कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा Textbook Exercise Questions and Answers.

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Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 6 सड़क सुरक्षा

HBSE 9th Class Hindi सड़क सुरक्षा Textbook Questions and Answers

सड़क सुरक्षा HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
साइबर कैफे में जाकर दोनों मित्र क्या करते थे ?
उत्तर-
दोनों मित्र साइबर कैफे में जाकर कार रेस लगाने वाली वीडियो गेम खेलते थे।

HBSE 9th Class सड़क सुरक्षा Hindi प्रश्न 2.
दोनों मित्रों का गाड़ी चलाना सही था या नहीं ? कारण सहित बताइए।
उत्तर-
दोनों मित्रों का गाड़ी चलाना सही नहीं था क्योंकि एक तो वे अभी नाबालिग थे अर्थात छोटे बच्चे थे। दूसरा, उन्हें गाड़ी चलाना भी नहीं आता था कि कहाँ एकाएक ब्रेक लगानी है और कहाँ गाड़ी को रोकना है। गाड़ी चलाते समय जो धैर्य होना चाहिए, वह बच्चों में नहीं था। इसलिए उनका गाड़ी चलाना उचित नहीं था।

प्रश्न 3.
अरविंद समय पर ब्रेक क्यों नहीं लगा पाया ?
उत्तर-
अरविंद समय पर ब्रेक इसलिए नहीं लगा पाया था क्योंकि वह घबरा गया था। इसलिए उसका पैर ब्रेक पर रखे जाने की अपेक्षा एक्सलरेटर पर पड़ गया और गाड़ी की गति बढ़ गई थी।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 4.
व्यक्ति के कार से टकराने पर क्या हुआ ?
उत्तर-
व्यक्ति जो कार से टकरा गया था वह कार की चपेट में आ गया था और कार के पहिए के साथ ही घसीटता चला गया था। उसे काफी चोटें आईं और उसकी कमर की हड्डी टूट गई थी।

प्रश्न 5.
इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर-
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि हमें सड़क के नियमों का पालन करना चाहिए। जब तक हमारा ड्राइविंग लाइसेंस न बन जाए और हम कार चलाने की सही ट्रेनिंग न ले लें तब तक हमें कार सड़क पर नहीं चलानी चाहिए क्योंकि हमारी और दूसरों की जान खतरे में पड़ सकती है।

गतिविधियाँ

  1. ‘सड़क सुरक्षा’ पर पोस्टर बनाकर अपनी कक्षा में तथा स्कूल के प्रांगण में लगाइए।
  2. बच्चों को इंटरनेट के लाभ तथा नुकसान के बारे में बताइए।
  3. अपने पड़ोस तथा आस-पास के इलाके में जाकर लोगों को सड़क सुरक्षा के बारे में बताइए।
  4. यदि कोई भी गाड़ी चलाने का प्रशिक्षण देने वाली संस्था बिना ठीक से प्रशिक्षण दिए लाइसेंस दिलवाती है तो उसकी शिकायत करते हुए एक पत्र लिखिए।
  5. अखबारों में प्रतिदिन आने वाली सड़क दुर्घटनाओं के चित्र और खबरें एकत्रित करके स्कूल और कक्षा के नोटिस बोर्ड पर लगाइए।
  6. दुर्घटना स्थल पर दी जाने वाली प्राथमिक चिकित्सा के बारे में बताइए और उसका अभ्यास कराइए।
  7. कक्षा को दो समूहों में बाँटिए। ‘पुलिस के भय से दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की सहायता करनी चाहिए या नहीं’ इस विषय पर दोनों समूहों में आपस में चर्चा करके अपने विचार बताने के लिए कहिए।

नोट-इन गतिविधियों को छात्र/छात्राएँ अपने अध्यापक व अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

अभ्यास

(अ) निम्नलिखित का उपयोग क्यों किया जाता है? हैल्मेट, सीट-बेल्ट, ब्रेक, डिक्की, साइलेंसर, साइड इंडीकेटर।
उत्तर-
हैल्मेट का प्रयोग इसलिए किया जाता है कि सिर पर चोट न लगे। सीट बेल्ट लगाने से दुर्घटना के समय बचाव रहता है। ब्रेक से गाड़ी की गति कम हो सकती है तथा गाड़ी रुक भी जाती है। डिक्की में सामान रखा जाता है। साइलेंसर से आवाज को नियंत्रण में रखा जाता है। साइड इंडीकेटर के प्रयोग से अपने आगे व पीछे चलने वालों को बताया जाता है उन्हें किस तरफ मुड़ना है।

(ब) ‘कर’ प्रत्यय लगाकर तीन शब्द लिखें।
उत्तर-
पढ़कर, खाकर, उठकर।

(स) कहानी में से क्रिया विशेषण शब्द छाँटिए।
उत्तर-
बहुत, लम्बी, फर्क, बाहर, उदास, निराश आदि।

(द) निम्नलिखित शब्दों से असंगत शब्दों पर x का निशान लगाइए।
बोनट, दुर्घटना, सीट बेल्ट, ब्रेक, पुलिस
उत्तर-
x दुर्घटना तथा x पुलिस।

ज्ञानवर्धक जानकारी

मोटरयान कानून 1988-धारा-4

मोटरयान चलाने के संबंध में आयु सीमा

1. कोई भी व्यक्ति, जो अठारह वर्ष से कम आयु का है, किसी सार्वजनिक स्थान में मोटरयान नहीं चलाएगा। परन्तु कोई व्यक्ति सोलह वर्ष की आयु का होने के पश्चात् किसी सार्वजनिक स्थान में (50 सी.सी. से अनधिक क्षमता वाली) मोटर साइकिल चला सकेगा।

2. धारा 18 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, कोई भी व्यक्ति, जो बीस वर्ष से कम आयु का है, किसी सार्वजनिक स्थान
में परिवहन यान नहीं चलाएगा।

3. कोई शिक्षार्थी अनुज्ञप्ति उस वर्ग के लिए, जिसके लिए उसने आवेदन किया है, उस यान को चलाने के लिए
किसी व्यक्ति को तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि वह इस धारा के अधीन उस वर्ग के यान को चलाने के लिए पात्र नहीं है।

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HBSE 9th Class Hindi सड़क सुरक्षा Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘सड़क सुरक्षा’ पाठ के आधार पर सड़क दुर्घटनाओं के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि सड़क दुर्घटना उस समय होती है जब हम सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं करते। जैसे गाड़ी को निर्धारित गति सीमा से अधिक तेज गति से दौड़ने के कारण गाड़ी नियन्त्रण से बाहर हो जाती है उस स्थिति में दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है। शराब पीकर या अन्य प्रकार का नशा करके या नींद में गाड़ी चलाने, मोबाइल पर बातें करने तथा सड़क के अन्य नियमों का उल्लंघन करने से भी सड़क दुर्घटना होती है।

प्रश्न 2.
‘सड़क सुरक्षा’ कहानी का उद्देश्य स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘सड़क सुरक्षा’ सम्बन्धी कहानी का मूल उद्देश्य पाठकों को सड़क सुरक्षा सम्बन्धित जानकारी देना है। सड़क सुरक्षा के नियमों के ज्ञान के अभाव में कितने ही लोग प्रतिदिन जान से हाथ धो बैठते हैं। इससे केवल एक व्यक्ति के जीवन की ही हानि नहीं होती अपितु उसके पूरे परिवार व सगे सम्बन्धियों पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है। किन्तु सड़क के नियमों की जानकारी प्राप्त करके और गाड़ी चलाते समय उनका पालन करके हम सदा सुरक्षित रूप से यात्रा सम्पूर्ण कर सकते हैं। इस पाठ में बताया गया है कि सड़क पर गाड़ी चलाते समय हमें पूर्ण रूप से अलर्ट रहना चाहिए तभी हम अपने लक्ष्य पर सुरक्षित रूप से पहुँच सकते हैं।

प्रश्न 3.
कहानी के प्रमुख पात्र राजू का मित्र कौन है और वे दोनों कहाँ और क्यों जाते हैं?
उत्तर-
अरविंद राजू का पक्का मित्र है, वे दोनों प्रतिदिन साइबर कैफे में जाते हैं। वहाँ वे कार रेस खेल की वीडियो पर खेलते हैं। राजू सदा तेज गति से कार का खेल खेलता है। उसे असली कार चलाने की भी बहुत रुचि है।

प्रश्न 4.
अरविंद और राजू को उनके माता-पिता कार चलाने की आज्ञा क्यों नहीं देते?
उत्तर-
राजू और अरविंद दोनों पक्के मित्र हैं। दोनों की आयु लगभग 13-13 वर्ष की है। दोनों ही अपना ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने की योग्यता नहीं रखते। इसलिए दोनों के माता-पिता उन्हें कार चलाने की आज्ञा नहीं देते। यदि वे ऐसा करेंगे तो पकड़े जाने पर उन्हें सजा भी मिल सकती है।

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प्रश्न 5.
अरविंद ने किसकी सलाह से कार निकाली और उसका परिणाम क्या हुआ?
उत्तर-
अरविंद समझदार एवं विचारवान बालक था। वह माता-पिता की आज्ञा का पालन करता है। उसके मित्र राजू ने उसे गाड़ी चलाने की सलाह दी, पहले तो वह माना नहीं किन्तु बार-बार कहने पर वह मान गया और स्वयं कार चलाने लगा वह कार को घर से बाहर निकालकर सर्विस लॉन में चलाने लगा वहाँ उसकी कार अनियन्त्रित हो गई। एक आदमी के साथ टकरा गई। उसकी कमर की हड्डी टूट गई तथा कार का सन्तुलन बिगड़ने से कार डिवाइडर से टकरा कर रुक गई।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘सड़क सुरक्षा’ पाठ में किन नियमों का वर्णन हुआ है?
(A) कानून संबंधित
(B) समाज संबंधित
(C) न्याय संबंधित
(D) सड़क सुरक्षा संबंधित
उत्तर-
(D) सड़क सुरक्षा संबंधित

प्रश्न 2.
सड़क दुर्घटना होने की संभावना कब होती है?
(A) शराब पीकर गाड़ी चलाने से
(B) सतर्क होकर गाड़ी चलाने से
(C) लालबत्ती का ध्यान रखते हुए
(D) सड़क के नियमों का पालन करने पर
उत्तर-
(A) शराब पीकर गाड़ी चलाने से

प्रश्न 3.
लालबत्ती न देखकर गाड़ी चलाने से क्या हो सकता है?
(A) गाड़ी शीघ्रता से निकल जाती है
(B) सामने या बगल से आने वाली गाड़ियों से टकरा सकते हैं
(C) पुलिस को चकमा दिया जा सकता है
(D) शीघ्र घर पहुँच सकते हैं
उत्तर-
(B) सामने या बगल से आने वाली गाड़ियों से टकरा सकते हैं

प्रश्न 4.
राजू के मित्र का क्या नाम था?
(A) कैलाश
(B) अरविंद
(C) राजेश
(D) मोहन लाल
उत्तर-
(B) अरविंद

प्रश्न 5.
अरविन्द और राजू कहाँ जाते थे?
(A) क्रिकेट खेलने
(B) सिनेमा देखने
(C) साइबर कैफे
(D) कैन्टीन में
उत्तर-
(C) साइबर कैफे

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प्रश्न 6.
अरविंद और राजू साइबर कैफे में क्या खेल खेलते थे?
(A) फुटबॉल
(B) क्रिकेट
(C) कुश्ती
(D) कार चलाने का वीडियो
उत्तर-
(D) कार चलाने का वीडियो

प्रश्न 7.
राजू को कौन-सा शौक था?
(A) देर तक पढ़ने का
(B) देर से उठने का
(C) असली कार चलाने का
(D) कबड्डी खेलने का
उत्तर-
(C) असली कार चलाने का

प्रश्न 8.
राजू के अंकल के बेटे की उम्र क्या बताई गई है?
(A) 8 वर्ष
(B) 10 वर्ष
(C) 11 वर्ष
(D) 13 वर्ष
उत्तर-
(D) 13 वर्ष

प्रश्न 9.
ड्राइविंग लाइसेंस किस आयु में बनवा सकते हैं?
(A) 18 वर्ष की आयु में
(B) 19 वर्ष की आयु में
(C) 15 वर्ष की आयु में
(D) कभी भी
उत्तर-
(A) 18 वर्ष की आयु में

प्रश्न 10.
राजू और अरविंद को कार चलाने की अनुमति क्यों नहीं दी गई थी?
(A) वे बहुत होशियार नहीं थे
(B) उनकी आयु कम थी
(C) वे बीमार थे
(D) वे शरारती थे
उत्तर-
(B) उनकी आयु कम थी

प्रश्न 11.
कार चलाने की जिद्द पर कौन अड़ गया था? ।
(A) राजू
(B) अरविंद
(C) राजू का भाई
(D) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(A) राजू

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प्रश्न 12.
अरविंद से कार चलाते समय क्या गलती हुई थी?
(A) कार रुक गई थी
(B) एक्सलरेटर पर पैर रखा गया था
(C) हॉर्न नहीं बजाया था
(D) सामने नहीं देखा था
उत्तर-
(B) एक्सलरेटर पर पैर रखा गया था

प्रश्न 13.
पुलिस राजू और अरविंद को पकड़ कर कहाँ ले गई?
(A). थाने में
(B) कोर्ट में
(C) स्कूल में
(D) उनके घर
उत्तर-
(A) थाने में

प्रश्न 14.
दोनों को पुलिस थाने से किसने छुड़वाया था?
(A) उनके माता-पिता ने
(B) वकील ने
(C) हैड मास्टर ने
(D) उनके मित्रों ने
उत्तर-
(A) उनके माता-पिता ने

प्रश्न 15.
दोनों ने पुलिस थाने में क्या वायदा किया था?
(A) कभी कार नहीं चलाएँगे
(B) बालिग होने तक कार नहीं चलाएँगे
(C) खूब पढ़ाई करेंगे
(D) कभी साइबर कैफे नहीं जाएँगे
उत्तर-
(B) बालिग होने तक कार नहीं चलाएँगे

प्रश्न 16.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
(A) सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए
(B) स्कूल में नियम पर जाना चाहिए
(C) अध्यापक का कहना मानना चाहिए
(D) पुलिस से डरना नहीं चाहिए
उत्तर-
(A) सड़क-सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए

सड़क सुरक्षा Summary in Hindi

सड़क सुरक्षा पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘सड़क सुरक्षा’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘सड़क सुरक्षा’ किसे कहते हैं? इसके जानने से पहले हमें सड़क दुर्घटना के कारण और सड़क दुर्घटना से बचने के उपायों पर दृष्टि डाल लेनी चाहिए। वस्तुतः तेज गति से वाहन चलाने, शराब पीकर वाहन चलाने, लालबत्ती को देखे बिना वाहन चलाते जाना, गाड़ी चलाते समय मोबाइल पर बातें करना, गाड़ी में खराबी व बच्चों द्वारा गाड़ी चलाने आदि कारणों से सड़क दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है।

सड़क दुर्घटना की स्थिति को हम एक छोटी-सी कहानी के सार के माध्यम से भी समझ सकते हैं जोकि इस प्रकार है-राजू और अरविंद दो मित्र हैं। दोनों साइबर कैफे में जाते हैं। वहाँ वे कार चलाने का वीडियो खेल खेलते हैं। राजू खेल में तेज गति से गाड़ी चलाता है और विजयी भी होता है। राजू को असली की कार चलाने का बहुत शौक है। किन्तु राजू के पापा उसे कार नहीं चलाने देते। कहते हैं कि अभी तू छोटा है। अरविंद भी राजू के पापा की बात को सही बताता है कि उसे कार नहीं चलानी चाहिए। राजू तर्क देता है कि मेरे अंकल का बेटा अभी 13 वर्ष का ही है और वह कार चलाता है किन्तु वह ड्राइवर की बगल में बैठकर चलाता है। अरविंद ने कहा ड्राइवर के साथ बैठकर तुम भी कार ड्राइव कर सकते हो। तुम चाहो तों हमारे ड्राइवर से कार सीख सकते हो। राजू के पापा 15 दिन के लिए बाहर गए हुए थे। इसलिए उसे अरविंद का यह विचार अच्छा लगा।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

अरविंद और राजू दोनों ही अरविंद के ड्राइवर के साथ कार चलाना सीखते हैं। ड्राइवर ने पहले उन्हें कार के विभिन्न पुर्जी की जानकारी दी। फिर उन्हें पास बैठाकर पुों के प्रयोग के बारे में बताया किन्तु उन्हें कभी अकेले कार नहीं चलाने दी। उन्हें केवल एक बार कार-स्टीयरिंग पकड़कर कार चलाने तक ही सीमित रखा। पूरी तरह कार चलाने के लिए कार उनके हाथों में नहीं दी। राजू ने अपने घर कार सीखने की बात नहीं बताई।

अगले दिन रविवार था और छुट्टी थी। उनकी गर्मी की छुट्टियाँ भी समाप्त हो गई थीं। अरविंद का कार ड्राइवर उस दिन नहीं आया था। राजू बहुत निराश हो गया। वह अरविंद से कहता है कि चलो आज हम अकेले ही कार चलाते हैं। अरविंद ने अनेक तर्क देते हुए कहा कि हमें कार नहीं चलानी चाहिए। किन्तु राजू की उदासी देखकर अन्त में अरविंद कार चलाने को मान गया। कार घर से बाहर निकाली और घर के पास के सर्विस लॉन में कार चलाने लगे। अरविंद कार चला रहा था और बहुत खुश था, वह कार तेजी से चलाने लगा। वहाँ कुछ लोग सैर कर रहे थे। दो व्यक्ति सड़क के बीचोंबीच चल रहे थे। अरविंद ने हॉर्न दिया तो उनमें से एक व्यक्ति हट गया दूसरा नहीं हटा। अरविंद हॉर्न देना भूल गया और ब्रेक पर पैर रखने की अपेक्षा एक्सलरेटर पर पैर रख दिया। कार की स्पीड कम होने की अपेक्षा बढ़ गई और घबराहट के कारण उस व्यक्ति को टक्कर मार दी, वह गिर पड़ा और उसकी कमर की हड्डी टूट गई। उधर कार का सन्तुलन बिगड़ गया और वह डिवाइडर से टकराकर रुक गई। लोगों ने दुर्घटना की सूचना पुलिस को दी और पुलिस उन दोनों को थाने में ले गई। उन दोनों के घर वाले थाने में आकर उनको छुड़ाकर ले गए। दोनों ही बहुत घबरा गए थे और दोनों ने बालिग होने तक कभी भी कार न चलाने का वायदा किया।

इस कहानी से बहुत अच्छी शिक्षा मिलती है किन्तु हमें उन बातों को भी जानना चाहिए जिनसे सड़क दुर्घटना को रोका जा सकता है। जैसे-हमें सड़क के नियमों का प्रचार करना चाहिए। माता-पिता छोटे बच्चों को गाड़ी चलाने की अनुमति न दें। सड़क सुरक्षा के नियम का उल्लंघन करने वालों को प्यार से समझाना चाहिए। गाड़ी की देखभाल करनी चाहिए और सदा ही कम गति पर कार चलाएँ जिससे गाड़ी और सवारियाँ दोनों ही सुरक्षित रहें।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 4 माटी वाली

HBSE 9th Class Hindi माटी वाली Textbook Questions and Answers

माटी वाली के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
‘शहरवासी सिर्फ माटी वाली को नहीं, उसके कंटर को भी अच्छी तरह पहचानते हैं।’ आपकी समझ से वे कौन-से कारण रहे होंगे जिनके रहते ‘माटी वाली’ को सब पहचानते थे?
उत्तर-
माटी वाली को शहर के सब लोग भली-भाँति जानते थे, क्योंकि वह अकेली औरत थी। जो सभी घरों में लाल मिट्टी पहुँचाती थी। उसके अतिरिक्त शहर में मिट्टी देने वाली दूसरी कोई स्त्री नहीं थी। उसकी मिट्टी से ही चूल्हे बनाए जाते थे। उसके बिना घर में चूल्हे नहीं जलते थे। हर घर में प्रतिदिन चूल्हा लीपने और साल दो साल में घर की भी लिपाई करनी पड़ती थी। इसलिए इन दोनों कामों के लिए वह ही मिट्टी पहुँचाती थी। मिट्टी देने के कारण ही उसे सब लोग पहचानते थे।

माटी वाली पाठ 4 के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के बारे में ज़्यादा सोचने का समय क्यों नहीं था?
उत्तर-
माटी वाली के पास अपने अच्छे या बुरे भाग्य के विषय में सोचने का अधिक समय नहीं था, क्योंकि वह दिन भर नगर के घरों में मिट्टी पहुँचाने का काम करने में व्यस्त रहती थी। माटाखान से मिट्टी निकालने और उसे शहर के लोगों के घरों तक पहुँचाने की दौड़-धूप करने के कारण उसके पास किसी और बात के बारे में सोचने का समय नहीं था।

Class 9 Hindi Kritika Chapter 4 HBSE प्रश्न 3.
‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से क्या अभिप्राय है?
उत्तर-
इस तथ्य के माध्यम से लेखक ने यह बताना चाहा है कि भोजन मीठा या स्वाद नहीं हुआ करता। वह भूख के कारण ही मीठा या स्वाद लगता है। यदि किसी व्यक्ति को भूख लगी हो तो उसे रूखा-सूखा भोजन भी बहुत स्वादिष्ट लगता है। इसलिए रोटी चाहे सूखी हो या साग के साथ या फिर चाय के साथ हो, वह मीठी या स्वाद तो भूख के कारण ही लगती है। अतः लेखक के दिए गए कथन के अनुसार ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ से यही तात्पर्य है कि भूख के कारण ही रोटी अच्छी व स्वाद लगती है।

माटी वाली पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
‘पुरखों की गाढ़ी कमाई से हासिल की गई चीज़ों को हराम के भाव बेचने को मेरा दिल गवाही नहीं देता।’मालकिन के इस कथन के आलोक में विरासत के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
जब माटी वाली ने मालकिन के पीतल के गिलास के विषय में बात की तो उसने उसे समझाते हुए कहा कि उसे अपने पुरखों की सब चीजों के प्रति मोह है। न जाने उसके पुरखों ने कितनी मेहनत से पेट काट-काट कर ये चीजें बनाई होंगी। इसलिए उन चीजों को सुरक्षित रखना जरूरी है। उन्हें सस्ते दामों में बेचना उचित नहीं है।
मेरे विचार से मालकिन की बातों में सच्चाई है। हमें अपने पूर्वजों की निशानी को बचाकर रखना चाहिए। किंतु यह मोह जीवन से बढ़कर नहीं होना चाहिए। यदि इस मोह के कारण जीवन का विकास रुकता है तो इस मोह को त्याग देने में ही भलाई है।

Class 9 Hindi Chapter 4 Mati Wali Question Answer HBSE प्रश्न 5.
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी किस मजबूरी को प्रकट करता है?
उत्तर-
माटी वाली का रोटियों का इस तरह हिसाब लगाना उसकी गरीबी को प्रकट करता है। उसके पास अपना और अपने बूढ़े पति का पेट भरने के लिए पर्याप्त भोजन भी नहीं है। इससे एक अन्य मजबूरी का भी पता चलता है कि उसका पति बीमार एवं असहाय है। वह कोई काम नहीं कर सकता। इसलिए उसके भोजन का प्रबंध भी उसे ही करना पड़ता है। माटी वाली का अपने । पति के सिवाय इस दुनिया में दूसरा कोई सहारा भी नहीं है।

Kritika Class 9 Chapter 4 HBSE प्रश्न 6.
‘आज माटी वाली बुड्ढे को कोरी रोटियाँ नहीं देगी’-इस कथन के आधार पर माटी वाली के हृदय के भावों को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
माटी वाली के इस कथन से उसके हृदय में अपने बूढ़े पति के लिए कितना सम्मान व प्यार है, इसका पता चलता है। वस्तुतः वह हर रोज़ अपने पति को रूखी-सूखी रोटी देती है। किंतु आज उसने मिट्टी बेचकर कुछ पैसे भी प्राप्त कर लिए थे। उन पैसों से उसने पावभर प्याज खरीदे। उसने सोच लिया था कि आज वह उसे प्याज कूटकर तथा उन्हें तलकर रोटी के साथ देगी ताकि वह रोटी को आनंद से खा सके। इससे उसके अपने पति के प्रति प्रेम की भावना का पता चलता है।

Class 9 Kritika Chapter 4 Mati Wali Question Answer HBSE प्रश्न 7.
‘गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए’-इस कथन का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
माटी वाली हरिजन बुढ़िया के पति की मृत्यु हो जाती है। उधर टिहरी बाँध बनने से उसकी झोंपड़ी की जगह भी छिन जाती है। श्मशान घाट में बाँध का पानी भर गया था। इसलिए उसके सामने एक नहीं, दो-दो समस्याएँ थीं। अपने रहने का ठिकाना नहीं और मृतक पति के अंतिम संस्कार के लिए स्थान नहीं। इसलिए उस वृद्धा के इस कथन में उसके हृदय की पीड़ा समाई हुई है। गरीब आदमी का घर छिनने के पश्चात कोई दूसरा ठिकाना भी नहीं होता। उसके लिए यह बहुत बड़ी समस्या है। इसी समस्या की ओर ध्यान दिलाना इस कथन का मूल आशय है।

Class 9 Hindi Chapter 4 Mati Wali HBSE  प्रश्न 8.
‘विस्थापन की समस्या पर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
शहरों के विकास तथा औद्योगीकरण की प्रक्रिया ने विस्थापन की समस्या को जन्म दिया है। धन-दौलत व साधन संपन्न लोग तो समय रहते ही अपना ठिकाना अन्यत्र बना लेते हैं। किंतु वास्तविक समस्या का सामना गरीब लोगों को करना पड़ता है, जो हर रोज़ कमाकर हर रोज़ चूल्हा जलाते हैं। विस्थापितों को अपना निवास स्थान छोड़कर नया निवास स्थान ढूँढना पड़ता है। नए स्थान पर जीवन-यापन करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। छोटे किसान, मजदूर व छोटे दुकानदारों के लिए तो यह समस्या और भी विकट बन जाती है। विस्थापन होने की प्रक्रिया में प्रत्येक व्यक्ति को पूरा-पूरा न्याय नहीं मिल पाता। इसलिए सरकार को लोगों को उनके स्थान से अलग करने से पहले इस समस्या पर पूर्ण रूप से विचार करना चाहिए।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

HBSE 9th Class Hindi माटी वाली Important Questions and Answers

Class 9 Kritika Chapter 4 Question Answer HBSE प्रश्न 1.
माटी वाली किस नगर में, किस प्रकार और कैसे मिट्टी पहुँचाती थी?
उत्तर-
माटी वाली एक हरिजन वृद्धा थी। वह टिहरी नगर के समीप के गाँव में रहती थी। टिहरी नगर टिहरी बाँध के समीप बसा हुआ था। वहाँ नदी के किनारे की रेतीली मिट्टी थी। घरों के चूल्हे बनाने, उन्हें प्रतिदिन लीपने व साल-दो-साल में घरों को लीपने के लिए उन्हें चिकनी मिट्टी चाहिए थी। माटी वाली यह चिकनी मिट्टी हर घर के लिए माटाखान से कंटर में भरकर लाती थी। एक टीन के कनस्तर के ऊपरी ढक्कन को काटकर निकाल दिया गया था। वह उसमें मिट्टी भर कर सिर पर कपड़े को मोड़कर बनाए गोल डिल्ले पर अपना कनस्तर रखकर गाँव से नगर तक मिट्टी पहुँचाती थी।

प्रश्न 2.
‘माटी वाली’ शीर्षक पाठ के आधार पर ‘माटी वाली’ हरिजन वृद्धा के चरित्र पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कहानी की प्रमुख पात्र माटी वाली ही है। संपूर्ण कथानक उसके चरित्र के आस-पास ही घूमता है। इस पाठ में दिखाया गया है कि माटी वाली वृद्धा बहुत ही परिश्रमी और ईमानदार है। वह प्रतिदिन तीन-चार किलोमीटर सिर पर मिट्टी से भरा हुआ कनस्तर नगर में ले जाकर लोगों के घरों में देती है। फिर रात को पुनः लौटकर अपने पति के लिए भोजन की व्यवस्था करती है, वह मेहनती होने के साथ-साथ साहसी भी है, क्योंकि वह उस जंगली मार्ग से अकेले ही आती जाती है।

‘माटी वाली’ वृद्धा पति परायण नारी है। इस बुढ़ापे में उसे सहारे की आवश्यकता है, किंतु वह स्वयं अपने वृद्ध एवं बीमार पति का सहारा बनकर जीती है। कहीं से दो रोटी पाने पर वह पहले एक रोटी पति के लिए रख लेती है। कभी-कभी तो दोनों रोटी ही पति के लिए बचाकर रख लेती है। वह अपने पति के लिए तीन रोटियों का प्रबंध करती है। उसे खुश देखने के लिए प्याज मोल लेती है और उनको भूनकर पकौड़ियाँ बनाने का प्रबंध भी करती है। उसके इस कार्य से उसके पति परायण होने का पता चलता है।
वह पूरे टिहरी नगर में प्रसिद्ध है। वह विनम्र स्वभाव वाली स्त्री है। इसलिए पूरे नगर में लोग उसको जानते हैं और उसके आने की प्रतीक्षा भी करते हैं। सब लोग उसका आदर करते हैं।

प्रश्न 3.
‘माटी वाली’ शीर्षक कहानी के लक्ष्य पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
‘माटी वाली’ कहानी का प्रमुख लक्ष्य टिहरी बाँध के बनने पर वहाँ से विस्थापित होने वाले असहाय एवं गरीब लोगों की दयनीय दशा का यथार्थ चित्रण करना है। लेखक चाहता है कि वहाँ से विस्थापित लोगों की समस्याओं और पीड़ाओं को लोग समझें और उनके प्रति सहानुभूतिपूर्ण भावना बनाएँ तथा उनके स्थापित होने में सहयोग भी दें।
कहानी के आरंभ में माटी वाली के जीवन और उसके काम पर प्रकाश डाला गया है। यह भी बताया गया है कि टिहरी नगर के लोगों के लिए ‘माटी वाली’ की क्या महत्ता है। उसकी लाई गई मिट्टी से वहाँ चूल्हों और घरों की चमक एवं पवित्रता बनी रहती है। इन्हीं लोगों के सहारे उसका जीवन चलता आया है। वह माटी को मामूली से दामों में बेचती है। इसके साथ-साथ लोग उसे रोटी व खाने की अन्य वस्तुएँ भी देते हैं।

लेखक ने कहानी के अंतिम भाग में टिहरी पर बाँध बनने के कारण माटी वाली या उस जैसे अनेक गरीब लोगों के विस्थापित अर्थात घर उठाए जाने की समस्या की ओर पाठक का ध्यान आकृष्ट किया है। लेखक ने बताया है कि जिन लोगों की ज़मीन-जायदाद नहीं है, वे क्या क्लेम करेंगे ? उनको उनके घरों से निकालने का सीधा अर्थ उन्हें उजाड़ना है। अनपढ़ और गरीब आदमी के पास जमीन-जायदाद ही नहीं होती तो उसके कागज़ कहाँ से आएँगे ? सरकारी अधिकारी तो ज़मीन के कागज़ देखकर ही उन्हें ज़मीन दिलाने की बात कहते हैं, किंतु संबंध तो उस स्थान से सदियों से बना आया है। उसके लिए उन्हें किसी कागज़ या प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं थी। अब ऐसे गरीब एवं मजदूर लोगों का क्या होगा ? इसी प्रश्न को उठाना कहानी का मूल लक्ष्य है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 4.
‘माटी वाली’ पाठ के आधार पर वृद्धा के पति की अवस्था का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ में दिखाया गया है कि माटी वाली वृद्धा का पति अत्यंत असहाय, शक्तिहीन और लाचार है। वह कोई काम नहीं कर सकता। वह पूर्ण रूप से अपनी पत्नी (माटी वाली) पर निर्भर रहता है। जब संध्या के समय माटी वाली मिट्टी बेचकर घर लौटती है तो वह उसे कातर दृष्टि से देखता रहता है। भूख के मारे वह खाना बनाती हुई अपनी पत्नी के पास पहुँच जाता है।
बीमारी और बुढ़ापे ने उसके शरीर को गठरी के समान बना दिया है। वह सारा दिन झोंपड़ी में पड़ा-पड़ा अपनी पत्नी की प्रतीक्षा किया करता है। वह पत्नी द्वारा रूखी-सूखी दी गई रोटियाँ खाकर पड़ा रहता है। निश्चय ही उसका जीवन अत्यंत दयनीय और असहाय है।

प्रश्न 5.
‘माटी वाली’ को लोग किस कारण से जानते हैं?
उत्तर-
माटी वाली’ को लोग इसलिए जानते हैं, क्योंकि वह हर घर में चूल्हा बनाने व घर लीपने के लिए चिकनी मिट्टी पहुंचाया करती है। मिट्टी लाने वाला पूरे नगर में दूसरा कोई व्यक्ति नहीं है।

प्रश्न 6.
टिहरी के लोग माटी वाली को मिट्टी की कीमत के अतिरिक्त और क्या देते हैं?
उत्तर-
टिहरी के लोगों के मन में माटी वाली वृद्धा के प्रति दया एवं सहानुभूति है। वे उसे मिट्टी के लिए थोड़ी-सी कीमत देते हैं। इसके अतिरिक्त वे माटी वाली को रोटी, चाय व खाने की अन्य वस्तुएँ देते हैं। लोग उसकी गरीबी और लाचारी को समझते हुए उसके प्रति दया एवं सहानुभूति रखते हैं।

प्रश्न 7.
टिहरी नगर की ठकुराइन ने पीतल का गिलास अब तक सँभालकर क्यों रखा हुआ था?
उत्तर-
ठकुराइन एक परंपरावादी एवं गंभीर स्त्री है। उसके मन में अपने पुरखों द्वारा बनाई हुई वस्तुओं के प्रति मोह ही नहीं, सम्मान की भावना भी है। वह जानती है कि उसके पुरखों ने अपनी गाढ़ी कमाई से ये वस्तुएँ बनाई थीं। इसके अतिरिक्त आज पीतल का भाव भी बहुत बढ़ गया है। जबकि पीतल खरीदने वाले व्यापारी लोग उन्हें बहुत सस्ते दामों में खरीदते हैं। इसलिए वह पुरखों की वस्तु को सस्ते में नहीं देना चाहती। इन्हीं दो कारणों से उसने अब भी पीतल के गिलास सँभालकर रखे हुए हैं।

प्रश्न 8.
ठकुराइन द्वारा दी गई दो रोटियों में माटी वाली द्वारा एक रोटी छिपा लेने का क्या कारण था?
उत्तर-
माटी वाली का वृद्ध पति अत्यंत लाचार था। वह कोई काम नहीं कर सकता था। वह पूर्णतः अपनी पत्नी पर ही निर्भर था। वह दिन भर माटी वाली (अपनी पत्नी) की प्रतीक्षा किया करता था। माटी वाली के मन में सदा अपने पति का ख्याल रहता था। अतः दो रोटी मिलने पर उसने एक रोटी अपने वृद्ध पति को देने के लिए छिपा ली थी।

प्रश्न 9.
माटी वाली द्वारा दी गई मिट्टी टिहरीवासियों के किस काम आती थी?
उत्तर-
माटी वाली वृद्धा टिहरी के लोगों को लाल एवं चिकनी मिट्टी देती थी। यह मिट्टी वहाँ के लोगों के दैनिक जीवन में बहुत काम आती थी। वे इस मिट्टी से प्रतिदिन अपना चूल्हा लीपते थे। इसके अतिरिक्त साल दो साल के पश्चात अपने घरों की दीवारों को भी उस मिट्टी से लीपते थे। अतः वह मिट्टी टिहरी के लोगों के लिए अत्यंत. उपयोगी वस्तु थी।

प्रश्न 10.
टिहरी बाँध बनने के कारण ठकुराइन को क्या परेशानी है?
उत्तर-
टिहरी बाँध बनने के कारण ठकुराइन को भी परेशानी थी। उसे पता था कि बाँध बनने से उसे अपना बसा-बसाया घर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ेगा। उसे अपने अनिश्चित भविष्य को लेकर बहुत परेशानी हो रही थी। वह सोचती रहती थी कि यहाँ से उजड़कर हम कहाँ जाएँगे।

प्रश्न 11.
लेखक ने ‘भूख मीठी कि भोजन मीठा’ कथन के माध्यम से किसे मीठा कहा है?
उत्तर-
लेखक ने भूख को मीठा बताया है क्योंकि यदि हमें भूख नहीं होती तो हमें अच्छे-से-अच्छा भोजन भी मीठा अर्थात स्वादिष्ट नहीं लगता। भूख लगी हो तो सूखी रोटियाँ भी स्वादिष्ट लगती हैं। लेखक के इस तर्क के अनुसार तो भूख मीठी है। किंतु हम लेखक के इस तर्क से पूर्णतः सहमत नहीं हैं।

प्रश्न 12.
पुनर्वास के लिए माटी वाली जैसे लोगों को किस समस्या का सामना करना पड़ता है?
उत्तर-
सरकारी अधिकारी गरीबों के प्रति सहानुभूति रखने की अपेक्षा सबूतों में अधिक विश्वास करते हैं। वे सबूत या प्रमाण के अभाव में उनकी सहायता नहीं कर पाते। यथा टिहरी बाँध बनाने से इस क्षेत्र के अधिकारी लोग माटी वाली से उसके निवास स्थान का प्रमाण-पत्र माँग रहे थे अर्थात जिस जमीन पर उसकी झोंपड़ी बनी हुई थी, वह जमीन उसकी अपनी है तो उसका प्रमाण-पत्र माँग रहे थे। सच्चाई यह थी कि वह जमीन तो ठाकुर की थी। इस माटी वाली वृद्धा को अन्य स्थान पर कोई जगह अलाट नहीं हो सकती थी। ऐसे अनेक लोग हैं, जिनका कई पुश्तों से मकान तो बना हुआ है, किंतु उस जमीन की मलकीयत का कोई सबूत उनके पास नहीं होता। ऐसे लोगों को पुनः स्थापित होने में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘माटी वाली’ पाठ के लेखक का क्या नाम है?
(A) विद्यासागर नौटियाल
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) मृदुला गर्ग
(D) जगदीशचंद्र माथुर
उत्तर-
(A) विद्यासागर नौटियाल

प्रश्न 2.
माटी वाली किस नगर की रहने वाली है?
(A) कलकत्ता
(B) टिहरी
(C) दिल्ली
(D) हरिद्वार
उत्तर-
(B) टिहरी

प्रश्न 3.
वह नगर के घरों में क्या पहुँचाती है?
(A) सफेद मिट्टी
(B) काली मिट्टी
(C) लाल मिट्टी
(D) साधारण मिट्टी
उत्तर-
(C) लाल मिट्टी

प्रश्न 4.
घरों में लाल मिट्टी किस काम आती है?
(A) खिलौने बनाने के
(B) बर्तन बनाने के
(C) धार्मिक मूर्तियाँ बनाने के
(D) चूल्हे-चौके की लिपाई के लिए
उत्तर-
(D) चूल्हे-चौके की लिपाई के लिए

प्रश्न 5.
टिहरी शहर किस नदी के तट पर बसा हुआ है?
(A) यमुना
(B) ब्यास
(C) भागीरथी
(D) गोदावरी
उत्तर-
(C) भागीरथी

प्रश्न 6.
माटाखाना किसे कहा जाता है?
(A) जहाँ मिट्टी रखी जाती है
(B) जहाँ से मिट्टी खोदकर लाई जाती है
(C) जहाँ मिट्टी को भिगोया जाता है
(D) जहाँ मिट्टी पूजी जाती है
उत्तर-
(B) जहाँ से मिट्टी खोदकर लाई जाती है

