Punjab State Board PSEB 11th Class Hindi Book Solutions Chapter 1 कबीर वाणी Textbook Exercise Questions and Answers. Show Hindi Guide for Class 11 PSEB कबीर वाणी Textbook Questions and Answers प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. PSEB 11th Class Hindi Guide कबीर वाणी Important Questions and Answers अति लघूत्तरात्मक प्रश्न प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. प्रश्न 6. प्रश्न
7. प्रश्न 8. प्रश्न 9. प्रश्न 10. प्रश्न 11. प्रश्न 12. प्रश्न 13. प्रश्न 14. प्रश्न 15. प्रश्न 16. प्रश्न 17. प्रश्न 18. प्रश्न 19. प्रश्न 20. प्रश्न 21. प्रश्न 22. प्रश्न 23. प्रश्न 24. प्रश्न 25. बहुविकल्पी प्रश्नोत्तर प्रश्न 1. प्रश्न 2. प्रश्न 3. प्रश्न 4. प्रश्न 5. साखी सप्रसंग व्याख्या 1. मनिषा जनम दुर्लभ है, देह न बारंबार। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग: व्याख्या: विशेष:
2. कबीर कहा गरबियौ, काल गहै कर केस। कठिन शब्दों के अर्थ : कहा = क्या। गरबियौ = अभिमान करता है। काल = मृत्यु। गहै = पकड़ रखे हैं। कर = अपने हाथों में। केस = बाल। व्याख्या : विशेष :
3. प्रेम न खेतौं नीपजै, प्रेम न हाटि बिकाइ। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रेम = ईश्वर भक्ति। नीपजै = पैदा होती है। हाटि = दुकान पर। रुचै = अच्छा लगे। सिर देना = अहं का त्यागना। प्रसंग : व्याख्या : विशेष:
4. साइं सूं सब होत है बंदे थें कछु नांहि। कठिन शब्दों के अर्थ : साई = स्वामी, ईश्वर । बंदे = मनुष्य। परबत = पर्वत, पहाड़। प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
5. ऐसी बाणी बोलिये, मन का आपा खोइ। कठिन शब्दों के अर्थ : आपा = अहंकार।खोइ = दूर कर, नष्ट करके। तन = शरीर। सीतल = ठंडा। औरन = दूसरों को। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित साखी में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में मधुर वाणी के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। व्याख्या : विशेष :
6. कबीर औगुण ना गहै गुण ही को ले बीनि। कठिन शब्दों के अर्थ : औगुण = अवगुण, बुरी बातें। गहै = ग्रहण करें, ध्यान दें। बीनि = चुन लें, ग्रहण कर लें। घट-घट = प्रत्येक शरीर, फूल। महु = मधु, शहद। मधुप = भँवरा। चीन्हि = चुन लो, पहचान लो। प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
7. हिन्दू मूये राम कहि, मुसलमान खुदाइ। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने राम और खुदा में भेद न कर सच्चे ईश्वर को पहचानने की बात कही है। व्याख्या : विशेष :
8. कबीर खाई कोट की, पाणी पिवै न कोई। कठिन शब्दों के अर्थ : कोट = किला, दुर्ग। गंगोदक = गंगा-जल। प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
9. केसौं कहा बिगाड़िया, जो मुंडै सौ बार। कठिन शब्दों के अर्थ : केसौं= बालों को। मूंडे = काटता है। विषै विकार = विषय वासनाएँ और उनके दोष। जामैं = जिसमें। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी मन में व्याप्त विषय वासनाओं को त्यागने की बात कही है। व्याख्या : विशेष :
10. पर नारी पर सुन्दरी, विरला बचै कोइ। कठिन शब्दों के अर्थ :पर नारी = दूसरे की स्त्री। पर सुन्दरी = दूसरे की प्रेमिका। विरला = कोई-कोई। खातां = खाने में, भोगने में। अंति कालि = अंतिम समय में, परिणामस्वरूप। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने विषयी जीव के सहज स्वभाव का चित्रण किया है। व्याख्या : विशेष :
