औसत शारीरिक तापमान 36-37 डिग्री सेल्सियस (96.8-98.6 डिग्री फ़ारेनहाइट) होता है। लेकिन जब तापमान 38.3 डिग्री सेल्सियस (100.94 डिग्री फ़ारेनहाइट) से अधिक हो जाता है, तो यह बुखार कहलाता है। इससे पीड़ित होने पर महिला में कांपना, पसीना निकलना, सिरदर्द, डिहाइड्रेशन, मांसपेशियों में दर्द और थकान आदि लक्षण नज़र आते हैं। Show
ऐसा माना है कि बढ़ा हुआ शारीरिक तापमान, फिर चाहे वो बुखार की वजह से हो या गर्म पानी से स्नान करने से, तंत्रिका ट्यूब असामान्यता या स्पाइना बिफिडा (Spina bifida; दरार युक्त रीढ़) हो सकती है। लेकिन यह सिर्फ एक मान्यता है जो कभी सिद्ध नहीं हुयी है। बहुत सी महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान बुखार आता है लेकिन उनके बच्चे बिलकुल ठीक ठाक पैदा होते हैं। (और पढ़ें - गर्भावस्था में थकान) हेल्दी रहने के लिए अपने खानपान का रूटीन ठीक तरह से बनायें। आप नीचे दिए गए इस वीडियो लिंक पर क्लिक कर आप डायट से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी हासिल कर सकते हैं। अपनाएं बुखार के घरेलू उपचार (Home remedies)वैसे तो सामान्य तौर पर या फिर प्रेग्नेंसी में बुखार (Fever during pregnancy) आने पर बिना डॉक्टर की सलाह और जांच के दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। लेकिन आप बुखार में कुछ घरेलू उपाय का ट्रीटमेंट जरूर कर सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप गरम पानी बेसिल लीव्स डालकर सेवन करें। तेज बुखार होने पर ठंडे पानी की पट्टियां जरूर इस्तेमाल करें। आप सिर के साथ ही हाथ और पैरों को भी ठंडी पट्टियों से पोंछ सकते हैं। ऐसा करने से शरीर का तापमान कम होगा। जिस कारण शरीर में कमजोरी आ सकती है। बुखार गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को होने वाली सबसे आम बीमारी है। शरीर के तापमान में वृद्धि होने को बुखार कहते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप भारी कमजोरी, ठंड लगना और नाक बहना आदि हो सकता है या यह फ्लू का संकेत भी हो सकता है।बुखार कई कारणों से हो सकता है जैसे:
शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली जो पहले से ही अधिक कार्यरत होती है, बुखार के दौरान और कमजोर हो जाती है। इससे घबराने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह बुखार संभवतः आपकी गर्भावस्था से संबंधित न भी हो और ज्यादातर महिलाओं को बुखार आने से गर्भावस्था में कोई खतरा नहीं होता है। क्या बुखार गर्भावस्था का संकेत हो सकता है?एक खुशी की बात यह है कि बुखार गर्भावस्था का संकेत हो सकता है! हालांकि, सिर्फ बुखार ही गर्भावस्था का संकेत नहीं है। यदि बुखार के साथ गर्भावस्था के अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं, तो बुखार गर्भवती होने का संकेत हो सकता है। कुछ अन्य लक्षण इस प्रकार हैं:
किस तापमान को बुखार माना जाता हैजब शरीर के तापमान पर असर पड़ता है, और यह बहुत अधिक हो जाता है, तो यह बुखार का संकेत हो सकता है। एक वयस्क के शरीर का तापमान औसतन 95 से 97 डिग्री फारेनहाइट या 38 से 38.5 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है। कोई भी तापमान जो इससे अधिक हो, उसे बुखार कहा जाता है। गर्भावस्था के दौरान बुखार आने के कारणगर्भावस्था के दौरान, कई अन्य बीमारियों से भी बुखार हो सकता है। इनमें से कुछ हैं :
