ज्यादा दस्त लगने से क्या होता है? - jyaada dast lagane se kya hota hai?

ज्यादा दस्त लगने से क्या होता है? - jyaada dast lagane se kya hota hai?

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Loose Motions in Summer: पाचन में गड़बड़ी होने पर दस्त लग सकते हैं. 

खास बातें

  • गर्मियों में दस्त लगना आम है.
  • दस्त लगने पर पतला मलत्याग होने लगता है.
  • कुछ घरेलू उपाय दस्त और पेट की गड़बड़ी से राहत देते हैं.

Home Remedies: गर्मियों में दस्त लगना बेहद आम है. इस मौसम में दस्त लगने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कुछ अत्यधिक मसालेदार खा लेना, धूप के कारण शरीर में पानी की कमी होना और खाने का ठीक तरह से ना पचना, बाहर पड़े खाने का सड़ जाना या लू (Heat Stroke) लगने के कारण तबीयत बिगड़ना आदि. इस चलते पेट में गड़बड़ी होने लगती है और मलत्याग करते समय मल ठोस आने की बजाय तरल आने लगता है. दस्त (Loose Motions) कई बार बहुत गंभीर न होकर भी परेशानी का सबब बन जाते हैं और हल्की-फुलकी असहजता भी चैन से खाना-पीना मुश्किल कर देती है. निम्न कुछ ऐसे उपाय हैं जो दस्त होने पर घर में अपनाए जा सकते हैं. 

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नींबू-पुदीने का पानी 

नींबू में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं, तो वहीं पुदीना एंटी-वायरल (Anti-Viral) और एंटी-फंगल गुणों से भरपूर होता है. इसलिए नींबू और पुदीने का पानी पीने से डाइजेस्टिव जूस का फ्लो बेहतर होता है और दस्त में राहत मिलती है. 


अदरक 

अपने औषधीय गुणों के लिए मशहूर अदरक पेट के दर्द से लेकर चक्कर आने जैसी समस्याओं का भी रामबाण इलाज है. पेट में गड़बड़ी होने पर अदरक खाने या अदरक की चाय पीने पर आराम मिलता है. 

नमक-चीनी का पानी 

दस्त होने पर शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है. शरीर में इस पानी की कमी को पूरा करने के लिए दस्त (Diarrhoea)लगने के बाद ओआरएस या नमक और चीनी का पानी थोड़े-थोड़े अंतराल पर पीते रहना चाहिए. 

अजवाइन


अजवाइन से पाचन ठीक तरह से होने लगता है और पेट फूलने (Bloating) की दिक्कत भी कम होती है. अजवाइन का सेवन करने के लिए उसे हल्का भूनकर पानी के साथ गटक लें. इससे दस्त में राहत मिलेगी और पेट का दर्द भी ठीक होगा. 

अनार 

फलों में अनार ऐसा फल है जो दस्त से राहत देता है. इसके पत्तों को खाने पर दस्त में तेजी से असर पड़ता है. 

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

आलिया भट्ट मुंबई के बांद्रा में आईं नजर


डायरिया क्या है?

डायरिया ऐसी स्थिति है जिसमें मल बहुत ही पतला, पानी जैसा होता है और रोगी को बार-बार मल-त्याग करना पड़ता है. इसमें व्यक्ति को ऐंठन हो सकती है या वह मल-त्याग पर नियंत्रण नहीं रख पाता है. सामान्य रूप में, डायरिया को 24 घंटे में 3 से अधिक बार पतला मल-त्याग करने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया जा सकता है.

डायरिया बचपन के कैंसर के दौरान होने वाला एक आम दुष्प्रभाव है. इसके विभिन्न कारण हो सकते हैं जिसमें कीमोथेरेपी, एंटीबायोटिक दवाएं और संक्रमण शामिल हैं. कुछ मामलों में, डायरिया से गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि शरीर में पानी की कमी हो जाना, कुपोषण, चयापचय असंतुलन.

डायरिया को नियंत्रित करने के तरीकों में एंटी-डायरिया दवाएं और खान-पान में बदलाव शामिल हैं. यह भी सुनिश्चित करना ज़रूरी है कि रोगी पेय पदार्थों का सेवन करते हुए और IV तरल प्राप्त करते हुए अपने शरीर में पानी की कमी को पूरा करते रहें. यदि डायरिया किसी वायरस या बैक्टीरिया के कारण हुआ है, तो उस संक्रमण का उपचार करने की आवश्यकता पड़ सकती है. यदि डायरिया कीमोथेरेपी के कारण हुआ है, तो देखभाल टीम लक्षणों में सुधार होने तक उपचार योजना को संशोधित कर सकती है.