11. कबीर सो धन संचियै, जो आगै कू होइ। कठिन शब्दों के अर्थ : संचियै = जोड़िए, इकट्ठा कीजिए। आगे कू = आगे के लिए अर्थात् परलोक के लिए। चढ़ाये = चढ़ाकर, रख कर। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ऐसे धन को एकत्र करने के लिए कहा जो परलोक में भी काम आ सके। व्याख्या : विशेष :
12. गोधन, गजधन, बाजिधन और रतन धन खान। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
13.राम रसाइन प्रेम रस, पीवत अधिक रसाल। कठिन शब्दों के अर्थ : रसाइन = रसायन, रस। रसाल = मीठा। दुर्लभ = आसानी से प्राप्त न होने वाला। कलाल = शराब (रस) बेचने वाला—यहाँ भाव गुरु से है। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने ईश्वर भक्ति के रस को सब रसों से श्रेष्ठ बताया है। व्याख्या : विशेष :
14. सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै। कठिन शब्दों के अर्थ : सुखिया = सुखी। खावै = खाता है। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबार जी ने विषय वासना से दूर रहने पर अपने दुःखी होने की बात कही है। व्याख्या : विशेष :
15. बासुरि सुख ना रैणि सुख, ना सुख सुपिनै, माहिं। कठिन शब्दों के अर्थ : बासुरि = दिन। रैणि = रात । माहि = में। प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
16. पीछे लागा जाइ था, लोक बेद के साथि। कठिन शब्दों के अर्थ : लोक बेद = लोकाचार और वेदाचार, संसार और वेद द्वारा बताया मार्ग। दीया = दे दिया। प्रसंग : प्रस्तुत दोहा संत कवि कबीर दास जी द्वारा लिखित ‘साखी’ में से लिया गया है। प्रस्तुत दोहे में कबीर जी ने सद्गुरु के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। व्याख्या : विशेष :
17. लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूरि। कठिन शब्दों के अर्थ : लघुता = छोटापन। प्रभुता = बड़प्पन । सक्कर = खांड। धूरि = धूल। प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
सबद सप्रसंग व्याख्या 1. हरि जननी मैं बालक
तेरा। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
रमैणी सप्रसंग व्याख्या 1. तू सकल गहगरा, सफ सफा दिलदार दीदार। कठिन शब्दों के अर्थ : प्रसंग : व्याख्या : विशेष :
कबीर वाणी Summaryकबीर वाणी जीवन परिचय भक्ति-काल की निर्गुण भक्ति-धारा के सन्त कवियों में कबीरदास का नाम विशेष सम्मान से लिया जाता है। इनके जन्म सम्वत् तथा स्थान को लेकर मतभेद है। अधिकांश विद्वान् इनका जन्म सम्वत् 1455 ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (सन् 1398) को मानते हैं। इनका पालन-पोषण जुलाहा परिवार में हुआ। इनके पिता का नाम नीरू तथा माता का नाम नीमा था। इन की पत्नी का नाम लोई था। इनके कमाल नामक पुत्र तथा कमाली नामक पुत्री थी। कबीर जी की शिक्षा-दीक्षा नहीं हुई थी परन्तु इन्हें अन्तर्ज्ञान था। इनके गुरु का नाम स्वामी रामानन्द था। साधु-संगति, गुरु-महत्त्व तथा जीवन में सहज प्रेमानुभूति की विशेष स्थिति इनकी रचनाओं में मिलती है। इनका देहावसान सम्वत् 1575 (सन् 1518) में काशी के निकट मगहर में हुआ। इनके शिष्य हिन्दू और मुसलमान दोनों थे। इसलिए काशी के निकट मगहर में इन की समाधि और मकबरा दोनों विद्यमान हैं। कबीर ने स्वयं किसी ग्रन्थ की रचना नहीं की थी। इन की साखियों और पदों को इनके शिष्यों ने संकलित किया था। इनके उपदेश ‘बीजक’ नामक रचना में साखी, सबद और रमैणी तीन रूप में संकलित हैं। कबीर की कुछ उलटबांसियों का भी उल्लेख मिलता है। श्री गुरु ग्रंथ साहिब’ में भी कबीर की वाणी सुशोभित है। कबीर को सधुक्कड़ी भाषा का कवि कहा जाता है। इन की भाषा में ब्रज, अवधी, खड़ी बोली, बुंदेलखंडी, भोजपुरी, पंजाबी