मापन के कितने स्तर होते हैं? - maapan ke kitane star hote hain?

Levels of measurement in Statistics : Nominal, Ordinal, Interval, Ratio 

मापन का जीवन में अत्यंत महत्व है। सोते जागते, उठते-बैठते - सभी समय पर एवं अन्य अनेक अवसरों पर हम मापन का उपयोग करते हैं।

मापन का अर्थ है, किन्ही निश्वित इकाइयों में वस्तु या गुण के परिमाण (मात्र) का पता लगाना। यह मानवीय मन के विभित्र पक्षों या गणों के विषय में भी उतना ही सत्य है जितना भौतिक वस्तुओं के सम्बन्ध में।

मनोवैज्ञानिक मापन भौतिक मापन की अपेक्षा अधिक जटिल होता है क्योंकि मनोविज्ञान का उद्देश्य केवल मानवीय व्यवहार का पता लगाना ही नहीं बल्कि उसमें हो रहे परिवर्तन को देखना भी है।

मापन के स्तर, माप के दौरान शोधकर्ताओं द्वारा निर्दिष्ट संख्यातमक मूल्यों के बीच संबंध का वर्णन करते हैं। मापन का स्तर एक वर्गीकिरण है जो चर के निर्दिष्ट मूल्यों में समाहित सूचना की प्रकृति का वर्णन करता है।

स्टीवंस (1946) के प्राथमिक कार्य के अनुसार माप का अर्थ है. "चीजों का अंक निर्दिष्ट करना ताकि उनके बारे में तथ्यों और परम्पराओं को बताया जा सके” ।

मापन विभित्र स्तरों पर हो सकता है और मापन का स्तर निर्दिष्ट मूल्यों के बीच का संबंध निर्धारित करता है। आज तक अधिकांश मनोवैज्ञानिक और सामाजिक वैज्ञानिक स्टीवंस (1946) द्वारा बताये गए मापन के चार स्तरः नामित, क्रमिक, अंतराल, और अनुपात को मानते हैं। इनमें से प्रत्येक स्तर निर्धारित मूल्यों के बीच एक अलग संबंध की पहचान करता है।

मनोवैज्ञानिक मापन का आधार आंकडे होते हैं। मापन चाहे किसी भी प्रकार का हो - भौतिक सामाजिक, आर्थिक अथवा मनोवैज्ञानिक, हमें सम्बंधित आंकडे उपलब्ध कराने ही पड़ते हैं। सुविधा के लिए उपलब्ध आंकड़ों को हम चार स्तरों में रखते हैं। 

ये चारों स्तर एक निश्चित क्रम में रखे जाते हैं। जो स्तर जितना निम्र होता है उसका मापन उतना ही सरल होता है लेकिन उसके द्वारा किए गए मापन में हमारे निष्कर्षों की शुद्दता उतनी ही संदेहास्पद होगी। इसके विपरीत स्तर जितना ही उच्च होगा, उसक मापन उतना ही जटिल होगा लेकिन उसके द्वारा प्राप्त निष्कर्ष अधिक भरोसेमंद् होंगे।

इस प्रकार मापन की शुद्धता उसके स्तर पर निर्भर करती है। बहुधा, मापन प्रक्रिया के अन्तर्गत व्यक्तियों, वस्तुओं, घटनाओं, निरीक्षणों को अंकात्मक रूप प्रदान किया जाता है। प्रत्येक मापन स्तर के नियम, सिद्धांत, विशेषताएं, सीमाएं, एवं सांखिकीय विधियां दूसरे स्तर से भित्र होती हैं।

स्टीवैंस ने निम्लिखित चार मापन स्तरों का उल्लेख किया है.

1) नामित स्तर (Nominal scale)

2) क्रमिक स्तर (Ordinal scale)

3) अंतराल स्तर (Interval scale)

4) अनुपात स्तर (Ratio scale)

(Variables) चर को दो मुख्य भागों में बांटा जा सकता है- गुणात्मक (Qualitative) और मात्रात्मक (Quantitative)

गुणात्मक चर नामित या क्रमिक स्तर पर मापे जाते हैं, जबकि मात्रात्मक चर अंतराल या अनुपात स्तर पर मापे जाते हैं।

मापन के स्तर पदानुक्रमित हैं क्योंकि क्रम में हर अगला चरण पिछले चरण के सभी गुणों को बरकरार रखता है और साथ ही साथ कुछ अतिरिक्त संबंधपरक विशेषताएँ जोडता है।