कैंसर के दौरान डायरिया होने के कारण

  • कीमोथेरेपी
  • रेडिएशन थेरेपी
  • एंटीबायोटिक और अन्य दवाएं
  • संक्रमण
  • बोन मैरो ट्रांसप्लांट
  • सर्जरी
  • तनाव और चिंता
  • कैंसर या अन्य चिकित्सीय स्थितियों के प्रभाव

बचपन में होने वाले कैंसर में डायरिया का आकलन

डायरिया के आकलन में निम्नलिखित बातों पर ध्यान दिया जाता है:

  • मल-त्याग की आवृत्ति (एक दिन में मल-त्याग के लिए जाने की संख्या)
  • मल की दिखावट (पतला, तरल, पानी की तरह)
  • मल-त्याग की क्रिया पर नियंत्रणहीनता (मल-त्याग पर नियंत्रण न रख पाना)
  • रात के दौरान जागना या दैनिक गतिविधियों का बाधित होना

देखभाल टीम अन्य संकेतों और लक्षणों का भी आकलन करेगी जैसे:

  • बुखार
  • दर्द और ऐंठन
  • कमज़ोरी या चक्कर आना
  • मलाशय से रक्तस्राव होना या मल में रक्त आना
  • जी मिचलाना और उल्टी होना
  • वजन और हाइड्रेशन

ब्लड काउंट, इलेक्ट्रोलाइट स्तर और किडनी संबंधी क्रिया की जांच करने के लिए रक्त की प्रयोगशाला जांचें की जाती हैं.

वायरस और बैक्टीरिया का पता लगाने के लिए मल की जांच की जा सकती है. डायरिया में होने वाले संक्रमण के सामान्य स्रोत हैं रोटावायरस, एडेनोवायरस, नोरोवायरस, साल्मोनेला, कैम्पिलोबैक्टर, शिगेला और क्लोस्ट्रीडिऑइड डिफिसिल. संक्रमण से होने वाले डायरिया में भिन्न उपचार की ज़रूरत पड़ सकती है.

देखभाल टीम डायरिया के अन्य संभावित कारणों का भी आकलन कर सकती है जैसे दवाएं, खान-पान और स्थितिजन्य कारक.

ऐसा अक्सर कम ही होता है कि डायरिया के आकलन में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट के आंतरिक अंगों को देखने के लिए इमेजिंग जांचों को शामिल किया जाए.

डायरिया और कब्ज होना, कैंसर उपचार के दौरान होने वाली आम समस्याएं हैं. देखभाल टीम परिवारों से, मल कैसा दिखता है यह चार्ट का उपयोग करते हुए बतलाने के लिए कह सकती है.

डायरिया से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएं

डायरिया जीवन-घातक हो सकता है. डायरिया से होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • शरीर में पानी की कमी (निर्जलीकरण)
  • कुपोषण
  • इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
  • किडनी खराब हो जाना

कुछ मामलों में, लक्षणों में सुधार आने तक कीमोथेरेपी और अन्य कैंसर उपचारों में देरी की जा सकती है.

बचपन में होने वाले कैंसर में डायरिया होने के कारण

पोषक तत्व और पानी, पाचक नाल से आहार सामग्री के गुजरते समय अवशोषित हो जाते हैं. और अपशिष्ट सामग्री मल के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है. आंतें भोजन को तोड़ने और आगे ले जाने के लिए पाचन रस और म्यूकस स्रावित करती हैं. पाचक नाल में बैक्टीरिया भी पाए जाते हैं जो भोजन को तोड़ने में मदद करते हैं. कभी-कभी, यदि तरल अवशोषित नहीं हो पाते या रस का स्राव अधिक होता है तो मल बिल्कुल पानी जैसे हो जाते हैं. दवाएं भी आंतों में मौजूद बैक्टीरिया के संतुलन को बदल सकती हैं. आंतों की अत्यधिक गतिविधि (गतिशीलता) के कारण भी दस्त और अधिक जल्दी आ सकता है. इन एक या अधिक पाचन प्रक्रियाओं में परिवर्तन या असंतुलन से डायरिया हो सकता है.

