लैट्रिन का स्वाद कैसा होता है - laitrin ka svaad kaisa hota hai

लैट्रिन का स्वाद कैसा होता है - laitrin ka svaad kaisa hota hai

इस कॉफी के एक कप की कीमत लगभग 6 हजार रुपए है- सांकेतिक फोटो (pixabay)

सिवेट (Civet) नाम पशु के मल से तैयार होने वाली कॉफी (world’s most expensive Civet coffee from ) के एक कप की कीमत लगभग 6 हजार रुपए है. जानकार मानते हैं कि बिल्ली की तरह दिखने वाले इस जानवर की आंतों से गुजरने के बाद कॉफी बीन्स का स्वाद ज्यादा बेहतर हो जाता है.

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  • News18Hindi
  • Last Updated : May 22, 2021, 14:36 IST

    बहुत से लोग कॉफी के बड़े शौकीन होते हैं और इसके नए-नए स्वाद की तलाश में दुनियाभर छान मारते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि दुनिया की सबसे महंगी कॉफी कौन-सी है और क्या बात उसे सबसे खास बनाती है? इस कॉफी का नाम है कोपी लुवाक (Kopi luwak). इसका एक औसत कप अमेरिका में लगभग 6 हजार रुपए का मिलता है. दिलचस्प बात ये है कि ये कॉफी कई एशियाई देशों समेत दक्षिण भारत में भी बनती है, लेकिन इससे भी दिलचस्प ये है कि इसे बिल्ली जैसे पशु की पॉटी या मल से तैयार किया जाता है.

    बिल्ली की ये प्रजाति काफी काम की मानी जाती है 
    सिवेट बिल्ली के मल से तैयार होने वाली इस कॉफी को बिल्ली के नाम पर सिवेट कॉफी (civet coffee) भी कहते है. ये बिल्ली की प्रजाति है लेकिन इसकी बंदर की तरह लंबी पूंछ होती है. इकोसिस्टम बनाए रखने में इस पशु का काफी महत्वपूर्ण योगदान माना जाता है. लेकिन आखिर बिल्ली की पॉटी के भला कैसे कॉफी जैसा पेय तैयार हो सकता है, ये सवाल सबके मन में आता है. इसका जवाब भी हम साथ-साथ जानते चलें.

    कॉफी बीन्स खाने की शौकीन बिल्ली 
    दरअसल होता ये है कि सिवेट बिल्ली को कॉफी बीन्स खाने का शौक है. वे कॉफी की चेरी को अधकच्चे में ही खा लेती हैं. चेरी का गूदा तो पच जाता है लेकिन बिल्लियां उसे पूरा का पूरा पचा नहीं पातीं क्योंकि इसके लिए उनकी आंतों में उस तरह के पाचक एंजाइम्स नहीं होते. ऐसे में होता ये है कि बिल्ली के मल के साथ कॉफी का वो हजम न हो सका हिस्सा भी निकल आता है.

    लैट्रिन का स्वाद कैसा होता है - laitrin ka svaad kaisa hota hai

    सिवेट बिल्ली के मल से तैयार होने वाली इस कॉफी को बिल्ली के नाम पर सिवेट (civet) कॉफी भी कहते हैं- सांकेतिक फोटो (pixabay)

    इस तरह से बनती है कॉफी 
    इसके बाद उसे शुद्ध किया जाता है सभी तरह के जर्म्स से मुक्त करने के बाद आगे की प्रक्रिया होती है. इस दौरान बीन्स को धोकर भूना जाता है और फिर कॉफी तैयार होती है. अब सवाल ये आता है कि बीन्स को बिल्ली के मल से ही लेने की क्या जरूरत! इसे सीधे भी तो तैयार किया जा सकता है. लेकिन नहीं. बिल्ली के शरीर में आंतों से गुजरने के बाद कई तरह के पाचक एंजाइम मिलकर इसे बहुत बेहतर बना देते हैं. यहां तक कि इसकी पौष्टिकता भी कई गुना बढ़ जाती है.

