हिन्दी ऑनलाइन जानकारी के मंच पर हिन्दी भाषा साहित्य के महान व्यक्तित्व माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं ( makhanlal chaturvedi poems in hindi) पढ़ने के लिए आप सभी हिन्दी प्रेमियों का स्वागत है। Show
हिन्दी साहित्य में माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं बहुत प्रसिद्ध हैं। जिसमें से पुष्प की अभिलाषा कविता ( pushp ki abhilasha poem ) बहुत ज्यादा प्रसिद्ध कविता है। पुष्प की अभिलाषा कविता ( pushp ki abhilasha poem ) के साथ साथ यहां और भी प्रसिद्ध माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं ( famous makhanlal chaturvedi poems in hindi ) लिखी गई हैं। माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाओं ( makhanlal chaturvedi poems in hindi ) में से कुछ प्रसिद्ध रचनाएं यहां प्रस्तुत की गई हैं। आइए पढ़ते हैं makhanlal chaturvedi poems in hindi, माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं, माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं. पुष्प की अभिलाषा ( pushp ki Abhilasha poem )चाह नहीं मैं सुरबाला के गहनों में गूँथा जाऊँ, मुझे तोड़ लेना वनमाली। दीप से दीप जले ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )सुलग-सुलग री जोत दीप से दीप मिलें लक्ष्मी खेतों फली अटल वीराने में लक्ष्मी सर्जन हुआ
कमल के फूलों में गिरि, वन, नद-सागर, भू-नर्तन तेरा नित्य विहार शकट चले जलयान चले गतिमान गगन के गान उषा महावर तुझे लगाती, संध्या शोभा वारे भवन-भवन तेरा मंदिर है स्वर है श्रम की वाणी वह नवांत आ गए खेत से सूख गया है पानी तू ही जगत की जय है, तू है बुद्धिमयी वरदात्री युग के दीप नए मानव, मानवी ढलें प्यारे भारत देश ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )प्यारे भारत देश गगन-गगन तेरा यश फहरा ओ ऋषियों के त्वेष वेदों से बलिदानों तक जो होड़ लगी सुख कर जग के क्लेश तेरे पर्वत शिखर कि नभ को भू के मौन इशारे बातें करे दिनेश जपी-तपी, संन्यासी, कर्षक कृष्ण रंग में डूबे श्रम के भाग्य निवेश वह बज उठी बासुँरी यमुना तट से धीरे-धीरे जय-जय अमित अशेष वेणु लो, गूँजे धरा ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )वेणु लो, गूँजे धरा मेरे सलोने श्याम युग-धरा से दृग-धरा तक
खींच मधुर लकीर शील से लग पंचशील बना, लगी फिर होड़ वेद की-सी वाणियों-सी निम्नगा की दौड़ आज बल से, मधुर बलि की, यों छिड़े फिर होड़ हैं तुम्हारे साथ वंशी के उठे से वंश यह उठी आराधिका सी राधिका रसराज आज कोई विश्व-दैत्य तुम्हें चुनौती दे किन्तु प्रण की, प्रण की बाजी जगे उस दिन आज प्राण वसुन्धरा पर यों बिके से हैं जग उठे नेपाल प्रहरी, हँस उठे गन्धार नष्ट होने दो सखे! संहार के सौ काम अमर राष्ट्र ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )छोड़ चले, ले तेरी कुटिया यह जागृति तेरी तू ले-ले सूली का पथ ही सीखा हूँ एक फूँक, मेरा अभिमत है इस चढ़ाव पर चढ़ न सकोगे श्वेत केश?- भाई होने को अपना कृपा-दान एकत्रित मत बोलो वे रस की बातें जिस रस में कीड़े पड़ते हों हाय, राष्ट्र-मन्दिर में जाकर, मैं यह चला पत्थरों पर चढ़ चट्टानें चिंघाड़े हँस-हँस बहुत हुई यह आँख-मिचौनी मेरी आँखे, मातृ-भूमि से मैं पहला पत्थर मन्दिर का मरण और सपनों में अमर राष्ट्र, उद्दण्ड राष्ट्र, उन्मुक्त राष्ट्र मैं न सहूँगा-मुकुट और दूधिया चाँदनी साँवली हो गई ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )साँस के प्रश्न-चिन्हों, लिखी