ये समस्याएं सामान्य हैं और आमतौर पर दवा और आराम द्वारा इनका इलाज किया जा सकता है। कुछ ऐसी गंभीर परिस्थितियां, जो उतनी आम नहीं हैं उनका संकेत भी बुखार देता है। इनमें से कुछ हैं: १. सेप्टिक गर्भपातसेप्टिक गर्भपात एक ऐसी स्थिति है जब गर्भ गिरने से या दवाइयों या आपरेशन के द्वारा हुए गर्भपात के कारण गर्भाशय पूरी तरह से संक्रमित हो जाता है। सेप्टिक गर्भपात के अन्य संभावित लक्षण हैं – निम्न रक्तचाप, सांस लेने में कठिनाई, शौच या पेशाब करने में कठिनाई, शरीर का तापमान कम या अधिक होना। २. लिस्टेरियायह एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर दूषित या खाद्य पदार्थों की नियत तिथि की समाप्ति के बाद सेवन के कारण होती है। अत्यधिक हार्मोनल असंतुलन के कारण गर्भवती महिलाओं की प्रतिरक्षा प्रणाली बेहद कमजोर हो जाती है जिससे उनका इस बीमारी से प्रभावित होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो गर्भपात, भ्रूण या नवजात शिशु में संक्रमण, बच्चा मरा हुआ पैदा होना, समय से पहले प्रसव होने की संभावना होती है। बुखार के साथ मतली, दस्त, भ्रम, सिरदर्द, असंतुलन, गर्दन अकड़ना और कंपन होना लिस्टेरिया के लक्षण हैं। ३. कोरिओएम्नियोनाइटिसकोरिअन और एम्नियन झिल्लियां होती हैं जो गर्भाशय को घेरे रहती हैं, और इसके साथ एम्नियोटिक द्रव भ्रूण के स्वस्थ और जीवित रहने के लिए महत्वपूर्ण है। कोरिओएम्नियोनाइटिस एक प्रकार का जीवाणु संक्रमण है जो इन क्षेत्रों को प्रभावित करता है। यदि इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी माँ के लिये समस्या पैदा कर सकती है जैसे – श्रोणि संबंधी (पैल्विक) संक्रमण, पेट में संक्रमण, रक्त के थक्के जमना और गर्भाशय की अंदरूनी दीवार में सूजन। इसके अलावा, गर्भस्थ शिशु को भी जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे – श्वसन संक्रमण, मस्तिष्क ज्वर, और सेप्सिस। इस संक्रमण से पीड़ित माँओं के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय एम्नियोसेंटेसिस बीमारी है। यदि बुखार अन्य लक्षणों के साथ है जैसे – असामान्य रूप से बहुत पसीना आना, दिल की धड़कन तेज होना, योनि से असामान्य स्राव, और गर्भाशय संवेदनशील होना, तो यह कोरिओएम्नियोनाइटिस का संकेत हो सकता है। गर्भावस्था में बुखार के लक्षणगर्भावस्था के कारण होने वाले बुखार के कई लक्षण हो सकते हैं जैसे :
यह सलाह दी जाती है, कि गर्भावस्था के दौरान बुखार होने पर आप उसका पूर्ण निदान करें और अपने डॉक्टर के संपर्क में रहें। क्या यह फूड पॉइजनिंग है?बुखार का एक संभावित कारण फूड पॉइजनिंग हो सकता है, अधिकांश परिस्थितियों में, फूड पॉइजनिंग के कारण बुखार के साथ कुछ अन्य लक्षण भी दिखते हैं जैसे:
