लेखक को हर वर्ष अगली श्रेणी में प्रवेश करने पर पुरानी किताबें ही क्यों मिलती थीं? - lekhak ko har varsh agalee shrenee mein pravesh karane par puraanee kitaaben hee kyon milatee theen?

हेडमास्टर शर्मा जी ने पीटी साहब को क्यों मुअतल कर दिया?


एक दिन मास्टर प्रीतमचंद ने कक्षा में बच्चों को फ़ारसी के शब्द रूप याद करने के लिए दिए। परन्तु बच्चों से यह शब्द रूप याद नहीं हो सके। इस पर मास्टर जी ने उन्हें मुर्गा बना दिया। बच्चे इसे सहन नहीं कर पाए कुछ ही देर में लुढ़कने लगे। उसी समय नम्र ह्रदय हेडमास्टर जी वहाँ से निकले और बच्चों की हालत देखकर उत्तेजित हो गए और इस प्रकार की क्रूरता को बच्चों के प्रति सहन नहीं कर पाए और पीटी मास्टर को उन्होंने तत्काल मुअत्तल कर दिया। 

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स्काउट परेड करते समय लेखक अपने को महत्वपूर्ण 'आदमी' फ़ौजी जवान क्यों समझने लगता था?


स्काउट परेड में लेखक साफ़ सुथरे धोबी के घुले कपड़े, पॉलिश किए हुए बूट, जुराबों को पहन कर जब लेखक ठक-ठक करके चलता था तो वह अपने आपको फ़ौजी से कम नहीं समझता था। उसके साथ ही जब पीटी मास्टर परेड करवाया करते और उनके आदेश पर लेफ्ट टर्न, राइट टर्न या अबाऊट टर्न को सुनकर जब वह अकड़कर चलता तो अपने अंदर एक फ़ौजी जैसी आन-बान-शान महसूस करता था।

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कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती− पाठ के किस अंश से यह सिद्ध होता हैं?


पाठ के इस अंश द्वारा यह पता चलता है कोई भी भाषा आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती - इस पाठ में लेखक ने बचपन की घटना को बताया है कि उनके आधे से ज्यादा साथी कोई हरियाणा से, कोई राजस्थान से थे। सब अलग-अलग भाषा बोलते हैं, उनके कुछ शब्द सुनकर तो हँसी ही आ जाती थी परन्तु खेलते समय सब की भाषा सब समझ लेते थे। उनके व्यवहार में इससे कोई अंतर न आता था। क्योंकि बच्चे जब मिलकर खेलते हैं तो उनका व्यवहार, उनकी भाषा अलग होते हुए भी एक ही लगती है। भाषा अलग होने से आपसी खेल कूद, मेल मिलाप या आपसी व्यवहार में बाधा नहीं बनती।

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पीटी साहब की 'शाबाश' फ़ौज के तमगों-सी क्यों लगती थी। स्पष्ट कीजिए। 


यदि कोई कतार से सिर इधर-उधर हिला लेता या दूसरी पिंडली खुजलाने लगता इस पर वे उसे लड़के की ओऱ बाघ की तरह झपट पड़ते। परन्तु जब बच्चे कोई भी गलती न करते तो पी. टी. साहब उन्हें शाबाश कहते। बच्चे शाबाश शब्द सुनकर खुश होते और उन्हें लगता कि जैसे फौज में सिपाही को तमंगे दिए जाते हैं वैसा ही तमंग उन्हें भी मिल गया है।

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नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन क्यों उदास हो उठता था?


नयी श्रेणी में जाने पर लेखक को हैडमास्टर जी एक अमीर घर के बच्चे की पुरानी किताबें लाकर देते थे। परन्तु इन नयी कापियों और पुरानी किताबों आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास कर जाती थीं क्योंकि नयी श्रेणी का मतलब और कठिन पढाई और नए मास्टरों से पिटाई का भय होता था। पुराने मास्टरों की भी अपेक्षाएं बढ़ जाती थी। उन्हें लगता था की नयी श्रेणी में आने से बच्चें तेज हो गए हैं और अपेक्षाओं की प्रति न होने पर वे चमड़ी उधेरने में देर न लगाते।

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लेखक को हर नई श्रेणी में प्रवेश करने पर पुरानी किताबें ही क्यों मिलती थी?

उत्तर:- नयी श्रेणी में जाने और नयी कापियों और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता था क्योंकि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण उन्हें हेडमास्टर साहब द्वारा प्रबंध की गयी पुरानी किताबें ही मिलती थी

ख नई श्रेणी में जाने पर लेखक क्या महसूस करते हैं और क्यों?

नयी श्रेणी में जाने पर लेखक को हैडमास्टर जी एक अमीर घर के बच्चे की पुरानी किताबें लाकर देते थे। परन्तु इन नयी कापियों और पुरानी किताबों आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास कर जाती थीं क्योंकि नयी श्रेणी का मतलब और कठिन पढाई और नए मास्टरों से पिटाई का भय होता था। पुराने मास्टरों की भी अपेक्षाएं बढ़ जाती थी।

लेखक का मन पुरानी किताबों से क्यों उदास हो जाता था?

उत्तर: नई श्रेणी में जाने पर लेखक के लिए नई कापियाँ और पुरानी किताबें खरीदी जाती थी। नई श्रेणी में जाने पर अधिक मुश्किल पढ़ाई का भय और कुछ नए शिक्षकों की पिटाई का भय लेखक के मन मे बना रहता था। इसलिए नई श्रेणी में जाने पर लेखक के लिए नई कापियाँ और पुरानी किताबों से आती विशेष गंध से लेखक का बालमन उदास हो उठता था

लेखक को पुरानी किताबों से क्या आती थी?

Solution : लेखक का मन पुरानी किताबों में से आती विशेष गन्ध से उदास हो जाता था क्योंकि उसे वह बिल्कुल पसन्द नहीं थीलेखक अन्य विद्यार्थियों की तरह नई किताबों से पढ़ना चाहता था, लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर थी जिस कारण वह नई किताबें नहीं खरीद पाता और उसे पुरानी किताबों से पढ़ना पड़ता।