कबीर की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए 3000 शब्दों में

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    • January 9, 2022 at 6:53 pm

    कबीरदास के काव्य की विशेषता गुरु-भक्ति, ईश्वर के प्रति अथाह प्रेम, वैराग्य सत्संग, साधु महिमा, आत्म-बोध तथा जगत-बोध की अभिव्यक्ति है।

    उन्होंने समाज में फैले हुए सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया। कबीरदास ने अपनी कविताओं के माध्यम से हिंदू-मुस्लिम एकता तथा विभिन्न धर्मों, संप्रदायों के बीच समन्वय स्थापित किया।

    उन्होंने ऐसे धर्म की बात की जिस पर सभी धर्मों तथा सूफियों के प्रेम का प्रभाव दिखाई देता था। उन्होंने भगवान के निर्गुण स्वरूप की उपासना पर जोर दिया। उनका मानना था कि ईश्वर को मंदिर-मस्जिद में ढूँढना व्यर्थ है।

    उन्होंने मन की शुद्धि की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने अपनी कविताओं में धर्म के नाम पर किए जाने वाले आडंबरों का विरोध तथा राम-रहीम की एकता स्थापित करने का प्रयत्न किया है।

    धर्म और जाति के नाम पर होने वाले भेदभाव को उन्होंने समाज का सबसे बड़ा कलंक मानते हए इसके लिए उत्तरदायी पंडित और मौलवियों को ही ठहराया।

    उन्होंने हिंदू और मुसलमान दोनों का विरोध किया तथा दोनों को सच्चे मन से परमात्मा की भक्ति करने का उपदेश दिया।

    कबीरदास ने गुरु को भगवान के समकक्ष मानकर उसकी सच्ची वंदना करने पर जोर दिया और गुरु को सबसे पूज्य, अनुपम, ब्रह्म ज्ञान देने वाला और माया आदि विकारों को दूर करने वाला माना है।

    उनका विश्वास था कि सत्संगति में रहकर ही मनुष्य का सच्चा कल्याण हो सकता है। माया आत्मा और परमात्मा के मिलन में सबसे बड़ी बाधा है।

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    कबीर की काव्यगत की विशेषताएं क्या है?

    कबीरदास के काव्य की विशेषता गुरु-भक्ति, ईश्वर के प्रति अथाह प्रेम, वैराग्य सत्संग, साधु महिमा, आत्म-बोध तथा जगत-बोध की अभिव्यक्ति है। उन्होंने समाज में फैले हुए सभी प्रकार के भेदभाव को दूर करने का प्रयास किया।

    कबीर की काव्य कला का वर्णन करें?

    कबीरदास की साहित्यिक कृतियाँ उन्होंने स्वयं किसी काव्य की रचना नहीं की। उपदेश देते हुए उन्होंने जिन दोहों अथवा पदों का प्रयोग कर दियां, उन्हीं को उनके धर्मदास आदि शिष्यों ने संगृहीत कर लिया। बस वही कबीर का काव्य है। 'बीजक' कबीर की रचनाओं का संग्रह है जिसके सबद, शाखी और रमैनी तीन भाग हैं।

    कबीर की काव्यगत की विशेषताएं क्या है किस अर्थ में कबीर हमारे लिए आज भी प्रसांगिक है?

    काव्यधारा के प्रतिनिधि कवि कबीर की अभिव्यक्ति अपने परिवेश में स्फूर्त एवं स्वंय अनुभव का परिणाम है। संतो का अनुभव उनके आँखों देखे समाज अथवा इतिहास में से गुजरते हुए संवेदनशील मनुष्य का अनुभव है।

    कबीर दास के जीवन परिचय देते हुए उनके काव्य विशेषताओं का उल्लेख करें?

    निर्गुण को दो भागों में विभाजित किया गया- संत काव्य धारा या ज्ञानाश्रयी काव्य धारा तथा सूफी काव्य धारा या प्रेमाश्रयी काव्य धारा। इसी तरह सगुण को भी राम और कृष्ण दो काव्य धाराओं में विभाजित किया गया। संत कबीर दास निर्गुण काव्यधारा में संत काव्य धारा के प्रतिनिधि एवं प्रवर्तक कवि माने गए हैं।