गर्भावस्था पर बुखार के प्रभावगर्भावस्था के दौरान बुखार आमतौर पर हानिकारक नहीं होता है। हालांकि, यह सलाह दी जाती है कि आप शरीर के तापमान पर निगरानी रखें। यदि गर्भावस्था के दौरान तेज बुखार पर निगरानी नहीं रखी गई और उसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो भयानक परिणामों का सामना करना पड़ सकता है जिसमें गर्भपात हो सकता है या यह आपके बच्चे या आपके लिए भी घातक हो सकता है। अगर बुखार एक या दो दिन में कम नहीं होता है, तो यह किसी प्रकार के संक्रमण का चिह्न हो सकता है। क्या गर्भावस्था में बुखार आपके बच्चे के लिए हानिकारक है?अगर बुखार के साथ अन्य लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं तो यह हानिकारक नहीं है, लेकिन बुखार अगर तेज है तो यह चिंता का विषय है। तेज बुखार से बच्चे की वृद्धि या विकास संबंधी दोष, गर्भपात, बच्चे में कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, मस्तिष्क क्षति आदि संभावित संक्रमण हो सकते हैं। उपचारबुखार के लिए सबसे अच्छा उपचार आराम करना है। हालांकि अगर कोई संक्रमण हो, तो डॉक्टर एंटीबायोटिक दवाइयां लेने की सलाह दे सकते हैं। ऊपर बताई गई अधिकांश बीमारियों का इलाज दवा और आराम करना है। यहाँ कुछ तरीके बताए गए हैं जिससे डॉक्टर गर्भावस्था के दौरान गंभीर मामलों में बुखार का इलाज कर सकते हैं: १. सेप्टिक गर्भपात के मामले में बुखार का उपचारइस बीमारी का उपचार आपके डॉक्टर गर्भाशय को भीतर से पूरी तरह से साफ करके करेंगे। यदि इसे ऐसे ही छोड़ दिया जाए तो संक्रमण शरीर में दीर्घकाल तक रह सकता है। इस बीमारी में दवा के साथ आराम का सुझाव दिया जाता है। २. लिस्टेरिया में बुखार का उपचारडॉक्टर इस बीमारी के इलाज में एंटीबायोटिक दवाओं के साथ–साथ आराम करने की सलाह देते हैं। डॉक्टर आपको कुछ खाद्य पदार्थों को टालने के लिए भी कहेंगे, जैसे कि पहले से पका हुआ माँस जो आवश्यक तापमान पर गर्म किया या पकाया नहीं गया हो, कच्चा समुद्री भोजन जैसे सुशी, बिना पका या आधा पका हुआ समुद्री भोजन जैसे स्मोक्ड सैल्मन या कोई स्मोक्ड सी फूड, नर्म चीज़ आदि। ३. कोरिओएम्नियोनाइटिस के मामले में बुखार का उपचारयदि माँ को यह बीमारी होने का संदेह है, तो डॉक्टर माँ और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए, अत्यंत प्रभावशाली दवाएं देकर इलाज करेंगे और अगर जरूरत पड़े तो प्रसव जल्दी करवा सकते हैं। माँ और नवजात बच्चे दोनों को कुछ समय के लिए निगरानी में रखा जाएगा और अस्पताल से छोड़े जाने के बाद, डॉक्टर एक या दो सप्ताह तक आराम करने की सलाह देंगे। इलाजअधिकांश परिस्थितियों में बिना पर्ची की मिल जाने वाली दवाई की थोड़ी मात्रा से आपके बुखार का इलाज हो सकता है। पैरासिटामॉल की गोली बुखार के लिए एक आम दवा है और यह आमतौर पर किसी भी दवा की दुकान में मिल जाती है। गर्भावस्था में बुखार की दवा लेना आपके और आपके बच्चे, दोनों के लिए दुष्परिणाम का कारण बन सकता है। किसी भी प्रकार की दवा लेने से पहले अपने डॉक्टर से परामर्श करना हमेशा अच्छा होता है। घरेलू उपचारआपके बुखार को कम करने के लिए कुछ प्राकृतिक उपचार यहाँ दिए गए हैं: १. खुद को हाइड्रेटेड रखेंबड़ी मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें। बिना कार्बन वाले और प्रचुर मात्रा में इलेक्ट्रोलाइट होने वाले पेय सबसे अच्छे हैं। वे न केवल आपके शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखते हैं, बल्कि आपके शरीर के तापमान को भी कम करते हैं और शक्ति प्रदान करते हैं। २. हर्बल चाय पिएंविभिन्न प्रकार की चाय