स्वर-कथा खेल खेली खुली, मंजरी से मिली वृत्त लड़ियाँ बना, वे चटकती हुई चूँ चहक चुपचपाई फुदक फूल पर वह कहाँ बज उठी श्याम की बाँसुरी ये शिखर, ये अँगुलियाँ उठीं भूमि की शीष के ये खिले वृन्द मकरन्द के एक तुम हो ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )गगन पर दो सितारे: एक तुम हो रहे साक्षी लहरता सिंधु मेरा कला के जोड़-सी जग-गुत्थियाँ ये तुझे सौगंध है घनश्याम की आ तुम्हारी यातनाएँ और अणिमा तुम्हारी जीभ के पैंरो महावर रहे मन-भेद तेरा और मेरा प्रलय की आह युग है, वाह तुम हो वे तुम्हारे बोल ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )वे तुम्हारे बोल वे अनमोल मोती किंतु आज जब तुम आज तुम होते कि कल-कल स्वर में बोल उठी है ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )नयी-नयी कोपलें, नयी कलियों से करती जोरा-जोरी उस सुदूर झरने पर जाकर हरने के दल पानी पीते उस अलमस्त पवन के झोंके ठहर-ठहर कैसे लहाराते बेलों से बेलें हिलमिलकर, झरना लिये
बेखर उठी हैं किरन-किरन सोना बरसाकर किसको भानु बुलाने आया मेरी उनकी प्रीत पुरानी, पत्र-पत्र पर डोल उठी है हाँ, याद तुम्हारी आती थी ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )हाँ, याद तुम्हारी आती थी कुछ दूख सी जी में उठती थी पर ओ, प्रहर-प्रहर के प्रहरी तुम पत्ती-पत्ती पर लहरे जी के झुरमुट से झाँक उठे पर
ओ राह-राह के राही तुम जाने कुछ सोच रहे थे अनचाही चाहों से लूटी पर जो छंद-छंद के छलिया तुम धक-धक पर नाच रहे हो छिपते हो, व्याकुल होती हूँ पर ओ खेल-खेल के साथी जंजीरें हैं, हथकड़ियाँ हैं मत मेरे सींखचे बन जाओ मैंने ही आरती सँजोई बेटी की विदा ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )आज बेटी जा रही है मिलन यह जीवन प्रकाश यह क्या, कि उस घर में बजे थे, वे
तुम्हारे प्रथम पैंजन आज यादों का खजाना, याद भर रह जायगा क्या गोदी के बरसों को धीरे-धीरे भूल चली हो रानी मेरा गर्व, समय के चरणों
पर कितना बेबस लोटा है कैसा पागलपन है, मैं बेटी को भी कहता हूँ बेटा बेटा आज विदा है तेरी, बेटी आत्मसमर्पण है यह सावन आवेगा,
क्या बोलूँगा हरियाली से कल्याणी दीवाली आवेगी, होली आवेगी, आवेंगे उत्सव भाई के जी में उट्ठेगी कसक, सखी सिसकार उठेगी तब क्या होगा झूमझूम जब बादल बरस उठेंगे रानी कैसे चाचाजी
बहलावें, चाची कैसे बाट निहारें आज वासन्ती दृगों बरसात जैसे छा रही है। आज बेटी जा रही है। कैसी है पहिचान तुम्हारी ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )कैसी है पहिचान तुम्हारी पथरा चलीं पुतलियाँ, मैंने धन्य-कुसुम ! पाषाणों पर ही किरणों प्रकट हुए, सूरज के काँच-कलेजे में भी करुणा प्रणय और पुरुषार्थ तुम्हारा प्राण,
कौन से स्वप्न दिख गये रोटियों की जय ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )राम की जय पर खड़ी है रोटियों की जय अन्ध-भाषा अन्ध-भावों से भरा हो देश भूत कुछ पचता न हो, भावी न रुचता हाय जब कि वाणी-कामिनी, नित पहिन घुँघुरू यार आज मीठे कीच में ऊगे प्रलय की बेल ज्वार से? ना ना किसी तलवार से सिर जाय जलियाँ वाला की वेदी ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )नहीं लिया हथियार हाथ में, नहीं किया कोई प्रतिकार मुरझा
