लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा जिसे सुनकर लाला जी का जी बैठ? - laala jhaoolaal kee patnee ne aisa kya kaha jise sunakar laala jee ka jee baith?

I. लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. लाला झाऊलाल कहाँ रहते थे? उनकी आय का साधन क्या था?
उत्तर - लाला झाऊलाल काशी के ठठेरी बाज़ार में रहते थे। मकान के निचले भाग में दुकानें बनीं थीं तथा ऊपरी मंजिल में वे रहते थे। उन्हें दुकानों से करीब एक सौ रुपये किराया मिल जाता था, जो उनकी आय का साधन था।

प्रश्न 2. लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लाला जी का जी बैठ गया?
उत्तर -
 लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक उनसे ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। अच्छा खाने-पीने के बाद भी लाला जी के पास एक साथ ढाई सौ रुपये नहीं होते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया।

प्रश्न 3. झाऊलाल ने अपनी समस्या किसे बताई? क्या उन्होंने तुरंत पैसे दे दिएया नहीं कारण बताइये?
उत्तर - झाऊलाल ने अपनी समस्या अपने मित्र पंडित बिलवासी मिश्र को बताई। बिलवासी ने भी तुरंत पैसे नहीं दिए क्योंकि उस समय शह्य खाली हाथ थे। उनके पास भी पैसे न थे।

प्रश्न 4. हफ्ते के आखिरी दिन लाला झाऊलाल के मन में क्या-क्या विचार आ रहे थे?
उत्तर - हफ्ते के आखिरी दिन तक रुपयों का इंतज्जाम न होने से लाला झाऊलाल परेशान थे। वे सोच रहे थे कि यदि आज बिलवासी मिश्र नहीं आए और कल तक ढाई सौ रुपये न मिल पाए तो उन्हें अपनी पत्नी के सामने सारी हेकड़ी से हाथ धोना पड़ेगा।

प्रश्न 5.लाला झाऊलाल की पत्नी जिस लोटे में पानी लाई थी वह कैसा था?
उत्तर - लाला झाऊलाल की पत्नी जिस लोटे में पानी लाई थी वह लाला जी को तनिक भी पसंद न था। उसकी सूरत बेढंगी थी। लोटे की गढऩ कुछ ऐसी थी कि जैसेउसका बाप डमरू तथा माँ चिलम रही हो

प्रश्न 6.लाला झाऊलाल की पत्नी का स्वभाव कैसा था?
उत्तर - लाला झाऊलाल की पत्नी का स्वभाव लाला जी की अपेक्षा कड़ा था। वद्द तर्कशील थी इसलिए, किसी न किसी तरह अपनी बात मनवा ही लेती थी। लाला जी उसकी बातें चुपचाप सह जाया करते थे।

प्रश्न 7. लाला जी के लिए काटो तो बदन में खून नहीं* वाली स्थिति क्यों बन गई थी?
उत्तर - लाला जी जब लोटे से पानी पी रहे थे, तब उनके हाथ से पानी भरा लोटा छूटकर गली में गिरगया। तीसरी मंज्जिल से पानी भरा लोटा गिरकर किसे कितना चोटिल कर देगा यह सोचकर उनकी स्थिति ऐसी हो रही थी।

प्रश्न 8. लोटे के कारण उत्पन्न मुसीबत से लाला जी को किसने बचाया और कैसे?
उत्तर - लोटे दवारा चोटिल अंग्रेज के साथ जब भीड़ आँगन में आ गई तभी लाला जी के मित्र बिलवासी जी आ गए। उन्होंने गालियाँ बकते अंग्रेज को तुरंत कुर्सी पर ष्स्ठाया और सारी भीड़ को आँगन के बाहर निकाल दिया। उन्होंने अंग्रेज के प्रति सहानुभूति प्रकट करके लाला जी को मुसीबत से बचाया।

प्रश्न 9. लाला जी को बिलवासी पर गुस्सा क्यों आ रहा था?
उत्तर - लाला जी के घर में ही उनके मित्र बिलवासी जी उनके पहचानने से इकार कर रहे थे। वे अंग्रेज का साथ देते हुए उसे पुलिस स्टेशन का रास्ता बता रहे थे। लाला जी बिलवासी के मन में छिपी मित्रता नहीं समझ पा रहे थे, इसलिए उन्हें बिलवासी पर पर गुस्सा आ रहा था

