क्या लड़कियों को रुद्राक्ष पहनना चाहिए कि नहीं? - kya ladakiyon ko rudraaksh pahanana chaahie ki nahin?

श्रावण मास में शिव-आराधना का विशेष महत्व है। शिव जी को प्रिय लगने वाले सभी चीज़ें श्रावण मास में संपन्न की जाती हैं चाहे वह अभिषेक हो, स्तुति हो, बिल्वपत्र अर्पण हो या फ़िर रुद्राक्ष धारण करना।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार रुद्राक्ष को शिवजी की आंख का अश्रु माना गया है।

वास्तविक रूप में रुद्राक्ष एक फल की गुठली होता है। इस वृक्ष की सर्वाधिक पैदावार दक्षिण पूर्व एशिया में होती है। रुद्राक्ष का वृक्ष एक सदाबहार वनस्पति है जिसकी ऊंचाई 50 से 60 फ़ीट तक होती है।

रुद्राक्ष के वृक्ष के पत्ते लंबे होते हैं। यह एक कठोर तने वाला वृक्ष होता है। रुद्राक्ष के वृक्ष का फूल सफेद रंग का होता है और इसमें लगने वाला फल शुरू में हरा, पकने पर नीला एवं सूखने पर काला हो जाता है। रुद्राक्ष इसी काले फल की गुठली होता है। इसमें दरार के सदृश दिखने वाली धारियां होती हैं जिन्हें प्रचलित भाषा में रुद्राक्ष का मुख कहा जाता है।

यह धारियां एक से लेकर चौदह तक की संख्या में हो सकती हैं। पौराणिक मान्यता अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष अतिशुभ माना जाता है। इसे साक्षात् शिव का स्वरूप माना गया है, वहीं दोमुखी रुद्राक्ष को शिव-पार्वती का संयुक्त रूप माना जाता है।

अनिष्ट ग्रहों की शांति हेतु रुद्राक्ष धारण की अहम् भूमिका होती है। रुद्राक्ष को लाल रेशमी धागे में धारण करने से अनिष्ट ग्रहों के दुष्प्रभावों में कमी आती है।

सामान्यत: महिलाओं को रुद्राक्ष धारण करने की परंपरा नहीं है केवल साध्वियां ही रुद्राक्ष धारण करती देखी गई हैं। किन्तु वर्तमान समय में महिलाओं में भी रुद्राक्ष धारण करने की प्रवृत्ति बढ़ी है। हमारे मतानुसार यदि महिलाएं रुद्राक्ष धारण करें तो अशुद्धावस्था आने से पूर्व इसे उतार दें एवं शुद्धावस्था प्राप्त होने पर पुन: धारण करें।

-ज्योतिर्विद् पं. हेमंत रिछारिया

प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केंद्र

Authored by

Rakesh Jha

| नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated: Apr 26, 2022, 10:30 AM

हिंदू मान्यताओं में रुद्राक्ष का काफी महत्व है। इसे साक्षात भगवान शिव का अंश माना गया है। ऐसी मान्यता है कि रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। कहा जाता है माता सती के देह त्याग के बाद भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारिक तत्व की प्राप्ति हुई।

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    लाभ के लिए रुद्राक्ष धारण करने के नियम

    शास्त्रों और पुराणों के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना भगवान शिव के दिव्य स्वरूप को धारण करने के समान माना गया है। विज्ञान भी मानता है इसे धारण करने से स्वस्थ्य लाभ मिलता है। अगर आप इसे धारण करना चाहते हैं या धारण कर रहे हैं तो इसके कुछ नियमों का जरूर पालन करना चाहिए तभी आपको पूरा लाभ मिल सकता है।

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    इन जगहों पर न जाएं रुद्राक्ष धारण करके

    ऐसा माना गया है कि किसी शवयात्रा या श्मशान जाते समय रुद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए।