विशेष रूप से, नामित माप सबसे निचले स्तर का प्रतिनिधित्व करता है, जिसके बाद बढते हुए क्रम में क्रमिक, अंतराल और फिर अनुपात माप आते हैं। नतीजतन, अंतराल माप, उदाहरण के लिए क्रमिक माप की सभी विशेषताएं रखता है लेकिन उसके पास अतिरिक्त जानकारी भी होती है जो शोधकर्ताओं द्वारा डेटा का विश्लेषण करने के तरीके को बदल देती है।

उदाहरण के लिए, जब हम 1, 3, और 5 मूल्यों की तुलना करते हैं तो मापन का स्तर इन मूल्यों के बीच के संख्यात्मक अंतर को बताता है। विशेष रूप से, मापन का स्तर इंगित करता है कि क्या अंतर मनमाना, सापेक्ष या समान है। दूसरा मापन का स्तर उपयुक्त सांख्यिकीय विश्लेषणों को निर्धारित करता है जो डेटा पर प्रयोग किए जा सकते हैं। यह दूसरा बिंदु विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योकि यह शोधकर्ताओ की मद करता है उनके डेटा की सही व्याख्या करने में और व्यर्थ विश्लेषण से बचने में। पूर्वर्ती उदाहरण से देखें तो, यदि 1 और 3 और 3 और 5 के बीच 2 बिंदु का अंतर समान (अंतराल स्तर) के बजाय सापेक्ष है (क्रमिक स्तर) तो जोड़ और गुणा जैसे गणितीय पद्धतियाँ अर्थहीन हो जाती हैं, क्योंकि जोड़ और गुणा तभी लगाया जा सकता है। जब यह अंक अंतराल स्तर के हों न कि क्रमिक स्तर के।

उपरोक्त स्तरों को अनेक कसौटियों के आधार पर अलग- अलग किया जा सकता है। अब हम प्रत्येक स्तर को अलग-अलग देखेंगे 

1) नामित स्तर (Nominal scale)

नामित का अंग्रेजी शब्द नॉमिनल लैटिन का एक शब्द है जिसका अर्थ होता है. केवल नाम'। मापन के इस स्तर में, चर में संख्याओं का उपयोग केवल डेटा को वर्गीकृत करने के लिए किया जाता है। मापन के इस स्तर में, शब्द, अक्षर और अल्फा-्यूमेरिक प्रतीकों का उपयोग किया जा सकता है। इस प्रकार की मापनी में हम अंको का प्रयोग वर्ग को इंगित करने के लिए करते हैं। एक समहू या वर्ग के सदस्यों को प्रायः समान समझञा जाता है और इसी आधार पर एक समहू को समहू - अ और द्रसरे समहू को समहू - ब कहकर पुकारते हैं। वर्गिकरण, तार्किक रूप से, निम्रतम कोटि का मापन है। इस प्रकार के वर्गीकिरण में हम कुछ सांख्यिकीय सिद्धांतो का उपयोग कर सकते हैं। हम हर वर्ग में तत्वों की संख्या की गिनती कर आवृत्तियां प्राप्त कर सकते हैं। इसमें हम यह ज्ञात कर सकते हैं कि कौन सा वर्ग सबसे अधिक लोकप्रिय है। नामित स्तर के डेटा पर हम बहुलांक (मोड) का आंकलन कर सकते हैं।

मान लीजिए कि तीन अलग-अलग लिंग श्रेणियों के लोगों के बारे में आंडे हैं। इस मामले में, महिला लिंग से संबंधित व्यक्ति को एफ (फीमेल) के रूप में वर्गिकृत किया जा सकता है, पुरुष लिंग से संबंधित व्यक्ति को एम (मेल) के रूप में वर्गिकित किया जा सकता है, और अन्य को 'टी' (ट्रांसजेंडर) के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। इस प्रकार का वर्गीकरण नामित स्तर का मापन कहलायेगा। इसी प्रकार ग्रामीण व शहरी, पुरुष व स्त्री शिक्षित व अशिक्षित वर्ग में अंतर करने के लिए उन्हें अलग-अलग वर्गो में रखा जाएगा।