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प्रश्न 7.
‘भूख मीठी कि भोजन’ का अभिप्राय क्या है?
(A) भोजन मीठा है
(B) भूख मीठी है
(C) भूख और भोजन दोनों मीठे होते हैं
(D) भूख के कारण भोजन मीठा लगता है
उत्तर-
(D) भूख के कारण भोजन मीठा लगता है

प्रश्न 8.
“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजाड़ना चाहिए।”-ये शब्द किसने कहे हैं?
(A) घर की मालकिन ने
(B) माटी वाली ने
(C) माटीवाली के पति ने
(D) नगर के किसी व्यक्ति ने
उत्तर-
(B) माटी वाली ने

प्रश्न 9.
टिहरी बाँध बनने से वहाँ के लोगों को क्या कठिनाई हुई होगी?
(A) नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ा
(B) घर पहुंचने में कठिनाई हुई होगी
(C) खेतों में पानी भर गया होगा
(D) पशुओं के चरने के स्थान पर पानी भर गया
उत्तर-
(A) नगर छोड़कर अन्यत्र जाना पड़ा।

प्रश्न 10.
‘माटी वाली’ कहानी में किस समस्या की ओर संकेत किया गया है?
(A) बेरोजगारी की
(B) पुनःस्थापित होने की
(C) महँगाई की
(D) आवास की
उत्तर-
(B) पुनःस्थापित होने की

प्रश्न 11.
ठकुराइन द्वारा दी गई दो रोटियों में से एक रोटी माटी वाली ने किसके लिए छुपाकर रख ली थी?
(A) अपने बच्चों के लिए
(B) अपने लिए
(C) अपने वृद्ध पति के लिए
(D) गाय को देने के लिए
उत्तर-
(C) अपने वृद्ध पति के लिए

प्रश्न 12.
माटी वाली से उसके घर का प्रमाण-पत्र किसने माँगा था?
(A) ठाकुर साहब ने
(B) पुनर्वास के साहब ने
(C) गाँव के सरपंच ने
(D) तहसीलदार ने
उत्तर-
(C) गाँव के सरपंच ने

माटी वाली Summary in Hindi

माटी वाली पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘माटी वाली’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
श्री विद्यासागर नौटियाल द्वारा रचित इस पाठ में टिहरी बाँध के कारण विस्थापित लोगों के जीवन की समस्या का वर्णन किया गया है। इस पाठ में माटी बेचने वाली स्त्री के जीवन का मार्मिक वर्णन किया गया है। टिहरी के सेमल का तप्पड़ मोहल्ले के आखिरी घर की खोली में पहुँचकर माटी वाली ने अपना कनस्तर उतारा। टिहरी नगर का बच्चा-बच्चा माटी वाली को जानता था तथा वह भी सबको जानती थी। वह सबके घरों में चूल्हे-चौके लीपने वाली मिट्टी पहुँचाती थी। यूँ कह सकते हैं कि उसके कारण ही लोगों के घरों में चूल्हे जलते थे। वह लाल मिट्टी पहुँचाने वाली अकेली औरत है। शहर में कहीं माटाखान नहीं है। नदियों के तटों की रेतीली मिट्टी से घरों की लिपाई नहीं हो सकती थी। टिहरी नगर के नए-नए किराएदार भी उसके ग्राहक बन जाते थे।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

माटी वाली एक हरिजन बुढ़िया है। घर की मालकिन ने उसे आँगन में मिट्टी उड़ेलने के लिए कहा। उसने सारी मिट्टी आँगन के एक कोने में रख दी। मालकिन ने उसे खाने के लिए दो रोटियाँ दीं। उसने एक रोटी मालकिन द्वारा दी गई चाय के साथ खा ली। दूसरी रोटी उसने अपने बूढ़े पति के लिए छुपाकर रख ली थी। माटी वाली ने मालकिन से कहा यह चाय भी अपने-आप में एक साग है। किंतु मालकिन ने कहा नहीं भूख ही अपने-आप में एक साग है। भूख में रूखी-सूखी रोटी भी स्वाद लगती है। “भूख मीठी कि भोजन मीठा ?”
माटी वाली ने पीतल के गिलास में चाय पीते हुए कहा कि आजकल चाय पीने के लिए लोगों ने काँच या स्टील के गिलास खरीद लिए हैं। पीतल के गिलास तो बहुत कम लोगों ने सँभालकर रखे हुए हैं। मालकिन ने कहा कि अपने पुरखों की वस्तुओं से सबको मोह होता है। इसलिए मैं इन गिलासों को कभी नहीं बेचती। वह पुनः कहती है कि अब यदि टिहरी बाँध के कारण इस जगह को छोड़ना पड़ा तो वह कहाँ जाएँगे।

माटी वाली ने बड़े दुःख और निराशा के साथ कहा, “ज़मीन-जायदादों के मालिक हैं, वे तो किसी-न-किसी ठिकाने पर ही जाएँगे। पर मैं सोचती हूँ मेरा क्या होगा! मेरी तरफ देखने वाला तो कोई भी नहीं” माटी वाली वहाँ से किसी दूसरे घर में गई, जहाँ उसे मिट्टी लाने का आदेश मिला और साथ ही दो रोटियाँ भी। उसने उन्हें भी कपड़े के किनारे से बाँध लिया।
माटी वाली का गाँव नगर से दूर था। उसे गाँव में पैदल चलकर पहुंचने में एक घंटा लग जाता था। उसने रास्ते में एक पाव प्याज़ खरीदे। वह सोच रही थी कि पहले जाकर प्याज़ पीतूंगी और फिर बूढ़े पति को रोटी दूंगी। वह मेरा इंतजार करता होगा।

माटी वाली की प्रतिदिन की यही दिनचर्या थी-मिट्टी खोदना, शहर पहुँचाना और फिर रात तक गाँव में लौटना। उसके पास न कोई अपना खेत था न ज़मीन। यहाँ तक कि उसकी झोंपड़ी भी ठाकुर की जमीन पर बनी हुई थीं। उसके बदले में उसे ठाकुर की बेगार करनी पड़ती थी। यह सोचते-सोचते वह घर पहुँची और देखा कि उसका बूढ़ा पति उसे छोड़कर जा चुका था। – टिहरी बाँध के पुनर्वास से संबंधित अधिकारी ने उससे उसके घर का पता पूछा। उसने बताया कि उसने जिंदगी भर टिहरी के लोगों को मिट्टी पहुँचाई है। अधिकारी ने फिर प्रश्न किया कि क्या माटाखान उसके नाम है ? बुढ़िया ने बताया-माटाखान मेरी रोज़ी है, वह मेरे नाम नहीं है। अधिकारी कुछ तीखे स्वर में बोला-‘बुढ़िया हमें ज़मीन का कागज़ चाहिए, रोज़ी का नहीं।’
बुढ़िया कुछ सकपकाकर बोली, ‘बाँध बनने के बाद मैं क्या खाऊँगी साब’ ? साहब बोला-‘इस बात का फैसला हम नहीं कर सकते। यह बात तो तुझे खुद तय करनी पड़ेगी।’
इसी के साथ ही टिहरी बाँध की दो सुरंगों को बंद कर दिया गया। फलस्वरूप नगर में पानी भरने लगा। चारों ओर अफरा-तफरी मच गई। नगर के लोग घरों को छोड़-छोड़कर बाहर भागने लगे। पानी भरने से श्मशान घाट भी डूब गए।

माटी वाली अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठी हुई हर आने-जाने वाले से कहती है-“गरीब आदमी का श्मशान नहीं उजड़ना चाहिए।”

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-42) : खोली = छोटी-सी कोठरी। कंटर = कनस्तर, पीपा। माटी = मिट्टी। कुल = सभी। निवासी = रहने वाले। प्रतिद्वंद्वी = मुकाबला करने वाला। बगैर = बिना। समस्या = कठिनाई। अवस्था = हालत। मौजूद = उपस्थित। अलावा = अतिरिक्त।

(पृष्ठ-43) : गोबरी लिपाई = गोबर और मिट्टी से की जाने वाली पुताई। माटाखान = मिट्टी की खान । तट = छोर, किनारा। ग्राहक = खरीददार । नाटा कद = छोटा शरीर । डिल्ला = सिर पर बोझ के नीचे रखने के लिए कपड़े की गद्दी। छुलबुल = पूरा भरा हुआ। इस्तेमाल = प्रयोग। उड़ेलना = उलटना। भाग्यवान = अच्छी किस्मत वाला।

(पृष्ठ-44) : फौरन = जल्दी, शीघ्रता से। हड़बड़ी = घबराहट। इकहरा = जिसका एक ही पल्लू हो। सद्दा = ताज़ा। बासी = कुछ समय पहले का बना हुआ। सुड़कना = सूं-तूं की आवाज़ करते हुए पीना। पुरखे = पूर्वज । गाढ़ी कमाई = मेहनत की कमाई। हराम के भाव = बिना मूल्य के, बहुत सस्ते। दिल गवाही देना = दिल मानना। तंगी = अभाव, कष्ट। चटपटी = मसालेदार। मन मसोसना = मन को मारना।

(पृष्ठ-45) : दिमाग चकराना = परेशान हो जाना । काँसा = एक मिश्रित धातु । जायदाद = संपत्ति । छोर = किनारा । अशक्त = शक्तिहीन । कातर = डरी हुई, घबराई हुई। हवाले करना = सुपुर्द करना, दे देना। चेहरा खिल उठना = प्रसन्न हो उठना।

(पृष्ठ-46) : रात घिरना = रात का छाना। एवज़ = के बदले। बेगार करना = बिना कुछ आमदनी लिए काम करना। आमदनी = आय, कमाई। परोसना = खाने के लिए रखना। हद से हद = ज्यादा-से-ज्यादा। आहट = आवाज़ । माटी छोड़ना = दुनिया को छोड़ना। पुनर्वास = फिर से बसाना। जिनगी = जिंदगी। रोज़ी = रोटी कमाने का साधन।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(पृष्ठ-47) : तय = निश्चित करना। सुरंग = गहरा गोल भीतरी रास्ता। आपाधापी मचना = हलचल होना। श्मशान = जहाँ मुर्दे जलाए जाते हैं।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 5 किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया

HBSE 9th Class Hindi किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Textbook Questions and Answers

Kritika Chapter 5 Question Answer HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वह ऐसी कौन-सी बात रही होगी जिसने लेखक को दिल्ली जाने के लिए बाध्य कर दिया ?
उत्तर-
लेखक को किसी ने कुछ ऐसी बात कही होगी जिससे उनके स्वाभिमान पर आघात हुआ होगा। इसलिए वे अपने घर , से कुछ बनने के लिए निकल पड़े थे। उसी समय उन्होंने तय किया होगा कि अब उन्हें जो कोई काम मिलेगा, वह करेगा।

उन्होंने दूसरों के भरोसे बहुत जीवन व्यतीत कर दिया। अब अवश्य ही कुछ बनकर दिखाना होगा।

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 2.
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का अफसोस क्यों रहा होगा ?
उत्तर-
लेखक के घर का माहौल उर्दू वातावरण का था। वह अपनी भावनाओं की अभिव्यक्ति या तो अंग्रेज़ी भाषा में करते थे या फिर उर्दू गज़ल के रूप में। निराला, पंत और बच्चन जी के संपर्क में आने के पश्चात ही लेखक का हिन्दी की ओर रुझान बढ़ा। बच्चन जी ने ही लेखक को हिन्दी के प्रांगण में स्थापित किया। लेखक ने श्रेष्ठ हिंदी साहित्य की रचना की और प्रसिद्धि भी प्राप्त की। इसलिए बाद में लेखक को अफ़सोस रहा होगा कि उसने पहले अंग्रेजी कविता लिखने में व्यर्थ ही समय गँवाया। इसलिए उन्हें अंग्रेजी कविता करने का अफ़सोस रहा होगा।

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किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Summary HBSE 9th Class प्रश्न 3.
अपनी कल्पना से लिखिए कि बच्चन ने लेखक के लिए ‘नोट’ में क्या लिखा होगा ?
उत्तर-
एक बार बच्चन लेखक से मिलने उनके स्टूडियो में गए, लेकिन वे क्लास समाप्त होने के पश्चात वहाँ से जा चुके थे। अतः उन्होंने लेखक के नाम एक नोट लिखा था-

प्रिय अनुज,

तुमसे मिलने की प्रबल इच्छा मेरे हृदय को बहुत समय से बेचैन कर रही थी। इसलिए मैं यहाँ देहरादून में तुम्हें मिलने चला आया था। किंतु आज तुम मुझे नहीं मिल सके। अतः मुझे यहाँ आना व्यर्थ लगा। मुझे पता चला कि तुम स्टूडियो में बहुत अच्छा काम कर रहे हो। नाम कमा रहे हो। एक दिन महान कलाकार बनोगे। भूले-भटके कभी इस बदनसीब को भी याद कर लिया करो।

तुम्हारा अपना
-बच्चन

Class 9 Hindi Kritika Chapter 5 Summary HBSE  प्रश्न 4.
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के किन-किन रूपों को उभारा है ?
उत्तर-
लेखक ने बच्चन के व्यक्तित्व के निम्नलिखित रूपों को उभारा है-
सहृदय-बच्चन अत्यंत कोमल हृदय वाले व्यक्ति थे। वे किसी के दुःख को देखकर अत्यंत दुःखी हो जाते थे। वे अपनी पहली पत्नी को बहुत चाहते थे। उनकी अकस्मात मृत्यु ने उन्हें हिलाकर रख दिया था। वे न केवल अपनी पीड़ा से पीड़ित थे, अपितु लेखक की पत्नी की मृत्यु के वियोग की पीड़ा को भी समझते थे।

सहयोगी-श्री बच्चन के व्यक्तित्व की दूसरी प्रमुख विशेषता थी दूसरों को सहयोग देना। उन्होंने न केवल लेखक को इलाहाबाद बुलाया, अपितु उनको पढ़ाने व पूर्णतः बसाने तक का सहयोग भी दिया, जिसे लेखक आजीवन नहीं भूल सका। वे लेखक के संरक्षक बन गए थे।

निपुण, पारखी एवं प्रेरक-श्री बच्चन निपुण, पारखी एवं प्रेरक थे। वे सामने वाले की प्रतिभा को तुरंत भाँप जाते थे और यथासंभव उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा भी देते थे। उन्होंने लेखक को देखकर तुरंत समझ लिया था कि उनमें काव्य-रचना की प्रतिभा है। इसलिए उन्हें इलाहाबाद बुलवाया और उनकी कविताओं को पढ़कर काँट-छाँट कर सुंदर रचना बना दी। श्री बच्चन अत्यंत सरल स्वभाव वाले व्यक्ति थे। छल-कपट तो उन्हें कभी छू भी नहीं सका था।

Class 9th Kritika Chapter 5 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
बच्चन के अतिरिक्त लेखक को अन्य किन लोगों का तथा किस प्रकार का सहयोग मिला ?
उत्तर-
लेखक को बच्चन जी के अतिरिक्त निम्नलिखित लोगों का सहयोग मिला था-

1. तेज बहादुर सिंह-ये लेखक के बड़े भाई थे, जिन्होंने घर में रहते हुए और घर से बाहर भी उनकी सहायता की थी।
2. सुमित्रानंदन पंत-सुमित्रानंदन पंत का स्वभाव भी अत्यंत सहयोगी था। उन्होंने लेखक को इंडियन प्रेस में अनुवाद का काम दिलवाया था। उससे उनकी आर्थिक सहायता भी हुई थी। इसके पश्चात ही लेखक ने हिंदी में कविता रचने का मन बनाया था। ‘सरस्वती’ पत्रिका में छपने वाली एक कविता पर भी निराला जी ने लेखक की प्रशंसा की थी।
3. ससुराल पक्ष के लोग-लेखक जब बेरोज़गार था, तब उन्होंने उन्हें कैमिस्ट की दुकान पर काम दिया था।

प्रश्न 6.
लेखक के हिंदी लेखन में कदम रखने का क्रमानुसार वर्णन कीजिए।
उत्तर-
लेखक ने सन् 1933 में ‘चाँद’ और ‘सरस्वती’ में प्रकाशित होने के लिए रचनाएँ लिखी थीं।
तीन-चार वर्ष के अंतराल के पश्चात सन् 1937 में फिर लिखना शुरू किया। उस समय वे श्री बच्चन की प्रमुख रचना ‘निशा-निमंत्रण’ से बहुत प्रभावित थे। उन्हीं दिनों कुछ निबंध भी लिखे।
‘रूपाभ’ के कार्यालय में हिंदी का प्रशिक्षण भी लिया। बनारस से प्रकाशित होने वाले ‘हंस’ के कार्यालय में नौकरी की।
इस प्रकार लेखक ने हिंदी में लिखने के लिए अनेक प्रयास किए। अंततः वे हिंदी के प्रतिष्ठित साहित्यकारों की पंक्ति में जा बैठे।

प्रश्न 7.
लेखक ने अपने जीवन में जिन कटिनाइयों को झेला है, उनके बारे में लिखिए।
उत्तर-
लेखक के जीवन में कठिनाइयों का क्रम-सा बना रहा। एक के बाद एक कठिनाई पूरे जोश के साथ उनके जीवन में . आती रही। यथा पत्नी की मृत्यु के पश्चात वियोग की पीड़ा को सहन करना पड़ा। बेरोज़गारी की मार झेलनी पड़ी। मात्र सात रुपए लेकर दिल्ली काम ढूँढने व पढ़ने जाना पड़ा। वहाँ कुछ साइनबोर्ड पेंट करके गुजारा करना पड़ा। ऐसी विकट परिस्थितियों में उनका लेखन कार्य किसी-न-किसी रूप में निरंतर जारी रहा। इसके पश्चात ससुराल की दवाइयों की दुकान पर रहकर केमस्ट्सि का कार्य सीखना पड़ा जिसे बाद में सदा के लिए अलविदा कह दिया। श्री बच्चन जी के सहयोग से एम०ए० की परीक्षा पास करने का प्रयास किया। श्री पंत द्वारा दिलाए गए अनुवाद का कार्य भी गुजारा करने के लिए करना पड़ा। इस प्रकार उन्हें एक के बाद एक कठिनाई का सामना करना पड़ा।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

HBSE 9th Class Hindi किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
पठित पाठ के आधार पर उन कारणों पर प्रकाश डालिए जिनके कारण एक साहित्यकार के जीवन में प्रसन्नता का समावेश होता है।
उत्तर-
एक कवि-कलाकार की खुशी सांसारिक सुखों पर उतनी निर्भर नहीं होती, जितनी उसके द्वारा रचित किसी रचना की सफलता पर निर्भर होती है। लेखक श्री शमशेर बहादुर सिंह के जीवन से यह बात पूर्णतः सिद्ध हो जाती है। लेखक दिल्ली नौकरी की तलाश में जाता है, वहाँ उन्हें कुछ काम भी मिल जाता है, किंतु उन्हें उससे कोई विशेष प्रसन्नता नहीं होती। वे वहाँ एक अच्छा कलाकार बनने का प्रयास करते रहे। इसी प्रकार लेखक के गुरु श्री शारदाचरण के चित्रकला प्रशिक्षण केंद्र के बंद होते ही उन्हें लगा कि अब कोई उनके हृदय की भावनाओं को समझने वाला नहीं रहा। इतना ही नहीं, उन्हें अपना जीवन बेकार लगने लगा। इसी प्रकार लेखक देहरादून में रहते हुए कंपाउंडर का काम सीख गए थे और पैसे भी कमाने लगे थे। किंतु हरिवंशराय बच्चन द्वारा उनकी एक सॉनेट की सराहना किए जाने पर उन्हें जो प्रसन्नता मिली, वह अवर्णनीय है। वे उनके कहने पर देहरादून छोड़कर इलाहाबाद चले आए। वहाँ भी उन्हें एम०ए० की परीक्षा पास करने में इतनी खुशी नहीं मिली, जितनी उन्हें कवि-सम्मेलन में जाकर अपनी रचनाएँ पढ़ने व दूसरों की रचनाएँ सुनने
और बड़े-बड़े साहित्यकारों से मिलने में हुई। इस प्रकार स्पष्ट है कि साहित्यकारों की दुनिया में सांसारिक सुख-समृद्धि इतना महत्त्व नहीं रखती जितना उनके द्वारा रचित साहित्य। यही उनकी प्रसन्नता का प्रमुख कारण होता है।

प्रश्न 2.
पठित पाठ में अभिव्यक्त कविवर बच्चन जी के पत्नी-वियोग पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
पठित पाठ में बताया गया है कि श्री हरिवंशराय बच्चन अपनी पत्नी के वियोग में अत्यधिक व्याकुल एवं व्यथित रहते थे। उनके जीवन में उनकी पत्नी का वही स्थान था जो शिव के मस्त नृत्य में उमा का था। जिस प्रकार शिव पत्नी-वियोग में व्याकुल रहे थे, वैसे ही श्री बच्चन भी पत्नी के वियोग में दुःखी रहे। उस समय उन्हें संसार की प्रत्येक वस्तु व्यर्थ प्रतीत होती थी। उनकी पत्नी उनकी सच्ची संगिनी थी। उनके जीवन की प्रेरणा थी। श्री बच्चन जी पत्नी के प्रति समर्पित थे। इसलिए उसकी आकस्मिक मृत्यु ने उनके कवि एवं भावुक हृदय को झकझोर कर रख दिया।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 3.
लेखक (श्री शमशेर बहादुर सिंह) को अकेलापन क्यों अच्छा लगता था ? तर्कपूर्ण उत्तर दीजिए।
उत्तर-
वस्तुतः लेखक बचपन से ही अत्यंत संकीर्ण एवं एकांतप्रिय स्वभाव के थे। वे घर से बाहर अति आवश्यक काम से ही निकलते थे। इसलिए लोगों से मिलना-जुलना भी कम ही होता था। उन्हें सदा भ्रम-सा बना रहता था कि निजी दुनिया में उनका कोई साथी नहीं बन सकता। इसलिए उन्होंने अकेलेपन को ही साथी समझ लिया था। वे अपने अकेलेपन में अपने हृदय में बसे कवि से ही बातें करते थे। लेखक के अनुसार-अंदर से मेरा हृदय बहुत उद्विग्न रहता, यद्यपि अपने को दृश्यों व चित्रों में खो देने की मुझमें शक्ति थी।’ लेखक ने अन्यत्र लिखा है कि उसे सड़कों पर अकेले घूमना, कविताएँ लिखना और स्कैच बनाना अच्छा लगता था। किंतु अपनी खोली में पहुंचकर बोरियत महसूस होती थी। लेखक के इन कथनों से स्पष्ट है कि लेखक अपनी रचनाओं की दुनिया में ही खोया रहना चाहता था। वह इसमें किसी प्रकार की बाधा को सहन नहीं कर सकता था। इसलिए उसे अकेलापन अच्छा लगता था।

प्रश्न 4.
लेखक के हिंदी लेखन की ओर मुड़ने के कारणों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
लेखक आरंभ में उर्दू और अंग्रेज़ी में अपनी रचनाएँ लिखा करता था। उर्दू में रचित उनकी रचनाएँ काफी प्रसिद्ध थीं। किंतु सन् 1930 में जब श्री हरिवंशराय बच्चन अपनी प्रसिद्धि के शिखर पर थे, तब वे लेखक के संपर्क में एक रचना के माध्यम से आए। लेखक ने अपनी एक ‘सॉनेट’ श्री बच्चन के पास भेजी। उन्हें वह सॉनेट बहुत अच्छी लगी। श्री बच्चन जी समझ गए थे कि इस युवक में साहित्य रचने की प्रतिभा है। इसलिए उन्होंने लेखक को इलाहाबाद बुला लिया और उन्हें हिंदी में लिखने के लिए प्रेरित किया। इलाहाबाद में रहते हुए उन्हें हिंदी का वातावरण मिला। वहाँ उनका परिचय श्री पंत, श्री निराला जैसे महान कवियों से हुआ जिनसे उन्हें हिंदी में लिखने की प्रेरणा मिली। निराला जी ने उनकी एक कविता पर सुंदर टिप्पणी लिखी। पंत जी ने उनकी कविताओं में सुधार किया। इलाहाबाद रहते हुए उन्हें कवि-सम्मेलनों में जाने का अवसर भी मिला। इस प्रकार लेखक हिंदी लेखन की ओर मुड़े और हिंदी साहित्यकार बन गए।

प्रश्न 5.
लेखक को दिल्ली में उकील आर्ट स्कूल में बिना फीस के क्यों दाखिल किया गया था?
उत्तर-
उनकी चित्रकला की महान प्रतिभा को देखकर उन्हें बिना फीस के आर्टस् स्कूल में दाखिल कर लिया गया था। उन्हें उससे इस क्षेत्र में उन्नति करने की बहुत उम्मीदें थीं।

प्रश्न 6.
लेखक दिल्ली क्यों गया था? .
उत्तर-
वस्तुतः लेखक देहरादून में बेरोज़गार था। वहाँ उसके पास करने के लिए कुछ काम नहीं था। घरवाले व दूसरे लोग उसे बेकार घूमने पर ताने भी देते थे। इसलिए लेखक दिल्ली काम की तलाश में गया था। वहाँ उसने काम और चित्रकला की शिक्षा दोनों ही एक साथ आरंभ की थीं।

प्रश्न 7.
दिल्ली आने पर लेखक अपना समय कैसे बिताता था ?
उत्तर-
लेखक ने दिल्ली पहुंचने पर करोलबाग में सड़क के किनारे एक कमरा किराए पर लिया तथा आर्ट की कक्षाओं में जाने लगा। इसी बीच चित्र बनाने व कविताएँ लिखने का काम भी करता था। जब भी कुछ समय मिलता तो सड़कों पर घूमने निकल पड़ता। इस प्रकार लेखक ने दिल्ली में अपना समय व्यतीत किया।

प्रश्न 8.
इलाहाबाद में श्री बच्चन ने लेखक के लिए कौन-सी योजना तैयार की थी ?
उत्तर-
इलाहाबाद में लेखक को बुलाने के पश्चात श्री बच्चन ने यह योजना बनाई थी कि वह किसी प्रकार एम०ए० की परीक्षा पास कर ले। उसका जिम्मा उन्होंने खुद ले लिया था। वे चाहते थे कि लेखक पढ़-लिखकर अपने पाँवों पर खड़ा हो जाए।

प्रश्न 9.
लेखक दिल्ली में रहता हुआ अपने कमरे में आकर बोर क्यों हो जाता था ?
उत्तर-
लेखक को एकांत एवं अकेलापन बहुत प्रिय था। वह अकेलेपन एवं एकांत में खोकर नए-नए विषयों पर विचार करता और उन पर कुछ लिखता। किंतु कमरे में और भी लोग रहते थे। लेखक को उनकी बातों में कोई रुचि नहीं थी। इसलिए वह कमरे में आकर बोर हो जाता था।

प्रश्न 10.
लेखक मार्ग में आने-जाने व उससे मिलने वाले चेहरों को गौर से क्यों देखता था ?
उत्तर-
लेखक को हर चेहरे में अपनी ड्राईंग के लिए कोई-न-कोई विषय मिल जाता था। उसे हर विषय और हर दृश्य में कोई-न-कोई विशेष अर्थ मिल जाता था। इसके लिए उसे गहरा निरीक्षण करना पड़ता था। इसीलिए वह मार्ग में आने-जाने वाले लोगों के चेहरों को गौर से देखता था।.

प्रश्न 11.
लेखक ने जो सॉनेट श्री बच्चन जी को भेजा था, उसका प्रमुख विषय क्या था ? उन्होंने यह सॉनेट बच्चन जी को ही क्यों भेजा था ?
उत्तर-
लेखक द्वारा रचित उस सॉनेट में बच्चन जी के प्रति उनसे मिलने के लिए कृतज्ञता के भाव थे। यह सॉनेट अंग्रेजी भाषा में लिखा था और अतुकांत मुक्त छंद में था। उन्होंने बच्चन के पास अपना यह सॉनेट नमूने के रूप में भेजा था।

प्रश्न 12.
लेखक दिल्ली से देहरादून क्यों आया था ?
उत्तर-
लेखक आजीविका कमाने और पेंटिंग अथवा चित्रकला से जुड़ने के लिए देहरादून आया था। वहाँ उनके गुरु शारदाचरण उकील ने पेंटिंग का स्कूल खोला हुआ था। वहाँ आकर उसने ससुराल वालों की कैमिस्ट की दुकान पर कंपाउंडरी भी सीखी।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 13.
लेखक को सरकारी नौकरी से घृणा क्यों थी ?
उत्तर-
लेखक को सरकारी नौकरी से घृणा थी। अपने पिता जी की सरकारी नौकरी के बंधनों को देखकर उन्होंने अपने मन में सरकारी नौकरी न करने की ठान ली थी। दूसरा प्रमुख कारण था कि साहित्यकार बंधन के जीवन को पसंद नहीं करता है।

प्रश्न 14.
कविवर बच्चन लेखक से एम०ए० की परीक्षा देने के लिए बार-बार क्यों कहते थे ?
उत्तर-
कविवर बच्चन दूसरों की प्रतिभा को पहचानने की कला में प्रवीण थे। उन्होंने लेखक की सॉनेट को पढ़कर उनकी प्रतिभा का अनुमान लगा लिया था। दूसरा कारण था कि उसकी पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। वे उसके हृदय की पीड़ा को भी समझते थे। इसलिए वे उन्हें आर्थिक संकट एवं पत्नी-वियोग की पीड़ा से निकालने के लिए ऐसा कहते थे।

प्रश्न 15.
लेखक ने किस-किस भाषा में रचना की और अंत में किस भाषा के साहित्य के लिए प्रसिद्धि मिली ?
उत्तर-
लेखक ने उर्दू एवं अंग्रेज़ी भाषाओं में लिखना आरंभ किया था, किंतु बाद में श्री बच्चन की प्रेरणा से हिंदी में कविता लिखने लगे थे। वे कुछ समय पश्चात हिंदी के अच्छे कवि बन गए थे और उन्हें हिंदी कवि के रूप में ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।

प्रश्न 16.
कविवर शमशेर बहादुर सिंह को हिंदी की ओर ले जाने में किन-किन का प्रयास रहा है ?
उत्तर-
सर्वप्रथम तो कविवर हरिवंशराय बच्चन ने लेखक (शमशेर बहादुर सिंह) को हिंदी की ओर मोड़ने का सफल प्रयास किया था। इसके अतिरिक्त कविवर पंत और निराला जी ने भी लेखक को हिंदी की ओर मोड़ने में सहयोग दिया था।

प्रश्न 17.
लेखक श्री बच्चन के जीवन की किस विशेषता से सबसे अधिक प्रभावित थे ? ।
उत्तर-
लेखक श्री बच्चन की दूसरों की प्रतिभा को पहचानने और उसे बढ़ावा देने की विशेषता से अधिक प्रभावित थे। वे सदा दूसरों की प्रतिभा को उभारने के लिए तत्पर रहते थे। वे उसे उचित प्रोत्साहन देते और आगे बढ़ने के अवसर भी प्रदान करते थे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
“किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया” शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं?
(A) शमशेर बहादुर सिंह.
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) मृदुला गर्ग
(D) जगदीशचंद्र माथुर
उत्तर-
(A) शमशेर बहादुर सिंह

प्रश्न 2.
श्री शमशेर बहादुर सिंह ने दिल्ली में किस आर्ट स्कूल में प्रवेश लिया था?
(A) उनीस आर्ट स्कूल
(B) उकील आर्ट स्कूल
(C) नीलांभ आर्ट स्कूल
(D) चित्रा आर्ट स्कूल
उत्तर-
(B) उकील आर्ट स्कूल

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प्रश्न 3.
लेखक दिल्ली में आरंभ में कहाँ ठहरा हुआ था?
(A) मोती नगर
(B) उत्तम नगर
(C) करोलबाग
(D) कश्मीरी गेट
उत्तर-
(C) करोलबाग

प्रश्न 4.
आरंभ में श्री शमशेर बहादुर किस भाषा में लिखते थे?
(A) हिंदी में
(B) संस्कृत में
(C) उर्दू में
(D) बांग्ला में
उत्तर-
(C) उर्दू में

प्रश्न 5.
श्री शमशेर बहादुर सिंह को श्री हरिवंशराय बच्चन सर्वप्रथम कहाँ मिले थे?
(A) दिल्ली में
(B) इलाहाबाद में
(C) बनारस में
(D) देहरादून में
उत्तर-
(D) देहरादून में

प्रश्न 6.
देहरादून में आकर लेखक ने कौन-सा कार्य सीखा था?
(A) कविता लिखना
(B) पेंटिंग करना
(C) कंपाउंडरी
(D) दस्तकारी
उत्तर-
(C) कंपाउंडरी

प्रश्न 7.
श्री शमशेर बहादुर को आर्टस सिखाने वाले गुरू का क्या नाम था? ।
(A) श्री बच्चन
(B) श्री पंत
(C) शारदाचरण उकील
(D) निराला जी
उत्तर-
(C) शारदाचरण उकील

प्रश्न 8.
लेखक को अंग्रेज़ी में कविता लिखने का पश्चात्ताप क्यों था?
(A) वह दूसरी भाषाएँ नहीं जानता था
(B) उनके घर का वातावरण उर्दू भाषा का था
(C) उसे संस्कृत का ज्ञान था किंतु उसमें नहीं लिखता था
(D) लेखक को अन्य भाषाओं में लिखने में लज्जा आती थी
उत्तर-
(B) उनके घर का वातावरण उर्दू भाषा का था

प्रश्न 9.
लेखक की दृष्टि में बच्चन जी के जीवन की सबसे बड़ी विशेषता कौन-सी थी?
(A) वे महान् कवि थे
(B) कोमल हृदय व्यक्ति
(C) पारदर्शी व्यक्तित्व के धनी
(D) परिश्रमी
उत्तर-
(B) कोमल हृदय व्यक्ति

प्रश्न 10.
लेखक ने सर्वप्रथम हिंदी में कविता कब लिखी थी?
(A) सन् 1933 में
(B) सन् 1935 में
(C) सन् 1937 में
(D) सन् 1938 में
उत्तर-
(A) सन् 1933 में

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प्रश्न 11.
श्री हरिवंशराय बच्चन के पत्नी वियोग की तुलना लेखक ने किससे की है?
(A) श्रीराम के साथ
(B) मेघदूत के पक्ष के साथ
(C) शिव के साथ
(D) रतनसेन के साथ
उत्तर-
(C) शिव के साथ

प्रश्न 12.
लेखक को बच्चन कहाँ ले गए थे?
(A) इलाहाबाद
(B) दिल्ली
(C) बनारस
(D) कानपुर
उत्तर-
(A) इलाहाबाद

प्रश्न 13.
लेखक ने इलाहाबाद में आकर किस विषय में एम.ए. की परीक्षा की तैयारी की थी?
(A) अंग्रेज़ी
(B) इतिहास
(C) हिंदी
(D) संस्कृत
उत्तर-
(C) हिंदी

प्रश्न 14.
लेखक दिल्ली से देहरादून क्यों आया था?
(A) उनके गुरु उकील ने वहाँ आर्ट स्कूल खोल लिया
(B) उसे वहाँ नौकरी मिल गई
(C) उसके ससुराल वालों ने बुला लिया था
(D) अपने माता-पिता की चिंता के कारण
उत्तर-
(A) उनके गुरु उकील ने वहाँ आर्ट स्कूल खोल लिया।

प्रश्न 15.
लेखक सरकारी नौकरी क्यों नहीं करना चाहता था?
(A) उसे पसंद नहीं थी ।
(B) नौकरी उसके लिए बंधन के समान थी
(C) लेखक स्वच्छ प्रवृत्ति वाला व्यक्ति था
(D) नौकरी में झूठ बोलना पड़ता
उत्तर-
(B) नौकरी उसके लिए बंधन के समान थी।

प्रश्न 16.
लेखक को किस भाषा में लिखने से प्रसिद्धि मिली थी?
(A) उर्दू ,
(B) अंग्रेजी
(C) हिंदी
(D) संस्कृत
उत्तर-
(C) हिंदी

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया Summary in Hindi

किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘किस तरह आखिरकार मैं हिंदी में आया’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पाठ एक संस्मरण है। इसमें लेखक ने श्री हरिवंशराय बच्चन तथा सुमित्रानंदन पंत के साथ बिताए जीवन के क्षणों को याद किया है। प्रस्तुत संस्मरण का सार इस प्रकार है

इस संस्मरण में बताया गया है कि लेखक को किसी ने ऐसा कुछ कहा कि वह पहली बस पकड़कर दिल्ली आ गया। उसने सोच लिया था कि अब उसे दिल्ली में रहना है और पेंटिंग का काम सीखना है। लेखक को उकील आर्ट स्कूल में मुफ्त में दाखिला मिल गया था। वह करोल बाग में एक कमरा किराए पर लेकर वहाँ रहने लगा था। वह रास्ते में चलता-चलता अंग्रेज़ी, हिंदी व उर्दू की कविताएँ करता था। उसकी आदत-सी बन गई थी कि वह हर आने-जाने वाले के चेहरे को ध्यानपूर्वक देखता और उनमें अपनी पेंटिंग के विषय ढूँढता। कुछ साइनबोर्ड पेंट करके तथा कुछ बड़े भाई से प्राप्त धन से गुजारा करता। उसके साथ महाराष्ट्र का एक पत्रकार भी आकर रहने लगा। वह भी बेकार था। वह इलाहाबाद की चर्चा किया करता था।
लेखक उन दिनों बहुत अकेला और बेचैन-सा रहता था। पत्नी की मृत्यु हो चुकी थी। एक बार बच्चन स्टूडियो में आए, किंतु लेखक क्लास खत्म होने के पश्चात जा चुका था। वे लेखक के लिए एक नोट छोड़ गए थे। वह नोट अत्यंत सारगर्भित और प्रभावशाली था। लेखक ने उसके लिए अपने-आपको अत्यंत कृतज्ञ अनुभव किया। जवाब में कृतज्ञतापूर्ण एक कविता भी लिखी, किंतु उनके पास कभी भेजी नहीं।

कुछ समय बाद दिल्ली में कुछ ऐसी घटनाएँ घटीं कि लेखक पुनः देहरादून आ गया। वहाँ आकर लेखक अपनी ससुराल की केमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स की दुकान पर कंपाउंडरी का काम सीखने लगा। इस काम में वह सफल भी हो गया। तभी उनके गुरु श्री शारदाचरण ने पेंटिंग की क्लास बंद कर दी। इससे लेखक को कला-बोध की कमी खलने लगी। कलात्मकता के अभाव में लेखक अपने-आपको बहुत अकेला अनुभव करने लगा था। उनकी आंतरिक रुचियों की किसी को परवाह नहीं थी। इसी उधेड़बुन में उन्होंने एक दिन श्री हरिवंशराय बच्चन को लिखी हुई अपनी कविता पोस्ट कर दी। संयोग ही था कि एक बार बच्चन जी देहरादून आए और लेखक के यहाँ मेहमान बनकर रहे।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

उन दिनों बच्चन जी साहित्य के क्षेत्र में बहुत प्रसिद्ध हो चुके थे। लेखक को उस भयानक आँधी की याद आ गई जिसमें असंख्य पेड़ जड़ से उखड़कर गिर पड़े थे। बच्चन जी एक पेड़ के नीचे आने से बाल-बाल बच गए थे। उन्हीं दिनों बच्चन जी को भी अपनी पत्नी श्यामा का वियोग हुआ था। वे इतने दुःखी थे कि मानो मस्त नृत्य करते शिव से उनकी उमा को छीन लिया गया हो। वे अपनी बात के धनी थे। एक दिन बहुत बारिश थी और रात के समय उन्हें गाड़ी पकड़नी थी। मेजबान के रोकने पर भी वे न रुके। बिस्तर बाँधा और काँधे पर रखकर स्टेशन जा पहुंचे।

