कोपेन के जलवायु वर्गीकरण का आधार क्या है? - kopen ke jalavaayu vargeekaran ka aadhaar kya hai?

कोपेन के जलवायु वर्गीकरण का आधार क्या है? - kopen ke jalavaayu vargeekaran ka aadhaar kya hai?

कोपेन जलवायु वर्गीकरण जलवायु आकलन के लिए प्रयोग किया जाने वाला सबसे अधिक प्रयोगनीय मौसम वर्गीकरण है। इसका विकास जर्मन मौसमवेत्ता व्लादिमिर कोपेन ने 1900 में किया था। इसके बाद उन्होंने ही इसमें 1918 और 1936 में बहुत से बदलाव किये थे। इस वर्गीकरण का आधार यह तथ्य है, कि स्थानीय वनस्पति ही मौसम की सर्वश्रेष्ठ अभिव्यक्ति है। अतः मौसम के क्षेत्रों की सीमाएं वनस्पति क्षेत्रों को ध्यान में रखकर की गईं हैं।

यह औसत वार्षिक एवं मासिक तापमान, वर्षा एवं वर्षाकाल को ध्यान में रखकर बनाया गया है। इन्होंने अपने वर्गीकरण में तापमान तथा वर्षा को प्रमुख आधार माना।

विवरण[संपादित करें]

कोपेन ने जलवायु को पांच समुहों A (उष्णकटिबंधीय), B (शुष्क), C (शीतोष्ण), D (महाद्वीपीय या शीतल हिम-वन), और E (ध्रुवीय) में वर्गीकृत किया था,[2] जिसमें चार तापमान के आधार पर जबकि एक वर्षण के आधार पर है।

बड़े अक्षर A, C, D, और E आद्र जलवायु को और B शुष्क जलवायु को निरुपित करता है। इन समूहों को आगे इनके तापक्रम और वर्षा के मौसमी विशेषताओं के अधार पर कई उप-प्रकारों में विभाजित किया गया है, जिन्हें अंग्रेजी के छोटे अक्षरों f, m, w, और s से इंगित किया जाता है। इसमें f शुष्क मौसम के न होने को, m मानसून जलवायु को, w शुष्क शीत ऋतु को, s शुष्क ग्रीष्म ऋतु को दर्शाता हैं। छोटे अक्षर a, b, c और d तापमान की उग्रता वाले भाग को दर्शाते है।[3]

B समूह की जलवायु को उप-विभाजित करते हुए स्तेपी (अर्द्धशुष्क) को S और मरूस्थल को W बड़े अक्षर से दर्शाया गया है। जलवायु को नीचे दिये गये सारणी में दिखाया गया है।

कोपेन जलवायु वर्गीकरण योजना प्रतीक तालिका[4][5][6]
समूह लक्षण उप-प्रकार कुट अक्षर लक्षण
A उष्णकटिबंधीय आर्द्र जलवायु सभी महिनों का औसत तापमान 18° सेल्सियस से अधिक। उष्णकटिबंधीय वर्षावन Af कोई शुष्क ऋतु नहीं।
उष्णकटिबंधीय मानसून Am मानसून, लघु शुष्क ऋतु।
उष्णकटिबंधीय आद्र और शुष्क (सवाना) Aw/As जाड़े की शुष्क ऋतु।
B शुष्क जलवायु वर्षण की तुलना में विभव वाष्पीकरण की अधिकता। उपोष्ण कटिबंधीय स्टैपी BSh निम्न अंक्षाशीय शुष्क और अर्ध शुष्क
उपोष्ण कटिबंधीय मरूस्थल BWh निम्न अंक्षाशीय शुष्क
मध्य अंक्षाशीय स्टैपी BSk मध्य अंक्षाशीय शुष्क या अर्ध शुष्क
मध्य अंक्षाशीय मरूस्थल BWk मध्य अंक्षाशीय शुष्क
C उष्ण शीतोष्ण
(मध्य अंक्षाशीय जलवायु)
सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान 3° सेल्सियस से
अधिक किन्तु 18° सेल्सियस से कम मध्य अंक्षाशीय जलवायु।
आर्द्र अर्ध-कटिबन्धीय जलवायु Cfa मध्य अंक्षाशीय शुष्क या अर्ध शुष्क
भूमध्यसागरीय जलवायु Csa शुष्क गर्म ग्रीष्म
महासागरीय जलवायु Cfb कोई शुष्क ऋतु नहीं, कोष्ण और शीतल ग्रीष्म।
D महाद्वीपीय
(शीतल हिम-वन जलवायु)
वर्ष के सर्वाधिक ठंडे महीने का औसत तापमान शुन्य से 3° सेल्सियस नीचे। आद्र महाद्वीपीय Df कोई शुष्क ऋतु नहीं, भीषण सर्दी
सुबारिक जलवायु (उप-उत्तर ध्रुवीय) Dw सर्दी शुष्क एवं भीषण
E ध्रुवीय या
शीत जलवायु
सभी महीने का औसत तापमान 10° सेल्सियस से नीचे। टुण्ड्रा ET कोई ग्रीष्म ऋतु नहीं।
हिमटोप EF सदैव हिमाच्छादित हिम

