मुहावरे तथा कहावतों का प्रयोग क्यों करते हैं? - muhaavare tatha kahaavaton ka prayog kyon karate hain?

कहावतों में कितना ज्ञान?

  • मिर्ज़ा एबी बेग
  • बीबीसी हिंदी डॉट कॉम के लिए, दिल्ली से

3 मई 2010

मुहावरे तथा कहावतों का प्रयोग क्यों करते हैं? - muhaavare tatha kahaavaton ka prayog kyon karate hain?

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इन्हें देखकर तो ये हरगिज़ नहीं कहा जा सकता कि हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती

मुहावरे, कहावतें, लोकोक्तियाँ, या मसल, ये सारी चीज़ें किसी भाषा और संस्कृति की पहचान होती हैं और इनमें ज्ञान भरा होता है.

अरबी भाषा में एक कहावत है अल-मिस्ल फ़िल कलाम कल-मिल्ह फ़ित-तआम यानी बातों में कहावतों या मुहावरों और उक्तियों की उतनी ही ज़रूरत है जितनी कि खाने में नमक की.

हम अपनी बात में वज़न पैदा करने के लिए इन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन उर्दू, फ़ारसी और अरबी भाषा में कहावतों की जगह आम तौर पर शेर ने ले ली है और लोग बात-बात में इसका प्रयोग कर अपने ज्ञान और भाषा का रौब जमाते रहते हैं.

यहां मैं अरबी, फ़ारसी या उर्दू की कहावतों या मुहावरों की बात नहीं कर रहा हूँ बल्कि अंग्रेज़ी के कुछ प्रोवर्ब (proverb) की बात करनी है.

तो आइए देखते हैं कुछ ऐसे प्रोवर्ब जो हमारी अपनी भाषा में भी मिलते हैं.

A bad workman quarrels with his tools नाच न जाने आंगन टेढ़ा

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कुत्तों को जहां इंसान का बेहतरीन दोस्त कहा जाता है वहीं इसके बारे में ये कहावत भी काफ़ी प्रचलित है

All that glitters is not gold हर चमकती चीज़ सोना नहीं होती

Barking dogs seldom bite जो गरजते हैं वो बरसते नहीं

Fortune favours braves हिम्मते मरदाँ मददे-ख़ुदा

Too many cooks spoil the broth तीन मुल्ला में मुर्ग़ी हराम या बहुरो जोगी मठ उजाड़

From the frying pan into the fire आसमान से गिरे खजूर में अटके

Empty vessels sound much थोथा चना बाजे घना

As you sow so shall you reap जैसी करनी वैसी भरनी

Old habits die hard बंदर कभी गुलाटी मारना नहीं भूलता

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पानी में महल तो देखा अब हवाई क़िला बनाने की बारी है

Make castles in air हवाई क़िले बनाना

A prophet is never acclaimed at home घर की मुरग़ी दाल बराबर, या घर का जोगी जोगना, आन गाँव का सिद्ध

It is hard to live in Rome and strive against the Pope जल में रह कर मगरमच्छ से बैर

Might is right जिसकी लाठी उसकी भैंस

to add insult to injury जले पर नमक छिड़कना

ये सूची तो काफ़ी लंबी है इसलिए अब और जले पर नमक छिड़कने की कोशिश नहीं होगी वैसे आप ये तो जानते ही हैं---

All is well that ends well अंत भला तो सब भला

मुहावरे आपकी पहचान हैं

  • मार्क पीटर्स
  • बीबीसी कैपिटल

26 नवंबर 2016

मुहावरे तथा कहावतों का प्रयोग क्यों करते हैं? - muhaavare tatha kahaavaton ka prayog kyon karate hain?

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किसी भाषा को दमदार तभी कहा जा सकता है जब उसमें हरेक भाव को व्यक्त करने के लिए हर तरह का शब्द मौजूद हो. अगर उसमें बड़ी संख्या में कहावतें, मुहावरें और लोकोक्तियां मौजूद हों तो कहने ही क्या.

कहने को तो मुहावरे और कहावतें चंद शब्दों से मिलकर बनते हैं, लेकिन उनके मतलब बहुत गहरे होते हैं. ऐसा नहीं है कि मुहावरे या कहावतें किसी एक ख़ास ज़बान का ही हिस्सा हों या किसी एक ख़ास देश से उनका ताल्लुक़ हो, बल्कि ये सब जगह बिखरे हुए हैं.