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    जब घर में आए यह खुशी रुद्राक्ष धारण ना करें

    प्रसूति कक्ष यानी जहां बच्चे का जन्म हुआ हो उस कक्ष में रुद्राक्ष धारण करके नहीं जाना चाहिए जब तक बच्चे का जातकर्म ना हो जाए। इसका कारण यह माना जाता है कि भगवान शिव जीवन-मृत्यु से परे हैं, इसलिए उनके अंशस्वरूप रुद्राक्ष को जीवन और मृत्युवाले स्थानों पर नहीं धारण करना चाहिए। दूसरी वजह यह है कि इससे रुद्राक्ष निस्तेज हो जाता है।

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    सोते समय उतार दें रुद्राक्ष

    रुद्राक्ष को सोने से पहले उतार देना चाहिए। इसकी वजह यह है कि इस समय शरीर निस्तेज और अशुद्ध रहता है। वैसे व्यवहारिक तौर पर रुद्राक्ष टूटने का डर भी रहता है, जिससे सोते समय इसे उतारने का विधान है। माना जाता है तकिए के नीचे रुद्राक्ष रखकर सोने से आत्मिक शांति मिलती है और बुरे सपने नहीं आते हैं।

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    तामसिक भोजन से रखें परहेज

    इसे धारण करनेवाले व्यक्ति को तामसिक भोजन और मदिरापान का त्याग करना चाहिए। ग्रहण, संक्रांति, अमावस्या और पूर्णिमा, शिवरात्रि, सावन सोमवार, चतुर्दशी के दिन इसे आप धारण करें तो अधिक शुभ फलदायी होता है।

रुद्राक्ष पहनने से पहले जान लें ये नियम, वरना फायदे की जगह होगा भारी नुकसान

Rudraksha Wearing Rules अगर कोई व्यक्ति अपने जीवन में हर तरह के कष्टों को खत्म करना चाहता है तो उसे रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। लेकिन रुद्राक्ष धारण करने से पहले इसके नियम जानना बेहद जरूरी है। क्योंकि नियमों का पालन न करने से शुभ फलों की प्राप्ति नहीं होगी।

नई दिल्ली, Rudraksha Wearing Rules: शास्त्रों में रुद्राक्ष का काफी महत्व बताया गया है। माना जाता है कि रुद्राक्ष भगवान शिव को अति प्रिय है। इसी कारण जो व्यक्ति रुद्राक्ष धारण करता है उसे भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है। इसी कारण रुद्राक्ष को चमत्कारी और अलौकिक माना जाता है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर इक्कीस मुखी तक पाए जाते हैं। जिनकी अपने अलग-अलग महत्व है। माना जाता है कि जो व्यक्ति रुद्राक्ष को नियम और विधि के अनुसार पहन लें तो वह हर तरह के संकटों से छुटकारा पा लेता है और कुंडली में ग्रहों की स्थिति भी सही हो जाती है। जानिए रुद्राक्ष पहनने से पहले कौन से नियम जानना बेहद जरूरी है, जिससे इसे धारण करने के पूर्ण फल प्राप्त हो।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब माता सती ने खुद को अग्नि में प्रवेश कराकर देह का त्याग कर दिया था तब भगवान शिव के रुदन से निकले आंसू पृथ्वी पर कई जगह गिरे और उनसे प्रकृति को रुद्राक्ष के रूप में एक चमत्कारी तत्व की प्राप्ति हुई थी।

क्या लड़कियों को रुद्राक्ष पहनना चाहिए कि नहीं? - kya ladakiyon ko rudraaksh pahanana chaahie ki nahin?