लेखक इस बात को सोचकर हैरान होता है कि वे बच्चन जी के आग्रह पर इलाहाबाद जा पहुंचेंगे। उनकी बच्चन जी से अधिक गहरी जान-पहचान नहीं थी। वे हमेशा एकांत को पसंद करते थे। उन्हें ऐसा भ्रम रहता था कि उनके एकांत में उनके साथ चलने वाला कोई नहीं था। एक ओर बच्चन जी ने कहा कि देहरादून में रहेगा तो मर जाएगा। उधर केमिस्ट्स की दुकान पर बैठने वाले डॉक्टर ने भी कहा इलाहाबाद गया तो वहाँ उसका जीवित रहना असंभव होगा। इस प्रकार वह भ्रमित-सा हो गया। किंतु उसने इलाहाबाद जाने का निश्चय कर लिया। बच्चन जी ने एम०ए० हिंदी की पढ़ाई का जिम्मा अपने ऊपर लिया तथा कहा कि जब कमाएगा तो लौटा देना। बच्चन जी चाहते थे कि वह काम का आदमी बन जाए, किंतु वह न एम०ए० की परीक्षा दे सका और न नौकरी कर सका।

वहाँ रहते हुए लेखक का पंत जी से भी परिचय हुआ। उनकी कृपा से ही उन्हें अनुवाद करने का काम मिल गया था। अब लेखक के मन में हिंदी कविता लिखने की रुचि जाग गई थी, किंतु उन्हें तो अंग्रेजी कविता और उर्दू गज़लें लिखने का अभ्यास था। बच्चन जी ने उनकी कविताओं की सराहना की और हिंदी में लिखने का अभ्यास भी निरंतर बढ़ने लगा था। जाट परिवार से संबंधित होने के कारण भी भाषा की दीवार उन्हें रोक न सकी। लेखक हिंदी की ओर बढ़ने के अपने आकर्षण का कारण निराला, पंत, श्री बच्चन आदि महान हिंदी कवियों व इलाहाबाद के अन्य साहित्यकारों से मिलने वाले उत्साह को मानता है। यद्यपि वे हिंदी में बढ़ रही गुटबाजी से दुःखी थे। बच्चन जी उस समय इस गुटबाजी के विरुद्ध लड़ रहे थे।

सन् 1937 में लेखक को लगा कि वह श्री बच्चन जी की भाँति फिर से जीवन की ओर लौट रहा है। उसे भी बच्चन जी की भाँति ही आर्थिक दृष्टि से सबल होना है। बच्चन जी ने उसे 14 पंक्तियों का नया सॉनेट लिखना सिखाया था। इसमें बीच में अतुकांत पंक्तियाँ भी थीं और तुकांत भी। लेखक ने भी कुछ ऐसी ही एक रचना लिखी लेकिन वह कभी प्रकाशित नहीं हो सकी। लेखक अब श्री बच्चन जी के ‘निशा-निमंत्रण’ से प्रभावित हुआ और कुछ उसी पैटर्न पर कविताएँ भी लिखने लगा था। नौ पंक्तियाँ, तीन स्टैंजा। यद्यपि पंत जी ने लेखक की ऐसी कविताओं का संशोधन भी किया, किंतु उन्हें कोई विशेष सफलता नहीं मिली।

लेखक द्वारा अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान न दिए जाने पर बच्चन जी बड़े दुःखी थे। लेखक एम०ए० की परीक्षा नहीं दे सका, किंतु उनकी हिंदी कविता में रुचि बढ़ती जा रही थी। वे एक दिन बच्चन जी के साथ एक कवि सम्मेलन में गए। उनका कविता लिखने का प्रभाव बेकार नहीं गया। उन्हीं दिनों उनकी एक कविता ने निराला जी का ध्यान आकृष्ट किया और उन्होंने लेखक को ‘हंस’ प्रकाशन में काम दिला दिया। इसलिए उन्हें हिंदी में लाने का श्रेय श्री बच्चन जी को जाता है।

लेखक का मानना है कि उनके जीवन को नया मोड़ देने के पीछे बच्चन जी की मौन-सजग प्रतिभा रही है। उनमें दूसरों की प्रतिभा को व्यक्तित्व प्रदान करने की स्वाभाविक क्षमता है। लेखक बच्चन जी से प्रायः दूर ही रहा है। परंतु उनके लिए दूर और समीप की परिभाषा दूसरों से हटकर है। वह नजदीक के लोगों के साथ भी दूरी अनुभव करता रहे और दूर के लोगों के साथ भी बहुत करीब रहे।

जिस प्रकार कवि अपनी कविता के माध्यम से अपने ही बहुत करीब रहता है। न वह कविता से कभी मिलता है, न कभी बात करता है फिर भी उसके अत्यधिक निकट रहता है। ठीक वैसे ही लेखक श्री बच्चन जी के निकट रहा। उनकी यह महानता उनके अच्छे-से-अच्छे कवि से भी महान है। श्री बच्चन जी ऐसे ही बहुत-से लोगों के करीब रहे हैं। उनका सहज एवं स्वाभाविक होना लेखक को बहुत अच्छा लगता है। इसी स्वाभाविकता के कारण लेखक अपने-आपको मुक्त समझता है। ऐसा अनुभव और लोगों को भी होता होगा। लेखक को विश्वास है कि बच्चन जैसे लोग दुनिया में हुआ करते हैं। वे असाधारण नहीं होते। होते तो साधारण हैं, किंतु होते बिरले हैं, दुष्प्राप्य हैं।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-49) : जुमला = वाक्य । पेंटिंग = चित्रकारी। फौरन = जल्दी ही। किस्सा = कथा, घटना। मुख्तसर = संक्षिप्त, सार रूप में। शौक = रुचि। बिला-फीस = बिना फीस के। भर्ती = दाखिला। लबे-सड़क = सड़क के किनारे।

(पृष्ठ-51) : वहमो-गुमान = भ्रम, अनुमान। तरंग = लहर। टीस = वेदना। चुनाँचे = अतः, इसलिए। शेर = गज़ल के दो चरण। बगौर = ध्यानपूर्वक। तत्त्व = सार, तथ्य। दृश्य = दिखाई देने वाला। गति = चाल। विशिष्ट = विशेष। आकर्षण = खिंचाव। साइनबोर्ड = विज्ञापन के पट या पर्दे । बेकार = बेरोज़गार। जिक्र = चर्चा । हृदय = दिल। उद्विग्न = परेशान। टी०बी० = क्षय रोग। घसीटता = लापरवाही से लिखना। स्केच = रेखाचित्र। बोर होना = ऊब जाना। मुलाकात = भेंट। संलग्न = लगे हुए। वसीला = सहारा। नोट = कागज़ पर लिखा संदेश। कृतज्ञ = उपकार को अनुभव करना।

(पृष्ठ-52) : मौन = खामोश। उपलब्धि = प्राप्ति। अफसोस = दुःख। सॉनेट = यूरोपीय कविता का एक लोकप्रिय छंद। अतुकांत = तुक के बिना। मुक्तछंद = छंदों से मुक्त कविता। उफ = ओह । गोया = मानो, जैसे। केमिस्ट्रस = दवाइयाँ तथा रसायन बेचने वाला। ड्रगिस्ट्स = दवाइयाँ बेचने वाला। कंपाउंडरी = चिकित्सा में सहायता करने वाला कर्मचारी। महारत = कुशलता। अजूबा = अद्भुत, हैरान करने वाली। नुस्खा = तरीका। गरज़ = चाह, मतलब। आंतरिक = भीतरी, अंदरूनी। दिलचस्पी = रुचि। अदब-लिहाज़ = शर्म, संकोच। घुट्टी में पड़ना = जन्म से ही स्वभाव में होना। अभ्यासी = आदती। खिन्न = परेशान, दुःखी। सामंजस्य = तालमेल। कर्त्तव्य = करने योग्य काम। इत्तिफाक = संयोग।

(पृष्ठ-53) : प्रबल = मज़बूत, शक्तिशाली। झंझावात = आँधी। स्पष्ट = साफ़। मस्तिष्क = दिमाग। वियोग = बिछुड़ना। उमा = शिव की पत्नी पार्वती। अर्धांगिनी = पत्नी। मध्य वर्ग = धन की दृष्टि से बीच के लोग। भावुक = भावना से भरे, कोमल। आदर्श = सिद्धांत। उत्साह = जोश। संगिनी = साथिन। निश्छल = सरल, छल-रहित। आर-पार देखना = साफ़ एवं स्पष्ट होना। बात का धनी = अपनी बात पर टिके रहने वाला। वाणी का धनी = जिसकी वाणी बहुत मधुर एवं पटु हो। संकल्प = इरादा, निश्चय। फौलाद = बहुत मज़बूत। बरखा = वर्षा । झमाझम = बहुत तेजी से, अधिकता से। मेज़बान = आतिथ्य करने वाला। इसरार = आग्रह। बराय नाम = केवल नाम के लिए, दिखावे-भर को।

(पृष्ठ-54) : वहम = भ्रम, संदेह । गरीब-गरबा = गरीबों के लिए। नुस्खा = तरीका, ढंग, उपाय। थ्री टाइम्स अ-डे = एक दिन में तीन बार। बेफिक्र = चिंता से रहित। लोकल गार्जियन = स्थानीय अभिभावक। दर्ज होना = नाम लिखा जाना। सूफी नज्म = सूफ़ी कविता। प्रीवियस = पहला, पूर्व । फाइनल = अंतिम। काबिल = योग्य। प्लान = योजना। फारिग होना= मुक्त होना। पैर जमाकर खड़ा होना = नौकरी करने योग्य हो जाना। दिल में बैठना = दृढ़ होना। तर्क-वितर्क = बहसबाजी। घोंचूपन = नालायकी, कायरता, मूर्खता। पलायन = भागना। कॉमन रूम = सबके उठने-बैठने का कमरा।

(पृष्ठ-55) : गंभीरता = गहरी रुचि। शिल्प = शैली, तरीका। फर्स्ट फार्म = पहली भाषा। खालिस = शुद्ध। भावुकता = भावों की कोमलता। अभाव = कमी। विषयांतर = दूसरे विषय की तरफ भटक जाना। पुनर्संस्कार = फिर से स्वभाव में डालना। मतभेद = विचारों की भिन्नता। अभिव्यक्ति = भाव प्रकट करना। माध्यम = सहारा। एकांततः = अपने लिए ही। पछाँही = पश्चिम दिशा का। दीवार = बाधा। चेतना = मन, मस्तिष्क, हृदय। संस्कार = आदतें, गुण। प्रोत्साहन = उत्साह, बढ़ावा। विरक्त = अलगाव होना, अरुचि होना। संकीर्ण = तंग। सांप्रदायिक = एक संप्रदाय के प्रभाव वाला।

(पृष्ठ-56) : मर्दानावार = वीरों की भाँति। उच्च घोष = ऊँची आवाज । मनःस्थिति = मन की दशा। द्योतक = परिचायक। अंतश्चेतना = अंतर्मन। निश्चित = बेफिक्र । कमर कसना = तैयार होना। स्टैंज़ा = गीत का एक चरण या अंतरा । तुक = कविता के प्रत्येक चरण के अंतिम वर्णों का एक-सा होना। प्रभावकारी = प्रभावशाली। विन्यास = रचना। अतुकांत = तुक से रहित। बंद = पहरा, अनुच्छेद, चरण। फार्म = रूप। आकृष्ट करना = खींचना। संशोधन = सुधार। सुरक्षित = बचाकर रखे हुए।

(पृष्ठ-57) : क्षोभ = व्याकुलता। स्थायी संकोच = हमेशा महसूस होने वाली शर्म। निरर्थक = बेकार। प्रशिक्षण = ट्रेनिंग, सीखना। प्रांगण = आँगन, क्षेत्र। घसीट लाना = खींच लाना। आकस्मिक = अचानक। मौन-सजग = चुपचाप जाग्रत। प्रातिभ = प्रतिभा से युक्त। नैसर्गिक = सहज, प्राकृतिक। क्षमता = शक्ति। बेसिकली = मूल रूप से। व्यवधान = बाधा, रुकावट। प्रस्तुत होना = पेश होना, दिखाई देना, प्रकट होना। सामान्य = आम।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(पृष्ठ-58) : विशिष्ट = खास, विशेष। असाधारण = जो साधारण न हो, विशेष। मर्यादा = शान। दुष्प्राप्य = कठिनाई से मिलने वाला।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Hindi Vyakaran Varn Prakaran वर्ण प्रकरण Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Vyakaran वर्ण प्रकरण

वर्ण प्रकरण

Varn Prakaran HBSE 9th Class प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भाषा की सबसे छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं। दूसरे शब्दों में, उस छोटी-से-छोटी ध्वनि को वर्ण कहते हैं, जिसके आगे टुकड़े न किए जा सकें; जैसे अ, इ, ऋ, क, ख, ड्र आदि। वर्गों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 46 वर्ण हैं। हिन्दी की वर्णमाला को मुख्यतः स्वर एवं व्यंजन दो भागों में बाँट सकते हैं। हिन्दी की वर्णमाला निम्नलिखित है

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

हिन्दी वर्णमाला के 46 अक्षर संस्कृत भाषा से आए हैं, जिनमें 13 स्वर हैं और शेष व्यंजन हैं। प्रश्न 2. संयुक्त व्यंजनों से क्या अभिप्राय है? सोदाहरण उत्तर दीजिए। उत्तर-जो व्यंजन एक से अधिक व्यंजनों के योग से बने हों, उन्हें संयुक्त व्यंजन कहते हैं; जैसे
कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

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वर्ण के भेद

Varn Prakaran Class 9 HBSE प्रश्न 3.
वर्ण के कितने भेद होते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वर्ण के दो भेद होते हैं- स्वर एवं व्यंजन।
स्वर- अ, इ, उ, ऋ आदि।
व्यंजन- क, ख, प, फ आदि।

वर्ण प्रकरण Class 9 HBSE प्रश्न 4.
स्वर किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
वह वर्ण जो बिना किसी अन्य वर्ण की सहायता से बोला जाए, उसे स्वर कहते हैं। मात्रा के अनुसार स्वरों के तीन भेद होते हैं-हस्व स्वर, दीर्घ स्वर और प्लुत स्वर।

वर्ण प्रकरण Class 9 Vyakaran HBSE प्रश्न 5.
उच्चारण की दृष्टि से स्वरों को कितने भागों में बाँटा जा सकता है?
उत्तर:
उच्चारण के अनुसार स्वरों के निम्नलिखित दो भेद हैं
(1) सानुनासिक तथा
(2) निरनुनासिक।
1. सानुनासिक: जिनका उच्चारण मुख और नासिका से होता है, वे सानुनासिक स्वर कहलाते हैं; जैसे बाँटना, हँसना, दाँत आदि।
2. निरनुनासिक: जिनका उच्चारण केवल मुख से होता है, वे निरनुनासिक स्वर होते हैं; जैसे कौन, दीन आदि।

Hindi Varna HBSE 9th Class प्रश्न 6.
अनुस्वार एवं अनुनासिक किसे कहते हैं? सोदाहरण उत्तर दीजिए।
उत्तर:
अनुनासिक के उच्चारण में हवा नाक और मुख दोनों से निकलती है और अनुस्वार के उच्चारण में हवा केवल नाक से निकलती है। इसके उच्चारण में बल भी अधिक लगता है। अनुनासिक व्यंजन ध्वनि मानी जाती है, जबकि अनुस्वार स्वर माना जाता है। अनुस्वार का चिह्न ऊपर बिन्दु ( . ) है और अनुनासिक का चिह्न चन्द्रबिन्दु (ं) है।
अनुस्वार: गंगा, बंगाल, संधि, संभावना आदि।
अनुनासिक: मुँह, हँसी, बाँटना, दाँत आदि।

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In 9th Standard HBSE प्रश्न 7.
मात्रा से क्या अभिप्राय है? सभी स्वरों के मात्रा रूप बताइए।
उत्तर:
जब किसी स्वर को व्यंजन के साथ जोड़ा जाता है तो स्वर के स्थान पर उसका जो चिह्न लगाया जाता है, उसे मात्रा कहते हैं। स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं

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वर्ण प्रकरण कक्षा 9 HBSE प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उसके कितने भेद हैं?
उत्तर:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाते हैं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। ये स्वरों की सहायता के बिना नहीं बोले जा सकते। इनके उच्चारण में वायु रुकावट के साथ बाहर आती है; जैसे क् + अ = क । यही नियम सभी व्यंजनों पर लागू होता है। बिना स्वर के योग के सभी वर्गों के नीचे हलन्त लगता है; जैसे क्, ख, ग, ट्, त्, ड्, न आदि।

उच्चारण के अनुसार व्यंजनों के तीन भेद किए जा सकते हैं
(1) स्पर्श,
(2) अन्तःस्थ
(3) ऊष्म।

प्रश्न 9.
‘र’ और ‘ऋ’ में क्या अन्तर है? व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के कौन-से नियम हैं ?
उत्तर:
र व्यंजन है और ऋ स्वर है। हिन्दी में रि और ऋ के उच्चारण में काफी समानता प्रतीत होती है। व्यंजनों के साथ ‘र’ लगाने के नियम निम्नलिखित हैं-
(1) यदि ‘र’ से पूर्व कोई स्वर रहित व्यंजन अर्थात् हलन्त वाला व्यंजन हो तो ‘र’ व्यंजन के नीचे आकर जुड़ जाता है; जैसे-
क् + र = क्र (क्रम),
म् + र = म्र (ताम्र),
द् + र = द्र (द्रव्य),
प् + र = प्र (प्रकाश)।

किन्तु ‘र’ से पूर्व यदि कोई टवर्ग का व्यंजन स्वर रहित (हलन्त) हो, तो इसका प्रयोग इस तरह किया जाएगा-
ट् + र = ट्र (ट्रक),
ड् + र = ड्र (ड्रामा)।

(2) यदि स्वर रहित ‘र’ अन्य वर्गों से पहले आए तो अपने से अगले व्यंजन के ऊपर (शिरोरेख के ऊपर) लगाया जाता है; जैसे
ध + र् + म = धर्म,
पू + र् + व = पूर्व,
सू + र् + य = सूर्य ।

(3) यदि ‘र’ के साथ ‘इ’ या ‘ई’ की मात्रा लगी हो, तो इसे मात्रा के बाद जोड़कर लिखा जाता है; जैसे कर्मी, फुर्ती, दर्शी, महर्षि, गर्वित।

(4) यदि ‘र’ संयुक्त अक्षर के साथ आए तो ‘र’ को संयुक्ताक्षर के अन्तिम वर्ण पर लगाया जाता है; जैसे मर्त्य, दुर्घर्ष।

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परीक्षोपयोगी महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
वर्ण किसे कहते हैं? हिन्दी वर्णमाला में कितने वर्ण हैं? इनको हम कितने भागों में बाँट सकते हैं?
उत्तर:
भाषा की लघुतम इकाई को वर्ण कहते हैं या वह लघु ध्वनि जिसके आगे टुकड़े न हो सकें, उसे वर्ण कहते हैं; जैसे आ, इ, क, खु आदि। हिन्दी भाषा में 46 वर्ण होते हैं। वर्ण को हम दो भागों में बाँट सकते हैं-
(1) स्वर,
(2) व्यंजन।

प्रश्न 2.
स्वर किसे कहते हैं? मात्रा के अनुसार ये कितने प्रकार के हैं?
उत्तर:
वह वर्ण जो अन्य वर्ण की सहायता से बोला जा सके, स्वर कहलाता है। मात्रा के आधार पर इन्हें तीन भागों में बाँटा जा सकता है-
(1) ह्रस्व स्वर,
(2) दीर्घ स्वर,
(3) प्लुत स्वर।

प्रश्न 3.
ह्रस्व स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में थोड़ा अथवा एक मात्रा का समय लगे, उसे ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं-अ, इ, उ, ऋ। इन्हें एक मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

प्रश्न 4.
दीर्घ स्वर किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिस स्वर के उच्चारण में ह्रस्व से दुगुना समय लगे, उसे दीर्घ स्वर कहते हैं। ये सात हैं आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ। इन्हें द्वि-मात्रिक स्वर भी कहते हैं।

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प्रश्न 5.
प्लुत स्वरों की परिभाषा देते हुए उदाहरण भी लिखें।
उत्तर:
चिल्लाते या पुकारते समय जब किसी स्वर के उच्चारण में तीन गुणा समय लगे, तो वह स्वर प्लुत कहलाता है। जैसे- ओ३म्, हे राम आदि।

प्रश्न 6.
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का क्या महत्व होता है? सोदाहरण स्पष्ट करें।
उत्तर:
हिन्दी में दीर्घ स्वरों का बहुत महत्व होता है। ये शब्द के अर्थ में परिवर्तन कर देते हैं; जैसे-

ह्रस्व स्वर – दीर्घ स्वर
कल – काल
कम – काम
जाति – जाती
दिन – दीन
सुत – सूत
कुल – कूल
खल – खाल
पुत्र – पूत
नग – नाग
खिल – खील

नोट-
अंग्रेज़ी के डॉक्टर, कॉलेज, बॉल आदि शब्दों में आ और ओ ध्वनियों के मध्यवर्ती दीर्घ स्वर ‘ऑ’ का उच्चारण होता है। हिन्दी के इन दीर्घ स्वरों से इसको भिन्न लिखने और बोलने के कारण इसका प्रचलन हो गया है।

प्रश्न 7.
अनुस्वार एवं अनुनासिक में क्या अन्तर है?
उत्तर:
अनुस्वार के उच्चारण में वायु केवल नाक से निकलती है तथा अनुनासिक के उच्चारण में वायु नाक एवं मुख दोनों से निकलती है; यथा
अनुस्वार – कंगन, गंगा।
अनुनासिक – दाँत, चाँद ।

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प्रश्न 8.
व्यंजन किसे कहते हैं? उच्चारण के विचार से इनके कितने भेद हैं?
उत्तर:
स्वरों की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण को व्यंजन कहते हैं; जैसे क, ख, ग आदि। उच्चारण की दृष्टि से व्यंजन के तीन भेद होते हैं-
(1) स्पर्श व्यंजन,
(2) अन्तःस्थ व्यंजन,
(3) ऊष्म व्यंजन।

प्रश्न 9.
अंतःस्थ व्यंजन की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए।
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा पूरी तरह से मुख के किसी भाग का स्पर्श नहीं करती, उन्हें अंतःस्थ व्यंजन कहते हैं; जैसे य, र, ल, व। ये चार व्यंजन ही अंतःस्थ हैं।

प्रश्न 10.
स्पर्श व्यंजन किसे कहते हैं?
उत्तर:
जिन व्यंजनों के उच्चारण में जिह्वा मुख के विभिन्न भागों से पूरी तरह स्पर्श करती हो, उन्हें स्पर्श व्यंजन कहते हैं। स्पर्श व्यंजन संख्या में 25 होते हैं; जैसे-
कवर्ग – क ख ग घ ङ
चवर्ग – च छ ज झ ञ
टवर्ग – ट ठ ड ढ ण
तवर्ग – त थ द ध न
पवर्ग – प फ ब भ म

प्रश्न 11.
ऊष्म व्यंजन किसे कहते हैं? इनकी कितनी संख्या होती है?
उत्तर:
जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय वायु रगड़ खाकर निकलती है अर्थात् वायु एक प्रकार से ऊष्म-सी हो जाती है, उन्हें ऊष्म व्यंजन कहते हैं; जैसे श, ष, स, ह। ये चार वर्ण ऊष्म कहलाते हैं।

प्रश्न 12.
इन शब्दों के पृथक्-पृथक् वर्ण लिखिएयूनिवर्सिटी, अमृतसर, पंजाब, मद्रास, कश्मीर।
उत्तर:
यूनिवर्सिटी – य् + ऊ + न् + इ + व् + अ + र् + स् + इ + ट् + ई।
अमृतसर – अ + म् + ऋ + त् + अ + स् + अ + र् + अ
पंजाब – प् + अं + ज् + आ + ब् + अ
मद्रास – म् + अ + द् + र् + आ + स् + अ
कश्मीर – क् + अ + श् + म् + ई + र् + अ

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प्रश्न 13.
नीचे लिखे वर्गों के योग से बनने वाले शब्द लिखिए
(1) र् + आ + त् + अ
(2) स् + अ + त् + अ + ल् + उ + ज् + अ
(3) व् + ऐ + ज् + ञ् + आ + न् + इ + क् + अ
(4) क् + ऋ + प् + आ + ण् + अ
(5) त् + उ + ल् + अ + स् + ई।
उत्तर:
(1) रात
(2) सतलुज
(3) वैज्ञानिक
(4) कृपाण
(5) तुलसी।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित वर्गों को जोड़कर शब्द बनाओ
(1) ल् + अ + त् + आ
(2) अ +ध् + य् + आ + य् + अ
(3) म् + इ + त् + र् + अ
(4) क् + ष् + अ + म् + आ
(5) आ + ज् + ञ् + आ
उत्तर:
(1) लता
(2) अध्याय
(3) मित्र
(4) क्षमा
(5) आज्ञा।

प्रश्न 15.
निम्नलिखित शब्दों को वर्गों में विभक्त करोश्लोक, ज्ञान, छात्र, विद्यालय, भारतवर्ष, भक्ति, कृष्ण, परिश्रम।
उत्तर:
श्लोक = श् + ल् + ओ + क् + अ।
ज्ञान = ज् + ञ् + आ + न् + अ।
छात्र = छ + आ + त् + र् + अ।
विद्यालय = व् + इ + द् + य् + आ + ल् + अ + य् + अ।
भारतवर्ष = भ् + आ + र् + अ + त् + अ + व् + र् + ष् + अ।
भक्ति = भु + अ + क + तु + इ।
कृष्ण = क् + ऋ + ष् + ण + अ।
परिश्रम = प् + अ + र् + इ + श् + र् + अ + म् + अ।

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प्रश्न 16.
स्वर और व्यंजन में क्या अन्तर है?
उत्तर:
स्वर:
स्वतन्त्र अर्थात् दूसरे वर्ण की सहायता के बिना बोले जाने वाले वर्ण को स्वर कहते हैं। स्वर ऐसी ध्वनियाँ हैं जिनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठों की सहायता के बिना बाहर निकल जाती है; जैसे अ, इ, उ।

व्यंजन:
जो वर्ण स्वरों की सहायता से बोले जाएं, उन्हें व्यंजन कहते हैं। इनके उच्चारण में सांस की हवा कंठ, जीभ और होंठ आदि मुख के अंगों में रुकावट पैदा करके निकलती है। ये क से लेकर ह तक तैंतीस व्यंजन हैं।

प्रश्न 17.
अनुस्वार और अनुनासिक में क्या अन्तर है? सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुस्वार:
जिस ध्वनि के उच्चारण में सांस केवल नाक से निकले, उसे अनुस्वार ध्वनि कहते हैं। अनुस्वार का चिह्न बिन्दु (ं) है; जैसे संत, गंगा, व्यंजन आदि। हिन्दी वर्णमाला में ङ्, ञ्, ण, न और म् अनुस्वार ध्वनियाँ हैं।

अनुनासिक:
जब सांस की हवा कुछ तो नाक से निकल जाए और कुछ मुँह से निकले तो अनुनासिक स्वरों को बोला जाता है और उसका चिह्न चन्द्रबिन्दु (ँ) होता है; जैसे आँख, चाँद, माताएँ आदि। हिन्दी में अनुनासिकता अधिकतर दीर्घ स्वरों में ही मिलती है।

प्रश्न 18.
निम्नलिखित वर्गों के उच्चारण स्थान उनके सामने दिए कोष्ठकों में लिखो
प् ( )
न ( )
ठ ( )
ज् ( )
घ् ( )
व ( )
औ ( )
ए ( )
उत्तर:
प् (ओष्ठ),
न् (नासिका),
ठ् (मूर्धा),
ज् (तालु),
घ् (कण्ठ),
व् (दन्तोष्ठ),
औ (कंठौष्ठ),
ए (कंठ तालु)।

प्रश्न 19.
टवर्ग, पवर्ग, कवर्ग, तवर्ग की नासिक्य ध्वनियाँ लिखो।
उत्तर:
टवर्ग – ण।
पवर्ग – म्।
कवर्ग – ङ्।
तवर्ग – न्।

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प्रश्न 20.
(क) कंठ-स्थान से बोला जाने वाला ऊष्म व्यंजन लिखो।
(ख) तालु-स्थान से बोला जाने वाला एक अंतस्थ व्यंजन लिखो।
उत्तर:
(क) ह
(ख) य।

प्रश्न 21.
अयोगवाह किसे कहते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
स्वरों एवं व्यंजनों के अतिरिक्त हिन्दी वर्णमाला में दो वर्ण और भी हैं, ये हैं अं और अः । अनुस्वार और विसर्ग ये दोनों स्वरों के बाद लिखे जाते हैं। स्वतंत्र गति न होने के कारण ये स्वरों की संख्या में नहीं आ सकते। इसलिए इन्हें अयोगवाह कहते हैं। न स्वरों के योग, न व्यंजनों से, फिर भी ध्वनि वहन करते हैं। अतः ये अयोगवाह हैं।

प्रश्न 22.
‘अक्षर’ की परिभाषा देते हुए हिन्दी भाषा के प्रमुख अक्षरों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
किसी एक ध्वनि या ध्वनि समूह की उच्चरित न्यूनतम इकाई को अक्षर कहते हैं। अक्षर केवल स्वर, स्वर तथा व्यंजन या अनुनासिकता सहित स्वर हो सकता है। दूसरे शब्दों में, वह छोटी-से-छोटी इकाई अक्षर है, जिसका उच्चारण वायु के एक झटके से होता है; जैसे आ, जी, क्या आदि। हिन्दी अक्षरों के कुछ प्रमुख उदाहरण देखिए
(1) केवल स्वर, औ, आ, ओ।
(2) स्वर व्यंजन, अब, आज्, आँख् ।
(3) व्यंजन स्वर, न, खा, हाँ।
(4) व्यंजन स्वर व्यंजन, घर, देर्, साँप् ।
(5) व्यंजन-व्यंजन स्वर, क्या, क्यों।
(6) व्यंजन-व्यंजन-व्यंजन स्वर, स्त्री।

Haryana State Board HBSE 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Ex 8.2 Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Maths Solutions Chapter 8 Quadrilaterals Exercise 8.2

Question 1.
ABCD is a quadrilateral in which P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA (see figure 8.29). AC is a diagonal. Show that:
(i) SR || AC and SR = \(\frac{1}{2}\)AC
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS is a parallelogram.

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Solution:
Given : ABCD is a quadrilateral in which P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA respectively. AC is a diagonal.
To prove : (i) SR || AC and SR = \(\frac{1}{2}\)AC,
(ii) PQ = SR
(iii) PQRS is a parallelogram.
Proof : (i) In ΔACD, we have
∴ S and R are the mid points of AD and CD respectively.
∴ SR || AC and SR = \(\frac{1}{2}\)AC
(ii) In ΔABC, we have
∴ P and Q are the mid points of AB and BC respectively.
∴ PQ || AC and PQ = \(\frac{1}{2}\)AC,
[By theorem 8.9] …(ii)
From (i) and (i), we get
PQ || SR and PQ = SR.
(iii) ∵ PQ || SR and PQ = SR,
(As proved above)
∴ PQRS is a parallelogram.
Hence proved

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Question 2.
ABCD is a rhombus and P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA respectively. Show that the quadrilateral PQRS is a rectangle.
Solution:

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Given: A rhombus ABCD in which P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA respectively.
To prove: Quadrilateral PQRS is a rectangle.
Construction: Join AC and BD.
Proof: In ΔADC, we have S and R are the mid points of AD and CD respectively.
∴ SR || AC and SR = \(\frac{1}{2}\)AC ……(1)
and in ΔABC, we have
P and Q are the mid points of AB and BC respectively.
∴ PQ || AC and PQ = \(\frac{1}{2}\)AC,
[By theorem 8.9] …….. (ii)
From (i) and (ii), we get
PQ || SR and PQ = SR
∴ PQRS is a parallelogram.
[By theorem 8.8]
Again in ΔDAB, we have
S and P are the mid points of AD and AB respectively.
SP || BD
⇒ SL || MO
and SR || AC [From (i)]
⇒ SM || LO
∴ SLOM is a parallelogram.
Since, diagonals of a rhombus bisect each other at 90°.
∴ ∠AOD = 90°
∠MOL = 90°
But, ∠LSM = ∠MOL,
(Opposite angles of a parallelogram)
⇒ ∠LSM = 90°
⇒ ∠PSR = 90°
Since, one angle of a parallelogram PQRS is 90°.
Therefore, quadrilateral PQRS is a rectangle.
Hence proved

Question 3.
ABCD is a rectangle and P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA respectively. Show that the quadrilateral PQRS is a rhombus.
Solution:
Given: A rectangle ABCD in which P, Q, R and S are mid points of the sides AB, BC, CD and DA respectively.
To prove : Quadrilateral PQRS is a rhombus.

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Construction: Join AC.
Proof: In ΔADC, S and R are the mid points of AD and CD respectively.
∴ SR || AC and SR = \(\frac{1}{2}\)AC …(i)
[By thoerem 8.9]
In ΔABC, P and Q are the mid points of AB and BC respectively.
∴ PQ || AC and PQ = \(\frac{1}{2}\)AC …..(ii)
From (i) and (ii), we get
PQ || SR and PQ = SR
∴ PQRS is a parallelogram.
[By theorem 8.8]
∵ ABCD is a rectangle.
∠A = ∠B = 90° …(ii)
and AD = BC, (Opposite sides of a rectangle)
⇒ \(\frac{1}{2}\)AD = \(\frac{1}{2}\)BC
⇒ AS = BQ,
[∵ S is the mid point of AD and Q is the mid point of BC]
∴ AS = \(\frac{1}{2}\)AD and BQ = \(\frac{1}{2}\)BC]
Now in ΔSAP and ΔQBP, we have
AS = BQ, [As proved above]
∠SAP = ∠QBP,
[From (iii), Each = 90°]
and AP = BP,
[∵ P is the mid point of AB]
∴ ΔSAP ≅ ΔQBP,
(By SAS congruence rule)
⇒ SP = PQ, (CPCT)
Thus, adjacent sides of a parallelogram PQRS are equal.
Therefore, PQRS is a rhombus.
Hence proved

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Question 4.
ABCD is a trapezium in which AB || CD, BD is a diagonal and E is the mid point of AD. A line is drawn through E parallel to AB intersecting BC at F(see figure 8.30). Show that F is the mid point of BC.

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Solution:
Given: ABCD is a trapezium in which AB || CD, EF || AB and E is the mid point of AD.
To prove: F is the mid point of BC.
Proof: Let line EF intersecting BD at G.
In ΔDAB, we have
EG || AB (∵ EF || AB)
and E is the mid point of AD.
∴ G is the mid point of BD.
Now, AB || CD and AB || EF, (Given)
⇒ EF || CD
⇒ GF || CD
and G is the mid point of BD. (As proved above)
∴ F is the mid point of BC.
Hence proved

Question 5.
In a parallelogram ABCD, E and Fare the mid points of sides AB and CD respectively (see figure 8.31). Show that the line segments AF and EC trisect the diagonal BD.

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Solution:
Since, ABCD is a parallelogram.
∴ AB = CD,
(Opposite sides of parallelogram)
\(\frac{1}{2}\)AB = \(\frac{1}{2}\)CD
AE = FC,
[∵ E and F are mid points of AB and CD respectively
∴ AE = \(\frac{1}{2}\)AB and FC = \(\frac{1}{2}\)CD]
and AB || CD
⇒ AE || FC
∴ AECF is a parallelogram.
⇒ AF || EC …..(i)
In ΔABP, we have
E is the mid point of AB.
and EQ || AP [∵ AF || EC]
∴ Q is the mid point of BP
⇒ BQ = PQ …….(ii)
In ΔCQD, we have
F is the mid point of CD.
and PF || CQ [∵ AF || EC]
∴ P is the mid point of DQ.
⇒ DP = PQ ……..(iii)
From (ii) and (iii), we get
DP = PQ = BQ
Hence, line segments AF and EC trisect the diagonal BD.
Hence proved

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Question 6.
Show that the line segments joining the mid points of the opposite sides of a quadrilateral bisect each other.
Solution:
Given: ABCD is a quadrilateral in which EG and FH are the line segments joining the mid points of opposite sides of a quadrilateral.
To prove: EG and FH bisect each other.

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Construction: Join EF, FG, GH, HE and AC.
Proof: In ΔABC, E and F are mid points of AB and BC.
∴ EF || AC and EF = \(\frac{1}{2}\)AC
[By mid point theorem]
In ΔADC, H and G are mid points of AD and CD.
∴ HG || AC and HG = \(\frac{1}{2}\)AC ……(ii)
From (i), (ii), we get
EF || HG and EF = HG
∴ EFGH is a parallelogram. [By theorem 8.8]
We know that diagonals of a parallelogram bisect each other.
Therefore EG and FH bisect each other.
Hence proved

Question 7.
ABC is a triangle right angled at C. A line through the mid point M of hypotenuse AB and parallel to BC intersects AC at D. Show that:
(i) D is the mid point of AC,
(ii) MD ⊥ AC
(iii) CM = MA = \(\frac{1}{2}\)AB.
Solution:
Given: A ΔABC in which ∠C = 90°,
M is the mid point of AB and MD || BC.
To prove : (i) D is the mid point of AC.
(ii) MD ⊥ AC
(iii) CM = MA = \(\frac{1}{2}\)AB.