यहां तक कि हरेक इलाक़े की स्थानीय भाषाओं में भी बहुत तरह के मुहावरे बना लिए जाते हैं.

कुछ कहावते हैं तो ऐसी हैं जो हर इलाक़े में मिल जाती हैं. जैसे 'बिना दर्द झेले कभी कुछ हासिल नहीं हो सकता'. या फिर 'अंगूर खट्टे हैं'.

कहावतें ज़िंदगी के हरेक पहलू को छूती हैं. और हर तरह के वक़्त की नज़ाकत को बयान करने के लिए काफ़ी होती हैं. कहावतों को बहुत नामों से जाना जाता है. इसे आप लोकोक्ति कह सकते हैं, मिसाल कह सकते हैं, मुहावरा भी कह सकते हैं.

कहावतों को चंद शब्दों में परिभाषित करना आसान नहीं. ऐसा भी नहीं है कि पुरानी पीढ़ी के लोग ही मुहावरों का इस्तेमाल करते रहे हैं. बल्कि नौजवान नस्ल भी इनका भरपूर इस्तेमाल करते हैं.

अगर कोई अपनी भाषा में मुहावरों का इस्तेमाल करता है तो माना जाता है उस शख़्स को भाषा की अच्छी समझ है. जैसे मान लीजिए, किसी आशिक़ का अपनी माशूक़ा से रिश्ता ख़त्म हुआ है, तो आप उसे ये मिसाल देकर समझा सकते हैं. 'तू नहीं तो और सही और नहीं तो और सही'. यानि अगर एक लड़की से रिश्ता टूट गया तो उसमें इतना परेशान होने की ज़रूरत नहीं है, और बहुत मिल जाएंगी जो तुम्हारा हाथ थाम लेंगी.

कुछ मुहावरे ऐसे भी हैं जिनका बहुत ज़्यादा इस्तेमाल हो चुका है. जैसे ये मुहावरा- 'जो होता है अच्छे के लिए होता है'. या 'हर बात की एक वजह होती है' या 'ईश्वर तुम्हें वही देता है जो तुम संभाल सकते हो'. इस तरह के घिसे-पिटे मुहावरों के इस्तेमाल को कुछ लोग कम अक़्ली की सनद भी मानते हैं.

उनके मुताबिक़ अगर किसी भाषा में नई मिसालें शामिल नहीं की जा रही हैं, तो इससे साफ़ पता चलता है कि लोगों की क्रिएटिविटी में कमी आ रहा है या उसका ठीक इस्तेमाल नहीं हो रहा है.

याल बुक ऑफ़ कोटेशन के सह-संपादक फ्रेड शैपिरो का कहना है कि कारोबारी दुनिया में अलग ही तरह की कहावतें इस्तेमाल की जाती है.

प्रोफ़ेसर शैपिरो का कहना है कि कारोबार की दुनिया में वक्त ही पैसा है. कारोबारी लोगों के पास लंबी बातें सुनने का समय नहीं होता. इसलिए उनकी कोशिश रहती है कि चंद शब्दों में बात पूरी कर ली जाए. कारोबार में मक़सद बड़े होते हैं. आज ज़िंदगी बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रही है. सभी की कोशिश रहती है कम से कम शब्दों में अपनी बात कह दी जाए. इसीलिए ट्विटर का चलन लोगों के बीच खूब बढ़ा है.

शैपिरो का कहना है मुहावरों में भाषा की सादगी होती है, लिहाज़ा उन्हें याद रखना आसान होता है. लेखक जॉन लाथम का कहना है मुहावरे वक़्त के दायरे से परे होते हैं. उनका कोई ख़ास समय नहीं होता. ये इंसानी तजुर्बे की बुनियाद पर बनते हैं.

हरेक मुहावरे और कहावत का जन्म कभी ना कभी कहीं ना कहीं हुआ होता है. लेकिन कब और कहां, ये कह पाना मुश्किल है. किसी भी मुहावरे या कहावत का इतिहास तलाश करना ऐसा ही है जैसे किसी खेत में सुई तलाशना. जिस तरह पुरातत्वविज्ञानियों ने जीवाश्म से इस बात को साबित कर दिया है कि इंसानी वजूद की तारीख़ हमारी सोच से भी पुरानी है. इसी तरह हो सकता है कुछ मुहावरे भी उतने ही पुराने हों. मुहावरे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को विरासत में दिए जाते हैं.