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    क्यों पसंद की जाती है ये कॉफी 
    नेशनल जिओग्रफिक की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि बिल्ली की आंतों से गुजरने के बाद इन बीन्स में पाए जाने वाले प्रोटीन की संरचना में बदलाव होता है. इससे कॉफी की एसिडिटी निकल जाती है और ज्यादा शानदार और स्मूद पेय तैयार होता है. सिवेट कॉफी को खाड़ी देशों, अमेरिका और यूरोप में काफी शौक से पिया जाता है और इसे आम लोगों नहीं, बल्कि रईसों का शौक कहा जाता है.

    लैट्रिन का स्वाद कैसा होता है - laitrin ka svaad kaisa hota hai

    बिल्ली की आंतों से गुजरने के बाद इन बीन्स में पाए जाने वाले प्रोटीन की संरचना में बदलाव होता है- सांकेतिक फोटो (pixabay)

    इंडोनेशिया में ये हो रहा है 
    हमारे यहां कर्नाटक के कुर्ग जिले में इस कॉफी को तैयार किया जाता है. वहीं एशियाई देशों में इंडोनेशिया में इसे भारी मात्रा में बनाते हैं. टूरिस्ट नेशन के तौर पर उभर रहे इस देश में जंगली बिल्लियों की सिवेट प्रजाति को इस कॉफी के उत्पादन की प्रक्रिया में कैद किया जा रहा है. कॉफी बीन्स को तैयार करने की ये प्रक्रिया कॉफी के बागानों के आसपास होती है और सैलानियों को इन जगहों पर सैर-सपाटे के लिए भी ले जाया जा रहा है. इंडोनेशिया का मकसद है कि इससे न केवल उनकी कॉफी को बढ़ावा मिले, बल्कि पर्यटन भी फले-फूले.

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    कई बार एनिमल राइट्स पर काम करने वाली संस्थाएं इसपर आपत्ति भी जता चुकी हैं. लंदन की संस्था वर्ल्ड एनिमल प्रोटेक्शन्स (World Animal Protection) ने अपनी जांच में पाया था कि बाली में कॉफी के 16 बागानों में कई सिवेट कैद में थे. इस बात को संस्था ने उठाया और ये रिपोर्ट एनिमल वेलफेयर नामक पत्रिका में छपी भी थी कि कैसे अपने स्वाद के लिए हम बेजुबान जानवरों पर हिंसा कर रहे हैं.

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    Tags: Coffee, Indonesia, Karnataka, Worlds expensive coffee

    FIRST PUBLISHED : May 22, 2021, 14:36 IST

    लैट्रिन कैसे खाई जाती है?

    त्रिफला: 20 ग्राम त्रिफला रात को एक लिटर पानी में भिगोकर रख दीजिए। सुबह उठने के बाद त्रिफला को छानकर उस पानी को पी लीजिए। इससे कुछ ही दिनों में कब्‍ज की शिकायत दूर हो जाएगी। एक्सरसाइज : कब्‍ज की समस्‍या से बचने के लिए नियमित रूप से व्‍यायाम और योगा करना चाहिए।

    लैट्रिन कितने प्रकार के होते हैं?

    ‌‌‌लैट्रिन कितने प्रकार की होती है ? इस बारे मे जानने से पहले हम मल की कुछ सामान्य बातों के बारे मे जान लेते हैं। ‌‌‌लैट्रिन का गहरा भूरा रंग बिलीरुबिन नामक वर्णक की वजह से बनता है जो लाल रूधिकरणिकाओं के टूटने से बनता है।.
    ‌‌‌काला मल black potty..
    White potty..
    Green potty..
    Red potty..
    Orange potty..

    3 दिन से लैट्रिन नहीं आ रही है क्या करें?

    नींबू पानी नींबू हमारे शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। ... .
    दूध और दही कब्ज की समस्या को दूर करने के लिए पेट में अच्छे बैक्टीरिया का भी होना जरूरी है। ... .
    आयुर्वेदिक दवा सोने से पहले दो या तीन त्रिफला टैबलेट गर्म पानी के साथ लें। ... .
    खाने में फाइबर.

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