संस्कारों को मानते हुए आधुनिकता में यकीन रखने वाला एक प्रगतिशील नवयुवक है। वह माँ का आज्ञाकारी पुत्र होते हुए भी माँ की गलत बातों का विरोध भी करता है। जब माँ अविनाश की पत्नी बीमार पड़ जाती है तब माँ अपने बड़े लड़के के घर जाना चाहती है। उस वक्त अतुल स्पष्ट शब्दों में माँ से कहता है – “यदि तुम उस नीच कुल की विजातीय भाभी को इस घर में नहीं संस्कार और भावना Sanskaar aur Bhavna संस्कार और भावना समरी - संस्कार और भावना , विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध एकांकी है . प्रस्तुत एकांकी में उन्होंने एक परिवार का बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया है . Show संस्कार और भावना Sanskaar aur Bhavnaसंस्कार और भावना समरी - संस्कार और भावना , विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध एकांकी है . प्रस्तुत एकांकी में उन्होंने एक परिवार का बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया है . संस्कारों की गहराई के साथ - साथ भावनाओं के आवेग तथा उसके कारण उत्पन्न अंतर्द्वंद्व को प्रस्तुत किया है . प्रस्तुत परिवार में माँ एक प्रमुख पात्र के रूप में उभर कर आती है . वह पुरानी पीढ़ी की एक प्रौढ़ा नारी है . वह अपने संस्कारों को छोड़ना नहीं चाहती है या फिर संस्कारों के साथ समझौता करना उनके लिए संभव ही नहीं है . उनके दो पुत्र अविनाश तथा अतुल है . बड़े पुत्र अविनाश ने एक बंगाली लड़की से शादी कर ली है . पर उसकी माँ विजातीय बहू को न अपना सकी , इसीलिए अपनी पत्नी के साथ अलग घर लेकर रहना पड़ता है . माँ ने बहू को अभी तक देखा भी नहीं है . वे बहू और बेटे के प्रति निर्दयी हो गयी है . इसी बीच उनकी दूसरी बहू उमा और उसका पति अतुल उस विजातीय बहू से मिल भी आये है . इधर अविनाश हैजे से किसी तरह बच जाता है लेकिन उसकी बहू बीमार हो जाती है . माँ जानती है कि यदि बहू को कुछ हो गया तो उनका उनका बेटा अविनाश भी नहीं बच पायेगा . उनके मन में बेटे के प्रति ममता और स्नेह की भावना जाग उठती है . वे अपनी बहू को अपनाने के लिए तैयार हो जाती है . माँ बड़े पुत्र अविनाश व उसकी पत्नी की बिमारी तथा उनसे मिलने से विवश होकर माँ की ममता के कारण अपने पुराने संस्कारों को तोड़ कर अपनी भावनाओं के आवेग में बह जाती है .और अपने बेटे और बहू को अपना लेती है . संस्कार और भावना शीर्षक की सार्थकतासंस्कार और भावना ,विष्णु प्रभाकर जी द्वारा लिखित एक प्रसिद्ध एकांकी है . इस एकांकी में माँ प्रमुख पात्र बन कर आती है . वह अपने पुराने संस्कारों के कारण नयी बातों को अपना नहीं पाती है . उसका बड़ा बेटा अविनाश एक बंगाली युवती से विवाह कर लेता है . अतः माँ ने उसे घर से अलग कर दिया है .वह एक बार बहुत बीमार पड़ जाता है तो उसकी पत्नी ने अपनी जान की बाज़ी लगाकर उसकी जान बचाती है . कुछ समय बाद अविनाश की पत्नी भी बीमार पड़ जाती है. जब इस बात की खबर माँ को लगती है तो वह बहुत चिंतित हो जाती है . पुत्र प्रेम की ममता में वह अविनाश के घर चली जाती है . एक प्रकार माँ पुत्र प्रेम में अपनी पुरानी संस्कारों व परम्पराओं को त्याग कर भावनाओं में बह जाती है . इस प्रकार संस्कारों पर भावनाओं की जीत होती है . अतः कहा जा सकता है कि संस्कार और भावना एकांकी का शीर्षक आरंभ से लेकर अंत तक सार्थक एवं उचित है . संस्कार और भावना एकांकी का उद्देश्यसंस्कार और भावना एक पारिवारिक एकांकी है . इसके माध्यम से एकांकीकार विष्णु प्रभाकर जी ने पारिवारिक संबंधों का गहराई से मार्मिक व सजीव चित्रण किया है .एकांकी का मुख्य उद्देश्य यह दिखाना है कि आपसी रिश्तों व संबंधों में प्रेम व स्नेह से बढ़कर और कुछ नहीं होता है . अपने जीवन में आदर्शों व सिधान्तो को लेकर चलना अच्छी बात है लेकिन उन सिधान्तों व आदर्शों को ढ़ोना सही नहीं है . एकांकीकार ने संस्कार और भावना एकांकी में यह दिखाया है कि यदि रिश्तों को बचाने के लिए हमें अपने संस्कारों व परंपरा से समझौता भी करना पड़े तो अवश्य करना चाहिए .लेखक ने बताया है कि सभी संस्कार व परम्पराएँ मनुष्य के सुख व शांतिपूर्ण जीवन के होते है ,यदि इनके कारण मनुष्य के जीवन में बाधा पड़ने लगे तो उन्हें हमें त्याग देना चाहिए . ICSE Class 10 Hindi Solutions एकांकी-संचय – संस्कार और भावनाICSE SolutionsSelina ICSE SolutionsML Aggarwal Solutions प्रश्न क-i: उत्तर: प्रश्न क-ii: उत्तर : प्रश्न क-iii: उत्तर: प्रश्न क-iv: उत्तर: प्रश्न ख-i: उत्तर: प्रश्न ख-ii: उत्तर: प्रश्न ख-iii: उत्तर: प्रश्न ख-iv: उत्तर: प्रश्न ग-i: उत्तर: प्रश्न ग-ii: उत्तर: प्रश्न ग-iii: उत्तर: प्रश्न ग-iv: उत्तर: |