रुद्राक्ष पहनने के नियम

  • प्रात:काल जब रुद्राक्ष धारण करें तो रुद्राक्ष मंत्र और रुद्राक्ष मूल मंत्र का 9 बार जाप करना चाहिए, साथ ही इसे सोने से पहले और रुद्राक्ष को हटाने के बाद भी दोहराया जाना चाहिए। रुद्राक्ष को एक बार निकाल लेने के बाद उस पवित्र स्थान पर रखना चाहिए जहां आप पूजा करते हैं।
  • रुद्राक्ष को तुलसी की माला की तरह की पवित्र माना जाता है। इसलिए इसे धारण करने के बाद मांस-मदिरा से दूरी बना लेना चाहिए।
  • एक महत्वपूर्ण बात यह है कि रुद्राक्ष को कभी भी श्मशान घाट पर नहीं ले जाना चाहिए। इसके अलावा नवजात के जन्म के दौरान या जहां नवजात शिशु का जन्म होता है वहां भी रुद्राक्ष ले जाने से बचना चाहिए।
  • महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए।
  • रुद्राक्ष को बिना स्नान किए नहीं छूना चाहिए। स्नान करने के बाद शुद्ध करके ही इसे धारण करें।
  • रुद्राक्ष धारण करते समय भगवान शिव का मनन करें।इ सके साथ ही शिव मंत्र 'ऊँ नम: शिवाय' का जाप करते रहें।
  • रुद्राक्ष को हमेशा लाल या फिर पीले रंग के धागे में पहनना चाहिए। कभी भी इसे काले रंग के धागे में नहीं पहनना चाहिए। इससे अशुभ प्रभाव पड़ता है।
  • रुद्राक्ष माला को आपने धारण कर लिया है तो अब इसे किसी और को बिल्कुल न दें। इसके साथ ही दूसरे की दी गई रुद्राक्ष को बिल्कुल धारण न करें।
  • रुद्राक्ष की माला को हमेशा विषम संख्या में पहनना चाहिए। लेकिन 27 मनकों से कम नहीं होनी चाहिए।
  • रुद्राक्ष को हमेशा साफ रखें। मनके के छिद्रों में धूल और गंदगी जम सकती है। जितनी बार हो सके इन्हें साफ करें.. अगर धागा गंदा या क्षतिग्रस्त हो जाता है, तो इसे बदल दें। सफाई के बाद रुद्राक्ष को गंगाजल से धो लें। यह इसकी पवित्रता बनाए रखने में मदद करता है।
  • रुद्राक्ष गर्म प्रकृति के होते हैं। जिसके कारण कुछ लोगों को एलर्जी की समस्या हो जाती है। इसलिए बेहतर है कि इसका उपयोग न करें बल्कि पूजा घर में रखकर रोजाना पूजा करें। 

Pic Credit- instagram/eternalzencanada/bhagyajyotishsansthan5

डिसक्लेमर

'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'

Edited By: Shivani Singh

क्या स्त्री रुद्राक्ष पहन सकती है?

सामान्यत: रुद्राक्ष पुरुषों द्वारा ही धारण किया जाता है, परंतु इसे महिलाएं भी धारण कर सकती है, क्योंकि भगवान के लिए महिला और पुरुष दोनों ही समान है, दोनों पर परमात्मा समान रूप से ही प्रेम और कृपा बरसाते हैं

महिलाओं को रुद्राक्ष क्यों नहीं पहनना चाहिए?

कई धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक महिलाएं अपने मासिक अर्ताव की समस्या की कारण अस्वस्थ हो जाती हैं । रुद्राक्ष पहनते वक्त मानसिक और शारीरिक शुद्धता रखना अत्यावश्यक होता है जो महिलाएं संभाल नहीं पाती इसलिए कुछ धार्मिक समुदाय के लोग महिलाओं को रुद्राक्ष पहनने की इजाज़त नहीं देते हैं ।

महिलाओं को कौन सा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए?

एकमुखी रुद्राक्ष एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ माना जाता है. इसे साक्षात् श‍िव बताया गया है. माना जाता है कि इसे धारण करने से व्यक्‍त‍ि को यश की प्राप्त‍ि होती है.