तन था, निश्वल मन था जीवन ही केवल धन था मंदिर में था चाँद चमकता, मसजिद में मुरली की तान गुरु गोविन्द तुम्हारे बच्चे अब भी तन चुनवाते हैं गली-गली में अली-अली की गूँज मचाते हिल-मिलकर रामचन्द्र मुखचन्द्र तुम्हारा घातक से कब कुम्हलाया जाओ, जाओ, जाओ प्रभु को, पहुँचाओ स्वदेश-संदेश रामचन्द्र तुम कर्मचन्द्र सुत बनकर आ जाना सानन्द चिन्ता है होवे न कलंकित हिन्दू धर्म, पाक इस्लाम स्वागत
है सब जगतीतल का, उसके अत्याचारों का गोली को सह जाओ, जाओ प्रिय अब्दुल करीम जाओ बोल तो किसके लिए मैं ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )बोल तो किसके लिए मैं प्राणों की
मसोस, गीतों की बोल तो किसके लिए मैं मत उकसा, मेरे मन मोहन कि मैं बोल तो किसके लिए मैं तुमसे बोल बोलते, बोली बोल तो किसके लिए मैं तुझे पुकारूँ तो हरियातीं बोल तो किसके लिए मैं भर-भर आतीं तेरी यादें बोल तो किसके लिए मैं संध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems )सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं। बोल-बोल में बोल उठी मन की चिड़िया यह उड़ान, इस बैरिन की मनमानी पर सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं। सूरज का संदेश उषा से सुन-सुनकर ये कलरव कोमल कण्ठ सुहाने लगते हैं सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं। जीवन के अरमानों के काफिले कहीं, ज्यों जूएँ की हारों से ये मीठे लगते हैं सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं। ऊषा-सन्ध्या दोनों में लाली होती है नीड़ों को लौटे ही
भाते हैं मुझे बहुत सन्ध्या के बस दो बोल सुहाने लगते हैं। उम्मीद है कि आप सभी पाठकों को माखनलाल चतुर्वेदी की कविताएं ( Famous Makhanlal Chaturvedi poems in hindi ) पसंद आयी होंगी। निवेदन है कि अगर इस लेख माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाएं में यदि कोई त्रुटि है तो कमेंट करके जरूर बताएं। Makhanlal chaturvedi poems की तरह हिन्दी की और भी प्रसिद्ध कविताएं पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
please do follow us -: Instagram Page माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा लिखित कविता कौन कौन सी है?कविताएँ. एक तुम हो / माखनलाल चतुर्वेदी. लड्डू ले लो / माखनलाल चतुर्वेदी. दीप से दीप जले / माखनलाल चतुर्वेदी. मैं अपने से डरती हूँ सखि / माखनलाल चतुर्वेदी. कैदी और कोकिला / माखनलाल चतुर्वेदी. कुंज कुटीरे यमुना तीरे / माखनलाल चतुर्वेदी. गिरि पर चढ़ते, धीरे-धीर / माखनलाल चतुर्वेदी. सिपाही / माखनलाल चतुर्वेदी. माखनलाल चतुर्वेदी की कविताओं का मुख्य स्वर क्या है?इनकी कविता में अनुभूति, भावना, आदर्श, त्याग, राष्ट्र-प्रेम, समाज-कल्याण आदि का बडा महत्व है। महात्मा गांधी जी की सत्य-अहिंसा, तिलक की बलिदान भावना और कविवर रवींद्र की मानवपूजा आदि इनके काव्य के आधार-तत्व हैं।
माखन लाल चतुर्वेदी जी ने कौन सी तीन पत्रिकाओं का?माखनलाल एक ज्वलंत पत्रकार थे
उन्होंने प्रभा, कर्मवीर और प्रताप का संपादन किया.
माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक उपनाम क्या है उनके किसी एक कविता संग्रह का नाम बताइए?माखनलाल चतुर्वेदी की प्रसिद्ध रचनाओं में हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिनी, माता, युगचरण, समर्पण, वेणु लो गूंजे धरा हैं। इनके अतिरिक्त चतुर्वेदीजी ने नाटक, कहानी, निबन्ध, संस्मरण भी लिखे हैं। इनके भाषणों के 'चिन्तक की लाचारी' तथा 'आत्म-दीक्षा' नामक संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं।
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