नामित स्तर पर मापन के अन्य भी कई उदाहरण हो सकते हैं जैसे- क्रिकेट टीम के खिलाडियों के टी-शार्ट पर नंबर अंकित करना, जिससे उन्हें पहचाना जा सके कि किस नंबर का खिलाडी अभी खेल रहा है; इसी प्रकार एटीएम का प्रयोग करने के लिए बैंकों द्वारा अलग-अलग कोड निरधारित करना, इंटरनेट पर ऑनलाइन अकाउंट खोलने के लिए या ईमेल पता खोलने के लिए अलग-अलग पासवर्ड का निधरण करनाः डाक वितरण के लिए पिन कोड देना, जैसे बोध गया के लिए 824234, आदिः विभिन्र बैंकों को अलग-अलग कोड नंबर तथा संकेत चिन्ह देना, जैसे स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया कि विभित्र शाखाओं को, जो अलग-अलग शहर या राज्यों में स्थापित हैं, अलग-अलग कोड नंबर देना, इत्यादि।

नामित स्तर के मापन में मूल्यों के बीच अंतर पूरी तरह से मनमाना होता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक शोधकर्ता प्रतिभागियों की राजनीतिक पार्टी की संबद्ध्रता एकत्र करता है। शोधकर्ता फिर सभी बीजेपी से संबद्र लोगों को 1 के रूप में, कांग्रेस से संबुद्र लोगों को 2 के रूप में और बाकी सभी को 3 के रूप में कोड करता है। इस उदाहरण में, कोई भी संख्या केवल लेबल के रूप में कार्य करती है। यह संख्याएँ कोईरैंक या क्रम नहीं बतातीं। वास्तव में, शोधकर्ता समूहों को पहचानने के लिए कोई भी अन्य संख्या निर्धारित कर सकता है क्योंकि इन संख्याओं में कोई गणितीय संबंध नहीं होता। उदाहरण के लिए, बीजेपी से संबद्र लोगों को 7 की संख्या दी जा सकती है, कांग्रेस से संबद्ध लोगों को 1 की संख्या दी जा सकती है, और बाकी सभी को 99 की। फिर भी, यह संख्याए समानता और अंतर का संकेत देती हैं, जैसे सभी समान संख्या वाले जैसे, 1 के रूप में बीजेपी समान राजनीतिक संबद्धता साझा करते हैं और एक अलग संख्या वाले लोगों से अलग हैं जैसे, 2 के रूप में कांग्रेस।

2) क्रमिक स्तर (Ordinal scale)

रैंक या क्रम को इंगित करने वाला मापन क्रमिक होता है। स मापन मं व्यक्तियो, वस्तुओं, घटनाओं, विशेषताओं, या प्रतिक्रियाओं को किसी गुण के आधार पर एक आरोही क्रम (Ascending Order) या अवरोही क्रम (Descending Order) में व्यवस्थित करते हैं। इसके पश्चात उन्हें रैंक दी जाती है, जैसे सुंदरता प्रतियोगिता (Beauty Contest) में मिस इंडिया या मिस यूनिवर्स का चयन सुंदरता के आधार पर करना, छात्रों को अंको के आधार पर प्रथम, द्वितीय, या तृतीया श्रेणी देना, किसी संसथान या कार्यालय में अनुभव व शैक्षिक रिकॉर्ड को वरीयता देते कर्मचारियों कि नियुक्ति करना या पदोत्रति देना क्रमिक स्तर के मापन के अंतर्गत आते हैं। क्रमिक मापनी के अंतर्गत वस्तुओं को उनके कोटि क्रम के अनुसार क्रमबद्ध किया जाता है, जैसे आसक्रीम के प्लेवर व स्वयं की परसद् के अनुसार आइसक्रीम को करम में रखना

1. स्ट्रॉबेरी आइसक्रीम

2. वनीला आइसक्रीम

3. चाकलेट आइसक्रीम

4. मैंगो आइसक्रीम

5. अरिंज आइसक्रीम

6. मिल्क आइसक्रीम

क्रमिक माप के साथ, कोई भी मू्ों में सापेक्ष अंतर जान सकता है और उन्हें उचित रूप से क्रमबद्र कर सकता है। फिर भी, मूल्यों के बीच में अंतराल असंगत होता है। उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि एक शोधकर्ता ने एक महिला, एक पुरुष और एक बच्चे से पूछा कि वे एक पैमाने (1 = अत्यधिक नापसंद और 5 = अत्यधिक पसंद) पर रेट करें कि उन्हें एक फिल्म कितनी पसंद आई। महिला ने 1, पुरुष ने 3, और बच्चे ने 5 का चयन किया। यहाँ यह मान लेना गलत होगा कि महिला और पुरुष के बीच का अंतर पुरुष और बच्चे के अंतर के बराबर था भले ही अंकों के दोनों सेटों के बीच का अंतर 2 इकाई हो। ऐसा इसलिए व्योंकि बिंदुओं के बीच की द्ररी विकृत होती है। अधिक से अधिक शोधकर्ता यह अनुमान लगा सकता है कि बच्चे को फिल्म सबसे ज्यादा पसंद आई, उसके कम पूरूष को और फिर महिला को।