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Proof: (i) In ΔABC, M is the mid point of AB.
and MD || BC, (Given)
∴ D is the mid point of AC.
(By theorem 8.10)
(ii) Since, MD || BC and ∠ACB = 90°
∴ ∠ADM = 90°
(Corresponding angles) …(i)
(iii) But, ∠DM + ∠CDM = 180°, (Linear pair)
⇒ 90° + ∠CDM = 180°, [Using (i)]
⇒ ∠CDM = 180° – 90° = 90° … (ii)
Now, ΔADM and ΔCDM, we have
AD = CD,
(As proved above, D is the mid point of AC)
∠ADM = ∠CDM, [From (i) and (ii), Each = 90°]
and MD = MD, (Common)
∴ ΔADM ≅ ΔCDM,
(By SAS congruence rule)
⇒ AM = CM, (CPCT)
But, AM = BM, (∵ M is the mid point of AB)
∴ AM = CM = \(\frac{1}{2}\)AB.
Hence proved

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें

HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Textbook Questions and Answers

मेरे संग की औरतें के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं ?
उत्तर-
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा नहीं था, किंतु उनके बारे में सुना अवश्य था। विशेषकर अपने जीवन के अंतिम दिनों में उन्होंने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारेलाल शर्मा से भेंट की थी। उस भेंट में भी उन्होंने यह इच्छा प्रकट की थी कि वे अपनी बेटी का विवाह किसी क्रांतिकारी से करना चाहती थी, अंग्रेजों के किसी भक्त से नहीं। उनकी इस इच्छा से उनकी देशभक्ति का बोध होता है। इसके अतिरिक्त वह साहसी स्त्री थी। उन्होंने पर्दे में रहने के बावजूद किसी पराए पुरुष से मिलने का साहस किया था। इन तथ्यों से पता चलता है कि वह एक वीर स्त्री थी। उनके मन में स्वतंत्रता की आग सुलग रही थी। लेखिका उनके इन्हीं गुणों के कारण प्रभावित थी।

Mere Sang Ki Auraten Class 9 HBSE प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही ? [H.B.S.E. 2018, 2019]
उत्तर-
लेखिका की नानी की प्रत्यक्ष रूप से आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी नहीं रही। उसकी परिस्थितियाँ ही ऐसी थीं कि वह खुलकर स्वतंत्रता आंदोलन में भाग नहीं ले सकती थी। किंतु उसके मन में स्वतंत्रता-प्राप्ति की भावना सदा बनी रही। उसने कभी भी अंग्रेजों की प्रशंसा नहीं की। उसके पति इंग्लैंड में शिक्षा प्राप्त करके आए थे और अंग्रेज़ों के भक्त थे। फिर भी उसने अंग्रेज़ों की जीवन-शैली में कभी भाग नहीं लिया। उसका सबसे बड़ा योगदान था कि उसने अपनी संतान को अंग्रेज़-भक्तों के चंगुल से मुक्त कर दिया था, ताकि उसकी संतान देश के लिए कुछ कर सके। इस प्रकार उनकी इस भावना से निश्चित रूप से क्रांतिकारियों को जो उत्साह मिला होगा, उसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती। अतः लेखिका की नानी की स्वतंत्रता आंदोलन में अप्रत्यक्ष रूप से बहुत बड़ी भागीदारी थी।

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मेरे संग की औरतें’ पाठ 2 के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में
(क) लेखिका की माँ के व्यक्तित्व की विशेषताएँ लिखिए। (ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखिका की माँ असाधारण व्यक्तित्व वाली महिला थी। उनके जीवन की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि वे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए काम करती थीं। वे मौलिक विचारों वाली स्त्री थीं। लेखिका ने लिखा है कि वे स्वयं अपने ढंग से आजादी के जुनून को निभाती थी। इस विशेषता के कारण घर के सभी लोग उसका सम्मान करते थे। उनसे घर-गृहस्थी का कोई काम नहीं करवाया जाता था। उनका व्यक्तित्व ऐसा प्रभावशाली था कि ठोस कामों के लिए उनसे राय ली जाती थी और उस राय को पत्थर की लकीर मानकर निभाया जाता था। लेखिका की माँ को किताबें पढ़ने और संगीत सुनने का शौक भी था। उसके मान-सम्मान के दो बड़े कारण थे कि वह कभी झूठ नहीं बोलती थी और किसी की गोपनीय बात को दूसरों से नहीं कहती थी।

(ख) लेखिका की दादी एक विचित्र व्यक्तित्व वाली स्त्री थी। वह लीक से हटकर काम करने वाली महिला थी। उसके घर में हर व्यक्ति को अपना अधिकार बनाए रखने की स्वतंत्रता थी। लेखिका की दादी, ताई व पिता उसकी माँ के कर्त्तव्यों को पूरा करते थे। लेखिका की माँ बिस्तर पर लेटे-लेटे किताबें पढ़ती और संगीत सुनती। फिर भी उसे भरपूर सम्मान मिलता था। हर व्यक्ति अपने स्वतंत्र विचार रखता था, किंतु फिर भी आपसी सद्व्यवहार का वातावरण बना रहता था। वहाँ किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं था। अतः किसी को भी हीन भावना अनुभव नहीं करनी पड़ती थी।

मेरे संग की औरतें प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर-
परदादी परंपरा की लीक पर चलने वाली स्त्री नहीं थी। उस युग में लड़की होने की मन्नत माँगना क्रांतिकारी विचार होने का संकेत करता है। उसकी दृष्टि में लड़की-लड़के में भेद नहीं था। उस युग में स्त्री-सुधार आंदोलन भी जोरों पर था। उसका अप्रत्यक्ष रूप से प्रभाव दादी पर अवश्य पड़ा होगा। उनकी मन्नत से यह पता चलता है कि उनकी दृष्टि में स्त्रियों का सम्मानजनक स्थान था। वह लड़कियों से प्रेम करती होगी इसलिए उसने लड़की होने की मन्नत माँगी होगी। परिवार में सब बहुओं को पहला लड़का ही हुआ था। इसलिए उसने पोते की बहू के लिए पहली लड़की होने की मन्नत माँगी होगी।

Mere Sang Ki Auraten HBSE 9th Class प्रश्न 5.
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए। .
उत्तर-
माँ जी जब एक रात रतजगे के शोर से बचने के लिए अलग कमरे में सो रही थीं, तब उनके कमरे में सेंध लगाकर कोई चोर घुस आया था। माँ जी आवाज़ सुनकर जाग गई और पूछा कौन है ? चोर द्वारा संक्षिप्त-सा उत्तर देने पर माँ जी ने उससे पानी लाने के लिए कहा। माँ जी ने कहा कि कपड़ा कसकर बाँधे रहना। चोर डर गया कि उसने कैसे जान लिया कि उसने कपड़ा बाँधा हुआ है। माँ जी ने चोर द्वारा बताने पर भी कि वह चोर है, पानी भरवाया। उसने लोटे से पानी पीकर शेष पानी चोर को पिला दिया और फिर कहा कि अब हम माँ-बेटा हुए। अब तू चोरी कर या खेती। चोर ने चोरी करना छोड़कर खेती का काम करना आरंभ कर दिया। इस घटना से सिद्ध होता है कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की अपेक्षा सहजता से भी किसी व्यक्ति को सही मार्ग पर लाया जा सकता है।

Kritika Chapter 2 Class 9 Answers HBSE प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
लेखिका मानती है कि शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। लेखिका जब कर्नाटक के छोटे-से कस्बे बागलकोट में थीं, तब वहाँ कोई अच्छा स्कूल नहीं था। उसने कैथोलिक बिशप से स्कूल खोलने की प्रार्थना की, किंतु वे वहाँ इसलिए स्कूल खोलने के लिए तैयार नहीं थे क्योंकि क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम थी। किंतु लेखिका तो सब बच्चों के द्वारा शिक्षा पाने की पक्षपाती थी। उसके मन में किसी प्रकार का धर्म व जातिगत भेदभाव नहीं था। उसने अपने प्रयासों से ऐसा स्कूल आरंभ किया जिसमें बच्चों को हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़ तीनों भाषाएँ पढ़ाई जाती थी। इसे कर्नाटक की सरकार से मान्यता भी दिला दी थी।

Class 9 Chapter 2 Kritika HBSE प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है ?
उत्तर–
प्रस्तुत पाठ में बताया गया है कि उन इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है, जिनमें निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं

(1) जो सदा सच बोलते हैं।
(2) जो किसी की गोपनीय बातों को दूसरों के सामने प्रकट नहीं करते।
(3) जो अपने इरादों में दृढ़ रहते हों और उन्हें पूरा करने का प्रयास करते हों।
(4) जो दूसरों के साथ सहज व्यवहार करते हों।
(5) जिनमें हीन भावना न हो।
(6) जो देशभक्ति की भावना से परिपूर्ण हों।

मेरे संग की औरतें पाठ के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
लेखिका और उसकी बहन में अकेले अपने जीवन-पथ पर चलने का पूर्ण साहस था। लेखिका ने अपनी हिम्मत और साहस से बिहार में रहते हुए नारी जागरण का कार्य किया। उन्होंने शादीशुदा औरतों को नाटक में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। नारी-जागृति उत्पन्न करने के लिए उनमें एक अजीब धुन थी। इसी प्रकार उन्होंने कर्नाटक के छोटे से कस्बे बागलकोट में अपने बलबूते पर प्राइमरी स्कूल आरंभ किया था।

लेखिका की बहन रेणु भी जीवन में अकेले ही अनोखे काम कर दिखाने में आनंद अनुभव करने वाली युवती थी। उसे स्कूल से लौटते समय थोड़ी दूर के लिए गाड़ी में आना पसंद नहीं था। वह अकेली ही पैदल चलकर पसीने से तर-बतर होकर घर आती थीं। एक दिन अधिक बरसात के कारण स्कूल की गाड़ी न आने पर वह सबके मना करने पर पैदल ही स्कूल जा पहुंची थी। उसने ऐसा करके यह सिद्ध कर दिया था कि वह अकेले ही अपनी राह पर चल सकती है। वह कहती थी कि अकेलेपन का मजा ही कुछ ओर है। इस प्रकार दोनों के व्यक्तित्व में अकेले ही अपना मार्ग बना लेने की हिम्मत थी।

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HBSE 9th Class Hindi मेरे संग की औरतें Important Questions and Answers

Kritika Lesson 2 Class 9 HBSE प्रश्न 1.
लेखिका की परदादी के जीवन में ऐसे कौन-से गुण थे जिनका अनुकरण किया जाए ?
उत्तर-
लेखिका की परदादी का व्यक्तित्व अत्यंत प्रभावशाली था। उनके जीवन की त्याग की भावना और नारी-सम्मान की भावना विशेष रूप से अनुकरणीय थी। लेखिका की परदादी ने घोषणा कर दी थी कि वह केवल दो ही धोतियों से गुजारा करेगी। यदि तीसरी धोती मिल जाती है तो वह उसे दान कर देगी। उसने अपने पोते के यहाँ कन्या उत्पन्न होने की मन्नत माँगी थी। उसने अपनी इस मन्नत को किसी से छिपाया नहीं था। उसने अपनी इस कामना के पीछे किसी प्रकार का कोई तर्क भी नहीं दिया था। वह चाहती थी कि इस समाज में केवल लड़कों का ही नहीं, अपितु लड़कियों का भी मान-सम्मान होना चाहिए। उसकी यह भावना आज के समाज के लिए अनुकरणीय है। उसके मन में ईश्वर के प्रति सच्ची आस्था थी। वह प्रभु से सदा सच्ची भावना से ही मन्नत माँगती थी जो पूरी होती थी। अतः उनके जीवन का यह गुण भी अनुकरणीय है।

Kritika Chapter 2 Mere Sang Ki Auraten HBSE प्रश्न 2.
लेखिका की माँ के जीवन के कौन-कौन से गुण आपको अत्यधिक प्रभावित करते हैं ?
उत्तर-
लेखिका की माँ एक पतली-दुबली व कमजोर-सी दिखाई देने वाली नारी थी। किंतु उनका दृढ़ निश्चय व संकल्प देखते ही बनता था। जिस काम का वह एक बार निश्चय कर लेती थी, उसे करके ही दम लेती थी। वह देशभक्त नारी थी। वह सदा ही खादी की धोती पहनती थी। लेखिका की माँ के जीवन के प्रमुख गुण थे ईमानदारी, निष्पक्षता, सत्य बोलना और स्वतंत्रता-प्राप्ति के आंदोलन में भाग लेना आदि। उनके जीवन के ये वे गुण थे, जिन्हें देखकर हर व्यक्ति उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकता था। वे कभी झूठ नहीं बोलती थी और न ही कभी किसी के प्रति अन्याय होते सहन कर सकती थी। वह सदा ही देश-समाज-सेवा और त्याग को अपना धर्म मानती थी। वास्तव में लेखिका की माँ महान् विचारों वाली नारी थी।

Mere Sang Ki Auraten Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी। सिद्ध कीजिए।
उत्तर-
लेखिका की नानी ऊपरी तौर पर देखने में बहुत ही शांत एवं सहज लगती थी, किंतु वह सदा से नारी की स्वतंत्रता के पक्ष में थी। उसे आज़ादी अच्छी लगती थी। भले ही वह आजादी देश की हो या व्यक्ति की। उस समय की स्थिति ऐसी थी कि पति से भी खुलकर बोल पाना संभव नहीं था। किंतु उसके मन में क्रांतिकारी विचार मन-ही-मन सुलगते रहते थे। जब वह मरणासन्न थी तो उसने अपने क्रांतिकारी विचारों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त किया। उसने प्रसिद्ध क्रांतिकारी प्यारे लाल शर्मा को बुलाकर कहा कि वे उसकी बेटी की शादी किसी क्रांतिकारी से कराएँ, किसी अंग्रेज भक्त से नहीं। यह उसके मन का अंग्रेज भक्तों के प्रति खुला विद्रोह था। इससे स्पष्ट है कि लेखिका की नानी क्रांतिकारी विचारों वाली नारी थी।

Chapter 2 Kritika Class 9 HBSE प्रश्न 4.
“हम हाथी पे हल ना जुतवाया करते, हम पे बैल हैं” इस कथन के पीछे छुपी भावना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
यह कथन लेखिका की दादी का है। लेखिका की माँ घर के काम-काज में हाथ नहीं बँटवाती थी। वह सदा ही स्वतंत्रता आंदोलन से संबंधित कामों में लगी रहती थी। वह बच्चों के पालन-पोषण व भरण-पोषण के काम भी नहीं करती थी। लोग जब इसका कारण पूछते कि उसे घर के काम-काज से छूट क्यों दी गई है तब लेखिका की दादी उन लोगों को उत्तर देती हुई ये शब्द कहती थी। इन शब्दों का तात्पर्य है कि लेखिका की माँ बहुत उच्च-विचारों वाली तथा देशभक्त नारी है। ये घर-गृहस्थी के काम उसके करने के योग्य नहीं हैं। इन कामों को करने के लिए हमारे पास अन्य सदस्य हैं।

Class 9th Kritika Ch 2 Question Answer HBSE प्रश्न 5.
चोर लेखिका की माँ की किस बात से प्रभावित हुआ ?
उत्तर-
चोर लेखिका की माँ के कमरे में चोरी करने के लिए घुसा था। किंतु लेखिका की माँ उससे डरी नहीं, अपितु उसे पानी लाने के लिए कहा। उसने यह भी बता दिया कि वह चोर है। फिर माँ ने कहा कि चोर हो या भगवान, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता। चोर उसे पानी देता है तथा पकड़ा जाता है। चोर लेखिका की माँ की उदारता से बहुत ही प्रभावित होता है और वह चोरी का काम छोड़कर खेती करने का काम आरंभ कर देता है।

Class 9 Kritika Chapter 2 HBSE प्रश्न 6.
स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका 15 अगस्त, 1947 का स्वतंत्रता का समारोह देखने के लिए क्यों नहीं जा सकी थी ?
उत्तर-
लेखिका बचपन से ही स्वतंत्रता की दीवानी थी। स्वतंत्रता आंदोलन में भी वह चाव से भाग लेती थी। किंतु जिस दिन स्वतंत्रता समारोह का आयोजन किया गया, उस दिन वह बीमार थी। उसे टाइफाइड बुखार हो गया था। उन दिनों उसे जानलेवा बुखार माना जाता था। डॉक्टर ने उसे कठोरतापूर्वक समारोह में न जाने के लिए कहा था। इसी कारण स्वतंत्रता की दीवानी लेखिका . स्वतंत्रता समारोह में न जा सकी।

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बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

Kritika Chapter 2 Class 9 HBSE प्रश्न 1.
‘मेरे संग की औरतें’ पाठ एक है-
(A) आत्मकथात्मक निबंध
(B) कहानी
(C) संस्मरण
(D) रिपोर्ताज
उत्तर-
(A) आत्मकथात्मक निबंध

प्रश्न 2.
‘मेरे संग की औरतें’ नामक पाठ की लेखिका का नाम है-
(A) महादेवी वर्मा
(B) मृदुला गर्ग
(C) सुभद्राकुमारी चौहान
(D) शिवरानी
उत्तर-
(B) मृदुला गर्ग

प्रश्न 3.
मृदुला गर्ग का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1942 में
(C) सन् 1945 में
(D) सन् 1947 में
उत्तर-
(A) सन् 1938 में

प्रश्न 4.
मूदुला गर्ग को साहित्य की किस विधा के लिए प्रसिद्धि मिली है ?
(A) कविता
(B) कथा-साहित्य
(C) निबंध
(D) नाटक
उत्तर-
(B) कथा-साहित्य

प्रश्न 5.
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ किनकी समस्याओं पर आधारित है ?
(A) पुरुषों की
(B) बच्चों की
(C) बूढ़ों की
(D) औरतों की
उत्तर-
(D) औरतों की

प्रश्न 6.
लेखिका की नानी थी-
(A) परदानशी
(B) शिक्षित
(C) परंपरावादी
(D) धर्मभीरु
उत्तर-
(A) परदानशी

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प्रश्न 7.
लेखिका की नानी मुँहजोर क्यों हो उठी थी ?
(A) क्रांतिकारी बनने के कारण
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में
(C) परिवार की चिंता में ।
(D) पति की बेरुखी के कारण
उत्तर-
(B) अपनी पंद्रह वर्षीय बेटी के विवाह की चिंता में

प्रश्न 8.
लेखिका की नानी परदे की चिंता छोड़कर किससे मिलना चाहती थी ?
(A) अपने पति से
(B) पति की माँ से
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से
(D) अपने ससुर से
उत्तर-
(C) पति के मित्र प्यारेलाल शर्मा से

प्रश्न 9.
लेखिका की नानी अपनी बेटी की शादी कैसे व्यक्ति से करना चाहती थी ?
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो
(B) जो कायर न हो
(C) जो सेना का सिपाही हो
(D) जो परंपरा का पालन करने वाला हो
उत्तर-
(A) जो साहबों का फरमाबरदार न हो

प्रश्न 10.
असली आजादी कब अनुभव होती है ?
(A) अपने ढंग से जीने में।
(B) संयमशीलता में
(C) आज्ञानुपालना में
(D) दूसरों को देखकर जीने में
उत्तर-
(A) अपने ढंग से जीने में

प्रश्न 11.
लेखिका की माँ का विवाह कैसे युवक से हुआ था ?
(A) जो अंग्रेजों की नौकरी करता था
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था
(C) जो कंजूस था
(D) जो माता-पिता का आज्ञाकारी पुत्र था
उत्तर-
(B) जो स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले चुका था

प्रश्न 12.
लेखिका की माँ ने सादा जीवन क्यों व्यतीत किया था ?
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण
(B) गरीबी के कारण
(C) आदर्श स्थापित करने के लिए .
(D) उसे अमीरों से घृणा थी
उत्तर-
(A) गांधी जी के आदर्शों के कारण

प्रश्न 13.
“हमारी बहू तो ऐसी है कि घोई, पोंछी और छींके पर टांग दी”-ये शब्द किसने, किसके लिए कहे थे ?
(A) लेखिक ने अपनी माँ के लिए
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए
(C) लेखिका की परदादी ने उसकी दादी के लिए
(D) लेखिका की सास ने उसके लिए
उत्तर-
(B) लेखिका की दादी ने उसकी माँ के लिए

प्रश्न 14.
कौन अंग्रेजों के सबसे बड़े प्रशंसक थे ?
(A) गांधी-नेहरू
(B) लेखिका के पिता
(C) लेखिका की नानी
(D) भारतीय जनता
उत्तर-
(A) गांधी-नेहरू

प्रश्न 15.
लेखिका की माँ की राय का कैसे पालन किया जाता था ?
(A) पत्थर की लकीर की भाँति
(B) पानी की लकीर की भाँति
(C) सख्त आदेश की भाँति
(D) राजा के फरमान की भाँति
उत्तर-
(A) पत्थर की लकीर की भाँति

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प्रश्न 16.
“हम हाथी पे हल न जुतवाया करते, हम पे बैल हैं।”-इस कथन पर बैल किसे कहा गया है ?
(A) अंग्रेजों को
(B) लेखिका की माँ को
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को
(D) स्वयं लेखिका को
उत्तर-
(C) परिवार के काम करने वाले सदस्यों को

प्रश्न 17.
‘मुस्तैद’ का अर्थ है-
(A) मस्त
(B) आलसी
(C) चालाक
(D) तत्पर
उत्तर-
(D) तत्पर

प्रश्न 18.
लेखिका की माँ अपने बच्चों की परवरिश में रुचि क्यों नहीं लेती थी ?
(A) वह बीमार रहती थी
(B) वह अधिक कमजोर थी
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी
(D) उसे बच्चों से प्यार नहीं था

उत्तर-
(C) वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण व्यस्त रहती थी

प्रश्न 19.
लेखिका की माँ अपना अधिकांश समय कैसे बिताती थी ?
(A) गप्पे हाँक कर
(B) सैर-सपाटे में
(C) सोने में
(D) पुस्तकें पढ़ने में
उत्तर-
D) पुस्तकें पढ़ने में

प्रश्न 20.
आपकी दृष्टि में लेखिका की माँ का सबसे अच्छा गुण कौन-सा है ?
(A) वह परदे में विश्वास नहीं रखती थी
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी
(C) वह दूसरों की सहायता करती थी
(D) वह दूसरों पर विश्वास करती थी
उत्तर-
(B) वह कभी झूठ नहीं बोलती थी

प्रश्न 21.
लेखिका की माँ की भूमिका बखूबी किसने निभाई थी ?
(A) लेखिका के पिता ने
(B) लेखिका की दादी ने
(C) लेखिका की बुआ ने
(D) लेखिका के दादा ने
उत्तर-
(A) लेखिका के पिता ने

प्रश्न 22.
लेखिका की परदादी की किस मन्नत के लिए लोग हैरान थे ?
(A). उसने धन के लिए मन्नत माँगी थी
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी
(C) परिवार में प्रसन्नता की मन्नत माँगी थी
(D) स्वतंत्र भारत की मन्नत
उत्तर-
(B) परिवार में लड़की के जन्म की मन्नत माँगी थी

प्रश्न 23.
लेखिका की परदादी के किस व्यवहार से चोर प्रभावित हुआ था ?
(A) उदारता
(B) प्रभावशाली व्यक्तित्व
(C) उपदेश
(D) माँ-बेटे के संबंध की स्थापना से
उत्तर-
(A) उदारता

प्रश्न 24.
लेखिका के पिता ने उसे कौन-सी पुस्तक लाकर दी थी ?
(A) मेरा परिवार
(B) ब्रदर्स कारामजोव
(C) गोदान
(D) महात्मा गांधी की आत्मकथा
उत्तर-
(B) ब्रदर्स कारामजोव

प्रश्न 25.
लेखिका का भाई किस भाषा में लिखता था ?
(A) उर्दू-फारसी
(B) अंग्रेजी
(C) हिंदी
(D) अवधी
उत्तर-
(C) हिंदी

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मेरे संग की औरतें Summary in Hindi

मेरे संग की औरतें पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘मेरे संग की औरतें’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘मेरे संग की औरतें’ एक आत्मकथात्मक निबंध है। इसमें लेखिका ने अपने और अपने परिवार के सदस्यों के प्रेरक प्रसंगों का उल्लेख किया है। निबंध का सार इस प्रकार है

लेखिका की नानी उसके जन्म से पहले ही इस संसार से चल बसी थी। इसलिए लेखिका को उससे कहानी सुनने का अवसर न मिल सका। शायद इसीलिए लेखिका अपने जैसे लोगों के लिए कहानी लिखती है। लेखिका की नानी की कहानी भी बड़ी मजेदार है। उसकी नानी अनपढ़ और पर्दा-प्रथा में विश्वास करने वाली थी। उसकी शादी के तुरंत पश्चात् उसका पति उसे भारत में छोड़कर विलायत में बैरिस्ट्री की परीक्षा पास करने के लिए चला गया। जब वह पढ़ाई पूरी करके लौटा तो विलायती ढंग से भारत में रहने लगा। किंतु नानी अपने ढंग से जीवन जीती रही। उसने अपने पति की जीवन-शैली में कभी रोड़ा नही अटकाया। जब वह मरने वाली थी तो उसने अपने पति के द्वारा प्रसिद्ध क्रांतिकारी व देशभक्त प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और कहा कि उनकी बेटी का विवाह किसी देशभक्त व क्रांतिकारी से करना। वह अंग्रेज़ साहबों के हुक्म का गुलाम न हो। उसकी इच्छा और स्वतंत्र विचारों को सुनकर सब दाँतों तले अंगुली देते रह गए। उसके लिए स्वतंत्रता से जीना ही बेहतर जीना था।

लेखिका की नानी की मृत्यु के पश्चात् उसकी माँ का विवाह एक ऐसे शिक्षित युवक से हुआ जिसे स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण आई.सी.एस. की परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था। उसके पास कोई खानदानी धन भी नहीं था। इसलिए उसकी माँ को विवश होकर अपनी माता और गांधी जी के विचारों को अपनाना पड़ा। वह शरीर से इतनी पतली-दुबली थी कि उसके लिए खादी की साड़ी सँभालना भी कठिन था। उसकी सास उसकी दुर्बलता का सदा मजाक किया करती थी। लेखिका की माँ का अपने ससुराल के परिवार पर बहुत दबदबा था। उसके भी दो कारण थे

(1) ससुराल वाले भी अन्य भारतीयों की भाँति अंग्रेजों से प्रभावित थे। भले ही उनका लड़का क्रांतिकारी रहा हो। किंतु घर में दबदबा अंग्रेज़ भक्त ससुर का चलता था। ऐसी स्थिति में घर में एक सिरफिरे क्रांतिकारी की पत्नी होना परिकथा-सा रोमांच पैदा करता था।

(2) दूसरा कारण था उसका प्रभावशाली व्यक्तित्व । वह सुंदर, नाजुक, ईमानदार, निष्पक्ष और गैर-दुनियादार थी। इसीलिए उसे घर के सामान्य कार्य करने के लिए भी नहीं कहा जाता था। उनकी तो केवल सलाह भर ली जाती थी, जिसका पूर्ण पालन किया जाता था। उसकी ससुराल के अन्य सदस्य ही उसकी गृहस्थी का काम सँभाले रहते थे।

लेखिका ने कभी भी अपनी माँ को भारतीय माँ जैसा नहीं पाया था। उसने न कभी अपने बच्चों को लाड़-प्यार किया और न कभी उनके लिए खाना ही बनाया तथा न ही उन्हें कभी अच्छी बहू या पत्नी होने की शिक्षा ही दी। वह घर के कामों में भी रुचि नहीं रखती थी। वह अपना अधिक समय पुस्तकें पढ़ने में बिताती थी। वह संगीत सुनने की भी शौकीन थी। किंतु घर के सदस्य उन्हें कभी कोई ताना नहीं देते थे। उसमें दो गुण थे-प्रथम वे कभी झूठ नहीं बोलती थीं। दूसरा वह एक की गोपनीय बात को सुनकर कभी दूसरों के आगे नहीं कहती थी। इसलिए बाहर के लोग भी उनके मित्र बने हुए थे। वे उस पर पूरा भरोसा रखते थे। माँ की भूमिका हमारे पिता जी ने ही निभाई थी।

लेखिका की एक परदादी भी थी। उनकी कहानी भी अजीबोगरीब है। उन्हें सदा परंपरा को तोड़ने में ही मज़ा आता था। उन्होंने मंदिर में जाकर यह मन्नत माँगी थी कि उनकी बहू का पहला बच्चा लड़की हो। उनकी यह घोषणा सुनकर लोग हैरान रह गए थे कि यह उसने क्या कह दिया। वे अपनी मन्नत दोहराती रही। पूरे गाँव के लोगों का विश्वास था कि उसके तार तो सीधे भगवान जी से जुड़े हुए हैं। भगवान जी ने भी उनकी ऐसी सुनी कि एक नहीं पाँच लड़कियों का जन्म हुआ।

लेखिका की परदादी के विषय में एक और घटना भी उल्लेखनीय है। एक बार घर के सभी मर्द बारात में गए हुए थे। घर की स्त्रियाँ रतजगा मना रही थीं। परदादी शोर से बचने के लिए किसी दूसरे कमरे में जाकर सो गई। तभी एक चोर सेंध लगाकर उनके कमरे में आ गया। कमरे में हलचल होने से परदादी की आँख खुल गई। उसने कहा, तुम कौन हो ? चोर ने कहा जी मैं हूँ। परदादी ने कहा तुम कोई भी हो, मेरे लिए कुएँ से एक लोटा पानी का लेकर आओ। चोर ने हड़बड़ाहट में कह दिया कि मैं तो चोर हूँ। बुढ़िया ने कहा कि मुझे इससे कुछ नहीं लेना-देना। बुढ़िया ने आधा लोटा पानी पीकर चोर से कहा ले आधा तू पी ले।

चोर द्वारा पानी पी लेने पर उसने कहा अब हम माँ-बेटे हुए। अब तू चोरी कर या खेती कर। चोर बाहर निकलता हुआ हवेली के पहरेदारों द्वारा पकड़ा गया और माफी माँगकर बचा। उसके पश्चात् उसने चोरी करना छोड़कर खेती करना आरंभ कर दिया।

15 अगस्त, 1947 को देश को आजादी मिली। सब जगह आजादी का जश्न मनाया जा रहा था। लेखिका को बुखार था, इसलिए डॉक्टर ने उसे जश्न में शामिल होने को मना किया था। वह मन मसोसकर रह गई। लेखिका और उसकी अन्य चारों बहनें कभी किसी हीन-भावना की शिकार नहीं हुई थीं। लेखिका के परिवार में सभी बच्चों के दो-दो नाम थे-एक घर का और दूसरा बाहर का। लेखिका का घर का नाम उमा और बाहर का मृदुला गर्ग था उसकी छोटी बहन का घर का नाम गौरी और बाहर का नाम चित्रा था। इसी प्रकार बड़ी बहन का घर का नाम रानी और बाहर का नाम मंजुल भगत था। उसकी दो छोटी बहनों का नाम रेणु और अचला था और भाई का नाम राजीव। अचला अंग्रेजी में लिखती थी और भाई राजीव हिंदी में। रेणु का स्वभाव तो अत्यंत विचित्र था। वह गाड़ी में बैठने से इंकार कर देती और कहती थी थोड़े-से रास्ते के लिए गाड़ी में बैठना सामतंशाही का प्रतीक है। इसलिए वह पैदल ही घर पहुँचती, भले ही वह पसीने से तर-बतर हो जाती। एक बार उसने जनरल थिमैया को पत्र लिखकर उसका चित्र मँगवाया था। इससे पूरे मुहल्ले में उसकी चर्चा हुई थी। वह तो बी०ए० की परीक्षा देना भी उचित नहीं समझती थी। जब कोई उसे इत्र भेंट करता तो तपाक से कहती, “नहीं चाहिए, मैं तो नहाती हूँ”।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

तीसरे नंबर की चित्रा भी अजीब है। वह स्वयं न पढ़कर दूसरों को पढ़ाने में व्यस्त रहती। उसके अपने अंक कम आते और उसके शिष्यों के अधिक। जब शादी करने का समय आया तो उसने एक ही नज़र में लड़के को देखकर ऐलान कर दिया कि वह विवाह करेगी तो इसी से और अंत में उसी लड़के से उसका विवाह भी हो गया था।

अचला सबसे छोटी बहन है। उसने पहले एम०ए० अर्थशास्त्र किया, फिर पत्रकारिता में दाखिला लिया और पिता की पसंद के लड़के से विवाह किया। उसे भी तीस वर्ष की आयु के पश्चात लिखने का रोग लग गया। सभी बहनों ने वैवाहिक जीवन का निर्वाह भली-भाँति किया। विवाह के पश्चात् लेखिका बिहार के एक छोटे से कस्बे डालमिया नगर में रही। वहाँ की औरतों के साथ उसने कई नाटक किए। फिर वह कर्नाटक के छोटे कस्बे बागलकोट में रही। वहाँ उसने कैथोलिक बिशप से प्राइमरी स्कूल खोलने की सिफारिश की, किंतु अस्वीकृत हो गई। फिर लेखिका ने वहाँ अपने प्रयास से प्राइमरी स्कूल खोल दिया। रेणु लेखिका की अपेक्षा कहीं अधिक जिद्दी और बहादुर थी। वह जिस काम को करने के लिए ठान लेती, उसे करके ही दिखाती थी। एक दिन वर्षा के कारण उसके स्कूल की बस नहीं आई। वह दो कि०मी० पैदल ही स्कूल में जा पहुँची। स्कूल बंद था, उसे उसका कोई मलाल नहीं था। उसका मानना था कि अकेलेपन का मजा कुछ और ही होता है।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-13) : जाहिर = स्पष्ट। मर्म = भेद। पारंपरिक = परंपरा से चली आ रही। परदानशी = पर्दा-प्रथा में विश्वास रखने वाली। विलायत = इंग्लैंड। बसर करना = व्यतीत करना। आकांक्षा = इच्छा।

(पृष्ठ-14) : करीब = नजदीक। इकलौती = अकेली। मुँह जोर = अधिक बोलना। लिहाज = शर्म। मर्द = पुरुष। मुँह खोलकर = बिना पर्दे के। हुजूर = दरबार। हैरतअंगेज़ = हैरान करने वाला। तय = निश्चित। फरमाबदार = आज्ञाकारी। बेखबर = अनजान होना । जुनून = पागलपन, धुन। दरअसल = वास्तव में। आजाद ख्याल = स्वतंत्र विचार। दखल देना = बाधा पहुँचाना। उबाऊ = ऊबा देने वाली, बोर। मजबूर = विवश।

(पृष्ठ-15) : अपराध = कसूर, दोष । पुश्तैनी = माँ-बाप से प्राप्त। धेला = छोटा पैसा। चनका खा जाना = मरोड़ आ जाना, नस पर नस चढ़ जाना। शर्मिंदगी = लज्जा। नाजुक = कोमल। पेशकश = कार्य के लिए आगे आना। वजह = कारण। अभिभूत = प्रभावित। शोहरत = प्रसिद्धि। दबदबा = प्रभाव। परिकथा = परियों की कहानी। सनक = जिद्द । ख्वाहिश = इच्छा। रजामंदी = मान जाना, समझौता। तिलिस्म = जादू। शख्सियत = व्यक्तित्व। नजाकत = कोमलता, अदा। परीजात = परियों की जाति। पत्थर की लकीर = अटल काम।

(पृष्ठ-16) : जुमला = कुल। ममतालू = ममता भाव से युक्त। परवरिश = देखभाल । मुस्तैद = तैयार। अरुचि = रुचि न होना। नाम धरना = चिढ़ाने के लिए गलत नाम पुकारना। रोब = प्रभाव। गोपनीय = छिपाने योग्य। बखूबी = भली-भाँति।

(पृष्ठ-17) : उबरना = मुक्त होना। निजत्व बनाना = अपना व्यक्तिगत मत या आचरण बनाना। हवाले होना = लीन होना। लीक = बँधी-बँधाई रीति। खिसके = हटे। कतार = पंक्ति। व्रत = इरादा, संकल्प। फज़ल = दया, कृपा। अपरिग्रह = एकत्रित न करना। हरकत = गलत काम। मन्नत माँगना = ईश्वर से किसी काम की कामना करना। पतोहू = पुत्रवधू। गैर-रवायती = परंपरा के खिलाफ, अप्रचलित। पोशीदा = पर्दे से ढका हुआ, छिपा हुआ। ऐलान = घोषणा। फितूर = पागलपन, सनक। वाजिब = उचित। पुश्तों = पीढ़ियों। अभाव = कमी। बदस्तूर = लगातार। मर्तबा = बार। आरजू = इच्छा। रंग लाना = प्रभाव दिखाना। गुमान = अनुमान।

(पृष्ठ-18) : गैर-वाजिब = अनुचित। जुस्तजू = चाह। अफरा-तफरी = अस्त-व्यस्त होना। नामी = प्रसिद्ध, मशहूर। दीदार = दर्शन। खुशनसीबी = अच्छा भाग्य। हाथ आना = मौका आना। रतजगा मनाना = रात को जागकर उत्सव मनाना। सेंध लगाना = चोरी से घुसना। जुगराफिया = नक्शा। पुरखिन = वृद्धा, बुढ़िया। इतमीनान = तसल्ली। टटोलकर = खोजकर। यकीन = विश्वास। धर्मसंकट = धर्म की बात सामने पाकर परेशानी में पड़ना।

(पृष्ठ-19) : अकबकाया = घबराया। एहतियात = सावधानी। धर-दबोचा = पकड़ लिया। लायक = योग्य। रोमांचक धंधा = चोरी का काम। भला मानुस = अच्छा, मनुष्य। विरासत = माँ-बाप से मिली संपत्ति। प्रकोप = गुस्सा, क्रोध। हीन भावना = कमी होने का अपराध या भाव। नाहक = व्यर्थ। रोमानी = भावना से ओत-प्रोत, संवेदनशील।

(पृष्ठ-20) : जश्न = त्योहार, समारोह। दुर्योग = बुरा अवसर। शिरकत करना = शामिल होना। इज़ाज़त = आज्ञा। सत्ताधारी = शासन करने वाले अंग्रेज़। कलपती = दुःखी होना। मिराक = मानसिक रोग। पलायन करना = चले जाना। मोहलत देना = अवकाश। गडूड-मड्ड होना = आपस में घुलमिल जाना। पल्ले पड़ना = समझ में आना। अनाचार = पापपूर्ण व्यवहार। कंठस्थ होना = याद होना।

(पृष्ठ-21) : बरकरार रखना = कायम रखना। आड़े आना = रास्ते में रुकावट बनना। पैदाइशी = जन्म से ही। नारीवाद = नारी को महत्त्व देने संबंधी आंदोलन। पोंगापंथी = पाखंडी मूर्खतापूर्ण काम करने वाला। घरघुस्सू = घर में ही घुसा रहने वाला।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(पृष्ठ-22) : तथ्य = सत्य, कथन। आलोचना-बुद्धि = अच्छे-बुरे की बातें करने वाली बुद्धि। दो-चार होना = सामना होना। नतीजतन = परिणामस्वरूप। सवा सेर होना = अधिक प्रभावी होना। आलम = हालत। सामंतशाही = बड़े-बड़े सामंतों की रईसी आदत। लाचारी = मज़बूरी। उदासीन = विमुख। कुढ़ते-भुनते = मन-ही-मन परेशान होकर बोलना। खरामा-खरामा = धीरे-धीरे। रुतबा = सम्मान, दर्जा। यकीन = विश्वास।

(पृष्ठ-23) : विश्वसनीय = विश्वास करने योग्य। कुतर्क = गलत तर्क। वाकिफ = जानकार । पेश आना = सामने आना। मुलाकात = भेंट। हथियार डालना = हार मानना।

(पृष्ठ-24) : कायम रखना = बनाए रखना। तलाक = शादी का संबंध तोड़ना। कगार = किनारा। प्रयोजन = उद्देश्य । दड़बा = समूह। अभिनय = एक्टिंग। चलन = व्यवहार। अकाल = सूखे या अधिक वर्षा के कारण अन्न न उपजना। बिशप = पादरी। इसरार = आग्रह। बशर्ते = शर्त के साथ।

(पृष्ठ-25) : सिर झुकाना = स्वीकार करना। खिसके लोग = परंपरा से हटे हुए विद्रोही लोग। व्रत = संकल्प। नमूना = उदाहरण। पेश करना = प्रस्तुत करना, देना। मुकाबिल = बराबर का। कयामती = विनाशकारी। तल्ला = मंजिल। मलाल = दुःख।

(पृष्ठ-26) : लब-लब करना = भरा-पूरा होना। निचाट = सूनापन। धुन = लगन।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 17 बच्चे काम पर जा रहे हैं

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Textbook Questions and Answers

बच्चे काम पर जा रहे हैं प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 1.
कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से आपके मन-मस्तिष्क में जो चित्र उभरता है उसे लिखकर व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता की पहली दो पंक्तियों को पढ़ने तथा विचार करने से मन में एक भयंकर चित्र उभरता है। ऐसा लगता है कि छोटे-छोटे बच्चे ठंड में ठिठुरते हुए मैले-कुचैले वस्त्रों में अपने जीर्ण-शीर्ण शरीर को ढके हुए, डरे-से, सहमे-से कारखानों की ओर चले जा रहे हैं। उनकी आँखों में मानों कोई स्वप्न ही नहीं रहा। कच्ची उम्र में काम के बोझ तले दबे हुए-से ये बच्चे।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Class 9 HBSE Hindi प्रश्न 2.
कवि का मानना है कि बच्चों के काम पर जाने की भयानक बात को विवरण की तरह न लिखकर सवाल के रूप में पूछा जाना चाहिए कि ‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे ?’ कवि की दृष्टि में उसे प्रश्न के रूप में क्यों पूछा जाना चाहिए?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में इस भयानक बात को प्रश्न के रूप में इसलिए पूछा जाना चाहिए, क्योंकि यह बात कोई साधारण बात नहीं, अपितु समाज की एक ज्वलंत समस्या है, जिसे समाज व उसके ठेकेदारों से प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए। आखिर बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण क्यों किया जा रहा है। अतः कवि का यह कहना उचित है कि इस बात को विवरण की अपेक्षा एक प्रश्न के रूप में पूछा जाना चाहिए।

