते हैं कि आधुनिक सभ्यता का माहौल ऐसा है, जिसमें काम करने के लिए इंसान का दिमाग़ तैयार नहीं है.

लोगों पर ज़्यादा से ज़्यादा काम करने, नए-नए लक्ष्य हासिल करने का दबाव रहता है.

बहुत से लोगों को ये भी साबित करना होता है कि उन्हें जो काम दिया गया है, वो इसके क़ाबिल हैं.

यानी आप रोज़ एक जद्दोजहद में जीते हैं. रोज़ आप पर काम का, कुछ बेहतर करने का दबाव होता है. इससे तनाव होता है. और, तनाव से थकान.

बहुत से लोगों के लिए तो काम के अलावा घर के हालात का दबाव भी होता है. दिमाग़ में हर वक़्त कोई न कोई चुनौती सवार रहती है.

ज़िंदगी का पहिया रुकता ही नहीं. उसे आराम का मौक़ा नहीं मिलता. आराम न मिलने से हमारा दिमाग़ ताज़गी नहीं महसूस करता.

तो हमारे दिमाग़ की बत्ती नहीं जलती. हमारे शरीर को चलाने वाली बैटरी कभी पूरी तरह से रिचार्ज नहीं हो पाती.

हालांकि एना ने जब थकान का इतिहास खंगाला तो पता चला कि इंसान पुराने दौर में भी इस बीमारी का सामना करते थे.

इसका सबसे शुरुआती ज़िक्र रोमन डॉक्टर गैलेन का किया हुआ मिलता है.

ग्रीक डॉक्टर हिप्पोक्रेट्स और गैलेन, दोनों को ये लगता था कि दिमाग़ी और बदन की बीमारियों की जड़, ख़ून में, पित्त में और कफ़ में तलाशी जा सकती है.

शरीर में काले रंग के पित्त का इकट्ठा होना इस बात का सुबूत माना जाता था कि दिमाग़ की नसों का रास्ता बंद हो गया है.

वो तकलीफ़ में है. दिमाग़ को थकान हो रही है. हालांकि आज इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं मिलता.

मगर, फिर भी थकान महसूस करने वाले अक्सर दिमाग़ में भारीपन की शिकायत करते हैं.

जब यूरोप में ईसाई धर्म अपनी जड़ें जमा रहा था, उस दौर में थकान की शिकायत करने वालों में रूहानी ताक़त की कमी बतायी जाती थी.

ऐसा माना जाता था कि वो धर्म से विमुख है. उस दौर के एक पादरी ने एवाग्रियस पोंटिकस ने लिखा है कि उसे दोपहर के वक़्त पिशाच दिखाई देते थे.

जिसके बाद वो बस यूं ही खिड़की के पास बैठे रहते थे. उनका कुछ करने का मन नहीं होता.

पादरी के मुताबिक़ ये उनके अंदर धार्मिक आस्था और आत्मविश्वास की कमी का प्रतीक था.

एक और पादरी का क़िस्सा भी है कि वो साथियों के साथ बोलने बतियाने में ही मशगूल रहता था. काम करने का उसका मन ही नहीं होता था.

एना इसे आज के दौर के उन लोगों जैसा बताती हैं, जो थका हुआ महसूस करते हैं मगर हर वक़्त मोबाइल पर लगे रहते हैं.

आज की तारीख़ में डॉक्टर इसे 'न्यूरास्थेनिया' नाम की बीमारी बताते हैं.

उनके मुताबिक़ दिमाग़ से इलेक्ट्रिक संकेत शरीर के दूसरे हिस्सों को जाते हैं. जिसकी नसें कमज़ोर होती हैं, उसके बदन को संकेत नहीं जा पाते.

और उसका काम करने का मन नहीं होता. बहुत से मशहूर लोग जैसे, ऑस्कर वाइल्ड, चार्ल्स डार्विन, थॉमन मैन और वर्जिनिया वूल्फ़ तक 'न्यूरास्थेनिया' के शिकार थे.

डॉक्टर कहते हैं कि ये लोग यूरोप की औद्योगिक क्रांति की वजह से समाज में आए बदलाव के शिकार हुए थे.

उनकी नाज़ुक नसें उनकी बुद्धिमानी की गवाही देती थीं. वैसे तो बहुत कम देशों में 'न्यूरास्थेनिया' को बीमारी की मान्यता मिली है.

मगर चीन और जापान में डॉक्टर इसका ख़ूब इस्तेमाल करते हैं. हालांकि वो ये भी कहते हैं कि ये डिप्रेशन का दूसरा नाम है.

साफ़ है कि सदियों से लोग काम से थकान, माहौल से ऊब जाना और बेज़ारी महसूस करते रहे हैं.

इंसान के विकास के अलग-अलग दौर में इसकी वजहें भले अलग रही हों. मगर थकान हमारे रहन-सहन का अटूट हिस्सा रही है.

मध्य युग में ये दोपहर के वक़्त का पिशाच थी. तो बीसवीं सदी में ये पूंजीवाद के विकास के साथ लोगों के शोषण की वजह होती थी.

सच तो ये है कि हम आज भी पूरी तरह से नहीं समझते कि थकान, शरीर में ताक़त की कमी की असल वजह क्या है.

