लेखक जिस रास्ते से यात्रा कर रहा था वहाँ के किलों को परित्यक्त क्यों कहा गया है? - lekhak jis raaste se yaatra kar raha tha vahaan ke kilon ko parityakt kyon kaha gaya hai?

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लेखक जिस रास्ते से यात्रा कर रहा था वहाँ के किलों को परित्यक्त क्यों कहा गया है?

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Solution

लेखक जिस रास्ते से यात्रा कर रहा था, वहाँ किले बने थे। इन किलों में कभी चीनी सेना रहती थी। आज ये किले देखभाल के अभाव में गिरने लगे हैं। कुछ किसानों ने आकर यहाँ बसेरा बना लिया है। इसलिए इन्हें परित्यक्त कहा है।

Concept: गद्य (Prose) (Class 9 A)

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Chapter 2: ल्हासा की ओर - अतिरिक्त प्रश्न

Q 7Q 6Q 8

APPEARS IN

NCERT Class 9 Hindi - Kshitij Part 1

Chapter 2 ल्हासा की ओर
अतिरिक्त प्रश्न | Q 7

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किले को परित्यक्त क्यों कहा जाता है?

परित्यक्त चीनी किले से जब हम चलने लगे, तो एक आदमी राहदारी माँगने आया। हमने वह दोनों चिटें उसे दे दीं। शायद उसी दिन हम थोङ्ला के पहले के आखिरी गाँव में पहुँच गए। यहाँ भी सुमति के जान-पहचान के आदमी थे और भिखमंगे रहते भी ठहरने के लिए अच्छी जगह मिली ।

यात्रा करते समय लेखक और उसके साथियों ने डाकुओं से अपनी जान कैसे बचाई?

प्रश्न: यात्रा करते समय लेखक और उसके साथियों ने डाकुओं से अपनी जान कैसे बचाई ? उत्तर: तिब्बते यात्रा के दौरान लेखक ने डाँड़े जैसी खतरनाक जगहों पर भिखमंगों का वेश बनाकर यात्रा की और डाकुओं जैसे किसी को देखते ही टोपी उतारकर “कुची-कुची एक पैसा” कहकर यह बताता है कि वह भिखारी है।

परित्यक्त एक चीनी किले में लेखक क्यों ठहरे थे?

दुर्ग के किसी भाग में जहाँ किसानों ने अपना बसेरा बना लिया है, वहाँ कुछ घर आबाद दिखाई पड़ते हैं। ऐसा ही परित्यक्त एक चीनी किला था वहाँ हम चाय पीने को ठहरे। वहाँ जाति-पाँति, छुआछूत का सवाल ही नहीं है और न ही औरतें परदा करती हैं।

परित्यक्त किला किसका था?

जहांपनाह अर्थात् 'विश्व का पनाहगाह' । वह परित्यक्त तुगलकाबाद में लौटने को इच्छुक नहीं था क्योंकि वह इसे अभिशप्त शहर मानता था। पुरानी कहावत है कि किला इसलिए छोड़ दिया गया था कि क्योंकि संत शेख निज़ामुद्दीन औलिया ने अभिशाप दिया था, क्योंकि ग्यासुद्दीन ने उन्हें यहां बावली बनाने से रोक दिया था