बच्चे काम पर जा रहे HBSE 9th Class Hindi  प्रश्न 3.
सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से बच्चे वंचित क्यों हैं?
उत्तर-
कवि की दृष्टि में बच्चे सुविधा और मनोरंजन के उपकरणों से इसलिए वंचित हैं कि उन्हें खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए मजबूर किया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ परिवार ऐसे भी हैं, जो अपने बच्चों को वे सब सुविधाएँ उपलब्ध ही नहीं करवा सकते। वे उन्हें भोजन व वस्त्र तक तो प्रदान नहीं कर सकते हैं, ये सुविधाएँ तो उनके लिए दूर की बात है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं HBSE 9th Class Hindi प्रश्न 4.
दिन-प्रतिदिन के जीवन में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा/रही है, फिर भी किसी को कुछ अटपटा नहीं लगता। इस उदासीनता के क्या कारण हो सकते हैं?
उत्तर-
वस्तुतः आज के युग में हर कोई बच्चों को काम पर जाते देख रहा है, किंतु उनकी ओर ध्यान इसलिए नहीं दे रहा है, क्योंकि हर कोई अपने-अपने स्वार्थों तक ही सीमित होकर रह गया है। इसके अतिरिक्त भौतिकतावाद की दौड़ में दौड़ते हुए लोगों के दिलों में संवेदनाओं और भावनाओं की धारा भी सूख गई है, इसलिए लोगों को बच्चों का काम पर जाना अटपटा नहीं लगता।

प्रश्न 5.
आपने अपने शहर में बच्चों को कब-कब और कहाँ-कहाँ काम करते हुए देखा है?
उत्तर-
हम अपने शहर में बच्चों को चाय की दुकानों व होटलों पर काम करते हुए देखते हैं। इतना ही नहीं, उनके नाम भी बदल दिए जाते हैं; जैसे-छोटू, काला, मुंडू आदि। इसके अतिरिक्त घरों में बरतन व सफाई का काम करती हुई छोटी-छोटी बच्चियाँ सब शहरों में देखी जा सकती हैं।

प्रश्न 6.
बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान क्यों है?
उत्तर-
धरती पर किसी बड़े हादसे के घटित हो जाने से जीवन का विकास रुक जाता है। इसी प्रकार बच्चों के काम पर जाने से उनके जीवन के विकास की जो समुचित प्रक्रिया है, वह रुक जाती है। उनमें कुछ बनने की संभावनाएँ होती हैं, किंतु वे वैसे नहीं बन पाते। इसलिए बच्चों का काम पर जाना धरती के एक बड़े हादसे के समान है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 7.
काम पर जाते किसी बच्चे के स्थान पर अपने-आपको रखकर देखिए। आपको जो महसूस होता है उसे लिखिए।
उत्तर-
जब मैं प्रातःकाल काम पर जाता हूँ, उस समय मैं स्कूल में जाते हुए अन्य बच्चों को देखकर बड़ा निराश हो जाता हूँ। मेरा भी मन करता है कि मैं भी उनके साथ स्कूल जाऊँ और पढ़े। आधी छुट्टी के समय मैं भी स्कूल के खेल के मैदान में खेलूँ। कभी-कभी मुझे अपने भाग्य पर गुस्सा आता है तो कभी भगवान पर कि मुझे गरीब परिवार में क्यों जन्म दिया है। फिर यह सोचकर सब्र का चूंट भर लेता हूँ कि जो मेरे भाग्य में लिखा है, वही मुझे मिलेगा।

प्रश्न 8.
आपके विचार से बच्चों को काम पर क्यों नहीं भेजा जाना चाहिए? उन्हें क्या करने के मौके मिलने चाहिएँ?
उत्तर-
हमारे विचार में बच्चों को काम पर इसलिए नहीं भेजा जाना चाहिए, क्योंकि यह समय उनके व्यक्तित्व के निर्माण का तथा खेलने का समय होता है। उन्हें पढ़ने-लिखने व खेलने, हँसने-गाने के मौके मिलने चाहिएँ, ताकि वे पढ़-लिखकर ज्ञानवान बन सकें और स्वस्थ इंसान बन सकें।

पाठेतर सक्रियता

किसी कामकाजी बच्चे से संवाद कीजिए और पता लगाइए कि-
(क) वह अपने काम करने की बात को किस भाव से लेता/ लेती है?
(ख) जब वह अपनी उम्र के बच्चों को खेलने/पढ़ने जाते देखता/देखती है तो कैसा महसूस करता/करती है?
‘वर्तमान युग में सभी बच्चों के लिए खेलकूद और शिक्षा के समान अवसर प्राप्त हैं’-इस विषय पर वाद-विवाद आयोजित कीजिए।
‘बाल-श्रम की रोकथाम’ पर नाटक तैयार कर उसकी प्रस्तुति कीजिए।
चंद्रकांत देवताले की कविता ‘थोड़े से बच्चे और बाकी बच्चे’ (लकड़बग्घा हँस रहा है) पढ़िए। उस कविता के भाव तथा प्रस्तुत कविता के भावों में क्या साम्य है ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

ये भी जानें

संविधान के अनुच्छेद 24 में कारखानों आदि में बालक/बालिकाओं के नियोजन के प्रतिषेध का उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार ‘चौदह वर्ष से कम आयु के किसी बच्चे को किसी कारखाने या खान में काम करने के लिए नियोजित नहीं किया जाएगा या किसी अन्य परिसंकटमय नियोजन में नहीं लगाया जाएगा।’

HBSE 9th Class Hindi बच्चे काम पर जा रहे हैं Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कविता का प्रतिपाद्य उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। श्री राजेश जोशी की अत्यंत महत्त्वपूर्ण कविता है। इस कविता का प्रमुख लक्ष्य आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या को उठाना है। प्रस्तुत कविता में यह बताया गया है कि बच्चों के खेलने व पढ़ने के सभी साधन उपलब्ध हैं, किंतु इसके बावजूद भी हजारों की संख्या में बच्चे पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने की अपेक्षा काम करने जाते हैं। कवि ने इस समस्या को समाज के सामने एक प्रश्न के रूप में प्रस्तुत करके हर व्यक्ति को इसके विषय में सोचने व विचार करने के लिए विवश किया है। उन्होंने कहा कि बच्चों के विकास के साधन यदि न होते तो बड़ी भयानक बात होती। किंतु कवि की दृष्टि में इससे भी भयानक बात यह है कि संसार में इन सभी साधनों के रहते हुए भी बच्चे इनका उपयोग न करके काम पर जाते हैं अर्थात बच्चों को उनके अधिकारों से वंचित किया जाता है। यही अभिव्यक्त करना कविता का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
उत्तर-
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता एक ऐसी रचना है जिसमें समाज की ज्वलंत समस्या को उठाया गया है। कविता में ‘बाल श्रम’ की समस्या का उल्लेख किया गया है। हमें इस कविता से शिक्षा मिलती है कि हमें बाल श्रम की समस्या के प्रति समाज में जागृति उत्पन्न करनी चाहिए और बच्चों को पढ़ने-लिखने व खेलने-कूदने के अधिकार दिलाने चाहिएं। जहाँ कहीं भी हम बालकों को काम पर लगाया हुआ देखें तो उसके विरुद्ध हमें आवाज़ उठानी चाहिए। इसकी सूचना प्रशासन तक पहुँचानी चाहिए ताकि बाल श्रम करवाने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जा सके।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) राजेश जोशी
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) चंद्रकांत देवताले
उत्तर-
(A) राजेश जोशी

प्रश्न 2.
कैसी सड़क से बच्चे काम पर जाते हैं?
(A) कच्ची सड़क
(B) चमकदार सड़क
(C) कोहरे से ढंकी
(D) पक्की सड़क
उत्तर-
(C) कोहरे से ढंकी

प्रश्न 3.
‘कोहरे से ढंकी सड़क’ का क्या अभिप्राय है?
(A) प्रातःकाल
(B) अत्यधिक ठंड
(C) बहुत शीघ्र
(D) अंधेरे में
उत्तर-
(A) प्रातःकाल

प्रश्न 4.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि ने इस पंक्ति के माध्यम से किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(A) शिक्षित बेरोजगारी
(B) बालश्रम
(C) बालविवाह
(D) महँगाई
उत्तर-
(B) बालश्रम

प्रश्न 5.
‘बच्चे काम पर जा रहे हैं। पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(A) यह एक गंभीर समस्या है
(B) भाषा ठीक नहीं है
(C) शब्द-चयन ठीक नहीं है
(D) वाक्य रचना सही नहीं है
उत्तर-
(A) यह एक गंभीर समस्या है

प्रश्न 6.
‘मदरसा’ किस भाषा का शब्द है?
(A) अंग्रेजी
(B) संस्कृत
(C) उर्दू-फारसी
(D) हिंदी
उत्तर-
(C) उर्दू-फारसी

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 7.
कवि की दृष्टि में क्या भयानक होता?
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते
(B) यदि बच्चों को गरीबी के कारण काम पर भेजा जाता
(C) यदि बच्चों के पालन-पोषण पर ध्यान न दिया जाता
(D) यदि बच्चों की आजादी छिन जाती
उत्तर-
(A) यदि बच्चों के विकास के साधन नष्ट हो जाते

प्रश्न 8.
कवि की दृष्टि में सबसे भयानक क्या है?
(A) बच्चों से प्यार न करना ।
(B) बच्चों को बंदी बनाना
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना
(D) बच्चों को खर्चने के लिए पैसे न देना
उत्तर-
(C) बच्चों के विकास के साधन होते हुए भी उनसे काम करवाना

प्रश्न 9.
हस्बमामूल का अर्थ है-
(A) नष्ट होना
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)
(C) विकास
(D) वंचित रखना
उत्तर-
(B) यथावत (ज्यों का त्यों)

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

बच्चे काम पर जा रहे हैं अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं
सुबह सुबह
बच्चे काम पर जा रहे हैं
हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह
भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना
लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह
काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-कोहरा = धुंध । भयानक = डरा देने वाली। सवाल = प्रश्न।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति क्यों कहा है?
(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए क्यों कहा है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बताया है कि सुबह-सुबह कोहरे से ढकी हुई सड़क पर छोटे-छोटे बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। कवि ने पुनः इस पंक्ति पर जोर देते हुए कहा है ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं, यह एक गंभीर बात है। कवि ने इस पंक्ति को इस युग की भयानक पंक्ति बताया है, क्योंकि यह पंक्ति बाल-श्रम की भयानक एवं गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। इस पंक्ति को पूरे विवरण के साथ लिखना चाहिए अथवा इसे एक प्रश्न के रूप में लिखा जाना चाहिए-‘काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?’ कहने का भाव है कि हमें इस प्रश्न पर गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए कि यह समय बच्चों के खेलने एवं पढ़ने का है, काम करने का नहीं है।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में ‘बाल-श्रम’ की समस्या को गंभीरता से उठाया गया है।

(3) (क) प्रस्तुत पद्यांश में बाल-श्रम की समस्या का काव्यात्मक भाषा में सुंदर चित्रण किया गया है।
(ख) भाषा गद्यमय होती हुई भी प्रवाहमयी है।
(ग) ‘सुबह-सुबह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(घ) अनुप्रास एवं प्रश्न अलंकारों का प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।

(4) कवि ने अत्यंत सशक्त शैली में आज के युग की अत्यंत प्रज्वलित समस्या बाल-श्रम को उठाया है। कवि को आश्चर्य होता है जब बच्चे स्कूल या खेलने के मैदान में जाने की अपेक्षा सुबह-सुबह ठंड में काम पर जाते हैं। ‘बाल-श्रम’ आज के युग की गंभीर समस्या है। इसको एक प्रश्न की भाँति हमें समाज के सामने रखना चाहिए, ताकि इस पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जा सके।

(5) कवि ने ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ पंक्ति को भयानक पंक्ति इसलिए कहा है, क्योंकि यह एक गंभीर समस्या की ओर संकेत करती है। यदि इस समस्या की ओर शीघ्र ध्यान नहीं दिया गया तो इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।

(6) कवि ने इस पंक्ति को सवाल की तरह लिखने के लिए इसलिए कहा है, क्योंकि जब तक हम इस समस्या पर प्रश्न-चिह्न नहीं लगाएँगे, तब तक समाज का या शासन का ध्यान इस ओर नहीं जाएगा। इसलिए इसे एक प्रश्न के रूप में समाज के सामने रखना चाहिए।

2. क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें
क्या दीमकों ने खा लिया है
सारी रंग बिरंगी किताबों को
क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने
क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं
सारे मदरसों की इमारतें
क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन
खत्म हो गए हैं एकाएक [पृष्ठ 138]

शब्दार्थ-अंतरिक्ष = ऊँचा आकाश । रंग बिरंगी किताबें = सुंदर पुस्तकें। ढहना = गिर जाना। मदरसों = स्कूलों, विद्यालयों। इमारतें = भवन।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने किस समस्या की ओर संकेत किया है?
(6) कवि के आक्रोश का क्या कारण है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने बाल-श्रम की समस्या पर विचार करते हुए कहा है कि बच्चों को काम पर क्यों भेजा जा रहा है। क्या बच्चों के खेलने की सब गेंदें आकाश में चली गई हैं या फिर सभी रंग-बिरंगी अर्थात सुंदर-सुंदर पुस्तकों को दीमक ने नष्ट कर दिया है, जिससे बच्चों को पढ़ाने की अपेक्षा उन्हें काम पर भेजा जा रहा है। इसी प्रकार कवि ने कहा है कि क्या उनके खेलने के सभी खिलौने नष्ट हो गए हैं और जिन विद्यालयों के भवनों में बच्चे पढ़ने के लिए जाते हैं क्या वे सब भूकंप में गिरकर नष्ट हो गए हैं, जो बच्चों को विद्यालयों में भेजने की अपेक्षा काम पर भेजा जा रहा है। क्या सारे मैदान, सभी बाग-बगीचे और घरों के आँगन, जहाँ बच्चे खेला करते थे, सब-के-सब अचानक नष्ट हो गए हैं।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या की ओर पाठकों का ध्यान आकृष्ट किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्यांश में कलात्मक ढंग से आज के युग की बाल-श्रम की ज्वलंत समस्या की ओर समाज का ध्यान आकृष्ट किया गया है।
(ख) भाषा ओजस्वी एवं प्रभावशाली है।
(ग) प्रश्न-शैली के प्रयोग से विषय अत्यंत प्रभावशाली ढंग से अभिव्यंजित हुआ है।
(घ) कवि की कल्पना-शक्ति द्रष्टव्य है।
(ङ) मदरसा, इमारत, खत्म आदि उर्दू-फारसी शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने ओजस्वी वाणी में आधुनिक समाज की अत्यंत ज्वलंत समस्या ‘बाल-श्रम’ को उजागर किया है। कवि ने कहा है कि बच्चों के खेलने के सभी साधन व मैदान तथा पढ़ने-लिखने के साधन पुस्तकें व विद्यालय के भवन नष्ट हो गए हैं कि बच्चों को खेलने व पढ़ने की अपेक्षा काम करने के लिए कारखानों में भेजा जा रहा है। वस्तुतः यह एक सामाजिक ही नहीं, अपितु कानून की दृष्टि से भी अपराध है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बाल-श्रम की समस्या की ओर संकेत किया है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि समाज में बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लगभग सभी साधन विद्यमान हैं, किंतु फिर भी बच्चों के व्यक्तित्व के विकास की ओर ध्यान न देकर उनसे काम करवाया जाता है। समाज की यह आपराधिक वृत्ति ही कवि के आक्रोश का मुख्य कारण है।

3. तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?
कितना भयानक होता अगर ऐसा होता
भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह
कि हैं सारी चीजें हस्बमामूल
पर दुनिया की हज़ारों सड़कों से गुजरते हुए
बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे
काम पर जा रहे हैं। [पृष्ठ 139]

शब्दार्थ-दुनिया = संसार। हस्बमामूल = यथावत, ज्यों-की-त्यों।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट करें।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द क्यों कहे हैं?
(6) कवि को सबसे भयानक क्या लगा?
उत्तर-
(1) कवि-श्री राजेश जोशी। कविता-बच्चे काम पर जा रहे हैं।

(2) व्याख्या कवि ने आधुनिक युग की समस्या बाल-श्रम का वर्णन करते हुए कहा है कि यदि बच्चों के विकास के साधन ही नष्ट हो गए तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है ? यदि सचमुच में ही ऐसा हो जाता अर्थात बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन समाप्त हो जाते तो बहुत भयानक बात होती। किंतु कवि का मत कुछ अलग है। वह कहते हैं कि इससे भी भयानक यह है कि वे सब वस्तुएँ अथवा साधन यथावत बने हुए हैं अर्थात बच्चों के विकास के साधन विद्यमान हैं और संसार की हजारों सड़कों पर बहुत छोटे-छोटे बच्चे प्रतिदिन काम पर जाते हैं अर्थात उन्हें काम की अपेक्षा पढ़ने जाना चाहिए था।
भावार्थ प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने ‘बाल-श्रम’ की समस्या का व्यंग्यात्मक शैली में वर्णन किया है।

(3) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में बाल-श्रम या बाल-शोषण की समस्या को यथार्थ रूप में उद्घाटित किया गया है।
(ख) भाषा ओजगुणयुक्त है।
(ग) कवि की वाणी में आक्रामकता दृष्टव्य है।
(घ) दुनिया, ज्यादा, हस्बमामूल, गुजरना आदि अरबी-फारसी के शब्दों का सार्थक एवं सफल प्रयोग किया गया है।
(ङ) भाषा गद्यात्मक होते हुए भी प्रवाहमय है।

(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में कवि ने आज की प्रमुख समस्या बाल-श्रम को लेकर गहन एवं गम्भीर भावों को व्यक्त किया है। कवि ने प्रश्न-शैली और व्यंग्यात्मक शैली का प्रयोग करते हुए भावों को जहाँ तीव्र, आकर्षक बनाया है, वहीं उनकी आक्रामकता भी देखते ही बनती है। कवि का यह कहना कितना भयानक होता कि यदि संसार से बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन विलुप्त हो जाते। किंतु इससे भी अधिक भयानक यह है कि साधन होते हुए भी बच्चे प्रतिदिन हजारों सड़कों से होकर काम पर जाते हैं। कहने का अभिप्राय है कि बच्चों को शिक्षा के अवसर प्रदान करने की अपेक्षा उनसे काम करवाकर उनका शोषण किया जाता है।

(5) ‘कितना भयानक होता अगर ऐसा होता’ कवि ने ये शब्द उस संदर्भ में कहे हैं कि यदि वास्तव में ही बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के साधन नष्ट हो जाते तो यह अत्यधिक भयानक बात होती। उस स्थिति में बच्चों के व्यक्तित्व का समुचित विकास न हो पाता।

(6) कवि को सबसे भयानक यह बात लगी कि संसार में बच्चों के व्यक्तित्व के सब साधन विद्यमान हैं, किंत फिर भी बच्चों को उनका प्रयोग नहीं करने दिया जाता। इतना ही नहीं, उनसे काम करवाकर नन्हे-मुन्नों का शोषण किया जाता है।

बच्चे काम पर जा रहे हैं Summary in Hindi

बच्चे काम पर जा रहे हैं कवि-परिचय

प्रश्न-
राजेश जोशी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। अथवा राजेश जोशी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-राजेश जोशी जी का नाम आधुनिक कवियों में बड़े आदर के साथ लिया जाता है। श्री जोशी का जन्म सन् 1946 में मध्य प्रदेश के नरसिंहगढ़ जिले के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। इनकी आरंभिक शिक्षा स्थानीय पाठशाला में हुई। इन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात पत्रकारिता आरंभ की, किंतु कुछ काम न जमता देख आप अध्यापन की ओर आए। कुछ वर्ष अध्यापन-कार्य करने के पश्चात पत्रकारिता की ललक ने इन्हें फिर वापस बुला लिया। इन्होंने जीवन का गहन अध्ययन किया और उसमें व्याप्त विषमताओं पर जमकर प्रहार किए। श्री जोशी ने कविता, कहानी, नाटक, निबंध, टिप्पणियाँ, नाट्य रूपांतर तथा कुछ लघु फिल्मों के लिए पटकथा-लेखन भी किया। श्री जोशी को माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।

2. प्रमुख रचनाएँ-(i) काव्य-संग्रह ‘एक दिन बोलेंगे पेड़’, ‘मिट्टी का चेहरा’, ‘नेपथ्य में हँसी’ और ‘दो पंक्तियों के बीच’ । (ii) अनुवाद-भर्तृहरि की कविताओं की अनुरचना-‘भूमि का कल्पतरू यह भी’। (ii) मायकोवस्की की कविता का अनुवाद-पतलून पहिना बादल’। श्री जोशी जी की कविताओं के भी अंग्रेजी, रूसी और जर्मन भाषाओं में अनुवाद हो चुके हैं।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री राजेश जोशी समाज से जुड़कर चलने वाले साहित्यकार हैं। इन्होंने गहरे सामाजिक अभिप्राय वाली कविताओं की रचना की है। श्री जोशी की काव्य-रचनाएँ जीवन के संकट में भी गहरी आस्था को उभारती हैं। इनकी कविताओं में स्थानीय बोली-बानी, मिजाज और मौसम, सभी कुछ व्याप्त है। इनकी कविताओं में मानवता को बचाए रखने का एक निरंतर संघर्ष भी है। वे जहाँ एक ओर जीवन व जीवन-मूल्यों के विनाश व खतरे को स्पष्ट रूप में देखते हैं, वहीं वे उसी भाव व जोश से जीवन-संभावनाओं की खोज में भी लगे रहते हैं। पाठ्यपुस्तक में संकलित इनकी कविता में जहाँ वे बच्चों के काम पर जाने या उनके शोषण की बात कहते हैं, वहीं वे उनको पढ़ा-लिखाकर अच्छा इंसान बनाने, उनका बचपन लौटाने की संभावना की ओर भी संकेत करते हैं।

4. भाषा-शैली-श्री राजेश जोशी यदि एक ओर उच्चकोटि के कवि हैं तो दूसरी ओर महान गद्य लेखक तथा पत्रकार भी हैं। इनकी काव्य की भाषा गद्यमय होती हुई भी लयात्मक है। उसमें एक प्रवाह विद्यमान है। श्री जोशी ने अपने काव्य की भाषा में तत्सम शब्दों के साथ विदेशी भाषाओं के शब्दों का प्रयोग भी अत्यंत सफलतापूर्वक किया है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

बच्चे काम पर जा रहे हैं कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘बच्चे काम पर जा रहे हैं’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में बच्चों के बचपन छिन जाने की पीड़ा व्यक्त हुई है। कवि ने कहा है कि प्रातःकाल में ही बच्चे काम करने के लिए जा रहे हैं। उस समय कोहरा पड़ रहा है, परंतु बच्चे काम पर जा रहे हैं। कवि को यह इस समय की अत्यंत भयानक पंक्ति लगी है। इसे एक पंक्ति की भाँति नहीं, अपितु एक प्रश्न की भाँति लिखा जाना चाहिए। कवि ने प्रश्न किया है कि बच्चे काम पर क्यों जा रहे हैं। क्या उनके खेलने, पढ़ने के साधन नष्ट हो गए हैं। यदि ऐसा ही है तो दुनिया में फिर बचा ही क्या है। यदि ऐसा होता तो यह विश्व के लिए भयानक होता। इससे भी बुरी या भयानक बात यह है कि सभी वस्तुएँ यथावत हैं, लेकिन बच्चों को उनसे दूर रहने के लिए विवश किया जा रहा है। फिर दुनिया की एक नहीं, हजारों सड़कों से बहुत छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kritika Chapter 1 इस जल प्रलय में

HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Textbook Questions and Answers

इस जल प्रलय में के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
बाढ़ की खबर सुनकर लोग किस तरह की तैयारी करने लगे ?
उत्तर-
ज्योंहि बाढ़ आने की खबर सुनी तो वे घरों में आवश्यक सामग्री एकत्रित करने लगे। लोग ईंधन, आलू, मोमबत्ती दियासलाई, पीने का पानी व दवाइयाँ आदि जमा करने लगे तथा बाढ़ आने की प्रतीक्षा करने लगे। लोग घरों से निकल-निकलकर बाढ़ के पानी को देखने के लिए आ-जा रहे थे।

Kritika Chapter 1 Class 9 HBSE प्रश्न 2.
बाढ़ की सही जानकारी लेने और बाढ़ का रूप देखने के लिए लेखक क्यों उत्सुक था ?
उत्तर-
लेखक पहले भी कई बार बाढ़ को देख चुका था। उसने कई बार बाढ़-पीड़ितों की सहायता भी की थी। यह नगर जोकि उसका अपना नगर था, में पानी किस प्रकार घुसा और उस पर लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह जानना बिल्कुल नया अनुभव होगा। इसलिए लेखक को नगर में घुसते हुए पानी को देखने की उत्सुकता थी। उसने रिक्शावाले को भी यही कहा था, “चलो, पानी कैसे घुस आया है, वही देखना है।”

Kritika Chapter 1 Class 9 Questions And Answers HBSE प्रश्न 3.
सबकी ज़बान पर एक ही जिज्ञासा-‘पानी कहाँ तक आ गया है ?’-इस कथन से जनसमूह की कौन-सी भावनाएँ व्यक्त होती हैं ?
उत्तर–
पानी कहाँ तक आ गया है’ नगर का प्रत्येक व्यक्ति यही जानने के लिए उत्सुक दिखाई दे रहा था। उसके इस कथन से नागरिकों की उत्सुकता, सुरक्षा और कौतूहल की भावना व्यक्त होती है। नगर के सब लोग इस नए अनुभव को अपनी आँखों से देखना चाहते थे। वे जीवन-मृत्यु के इस खेल के मोह को छोड़ नहीं पाए थे। उनका इस खेल में गहन आकर्षण था।

Class 9th Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE प्रश्न 4.
‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा गया है और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने बाढ़ के निरंतर बढ़ते हुए जल को मृत्यु का तरल दूत’ कहकर पुकारा है, क्योंकि बाढ़ के पानी ने न जाने कितने लोगों को मौत की गोद में सुला दिया है और न जाने कितने घरों को तबाह कर दिया है। यही कारण है कि लेखक ने बाढ़ के जल को ‘मृत्यु का तरल दूत’ कहा है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

Class 9th Chapter 1 Kritika HBSE प्रश्न 5.
आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तरफ से कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर-
आपदाओं से निपटने के लिए निम्नलिखित सुझाव दिए जा सकते हैं
(क) सरकार को संभावित खतरों या आपदाओं से निपटने के लिए साधन तैयार रखने चाहिएँ। उन सभी साधनों को सदा तैयार रखना चाहिए जो बाढ़ में या अन्य प्राकृतिक आपदाओं के समय काम में लाए जाते हैं।
(ख) सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं में बराबर तालमेल बनाए रखना चाहिए, ताकि आपदा के समय इकट्ठे काम कर सकें।
(ग) स्वयंसेवी संगठनों को बिना किसी मतभेद के आपदा के समय मन लगाकर काम करना चाहिए।
(घ) सरकार द्वारा समय-समय पर स्वयंसेवी संगठनों को पुरस्कृत भी किया जाना चाहिए।

Class 9 Hindi Book Kritika Chapter 1 Question Answer HBSE प्रश्न 6.
‘ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए…..अब बूझो!’-इस कथन द्वारा लोगों की किस मानसिकता पर चोट की गई है ?
उत्तर-
इस कथन के माध्यम से लेखक ने जन-साधारण के मन में बैठी ईर्ष्या, द्वेष की भावना को अभिव्यक्त किया है। गाँव और शहर में भेद सदा ही बना रहा है। अतः नगर और गाँव के लोगों के मन में आपसी कटुता भी घर कर जाती है। यह कटुता ही उस गाँव के व्यक्ति के इस कथन से अभिव्यक्त हुई है। ग्रामीण चाहता है कि इन पटनावासियों का भी ग्रामीणों की भाँति ही नुकसान हो, तब इन्हें पता चलेगा कि बाढ़ से क्या-क्या कष्ट भोगने पड़ते हैं।

प्रश्न 7.
खरीद-बिक्री बंद हो चुकने पर भी पान की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने का खतरा बढ़ता जा रहा था इसलिए अन्य सामानों की दुकानें बंद होती जा रही थीं। परंतु पान की बिक्री बढ़ गई थी, क्योंकि बाढ़ को देखने के लिए बहुत-से लोग वहाँ एकत्रित हो गए थे। वे बाढ़ से भयभीत नहीं थे, अपितु हँसी-खुशी और कौतूहल से युक्त थे। इसलिए वे समय गुजारने के लिए वहाँ खड़े थे। ऐसे में पान खाने की इच्छा उत्पन्न होना स्वाभाविक था।
इसलिए यह बात सही है कि दूसरे सामान की दुकानें बंद होने लगी थीं, किंतु पान की दुकान पर भीड़ बढ़ रही थी और पान की बिक्री भी अचानक बढ़ गई थी।

प्रश्न 8.
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने क्या-क्या प्रबंध किए ?
उत्तर-
जब लेखक को यह अहसास हुआ कि उसके इलाके में भी पानी घुसने की संभावना है तो उसने एक सप्ताह का भोजन रखने का प्रबंध किया। उसने किताबों के अलावा गैस की स्थिति के बारे में पत्नी से जानकारी ली। उसने ईंधन, आलू, मोमबत्ती, दियासलाई, सिगरेट, पीने का पानी और नींद की गोलियों का प्रबंध भी किया।

प्रश्न 9.
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में कौन-कौन सी बीमारियों के फैलने की आशंका रहती है ?
उत्तर-
बाढ़-पीड़ित क्षेत्र में अकसर पकाही घाव हो जाते हैं। गंदे पानी से लोगों के पाँवों की उंगलियाँ गल जाती हैं और तलवों में भी घाव हो जाते हैं। इनके अतिरिक्त हैजा, मलेरिया, टाइफाइड आदि बीमारियों के फैलने की भी आशंका हो जाती है।

प्रश्न 10.
नौजवान के पानी में उतरते ही कुत्ता भी पानी में कूद गया। दोनों ने किन भावनाओं के वशीभूत होकर ऐसा किया ?
उत्तर-
एक के लिए दूसरे का पानी में कूद पड़ने से कुत्ते और नवयुवक के आत्मीय संबंध का बोध होता है। वे दोनों एक-दूसरे के सच्चे साथी थे। उनमें मानवीय होने या पशु होने का भेदभाव भी नहीं था। वे एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते थे। कुत्ते को यदि नाव में स्थान नहीं दिया जाता तो नवयुवक भी नाव में नहीं बैठता और युवक के बिना कुत्ता नहीं रह सकता, वह बिना किसी डर के पानी में कूद पड़ता है।

प्रश्न 11.
‘अच्छा है, कुछ भी नहीं। कलम थी, वह भी चोरी चली गई। अच्छा है, कुछ भी नहीं मेरे पास।’-मूवी कैमरा, टेप-रिकॉर्डर आदि की तीव्र उत्कंठा होते हुए भी लेखक ने अंत में उपर्युक्त कथन क्यों कहा ?
उत्तर-
लेखक बाढ़ के दृश्य को पूरी तरह अनुभव कर लेना चाहता था। उधर उसका लेखक मन चाहता है कि वह बाढ़ के दृश्यों को पूर्ण रूप से संजो ले। यदि उसके पास मूवी कैमरा होता या टेप-रिकॉर्डर या कलम होती तो वह बाढ़ का निरीक्षण करने की बजाए उसका चित्रण करने में लग जाता। तब जीवन को साक्षात भोगने का अवसर उसके हाथ से निकल जाता।

प्रश्न 12.
आपने भी देखा होगा कि मीडिया द्वारा प्रस्तुत की गई घटनाएँ कई बार समस्याएँ बन जाती हैं, ऐसी किसी घटना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
मीडिया जहाँ समस्याओं की ओर हमारा ध्यान खींचकर उनका हल प्रस्तुत करता है वहीं कभी-कभी वे समस्याओं के हल की अपेक्षा उनको बढ़ावा देते हैं। कुछ दिन पूर्व रेल में लगाई आग को इस रूप में प्रस्तुत किया गया जिससे रेल में लगी आग में मरे लोगों की पहचान करने व अन्य सहायता के काम करने की अपेक्षा लोगों में सांप्रदायिकता की भावना को भड़का दिया। इससे अनेक स्थानों पर हिंदू-मुस्लिम दंगे हो गए। इस प्रकार मीडिया कभी-कभी समस्याओं के हल की अपेक्षा समस्याएँ उत्पन्न कर देता है।

प्रश्न 13.
अपनी देखी-सुनी किसी आपदा का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सन् 1978 में टांगरी नदी का बाँध टूट जाने के कारण अंबाला छावनी व उसके आस-पास के क्षेत्र में बाढ़ आ गई थी। वहाँ के पूरे सदर बाजार में चार-पाँच फुट पानी जमा हो गया था। सभी दुकानों के अंदर पानी घुस जाने के कारण लाखों करोड़ों रुपयों की हानि हुई थी। कुछ निचले क्षेत्रों में तो 8-9 फुट की ऊँचाई तक पानी चढ़ आया था। लोगों ने घरों की छत पर चढ़कर जान बचाई थी। प्रातः होते-होते आस-पास के क्षेत्रों में पानी ही पानी दिखाई दे रहा था। अनेक दूध बेचने वाले ग्वालों के पशु पानी में बह कर मर गए थे। दूसरे दिन जब पानी उतरा तो पता चला कि कुछ लोगों की पानी में डूबने के कारण मृत्यु हो गई थी, उनमें बच्चे व बूढ़े ही अधिक थे। उस बाढ़ के दृश्य को देखने वाले लोगों के दिल आज भी उसे याद करके काँप उठते हैं।

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HBSE 9th Class Hindi इस जल प्रलय में Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ नामक पाठ में लेखक ने बाढ़ के दृश्य का सजीव चित्रण किया है। लेखक ने विभिन्न लोगों की बाढ़ आने पर होने वाली भिन्न-भिन्न प्रतिक्रियाओं का वर्णन सूक्ष्मतापूर्वक किया है। इसी प्रकार बाढ़ के आने पर या बाढ़ के आने की संभावना से उत्पन्न मानसिक वातावरण का वर्णन करना भी इस पाठ का उद्देश्य है। लेखक ने बताया है कि बाढ़ के आने की खबर सुनते ही लोगों के मन में भय-सा समा गया। लोगों ने अपना सामान समेटना आरंभ कर दिया और बाढ़ के आने पर जिन-जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, उन वस्तुओं को भी एकत्रित करना आरंभ कर दिया। जिन लोगों ने बाढ़ के दृश्य को पहले कभी नहीं देखा था, उनके मन की दशा का भी सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है। बाढ़ के समय सरकार के द्वारा की जाने वाली व्यवस्था आदि का उल्लेख करके लेखक ने बाढ़ के दृश्य को संपूर्णता के साथ प्रस्तुत किया है। यही इस पाठ का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
गाँव के लोगों के पशु प्रेम पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
गाँव के लोग पशुओं को अपने परिवार का सदस्य मानते हैं। वे उनके सुख-दुःख से प्रभावित होते हैं। कुत्ता एक स्वामिभक्त प्राणी है। वह मनुष्य का सबसे अच्छा साथी है। सन् 1949 में जब महानंदा में बाढ़ आई थी, तो बीमारों को बाढ़ से बाहर ले जाने के लिए एक नाव मँगवाई गई। जब एक बीमार युवक अपने कुत्ते को लेकर नाव पर चढ़ने लगा तो डॉक्टर ने उस कुत्ते को ले जाने से मना कर दिया। उस नवयुवक ने उत्तर दिया कि यदि कुत्ते को नाव में नहीं ले जाने दिया गया तो मैं भी नाव पर नहीं जाऊँगा। यही काम कुत्ते ने भी किया, वह भी नाव से झट से नीचे कूद गया। इससे पता चलता है कि गाँव के लोगों के मन में पशुओं व जानवरों के प्रति बहुत प्रेम होता है।

प्रश्न 3.
‘मुसहरी’ कौन थे? वे अपनी किस विशेषता के लिए प्रसिद्ध रहे हैं ?
उत्तर-
‘मुसहरी’ आदिवासियों की एक जाति है। उनका प्रमुख व्यवसाय दोने-पत्तल बनाना है। इस जाति के लोगों की प्रमुख विशेषता उनकी जिंदादिली होती है। बाढ़ की मुसीबत भी उनकी इस विशेषता को नहीं छीन सकती। जब लेखक को पता चला कि ‘मुसहरी’ समाज के लोग बाढ़ में घिरे हुए हैं और मांस-मछली खाकर गुजारा कर रहे हैं। तो वह सेवादल के साथ उनके गाँव में पहुंचा वहाँ उसने देखा गाँव में ऊँचे स्थान पर एक मंच बनाया हुआ है और एक काला-कलूटा नट अपनी रूठी हुई दुल्हन का अभिनय कर रहा है और पुरुष बना नट उसे मनाने का अभिनय कर रहा है। ढोलक और मंजीरे पर आनंदोत्सव चल रहा है। वहाँ के लोग मुसीबत के समय में भी आनंदोत्सव मना रहे थे। इससे पता चलता है कि ‘मुसहरी’ जाति के लोग जिंदादिल होते हैं।

प्रश्न 4.
पठित पाठ के आधार पर राजेन्द्र नगर में आई बाढ़ के दृश्य का चित्रण कीजिए। .
उत्तर-
पटना नगर का राजेन्द्र नगर एक प्रमुख स्थान है। इस क्षेत्र में बाढ़ का पानी पश्चिम दिशा से प्रवेश हुआ था। पानी डोली के आकार में आगे बढ़ रहा था। उसके मुख पर मानो फेन (झाग) था। इसे देखने पर ऐसा लगा कि मानो उसके आगे-आगे किलोल करते हुए बच्चों की एक टोली आ रही है। पानी के समीप आने पर पता चला कि मोड़ पर रुकावट आने पर पानी उछल रहा था। धीरे-धीरे आस-पास शोर मच गया था। कोलाहल, चीख-पुकार और तेज बहने वाले पानी की कलकल ध्वनि। पानी धीरे-धीरे फुटपाथ को पार करके आगे बढ़ने लगा। थोड़ी ही देर में गोलंबर के गोल पार्क में भी पानी भर गया। पानी इतनी तेजी से बढ़ रहा था कि थोड़ी ही देर में दीवार की ईंटें एक-एक करके डूबने लगी थीं। पानी में बिजली के खंभे और पेड़ों के तने भी डूबते जा रहे थे।