और कई बार ये अचानक से ख़त्म कैसे हो जाती है. हमें ये भी नहीं पता कि इसके लक्षण शरीर में पहले दिखाई देते हैं.

या फिर दिमाग़ इसकी गवाही पहले देता है. हमें ये भी नहीं मालूम कि थकान समाज के माहौल की वजह से होती है या फिर हमारे ख़ुद के बर्ताव का नतीजा है.

शायद थकान का सच इन सबको मिलाकर बनता है. हमारे एहसास, हमारा भरोसा हमारे ऊपर गहरा असर डालते हैं.

हमें मालूम है कि जज़्बाती तकलीफ़ से अपने भीतर जलन और दर्द महसूस होता है.

कई बार तो इसकी वजह से दौरे भी पड़ने लगते हैं. थकान के चलते आंखों के आगे अंधेरा सा छा जाता है.

एना शैफ्नर कहती हैं कि किसी भी बीमारी के बारे में पक्के तौर पर ये नहीं कहा जा सकता कि ये दिमाग़ी है या शारीरिक. या फिर दोनों का मिला जुला नतीजा है.

हां, थकान कई बार हम पर इतनी भारी पड़ती है कि शरीर सुन्न हो जाता है. अब ये आपका ख़्याल भी हो सकता है और सच्चाई भी.

एना के मुताबिक़ आज ज़्यादा लोगों को थकान हो रही है. इसका साफ़ मतलब है कि ये मसला हमारी जीवन शैली का है.

काम के ज़्यादा मौक़े मिलने की वजह से लोग अपनी क्षमता से ज़्यादा काम कर रहे हैं. उनके काम का दायरा बढ़ गया है.

फिर काम से तनाव होता है. तनाव से थकान और शरीर में ताक़त की कमी महसूस होने लगती है.

एना ये भी मानती हैं कि बार-बार मेल चेक करना, हमेशा सोशल मीडिया पर स्टेटस अपडेट करना भी हमें थकाता है.

एना के मुताबिक़, नई तकनीकों की वजह से ज़िंदगी आसान हुई है तो उनकी वजह से कई मुसीबतें भी आई हैं.

आज अपने दफ़्तर का बोझ लोग दिमाग़ पर लादकर घर पहुंचते हैं. वहां मेल चेक करके ख़ुद को उस बोझ की याद दिलाते रहते हैं. ऐसे में थकान तो होगी ही.

थकान और बेज़ारी का कोई ठोस इलाज भी नहीं. कुछ लोग मनोवैज्ञानिकों की मदद लेते हैं. कुछ लोग छुट्टियां लेकर थकान उतारते हैं.

वहीं कुछ लोग परिवार-दोस्तों-रिश्तेदारों के साथ वक़्त बिताकर, थकान से मुक्ति पाते हैं.

एना कहती हैं कि आपको पता होना चाहिए कि आपको किस चीज़ से थकान होती है और किस काम से हौसला मिलता है. ख़ुशी मिलती है.

कुछ लोग खेल-कूदकर थकान उतार लेते हैं. हां, एक बात तय है. हमें काम और आराम के बीच एक लाइन खींचनी होगी.

इस बारे में तमाम रिसर्च से ख़ुद एना को भी अपनी परेशानी समझने और उससे निपटने में मदद मिली है.

यानी थकान की हर इंसान में अलग वजह है. हां, इस बीमारी के आप अकेले मरीज़ नहीं. मगर, इससे निपटने का तरीक़ा आपका अपना ज़रूर हो सकता है.

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शरीर में थकान और कमजोरी महसूस हो तो क्या करें?

1- ड्राई फ्रूट्स- ड्राई फ्रूट्स सभी को अपनी डाइट में शामिल करने चाहिए. ... .
2-दूध पिएं- महिलाओं को डाइट में दूध जरूर शामिल करना चाहिए. ... .
3- आयरन- अगर शरीर में आयरन की कमी हो जाए तो इससे थकान और कमजोरी ज्यादा महसूस होती है. ... .
4- खूब पानी पिएं- शरीर में पानी की कमी होने पर भी महिलाओं में थकान और कमजोरी की समस्या बढ़ जाती है..

थकान और कमजोरी क्यों महसूस होती है?

शरीर में कमजोरी अन्य कई बीमारियों की वजह से या खान पान सही ना होने के कारण भी हो सकती है, जिससे थकान के अलावा सिर दर्द, जोड़ों और मांसपेशियों आदि में दर्द हो सकता है. थाइरॉयड होने की वजह से हार्मोन का बैलेंस बिगड़ जाता है और कम काम करने के बावजूद थकान होने लगती है. थायराइड के शिकार लोगों को कमजोरी महसूस हो सकती है.

शरीर में कमजोरी महसूस होने के क्या कारण होते हैं?

अगर आप हमेशा थकान महसूस करते हैं तो हो सकती है यह बीमारी.
एनीमिया- एनीमिया यानि आम बोलचाल की भाषा में जिसे खून की कमी कहते हैं, हमेशा थकान लगने का एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है। ... .
थाइरॉयड की बीमारी- ... .
डायबिटीज- ... .
आर्थराइटिस या गठिया वात- ... .
कमजोरी- ... .
स्लीप एप्निया ( नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत) -.