इस मापनी का प्रयोग भौतिक, सामजिक तथा मनोविज्ञान के क्षेत्र में किया जाता है, फिर भी इसे अत्यधिक शुद्ध, विश्वसनीय और वैज्ञानिक पद्धति नहीं माना जाता है। इस मापनी में सांखियिकीय प्रविधियों, जैसे मध्यांक (Median) , शतांशीय मान (Percentiles), सह-सम्बन्ध गुणांक के प्रयोग की सभ्भावना होते हए भी यह मापनी दो व्यक्तियों या गुणों के बीच अंतर तो बताती है लेकिन यह नहीं बता सकती कि यह अंतर कितना है।

3) अंतराल स्तर (Interval scale)

यह मापन का तीसरा स्तर (Third Level) है। इसमें उपरोक्त दोनों स्तरों की सीमाओं का निधरिण किया गया है। इस मापनी के अंतरगत हम किनहीं दो वर्गो, व्यक्तियों या वस्तुओं के बीच अंतर को अंको के माथ्यम से प्रदर्शित करते हैं। प्रत्येक अंतर की द्री समान होती है। यद्यपि इस मापनी का कोई परिशुद्ध बिंदु (true zero) नहीं होता जिसके आधार पर पता लुगाया जा सके कि कोई भी अंक इस आधार पर। शुन्य से कितना द्र है, फिर भी समान द्री पर व्यवस्थित अंकों को ही हम इस मापनी की इकाई मानते हैं। क्रमिक और अंतराल माप के बीच भित्रता यह है कि अंतराल माप मानक की एक इकाई का उपयोग करता है, जैसे मीटर, डिग्री, किलोग्राम, लीटर, इत्यादि। यह मापनी क्रमिक मापनी की अपेश्षा अधिक शुद्ध और विकसित होती है और अधिक सुचनाए प्रदान करती है क्योंकि ये मापनी विभित्र इकाइयों के बीच के अंतर को भी स्पष्ट करती है। उदाहरण के लिए, यदि दो वस्तुओं को 5 और 10 अंक दिए गए हैं तो 5 वाली वस्तु की 10 वाली वस्तु से द्री इतनी ही होगी जितनी 15 वाली की 20 वाली से। हम इस प्रकार भी कह सकते हैं कि ' की 'ब' से द्र, ब' से 'स की द्री के बराबर होगी।

इस अंतराल मापनी के उदाहरण के तौर पर हम घड़ी के समय को लेते हैं। घड़ी में जब 00:00 बजता है (यानि रात का 12 बजता है) तो उस शुन्य का अर्थ ये नहीं होता की उतने बज़े समय का मूल्य शुन्य है, अर्थात यह वास्तविक शुन्य नहीं है। इसीलिए घडी से मापा गया समय अंतराल मापनी पर कहा जायेगा। यही कारण है कि वास्तविक शुन्य न होने से हम अंतराल मापनी से मापी गयी वस्तुओ या गुणों को जोड़-घटा सकते हैं पर गुणा-भाग नहीं कर सकते, क्योंकि उसके लिए एक वास्तविक शून्य का होना आवश्यक है (जो कि अनुपात मापनी में होता है, जिसे हम आगे देखेंगे। वास्तविक शुन्य का अर्थ होता है कि जब कोई वस्तु या गुण का अस्तित्व ही न हो। घड़ी द्वारा मापे गए समय में 0 का अर्थ यह नहीं होता कि 0 बजते ही समय का अस्तित्व ही नहीं रहा। पर थ्यान दीजिये, यदि आप कहें कि आपका भाई आपसे आधी उम्र का है (जो कि आपने अपनी उम्र को उसकी उम्र से भाग करके बताया तो ऐसा करना सही होगा क्योंकि यह समय अंतराल स्तर पर नहीं है जहाँ अंको में गुणा-भाग न किया जा सके, यह अनुपात स्तर पर है, और अनुपात स्तर में वास्तविक शुन्य (true zero) होता है। इसका अर्थ है कि जब हम कहेंगे 0 वर्ष तो उसका अर्थ होगा कि उस समय वर्ष का अस्तित्व ही नहीं है, यानि जब आप या आपका भाई 0 वर्ष के थे तो इसका अर्थ है आप पैदा ही नहीं हुए थे।