तथा राजस्थानी भाषाओं के अनेक शब्द प्राप्त होते हैं। कबीर की शैली में एक सपाट-स्पष्ट सी बात करने की क्षमता है। अलंकारों की सहजता के साथ लोकानुभव की सूक्ष्मता, सत्यता, वचन-वक्रता और गेयता के गुण इनकी शैली में हैं। साखी का सार संत कबीर ने निर्गुण भक्ति के प्रति अपनी आस्था के भावों को प्रकट करते हुए माना है कि मानव जन्म मिलना बहुत दुर्लभ है। यह शरीर नाशवान है इसलिए इस पर अहंकार नहीं करना चाहिए। मनुष्य को अहं त्याग कर प्रेम से रहना चाहिए क्योंकि ईश्वर सर्वशक्तिमान है वही सब कुछ करने वाला है। कबीर जी मनुष्य को मधुर वाणी बोलने का उपदेश देते हैं। हमें परमात्मा के नाम में भेदभाव करने से मना करते हैं क्योंकि परमात्मा का स्वरूप एक है। मनुष्य को अपने मन को साफ रखना चाहिए। उसे छोटे-बड़े में भेद नहीं करना चाहिए। कई बार बड़ी वस्तु की अपेक्षा छोटी वस्तु अधिक महत्त्वपूर्ण प्रतीत होती है। मनुष्य को सत्कर्म रूपी धन का संचय करना चाहिए। यही धन मनुष्य के अंत समय में साथ जाता है। सदगुरु ही मनुष्य को सद्मार्ग दिखाते हैं। अहं का त्याग करना तथा गुरुओं की वाणी का आदर करना सिखाते है। जीवन में दुःख-सुख सभी आते-जाते रहते हैं परन्तु हमें प्रभु भक्ति को कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए। सबद का सार निर्गुण-भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि वे प्रभु के पुत्र हैं। वे प्रभु को माँ रूप में तथा स्वयं को पुत्र रूप में मानते हैं। इस सम्बन्ध से आत्मा-परमात्मा को अनन्य सम्बन्ध की सृष्टि की गई है। कबीर जी मानते हैं कि वे एक छोटे बालक हैं। माँ बच्चों के अपराध क्षमा कर देती है। माँ स्नेह का पात्र होती है जिसमें अपने बच्चों के लिए प्यार होता है। वह अपने बच्चों को कभी भी दु:खी नहीं देख सकती। इसलिए वह मेरे सभी अपराध क्षमा करके मुझे अपनी शरण में ले। रमैणी का सार निर्गुण भक्ति के प्रति अपने निष्ठाभाव को प्रकट करते हुए कबीर जी मानते हैं कि ईश्वर का कोई रूप नहीं है वह सर्वशक्तिमान है। उनके स्वरूप को किसी ने नहीं समझा है। हिन्दू और मुसलमान भी ईश्वर के साकार रूप में भटक रहे हैं। वे ईश्वर की माया को समझ नहीं पा रहे हैं। कबीर ने ईश्वर के विषय में कहा है?कबीर ने ईश्वर-प्राप्ति के प्रचलित विश्वासों का खंडन किया है। उनके अनुसार ईश्वर न मंदिर में है, न मस्जिद में; न काबा में हैं, न कैलाश आदि तीर्थ यात्रा में; वह न कर्म करने में मिलता है, न योग साधना से, न वैरागी बनने से। ये सब उपरी दिखावे हैं, ढोंग हैं। इनमें मन लगाना व्यर्थ है।
कवि ने ईश्वर को क्या कहा है?(ङ) कवि ने ईश्वर को पतित पावन, भक्त वत्सल, दीनानाथ व उद्धारक कहा है।
कवि की दृष्टि में ईश्वर एक है इसके समर्थन में उन्होंने क्या तर्क दिए हैं?इसके समर्थन में उन्होंने निम्न तर्क दिए हैं - <br> • कबीर के अनुसार जिस प्रकार विश्व में एक ही वायु और जल है, उसी प्रकार संपूर्ण संसार में <br> एक ही परम ज्योति व्याप्त है। <br> • सभी मानव एक ही मिट्टी से अर्थात् ब्रम्ह द्वारा निर्मित हैं। <br> • परमात्मा लकड़ी में अग्नि की तरह व्याप्त रहता है।
कबीर परमात्मा के विषय में क्या कहते हैं Class 11?कबीर का परमात्मा के विषय में मत है कि परमात्मा अनश्वर है अर्थात उसे ना ही मारा जा सकता ना ही जलाया या काटा जा सकता। वह सर्वव्यापक है अर्थात वह हर जगह, संसार के कण-कण में व्याप्त है। वह निराकार है अर्थात् परमात्मा का कोई आकार नहीं, हम जैसा चाहे उस आकार में उसे पूज सकते हैं।
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