कैंसर उपचार के दौरान डायरिया की समस्या उत्पन्न करने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • कीमोथेरेपी
  • पेट या श्रोणि पेल्विस में रेडिएशन देना
  • दवाएं जैसे एंटीबायोटिक, विरेचक या लैक्सेटिव और अम्लपित्तनाशक या एंटासिड
  • वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण
  • तनाव या चिंता
  • अन्य चिकित्सीय स्थितियां जैसे मधुमेह या प्रदाहक आन्त्र रोग
  • एंटरल (ट्यूब) फ़ीडिंग

कीमोथेरेपी-उत्प्रेरित डायरिया

डायरिया कीमोथेरेपी से होने वाला एक आम दुष्प्रभाव है. इसे कई बार कीमोथेरेपी से उत्प्रेरित डायरिया या CID कहा जाता है. कीमोथेरेपी के कारण अलग-अलग तरीके से डायरिया हो सकता है. कीमोथेरेपी से आंतों की दीवारों पर लगी श्लेषमा झिल्ली को नुकसान पहुंच सकता है. कुछ दवाओं से आंतों का तरल संतुलन भी बदल सकता है. हो सकता है कि तरल ठीक से अवशोषित न हों या हो सकता है कि अतिरिक्त तरल या म्यूकस स्रावित हो. कीमोथेरेपी से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा आ सकती है या आंतों में पाचक एंजाइमों के कार्य करने के तरीके में बदलाव आ सकता है.

कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए, अक्सर डायरिया की समस्या उत्पन्न करने वाली दवाओं में आइरिनोटेकन, डोसिटेक्सल, फ्लूरोयूरासिल, डेसाटिनिब, इमेटिनिब, पैज़ोपैनिब, सोराफेनीब और सुनिटिनिब शामिल हैं.

कौन सी कैंसर दवाएं डायरिया का कारण बनती हैं?

डायरिया के उच्च जोखिम वाली कैंसर दवाएंडायरिया के मध्यम जोखिम वाली कैंसर दवाएं
ब्यूसल्फन साइक्लोफॉस्फोमाइड
केपेसिटाबाइन डॉनोरूबिसिन
डेसाटिनिब इटॉप्साइड
डोसिटेक्सल इंटरफेरॉन
फ्लूरोयूरासिल (5-FU) मेल्फलान
इडारूबिसिन मेथोट्रिक्सेट
इमेटिनिब निवोल्यूमैब
इरिनोटेकान पैक्लिटैक्सेल
माइकोफेनेलेट टोपोटेकन
पैज़ोपैनिब विन्क्रिस्टाईन
सोराफेनीब  
सूनिटीनीब  

डायरिया, बाल-रोग कैंसर से पीड़ित रोगियों में उपयोग की जाने वाली अन्य सामान्य दवाओं का एक दुष्प्रभाव हो सकता है. यह विभिन्न कारणों से हो सकता है. कुछ दवाओं से पेट और आंतों में “अच्छे” और “बुरे” बैक्टीरिया में असंतुलन पैदा हो सकता है. अन्य दवाओं से भोजन का अपघटन या तरल अवशोषित होने या उत्पादित होने की मात्रा प्रभावित हो सकती है.

डायरिया की समस्या उत्पन्न करने वाली दवाओं में एंटीबायोटिक शामिल हो सकती हैं, जैसे एम्पीसिलिन, एमॉक्सीसिलिन, एमॉक्सीसिलिन-क्लेव्यूलनेट, सिफिक्सिम, सेफपोडोक्सिम, क्लिंडामाइसिन और इरिथ्रोमाइसिन. स्टूल सॉफ़्ट्नर, विरेचक या लैक्सेटिव, मैग्नेशियम युक्त अम्लपित्तनाशक या एंटासिड, पोटेशियम क्लोराइड और प्रोटोन पंप इनहिबिटर से भी डायरिया हो सकता है.

