भारतीय संविधान की कौन सी विशेषताएं अमेरिका के संविधान से ली गई है? - bhaarateey sanvidhaan kee kaun see visheshataen amerika ke sanvidhaan se lee gaee hai?

भारतीय संविधान की अन्य देशों के संविधान से तुलना

  • 03 Sep 2020
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संविधान, मूल सिद्धांतों या स्थापित नज़ीरो का एक समुच्चय होता है जिससे कोई राज्य या अन्य संगठन अभिशासित होते हैं। यह वह विधि है जो किसी राष्ट्र के शासन का आधार होती है एवं उसके चरित्र, संगठन को निर्धारित करती है। यह लिखित या अलिखित दोनों रूपों में हो सकता है। यद्यपि संयुक्त राष्ट्र अमेरिका के उदाहरण के पश्चात अधिकतर देशों में लिखित संविधान की प्रथा प्रचलित हो गई है।

आगे हम भारतीय संविधान की अन्य देशों के संविधान के साथ तुलनात्मक अध्ययन करेंगे-

  • संविधान की तुलना का प्रथम आधार है ‘शासन प्रणाली, जो भारत के संदर्भ में संघात्मक है परंतु गंभीर परिस्थितियों में यह एकात्मक भी होती है। वहीं अमेरिका और जर्मनी में संघात्मक, फ्राँस में एकात्मक व ब्रिटेन में संवैधानिक राजतंत्र एवं एकात्मक शासन प्रणाली विद्यमान है।
  • ‘लोकतंत्र’ के संदर्भ में भारत, ब्रिटेन और जर्मनी में संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया गया है, जबकि अमेरिका अध्यक्षीय प्रणाली पर आधारित है। वही फ्राँस में राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों के पास कार्यपालिका की निश्चित शक्तियाँ होती हैं अर्थात् वहाँ अर्द्ध-संसदीय या अर्द्ध-अध्यक्षात्मक प्रणाली को अपनाया गया है।
  • तुलना करने की दिशा में अगला आधार ‘विधायिका’ है। भारत में उच्च सदन को ‘राज्यसभा व निम्न सदन को ‘लोकसभा कहते हैं। साथ ही संसद के पास पर्याप्त शक्तियाँ होती हैं। ब्रिटेन में भी संसद अत्यधिक शक्तिशाली है।
  • अमेरिका में विधायिका को कॉन्ग्रेस कहा जाता है। उच्च सदन ‘सीनेट व निम्न सदन 'प्रतिनिधि सभा' कहलाती है। फ्राँस में संसद की शक्तियाँ बहुत कम हैं, यहाँ संसद केवल मार्गदर्शक सिद्धांत ही बना सकती है, जबकि अन्य क्षेत्रों में सरकार को कानून बनाने की पर्याप्त शक्ति मिली हुई है।
  • जर्मनी में संघीय विधायिका के दो सदन हैं- उच्च सदन  को बुंदेस्वात व निम्न सदन को बुंदेस्टॉग कहा जाता है।
  • ‘न्यायपालिका’ के संदर्भ में देखा जाए तो भारत में एकीकृत न्यायपालिका है जबकि अमेरिका में संघ और राज्य की विधियों के लिये अलग-अलग न्यायालय हैं। फ्राँस में न्यायपालिका को अमेरिका या भारत की तरह शक्तियाँ प्राप्त नहीं है। ब्रिटेन में न्यायपालिका सामान्यतः कार्यपालिका और विधायिका के हस्तक्षेप से मुक्त है। जर्मनी में ’फेडरेल कोर्ट ही सर्वोच्च न्यायालय है और इसे ही न्यायिक पुनरीक्षण की शक्ति माना जाता है।
  • भारत में न्यायपालिका न्यायिक पुनर्विलोकन के साथ-साथ संविधान केअभिरक्षण का भी कार्य करती है। अमेरिका की स्थिति भी अमूमन ऐसी ही है जबकि फ्राँस में कानून के अधिनियमित होने से पहले ही उसका न्यायिक पुनरीक्षण किया जा सकता है, बाद में नहीं। ब्रिटेन में संसद द्वारा पारित विधेयकों के पुनर्विलोकन की शक्ति न्यायपालिका को नहीं है।
  • ‘संशोधन’ के संदर्भ में भारतीय संविधान कठोर भी है और सुनम्य भी। वहीं अमेरिका, फ्राँस व जर्मनी की संशोधन विधि अधिक कठोर है। ब्रिटेन में साधारण बहुमत से संशोधन संभव है अर्थात सुनम्य संविधान है।
  • तुलना को आगे बढ़ाते हुए यदि हम संविधान के ‘आकार’ के संदर्भ में अध्ययन करें तो भारत के संविधान का आकार अत्यधिक विस्तृत है। वहीं अमेरिका, फ्राँस तथा जर्मनी के संविधान का आकार भारत के संविधान की तुलना में संक्षिप्त है। जैसे- अमेरिका में कुल 7 अनुच्छेद हैं एवं फ्राँस में 15 अध्याय व 95 अनुच्छेद हैं।  ब्रिटेन का संविधान अलिखित है।
  • अन्य आधारों की बात की जाए तो भारत के संविधान में नागरिकों के मूल कर्त्तव्यों की भी चर्चा है तथा कुछ राज्यों हेतु विशेष उपबंध भी किये गए हैं। वहीं ब्रिटेन में आज भी राजमुकुट (Crown) के आधार पर राजतंत्र विद्यमान है।
  • अमेरिकी राष्ट्रपति को नई नियुक्तियों में सीनेट का अनुसमर्थन प्राप्त करना पड़ता है तथा उपराष्ट्रपति सीनेट का पदेन सभापति होता है।
  • जर्मनी में रचनात्मक अविश्वास प्रस्ताव के तहत चांसलर के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है और साथ ही इस प्रस्ताव में यह भी बताना पड़ता है कि अगला चांसलर कौन होगा।