प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्षम बनाने में मदद कर सकती है। इसके अलावा, एक कप गर्म चाय पीने से गले और छाती को आराम मिलता है और यदि आपको कफ हो तो यह इसे भी कम करती है। ३. आराम करेंभरपूर आराम करने से बहुत फर्क पड़ेगा। अपने शरीर को दोबारा कार्य शुरू करने के लिए समय दें। आराम करने से ताकत हासिल करने में मदद मिलेगी और तबियत अधिक खराब नहीं होगी। ४. नमक के पानी से कुल्ला करेंअगर आपको बुखार के साथ फ्लू के भी लक्षण हैं, तो यह उपाय बहुत फायदेमंद होगा। नमक एक एंटीइनफ्लमेटरी पदार्थ है, जिसमें कई ऐसे भी गुण होते हैं जो बुखार और जीवाणु या विषाणु संक्रमण का मुकाबला करते हैं। गर्म पानी में एक चम्मच नमक मिलाकर गरारे करने से गले को राहत मिलती है और साथ ही छाती में जमा कफ और बलगम कम हो जाता है। ५. भाप लेंपानी को उबालकर उसमें थोड़ा पुदीना मिलाएं, अब अपना मुँह पतीले के ऊपर रखें व सिर को एक तौलिये से ढक लें और नाक से सांस लेते हुए भाप को अंदर लें। यह प्रक्रिया आपके रोम छिद्रों को खोलती है जो पसीने के माध्यम से बुखार को कम करती है। इससे छाती और गले का कफ भी कम होता है। गर्भावस्था के बुखार से राहत पाने के लिए सुझावगर्भावस्था के दौरान होने वाले बुखार से राहत पाने के लिए यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं:
बुखार से कैसे बचेंबीमारी होने से बचाव करना सबसे अच्छा उपाय हो सकता है! जब आप गर्भवती होती हैं तब अत्यधिक हार्मोनल असंतुलन और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण आप शरीर को बुखार की चपेट में आने से रोक नहीं सकती हैं, लेकिन यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, जिससे आपको बुखार होने की संभावना कम हो सकती है:
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नगर्भावस्था के दौरान बुखार के बारे में निम्नलिखित प्रश्न अक्सर पूछे जाते हैं। १. मैं गर्भावस्था के दौरान परागज बुखार (हे फीवर) का इलाज कैसे कर सकती हूँ?आप गर्भावस्था के दौरान परागज बुखार के उपचार के लिए डॉक्टर से परामर्श करें। डॉक्टर संभवतः एंटीथिस्टेमाइंस और पैरासिटामॉल की गोलियां लेने की सलाह देंगे ताकि बुखार का इलाज किया जा सके। उन उत्पादों और खाद्य पदार्थों को टालने की सलाह भी दी जा सकती है जिनसे आपको एलर्जी हो। २. क्या लाल ज्वर (स्कार्लेट फीवर) गर्भावस्था के दौरान हानिकारक है?यह एक मिथक है कि लाल ज्वर आपके बच्चे को गर्भावस्था के दौरान नुकसान पहुँचाएगा। यदि आपको प्रसव के दौरान लाल ज्वर है, तो संभवतः आपका बच्चा भी इससे संक्रमित हो सकता है। ऐसा कोई भी लिखित प्रमाण नहीं है जिससे यह साबित हो कि लाल ज्वर से आपके बच्चे को नुकसान पहुँचता है। ३. गर्भावस्था में डेंगू बुखार के खतरे क्या हैं?गर्भावस्था में डेंगू बुखार से कई खतरे हो सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि डेंगू बुखार आपके रक्त में प्लेटलेट्स की संख्या को कम कर देता है। यह सलाह दी जाती है कि आप गर्भावस्था के दौरान डेंगू के जोखिम को पूर्णतः समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। ४. क्या ग्रंथियों (ग्लैंडुलर) का बुखार हानिकारक है?