दूसरा उदाहरण लेते हैं जो कि इस मापनी का उपयुक्त तथा प्रचलित उदाहरण है। सेंटीग्रेड या फ़ारेनहाइट में मापा गया तापमान अंतराल स्तर का माप होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि इनमें दो तापमानो के बीच अंतर समान रहता है, यानि 2 डिग्री और 4 डिग्री के बीच का अंतर 8 डिग्री और 10 डिग्री के बीच के अंतर के समान है। यह अंतराल मापनी पर इसलिए भी है क्योंकि सेंटीग्रेड या फ़ारेनहाइट में कोई वास्तविक शुन्य नहीं होता क्योंकि ० डिप्री पर ऐसा नहीं है के तापमान का अस्तित्व ही नहीं रहता। इसी कारण हम सेंटीग्रेड या फ़ारेनहाइट के तापमान में यह नहीं कह सकते कि एक तापमान दूसरे का कितना गुना है। जैसे, यदि गया में तापमान 40 डिग्री सेंटीग्रेड है और शिमला में 20 डिग्री सेटीग्रेड है तो हम यह नहीं कह सकते कि गया शिमला से दूगना गर्म है। अन्तराल स्तर का मनोविज्ञान के क्षेत्र में एक और प्रचलित उदाहरण है जो कि प्रतियोगी परीक्षाओं में अक्सर पूछा भी जाता है। प्रश्न होता है कि बुद्धिमत्ता (Intellignce) का मापन के किस स्तर पर मापन किया जाता है? लोग अक्सर इसे अनुपात स्तर (जो कि हम आगे देखेंगे) पर समझने की भूल कर बैठते हैं जबकि सच ये है की यह अंतराल स्तर का मापन होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि यदि किसी व्यक्ति A का IQ 80 है और ट्रसरे व्यक्ति B का IQ 90 है जबकि C का IQ 100 है तो A और B के बीच IQ में उतना ही अंतर है जितना B और c में। पर यदि D का IQ 50 है तो ये नहीं कह सकते कि D का IQ c के IQ का आधा है। हम ये इसलिए नहीं कह सकते क्योंकि 0 IQ किसी का हो ही नहीं सकता। वैसे भी मनुष्यों में न्यूनतम IQ 20 होता है जो अत्याधिक मानसिक विकलांगता की निशानी है। इसीलिए इसमें वास्तविक शून्य संभव ही नहीं है।

शोधकर्ता नामित और क्रमिक स्तर के लिए सभी उपयूक्त विश्लेषण अंतराल माप पर भी कर सकते हैं। इसके अलावा इस मापनी में करीब-करीब सभी सांख्ककीय विधियों का प्रयोग किया जा सकता है। उदाहरण के लिए- सताक (Mean), मनक विचन (Stanard Deviation) तथा सहसम्बन्ध गुणणांक ()। इस स्तर पर केवल हम Coefficient of Variance का प्रयोग नहीं कर सकते।

4) अनुपत स्तर (Ratio scale)

