खीरा खाने की पूरी तैयारी कर लेने पर नवाब साहब ने क्या किया? - kheera khaane kee pooree taiyaaree kar lene par navaab saahab ne kya kiya?

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी करने का एक चित्र प्रस्तुत किया गया है। इस पूरी प्रक्रिया को अपने शब्दों में व्यक्त कीजिए।

 सेकंड क्लास के एकांत डिब्बे में बैठे नवाब साहब खीरा खाने की इच्छा से दो ताज़े खीरे एक तौलिए पर रखे हुए थे। पहले तो उन्होंने खीरे को खिड़की से बाहर निकालकर लोटे के पानी से धोया फिर उसको करीने से काटकर, उसे गोदकर कड़वा झाग निकाला। फिर खीरों को बहुत सावधानी से छीलकर फाँको पर बहुत कायदे से जीरा, नमक-मिर्च की सुर्खी बुरक दी। इसके बाद एक- एक करके उन फाँको को उठाते गए और उन्हें सूँघकर खिड़की से बाहर फेंकते गए।

Concept: गद्य (Prose) (Class 10 A)

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नवाब साहब ने खीरा खाने के लिए क्या तैयारी की?

नवाब साहब ने खीरा खाने की तैयारी कैसे की? नवाब साहब ने खीरों के नीचे रखा तौलिया झाड़कर अपने सामने बिछा लिया। सीट के नीचे से पानी का लोटा निकाल कर खीरों को खिड़की से बाहर धोया और तौलिए से पोंछ लिया। जेब से चाकू निकाल कर दोनों खीरों के सिर काटकर उन्हें गोदकर उनका झाग निकाला।

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की तैयारी में क्या नहीं किया गया?

उत्तर: नवाब साहब को झूठी शान दिखाने की आदत रही होगी। वे खीरे को गरीबों का फल मानते होंगे और इसलिए किसी के सामने खीरे को खाने से बचना चाहते होंगे। वह यह भी दिखाना चाहते होंगे कि नफासत के मामले में उनका कोई सानी नहीं है। इसलिए उन्होंने खीरे को बड़े यत्न से काटा, नमक-मिर्च बुरका और फिर खिड़की से बाहर फेंक दिया।

खीरे को काटने से पहले नवाब साहब ने क्या किया?

Solution : नवाब साहब ने पहले खीरों को धोया पोंछा सुखाया और फिर तौलिये से साफ किया। तत्पश्रात खीरों को फांकों में काटा और नमक लगाकर लाल मिर्च की सुखी बुरक दी। इतने इत्मीनान से खीरों को सूंघकर बिना खाये ही रसास्वादन करके खिड़की से बाहर फेंक दिया।

नवाब साहब द्वारा खीरा खाने की आग्रह करने पर लेखक ने क्या प्रतिक्रिया व्यक्त की?

नवाब साहब ने जब लेखक से खीरा खाने का आग्रह किया, तब लेखक ने उनका धन्यवाद करते हुए कहा कि इस समय आवश्यकता नहीं महसूस हो रही, साथ ही पाचन-शक्ति भी अच्छी नहीं हैं।