फसल को ‘हाथों से स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर क्या व्यक्त करना चाहता है? Show कवि ने लाखों-करोड़ों लोगों के द्वारा किए जाने वाले परिश्रम और उनकी एक निष्ठ लग्न के लिए ‘हाथो के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहा है। फसल उत्पन्न करना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। न जाने कितने दिन -रात मेहनत करके इसे उगाने का गौरव प्राप्त करते हैं। 452 Views भाव स्पष्ट
कीजिए- उस छोटे दंतुरित बच्चे का ऐसा मनोरम रूप था कि चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो पर उसे देख मन ही मन प्रसन्नता से भर उठता था। चाहें बाँस के समान हो या कांटों भरे कीकर के समान, पर उसकी सुदंरता से प्रभावित हो वह उसकी ओर देख मुस्कराने के लिए विवश हो जाता था। 332 Views बच्चे की मुसकान और एक बड़े व्यक्ति की मुसकान में क्या अंतर है? बच्चे की मुसकान में बनावटीपन नहीं होता। वह सहज और स्वाभाविक होती है लेकिन किसी बड़े व्यक्ति की मुसकान बनावटी हो सकती है। वह समय और स्थिति के अनुसार बदलती रहती है, बच्चे की मुसकान में निश्छलता रहती है पर बड़े व्यक्ति की मुसकान में हर समय स्वाभाविकता नहीं होती। 556 Views भाव स्पष्ट कीजिए- कवि को ऐसा लगा कि उस छोटे बच्चे की अपार सुंदरता तो ईश्वरीय वरदान के समान थी। वह धूल--धूसरित अंग-प्रत्यंगों वाला तो जैसे तालाब में खिले कमल के समान मोहक और मनोरम था जो उसकी झोपड़ी में आकर बस गया था। 329 Views कवि ने बच्चे की मुसकान के सौंदर्य को किन-किन बिंबों के माध्यम से व्यक्त किया है? कवि ने बच्चे की मुसकान से चाक्षुक और मानस बिंबों की सुंदर सृष्टि की है। छोटे-छोटे दाँतों से युक्त उसकी मुसकान किसी मृतक को भी पुन: जीवन देने की क्षमता रखती है। उसका धूल-धूसरित शरीर के अंग तो कमल के सुंदर फूल के समान प्रतीत होते हैं। पत्थर भी मानो उसके स्पर्श को पा कर जल के रूप को पा गए होंगे। चाहे कोई कितना भी कठोर क्यों न रहा हो, बाँस या बबूल के समान ही उसका रूप क्यों न हो पर वे सब उसे छू कर शेफालिका के फूलों के समान कोमल हो गया होगा। 381 Views बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर क्या प्रभाव पढ़ता है? बच्चे की दंतुरित मुसकान का कवि के मन पर गहरा प्रभाव पड़ा था। वह उसके सुंदर और मोहक मुख पर छाई मनोहारी मुसकान से प्रसन्नता में भर उठा था। उसे ऐसा लगा था कि वह धूल-धूसरित चेहरा किसी तालाब में खिले सुंदर कमल के फूल के समान था जो उसकी झोपड़ी में आ गया था। कवि उसे एकटक देखता ही रह गया था। उसकी मुसकान ने उसे अपनी पत्नी के प्रति कृतज्ञता प्रकट कर देने के लिए विवश-सा कर दिया था। 604 Views Solution : कवि .एक नहीं, दो नहीं. के द्वारा यह कहना चाहता है कि जिन फसलों को हम खाते हैं, उन्हे उगाने और आप तक पहुचने में असंख्य लोंगों का, हजारों खेतों का, अनगिनत नदियों का योगदान है। ये किसी एक व्यक्ति, स्थान या नदी की महिमा का फल नहीं है। फसलनागार्जुनएक के नहीं, हममें से अधिकतर लोग अपना खाना खाते हुए शायद ही कभी इस बात पर गौर करते हैं जिस फसल के कारण हमें भोजन मिलता है वह फसल कैसे उपजती है। इस कविता में कवि ने फसल में छिपे हुए गुणों और छिपी हुई ऊर्जा के बारे में बताया है। Chapter List