निष्कर्ष: भारतीय संविधान के निर्माण की प्रक्रिया में संविधान सभा ने लगभग 60 देशों के संविधानों का गहन अध्ययन किया और विश्व के विभिन्न संविधानों में जो कुछ भारत हेतु उपयुक्त लगा, उसे भारतीय संविधान का हिस्सा बनाया ।

भारतीय संविधान के अनेक देशी और विदेशी स्त्रोत हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव भारतीय शासन अधिनियम 1935 का है. भारत के संविधान के निर्माण में निम्न देशों के संविधान से सहायता ली गई है:

(1) संयुक्त राज्य अमेरिका: मौलिक अधिकार, न्यायिक पुनरावलोकन, संविधान की सर्वोच्चता, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित राष्ट्रपति एवं उस पर महाभियोग, उपराष्ट्रपति उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात.

(2) ब्रिटेन: संसदात्मक शासन-प्रणाली, एकल नागरिकता एवं विधि निर्माण प्रक्रिया.

(3) आयरलैंड: नीति निर्देशक सिद्धांत, राष्ट्रपति के निर्वाचक-मंडल की व्यवस्था, राष्ट्रपति द्वारा राज्य सभा में साहित्य, कला, विज्ञान तथा समाज-सेवा इत्यादि के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त व्यक्तियों का मनोनयन, आपातकालीन उपबंध.

(4) ऑस्ट्रेलिया: प्रस्तावना की भाषा, समवर्ती सूची का प्रावधान, केंद्र एवं राज्य के बीच संबंध तथा शक्तियों का विभाजन.

(5) जर्मनी: आपातकाल के प्रवर्तन के दौरान राष्ट्रपति को मौलिक अधिकार संबंधी शक्तियां.

(6) कनाडा: संघात्‍मक विशेषताएं अवशिष्‍ट शक्तियां केंद्र के पास.

(7) दक्षिण अफ्रीका: संविधान संशोधन की प्रक्रिया प्रावधान.

(8) रूस: मौलिक कर्तव्यों का प्रावधान.

(9) जापान: विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया.

नोट: भारतीय संविधान के अनेक देशी और विदेशी स्त्रोत हैं, लेकिन भारतीय संविधान पर सबसे अधिक प्रभाव 'भारतीय शासन अधिनियम: 1935 का है. भारतीय संविधान के 395 अनुच्छेदों में से लगभग 250 अनुच्छेद ऐसे हैं, जो 1935 ई० के अधिनियम से या तो शब्दश: लिए गए हैं या फिर उनमें बहुत थोड़ा परिवर्तन किया गया है.

भारतीय संविधान में अमेरिका से क्या लिया गया है?

1. संयुक्‍त राज्‍य अमेरिका से मौलिक अधिकार, निर्वाचित राष्ट्रपति और उस पर महाभियोग, उच्चतम एवं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों को हटाने की विधि एवं वित्तीय आपात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संयुक्त राज्य अमेरिका से लिया गया है।

भारतीय संविधान की कौन सी विशेषताएं अमेरिका से ली गई है?

मौलिक अधिकार: मौलिक अधिकारों का वर्णन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12-35, भाग III में किया गया है। यह अमेरिका के संविधान से ली गई विशेषता है। संपत्ति के अधिकार (अनुच्छेद 31) को 44वें संशोधन अधिनियम (1978) द्वारा मौलिक अधिकारों की सूची से हटा दिया गया था।

भारत के संविधान पर अमेरिका के संविधान का क्या प्रभाव पड़ा है?

Answer: 1791 ई. में पहला संविधान संशोधन करके बिल ऑफ राइट्स ('Bill of Rights) को मौलिक अधिकार के रूप में शामिल किया गया। इसके तहत् संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिकों को वाणी की, पे्रस की, धर्म की, याचिका की, सभा-सम्मेलन करने की स्वतंत्रता की गारंटी दी गई।

भारतीय संविधान और अमेरिकी संविधान में क्या अंतर है?

अमेरिका का संविधान बहुत ही सटीक और दृढ़ है जो केवल कुछ पन्नो तक ही सिमित है , जबकि भारत का संविधान बहुत बड़ा है जिसमें XXII भाग, 395 आर्टिकल और 12 अनुसूचियां (शेड्यूल) हैं। क्योंकि अमेरिकी संविधान बहुत दृढ़ है, इसलिए संविधान में संशोधन के प्रावधान भी बहुत दृढ़ और अधिक औपचारिक (फॉर्मल) भी।