ग्रंथियों का (ग्लैंडुलर) बुखार एक फ्लू है, जिसे आमतौर पर किसिंग फ्लू भी कहा जाता है। सामान्य परिस्थितियों में इस प्रकार के फ्लू से आपके बच्चे को कोई खतरा नहीं होता। दवा और आराम के द्वारा इसका इलाज किया जा सकता है। अधिक जानकारी के लिए अपने चिकित्सक से परामर्श करें। ५. क्या मुझे पहली तिमाही में बुखार आ सकता है?पहली तिमाही के दौरान बुखार होना बेहद आम है क्योंकि यह वह समय होता है जब आपके शरीर में भ्रूण का विकास हो रहा होता है। यह एक कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण भी हो सकता है। इस समय के दौरान होने वाले बुखार के बारे में सही जानकारी के लिये और उसे बेहतर ढंग से समझने के लिए अपने डॉक्टर से परामर्श करें। 2017 में जानवरों के भ्रूण पर हुए एक शोध के अनुसार गर्भावस्था के शुरूआती दौर में बुखार आना भ्रूण के विकास पर नकारात्मक असर डाल सकता है। गर्भावस्था के तीसरे और आठवें सप्ताह के बीच बुखार से जबड़े और दिल के विकास में बाधा उत्पन्न हो सकती है। शोधकर्ताओं का ये भी मानना है कि माँ को बुखार का पता चलते ही डॉक्टर की सलाह से उपचार शुरू करने और इसे गंभीरता से लेने से शिशु के जन्मजात दोषों से बचाव हो सकता है। तथापि, यह अवश्य जान लें कि इस प्रकार के अध्ययन अभी आरंभिक अवस्था में हैं और इनके निष्कर्षों की पुष्टि के लिए बहुत सारे दूसरे शोध व अध्ययनों की आवश्यकता है। गर्भावस्था के दौरान आप या आपके साथी का बीमारियों के बारे में चिंतित होना आम बात है। ऐसी किसी अज्ञात चीज से डर लगना स्वाभाविक है क्या बुखार होना प्रेगनेंसी का लक्षण है?गर्भवती महिलाओं को बुखार होने पर थकान, मतली, सिरदर्द, जोड़ों में दर्द, आंखों से धुंधला दिखाई देना, सांस लेने में दिक्कत, जीभ का स्वाद बदलने, पसीना आने और ठंड लगने जैसे लक्षण दिख सकते हैं। गर्भावस्था में बुखार से कोई नुकसान नहीं होता है लेकिन आपको अपने बॉडी टेंपरेचर पर नजर रखनी होती है।
प्रेगनेंसी में महिलाओं को बुखार क्यों आता है?प्रेग्नेंसी में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर पड़ जाती है, जिसकी वजह से कई महिलाओं को बुखार से भी जूझना पड़ता है. गर्भावस्था में बुखार आना महिलाओं और शिशु को नुकसान पहुंचा सकता है. प्रेग्नेंसी में ज्यादा बुखार की दवा लेना भी सही नहीं होता है. इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरार बुखार आने को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें.
क्या गर्भावस्था में शरीर का तापमान बढ़ जाता है?शरीर का तापमान बढ़ना
शरीर के तापमान का बढ़ना भी आपके गर्भवती होने की तरफ इशारा करता है. जब आप पहली बार ओव्यूलेशन के बाद सुबह उठती हैं तो आपके शरीर का तापमान थोड़ा बढ़ा होता है. अगर यह तापमान (जिसे बेसल बॉडी टेम्परेचर के रूप में जाना जाता है) दो सप्ताह से अधिक समय तक रहता है तो समझ लीजिए कि आप प्रेगनेंट हो चुकी हैं.
प्रेगनेंसी में बुखार लगे तो क्या करना चाहिए?आप पर्याप्त मात्रा में पानी पीकर और भरपूर आराम करके अपने बुखार का उपचार कर सकती हैं। अगर आप काफी ज्यादा अस्वस्थ महसूस करें, तो बिस्तर में ही लेटी रहें, मगर ध्यान रखें कि कंबल ओढ़ने से आपको बहुत ज्यादा गर्मी न लगे और पसीना न आए। बेहतर है कि गर्भावस्था में शरीर का तापमान ज्यादा न बढ़े।
|