रेडिएशन थेरेपी और डायरिया

पेट, पीठ या पेल्विस में रेडिएशन देने से डायरिया हो सकता है. रेडिएशन तेज़ी से बढ़ने वाली कोशिकाओं में कोशिका नष्ट करने की क्रिया को सक्रिय करती है, जैसे कि आंतों के सतह पर लगी पतली परत की कोशिकाएं. इसे विकिरण आंत्रशोथ के नाम से जाना जाता है. इसके लक्षणों में मतली, उल्टी, ऐंठन, थकान और डायरिया शामिल हैं. मल पानी जैसा हो सकता है या उसमें रक्त अथवा म्यूकस हो सकता है. विकिरण आंत्रशोथ में आमतौर पर उपचार समाप्त होने के बाद 2-3 सप्ताह में सुधार होने लगता है, लेकिन इसके लक्षण 12 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रह सकते हैं. कुछ रोगियों को लंबे समय तक डायरिया हो सकता है या फिर उन्हें आगे चलकर डायरिया की समस्या हो सकती है.

रेडिएशन थेरेपी में डायरिया के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • उच्च मात्रा में खुराक या रेडिएशन उपचारों की आवृत्ति
  • अधिक उपचार वाले भाग में आंतें शामिल हैं
  • कीमोथेरेपी के साथ दी गई रेडिएशन

विकिरण-उत्प्रेरित डायरिया में लोपरामाइड और ऑक्ट्रियोटाइड जैसी दवाओं का उपयोग करना शामिल है.

डायरिया होने के अन्य कारण

  1. C. डिफिसिल इन्फ़ेक्शन (CDI)

  2. प्रत्यारोपण के बाद ग्राफ़्ट बनाम होस्ट रोग(GVHD)

  1. C क्या है. डिफ क्या है? क्लोस्ट्रीडिऑइड डिफिसिल (क्लोस्ट्रीडियम डिफिसिल, C. डिफिसिल, या C. डिफ) एक प्रकार का बैक्टीरिया है जिससे गंभीर डायरिया की समस्या हो सकती है. C. डिफ संक्रमण आमतौर पर एंटीबायोटिक दवाओं के दुष्प्रभाव के रूप में होता है. एंटीबायोटिक दवाएं आंतों में “अच्छे” और “बुरे” बैक्टीरिया के संतुलन में परिवर्तन कर सकती हैं. जब C. डिफ कई गुणा बढ़ जाते हैं, तब विषाक्त पदार्थों का स्राव होता है जो आंतों की परत को नुकसान पहुंचाते हैं. C के लक्षण. डिफ संक्रमण के लक्षणों में पतले दस्त, बुखार, मतली, भूख न लगना, पेट दर्द शामिल हैं. संक्रमण का निदान करने के लिए मल की जांचों का उपयोग किया जाता है. उपचारों में संक्रमण से संबद्धित एंटीबायोटिक दवा को रोकना और संक्रमण के उपचार के लिए वैन्कोमाइसिन या मेट्रोनिडाज़ोल जैसी एंटीबायोटिक शामिल हैं.

    आप C. डिफ संक्रमण की रोकथाम कैसे करते हैं? C. डिफ संपर्क के माध्यम से फैल सकता है. C को फैलने से रोकने के लिए, हाथों को अच्छे से धोना और सतह को साफ करना न भूलें. डिफ को फैलने से रोकने में मदद के लिए अच्छी तरह से हाथ धोना और सतही भागों को साफ़ करना सुनिश्चित करें. जिन रोगियों को लंबे समय तक अस्पताल मे रहना है, जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमज़ोर है या जो पहले से C. डिफ संक्रमण से पीड़ित हैं, उन्हें इसका सबसे अधिक खतरा होता है.

    संपर्क संबंधी सावधानियां क्या हैं? अस्पताल में भर्ती C. डिफ संक्रमण वाले रोगियों को संपर्क संबंधी सावधानियां बरतनी होंगी. सभी आगंतुकों (परिवार, देखभाल टीम के सदस्य और अतिथिगण) को कमरे में जाने से पहले और कमरे से बाहर निकलने पर अपने हाथों को धोना चाहिए और देखभाल टीम के सदस्य कमरे में रहने के दौरान गाउन और दस्ताने पहनेंगे. यह अन्य रोगियों में संक्रमण फैलने से रोकने में मदद करता है.