प्रश्न 10. मेजर डगलस कौन था तथा उसका क्या शौक था?सप्रमाण लिखिए?
उत्तर -  मेजर डगलस उस अंग्रेज का पड़ोसी था, जो लाला जी के लोटे से चोटिल हुआ था। उसका शौक था- प्राचीन ऐतिहासिक महत्व की वस्तुएँ इकट्ïठी करना। उसने पिछले साल हिंदुस्तान से जहाँगीरी अंडा खरीदा था।

प्रश्न 11. लाला झाऊलाल को बिलवासी जी ने रुपयों के इंतज्जाम करने के तरीके के बारे में क्यों नहीं बताया?
उत्तर - बिलवासी जी ने अपनी पत्नी से चोरी करके रुपयों का इंतज्जाम किया था। अपने साथ लाए रुपयों के अलावा उनहोनें लाला जी के लिए, पाँच सौ रूपये का इंतज्जाम कर दिया। अब उन्हें ढाई सौ रुपये उसी जगह रखने की जल्दबाज्जी थी, जिस कारण वे कुछ न कह सके।

प्रश्न 12. बिलवासी मिश्र के चरित्र से तुम्हें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर - बिलवासी मिश्र के चरित्र से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें मुसीबत में फँसे मित्र की सहायता अवश्य करनी चाहिए। यदि उसके लिए हमें परेशानी उठानी पड़े तो भी हमें इसकी चिंता नहीं करनी चाहिए

प्रश्न 13. यदि बिलवासी मिश्र झाऊलाल की मदद न करते तो क्या होता?
उत्तर - यदि बिलवासी मिश्र झाऊलाल की मदद न करते तो अंग्रेज उन्हें गालियाँ बकता और उसके साथ आई भीड़ आनंदित होती। संभवत: अंग्रेज लाला जी को पुलिस स्टेशन तक चलने के लिए बाध्य करता, जिससे उनकी बदनामी होती।

प्रश्न 14. यह कहानी आज के युवाओं के लिए क्या संदेश देती है?  
उत्तर - यह कहानी युवाओं के लिए यह संदेश देती है कि वास्तविकता तथा सच्चाई को जाने बिना, विदेशी लेबल देखकर वस्तुओं को खरीदने के लिए लालायित नहीं होना चाहिए अन्यथा नुकसान उठाना पड़ सकता है।

प्रश्न 15. अकबरी लोटा कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए कि विवेक से हर समस्या का हल खोजा जा सकता है।
उत्तर - यह सत्य है कि विवेक से हर समस्या का हल खोजा जा सकता है। यह अकबरी लोटा कहानी से भली प्रकार स्पष्ट हो जाता है। बिलवासी मिश्र ने समय पर अपने विवेक का प्रयोग किया। उन्होंने लाला जी को न केवल थाने (पुलिस स्टेशन) जाने से बचाया बल्कि उनकी जरूरत से अधिक पैसों का प्रबंध भी कर दिया।

II. दीर्घ उत्तरीय प्रशन

प्रश्न 1. रुपयों का इंतज्जाम न होने पर लाला जी की साख पर क्या असर पड़ता?
उत्तर -
  रुपयों का इंतज्जाम यदि एक सप्ताह में न हो पाता तो इससे लाला जी की प्रति अपने ही घर में प्रभावित होती। वे अपनी पत्नी को रुपये देने का पक्का वायदा कर चुके थे। अब पत्नी की नज्जरों में उनकी कोई इज़्ज़त न रह जाती। उसकी नजरों में उनका अपना मूल्य घट जाता। वे कई बार अपनी वाहवाही की गाथाएँ उसे सुना चुके थे, पर आज काम पडऩे पर पराजित हो रहे थे। ऐसी स्थिति में वे मुँह दिखाने के काबिल न रह जाते।

प्रश्न 2. 'जहाँगीरी अंडा' क्या था? 'अकबरी लोटा' नामक कहानी के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर -
 'जहाँगीरी अंडे' की कहानी भी कुछ 'अकबरी लोटे' जैसी ही है। इस अंडे को दिल्ली के एक मुसलमान ने तीन सौ रुपये में मेजर डगलस को बेच दिया था। उसने इस अंडे के बारे में बताया कि एक कबूतर ने जहाँगीर और नूरजहाँ का प्रेम कराया था। जहाँगीर ने उस कबूतर के अंडे को बिल्लौर की हाँड़ी में रखवाकर सुरक्षित रखा था। बाद में यही अंडा 'जहाँगीरी अंडा' के रूप में प्रसिद्ध हुआ।

