मोबाइल और इंटरनेट के बिना जीवन कैसे जिएं इस पर मित्र को पत्र लिखिए? - mobail aur intaranet ke bina jeevan kaise jien is par mitr ko patr likhie?

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21, विकास नगर
अलीगढ़।

प्रिय मित्र,
दिनेश।
मैं आशा करता हूं कि तुम स्वस्थ होगे और अपनी पढ़ाई में हमेशा की तरह बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे होगे। दोस्त, मैंने आज तुम्हें यह पत्र इसलिए लिखा है कि कई दिनों से मैं यह विचार कर रहा हूं। कि आजकल हम एक दूसरे से सोशल मीडिया, फोन और इंटरनेट के माध्यम से जुड़े रहते हैं। ऐसे में हमें सदैव ही एक दूसरे के विषय में जानकारी रहती हैं। लेकिन क्या तुमने कभी यह सोचा है कि आज 21वीं के इस युग में यदि जीवन बिना मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से बिताना पड़ जाए, तो क्या होगा? दोस्त आज हम प्रत्येक कार्य के लिए पूर्णतया इंटरनेट पर निर्भर हो चुके हैं। फिर चाहे वह सरकारी हो या प्राइवेट संस्थान। हर जगह सारे कार्य इंटरनेट के द्वारा ही किए जा रहे हैं। आज दूर बैठे किसी भी व्यक्ति से संपर्क साधना हो, तो मोबाइल और इंटरनेट का ही सहारा लेना पड़ता है। ऐसे में बिना तकनीक के आज मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन मित्र जहां विज्ञान के आविष्कार मानव सभ्यता के विकास के लिए जरूरी हैं, तो वहीं इसके कई नुकसान भी हैं। इसलिए मेरा मानना है कि हमें तकनीक को अपनी सुविधानुसार प्रयोग में लाना चाहिए। ताकि वह हमारे जीवन को विकास के मार्ग पर ले जाए।

शीघ्र ही हम मिलेंगे। तब तक तुम अपना ध्यान रखना।

तुम्हारा मित्र,
राहुल गुप्ता
आगरा।

मोबाइल और इंटरनेट के बिना जीवन कैसे जिए इस पर मित्र को पत्र लिखिए?

मैं आशा करता हूं कि तुम स्वस्थ होगे और अपनी पढ़ाई में हमेशा की तरह बेहतरीन प्रदर्शन कर रहे होगे। दोस्त, मैंने आज तुम्हें यह पत्र इसलिए लिखा है कि कई दिनों से मैं यह विचार कर रहा हूं। कि आजकल हम एक दूसरे से सोशल मीडिया, फोन और इंटरनेट के माध्यम से जुड़े रहते हैं।

छोटे भाई को पत्र लिखकर समझाइए कि मोबाइल फोन के अत्यधिक प्रयोग से क्या क्या हानियाँ हो सकती हैं?

मोबाइल फोन के इलेक्ट्रोमेगनेटिक विकिरणों का प्रभाव आपकी हड्डियों पर भी पड़ता है और उनमें मौजूद मि‍नरल लिक्विड समाप्त हो सकता है। इससे आपके सेहत पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ सकता है। मोबाइल फोन बच्चों के लिए बहुत नुकसानदायक है। बच्चे दिन भर फ़ोन में व्यस्त रहते और अपनी पढ़ाई को नुकसान पहुंचाते हैं

व्यक्तिगत पत्र कैसे लिखा जाता है?

वैयक्तिक अथवा व्यक्तिगत पत्र- वैयक्तिक पत्र से तात्पर्य ऐसे पत्रों से हैं, जिन्हें व्यक्तिगत मामलों के सम्बन्ध में पारिवारिक सदस्यों, मित्रों एवं अन्य प्रियजनों को लिखा जाता हैं। हम कह सकते हैं कि वैयक्तिक पत्र का आधार व्यक्तिगत सम्बन्ध होता हैं। ये पत्र हृदय की वाणी का प्रतिरूप होते हैं