  2. डायरिया वह लक्षण है जो ग्राफ़्ट बनाम होस्ट रोग (GVHD) से पीड़ित रोगियों में अक्सर देखा जाता है. GVHD वह जटिल स्थिति है जो कभी-कभी आनुवंशिक रूप से भिन्न स्टेम सेल प्रत्यारोपण (हेमेटोपोएटिक कोशिका प्रत्यारोपण) के बाद पैदा होती है. प्रत्यारोपण के बाद शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल (GI) ट्रैक्ट को नुकसान पहुंचा सकती है. लक्षणों में अक्सर डायरिया और पेट दर्द की समस्याएं शामिल होती हैं. मल हरे रंग का या पानी की तरह हो सकता है और उसमें रक्त, म्यूकस या टिशू हो सकते हैं. GVHD-संबद्धित डायरिया के उपचार में बुडेसोनाइड या बेक्लोमीथासोन जैसी कोर्टिकोस्टेरॉयड दवाएं शामिल हो सकती हैं जैसे जिन्हें केवल GI ट्रैक्ट पर कार्य करने के लिए तैयार किया गया है.

बचपन में होने वाले कैंसर के दौरान डायरिया को नियंत्रित करना

डायरिया से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं विशेषकर कैंसर के दौरान. परिवारों के लिए यह ज़रूरी है कि वे बच्चे के लक्षणों को नियंत्रित करना सुनिश्चित करने के लिए देखभाल टीम के साथ मिलजुल कर कार्य करें। डायरिया के उपचार में मदद करने की रणनीतियों में एंटी-डायरिया दवाएं और खान-पान में बदलाव शामिल हैं. पानी की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन करना शामिल है. यदि डायरिया गंभीर है और रोगी मुंह के द्वारा पर्याप्त तरल पदार्थ नहीं ले सकता, तो IV तरल की आवश्यकता पड़ सकती है.

एंटी-डायरिया दवाएं

डायरिया के लिए दवाएं डायरिया की गंभीरता और आशंकित या ज्ञात कारण के आधार पर निर्धारित की जाती हैं. कैंसर से पीड़ित बच्चों में डायरिया की संभावित दवाओं में लोपरामाइड (Imodium®) और एंटीबायोटिक शामिल हैं. विशेष मामलों में, कुछ प्रकार के डायरिया के उपचार के लिए एट्रोपिन और ऑक्ट्रियोटाइड का उपयोग किया जा सकता है.

कुछ मामलों में प्रोबायोटिक लेने का सुझाव दिया जा सकता है. हालांकि, बाल-रोग कैंसर के रोगियों को प्रोबायोटिक सप्लिमेंट का उपयोग केवल डॉक्टर के निरीक्षण में करना चाहिए.

डायरिया का उपचार व्यक्तिगत रोगी की ज़रूरतों के आधार पर किया जाता है और देखभाल टीम प्रत्येक रोगी के लिए सर्वोत्तम तरीका निर्धारित करेगी.

डायरिया होने पर आपको क्या खाना चाहिए

डायरिया से निपटने में मदद के लिए, देखभाल टीम कुछ आहार परिवर्तन का सुझाव दे सकती है जिसमें खाना थोड़ी मात्रा में लेकिन बार-बार लेना, हल्की मसाले रहित नरम खाद्य पदार्थ और कैफ़ीन रहित तरल शामिल हैं. डायरिया से पीड़ित रोगियों के लिए कई बार BRAT (केले, चावल, ऐप्पल सॉस और टोस्ट) डाइट लेने का सुझाव दिया जाता है. हालांकि, इस डाइट में आवश्यक पोषक तत्व कम होते हैं, इसलिए इसका पालन केवल कुछ दिन तक ही करें या देखभाल टीम के द्वारा कहे गए अनुसार करें. अन्य खाद्य पदार्थ में जई या ओट्स, निम्न-शर्करा युक्त अनाज, क्रैकर्स, सॉस रहित पास्ता और नरम, छिले हुए फल जैसे आड़ू या नाशपाती के सेवन का सुझाव दिया जा सकता है. पकी हुई सब्जियों और मांस के पतले टुकड़ों के साथ शोरबा वाले सूप, ठोस आहार सामग्री शुरू करने और तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाने का एक अच्छा तरीका हो सकता है.

कुछ आहार सामग्रियां डायरिया की समस्या को और बढ़ा सकती हैं. इनमें मसालेदार या चिकनाई युक्त आहार सामग्री, दूध और दूध से बनी चीज़ें, कच्चे फल और सब्जियां, सूखी मेवा, कुछ फल के रस, अधिक वसा और शर्करा युक्त आहार सामग्री और कैफ़ीन शामिल हैं.

यदि डायरिया GVHD के कारण हुआ है, तो एक बहुत ही सीमित विशेष आहार योजना निर्धारित की जा सकती है.