समूह A: उष्णकटिबंधीय जलवायु[संपादित करें]

समूह B: शुष्क जलवायु[संपादित करें]

समूह C: उष्ण शीतोष्ण/मध्य अंक्षाशीय जलवायु[संपादित करें]

समूह D: महाद्वीपीय/शीतल हिम-वन जलवायु[संपादित करें]

समूह E: ध्रुवीय/शीत जलवायु[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. पील, एम. सी. एवं फिनलायसन, बी. एल. एवं मैकमहोन, टी.ए. (२००७). "कोप्पेन ग्रीगर मौसम वर्गीकरण का अद्यतित विश्व मानचित्र". हाइड्रॉल. अर्थ सिस्ट. साइंटिस्ट. 11: १६३३–१६४४. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1027-5606. मूल से 10 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 16 जुलाई 2009.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link) (direct: अंतिम रिआइज़्ड पेपर Archived 2012-02-03 at the Wayback Machine)
  2. "Koppen climate classification | climatology". Encyclopedia Britannica (अंग्रेज़ी में). मूल से 4 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-08-04.
  3. Chen, Hans; Chen, Deliang. "Köppen climate classification". hanschen.org (अंग्रेज़ी में). मूल से 14 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-08-04.
  4. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; Beck नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  5. सन्दर्भ त्रुटि: <ref> का गलत प्रयोग; kottek2006 नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।
  6. Peel, M. C.; Finlayson B. L. & McMahon, T. A. (2007). "Updated world map of the Köppen–Geiger climate classification". Hydrol. Earth Syst. Sci. 11 (5): 1633–1644. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 1027-5606. डीओआइ:10.5194/hess-11-1633-2007.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • World Map of the Köppen-Geiger climate classification for the period 1951-2000
  • World climate map - after Köppen-Geiger

जलवायु आंकड़े[संपादित करें]

  • WorldClimate
  • Weather Base

कोपेन के जलवायु वर्गीकरण का आधार क्या था?

कोपेन ने जलवायु को पांच समुहों A (उष्णकटिबंधीय), B (शुष्क), C (शीतोष्ण), D (महाद्वीपीय या शीतल हिम-वन), और E (ध्रुवीय) में वर्गीकृत किया था, जिसमें चार तापमान के आधार पर जबकि एक वर्षण के आधार पर है। बड़े अक्षर A, C, D, और E आद्र जलवायु को और B शुष्क जलवायु को निरुपित करता है।

कोपेन जलवायु वर्गीकरण का कौन सी जलवायु भारत में पाई जाती है?

उपर्युक्त कारकों के आधार पर कोपेन ने भारत को 5 मुख्य जलवायु प्रदेशों में विभाजित किया है, जो निम्न है — A, B, C, D, तथा E। कोपेन ने पुनः वर्षा एवं तापमान के वितरण प्रतिरूप में मौसमी भिन्नता के आधार पर इन 5 मुख्य प्रकारों को पुनः 9 उप-प्रकारों में विभाजित किया है।

कोपेन ने भारत की जलवायु को कितने भागों में बांटा?

कोपेन के वर्गीकरण में भारत में छह प्रकार की जलवायु का निरूपण है किन्तु यहाँ यह भी ध्यातव्य है कि भू-आकृति के प्रभाव में छोटे और स्थानीय स्तर पर भी जलवायु में बहुत विविधता और विशिष्टता मिलती है। भारत की जलवायु दक्षिण में उष्णकटिबंधीय है और हिमालयी क्षेत्रों में अधिक ऊँचाई के कारण अल्पाइन (ध्रुवीय जैसी)।

कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के संबंध में क्या असत्य है?

सही उत्तर Cwg है। कोपेन के जलवायु वर्गीकरण के अनुसार, उत्तर बिहार की जलवायु को Cwg के रूप में समझाया जा सकता है। उत्तर बिहार की जलवायु गर्म और शीतोष्ण है। ग्रीष्मकाल में पर्याप्त मात्रा में वर्षा होती है जबकि सर्दियों में बहुत कम वर्षा होती है।