प्रश्न 5.
बाढ़ जैसी भयानक आपदाओं से बचने के लिए आप कुछ उपाय सुझाइए। [H.B.S.E. March, 2018]
उत्तर-
बाढ़ जैसी आपदाओं से बचने के लिए हमें सर्वप्रथम अपने जरूरी सामान को सुरक्षित स्थान पर रख देना चाहिए। हमें : बाढ़ के पानी को देखकर घबराना नहीं चाहिए अपितु दूसरों का भी साहस बंधाना चाहिए। बाढ़ के आने पर बिजली के उपकरणों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। घर में करंट आने का खतरा बढ़ जाता है। यदि फोन की सुविधा है तो पुलिस व अन्य सरकारी कार्यालयों को सूचना दे देनी चाहिए ताकि लोगों को बाढ़ जैसी आपदा से बचाने में सहायता मिल सके।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 6.
लेखक ने किसे गंवार और मुस्टंडा कहा था और क्यों ?
उत्तर-
लेखक ने दानापुर के एक अधेड़ ग्रामीण को गँवार एवं मुस्टंडा कहा था, क्योंकि उसका शरीर पूर्णतः स्वस्थ और मजबूत था। उसकी वाणी और व्यवहार असभ्य था। उस व्यक्ति ने पटनावासियों पर अपना सारा गुस्सा निकालते हुए कहा था “ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनिया बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए….. अब बूझो!” निश्चित रूप से ये शब्द कठोर और द्वेषपूर्ण थे। इसी कारण लेखक ने उसके लिए गंवार तथा मुस्टंडा शब्द प्रयोग किए थे।

प्रश्न 7.
बाढ़ के आने पर शहर के कुछ मनचले लोगों की कैसी प्रतिक्रिया हुई थी ?
उत्तर-
बाढ़ के आने पर नगर के कुछ मनचले लोगों को हँसी-मजाक की बातें सूझ रही थीं। वे बाढ़ की समस्या के प्रति जरा भी गंभीर नहीं थे। वे कह रहे थे कि अच्छा है, पूरा पटना नगर डूब जाए जिससे सबके पाप मिट जाएँगे। कुछ कह रहे थे कि गोलघर की मुंडेर पर बैठकर ताश खेली जाए। कुछ कह रहे थे कि इनकम टैक्स वालों को अपनी आसामियों पर इसी समय छापा मारना चाहिए। वे कहीं नहीं भाग सकेंगे।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘इस जल प्रलय में शीर्षक पाठ हिंदी साहित्य की किस विधा के अंतर्गत आता है ?
(A) संस्मरण
(B) निबंध
(C) रिपोर्ताज
(D) कहानी
उत्तर-
(C) रिपोर्ताज

प्रश्न 2.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ के लेखक कौन हैं ?
(A) मृदुला गर्ग
(B) फणीश्वरनाथ रेणु
(C) जगदीश चंद्र माथुर
(D) शमशेर सिंह बहादुर
उत्तर-
(B) फणीश्वरनाथ रेणु

प्रश्न 3.
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में किस सन् की प्रलयंकारी बाढ़ की घटना का वर्णन है ?
(A) सन् 1978 की
(B) सन् 1977 की
(C) सन् 1976 की
(D) सन् 1975 की
उत्तर-
(D) सन् 1975 की

प्रश्न 4.
प्रस्तुत पाठ में किस नगर में आई बाढ़ का उल्लेख किया गया है ?
(A) पटना
(B) पूर्णिया
(C) बस्ती
(D) बराऊनी
उत्तर-
(A) पटना

प्रश्न 5.
फणीश्वरनाथ रेणु का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1901 में
(B) सन् 1911 में
(C) सन् 1921 में
(D) सन् 1922 में
उत्तर-
(C) सन् 1921 में

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 6.
श्री रेणु का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1977 में
(B) सन् 1987 में
(C) सन् 1990 में
(D) सन् 1996 में
उत्तर-
(A) सन् 1977 में

प्रश्न 7.
लेखक ने ‘डायन कोसी’ नामक रिपोर्ताज किस सन् में लिखा ?
(A) सन् 1938 में
(B) सन् 1948 में
(C) सन् 1958 में
(D) सन् 1965 में
उत्तर-
(B) सन् 1948 में

प्रश्न 8.
‘जय गंगा’ नामक रिपोर्ताज की रचना किस वर्ष में की गई थी ? ‘
(A) सन् 1927 में
(B) सन् 1937 में
(C) सन् 1947 में
(D) सन् 1957 में
उत्तर-
(C) सन् 1947 में

प्रश्न 9.
लेखक को बाढ़ की पीड़ा को भोगने का अनुभव कब हुआ था ?
(A) सन् 1967 को
(B) सन् 1970 को
(C) सन् 1975 को
(D) सन् 1977 को
उत्तर-
(A) सन् 1967 को

प्रश्न 10.
कितने घंटे तक निरंतर वर्षा होने पर पटना में बाढ़ आई थी ?
(A) बारह
(B) अठारह
(C) बीस
(D) चौबीस
उत्तर-
(B) अठारह

प्रश्न 11.
सन् 1967 में किस नदी का पानी पटना नगर में घुस गया था ?
(A) पुनपुन
(B) कोसी
(C) गंगा
(D) कावेरी
उत्तर-
(A) पुनपुन

प्रश्न 12.
लेखक जब रिक्शा में बैठकर बाढ़ का पानी देखने निकला तो उनके साथ कौन था ?
(A) उनका एक रिश्तेदार
(B) आचार्य कवि-मित्र
(C) पत्रकार मित्र
(D) कैमरा मैन
उत्तर-
(B) आचार्य कवि-मित्र

प्रश्न 13.
‘स्वगतोक्ति’ का आशय है-
(A) अपने आप में कुछ बोलना
(B) अपनी प्रशंसा आप करना
(C) स्वयं से बातें करना
(D) दूसरों को अपनी बात कहना
उत्तर-
(A) अपने आप में कुछ बोलना

प्रश्न 14.
कवि ने ‘मृत्यु का तरल दूत’ किसे कहा है ?
(A) अपने मित्र को
(B) बाढ़ के पानी को
(C) लोगों के समूह को
(D) काली घटा को
उत्तर-
(B) बाढ़ के पानी को

प्रश्न 15.
“चलो, पानी कैसे घुस गया है, वही देखना है।” ये शब्द किसने किसे कहे हैं ?
(A) लेखक ने मित्र से ।
(B) लेखक ने रिक्शावाले से
(C) लेखक के मित्र ने रिक्शावाले से
(D) एक राहगीर ने लेखक से
उत्तर-
(B) लेखक ने रिक्शावाले से

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 16.
“ईह! जब दानापुर डूब रहा था तो पटनियाँ बाबू लोग उलटकर देखने भी नहीं गए ….. अब बूझो!” इस कथन से ग्रामीण की कौन-सी भावना अभिव्यक्त हुई है ?
(A) आपसी सद्भाव
(B) परस्पर मैत्रीभाव
(C) ईर्ष्या-द्वेष
(D) घृणा भाव
उत्तर-
(C) ईर्ष्या-द्वेष

प्रश्न 17.
लेखक के अनुसार साहित्यिक गोष्ठियों में कैसे आदमी की तलाश रहती है ?
(A) शहरी आदमी की
(B) मध्यवर्ग के आदमी की
(C) अमीर आदमी की
(D) आम आदमी की
उत्तर-
(D) आम आदमी की

प्रश्न 18.
कौन-सा समाचार दिल दहलाने वाला था ?
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है
(B) पानी से स्टूडियो डूब गया है
(C) अगले चौबीस घंटों में जोरदार वर्षा होगी
(D) बाढ़ का पानी तेजी से बढ़ता आ रहा है
उत्तर-
(A) पानी स्टूडियो की सीढ़ियों तक आ गया है

प्रश्न 19.
अन्य दुकानों की अपेक्षा पान वालों की बिक्री अचानक क्यों बढ़ गई थी ?
(A) लोगों को भूख लगी हुई थी
(B) पान सस्ते हो गए थे
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था
(D) पान खाने से पानी का आतंक कम हो रहा था
उत्तर-
(C) ‘पान खाना’ समय गुजारने का अच्छा साधन था

प्रश्न 20.
गांधी मैदान में लेखक ने क्या देखा था ?
(A) भीड़
(B) बच्चों को खेलते हुए
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए
(D) नेता को भाषण देते हुए
उत्तर-
(C) हरी घास को पानी में डूबते हुए

प्रश्न 21.
जन संपर्क विभाग ने लोगों के लिए क्या संदेश दिया था ?
(A) वे रात को भी सावधान रहें
(B) वे पानी की चिंता छोड़ दें
(C) अपना सारा सामान लेकर छत पर बैठ जाएँ
(D) वे बाढ़ के समय जागते रहें
उत्तर-
(A) वे रात को भी सावधान रहें

प्रश्न 22.
बाढ़ आने पर मनचले लोग कैसी बातें कर रहे थे ?
(A) बाढ़ का नजारा अत्यंत सुंदर होता है
(B) बाढ़ आने से लूट का मजा आता है
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है
(D) यह मौज मस्ती का अवसर है
उत्तर-
(C) इनकम टैक्स वालों के लिए छापा मारने का सही मौका है

प्रश्न 23.
लेखक के अनुसार बाढ़ पीड़ितों को सबसे अधिक आवश्यकता किन चीजों की होती है ?
(A) भोजन की
(B) पानी की
(C) लकड़ी की
(D) दवाइयों की
उत्तर-
(D) दवाइयों की

प्रश्न 24.
लेखक चाहकर भी अपने मित्रों व स्वजनों से बात क्यों नहीं कर सका था ?
(A) वह थक गया था
(B) वे उससे नाराज थे
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे
(D) लेखक घबराया हुआ था
उत्तर-
(C) टेलीफोन बंद हो चुके थे

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 25.
आपकी दृष्टि में बाढ़ में सबसे मार्मिक दृश्य क्या था ?
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला
(B) लोगों का चिल्लाना
(C) पशुओं का डूबना
(D) लोगों द्वारा सामान इकट्ठा करना
उत्तर-
(A) छाती भर पानी में खड़ी गर्भवती महिला

प्रश्न 26.
कौन-सी जाति के लोग बाढ़ से घिरे होने पर हँसी दिल्लगी नहीं छोड़ते ?
(A) ब्राह्मण
(B) यादव
(C) मुसहरी
(D) राजपूत
उत्तर-
(C) मुसहरी

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

इस जल प्रलय में Summary in Hindi

इस जल प्रलय में पाठ-सार/गद्य-परिचय

प्रश्न-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ का सार/गद्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘इस जल प्रलय में’ शीर्षक पाठ में लेखक ने बाढ़ का वर्णन किया है। लेखक बिहार की राजधानी पटना में रहता है। उसका गाँव ऐसे क्षेत्र में है जहाँ हर वर्ष पश्चिम, पूर्व और दक्षिण की कोसी, पनार, महानंदा और गंगा की बाढ़ से पीड़ित लोग शरण लेते हैं। परती (बंजर भूमि) पर गाय, बैल, भैंस तथा बकरों के झुंड को देखकर लोग सहज ही बाढ़ की भयंकरता का अनुमान लगा लेते हैं। लेखक को तैरना नहीं आता। वह बाढ़ पर कई लेख लिख चुका है। लेखक ने विभिन्न वर्षों में आई बाढ़ों का वर्णन करते हुए बताया है कि सन् 1967 में भयंकर बाढ़ आई। तब उसका पानी राजेंद्रनगर, कंकड़बाग तथा अन्य निचले हिस्सों में भर गया था। तब लोगों ने आवश्यक सामग्री एकत्रित कर ली थी तथा बाढ़ की प्रतीक्षा करने लगे थे। इसी बीच कभी राजभवन तो कभी मुख्यमंत्री निवास के बाढ़ में डूबने के समाचार आते रहे। कॉफी हाउस भी पानी में डूब चुका था। लेखक अपने एक अंतरंग मित्र के साथ रिक्शा में बैठकर बाढ़-पीड़ित क्षेत्रों को देखने के लिए निकलता है। उस समय दूसरे लोग भी बाढ़ का पानी देखकर लौट रहे थे। सभी लोगों की यह जानने की जिज्ञासा थी कि पानी कहाँ तक आ गया है और कहाँ तक आने की संभावना है। लेखक भी पहले तो लौटने का विचार कर रहा था, किंतु तभी उसने कुछ और आगे जाने का मन बना लिया। वह रिक्शा में बैठकर गांधी मैदान की ओर चल दिया। गांधी मैदान की रेलिंग के सहारे खड़े हजारों लोग बाढ़ के पानी को देख रहे थे।

संध्या हो चुकी थी। बहुत-से लोग पान की दुकान के सामने खड़े समाचार सुन रहे थे। पानी स्टूडियो तक आ चुका था। समाचार दिल दहलाने वाला था। किंतु लोग कुछ ज्यादा परेशान नहीं थे। वे अन्य दिनों की भाँति ही हँस-खेल रहे थे। उस पान वाले की बिक्री अवश्य बढ़ गई थी। कोई भी व्यक्ति बाढ़ से भयभीत नहीं दिखाई दे रहा था। हमारे ही चेहरे दुःखी लग रहे थे। कुछ लोग कह रहे थे कि एक बार पटना भी पूरी तरह से डूब जाए तो सारे पाप धुल जाएँगे। वे ताश खेलने के लिए बैठना चाहते थे कि तभी उनके मन में विचार आया कि इनकम टैक्स वालों को इसी समय छापा मारना चाहिए। उन्हें बहुत-सा माल एक ही स्थान पर मिल जाएगा।

लेखक अपने मकान पर पहुँचा ही था कि उसी समय लाउडस्पीकर से घोषणा करने वाली गाड़ी उनके मुहल्ले में पहुंची। वह घोषणा कर रही थी कि ‘भाइयो! ऐसी संभावना है कि बाढ़ का पानी रात के बारह बजे तक लोहानीपुर, कंकड़बाग और राजेंद्रनगर में घुस सकता है। अतः आप लोग सावधान रहें। लेखक घर में गैस की स्थिति का पता लगाता है। वह फिर सोने की कोशिश करता है पर नींद कहाँ आती है। वह उठ जाता है और कुछ लिखना चाहता है तो उसके मन में अनेक पुरानी यादें आने लगती हैं।

लेखक याद करता हुआ लिखता है कि 1947 में मनिहारी में बाढ़ आई थी। लेखक गुरु जी के साथ बाढ़ से पीड़ित लोगों की सहायता के लिए उस क्षेत्र में गया था। उनकी हिदायत थी कि हर नाव पर दवा, माचिस तथा किरासन तेल अवश्य रहना चाहिए।

इसी प्रकार सन् 1949 में लेखक महानंदा की बाढ़ से घिरे बापसी थाना के एक गाँव में लोगों की सहायता के लिए पहुंचा। वे नाव पर चढ़ाकर बीमारों को कैंप तक ले जाना चाहते थे कि एक बीमार के साथ उसका कुत्ता भी चढ़ गया। किंतु दूसरे लोगों द्वारा एतराज करने पर वह व्यक्ति अपने कुत्ते समेत नाव से नीचे कूद गया था। लेखक सहायता के लिए कुछ और आगे गया तो पता चला कि वहाँ लोग कई दिनों से मछली व चूहों को झुलसाकर खा रहे हैं। जब ये लोग एक टोले के पास पहुंचे तो पता चला कि ऊँची-सी जगह पर मंच बनाकर ‘बलवाही’ लोक नाटक कर रहे हैं। लाल साड़ी पहने काला-कलूटा ‘नटुआ’ दुलहिन के हाव-भाव दिखला रहा था। वहाँ बैठे लोगों के चेहरों पर जरा भी बाढ़ का भय नहीं था।

इसी प्रकार सन् 1967 की बाढ़ में जब पुनपुन का पानी राजेंद्रनगर में घुस आया था, तो एक नाव पर कुछ सजे-धजे युवक-युवतियों की टोली किसी फिल्म में देखे हुए कश्मीर का आनंद घर बैठे लेने के लिए निकली थी। नाव पर चाय बन रही थी। एक युवती अनोखी अदा से नैस्कैफे के पाउडर को मथकर ‘एस्प्रेसो’ बना रही थी। दूसरी लड़की रंगीन पत्रिका पढ़ रही थी। एक युवक उस युवती के सामने घुटनों पर कोहनी टेककर डायलॉग बोल रहा था। ट्रांजिस्टर पर कोई फिल्मी गाना बज रहा था। लेखक रात के ढाई बजे तक जागता रहा, किंतु तब तक बाढ़ का पानी नहीं आया था। सभी लोग जागते रहे। उस समय लेखक के मन में अपने मित्रों के प्रति चिंता हुई कि न जाने किस हाल में होंगे। लेखक को नींद नहीं आ रही थी। वह फिर लिखने बैठ गया पर इस समय वह क्या लिखे। पाँच बजे लेखक फिर आवाज़ सुनता है कि पानी आ रहा है। वह दौड़कर छत पर गया। उसने देखा कि चारों ओर से लोगों की चीख-पुकार सुनाई दे रही थी। पानी की लहरों का नृत्य भी दिखाई दे रहा था। पानी तेज गति से सब कुछ अपने साथ समेटता हुआ आगे बढ़ रहा था। लेखक बाढ़ को तो बचपन से देखता हुआ आ रहा था, किंतु पानी इस तरह आता उसने कभी न देखा था।

कठिन शब्दों के अर्थ –

(पृष्ठ-1) : पीड़ित = दुःखी। पनाह = शरण। ट्रेन = रेलगाड़ी। विशाल = बहुत बड़ी। सपाट = सरल, सीधी। परती = वह जमीन जो जोती-बोई न जाती हो। विभीषिका = भयंकरता। रिलीफवर्कर = राहत पहुंचाने वाला कार्यकर्ता। प्रस्तुत किया = लिखा। छुटपुट = छोटे-छोटे। .

(पृष्ठ-2) : विनाश लीला = नाश करने वाली क्रिया। अविराम = निरंतर। वृष्टि = वर्षा । हैसियत = शक्ति। प्रतीक्षा = इंतजार। प्लावित = जिस पर बाढ़ का पानी चढ़ आया हो, जो जल में डूब गया हो। अबले = अधिक। अनवरत = निरंतर। अनर्गल = बेतुकी, व्यर्थ। अनगढ़ = बेडौल, टेढ़ा-मेढ़ा। स्वगतोक्ति = अपने आप से कुछ बोलना।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(पृष्ठ-3) : जुबान = जीभ। जिज्ञासा = जानने की इच्छा। एरिया = क्षेत्र। आतंक = भय। बाबस = अचानक। समय = भय सहित। अस्फुट = अस्पष्ट । अनुनय = प्रार्थना। गैरिक = गेरुए रंग का। आवरण = पर्दा।

(पृष्ठ–4) : आच्छादित = ढका हुआ। शनैः शनैः = धीरे-धीरे। अधेड़ = चालीस वर्ष की आयु वाला। मुस्टंड = बदमाश। गंवार = ग्रामीण। उत्कर्ण = सुनने को उत्सुक। दिल दहलाने वाले = डरा देने वाले। चेष्टा = प्रयास। परेशान = दुःखी। आसन्न = पास आया हुआ। आदमकद = आदमी के कद के बराबर। मुहर्रमी = निराश, आतंकित।

(पृष्ठ-5) : हुलिया = वेशभूषा। धनुष्कोटि = एक स्थान का नाम। माकूल = सही। मौका = अवसर। बा-माल = माल सहित। पूर्ववत् = पहले की भांति । सुधि लेना = ध्यान रखना। अलमस्त = मौजमस्ती मनाने वाला, बेपरवाह। ऐलान करना = घोषणा करना।

(पृष्ठ-6) : गृहस्वामिनी = घर की मालकिन। अंदाज = अनुमान। आकुल = व्याकुल। बेतरतीब = बेढंगे। बालूचर = रेतीला क्षेत्र।

(पृष्ठ-7) : हिदायत = निर्देश। मुसहरी = एक जाति विशेष का नाम। बलवाही = एक लोक-नृत्य का नाम। दुलहिन = नई नवेली।

(पृष्ठ-8) : रिलीफ़ = राहत का सामान । भेला = नाव। झिंझिर = जल-विहार । अनोखी = अद्भुत। डायलॉग = संवाद । वॉल्यूम = ध्वनि। फूहड़ = बेसुरे।

(पृष्ठ-9) : एक्ज़बिशनिम = प्रदर्शनवाद। छूमंतर होना = समाप्त होना। आसन्नप्रसवा = जिसे आजकल में बच्चा होने वाला हो। बेहतर = बढ़िया।

(पृष्ठ-10-11) : उजले = सफेद। आ रहलौ = आ गया है। किलोल करना = क्रीड़ाएँ करना। अतिथिशाला = विश्राम गृह। अवरोध = रुकावट। कलरव = पक्षियों की ध्वनि। नर्तन = नाच। सशक्त = शक्तिपूर्वक। लोप होना = डूब जाना।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 15 मेघ आए

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Textbook Questions and Answers

Class 9 Chapter 15 Hindi HBSE प्रश्न 1.
बादलों के आने पर प्रकृति में जिन गतिशील क्रियाओं को कवि ने चित्रित किया है, उन्हें लिखिए।
उत्तर-
कवि ने बादलों के आने पर प्रकृति में अनेक गतिशील क्रियाओं का चित्रण किया है। बादलों के आने से पूर्व ठंडी हवा बहने लगती है। लोग अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हिलने लगते हैं। धूल भरी आँधी बहने लगती है। नदियों में भी ठहराव-सा प्रतीत होने लगता है। लताएँ भी खिल उठती हैं। बादलों में बिजली चमकती हुई दिखाई देने लगती है।

Class 9 Hindi Chapter 15 Bhavarth HBSE प्रश्न 2.
निम्नलिखित किसके प्रतीक हैं ?
• धूल
• पेड़
• नदी
लता
• ताल
उत्तर-
• धूल-गाँव की युवती की।
• पेड़-गाँव के बड़े-बूढ़े लोगों के।
• नदी-गाँव में रहने वाली विवाहित युवती की।
• लता-प्रेमिका की।
• ताल-परिवार के सदस्यों का।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

मेघ आए के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 3.
लता ने बादल रूपी मेहमान को किस तरह देखा और क्यों ?
उत्तर-
लता ने बादल रूपी मेहमान को व्याकुलतापूर्ण दृष्टि से देखा। वह बादल के आने पर उसे उपालंभ देते हुए कह रही थी कि तुमने एक वर्ष बाद मेरी सुध ली है। बादल के एक वर्ष बाद आने के कारण ही उसने ऐसा व्यवहार किया है।

Class 9 Hindi Chapter 15 Hindi Translation प्रश्न 4.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की
(ख) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत पंक्ति में बताया है कि बादल आकाश रूपी अटारी पर छा गए, बिजली चमक उठी। लोग कहने लगे कि बादलों के न आने और न बरसने का भ्रम मानों समाप्त हो गया, क्योंकि अब सचमुच में ही बादल बरसने लगे थे। इसी प्रकार जब दो लोगों के मन से भ्रम समाप्त हो जाता है तो उनकी आँखों से स्नेह के आँसू बह निकलते हैं।

(ख) जब बादल आकाश में छा गए तो नदी रूपी युवती थोड़ा रुककर और आश्चर्यपूर्वक अपने मुख से यूँघट उठाकर तिरछी दृष्टि से बादल रूपी मेहमानों को देखने लगती है। कहने का तात्पर्य है कि बादलों के एकाएक छा जाने से नदी के मन में आश्चर्य-सा छा गया कि ये एकाएक कहाँ से आ गए।

Class 9 Hindi Chapter 15 Vyakhya HBSE प्रश्न 5.
मेघ रूपी मेहमान के आने से वातावरण में क्या परिवर्तन हुए?
उत्तर-
मेघ रूपी मेहमान के आने पर बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ मानों झुक-झुककर सलाम करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकापन आ गया। वह मानों बादलों को देखकर मुग्ध-सी हो गई। लताओं में प्रेम भाव का संचार हो गया तथा मेघ के वर्ष-भर बाद आने पर उन्हें उपालंभ भी देने लगी। तालाबों में जल भर गया। ऐसा लगता है मानों तालाब परात में जल भरकर मेघ के स्वागत के लिए ले आया हो।

Megh Aaye Summary HBSE 9th Class प्रश्न 6.
मेघों के लिए ‘बन ठन के सँवर के’ आने की बात क्यों कही गई है?
उत्तर-
कवि ने बादलों की तुलना नगर से आने वाले मेहमानों से की है। जिस प्रकार नगर से आने वाले मेहमान सुंदर वस्त्र धारण करके बन-सँवरकर गाँव में आते हैं; उसी प्रकार बादल भी नया रूप धारण करके बरसने हेतु आते हैं। इसलिए कवि ने बादलों के लिए ‘बन-ठन के सँवर के’ आने की बात कही है।

मेघ आए कविता का सार HBSE 9th Class प्रश्न 7.
कविता में आए मानवीकरण तथा रूपक अलंकारों के उदाहरण खोजकर लिखिए।
उत्तर-
कविता में निम्नलिखित अंशों में मानवीकरण एवं रूपक अलंकारों का प्रयोग हुआ हैमानवीकरण-
(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली।
(ग) पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए।
(घ) धूल भागी घाघरा उठाए।
(ङ) बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी।
(च) बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की।
(छ) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।

रूपक-(क) मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।
(ख) हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
(ग) क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी।
(घ) क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की।

Class 9 Kshitij Chapter 15 Question Answer HBSE प्रश्न 8.
कविता में जिन रीति-रिवाजों का मार्मिक चित्रण हुआ है, उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
सर्वप्रथम कवि ने बताया है कि गाँव में मेहमान का आदर-सम्मान करने के लिए नाचने-गाने की प्रथा है। मेहमान के आने पर सब प्रसन्न होते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका झुककर सम्मान करते हैं। मेहमान के आने की सूचना भी बड़े उत्साह के साथ दी जाती है। गाँव की नारियाँ मेहमान को रुककर और स्नेहमयी दृष्टि से देखती हैं। गाँव में मेहमान के हाथ-पाँव धुलवाए जाने की परंपरा भी है। मेहमान के आने पर उससे इतने समय बाद आने का कारण भी पूछा जाता है और जब उसके उत्तर से संतुष्ट हो जाते हैं तो सब उससे गले मिलते हैं। दोनों के मन के गिले-शिकवे दूर हो जाते हैं।

मेघ आए कविता Class 9 HBSE प्रश्न 9.
कविता में कवि ने आकाश में बादल और गाँव में मेहमान (दामाद) के आने का जो रोचक वर्णन किया है, उसे लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने मेघों के आने की तुलना सजकर आए अतिथि (दामाद) से की है। कवि ने बताया है कि जब अतिथि गाँव में आता है तो उसके आने की सूचना बड़े उत्साह से दी जाती है। गाँव के नर-नारी अपने घरों की खिड़कियाँ खोलकर उसे अत्यंत उत्सुकता से देखते हैं। बड़े-बूढ़े भी उसका आदर-सत्कार करते हैं। नवयुवतियाँ उसे अपने यूंघट की ओट में तिरछी दृष्टि से निहारती हैं। उसकी पत्नी दरवाजे की ओट में खड़ी होकर उसे उपालंभ देती है कि वह इतने लंबे समय बाद आया है, किंतु बाद में मेहमान के उत्तर से प्रिया संतुष्ट हो जाती है और उससे मिलने पर स्नेह के आँसू बहने लगते हैं। इसी प्रकार बादल के छाने से पहले ठंडी हवा चलती है। लोग बादलों को निहारने हेतु घरों के दरवाजे खोल देते हैं। वर्षा आने पर पेड़ भी कुछ झुके हुए-से लगते हैं। धूल तो मानों घाघरा उठाकर भाग खड़ी होती है। नदी मानों उसे रुककर तिरछी दृष्टि से देखती है। लताएँ तो मानों उसे उपालंभ देने लगती हैं कि तूने इतने समय बाद हमारी सुध ली है। तालाब भी वर्षा के आने पर पूर्णतः भर जाता है। बिजली चमकने लगती है और तत्पश्चात रिम-झिम, रिम-झिम करके बूंदें पड़ने लगती हैं।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

मेघ आए कविता के प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 10.
काव्य-सौंदर्य लिखिएपाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के। मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
उत्तर-
(क) कवि ने प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में वर्षा ऋतु का मनोरम और काल्पनिक चित्र प्रस्तुत किया है।
(ख) प्रकृति का मानवीकरण किया गया है।
(ग) मानवीकरण अलंकार है।।
(घ) ‘पाहुन ज्यों ….. शहर के।’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ङ) ‘बड़े बन-ठन के’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा अत्यंत सरल, सजीव एवं भावानुकूल है।
(छ) लोकभाषा के शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग किया गया है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

रचना और अभिव्यक्ति

Megh Aaye Class 9 HBSE प्रश्न 11.
वर्षा के आने पर अपने आसपास के वातावरण में हुए परिवर्तनों को ध्यान से देखकर एक अनुच्छेद लिखिए।
उत्तर-
जून मास के अंतिम दिनों में बहुत अधिक गरमी पड़ रही थी। चारों ओर आग का समुद्र-सा लग रहा था। न जाने कहाँ से एक ठंडी पूर्वी हवा का झोंका आया और वातावरण में नमी-सी भर गया। देखते-ही-देखते एक काली घटा उठी और रिम-झिम, रिम-झिम करके बरसने लगी। वर्षा आने पर गरमी और धूल भरी आँधियाँ कूच कर गईं। चारों ओर हरियाली छा गई। तालाबों, नदियों व अन्य स्थानों पर जल भर गया। हर प्राणी प्रसन्न दिखाई देने लगा। वृक्षों में तो मानों बहार-सी आ गई। पक्षी चहचहाकर अपने हृदय की प्रसन्नता प्रकट करने लगे। किसानों की प्रसन्नता का तो कोई ठिकाना ही न रहा। किसान अपने खेतों में काम करने लगे। चारों ओर से मेंढकों के टर्राने की ध्वनि सुनाई देने लगी। कहने का तात्पर्य है कि वर्षा आने से जीवन में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आ गया।

प्रश्न 12.
कवि ने पीपल को ही बड़ा बुजुर्ग क्यों कहा है ? पता लगाइए।
उत्तर-
वस्तुतः पीपल का वृक्ष अन्य वृक्षों से बड़ा ऊँचा था। उसकी शाखाएँ दूर-दूर तक फैली हुई थीं। इसीलिए कवि ने उसका विशालकाय शरीर देखकर ही उसे बड़ा बुजुर्ग कहा होगा।

प्रश्न 13.
कविता में मेघ को ‘पाहुन’ के रूप में चित्रित किया गया है। हमारे यहाँ अतिथि (दामाद) को विशेष महत्त्व प्राप्त है, लेकिन आज इस परंपरा में परिवर्तन आया है। आपको इसके क्या कारण नजर आते हैं, लिखिए।
उत्तर-
भारतीय समाज में निश्चय ही दामाद विशेष महत्त्व व आदर का पात्र समझा जाता रहा है। इसका प्रमुख कारण है कि जिसको हम अपनी प्यार से पली बेटी का हाथ देते हैं, उसे सुयोग्य पात्र समझा जाता है। उसका विशेष महत्त्व भी इसी कारण माना या समझा जाता है कि वह हमारी प्यारी बेटी का पति है। आज परिस्थितियाँ बदल रही हैं, जीवन-मूल्य भी बदल रहे हैं। कुछ समय से दहेज नामक सामाजिक बुराई फैल रही है। इस बुराई को बढ़ावा देने में दामाद का भी हाथ रहता है। इसके अतिरिक्त आज के भौतिक युग में जीवन की गति तेज होने के कारण मनुष्य के पास इतना समय नहीं है कि वह अधिक समय तक दामाद की सेवा करता रहे। इसके अतिरिक्त लड़कियाँ भी नौकरी करने लगी हैं और पति के बराबर आ खड़ी हुई हैं। एक अन्य कारण यह भी माना जाने लगा है कि बेटियों को पिता की सम्पत्ति में से भाइयों के बराबर हक दिया गया है। इससे बेटी और दामाद भाइयों के बराबर का हक माँगने लगे हैं। इससे भाइयों के मन में बहनोई के प्रति मेहमान की छवि नहीं, अपितु विरोधी की छवि उभरने लगी है फिर भला आदर का भाव कैसे रह सकता है। इन्हीं सब कारणों से आज अतिथि एवं दामाद का महत्त्व पहले से कम होता जा रहा है।

भाषा-अध्ययन

प्रश्न 14.
कविता में आए मुहावरों को छाँटकर अपने वाक्यों में प्रयुक्त कीजिए।
उत्तर-
1. बन-ठन कर आना-मेहमान सदा बन-ठन कर ही आते हैं।
2. गरदन उचकाना-झुके हुए लोग (बूढ़े) मेहमानों के आने पर गरदन उचकाकर उन्हें देखते हैं।
3. चूँघट सरकना-स्त्रियों ने घूघट सरकाकर मेहमान को देखा।
4. जुहार करना-बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर बादल की जुहार की।
5. गाँठ खुल जाना-रमेश और उसकी पत्नी के मनों की गाँठे खुलने पर दोनों एक होकर रहने लगे।
6. बाँध टूटना-बहुत समय के बाद मित्र के मिलने पर उसके हृदय के भावों का तो मानों बाँध ही टूट गया।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 15.
कविता में प्रयुक्त आँचलिक शब्दों की सूची बनाइए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में निम्नांकित आँचलिक शब्द प्रयुक्त हुए हैंसँवर, बयार, पाहुन, उचकाए, ठिठकी, सरके, जुहार करना, किवार, ताल आदि।

प्रश्न 16.
‘मेघ आए’ कविता की भाषा सरल और सहज है-उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सहज व सरल भाषा से तात्पर्य है, जिसे साधारण पाठक भी आसानी से समझ सके। प्रस्तुत कविता में ऐसी ही भाषा का प्रयोग सर्वत्र हुआ है। उदाहरणस्वरूप ये पंक्तियाँ देखिए
बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की, ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की, हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पाठेतर सक्रियता

वसंत ऋतु के आगमन का शब्द-चित्र प्रस्तुत कीजिए। उत्तर-विद्यार्थी अपने अध्यापक की सहायता से स्वयं लिखेंगे। • प्रस्तुत अपठित कविता के आधार पर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएधिन-धिन-धा धमक-धमक मेघ बजे दामिनि यह गई दमक मेघ बजे दादुर का कंठ खुला मेघ बजे धरती का हृदय धुला मेघ बजे पंक बना हरिचंदन मेघ बजे हल का है अभिनंदन मेघ बजे धिन-धिन-धा ……..