डायरिया से निपटने में मदद के लिए निम्नलिखित पोषण संबंधी सुझाव शामिल हैं:

  • पानी की कमी को पूरा करने में मदद के लिए अत्यधिक मात्रा में तरल लें. पानी या कैफ़ीन-रहित निम्न-शर्करा वाले पेय चुनें जैसे Pedialyte® और कम शक्कर वाले स्पोर्ट्स ड्रिंक.
  • खाना थोड़ी मात्रा में, लेकिन बार-बार लें, धीरे खाएं और खाने को अच्छी तरह चबाकर खाएं.
  • ऐसी हल्की आहार सामग्री चुनें जिनसे पेट खराब न हो.
  • अल्कोहल और कैफ़ीन का सेवन न करें.
  • ऐसी आहार सामग्री की मात्रा को सीमित करें जो अत्यधिक अघुलनशील फाइबर युक्त है जैसे छिलके और बीजों के साथ साबुत फल और सब्जियां. घुलनशील फाइबर ओटमील, ऐप्पल सॉस, केलों और कुछ फाइबर सप्लीमेंट में पाया जाता है जो पतले मल को सामान्य करने में मदद कर सकते हैं.
  • पेट में गैस और ऐंठन को बढ़ाने वाली आहार सामग्रियों से परहेज करें. इनमें बीन्स, ब्रोकोली, फूलगोभी, गोभी और कार्बोनेटेड पेय पदार्थ शामिल हैं.
  • उच्च पोटेशियम युक्त आहार लें जैसे केले, आलू, खुबानी और आड़ू.

खाएं

  • केले
  • चावल
  • ऐप्पल सॉस
  • टोस्ट, सफ़ेद ब्रेड
  • ओटमील
  • चावल या गेहूं की क्रीम
  • नूडल्स
  • आलू का भरता
  • क्रैकर्स
  • प्रेट्ज़ेल (कुरकुरे नमकीन बिस्कुट)
  • बिना छिलके वाले फल
  • बिना छिलके के पकाई हुई सब्जियां
  • पके हुए अंडे
  • निम्न-शर्करा युक्त दही
  • आइस पॉप या शर्बत
  • फल के जायके वाकी जिलेटिन

परहेज करें

  • चिकनाई युक्त या तली हुई आहार सामग्री
  • मसालेदार आहार सामग्री
  • कैफ़ीन
  • दूध से बने उत्पाद (खासकर यदि लैक्टोज के प्रति असहनीयता है)
  • छिलके वाले कच्चे फल और सब्जियां
  • पॉपकॉर्न
  • मेवा और बीज
  • चोकर
  • साबुत अनाज
  • अल्कोहल