यह मापन का चतुर्थ स्तर (Fourth Level) है | इस मापन स्तर पर मापन अधिक यथार्थ एवं शुद्ध रहता है। मापन की यह वस्तुनिष्, विश्वसनीय व वैज्ञानिक मापनी है। इसमें अन्य तीनों स्तरों की विशोषतारँ विद्यमान होती हैं। इस स्तर की प्रमुख विशेषता एक वास्तविक शून्य का होना है। इस शून्य बिंदु का सम्बन्ध किसी घटना, शीलगुण या विशेषता की शुन्य मात्रा से होता है। भौतिक मापन में हमेशा वास्तविक शुन्य बिंदु पाया जाता है, जैसे- मीटर, किलोमीटर, ग्राम, लीटर, मिलीमीटर आदि। अनुपात मापनी या स्तर का वास्तविक शून्य (Absolute Zero) बिंदु मापनी का प्रारंभिक बिंदु माना जाता है। इसी के द्वारा हम दो स्थानों या विशेषताओं के मध्य दूरी का अनुमान लगा पाते हैं तथा कह सकते हैं कि A स्थान की तुलना में B स्थान कितना अधिक पास यादूर है। इसी प्रकार, यदि किसी गुण के आधार पर अमित, राजीव व प्रशांत को क्रमशः 30, 60 और 90 अंक प्रदान किए जाएँ तो इस मापनी के अनुसार हम कहेंगे कि जो गुण अमित में जिस मात्रा में विद्यमान है, राजीव में उससे दोगुनी मात्रा में तथा प्रसांत में तीन गुनी मात्रा में है। अतः इस मापनी की प्रत्येक इकाई की दी गयी संख्या मापित गुण की विभित्र मात्राओं के मध्य अनुपात को प्रकट करती हैं। एक अनुपातिक मापनी में किन्हीं दो बिंदुओं के बीच का अनुपात, मापन की इकाई पर निर्भर नहीं करता। लम्बाई, जिसका मापन फुट, इंच, या किन्हीं अन्य इकाइयों में होता है, एक अनुपातिक मापनी है। एक वस्तु जिसकी लम्बाई 12 फुट 6 इंच है उस वस्तु से दुगनी है जिसकी लम्बाई 6 फुट 2 इंच है। वजन या भार का मापन भी अनुपातिक मापनी में होता है क्योंकि किलोग्राम या पाउंड में भी वास्तविक शून्य होता है। वास्तविक शुन्य का अर्थ है कि ० किलग्राम का अर्थ है कि वह वस्तु अस्तित् में ही नहीं है।

अनुपात स्तर का एक प्रचलित उदाहरण है- तापमान का मापन, लेकिन सेंटीग्रेड या फ़ारेनहाइट में नहीं, केल्विन में। केल्विन में जब तापमान मापा जाता है तो वह अनुपातिक स्तर का मापन होता है क्योंकि 0 केल्विन वह तापमान है जब तापमान का अस्तित्व ही नहीं रहता, 0 केल्विन पर अणुओं कि गति तक रुक जाती है और वे स्थिर हो जाते हैं। अतः केल्विन में तापमान का मापन अनुपात स्तर पर। होता है। दूसरे शब्दों में यह कहा जा सकता है कि 200 केल्विन 100 केल्विन से दुगना गर्म होता है। क्योंकि वास्तविक शून्य के कारण गुणा और भाग संभव है। अनुपात माप के लिए, शोधकर्ता उन सभी उपयुक्त गणितीय विधियों का उपयोग कर सकते हैं जो नामित, क्रमिक और अंतराल माप के लिए निर्धारित हैं। इसके अलावा, ज्यामितीय औसत (Geometric mean), हार्मोनिक औसत (Harmonic mean), प्रतिशत भिन्रता (Percent variance) और Coefficient of Variance जैसी गणितीय विधियाँ भी लागू होती हैं।

मापन के चार स्तर कौन कौन से हैं?

मापन के स्तर इस आधार पर मनोवैज्ञानिक स्टैनले स्मिथ स्टेवेंस ने मापन के चार स्तर बताए - नामिक मापक, क्रमिक मापक, अंतराल मापक और अनुपात मापक।

मापन के स्तर कितने प्रकार के होते हैं?

मापन के ये चार स्तर (प्रकार)-.
नामित मापन (Nominal Measurement),.
क्रमित मापन (Ordinal Measurement),.
अन्तरित मापन (Interval Measurement), तथा.
अनुपातिक मापन (Ratio Measurement) है।.

मापन के कितने चरण होते हैं?

मूलतः मापन प्रक्रिया के तीन चरण है । 1. गुणों को पहचानना - किसी भी व्यक्ति या मापन से पूर्व सर्वप्रथम उसके गुणों को पहचानकर उनकी व्याख्या की जाती है , क्योंकि मापन के अन्तर्गत व्यक्ति या वस्तु के संपूर्ण व्यवहार का अध्ययन न कर उसके केवल कुछ ही गुणों का मापन किया जाता है ।

मापन का सबसे उच्च स्तर कौन सा है?

नामित स्तर से ऊपर क्रमित स्तर आता है तथा इसे नामित स्तर से उच्च माना जाता है। क्रमित स्तर के बाद अंतराल स्तर आता है जो कि क्रमित से बेहतर होता है तथा अंत में अनुपातिक स्तर आता है जो की मापन की क्रिया में सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है