कब्ज के कारण होने वाले रोग - kabj ke kaaran hone vaale rog

कब्ज के कारण होने वाले रोग - kabj ke kaaran hone vaale rog

diseases due to constipation: अस्वस्थ खान-पान, असक्रिय जीवनशैली और तनाव कब्ज के मुख्य कारण होते हैं। कब्ज एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति का पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता है। इसमें मल त्याग के दौरान काफी दिक्कतें आती हैं। पेट साफ न होने के कारण व्यक्ति पूरे दिन आलस महसूस करता है। कब्ज में मल त्याग के दौरान जोर लगाना पड़ता है, लंबे समय तक बैठे रहना (constipation symptoms) पड़ता है। इतना ही नहीं अगर समय रहते कब्ज को ठीक नहीं किया गया, तो यह कई सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का कारण भी बन सकता है। मणिपाल अस्पताल, हेब्बल की सलाहकार- आंतरिक चिकित्सा डॉक्टर पवित्रा आर (Dr Pavithra R Consultant Internal Medicine Manipal Hospital Hebbal) से विस्तार से जानें कब्ज के कारण होने वाले रोग (can constipation cause illness)-

कब्ज के कारण होने वाले रोग (diseases due to constipation)

1. बवासीर (piles)

बवासीर आजकल की एक सामान्य समस्या बन गई है। यह एक ऐसी बीमारी है, जो काफी पीड़ादायक होती है। इसमें गुदा के अंदर या बाहर मस्से बन जाते हैं। ये मस्से कभी अंदर रहते हैं, तो कभी बाहर आ जाते हैं। बवासीर दो तरह का होता है-खूनी बवासीर और बादी बवासीर। पेट साफ न होना, शौच के दौरान दर्द होना, गुदा के आस-पास सूजन, गुदा के आसपास गांठ और बार-बार मल त्याग की इच्छा होना बवासीर (piles symptoms) के लक्षणों में शामिल हैं

कब्ज के कारण होने वाले रोग - kabj ke kaaran hone vaale rog

2. एनल फिशर (anal fissure)

जब गुदा या गुदा की नलिका में कोई कट या दरार बन जाती है, तो उसे एनल फिशर कहते हैं। यह तब होता है, जब कठोर मल निकलता है। इस दौरान मल त्याग करते हुए दर्द होता है, खून निकलता है। लंबे समय तक कब्ज रहना, गुदा के आसपास खुजली-जलन, मल त्याग के दौरान गंभीर दर्द होना, लाल रंग का मल एनल फिशर के लक्षण (anal fissure symptoms) हो सकते हैं। इसके अलावा फेकल इंपेक्शन भी कब्ज के कारण हो सकता है।

3. बाउल ऑब्सट्रक्शन (bowel obstruction)

लंबे समय तक कब्ज रहना बाउल ऑब्सट्रक्शन जैसी गंभीर बीमारी को भी जन्म दे सकता है। बाउल ऑब्स्ट्रक्शन आंतों में होने वाली रुकावट है। इस स्थिति में छोटी या बड़ी आंत को खाना-पीना निकलने में मुश्किल होती है। यह एक आपातकालीन स्थिति होती है, इसमें तुरंत इलाज की जरूरत पड़ती है। पेट फूलना, मिचली, उल्टी, भूख न लगना और कब्ज बाउल ऑब्स्ट्रक्शन के मुख्य लक्षण हैं।

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4. फेकल इनकंटीनेंस (fecal incontinence)

मल असंयम या फेकल इनकंटीनेंस आंतों से संबंधी समस्या है। यह अकसर अधिक उम्र के लोगों में देखने को मिलता है। फेकल इनकंटीनेंस कब्ज, गैस और गैस के साथ भी हो सकती है। योनि से बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं को बाद में इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है। लंबे समय तक कब्ज रहने के वजह से भी फेकल इनकंटीनेंस की समस्या हो सकती है।

5. यूरिनरी रिटेंशन (urine-retention)

मूत्राशय का पूरी तरह से खाली न हो पाना, यूरिनरी रिटेंशन होता है। यह स्थिति लंबे समय तक आपको परेशान कर सकती है। इसमें वे मूत्र त्याग तो करते हैं, लेकिन मूत्राशय पूरी तरह से खाली नहीं होता है। यह बीमारी बेहद गंभीर और दर्दनाक होती है। ऐसे में इसके लक्षण (urine retention symptoms) दिखने पर तुरंत डॉक्टर से कंसल्ट करें।

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कब्ज से बचने के उपाय (how to prevent constipation naturally)

कब्ज से बचने के लिए सबसे पहले आपको अपनी जीवनशैली में सुधार करना जरूरी होता है। इसके लिए अपने खान-पान, सक्रियता और सोने-उठने पर ध्यान दें। कब्ज से बचने के उपाय-

  • कब्ज से बचने के लिए समय पर सोना और समय पर उठना बहुत जरूरी होता है।
  • शारीरिक रूप से सक्रिय होना जरूरी है। इसके लिए एक्सरसाइज, योग जरूर करें।
  • अपनी डाइट में फाइबर इनटेक बढ़ाएं। बैलेंस डाइट फॉलो करें। इसमें सभी विटामिंस, मिनरल्स को शामिल करें।
  • मैदा और जंक फूड से परहेज करें। पैकेट बंद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें।
  • लिक्विड डाइट लें। दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं।

अगर आपको भी लंबे समय से कब्ज है, तो इन उपायों को आजमा सकते हैं। साथ ही कब्ज को बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें, यह सामान्य से लेकर गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।

कब्ज से पैदा हो सकती हैं कई अन्य बीमारियां, योग और डाइट से दूर करें ये प्रॉब्लम

Author: Priyanka SinghPublish Date: Tue, 25 Jun 2019 09:24 AM (IST)Updated Date: Tue, 25 Jun 2019 09:24 AM (IST)