जिस तरह से एक भाषा में समय अनुसार बदलाव होते रहते हैं, उसी तरह मुहावरों में भी वक़्त के मुताबिक़ तब्दीली आती रही है.

अगर किसी लम्हे की हिमायत में कोई मुहावरा है तो उसी लम्हे की मुख़ालफ़त में भी मुहावरा मौजूद है. जैसे एक पुरानी कहावत है. 'एक मर्द के बग़ैर औरत का वजूद ऐसे ही है, जैसे किसी मछली के लिए साइकिल' यानि जिस तरह मछली के लिए साइकिल का कोई उपयोग नहीं है उसी तरह एक औरत के लिए आदमी का वजूद किसी काम का नहीं है. उसके बग़ैर भी औरत का गुज़ारा चल सकता है. ये मिसाल नारीवादी विचारधारा वाली एक लेखिका की है.

1975 में प्रोफेसर शैपीरो को इसी मिसाल के बरअक्स एक मिसाल ऑस्ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निग हेराल्ड में देखने को मिली.

मुहावरे और कोटेशन के बीच बहुत बारीक फ़र्क़ है. मुहावरे कब कैसे बने, ये कहना मुश्किल है लेकिन कोटेशन के बारे में इस बात की पुख़्तगी होती है कि ये कब बनीं और किसकी कोटेशन है. मिसाल के लिए अल्बर्ट आइंस्टाइन या अब्राहम लिंकन ने जो बड़ी बड़ी बातें कहीं वो उनके नाम के साथ मंसूब हो गईं.

मुहावरे कोटेशन से ज़्यादा लोकप्रिय इसलिए भी हो पाए क्योंकि ये लोगों को एक दूसरे से जोड़ते हैं. और हमारे पुरखों की समझ से रूबरू कराते हैं. कारोबारी ज़िंदगी में ये समझ सहकर्मियों का हौसला बढ़ाने के काम आती है. अगर मिसाल बहुत सादा हो तो उसका एक नुक़सान ये भी होता है कि लोग सादा तरीक़े से सोचने लगते हैं. किसी मुश्किल आइडिया पर सोचने की आदत ख़त्म हो जाती है.

मगर, जैसा कि एक कहावत है-सितारों के आगे जहां और भी हैं...तो जहां पुरानी कहावत ख़त्म होगी, वहां नया मुहावरा शुरू हो जाएगा.

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मुहावरे और कहावतों का प्रयोग भाषा में क्यों किया जाता है?

मुहावरे, कहावतें, लोकोक्तियाँ, या मसल, ये सारी चीज़ें किसी भाषा और संस्कृति की पहचान होती हैं और इनमें ज्ञान भरा होता है.

मुहावरे का प्रयोग क्यों करते हैं?

मुहावरे भाषा को सुदृढ़, गतिशील और रुचिकर बनाते हैंमुहावरों के प्रयोग से भाषा में अद्भुत चित्रमयता आती है। मुहावरों के बिना भाषा निस्तेज, नीरस और निष्प्राण हो जाती है। मुहावरे रोजमर्रा के काम के है।

मुहावरों और कहावतों में क्या अंतर है?

मुहावरा एक वाक्यांश होता है. कहावत एक पूर्ण वाक्य होता है. 2. मुहावरे का प्रयोग स्वतंत्र रूप से नहीं होता है.

पचास मुहावरे और कहावतों का अर्थ लिखकर वाक्यों में प्रयोग करो?

गुदड़ी का लाल – गरीब घर में गुणवान का पैदा होना (वाक्य में प्रयोग– राष्ट्रपति कलाम गुदड़ी के लाल हैं।) मिट्टी में मिलना – नष्ट होना (वाक्य में प्रयोग – केदारनाथ में बाढ़ आने पर सब कुछ मिट्टी में मिल गया)। आँखों का तारा होना – बहुत प्रिय होना (वाक्य में। प्रयोग – इकलौती संतान माता – पिता की आँखों की तारा होती है)।