कवि कहता है कि फसल में एक दो नहीं बल्कि ढ़ेर सारी नदियों के पानी का जादू समाया हुआ होता है। फसल में लाखों करोड़ों हाथों के स्पर्श की गरिमा भरी हुई होती है; क्योंकि फसल को तैयार करते समय असंख्य मजदूरों के हाथ लगते हैं। फसल में हजारों खेतों की मिट्टी का गुण धर्म भरा हुआ होता है। और तो कुछ नहीं है वह जिस फसल को हम किसी अनाज या सब्जी या फल के रूप में देखते हैं, वह और कुछ नहीं बल्कि नदियों के पानी का जादू है। वह हाथों के स्पर्श की महिमा है। वह कई प्रकार की मिट्टी का गुण धर्म अपने में संजोए हुए है। वह सूरज की किरणों का रूपांतर है। आपने जीव विज्ञान के पाठ में पढ़ा होगा कि किस तरह सूरज की किरणों की ऊर्जा अपना रूप बदलकर पादपों में भोजन के रूप में जमा होती है। कवि को यह भी लगता है कि फसल में हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच भी भरा हुआ है। फसल के तैयार होने में कई शक्तियों और अवयवों का योगदान होता है। फसल के तैयार होने में मिट्टी से जरूरी पोषक मिलते हैं। फिर पानी, धूप और हवा उसके तैयार होने में अपना योगदान देती है। लेकिन उसपर से हजारों किसानों की मेहनत ही फसल को समुचित रूप से तैयार कर पाती है। अभ्यासप्रश्न 1: कवि के अनुसार फसल क्या है? उत्तर: कवि के अनुसार फसल नदियों के पानी का जादू है, हाथों के स्पर्श की महिमा है, मिट्टी का गुण धर्म है सूर्य की किरणों का तेज है और हवा की थिरकन है। प्रश्न 2: कविता में फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्वों की बात कही गई है। वे आवश्यक तत्व कौन-कौन से हैं? उत्तर: मिट्टी में उपस्थित पोषक, सूर्य की किरणें, पानी और हवा; ये सभी फसल उपजाने के लिए आवश्यक तत्व हैं। इनके साथ ही किसानों की मेहनत भी उतनी ही जरूरी है। प्रश्न 3: फसल को ‘हाथों के स्पर्श की गरिमा’ और ‘महिमा’ कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है? उत्तर: इन शब्दों द्वारा कवि किसानों की महत्ता को उजागर करना चाहता है। कोई भी देश या समाज फसल के बिना नहीं रह सकता है और बिना किसान के फसल नहीं उगते हैं। इसलिए किसानों के हाथों का जादू हम सबके जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रश्न 4: भाव स्पष्ट कीजिए: उत्तर: कवि कहता है कि फसल सूरज की किरणों का रूपांतर है। आपने जीव विज्ञान के पाठ में पढ़ा होगा कि किस तरह सूरज की किरणों की ऊर्जा अपना रूप बदलकर पादपों में भोजन के रूप में जमा होती है। कवि को यह भी लगता है कि फसल में हवा की थिरकन का सिमटा हुआ संकोच भी भरा हुआ है।
कोटि कोटि हाथों के स्पर्श की गरिमा से कवि का क्या आशय है?के द्वारा यह कहना चाहता है कि जिन फसलों को हम खाते हैं, उन्हे उगाने और आप तक पहुचने में असंख्य लोंगों का, हजारों खेतों का, अनगिनत नदियों का योगदान है। ये किसी एक व्यक्ति, स्थान या नदी की महिमा का फल नहीं है।
फसल को हाथों के स्पर्श की गरिमा और महिमा कहकर कवि क्या?फसल को 'हाथों के स्पर्श की गरिमा, और 'महिमा' कहकर कवि क्या व्यक्त करना चाहता है ? Solution : इसमें कवि कहना चाहता है कि किसानों के हाथों का प्यार भरा स्पर्श पाकर ही ये फसलें इतनी फलती-फूलती हैं। यह किसानों के श्रम की गरिमा और महिमा ही है जिसके कारण फसलें इतनी अधिक बढ़ती चली जाती हैं।
हाथों का स्पर्श क्या है?कविता- " माँ के हाथों का स्पर्श "
भूरी काली संदली मिट्टी के गुणधर्म से कवि का क्या आशय है?Solution : भूरी-काली-संदली. ये तीनों मिट्टी के प्रकार हैं । कवि का आशय है कि फसलों को उपजाने में विभिन्न प्रकार की मिट्टियों का गुण, धर्म, स्वभाव, स्वाद और प्रभाव शामिल है।
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