प्रश्न-
(1) ‘हल का है अभिनंदन’ में किसके अभिनंदन की बात हो रही है और क्यों?
(2) प्रस्तुत कविता के आधार पर बताइए कि मेघों के आने पर प्रकृति में क्या-क्या परिवर्तन हुए?
(3) ‘पंक बना हरिचंदन’ से क्या आशय है?
(4) पहली पंक्ति में कौन सा अलंकार है?
(5) ‘मेघ आए’ और ‘मेघ बजे’ किस इंद्रिय बोध की ओर संकेत हैं ?
उत्तर-
(1) प्रस्तुत कवितांश में मेघ के अभिनंदन की बात हो रही है।
(2) मेघों के आने पर बिजली चमकने लगती है। मेंढकों के टर्राने की ध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। धरती की प्यास बुझ जाती है। पंक में हरी-हरी घास व फसलें उग आती हैं। किसान खेतों में काम करने लगते हैं।
(3) पंक अर्थात कीचड़ भी हरिचंदन के समान लगता है, क्योंकि उसमें फसलें व हरी-हरी घास उगती हैं।
(4) पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(5) ‘मेघ आए’ तथा ‘मेघ बजे’ आँखों और कानों की ओर संकेत करते हैं अर्थात देखने और सुनने के इंद्रिय बोध की ओर संकेत करते हैं।

अपने शिक्षक और पुस्तकालय की सहायता से केदारनाथ सिंह की ‘बादल ओ’, सुमित्रानंदन पंत की ‘बादल’ और निराला की ‘बादल-राग’ कविताओं को खोजकर पढ़िए।
उत्तर-
यह प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं है। विद्यार्थी इसे अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi मेघ आए Important Questions and Answers

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के मूल भाव पर प्रकाश डालिए। अथवा ‘मेघ आए’ कविता के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘मेघ आए’ एक ऐसी रचना है जिसमें एक ओर प्रकृति के विभिन्न उपादानों की प्राकृतिक सुंदरता को उजागर किया गया है और दूसरी ओर प्रकृति के माध्यम से ग्रामीण संस्कृति, रीति-रिवाज और सद्भावना को एक-साथ व्यक्त किया गया है। लेखक का परम लक्ष्य प्रकृति की सुंदरता और उसके प्रभाव को सजीव रूप में प्रस्तुत करना है। कवि अपने इस लक्ष्य में पूर्णतः सफल रहा है। बहुत दिनों के पश्चात आकाश में घटा छा जाने पर जिस प्रकार सभी उसे प्रसन्नता के भाव से देखते हैं और उसके आने की सूचना एक-दूसरे को अनायास ही दे देते हैं; उसी प्रकार गाँव में शहरी मेहमान के आने की सूचना उसके गाँव में पहुंचने से पहले ही पहुँच जाती है। गाँव में मेहमान का आदर किस प्रकार किया जाता है। इसका वर्णन पीपल के माध्यम से किया गया है। इसी प्रकार वर्षा से पहले तेज हवा के साथ धूल का आना ऐसे लगता है मानों किशोरियाँ घाघरा उठाकर भाग रही हों। काम करती हुई
औरतें पाहुन को देखने के लिए कुछ क्षण के लिए काम रोक देती हैं तथा अपने घूघट को उठाकर तिरछी नजर से उसे देखने का प्रयास करती हैं। अतिथि की पत्नी किवाड़ की ओट में होकर उसे लंबे समय बाद आने का उलाहना देती है। इस प्रकार प्रकृति के विविध उपादानों द्वारा ग्रामीण क्षेत्र की संस्कृति एवं सद्भावना का सजीव चित्रण करना कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

प्रश्न 2.
शहरी पाहुन के आगमन पर गाँव में उमगे उल्लास के रूप को अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
शहरी पाहुन के आगमन पर कुछ लोग नाचते-गाते हुए आगे चलने लगे। लोगों में उत्सुकता उत्पन्न हुई कि देखें शहरी पाहुन कैसा है। इसलिए गली-गली में लोग अपने घरों के दरवाजे और खिड़कियाँ खोलकर पाहुंन को देखने लगे। कुछ बूढ़े लोग पाहुन को देखकर गरदन झुका लेते हैं और कुछ गरदन उठाकर उसे देखने का प्रयास करते हैं। कुछ किशोरियाँ घाघरा उठाकर धूल-सी भागने लगती हैं। काम करती औरतें भी रुक कर शहरी पाहुन को देखने लगती हैं। वे औरतें अपने-अपने चूँघट को उठाकर तिरछी दृष्टि से पाहुन को देखने का प्रयास करती हैं। जब पाहुन गाँव के निकट आ जाता है तो गाँव के बड़े-बूढ़े लोग उसके स्वागत के लिए झुककर प्रणाम करते हैं। पाहुन की पत्नी शरमाकर दरवाजे की ओट में हो गई और वहीं से उपालंभ के स्वर में कहती है कि वर्ष-भर बाद हमारी सुध ली है। उधर एक प्रसन्न मन व्यक्ति पाहुन के पैर धोने के लिए परात में पानी भरकर ले आया। इस प्रकार शहरी पाहुन के गाँव में पहुँचने पर वहाँ का वातावरण प्रसन्नता और आनंद से भर उठता है।

प्रश्न 3.
‘बरस बाद सुध लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है-
(क) प्रेमभाव की
(ख) उपालंभ की
(ग) उदारता की
(घ) कृतज्ञता की
उत्तर-
(ख) उपालंभ की।

प्रश्न 4.
मेघ के आगमन का बयार, पेड़, नदी, लता और ताल पर क्या असर हुआ ?
उत्तर-
मेघ के आगमन से बयार खुशी से झूम उठी। पेड़ झुक-झुककर मेघ रूपी मेहमान को झाँकते हुए उसका आदर-सत्कार करने लगे। नदी की दृष्टि में बाँकपन आ गया। वह मानों मेघ पर मुग्ध-सी हो गई हो। लताएँ प्रेमभाव से युक्त हो गईं और मेघ को वर्ष-भर के बाद आने का उपालंभ देने लगीं। ताल वर्षा के जल से भर गया। मानों ताल मेघ के स्वागत में पानी की परात भर लाया हो।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘मेघ आए’ शीर्षक कविता के कवि का क्या नाम है?
(A) सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
(B) सुमित्रानंदन पंत
(C) भारत भूषण अग्रवाल
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
उत्तर-
(D) सर्वेश्वर दयाल सक्सेना

प्रश्न 2.
‘आए बड़े बन-ठन के सँवर के’ में कौन बन-ठनकर आया है?
(A) आँधी
(B) मेघ
(C) हवा
(D) सूर्य
उत्तर-
(B) मेघ

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 3.
मेघों के आगे-आगे नाचता हुआ कौन चल रहा था?
(A) बयार
(B) नर्तक
(C) नर्तकी
(D) पक्षी
उत्तर-
(A) बयार

प्रश्न 4.
मेघों के आने पर गली-गली में क्या होने लगा?
(A) लोग नाचने लगे
(B) बच्चे घर से बाहर निकल पड़े
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे
(D) लोग काम करने लगे
उत्तर-
(C) खिड़कियाँ-दरवाजे खुलने लगे

प्रश्न 5.
आँधी आने पर घाघरा उठाकर कौन भागने लगी थीं?
(A) ग्रामीण नारियाँ
(B) युवतियाँ
(C) नर्तकियाँ
(D) धूल
उत्तर-
(D) धूल

प्रश्न 6.
किसने बाँकी चितवन उठाकर मेघ को देखा था?
(A) वृक्षों ने
(B) शहरी
(C) नारियों ने
(D) प्रदेशी
उत्तर-
(B) नदियों ने

प्रश्न 7.
कवि ने मेघों को कहाँ के पाहुने.बताया है?
(A) ग्रामीण
(B) नदियों ने
(C) विदेशी
(D) चिड़ियों ने
उत्तर-
(B) शहरी

प्रश्न 8.
पाहुन का अर्थ है.
(A) अतिथि
(B) खिलाड़ी
(C) पहलवान
(D) चोर
उत्तर-
(A) अतिथि

प्रश्न 9.
मेघों की जुहार किसने की थी?
(A) वायु ने
(B) तालाब ने
(C) बूढ़े पीपल ने
(D) आम ने
उत्तर-
(C) बूढ़े पीपल ने

प्रश्न 10.
‘बरस बाद सुधि लीन्ही’-ये शब्द किसने किसको कहे हैं?
(A) लता ने मेघ को
(B) पीपल ने लता को
(C) लता ने आकाश को
(D) पवन ने मेघ को
उत्तर-
(A) लता ने मेघ को

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 11.
लता किसकी ओट में होकर बोली थी?
(A) पहाड़
(B) किवाड़
(C) दीवार
(D) वृक्ष
उत्तर-
(B) किवाड़

प्रश्न 12.
ताल किसे देखकर हर्षित हुआ था?
(A) पवन को
(B) मेघ को
(C) किसान को
(D) चंद्रमा को
उत्तर-
(B) मेघ को

प्रश्न 13.
तालाब किस बर्तन में पानी लाया था?
(A) घड़े में
(B) परात में
(C) लोटे में
(D) अंजलि में
उत्तर-
(B) परात में

प्रश्न 14.
दामिनी कहाँ दमकती हुई दिखाई दी?
(A) क्षितिज पर
(B) छत पर
(C) सड़क पर
(D) वृक्ष पर
उत्तर-
(A) क्षितिज पर

प्रश्न 15.
‘गाँठ खुलना’ मुहावरे का अर्थ है-
(A) गाँठ का दूर होना
(B) भ्रम का दूर होना
(C) पैसे गिर जाना
(D) मार्ग साफ होना
उत्तर-
(B) भ्रम का दूर होना

प्रश्न 16.
‘धूल’ किसकी प्रतीक है?
(A) आँधी की
(B) वर्षा की
(C) ग्रामीण युवती की
(D) पवन की
उत्तर-
(C) ग्रामीण युवती की

प्रश्न 17.
लता किसकी प्रतीक है?
(A) प्रेमिका की
(B) सहेली की
(C) बहन की
(D) माता की
उत्तर-
(A) प्रेमिका की

प्रश्न 18.
‘धूल भागी घाघरा उठाए’ में कौन-से अलंकार का प्रयोग हुआ है?
(A) अनुप्रास
(B) मानवीकरण
(C) रूपक
(D) श्लेष
उत्तर-
(B) मानवीकरण

प्रश्न 19.
‘झर-झर’ में प्रयुक्त अलंकार का नाम बताएँ।
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) पुनरुक्ति प्रकाश
(D) उपमा
उत्तर-
(C) पुनरुक्ति प्रकाश

प्रश्न 20.
‘मेघ आए’ कविता में किस संस्कृति का उल्लेख हुआ है?
(A) ग्रामीण
(B) शहरी
(C) पाश्चात्य
(D) सामन्ती
उत्तर-
(A) ग्रामीण

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 21.
कवि ने गाँव में किसके आने का वर्णन किया है?
(A) चाचा
(B) मेहमान (दामाद)
(C) मामा
(D) नाना
उत्तर-
(B) मेहमान (दामाद)

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

मेघ आए अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-मेघ = बादल। बन-ठन के = बन-सँवरकर, सज-धजकर। बयार = ठंडी एवं सुगंधित वायु। पाहुन = मेहमान।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश का भाव-सौंदर्य लिखें।
(5) प्रस्तुत पद्यांश में मेघ के आगमन का चित्रण किस रूप में किया गया है ?
(6) गली-गली की खिड़कियाँ क्यों खुलने लगीं ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बादलों के आने का वर्णन करते हुए लिखा है कि आज बादल बहुत ही बन-सँवरकर आए हैं अर्थात आकाश में छाए हुए हैं। बादलों के स्वागत में मानों बादलों के आगे-आगे नाचती-गाती हुई ठंडी एवं सुगंधित वायु चली आ रही है। जिस प्रकार शहरी मेहमान को देखने के लिए लोग खिड़कियाँ व दरवाजे खोल देते हैं, ठीक उसी प्रकार आकाश में बादल छा जाने से लोग बादलों को देखने के लिए घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं। कहने का तात्पर्य है कि बादल छा जाने से वातावरण प्रसन्नतामय बन जाता है।
भावार्थ-इन पंक्तियों में ग्रामीण संस्कृति एवं वहाँ की सद्भावना का सजीव अंकन किया गया है।

(3) (क) कवि ने ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का मनोरम चित्रण किया है।
(ख) मेघ व वायु का मानवीकरण किया गया है।
(ग) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(घ) चित्रात्मक शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) प्रकृति का आलंबन रूप में चित्रण हुआ है।
(च) ‘आगे-आगे’ एवं ‘गली-गली’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(छ) ‘पाहुन ………… शहर के’ में उत्प्रेक्षा अलंकार है।
(ज) ‘नाचती-गाती’, ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भावपूर्ण शैली में नए-नए बादलों के आकाश में छा जाने से वातावरण में उत्पन्न प्रसन्नता का उल्लेख किया है। कवि ने बादलों के सौंदर्य की तुलना नगर से सज-धजकर आए अतिथियों से की है। जिस प्रकार नगर एवं गाँव में अतिथि के पधारने पर वहाँ के लोग प्रसन्न हो जाते हैं और उत्सुकतापूर्वक अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं, उसी प्रकार बादलों के आकाश पर छा जाने पर गली-गली में लोग उन्हें देखने के लिए अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल देते हैं।

जैसे गाँव के लोग अतिथियों का स्वागत करने के लिए उनके आगे-आगे चलते हैं, वैसे ही बादलों के आने से पूर्व ठंडी एवं सुगंधित वायु बहने लगती है। कवि ने बादलों के सौंदर्य के साथ-साथ ग्रामीण संस्कृति एवं सद्भावना का अत्यंत सुंदर चित्रण किया है।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में बादलों का चित्रण सज-धजकर आए शहरी मेहमानों के रूप में किया गया है। दोनों में सौंदर्य की समानता के साथ-साथ उनके स्वागत की विधि भी समान है।

(6) कवि ने बताया है कि मेघ व वर्षा के स्वागत तथा आनंद-प्राप्ति के लिए लोगों ने अपने घरों के दरवाजे व खिड़कियाँ खोल दी थीं।

2. पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,
आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,
बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, पूँघट सरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-गरदन उचकाए = गरदन उठाकर । झाँकना = देखना। बाँकी चितवन = तिरछी मनमोहक दृष्टि। ठिठकी = रुकी। यूंघट सरकाना = यूंघट हटाना।

प्रश्न
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय क्या है?
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) पेड़ किस लिए झुक गए?
(4) प्रस्तुत पद के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) आँधी किसका प्रतीक है वह कैसे दौड़ी?
(6) मेघ किस प्रकार आए?
(7) घाघरा से क्या आशय है?
उत्तर-
(1) इस पद्यांश का मुख्य विषय प्रकृति का चित्रण करना है।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि जब आकाश में बादल छा गए तो ऐसा लगने लगा कि गाँव के लोगों की भाँति पेड़ गरदन उठाकर तथा कुछ झुक-झुककर बादलों को देखने लगे हों। जिस प्रकार मेहमान के आने की सूचना देने के लिए कोई किशोरी घाघरा सँभालती हुई भागती है; उसी प्रकार धूल-भरी आँधी भी बादलों के आने की सूचना देने के लिए बहने लगी। नदी भी अपने प्रवाह को रोककर मेघों को देखने के लिए कुछ देर के लिए रुकी हुई-सी लगी। उसने अपने मुख से मानों बूंघट सरका दिया हो और वह सजे हुए बादलों को देखने लगी हो जैसे युवतियाँ मेहमान को ठिठककर देखने लगती हैं। मेघ बन-सँवरकर अर्थात नए रूप में आकाश में छा गए हैं।
भावार्थ-प्रस्तुत पद्यांश में आकाश में घटाओं के छा जाने से प्रकृति में हुए परिवर्तन का सुंदर एवं सजीव चित्रण किया गया है।

(3) पेड़ बादलों को देखने के लिए झुक गए थे।

(4) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने दर्शाया है कि जब कोई नगर का व्यक्ति बन-सँवरकर गाँव में मेहमान बनकर आता है तो वहाँ के वातावरण में प्रसन्नता छा जाती है। शहरी मेहमान के गाँव में आने से वहाँ के वातावरण में जैसा परिवर्तन आता है वैसा ही परिवर्तन बादल आ जाने से प्रकृति में भी छा जाता है। गाँव के बूढ़े लोग मेहमान को उचक-उचककर देखते हैं और झुक-झुककर उसका अभिवादन करते हैं। स्त्रियाँ अपना यूँघट सरकाकर उसे तिरछी दृष्टि से देखती हैं।

(5) आँधी किशोरी का प्रतीक है। वह अपना घाघरा सम्भालती हुई दौड़ी।

(6) मेघ बहुत सज-संवर व बन-ठन कर आए।

(7) घाघरा से सतर्क होने का भाव या आशय है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

3. बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,
‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’
बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,
हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।
मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के। [पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-जुहार = आदर के साथ झुककर नमस्कार करना। बरस = वर्ष । सुधि = याद । लीन्हीं = ली। अकुलाई = व्याकुल। ओट = आड़। किवार = किवाड़, दरवाजा। हरसाया = हर्ष से भरा, प्रसन्नता से युक्त। ताल = तालाब। मेघ = बादल ।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के किस भाव की अभिव्यक्ति हुई है ?
(6) ‘हरसाया ताल लाया पानी परात भर के’-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि का कथन है कि मेहमान रूपी बादल सज-धज कर आ गए हैं। जिस प्रकार गाँव के बड़े-बूढ़े झुककर मेहमान का स्वागत करते हैं; उसी प्रकार पीपल के पेड़ ने बादलों का स्वागत किया। जिस प्रकार मेहमान की विरहिणी पत्नी किवाड़ की ओट में छिपकर पति को बहुत दिन बाद आने का उपालंभ देती है, उसी प्रकार प्यासी लता ने बादलों को उलाहना देते हुए कहा कि पूरे एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। मेहमान रूपी बादल के आने की प्रसन्नता में तालाब रूपी परिवार का सदस्य पानी की परात भरकर ले आया अर्थात तालाब पानी से लबालब भर गया।
भावार्थ-कवि ने बूढ़े पीपल के मानवीकरण के माध्यम से ग्रामीण अंचल में बड़े-बूढ़ों द्वारा अतिथियों को लगाए जाने वाली जुहार का उल्लेख किया है। लता के माध्यम से पति के वर्ष बाद आने पर पत्नी द्वारा दिए गए उपालंभ का वर्णन किया है।

(3) (क) प्रकृति के संपूर्ण दृश्य का चित्रात्मक शैली में वर्णन किया गया है।
(ख) मानवीकरण अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(ग) कवि की कल्पना अत्यंत सुंदर एवं सार्थक है।
(घ) ब्रज भाषा के संवाद से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ङ) ‘बरस बाद’, ‘पानी परात’ प्रयोगों में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है।

(4) प्रस्तुत काव्यांश में कवि ने बादल छा जाने से व्याप्त प्रसन्नता का वर्णन किया है। बादल का स्वागत ऐसे किया गया है जैसे गाँव में मेहमान पहुंचने पर उसका स्वागत किया जाता है। पीपल ने सर्वप्रथम आगे बढ़कर झुककर बादल का अभिवादन किया है। पत्नी की भाँति लता ने बादल को उपालंभ देते हुए कहा कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि वह बहुत प्रसन्न है और परात में पानी भर कर लाया हो। कहने का अभिप्राय है कि बादल छा जाने पर सर्वत्र हर्ष का वातावरण बन गया है।

(5) ‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’ में प्रिया के उपालंभ भाव की अभिव्यक्ति हुई है।

(6) वर्षा होने पर तालाब पानी से भर जाता है। ऐसा लगता है कि बादल के आने पर वह तालाब बहुत प्रसन्न हो उठा है और परात भर पानी ले आया है।

4. क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,
‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’,
बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।
मेघ आए बड़े बन ठन के सँवर के। [ पृष्ठ 127]

शब्दार्थ-क्षितिज = जहाँ आकाश और पृथ्वी मिलते हुए दिखाई देते हैं। अटारी = भवन या महल का ऊपरी भाग। गहराना = छा जाना। दामिनि = बिजली। दमकी = चमकी। गाँठ खुल जाना = भ्रम दूर हो जाना। भरम = संदेह । बाँध = सेतु, पुल । अश्रु = आँसू।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश में वर्णित विषय के संदर्भ को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत पद्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(6) ‘क्षमा करो गाँठ खुल गई अब भरम की’ पंक्ति के आशय को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री सर्वेश्वर दयाल सक्सेना। कविता-मेघ आए।

(2) व्याख्या-कवि ने बताया है कि मेघ क्षितिज रूपी अटारी पर पहुँच गए अर्थात जैसे अतिथि को देखने के लिए लोग अटारी पर जमा हो जाते हैं, वैसे ही बादलों के गहराने से उनमें बिजली चमकने लगती है। प्रकृति के विविध उपादान मानों मेघ से कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह दूर हो गया है अर्थात वर्षा हो गई है। झर-झर की आवाज करती हुई बूंदें गिरने लगीं। पति-पत्नी के संदर्भ में बहुत दिनों के बाद पति-पत्नी घर की छत पर मिले । गले मिले, शिकवा-शिकायतें की और आपसी भ्रम दूर हो जाने पर पत्नी पति से गले मिलकर रोने लगी। उसकी आँखों से झर-झर आँसू बहने लगे।
भावार्थ-इन पंक्तियों में कवि ने वर्षा के प्रभाव का सजीव चित्रण किया है।

(3) मेघ आए’ शीर्षक कविता से उद्धृत इन पंक्तियों में कवि ने बादल के बरसने का वर्णन अत्यंत सुंदर कल्पनाओं के माध्यम से किया है। साथ ही कवि ने वर्षा के प्रभाव का उल्लेख भी किया है।

(4) (क) कवि ने वर्षा का वर्णन अत्यंत कलात्मकतापूर्ण किया है।
(ख) नवीन कल्पना-शक्ति का चमत्कार देखते ही बनता है।
(ग) स्वर-मैत्री अलंकार के कारण भाषा में प्रवाह एवं लय का समावेश हुआ है।
(घ) ‘झर-झर’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(ङ) ‘बन-ठन’ में अनुप्रास अलंकार है।
(च) भाषा-शैली चित्रात्मक है।
(छ) शब्द-चयन अत्यंत सार्थक एवं भावानुकूल है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने चित्रात्मक शैली के द्वारा वर्षा के सौंदर्य एवं प्रभाव का अत्यंत मार्मिक चित्रण किया है। कवि ने बताया है कि गाँव के लोगों में अतिथि का सत्कार करने की अत्यधिक लगन होती है। वे अतिथि को देखने के लिए छत पर जमा हो जाते हैं। उनके वस्त्रों व गहनों की चमक-धमक ऐसी लगती है जैसे बादलों में बिजली चमकती है। प्रकृति के विविध अंग मानों कह रहे हों कि हमें क्षमा करना। हमारे मन में जो भ्रम था कि तुम वर्षा नहीं करोगे, अब वह भ्रम समाप्त हो गया। कहने का भाव है कि वर्षा हो गई। वर्षा पड़ने का शोर मच रहा है। दूसरे अर्थ में कहा जा सकता है कि पति-पत्नी के बीच जो भ्रम था, वह समाप्त हो गया और मानों पत्नी पति के गले लगी हो और उसकी आँखों से झर-झर करके अश्रुधारा बह निकली हो। अतः स्पष्ट है कि कवि के वर्षा-वर्णन से संबंधित भाव अत्यंत सुंदर एवं सार्थक बन पड़े हैं।

(6) प्रस्तुत पंक्ति द्विअर्थक है। प्रथम अर्थ है प्रकृति के अन्य उपादान यह समझ रहे थे कि शायद बादल न बरसें, किंतु बादलों के बरस जाने पर उनके मन से भ्रम समाप्त हो गया और अब वे बहुत प्रसन्न हैं। इसी प्रकार पति के घर आने पर पत्नी के मन के सब भ्रम समाप्त हो गए और प्रसन्नचित्त हो पति के गले से लगकर आँसू बहा रही है कि मैंने पति के विषय में कैसी-कैसी धारणाएँ बना ली थीं।

मेघ आए Summary in Hindi

मेघ आए कवि-परिचय

प्रश्न-
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
कविवर सर्वेश्वर दयाल सक्सेना का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-सर्वेश्वर दयाल सक्सेना आधुनिक युग के प्रतिभाशाली कवि थे। उनकी कविताओं में सम-सामयिक जीवन की समस्याओं का यथार्थ चित्रण हुआ है। उनका जन्म 15 सितंबर, 1927 को उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा वहीं पर हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एम०ए० की परीक्षा उत्तीर्ण की। आरंभ में उन्होंने स्कूल में अध्यापन कार्य किया। इसके पश्चात वे आकाशवाणी में नियुक्त हुए। उन्होंने कुछ समय के लिए ‘दिनमान’ के उप-संपादक का कार्यभार भी सँभाला। उन्होंने ‘पराग’ पत्रिका का संपादन भी बड़ी सफलतापूर्वक किया। 24 सितंबर, 1983 में उनका निधन हो गया।

2. प्रमुख रचनाएँ-

  • काव्य-संग्रह ‘काठ की घंटियाँ’, ‘बाँस का पुल’, ‘एक सूनी नाव’, ‘गर्म हवाएँ’, ‘कुआनो नदी’ और ‘जंगल का दर्द’ आदि।
  • उपन्यास-‘उड़े हुए रंग’, ‘सोया हुआ जल’, ‘पागल कुत्तों का मसीहा’ आदि।
  • कहानी-संग्रह ‘अँधेरे पर अँधेरा’ ।
  • नाटक-‘बकरी’, ‘लाख की नाक’ आदि।

3. काव्यगत विशेषताएँ-उनके काव्य में शिल्प-विधान की अपेक्षा विषय वस्तु पर अधिक ध्यान दिया गया है। उन्होंने अपने काव्य में सम-सामयिक जीवन के परिवेश का यथार्थ चित्रण किया है। उनके काव्य में अनुभूतियों की गहराई देखते ही बनती है। यथा

‘कोट के गुलाब और जूड़े के फूल को,
हर नन्हीं याद को, हर छोटी भूल को,
नये साल की शुभकामनाएँ।’

वे अपने जीवन में आने वाली पराजय और घुटन की अनुभूतियों से निराश होने की अपेक्षा निरंतर प्रेरणा प्राप्त करते रहे। उनके काव्य में नयी कविता का कोरा बुद्धिवाद नहीं है, अपितु हृदय को छूने वाली कोमल भावनाएँ भी हैं। उन्होंने रोमानी वातावरण की कविताओं की रचना भी की है।

4. भाषा-शैली-उनके काव्य की भाषा सर्वत्र सुलभ, स्पष्ट और बोलचाल की है। भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। उनके काव्य में तीखे व्यंग्य भी प्रभावशाली बन पड़े हैं। उनकी भाषा में कहीं भी उलझाव प्रतीत नहीं होता। उनकी कल्पना-शक्ति बेजोड़ है। उनकी कविता के बारे में सुमित्रानंदन पंत ने लिखा था वे जन्मजात, अकृत्रिम कवि हैं। नयी कविता की पहचान कराने वाले कवियों में उनका विशेष स्थान है। प्राकृतिक परिवेश का मानवीकरण करने में वे सिद्धहस्त हैं।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

मेघ आए कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘मेघ आए’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए। .
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने आकाश में मेघ के आने का वर्णन गाँव में आए शहरी अतिथि के रूप में किया है। संपूर्ण वर्णन में कवि ने रूपक बाँध दिया है। मेघ आने पर ठंडी वायु बहने लगती है। लोग दरवाजे-खिड़कियाँ खोल देते हैं। पेड़ भी हरे-भरे दिखाई देने लगते हैं। ऐसा लगता है कि मानों वे झुककर मेहमान का आदर कर रहे हों। वर्षा आने पर धूल भरी आँधियाँ समाप्त हो जाती हैं। नदियों व तालाबों में पानी भर जाता है। गरमी के कारण पीपल भी मुरझा गया था, किंतु मेघ आने पर वह भी हरा-भरा होकर आगे बढ़कर मेघ का स्वागत करते हुए उसे उपालंभ देता है कि एक वर्ष बाद हमारी सुध ली है। जिस प्रकार पति-पत्नी में वियोग के कारण भ्रम की गाँठ पड़ जाती है तथा मिलन पर वह गाँठ खुल जाती है और वे गले मिलकर आँसू बहाते हैं, वैसे ही मानों आकाश और पृथ्वी गले मिलते-से प्रतीत होते हैं और वर्षा की बूंदें टप-टप करके गिरने लगती हैं। कवि ने बताया है कि जिस प्रकार गाँव में पाहुन आने पर प्रसन्नता का वातावरण छा जाता है, उसी प्रकार आकाश में मेघ छा जाने पर चारों ओर खुशी एवं सुख का वातावरण बन जाता है।

Haryana State Board HBSE 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला Textbook Exercise Questions and Answers.

Haryana Board 9th Class Hindi Solutions Kshitij Chapter 12 कैदी और कोकिला

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Textbook Questions and Answers

कैदी और कोकिला प्रश्न उत्तर HBSE 9th Class प्रश्न 1.
कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन पर गहन प्रतिक्रिया हुई थी तथा उसने कोयल से कहा कि संपूर्ण देश स्वतंत्रता प्राप्ति के लिए जूझ रहा है और सारा देश एक कारागार के रूप में परिणत हो गया है। ऐसे में मधुर गीत गाने की आवश्यकता नहीं, अपितु क्रांति और विद्रोह का गीत गाना चाहिए।

कैदी और कोकिला व्याख्या HBSE 9th Class प्रश्न 2.
कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई है ?
उत्तर-
कवि ने कोकिल के बोलने की संभावनाओं को व्यक्त करते हुए कहा है कि क्या वह किन्हीं वेदनाओं के बोझ से दबी हुई है या उसे किसी ने लूट लिया है। क्या वह पगला गई है जो इस प्रकार आधी रात के समय बोलने लगी है। क्या उसने जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें देखी हैं, जिनसे भयभीत होकर वह कक उठी है।

Class 9 Hindi Chapter 12 Bhavarth HBSE प्रश्न 3.
किस शासन की तुलना तम के प्रभाव से की गई है और क्यों ?
उत्तर-
कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम के प्रभाव से की है, क्योंकि उस समय ब्रिटिश शासन द्वारा साधारण जनता पर अन्याय व अत्याचार किए जा रहे थे। चारों ओर शोषण का डंका बज रहा था। निरपराध लोगों को कारागार में बंद कर दिया जाता था। वहाँ न्याय नाम की कोई चीज नहीं थी। इसलिए कवि ने ब्रिटिश शासन की तुलना तम से की है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

Class 9 Hindi Kaidi Aur Kokila Vyakhya HBSE प्रश्न 4.
कविता के आधार पर पराधीन भारत की जेलों में दी जाने वाली यंत्रणाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में पराधीन भारत की जेलों में अंग्रेज शासक द्वारा दी जाने वाली यंत्रणाओं का यथार्थ चित्रण किया गया है। कवि ने बताया है कि जेलों में कैदियों को लोहे की जंजीरों में बाँधकर रखा जाता था। उनके पाँवों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ पहनाई जाती थीं। कैदियों को कोल्हू में पशुओं की भाँति जोता जाता था। कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उनके पेट पर जूआ रखा जाता था जिसे वे खींचते थे। उन्हें काल-कोठरी में बंद करके रखा जाता था जहाँ रोशनी व ताजी हवा नहीं पहुँचती थी। उन पर कड़ा पहरा रखा जाता था। उनको गालियाँ दी जाती थीं। उन्हें पेट भर खाना भी नहीं दिया जाता था।

कैदी और कोकिला HBSE 9th Class प्रश्न 5.
भाव स्पष्ट कीजिए-
(क) मृदुल वैभव की रखवाली-सी, कोकिल बोलो तो! ।
(ख) हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ, खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का फँआ।
उत्तर-
(क) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने कोयल की वाणी की मधुरता को उद्घाटित किया है। उसे मधुरता के खजाने की रक्षक कहकर उसकी मधुर ध्वनि की प्रशंसा की है।
(ख) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने एक ओर ब्रिटिश शासन के भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए अमानवीय व्यवहार को उद्घाटित किया है तो दूसरी ओर कैदी के स्वाभिमान एवं संघर्षशील प्रवृत्ति को दर्शाया है। ब्रिटिश शासन द्वारा कैदियों से कुएँ से पानी निकलवाने के लिए उन्हें चरस (चमड़े से बनी चरस जिसमें कुएँ से पानी निकाला जाता है।) खींचने के लिए विवश किया जाता है। किंतु कैदी ब्रिटिश शासन के सामने हार नहीं मानता।

कैदी और कोकिला Question And Answer HBSE प्रश्न 6.
अर्द्धरात्रि में कोयल की चीख से कवि को क्या अंदेशा है ?
उत्तर-
कवि को अर्द्धरात्रि में कोयल के चीख उठने से अंदेशा था कि उसने किसी को लुटते हुए देखा होगा या उसे जंगल में लगी आग की भयंकर लपटें दिखाई दी होंगी जिससे वह घबराकर चीख उठी होगी।

Kaidi Aur Kokila Class 9 HBSE प्रश्न 7.
कवि को कोयल से ईर्ष्या क्यों हो रही है ?
उत्तर-
वस्तुतः कवि महान स्वतंत्रता सेनानी है। स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण ब्रिटिश शासन ने उसे कारागार में बंद कर दिया है। वह कैदी है। जब रात्रि के समय कोयल अपनी मधुर वाणी में बोलती है तो उसके मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या भाव जाग उठता है। क्योंकि कोयल हरी-भरी टहनी पर स्वतंत्रतापूर्वक बैठी है और कवि के भाग्य में काल-कोठरी में बंद रहना लिखा हुआ है। वह खुले आकाश में उड़ सकती है और कवि केवल दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद है। इसके अतिरिक्त जब कोयल बोलती है तो लोग उसकी मधुर वाणी को सुनकर वाह! वाह! कह उठते हैं और कवि के लिए गीत गाना तो क्या यदि वह रोता भी है तो उसे भी गुनाह समझा जाता है। इन्हीं कारणों से कवि के मन में कोयल के प्रति ईर्ष्या का भाव है।

कैदी और कोकिला प्रश्न उत्तर Class 9 HBSE प्रश्न 8.
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कौन-सी मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं, जिन्हें वह अब नष्ट करने पर तुली है ?
उत्तर-
कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की अनेक मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल की मधुर वाणी सुनकर कवि रोमांचित हो उठता था। उसके मधुर गीत सुनकर ऐसा लगता था कि मानो वह उसके किसी प्रियजन का संदेश लेकर आई हो, किंतु इस समय कोयल की ध्वनि मधुर नहीं, अपितु एक चीख है और वह युद्ध के नगाड़े के समान लगती है ताकि कवि उन मधुर स्मृतियों को भूलकर स्वतंत्रता-प्राप्ति के संघर्ष में कूद पड़े।

Kaidi Aur Kokila Summary HBSE 9th Class प्रश्न 9.
हथकड़ियों को गहना क्यों कहा गया है ?
उत्तर-
गहने पहनने का प्रमुख लक्ष्य सुंदर लगना है। पराधीनता के समय स्वतंत्रता सेनानी अंग्रेजी शासन के विरुद्ध आंदोलन करते थे। इस कारण अंग्रेज सरकार उन्हें हथकड़ियाँ लगाकर कारागार में बंद कर देती थी। स्वतंत्रता सेनानियों को देश को स्वतंत्र कराने के कार्य करने में गर्व की अनुभूति होती थी। इसीलिए वे अंग्रेज सरकार द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को गहना समझकर धारण करते थे। इससे उनका मान बढ़ता था।

Class 9 Hindi Chapter 12 Vyakhya HBSE प्रश्न 10.
‘काली तू…… ऐ आली।’ इन पंक्तियों में ‘काली’ शब्द की आवृत्ति से उत्पन्न चमत्कार का विवेचन कीजिए।
उत्तर-
प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने काली शब्द की आवृत्ति से एक ओर कविता में लय एवं संगीत में वृद्धि करके उसके काव्य-सौंदर्य में वृद्धि की है। दूसरी ओर कवि ने ब्रिटिश सरकार के द्वारा किए गए अन्याय, अत्याचार और शोषण को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया है। कहने का भाव है कि ‘काली’ शब्द से जहाँ काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है, वहाँ भाव-सौंदर्य भी प्रभावशाली बन पड़ा है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

Kaidi Aur Kokila Vyakhya HBSE 9th Class प्रश्न 11.
काव्य-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए-
(क) किस दावानल की ज्वालाएँ हैं दीखीं?
(ख) तेरे गीत कहावें वाह, रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी मेरी, बजा रही तिस पर रणभेरी!
उत्तर-(क) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कवि ने जंगल की आग की ज्वालाओं के माध्यम से ब्रिटिश शासन के द्वारा भारतीयों के प्रति किए गए अन्याय एवं अत्याचारों की ओर संकेत किया है।
(2) प्रश्न अलंकार का प्रयोग किया गया है।
(3) ओजपूर्ण भाषा है।
(4) मानसिक बिंब है। प्रत्यक्ष के माध्यम से अप्रत्यक्ष को उद्घाटित किया गया है।

(ख) (1) प्रस्तुत पंक्तियों में कोयल के प्रति कवि के मन के ईर्ष्या भाव को प्रस्तुत किया गया है।
(2) अन्त्यानुप्रास के प्रयोग के कारण भाषा लययुक्त एवं संगीतमय बनी हुई है।
(3) ‘तेरी-मेरी’ में अनुप्रास अलंकार है।
(4) अभिधा शब्द-शक्ति के प्रयोग से कथन को ग्रहणीय एवं मार्मिकता प्रदान की गई है।
(5) ‘वाह…गुनाह’ तथा ‘मेरी…..रणभेरी’ में तुकान्त है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

रचना और अभिव्यक्ति

Kaidi Aur Kokila Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 12.
कवि जेल के आसपास अन्य पक्षियों का चहकना भी सुनता होगा लेकिन उसने कोकिला की ही बात क्यों की है ?
उत्तर-
कवि ने अन्य पक्षियों के चहचहाने की ध्वनि की अपेक्षा कोयल की बात को इसलिए चुना है क्योंकि कोयल की ध्वनि अत्यन्त प्रभावशाली है। कोयल सदा से कवियों के आकर्षण का कारण रही है। इसके अतिरिक्त उसे चुनने का अन्य कारण उसका काला होना भी है। कवि अंग्रेज सरकार की काली करतूतों को उद्घाटित करना चाहता है। इसलिए काली करतूतों एवं कोयल के काले रंग में समानता भी है।

Kaidi Aur Kokila HBSE 9th Class प्रश्न 13.
आपके विचार से स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार क्यों किया जाता होगा ?
उत्तर-
अंग्रेज सरकार द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों और अपराधियों के साथ एक-सा व्यवहार इसलिए किया जाता था ताकि उन्हें यह अनुभव करवा दे कि उनकी दृष्टि में तुम सामान्य अपराधी हो। इसके अतिरिक्त उनके देश-प्रेम की भावना और मनोबल को ठेस पहुंचाने के लिए भी ऐसा किया जाता था।

पाठेतर सक्रियता

पराधीन भारत की कौन-कौन सी जेलें मशहूर थीं, उनमें स्वतंत्रता सेनानियों को किस-किस तरह की यातनाएँ दी जाती थीं? इस बारे में जानकारी प्राप्त कर जेलों की सूची एवं स्वतंत्रता सेनानियों के नामों को राष्ट्रीय पर्व पर भित्ति पत्रिका के रूप में प्रदर्शित करें।
स्वतंत्र भारत की जेलों में अपराधियों को सुधारकर हृदय परिवर्तन के लिए प्रेरित किया जाता है। पता लगाइए कि इस दिशा में कौन-कौन से कार्यक्रम चल रहे हैं ?
उत्तर-
ये प्रश्न परीक्षोपयोगी नहीं हैं। विद्यार्थी इन्हें अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करेंगे।

HBSE 9th Class Hindi कैदी और कोकिला Important Questions and Answers

Class 9 Hindi Kshitij Chapter 12 Vyakhya HBSE प्रश्न 1.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का उद्देश्य अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
प्रस्तुत कविता में कवि ने पराधीन भारत की दुर्दशा का उल्लेख करके अंग्रेजी शासकों के अत्याचारों की ओर संकेत किया है। कवि ने भारतीय जनता को क्रांति करने का आह्वान किया है ताकि देश को अंग्रेजों की गुलामी से मुक्ति मिल सके। कवि अंधेरी रात में कारागार में बंद है। वह कोयल की मधुर कूक सुनकर बेचैन हो उठता है। प्रस्तुत कविता में कवि ने जेल में दी जाने वाली यातनाओं का यथार्थ चित्रण किया है। उसे कोयल की स्वतंत्रता से ईर्ष्या भी होती है कि कोयल स्वच्छंद रूप से उड़ती व गाती है, जबकि वह बंदी है। गाँधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के लिए भारतीय युवकों को प्रेरित करना भी कवि का प्रमुख लक्ष्य है।

Kaidi Aur Kokila Ke Prashn Uttar HBSE 9th Class प्रश्न 2.
कोयल की कूक सुनकर कवि के मन में क्या प्रतिक्रिया हुई ?
उत्तर-
कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगा कि वह कुछ कहना चाहती है। कोयल की कूक कवि के लिए संघर्ष करने की प्रेरणा सी प्रतीत हुई थी। उसे यह भी लगा कि कोयल कवि की यातनाओं से उत्पन्न पीड़ाओं को बाँटना चाहती है। वह उसे अपने प्रति सहानुभूति व्यक्त करती हुई भी प्रतीत होती है। अतः कवि कोयल के इशारों पर आत्म-बलिदान करने के लिए तैयार हो जाता है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 3.
कवि को रात के समय कोयल का कूकना अच्छा क्यों नहीं लगता ?
उत्तर-
कवि राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ तरह-तरह की यातनाएँ भोग रहा है। ऐसे संघर्ष के समय रात को कोयल कूक उठती है यद्यपि कोयल दिन के समय ही बोलती है। कवि कोयल की ध्वनि सुनकर अत्यंत बेचैन हो उठता है। उसकी चेतना में कोयल की स्वच्छंद स्थिति एवं अपनी कैदी होने की स्थिति कौंध जाती है। इसलिए कवि को कोयल की मधुर ध्वनि बार-बार उसके बंदी होने का बोध कराती है। यह स्वाभाविक है कि गुलाम होकर या बंदी बनकर किसी स्वतंत्र व्यक्ति या प्राणी की स्थिति के प्रति ईर्ष्या का भाव भी जाग उठता है। इसलिए कवि को कोयल का कूकना अच्छा नहीं लगता।

प्रश्न 4.
कोयल और कवि की मनःस्थिति के अंतर पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
कोयल और कवि की मनःस्थिति में दिन-रात का अंतर है। कवि अंग्रेजी शासन के द्वारा बंदी बनाया गया है और जेल की यातनाएँ भोग रहा है। वह दस फुट की तंग कोठरी में पड़ा हुआ है। जबकि कोयल हरे-भरे वृक्ष की टहनी पर बैठी हुई है।

वह फुदक-फुदक कर एक टहनी से दूसरी टहनी पर जा बैठती है। वह प्रसन्नतापूर्वक मधुर ध्वनि में कूक-कूक कर अपने मन की प्रसन्नता व्यक्त कर रही है। दूसरी ओर, कवि तंग कोठरी में पड़ा हुआ दुःखी हो रहा है।

प्रश्न 5.
ब्रिटिश राज के द्वारा कवि को पहनाई गई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना कहाँ तक उचित है?
उत्तर-
कवि ने अपने हाथों में पड़ी हुई हथकड़ियों को ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहा है। वह कोई चोर या अपराधी प्रवृत्ति वाला व्यक्ति नहीं है। वह देशभक्त है और अपनी मातृभूमि को स्वतंत्र करवाना चाहता है। इसलिए उसने स्वयं हथकड़ियाँ पहनना स्वीकार किया है। उसे बंदी होने पर भी गर्व है। क्योंकि वह एक पवित्र काम के लिए बंदी बना है। वह ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष कर रहा है इसलिए ब्रिटिश शासन ने उस पर राजद्रोह का आरोप लगाया है। भारतीय समाज में ऐसे क्रांतिकारी और देशभक्त लोगों को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। यही कारण है कि ब्रिटिश शासन द्वारा पहनाई गई हथकड़ियों को कवि द्वारा ‘ब्रिटिश राज का गहना’ कहना उचित है।

बहुविकल्पीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
कैदी और कोकिला के लेखक हैं-
(A) भारतेंदु हरिश्चंद्र
(B) मैथिलीशरण गुप्त
(C) माखनलाल चतुर्वेदी
(D) निराला जी
उत्तर-
(C) माखनलाल चतुर्वेदी

प्रश्न 2.
माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब हुआ था ?
(A) सन् 1889 में
(B) सन् 1879 में
(C) सन् 1869 में
(D) सन् 1859 में
उत्तर-
(A) सन् 1889 में

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 3.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी किस प्रदेश के रहने वाले थे ?
(A) हरियाणा
(B) उत्तर प्रदेश
(C) मध्य प्रदेश
(D) हिमाचल प्रदेश
उत्तर-
(C) मध्य प्रदेश

प्रश्न 4.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी ने सबसे पहले किस पत्रिका का संपादन आरंभ किया था ?
(A) सरस्वती का
(B) प्रभा का
(C) हंस का
(D) धर्मयुग का
उत्तर-
(B) प्रभा का

