पाठ परिचय (Karnsya Danveerta)- यह पाठ संस्कृत के प्रथम नाटककार भास द्वारा रचित कर्णभार नामक एकांकी रूपक से संकलित है। इसमें महाभारत के प्रसिद्व पात्र कर्ण की दानवीरता दिखाई गई है। इन्द्र कर्ण से छलपूर्वक उनके रक्षक कवचकुण्डल को मांग लेते हैं और कर्ण उन्हें दे देता है। कर्ण बिहार के अंगराज्य ( मुंगेर तथा भागलपुर ) का शासक था। इसमें संदेश है कि दान
करते हुए मांगने वाले की पृष्ठीूमि जान लेनी चाहिए, अन्यथा परोपकार विनाशक भी हो जाता है।
अयं पाठः भासरचितस्य कर्णभारनामकस्य रूपकस्य भागविशेषः। Class 10th Sanskrit Chapter 12 Karnsya Danveerta कर्णस्य दानवीरता (कर्ण की दानवीरता)(ततः प्रविशति ब्राह्मणरूपेण शक्रः)
Post Views: 376 Reader Interactionsब्राह्मण के वेश में कौन प्रवेश करता है?उसने महाभारत में अपने पुत्र अर्जुन को विजय दिलाने के लिए ब्राह्मण का वेश बनाकर छल से कर्ण का कवच-कुण्डल दान में ले लिया ताकि कर्ण अर्जुन से हार जाए।
कर्ण की दानवीरता कैसे प्रकट होती है?कर्ण की दानवीरता क्यों प्रसिद्ध है ? उत्तर⇒ कर्ण महान दानवीर के रूप में प्रसिद्ध है, क्योंकि उसने अभेद्य कवच और कुंडल भी इन्द्र को दे दिया । कर्ण जानता था कि जब तक उसके पास कवच और कुंडल विद्यमान है, तब तक उसका कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता । कर्ण को यह आभास हो गया था कि कृष्ण ने इन्द्र के माध्यम से कवच और कुंडल माँगा है।
9 कर्ण सर्वप्रथम शक्र को क्या देना चाहा A हाथी B गाय C घोड़ा D सोना?सूर्यपुत्र कौन है ? 5. कर्ण किसको कवच और कुण्डल देता है ?
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