कब्ज के कारण होने वाले रोग - kabj ke kaaran hone vaale rog

सुबह सही तरीके से पेट साफ न होने पर पूरा दिन पेट भरा-भरा सा फील होता है। न कुछ खाने का दिल करता है और न ही करने का। तो आइए जानते हैं कब्ज दूर करने के उपायों के बारे में।

जब पाचन तंत्र ठीक से काम न करे और मल त्याग करते समय कठिनाई हो या फिर जोर लगाना पड़े तो उस स्थिति को कब्ज कहते हैं। आयुर्वेद इसे विबंध कहता है। कब्ज की स्थिति में मल सख्त, सूखा और प्राय: दुर्गंधपूर्ण होता है। इसके अलावा मलत्याग करते समय पेट में दर्द होता है।

कारण

- भोजन में पर्याप्त मात्रा में रेशों (फाइबर्स)का सेवन न करना।

- अत्यधिक चिकनाईयुक्त या वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन।

- पानी और तरल पदार्थों का अपर्याप्त मात्रा में सेवन करना।

- नियमित रूप से व्यायाम न करना।

- दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना।

- कई दिनों से रोग से ग्रस्त होना।

- कब्ज की समस्या आंत के रोग से भी उत्पन्न होती है। कब्ज का कारण कुछ भी हो, यदि आप इससे ग्रस्त हैं तो आपके शरीर और मन पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

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शारीरिक प्रभाव

कब्ज के कारण पाचन क्रिया बिगड़ जाती है। इसके अलावा सिरदर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी-मिचलाना आदि समस्याएं उत्पन्न होती हैं। इसी तरह चेहरे पर मुंहासे निकलना, काले दाग उत्पन्न होना, शौच के बाद भी ऐसा महसूस होना कि मानो पेट साफ नहीं हुआ हो। पेट में भारीपन महसूस होना और मरोड़ होना। इसके अलावा जीभ का रंग सफेद या मटमैला हो जाना, मुंह से बदबू आना, कमर दर्द होना, मुंह में बारबार छाले होना आदि भी कब्ज के सामान्य शारीरिक लक्षण हैं। शौच के समय अधिक जोर लगाने से हर्निया जैसी गंभीर बीमारी भी हो सकती है।

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मानसिक प्रभाव

कब्ज पीडि़तों में प्राय: आलस्य, नींद न आना या पर्याप्त नींद न लेना। उदासी, बेवजह चिंता होना, निराशा, किसी भी काम में मन न लगना, भूख न लगना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। आधुनिक शोध से पता चला है कि सेरोटोनिन नामक हार्मोन हमारे मन को प्रसन्न रखता है। कब्ज के कारण उसके स्राव में कमी आ आती है। परिणामस्वरूप, मन अकारण उदास रहने लगता है। यह समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो बार-बार चिंता, तनाव, अवसाद और हाई ब्लड प्रेशर जैसी परेशानियां शुरू हो जाती हैं।

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इलाज

1. संतुलित भोजन लें और उसमें रेशेदार आहार को शामिल करें। फल,सब्जियां, फलियां और कई अनाज रेशेदार आहार के अच्छे स्रोत हैं।

2. रात को सोने से पहले 10 से 12 मुनक्का खाने से कब्ज में राहत मिलती है।

3. किशमिश या अंजीर को कुछ देर तक पानी में गलाने के बाद इसका सेवन करने से भी कब्ज की शिकायत दूर हो जाती है।

4. प्रतिदिन रात में हरड़ के चूर्ण या त्रिफला को कुनकुने पानी के साथ पीना कब्ज में लाभकारी है।

5. नियमित रूप से व्यायाम और योगासन करना फायदेमंद है। 

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Edited By: Priyanka Singh

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लंबे समय तक कब्ज रहने का कारण?

- अत्यधिक चिकनाईयुक्त या वसा युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन। - पानी और तरल पदार्थों का अपर्याप्त मात्रा में सेवन करना। - नियमित रूप से व्यायाम न करना। - दर्द निवारक दवाओं का अत्यधिक सेवन करना।

कब्ज के क्या लक्षण होते हैं?

कब्ज के पहले लक्षण क्या हैं?.
एक सप्ताह में तीन बार से कम मल त्याग।.
मल त्याग करना मुश्किल या दर्दनाक।.
सूखा, सख्त और/या ढेलेदार(लम्पी) मल।.
सूजन और मतली।.
पेट दर्द या ऐंठन।.
एक बॉवेल मूवमेंट के बाद ऐसा महसूस होना की मल त्याग ठीक से नहीं हुआ।.

कब्ज होने का मुख्य कारण क्या है?

यह तब हो सकता है जब कोलन की मांसपेशियां धीरे-धीरे संक्रमित हो जाती हैं। इससे शरीर में पानी की कमी होती है और मल सूखने लगता है। जब रोगी को कब्ज होता है तो रोगी का मल बड़ी आंत तक पहुंचने से पहले ही कठोर हो जाता है और ये आंतों पर चिपक जाता है, जो कठोर होने के कारण बाहर नहीं निकल पाता है।

पेट साफ न होने से क्या क्या बीमारी होती है?

पेट में शुष्क मल का जमा होना ही कब्ज है। यदि कब्ज का शीघ्र ही उपचार नहीं किया जाये तो शरीर में अनेक विकार उत्पन्न हो जाते हैं। कब्जियत का मतलब ही प्रतिदिन पेट साफ न होने से है। एक स्वस्थ व्यक्ति को दिन में दो बार यानी सुबह और शाम को तो मल त्याग के लिये जाना ही चाहिये।