प्रश्न 5.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का उपनाम है-
(A) एक भारतीय आत्मा
(B) भारत सपूत
(C) भारतीय सैनिक
(D) महाकवि
उत्तर-
(A) एक भारतीय आत्मा

प्रश्न 6.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की रचनाओं में कौन-सा प्रमुख भाव व्यक्त हुआ है ?
(A) प्रेमभाव
(B) विरह भाव
(C) राष्ट्रीय-भाव
(D) सामाजिक भाव
उत्तर-
(C) राष्ट्रीय-भाव

प्रश्न 7.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी की काव्य रचनाएँ हैं-
(A) साहित्य देवता
(B) हिम तरंगिनी
(C) समर्पण
(D) उपर्युक्त सभी
उत्तर-
(D) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 8.
श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी का देहांत कब हुआ था ?
(A) सन् 1948 में
(B) सन् 1958 में
(C) सन् 1968 में
(D) सन् 1978 में
उत्तर-
(C) सन् 1968 में

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 9.
‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता में कवि की कौन-सी विचारधारा की अभिव्यक्ति हुई है ?
(A) क्रांतिकारी
(B) सामाजिक
(C) राजनीतिक
(D) धार्मिक
उत्तर-
(A) क्रांतिकारी

प्रश्न 10.
कवि को कौन पेट भर खाना नहीं देता ?
(A) माता-पिता
(B) अंग्रेज सरकार
(C) कवि के मित्र
(D) कवि की पत्नी
उत्तर-
(B) अंग्रेज सरकार

प्रश्न 11.
कवि को रात में कौन निराश करके चला गया ?
(A) कवि का मित्र
(B) जेलर
(C) बादल
(D) हिमकर (चाँद)
उत्तर-
(D) हिमकर (चाँद)

प्रश्न 12.
कवि कारागृह में किन लोगों के बीच रखा गया था ?
(A) चोरों और डाकुओं के
(B) साधु-संतों के
(C) पागलों के
(D) बच्चों के
उत्तर-
(A) चोरों और डाकुओं के

प्रश्न 13.
कवि पर जेल में रात-दिन कड़ा पहरा क्यों लगाया गया था ?
(A) वह चोर था
(B) वह खूनी था
(C) वह पागल था
(D) वह राजनीतिक कैदी था
उत्तर-
(D) वह राजनीतिक कैदी था ।

प्रश्न 14.
कवि ने कालिमामयी किसे कहा है ?
(A) अंधेरी रात को
(B) घटा को
(C) कोयल को
(D) सरकार को
उत्तर-
(C) कोयल को

प्रश्न 15.
‘शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है’ पंक्ति में प्रमुख विषय है-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय
(B) रात का गहन अंधकार
(C) कोयल की कालिमा
(D) अंधेरे से उत्पन्न भय
उत्तर-
(A) अंग्रेजी शासन का अन्याय

प्रश्न 16.
कवि ने कोयल की आवाज को ‘हूक’ क्यों कहा ?
(A) उसमें मधुरता है
(B) उसमें लय है
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है ।
(D) उसमें उत्साह है
उत्तर-
(C) उसमें निराशा एवं वेदना है

प्रश्न 17.
‘वेदना बोझ वाली-सी’ पंक्ति में कौन-सा प्रमुख अलंकार है ?
(A) अनुप्रास
(B) रूपक
(C) यमक
(D) उपमा
उत्तर-
(D) उपमा

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 18.
कोयल किस समय चीखी थी ?
(A) दोपहर के समय
(B) आधी रात के समय
(C) प्रातःकाल के समय
(D) संध्या के समय
उत्तर-
(B) आधी रात के समय

प्रश्न 19.
दावानल की ज्वालाओं से अभिप्राय है-
(A) बहुत भारी दुःख
(B) बहुत बड़ी जंगल की आग
(C) सागर की आग
(D) विरह की आग
उत्तर-
(A) बहुत भारी दुःख

प्रश्न 20.
कवि ने बावली किसे कहा है ?
(A) रात्रि को
(B) कोयल को
(C) अपनी आत्मा को
(D) कविता को
उत्तर-
(B) कोयल को

प्रश्न 21.
कवि ने कौन-सा गहना पहना हुआ था ?
(A) कंगन
(B) घड़ी
(C) हथकड़ी
(D) सोने का कड़ा
उत्तर-
(C) हथकड़ी

प्रश्न 22.
कवि को कोयल की मधुरता एवं सहानुभूतिपूर्ण स्वर से कैसी प्रेरणा मिली थी ?
(A) परिवार के सदस्यों के प्रति स्नेह की प्रेरणा
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना
(C) विदेशियों से घृणा की भावना
(D) देश के प्रति स्नेह की प्रेरणा
उत्तर-
(B) विदेशी सत्ता के प्रति विद्रोह की भावना

प्रश्न 23.
‘शासन की करनी भी काली’ से क्या अभिप्राय है ?
(A) शासन की अन्याय भावना
(B) शासन की दयामय भावना
(C) शासन की दंड व्यवस्था
(D) शासन के कड़े नियम
उत्तर-
(A) शासन की अन्याय भावना

प्रश्न 24.
कवि ने कोयल के स्वर को ‘चमकीले गीत’ क्यों कहा है ?
(A) वह चमकदार है
(B) वह मधुर है
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है
(D) वह लययुक्त है
उत्तर-
(C) वह ओज एवं संघर्ष के भाव से युक्त है

प्रश्न 25.
‘नभ-भर का संचार’ का आशय है-
(A) मुक्ति
(B) विशालता
(C) ईर्ष्या
(D) प्रसन्नता
उत्तर-
(A) मुक्ति

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

प्रश्न 26.
‘मोहन’ शब्द का प्रयोग किसके लिए किया है ?
(A) श्रीकृष्ण के लिए
(B) महात्मा गाँधी के लिए
(C) कवि ने अपने लिए
(D) जवाहर लाल नेहरू के लिए
उत्तर-
(B) महात्मा गाँधी के लिए

कैदी और कोकिला अर्थग्रहण एवं सराहना संबंधी प्रश्नोत्तर

1. क्या गाती हो ?
क्यों रह-रह जाती हो?
कोकिल बोलो तो!
क्या लाती हो?
संदेशा किसका है?
कोकिल बोलो तो!
ऊँची काली दीवारों के घेरे में,
डाकू, चोरों, बटमारों के डेरे में,
जीने को देते नहीं पेट-भर खाना,
मरने भी देते नहीं, तड़प रह जाना!
जीवन पर अब दिन-रात कड़ा पहरा है,
शासन है, या तम का प्रभाव गहरा है?
हिमकर निराश कर चला रात भी काली,
इस समय कालिमामयी जगी क्यूँ आली? [पृष्ठ 107]

शब्दार्थ-घेरे में = बंधन में। बटमार = रास्ते में यात्रियों को लूटने वाला । तम = अंधकार । हिमकर = चंद्रमा। कालिमामयी = काले रंग वाली। आली = सखी।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश का संदर्भ स्पष्ट कीजिए।
(3) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(4) प्रस्तुत पद का भाव-सौंदर्य अपने शब्दों में लिखिए।
(5) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(6) अंग्रेज सरकार का स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति कैसा व्यवहार था ?
उत्तर-
(1) कवि-माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) प्रस्तुत काव्यांश श्री माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख काव्य रचना ‘कैदी और कोकिला’ में से उद्धृत है। कवि को स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण कारागार में बंद कर दिया गया था। वहाँ एकाकी और यातनामय वातावरण के कारण उसके मन में निराशा भर गई है। रात को कोयल की ध्वनि सुनकर वह जाग जाता है और अपने मन के दुःख और ब्रिटिश शासन के प्रति अपने आक्रोश को व्यक्त करता हुआ कोयल से ये शब्द कहता है।

(3) व्याख्या-कवि कोयल की ध्वनि सुनकर उससे पूछता है कि इस समय तुम रह-रहकर क्या गाती हो ? अपनी इस ध्वनि के माध्यम से तुम किसके लिए और क्या संदेश लाती हो। मुझे इसके विषय में बताओ।।

कवि अपने विषय में उसे बताता है कि मैं यहाँ कारागार की ऊँची-ऊँची काली दीवारों के घेरे में डाकुओं, चोरों तथा रास्ते में दूसरों को लूटने वाले बटमारों के बीच बंद हूँ। दूसरी ओर, अंग्रेज सरकार जीने के लिए भर पेट खाना भी नहीं देती। यहाँ ऐसी दशा बना दी गई है कि न हम मर सकते हैं और न ही भली-भाँति जी सकते हैं, बस तड़पते रहते हैं। यहाँ हमारे जीवन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया गया है। अंग्रेजी शासन का प्रभाव गहरे अंधकार के प्रभाव के समान है। कहने का भाव है कि जिस प्रकार अंधकार में कुछ नहीं सूझता; उसी प्रकार अंग्रेजी शासन में किसी के साथ सही न्याय नहीं होता। अब रात काफी बीत चुकी है। चंद्रमा भी मानो निराश होकर चला गया है और उसके जाने के पश्चात रात पूर्णतः अंधकारमयी हो गई है। इस कालिमामयी अर्थात् गहरे काले रंग वाली कोयल तू इस अंधेरी रात में क्यों जाग गई। तुझे क्या गम या चिंता है।

भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(4) प्रस्तुत पद में कवि ने जहाँ अपने मन के निराश भावों को अभिव्यक्त किया है वहीं अंग्रेज सरकार के द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ किए गए दुर्व्यवहारों एवं शोषण का यथार्थ चित्रण किया है। अंग्रेज सरकार द्वारा किए गए अन्याय एवं अत्याचारों को उजागर करना ही इस काव्यांश का मूल भाव है।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(5) (क) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ख) लक्षणा शब्द-शक्ति के प्रयोग के कारण विषय में रोचकता एवं चमत्कार का समावेश हुआ है।
(ग) चाँद का मानवीकरण किया गया है।
(घ) तत्सम शब्दों का सुंदर एवं सार्थक प्रयोग हुआ है।
(ङ) ‘रह-रह’ में पुनरुक्ति प्रकाश अलंकार है।
(च) भाषा प्रसादगुण संपन्न है।
(छ) कवितांश में लय, तुक एवं संगीत का सुंदर समन्वय है।

(6) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उन्हें भर पेट खाना भी नहीं देती थी। वे न तो जी सकते थे और न ही मर सकते थे। उन पर दिन-रात कठोर पहरा लगाया जाता था।

2. क्यों हूक पड़ी?
वेदना बोझ वाली-सी;
कोकिल बोलो तो!
क्या लूटा?
मृदुल वैभव की
रखवाली-सी,
कोकिल बोलो तो!
क्या हुई बावली?
अर्द्धरात्रि को चीखी,
कोकिल बोलो तो!
किस दावानल की
ज्वालाएँ हैं दीखीं?
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 107-108]

शब्दार्थ-हूक = बोलना। वेदना = पीड़ा। मृदुल = कोमल, मधुर। वैभव = धन-संपत्ति, सुख। बावली = पागल। दावानल = जंगल की आग। ज्वालाएँ = लपटें।

प्रश्न
(1) कवि तथा कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या लिखिए।
(3) प्रस्तुत पद्यांश का भावार्थ स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कौन किससे कह रहा है ?
(6) कवि ने अर्द्धरात्रि में कोयल के बोलने के कौन-कौन से कारणों की कल्पना की है ?
उत्तर-
(1) कवि श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कविवर माखनलाल चतुर्वेदी अर्द्धरात्रि के समय कोयल की पीड़ा भरी आवाज सुनकर उससे पूछते हैं, हे कोयल! तू इस प्रकार पीड़ा के बोझ से दबी हुई-सी आवाज में क्यों बोल उठी है ? बताओ तो सही तूने क्या किसी को लूटते हुए देखा है। तू सदा मधुर ध्वनि में बोलने के कारण मधुरता के ऐश्वर्य की रक्षक-सी लगती थी, किंतु आज ऐसी वेदनायुक्त आवाज में क्यों बोल रही हो ? हे कोयल ! क्या तुम पगला गई हो जो आधी रात के समय इस प्रकार कूकने लगी हो। क्या तुझे कहीं जंगल में लगी आग की लपटें दिखाई दी हैं जिन्हें देखकर तुम इस प्रकार कूक रही हो।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि रात्रि के समय कोयल की कूकने की ध्वनि को सुनकर आशंकित हो उठता है और उससे इस प्रकार रात को कूकने का कारण जानना चाहता है, क्योंकि कवि को कोयल की ध्वनि में मृदुलता की अपेक्षा पीड़ा अनुभव होती है।

(4) (क) प्रस्तुत पद प्रश्न शैली में रचित है। इससे जहाँ कवि के मन की जिज्ञासा का बोध होता है, वहीं काव्य-सौंदर्य में वृद्धि हुई है।
(ख) तत्सम और तद्भव शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) भाषा सरल एवं प्रवाहमयी है।
(घ) ‘बोलो तो’ शब्दों की आवृत्ति से कवि की जिज्ञासा का बोध होता है। (ङ) भाषा प्रसाद गुण संपन्न है। (5) प्रस्तुत पंक्तियाँ कवि कोयल से कह रहा है।
(6) कवि ने कोयल के अर्द्धरात्रि के समय कूकने से किसी के लुटने, कोयल के पगला जाने, जंगल में आग लगने से लपटों को देखना आदि कारणों की कल्पना की है।

3. क्या?-देख न सकती जंजीरों का गहना?
हथकड़ियाँ क्यों? यह ब्रिटिश राज का गहना,
कोल्हू का चर्रक चूँ?-जीवन की तान,
गिट्टी पर अँगुलियों ने लिखे गान!
हूँ मोट खींचता लगा पेट पर जूआ,
खाली करता हूँ ब्रिटिश अकड़ का कूँआ।
दिन में करुणा क्यों जगे, रुलानेवाली,
इसलिए रात में गज़ब ढा रही आली? [पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-गहना = आभूषण। चर्रक चूँ = कोल्हू के चलने पर निकलने वाली ध्वनि। मोट खींचना = पुर, चरसा (चमड़े का डोल जिससे कुएँ आदि से पानी निकाला जाता है।)। जूआ = बैल के कंधों पर रखी जाने वाली लकड़ी। गज़ब ढाना = जुल्म करना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत काव्यांश की व्याख्या एवं भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्यांश के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) प्रस्तुत काव्यांश के आधार पर अंग्रेज सरकार द्वारा भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों का उल्लेख कीजिए।
(6) दिन में करुणा……ढा रही आली ?-पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी।
कविता-कैदी और कोकिला।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि क्या वह देख नहीं सकती कि अंग्रेज सरकार ने उन्हें जंजीरों के गहने पहनाए हुए हैं। ये हथकड़ियाँ जो हमने पहनी हुई हैं यही तो ब्रिटिश राज्य के गहने हैं जो वह भारतीयों को पहनाता है। कहने का भाव है ब्रिटिश शासक भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के पैरों में बेड़ियाँ और हाथों में हथकड़ियाँ डाल देते थे। कवि पुनः कहता है कि कैदियों से कोल्हू चलवाया जाता था उससे जो चर्रक चूँ की ध्वनि निकलती है, वह मानो हमारे जीवन की तान हो। यहाँ कारागार में रहते हुए स्वतंत्रता सेनानी भी मिट्टी पर अपनी अँगुलियों से ही देश-भक्ति के गीत लिखते हैं। मैं अपने पेट पर जूआ लगाकर मोट खींचता हूँ अर्थात् कुएँ से पानी निकालता हूँ। मुझे उस समय ऐसा लगता है कि मैं कुएँ से पानी नहीं, अपितु ब्रिटिश शासन की अकड़ (अहंकार) के कुएँ को खाली कर रहा हूँ। कवि पुनः कोयल को संबोधित करता हुआ कहता है कि दिन में रुलाने वाली करुणा क्यों जगे अर्थात् दिन में हम करुणा के भाव को चेहरे पर व्यक्त नहीं करते ताकि अंग्रेज शासक यह न समझ लें कि हम टूट चुके हैं। इसलिए तू भी रात को करुणा जगाने वाली ध्वनि करके गजब ढा रही है।
भावार्थ-इन काव्य-पंक्तियों में जहाँ एक ओर कवि के मन की निराशा का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज शासन के अत्याचारों को उजागर किया गया है।

(3) कवि के कहने का भाव है कि ब्रिटिश शासन भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति क्रूरता एवं अमानवीय व्यवहार करता था। वह उन्हें कड़ी-से-कड़ी सजा देता था। साधारण अपराधियों और स्वतंत्रता सेनानियों में उसे कोई अंतर महसूस नहीं होता था। कवि ने अंग्रेज शासन के दुर्व्यवहार को दर्शाकर भारतवासियों में राष्ट्रीय चेतना जगाने का सफल प्रयास किया है।

(4) (क) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में चित्रात्मक शैली में भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग एवं बलिदान की भावना को उद्घाटित किया गया है।
(ख) ‘खाली करता……का आ’ में रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(ग) संपूर्ण काव्यांश में प्रश्न अलंकार है।
(घ) भाषा सरल, सहज एवं भावानुकूल है।
(ङ) ‘गज़ब ढाना’ मुहावरे का सफल प्रयोग किया गया है।
(च) भाषा ओजस्वी है। संपूर्ण भाव ओजस्वी वाणी में उद्घाटित किए गए हैं।

(5) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने बताया है कि अंग्रेज सरकार भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों पर झूठे मुकद्दमे चलाकर उन्हें कारागार में बंद कर देती थी। उनके पैरों में जंजीरें और हाथों में हथकड़ियाँ पहना देती थी। इतना ही नहीं, उन्हें पशुवत कोल्हू और कुँओं में जोत दिया जाता था। अतः स्पष्ट है कि ब्रिटिश शासक उनके प्रति अमानवीय व्यवहार करते थे।

(6) प्रस्तुत पंक्ति में कवि का स्वाभिमान अभिव्यक्त हुआ है। स्वतंत्रता सेनानी दिन में अपने चेहरे पर करुणा के भाव नहीं आने देते थे ताकि अंग्रेज अधिकारी यह न समझ लें कि वे टूट चुके हैं। इसलिए कवि कोयल से भी यही कहता है कि तू भी दिन में न कूक कर अब रात को ही कूकती है।

4. इस शांत समय में,
अंधकार को बेध, रो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो!
चुपचाप, मधुर विद्रोह-बीज
इस भाँति बो रही क्यों हो?
कोकिल बोलो तो![पृष्ठ 108]

शब्दार्थ-विद्रोह-बीज = विद्रोह की भावना।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत कवितांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पंक्तियों के भाव-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(4) प्रस्तुत पद्यांश के काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) “मधुर विद्रोह-बीज, इस भाँति बो रही क्यों हो ?”- पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या कवि ने कोयल से पूछा है कि तुम रात के इस शांत समय में और गहन अंधकार को चीरती हुई क्यों रो रही हो ? इस विषय में कुछ तो बोलो। इस प्रकार अपनी मधुर भाषा के द्वारा तुम क्रांति के बीज बो रही हो। कहने का भाव है कि कोयल की ध्वनि में कवि को विद्रोह की भावना अनुभव हुई है। कवि भी अपनी मधुर भाषा में रचित कविता के द्वारा लोगों के मन में विद्रोह की भावना उत्पन्न करता है।
भावार्थ-कवि के कहने का भाव है कि रात के शांत वातावरण में कोयल की ध्वनि मधुर होते हुए भी विद्रोह के भाव युक्त प्रतीत होती है।

(3) रात के गहन अंधकार एवं शांत वातावरण में जब संपूर्ण संसार सोया हुआ है तब कोयल अपनी ध्वनि द्वारा एक हलचल उत्पन्न करना चाहती है। इसी प्रकार कवि अंग्रेजों के शासन में व्याप्त अंधकार अर्थात् अन्याय के प्रति जनता को सचेत करने का संदेश देना चाहता है।

(4) (क) संपूर्ण काव्यांश सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा में रचित है।
(ख) मधुर विद्रोह-बीज में विरोधाभास अलंकार है।
(ग) शब्द-चयन भावानुकूल है।
(घ) कवितांश में तुक, लय एवं संगीत का समन्वय है।

(5) प्रस्तुत पंक्ति में कवि ने बताया है कि विद्रोह की भावना केवल ओजस्वी भाषा में ही नहीं, अपितु मधुर वाणी में भी उत्पन्न की जा सकती है।

5. काली तू, रजनी भी काली,
शासन की करनी भी काली,
काली लहर कल्पना काली,
मेरी काल कोठरी काली,
टोपी काली, कमली काली,
मेरी लौह-शृंखला काली,
पहरे की हुंकृति की ब्याली,
तिस पर है गाली, ऐ आली!
इस काले संकट-सागर पर
मरने की, मदमाती!
कोकिल बोलो तो!
अपने चमकीले गीतों को
क्योंकर हो तैराती!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109]

शब्दार्थ-रजनी = रात। करनी काली = बुरे कर्म। लौह-शृंखला = लोहे की जंजीर । हुंकृति = हुँकार। व्याली = सर्पिणी। आली = सखी। मदमाती = मस्ती।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पयांश की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत पयांश का भाव-सौंदर्य स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों में निहित काव्य-सौंदर्य शिल्प-सौंदर्य पर प्रकाश डालिए।
(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को कैसी प्रतीत होती है?
(6) कवि ने किन-किन काली वस्तुओं की गणना की है?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

(2) व्याख्या प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने अंग्रेजी शासन द्वारा भारतीयों पर किए गए अन्याय एवं अत्याचारों का उल्लेख किया है। कैदी रूपी कवि कोयल से कहता है कि तू काली है और रात भी काली है। इतना ही नहीं, ब्रिटिश शासन के कर्म भी काले हैं अर्थात् उसके द्वारा किए गए सभी कार्य बुरे हैं। उसकी कल्पना भी काली है अर्थात् वे बुरा ही सोचते हैं। जिस कोठरी में मुझे बंद किया गया है, वह भी काली है। मेरी टोपी काली है। मुझे जो कंबल दिया गया है, वह भी काला है। जिन जंजीरों से मुझे बाँधा गया है, उनका रंग भी काला है। हे कोयल! उनके द्वारा बिठाए गए पहरे की हुंकार सर्पिणी की भाँति काली है। हे सखी! इतना कुछ होने पर भी वे गाली देकर बोलते हैं, किंतु इस काले संकट रूपी सागर के लहराने पर अर्थात् जीवन पर संकट मंडराते रहने पर भी हमें मरने की अर्थात् बलिदान देने की मस्ती छाई रहती है। हे कोयल! तू बता कि अपने चमकीले गीतों को इस काले वातावरण पर किस प्रकार तैराती हो। मुझे इसका भेद बता दो।
भावार्थ-कवि ने रात, कोयल और अंग्रेज शासक के कारनामों के रंग में साम्यता दर्शाते हुए ब्रिटिश शासन की काली करतूतों को उजागर किया है।

(3) प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति किए गए दुर्व्यवहार एवं अन्याय को उद्घाटित किया है। वे (स्वतंत्रता सेनानी) संकटकाल की चिंता न करके अपने जीवन का बलिदान करने की मस्ती में झूमते रहते थे। कवि ने उनकी बलिदान की भावना के माध्यम से भारतीयों में देश-प्रेम व राष्ट्रीय चेतना जगाने का प्रयास किया है।

(4) (क) संपूर्ण कवितांश में सरल, सहज एवं प्रवाहमयी भाषा का प्रयोग किया गया है।
(ख) ‘काली’ शब्द की आवृत्ति के द्वारा अंग्रेजों के काले कारनामों एवं अत्याचारों को प्रभावशाली ढंग से उजागर किया गया है।
(ग) “संकट-सागर’ में रूपक अलंकार है।
(घ) संबोधन शैली का प्रयोग किया गया है।
(ङ) संपूर्ण पद में ‘क’ वर्ण की आवृत्ति के कारण अनुप्रास अलंकार है।

(5) पहरेदारों की हुंकार कवि को सर्पिणी जैसी प्रतीत होती है।

(6) कवि ने काली कोयल, रात्रि काली, ब्रिटिश शासन के कार्य काले, कल्पना काली, काल कोठरी काली, टोपी काली, कंबल काला और लोहे की काली जंजीरों की गणना की है।

6. तुझे मिली हरियाली डाली,
मुझे नसीब कोठरी काली!
तेरा नभ-भर में संचार ।
मेरा दस फुट का संसार!
तेरे गीत कहावें वाह,
रोना भी है मुझे गुनाह!
देख विषमता तेरी-मेरी,
बजा रही तिस पर रणभेरी!
इस हुंकृति पर,
अपनी कृति से और कहो क्या कर दूँ?
कोकिल बोलो तो!
मोहन के व्रत पर,
प्राणों का आसव किसमें भर दूँ!
कोकिल बोलो तो! [पृष्ठ 109-110]

शब्दार्थ-डाली = टहनी, शाखा। नसीब = भाग्य। संचार = घूमना-फिरना, उड़ना। दस फुट का संसार = दस फुट की लंबी कोठरी, जिसमें कवि बंद है। कहावें वाह = प्रशंसा प्राप्त करना। गुनाह = अपराध । विषमता = अंतर। रणभेरी = युद्ध का नगाड़ा। हुंकृति = हुँकार। कृति = रचना (काव्य)। मोहन = मोहनदास कर्मचंद गाँधी। आसव = अर्क (आनंद)।

प्रश्न
(1) कवि एवं कविता का नाम लिखिए।
(2) प्रस्तुत पद की व्याख्या एवं भावार्थ लिखिए।
(3) प्रस्तुत काव्य-पंक्तियों के भाव-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(4) प्रस्तुत कवितांश में निहित काव्य-सौंदर्य/शिल्प-सौंदर्य को स्पष्ट कीजिए।
(5) कैदी और कोकिला के जीवन में क्या अंतर बताया गया है ?
(6) कवि ने मोहन के किस व्रत की ओर संकेत किया है ?
उत्तर-
(1) कवि-श्री माखनलाल चतुर्वेदी। कविता-कैदी और कोकिला।

(2) व्याख्या-प्रस्तुत पद्यांश में कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन की स्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति सहानुभूति अभिव्यक्त की है। कैदी कोयल से कहता है कि तुझे बैठने के लिए हरी-भरी टहनी मिली है और मुझे काल-कोठरी मिली हुई है अर्थात वह कारागार में बंद है। तेरे उड़ने के लिए सारा आकाश है, जबकि मेरे लिए केवल दस फुट की काल-कोठरी है अर्थात् कैदी को दस फुट की छोटी-सी कोठरी में बंद किया हुआ है। इतना ही नहीं, लोग तेरे गीतों को सुनकर वाह-वाह कर उठते हैं अर्थात् तेरे गीतों की सराहना की जाती है किंतु मेरा तो रोना भी अपराध माना जाता है अर्थात् मैं तो रो भी नहीं सकता। हे कोयल! तेरे-मेरे जीवन में कितना बड़ा अंतर है। तू इस विषमता को देखते हुए भी युद्ध का नगाड़ा बजा रही है। कवि कोयल से पुनः प्रश्न पूछता है कि इस हुँकार पर मैं अपनी रचना में क्या कर सकता हूँ अर्थात् अपनी काव्य-रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारतीय जनता में विद्रोह की भावना ही भर सकता हूँ। हे कोयल! तू ही बता कि महात्मा गाँधी (मोहनदास कर्मचंद गाँधी) के स्वतंत्रता-प्राप्ति के व्रत पर प्राणों का आनंद किस में भर दूं।
भावार्थ-कवि के कहने का तात्पर्य है कि कुछ लोगों के लिए समूचा संसार रहने के लिए है और कुछ को कैद में बंद किया गया है। यहाँ तक कि संपूर्ण भारत ही कारागार जैसा लगता है। अंग्रेजी शासन के इस अन्याय को समाप्त करने के लिए गाँधी जी ने सत्य व्रत धारण किया हुआ है। हमें उसमें सम्मिलित होकर उनका साथ देना चाहिए।

(3) प्रस्तुत कवितांश में कवि ने कैदी और कोयल के जीवन की परिस्थितियों के अंतर को स्पष्ट करते हुए कैदी के जीवन के प्रति भारतीयों के मन में सहानुभूति उत्पन्न की है। साथ ही कवि ने महात्मा गाँधी के स्वतंत्रता प्राप्ति के दृढ़ निश्चय को भी उजागर किया है।

(4) (क) तुलनात्मक शैली से विषय आकर्षक बन पड़ा है।
(ख) नसीब, गुनाह आदि उर्दू शब्दों का सार्थक प्रयोग किया गया है।
(ग) संपूर्ण पद में अनुप्रास अलंकार का प्रयोग हुआ है।
(घ) शब्द-चयन विषयानुकूल है।

(5) कवि ने कैदी और कोकिला के जीवन का अंतर स्पष्ट करते हुए बताया है कि कोयल हरी-भरी टहनी पर बैठी थी और कैदी के भाग्य में काल-कोठरी है। इसी प्रकार कोयल खुले आकाश में उड़ान भर सकती है, जबकि कैदी दस फुट लंबी कोठरी में बंद है। कोयल की ध्वनि को सुनकर लोग उसकी प्रशंसा करते हैं, जबकि कैदी अपने दुःख को भी व्यक्त नहीं कर सकता। इस प्रकार कैदी और कोयल के जीवन में अत्यधिक विषमता है।

(6) कवि ने मोहन (महात्मा गाँधी) के देश को स्वतंत्र कराने के व्रत की ओर संकेत किया है।

कैदी और कोकिला Summary in Hindi

कैदी और कोकिला कवि-परिचय

प्रश्न-
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी काव्यगत विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
अथवा
श्री माखनलाल चतुर्वेदी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
उत्तर-
1. जीवन-परिचय-श्री माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक गाँव में सन् 1889 में हुआ। उनके पिता नंदलाल चतुर्वेदी गाँव की एक पाठशाला में अध्यापक थे। उनकी माता का नाम सुंदरबाई था। मिडिल तथा नार्मल की परीक्षाएँ पास करने के उपरांत 1904 ई० में उन्होंने खंडवा के एक स्कूल में अध्यापन-कार्य प्रारंभ किया। असहयोग आंदोलन में सक्रिय भाग लेने के कारण वे कई बार जेल भी गए।

चतुर्वेदी साहित्यिक-क्षेत्र में पत्रकारिता के माध्यम से आए। उनके द्वारा संपादित पत्रों में उनकी रचनाएँ बराबर प्रकाशित होती रहीं। संपादक की हैसियत से उन्हें अपने राष्ट्रीय विचारों को प्रचारित करने तथा देश-सेवा करने का पर्याप्त अवसर मिला। उन्होंने ‘प्रभा’, ‘प्रताप’ तथा ‘कर्मवीर’ नामक तीन पत्रों का संपादन किया।

कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया? - kavi ne koyal ke vedana yukt svar ko sunakar kya anumaan lagaaya?

उनकी साहित्यिक-सेवाओं के कारण हिंदी साहित्य जगत ने उनका स्वागत भी प्रभूत मात्रा में किया। सन् 1958 में सागर विश्वविद्यालय के खंडवा में विशेष दीक्षांत समारोह का आयोजन कर उन्हें डी० लिट् की मानद उपाधि प्रदान की गई। सन् 1963 में इन्हें भारत सरकार द्वारा ‘पद्मभूषण’ एवं ‘साहित्य अकादमी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। वे अखिल भारतीय हिंदी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष भी रहे। सन् 1965 में मध्य प्रदेश शासन ने खंडवा में इनको विशेष रूप से सम्मानित किया।
चतुर्वेदी जी हिंदी भाषा के पितामह थे। उनका देहावसान 30 जनवरी, 1968 को हुआ। माखनलाल चतुर्वेदी हिंदी साहित्य संसार में ‘एक भारतीय आत्मा’ के नाम से प्रसिद्ध हैं।

2. प्रमुख रचनाएँ-चतुर्वेदी जी के काव्य संग्रह हैं-‘हिम किरीटनी’, ‘हिम तरंगिनी’, ‘माता’, ‘वेणु लो गूंजे धरा’, ‘युग चरण’, ‘समर्पण’, ‘भरण ज्वार’, ‘बीजुरी काजल आँज रही’ आदि।
इसके अतिरिक्त चतुर्वेदी जी ने नाटक, कहानी, निबंध एवं संस्मरण भी लिखे हैं। उनके भाषणों के ‘चिंतन की लाचारी’ तथा ‘आत्म दीक्षा’ नामक संग्रह भी प्रकाशित हुए हैं। उनके द्वारा रचित गद्य-काव्य ‘साहित्य-देवता’ भी एक अमर कृति है।

3. काव्यगत विशेषताएँ-श्री माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीयता की भावना सर्वाधिक रूप में मुखरित हुई है। उन्हें अपने देश एवं संस्कृति पर गर्व था। उन्हें अपने देश की स्वतंत्रता और उसके विकास के लिए बड़े-से-बड़ा बलिदान देने में भी सुख अनुभव होता था। इस दृष्टि से उनकी ‘पुष्प की अभिलाषा’ शीर्षक कविता विचारणीय है। माखनलाल चतुर्वेदी जी की आरंभिक कविताओं में भक्ति-भावना भी देखी जा सकती है। उनकी भक्ति-भावना वैष्णव प्रभाव और राष्ट्रीय भावना का मिश्रण है। कहीं-कहीं रहस्यवादी कवियों की भाँति परम सत्ता के प्रति जिज्ञासा और कौतूहल का भाव प्रकट करते हैं।

श्री माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य में प्रेमानुभूति की भावना का भी चित्रण हुआ है, किंतु वह बहुत कम है। उनके प्रेम काव्य में वैयक्तिक चेतना के साथ-साथ समर्पण की भावना भी है। प्रकृति उनके काव्य का प्रमुख विषय रही है। उन्होंने अपने काव्य में प्रकृति-सौंदर्य के अनेक चित्र अंकित किए हैं

“लाल फले हैं गुल बाँसों में मकई पर मोती के दाने
जो फट पड़े कपास जंवरिया सोना-चाँदी हम पहचाने।”

4. भाषा-शैली-चतुर्वेदी जी की काव्य-भाषा सरल, सहज एवं व्यावहारिक है। उन्होंने बोलचाल के शब्दों के साथ-साथ उर्दू-फारसी आदि के शब्दों का भी प्रयोग किया है। उनकी छंद-योजना में नवीनता है। चित्रात्मकता उनकी भाषा-शैली की प्रमुख विशेषता है। उनकी काव्य-भाषा में यदि हुँकार और ओज है तो कहीं करुणा की धारा भी प्रवाहित होती दिखाई देती है। अतः स्पष्ट है कि चतुर्वेदी जी के काव्य का कला-पक्ष अर्थात् भाषा-शैली अत्यंत समृद्ध है।

कैदी और कोकिला कविता का सार काव्य-परिचय

प्रश्न-
पाठ्यपुस्तक में संकलित ‘कैदी और कोकिला’ शीर्षक कविता का सार/काव्य-परिचय अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
‘कैदी और कोकिला’ श्री माखनलाल चतुर्वेदी की सुप्रसिद्ध कविता है। इसमें कवि ने अंग्रेजी शासकों द्वारा भारतीयों पर किए गए जुल्मों का सजीव चित्रण किया है। प्रस्तुत कविता भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के साथ अंग्रेज अधिकारियों द्वारा जेल में किए गए दुर्व्यवहारों एवं यातनाओं का मार्मिक साक्ष्य प्रस्तुत करती है। प्रस्तुत कविता के माध्यम से एक ओर भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों के द्वारा किए गए संघर्षों का वर्णन है तो दूसरी ओर अंग्रेज सरकार की शोषणपूर्ण नीतियों को उजागर किया गया है।

कवि स्वयं महान् स्वतंत्रता सेनानी है। वह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल में बंद है। वह वहाँ के एकाकी एवं यातनामय जीवन से उदास एवं निराश है। कवि रात को कोयल की ध्वनि सुनकर जाग उठता है। वह कोयल को अपने मन का दुःख, असंतोष और आक्रोश सुनाता है। वह कोयल से पूछता है कि तुम रात्रि के समय किसका और क्या संदेश लाती हो। मैं यहाँ जेल की ऊँची और काली दीवारों में डाकुओं, चोरों और लुटेरों के बीच रहता हूँ। यहाँ कैदियों को भरपेट भोजन भी नहीं दिया जाता । यहाँ अंग्रेजों का कड़ा पहरा है। अंग्रेज शासन भी गहन अंधकार की भाँति काला लगता है। तुम बताओ कि रात के समय पीडामय स्वर में क्यों बोल उठी हो ? क्या तुझे कही जंगल की भयंकर आग दिखाई दी जिसे देखकर तुम कूक उठी हो ? क्या तुम नहीं देख सकती कि यहाँ कैदियों को जंजीरों से बाँधा हुआ है। मैं दिन भर कुएँ से पानी खींचता रहता हूँ किंतु फिर भी दिन में करुणा के भाव चेहरे पर नहीं आने देता। रात को ही करुणा गजब ढाती है। तुम बताओ कि तुम रात के अंधकार को अपनी ध्वनि से बेंधकर मधुर विद्रोह के बीज क्यों बोती हो? इस समय यहाँ हर वस्तु काली है-तू काली, रात काली, अंग्रेज शासन की करनी काली, यह काली कोठरी, टोपी, कंबल, जंजीर आदि सब काली हैं। तू काले संकट-सागर पर अपने मस्ती भरे गीतों को क्यों तैराती हो। तुझे तो हरी-भरी डाली मिली है और मुझे काली कोठरी। तू आकाश में स्वतंत्रतापूर्वक घूमती है और मैं दस फुट की काल कोठरी में बंद हूँ। मेरी और तेरी विषम स्थिति में बहुत अंतर है। अतः कवि को लगता है कि कोयल भी पूरे देश को कारागार के रूप में देखने लगी है। इसीलिए वह आधी रात को कूक उठी है।

1 कवि ने कोयल के वेदना युक्त स्वर को सुनकर क्या अनुमान लगाया?

कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी ? उत्तर:- कोयल की कूक सुनकर कवि को ऐसा लगता है जैसे कोयल उसके लिए कोई संदेशा लेकर आई है, संदेशा शायद अति महत्वपूर्ण है इसलिए कोयल ने सुबह होने का भी इन्तजार नहीं किया।

कोयल की कूक सुनकर कवि की क्या प्रतिक्रिया थी कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई?

Question 2: कवि ने कोकिल के बोलने के किन कारणों की संभावना बताई? उत्तर: कवि को लगता है कि कोयल किसी का संदेश लेकर आई होगी। कवि को ये भी लगता है कि कोयल वहाँ पर विद्रोह के बीज बोने आई होगी। कवि को ये भी लगता है कि कोयल उसके साथ सहानुभूति दिखाने आई होगी।

कोयल की आवाज में किसकी अनुमति होती है?

Answer. Answer: Answer: कवि के स्मृति-पटल पर कोयल के गीतों की कुछ मधुर स्मृतियाँ अंकित हैं। कोयल हरी डाली पर बैठकर अपनी मधुर वैभवशाली आवाज़ से संपूर्ण सृष्टि को अलंकृत करती है, उसके मधुर गीतों से उसकी खुशी झलकती है, वह स्वतंत्रता पूर्वक अपना गीत गाती है परन्तु अब वह अपनी इन विशेषताओं को नष्ट करने पर तुली है।

कवि ने कोयल की आवाज कब सुनी?

कवि ने कोयल की आवाज आधी रात को सुनी। वही कोयल असमय आधी रात को क्रंदन कर रही है, इसलिए उसकी बोली दर्दभरी लग रही है। 4. कवि ने कोयल को बावली इसलिए कहा है कि वह असमय आधी रात में कूक रही है।