कैंसर से पीड़ित बच्चों में डायरिया: परिवारों के लिए सुझाव

  • डायरिया गंभीर हो सकता है. अपनी देखभाल टीम के साथ लक्षणों पर निगरानी रखें और उनकी चर्चा करें. पानी की कमी होने के संकेतों पर नज़र रखें जैसे कि प्यास लगना, मुंह में सूखापन, सिरदर्द, चक्कर आना, मांसपेशियों में ऐंठन, पर्याप्त मात्रा में मूत्र न होना, चिड़चिड़ापन और ऊर्जा की कमी.
  • अपने बच्चे को डायरिया और अन्य दुष्प्रभावों के होने की संभावना के लिए मानसिक तौर पर तैयार करें. ईमानदारी से और खुलकर बातचीत करें. यह विशेष रूप से बड़े बच्चों और किशोरों के लिए महत्वपूर्ण है जो शौचालय की आदतों के बारे में बात करने में शर्मिंदगी महसूस करते हैं या खुद अपनी देखभाल करना चाहते हैं.
  • धीमी आंत्र क्रिया में मदद करने के लिए आराम करने के लिए प्रोत्साहित करें. यदि आपका बच्चा चिंतित या भयभीत है, तो उसकी चिंता को दूर करने की कोशिश करें. शारीरिक गतिविधि और तनाव से आंतों की गतिशीलता बढ़ सकती है.
  • बार-बार मल आने से त्वचा में जलन हो सकती है. उस भाग को आराम से लेकिन पूरी तरह से साफ़ करना सुनिश्चित करें और उस भाग को सूखा रखें. देखभाल टीम द्वारा सुझाए गए अनुसार बैरियर क्रीम या मलहम का उपयोग करें. डायपर डर्मेटाइटिस (डायपर रैश या डायपर से होने वाला लाल चकत्ता) किसी भी आयु में हो सकता है, जिसके कारण असुविधा होती है और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. वे बड़े बच्चे और किशोरवस्था वाले बच्चे जिन्हें दर्द है, हो सकता है कि वे शौचालय जाने के बाद अच्छी तरह से सफ़ाई न कर सकें जिससे त्वचा संबंधी समस्याएं और भी बढ़ जाएंगी. कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले बच्चों के लिए, त्वचा में कोई भी घाव होने से गंभीर संक्रमण की समस्या हो सकती है. त्वचा में होने वाले परिवर्तनों पर नज़र रखें और अपने डॉक्टर से त्वचा की देखभाल के बारे में चर्चा करें.
  • बदलने के लिए अपने पास अतिरिक्त कपड़े रखें और गंदी हुई चीज़ों के लिए एक प्लास्टिक का थैला रखें. सफ़ाई के लिए डिस्पोज़ेबल दस्ताने, क्लींज़िंग वाइप्स और हैंड सैनिटाइज़र रखें. दुर्गंध को दूर करने में एक यात्रानुकूल आकार का एयर फ़्रेशनर या डिओडोराइज़र मदद कर सकता है.
  • दुर्घटनाओं या नियमित क्रिया पर नियंत्रणहीनता के समय पैड और अंडरवियर की ज़रूरत पड़ सकती है. युवा और वयस्क व्यक्ति के माप के उत्पाद उपलब्ध हैं जिनमें लाइनर्स, पुल-ऑन ब्रीफ़ और डायपर कवर शामिल हैं. अपनी देखभाल टीम से अपने अस्पताल या स्थानीय स्वास्थ्य कंपनी से उपलब्ध वस्तुओं के बारे में बात करें. उत्पाद NorthShore Care Supply जैसी कंपनियों से ऑनलाइन भी मंगवाए जा सकते हैं.
  • अपने बच्चे की स्कूल या सार्वजनिक स्थानों पर शौचालय का उपयोग करने की योजना बनाने में मदद करें. सुनिश्चित करें कि अध्यापक किसी भी समय शौचालय का उपयोग करने की अनुमति दें. जब आपके बच्चे को तुरंत शौचालय जाने की आवश्यकता हो, लेकिन हो सकता है कि उसे यह बताने में बहुत शर्मिंदगी हो रही हो, तो ऐसे में किसी कोड शब्द या संकेत का उपयोग करें.


टूगेदर
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समीक्षा की गई: मार्च 2019

बार बार दस्त आने का क्या कारण है?

दस्त लगने का सबसे मुख्य कारण संक्रमण होता है। यह संक्रमण वायरस, बैक्टीरिया, प्रोटोजुआ या फंगस के संक्रमण से हो सकता है। यह संक्रमण प्रदूषित खान-पान या गंदे हाथों से किसी खाद्य पदार्थ के खाने से मानव शरीर में फैल जाता है, जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। 2.

दस्त रोग में मृत्यु का मुख्य कारण क्या है?

एक दिन में 5 या उससे ज्यादा बार मल त्याग करने पर स्थिति चिंताजनक होती है। दस्त आमतौर पर अगर एक हफ्ते में ठीक न हो तो इसे क्रॉनिक दस्त कहा जाता है। दस्त की स्थिति देर तक बनी रहने पर आदमी बेहोश हो जाता है और समय से इलाज न होने पर मृत्यु हो सकती है।

बार बार दस्त आने पर क्या करें?

अगर आपको लगातार दस्त हो रहे हों तो एक चम्मच जीरा चबा लें. अमूमन सभी घरों में मिलने वाला ये मसाला दस्त में काफी फायदेमंद है. जीरा चबाकर पानी पी लेने से दस्त बहुत जल्दी रुक जाते हैं..
ज्यादा से ज्यादा करें पानी पिएं ... .
अदरक भी करेगा फायदा ... .
दही है फायदेमंद ... .
केला खाना भी रहेगा सही ... .
जीरा को अनदेखा नहीं कर सकते.

पतली टट्टी आने का क्या कारण है?

पेंसिल जैसी पतली पेन्सिल जैसी पतली पॉटी आने का मतलब है कि आपके रेक्टम में पॉटी कहीं रुक रही है. या किसी कारण से उसका आकर बदल रहा है. यह सूजन, अल्सर या पाइल्स की शुरुवात हो सकती है. इसे नज़रअंदाज़ न करें.