प्रश्न 3. इस कहानी के लिए ‘अकबरी लोटा’ शीर्षक की सार्थकता पर अपने विचार लिखिए।
उत्तर -  इस कहानी के लिए ‘अकबरी लोटा’ शीर्षक पर विचार करने से पता चलता है कि यह कहानी बेढंगे आकार वाले लोटे से शुरू होती है, जिसे लाला झाऊलाल देखना भी पसंद नहीं करते। यही लोटा एक अंग्रेज के पैर पर गिरकर उनके लिए मुसीबत बन जाता है तो यही लोटा ऐतिहासिक ‘अकबरी लोटा’ के नाम से बिककर लाला झाऊलाल को आवश्यकता से अधिक पैसे दिला देता है। सारी कहानी इसी लोटे के इर्द-गिर्द घूमती है। यद्यपि इस कहानी में 'जहाँगीरी अंडे' का भी प्रसंग है, पर वह बहुत ही संक्षिप्त है अत: इस कहानी के लिए यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक तथा उपयुक्त है।

प्रश्न 4. लाला जी के ही लोटे ने उनके लिए किस प्रकार मुसीबत खड़ी कर दी?  
उत्तर - लाला जी के हाथ से पानी-भरा लोटा छूटकर एक अंग्रेज के ,एक पैर पर आकर गिरा और उसका अँगूठा चोटिल हो गया। वह गालियाँ देता हुआ लाला जी के आँगन में आ गया, जिसके पीछे पीछे भीड़ भी आ गई थी। अंग्रेज  दवारा लगातार दी जा रही गालियाँ उनके लिए मुसीबत बन गई थी। वह लाला के खिला.फ शिकायत करने पुलिस स्टेशन जाने को भी तैयार हो गया था।

प्रश्न 5. बिलवासी मिश्र की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।    
उत्तर -  बिलवासी मिश्र प्रत्युत्पन्नमति के  स्वामी थे, जिन्होंने अचानक आ पड़ी समस्या का हल चतुराई से निकाला। उन्होंने अपनी चालाकी से लोटे को उसके वास्तविक मूल्य से कई गुना अधिक पर बेच दिया जिससे लाला जी को पत्नी के लिए देने से अधिक पैसे मिल गए। यह काम उन्होंने निस्वार्थ भाव से कियाथा। इसके लिए उन्होंने कुछ भी नहीं लिया। इन सबके अलावा वे सच्चे मित्र थे, जिन्होंने सही समय पर अपना फ़र्ज निभाया।

लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा जिसे सुनकर लाला जी का जी बैठ गया?

लाला झाऊलाल की पत्नी ने ऐसा क्या कहा, जिसे सुनकर लाला जी का जी बैठ गया? उत्तर - लाला झाऊलाल की पत्नी ने एक दिन अचानक उनसे ढाई सौ रुपये की माँग कर दी। अच्छा खाने-पीने के बाद भी लाला जी के पास एक साथ ढाई सौ रुपये नहीं होते थे। ढाई सौ रुपये की माँग सुनकर उनका जी बैठ गया

लाला झाऊलाल की पत्नी ने कितने रुपये की मांग की थी?

Expert-verified answer ✎... लाला झाऊलाल की पत्नी ने उनसे 250 रुपये मांगे थे। 'अकबरी लोटा' कहानी में लाला झाऊलाल की पत्नी ने लाला झाऊलाल से 250 रुपये की मांग की। उस समय लाला झाऊलाल के पास पैसे नहीं थे, इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी को उस समय टाल दिया और अपने मित्र बिलवासी पंडित को यह बात बताई।

लाला झाऊलाल ने दो और दो जोड़कर स्थिति को समझ लिया आपके अनुसार उन्होंने क्या समझ लिया होगा?

आपके विचार से लाला झाऊलाल ने कौन-कौन सी बातें समझ ली होंगी? उत्तर:- दो और दो जोडकर स्थिति को समझना – अर्थात् परिस्थिति को भाँप जाना। लोटा गिरने पर गली में मचे शोर को सुनकर आँगन में एकत्र हो गई। एक अंग्रेज को भीगे हुए तथा पैर सहलाते हुए देखकर लाला समझ गए कि स्थिति गंभीर है और लोटा अंग्रेज को लगा है।