भारतदेश में आरक्षण का मुद्दा वर्षो पुराना है, आरक्षण के नाम पर हमेशा से राजनीति होती रही है, देश में आजादी से पूर्व नौकरी तथा शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की जातियों में समानता लाने हेतु आरक्षण प्रदान करना आरम्भ कर दिया गया था | वर्तमान में भी विशेष आरक्षण प्राप्त करने के लिए विभिन्न राज्यों में समय-समय पर कई आंदोलन होते रहे है,जैसे हरियाणा में जाट आंदोलन, राजस्थान में गुर्जर आंदोलन, महाराष्ट्र में मराठा आंदोलन, उत्तर प्रदेशतथा बिहार का निषाद आरक्षण आंदोलन, आंध्रा प्रदेश का कंमांदोलन तथा वर्तमान में अब गुजरान के पाटीदार (पटेल) ने आरक्षण की मांग की है | Show
वर्तमान समय में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2019 में सामान्य जाति के गरीब वर्ग (आर्थिक रूप से कमजोर) को सरकारी नौकरी तथा शिक्षा के क्षेत्र में 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान कर दिया है, इस आरक्षण का लाभ सामान्य जाति के उन लोगो को प्राप्त होगा जिनकी वार्षिक आर 8 लाख से कम होगी | यह आरक्षण विधेयक लोक सभा तथा राज्यसभा में पास किया जा चुका है | आरक्षण का अर्थ है, अपना स्थान सुरक्षित करना आज के समय में हर व्यक्ति अपने लिए प्रत्येक स्थान पर अपनी जगह सुनिश्चित करना चाहता है, चाहे वह जगह शिक्षा का क्षेत्र, अस्पताल, सरकारी नौकरी, ट्रेन की सीट, लोकसभा या राज्य सभा का चुनावही क्यों न हो, आरक्षण का इतिहास बहुत अधिक पुराना है आज इस पृष्ठ पर आपको “आरक्षण (Reservation) क्या है | प्रावधान, आरक्षण के नियम – सवर्ण, ओबीसी, एससी/एसटी“ के विषय में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराएँगे | ऑनलाइन आय | जाति | निवास | प्रमाण पत्र का सत्यापन कैसे करें
सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा संस्थानों में अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के समुदायों को सामाजिक स्तर तथा शैक्षिक रूप से पिछड़ेपन को समाप्त करने के उद्देश्य से तथा पर्याप्त प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने भारतीय कानून की सहायता से सभी सरकारी, सार्वजनिक तथा निजी शिक्षा संस्थानों के पदों तथा सीटों को आरक्षित करके पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति तथा जनजाति के लोगो को कोटा प्रणाली यानि की आरक्षण प्रणाली प्रदान की है| साथ ही भारतीय संसद में भी पिछड़े वर्ग, अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगो को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए आरक्षण नियमो विस्तारण किया गया है, यह सर्वप्रथम केवल 10 वर्षों के लिए लागू किया गया है, जो एक बार लागू होने के बाद प्रति 10 वर्ष में बढाया जाता है | आरक्षण की वर्तमान स्थिति (Current Status Of Reservation)सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण किसी को भी प्रदान नहीं किया जा सकता है,लेकिन राजस्थान की तरह कुछ राज्यों में 68 प्रतिशत आरक्षण की मांग की गयी है | विभिन्न राज्यों में आरक्षण प्रतिशत में वृद्धि के लिए नए कानून बनाये जा सकते है,महाराष्ट्र सरकार ने सरकारी नौकरियों तथा शिक्षा के क्षेत्र में मराठा समुदाय को 16 प्रतिशत तथा मुस्लिम वर्ग को 5 प्रतिशत का अतिरिक्त आरक्षण प्रदान किया गया है | इसके अतरिक्त तमिलनाडु में सर्वाधिक 69 प्रतिशत तथा मध्य प्रदेश में 50 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। भारत सरकारके द्वारा वर्तमान समय में सभी जातियों के लिए आरक्षण दिया गया है, वह इस प्रकार है:-
निवास प्रमाण पत्र के लिए आवेदन कैसे करे आरक्षण का इतिहास (History of Reservation)
आरक्षण सम्बन्धी संवैधानिक प्रावधान (Reservation related Constitutional provision)
भारतीय संविधान की प्रस्तावना क्या है आरक्षण लाभ के योग्य सामान्य जाति (Reservation Criteria for General Category)
आरक्षण लाभ के अयोग्य (unable For Reservation Benefit)इस संशोधन का लाभ उन व्यक्तियो को नहीं मिलेगा जिनके पास तय सीमा से अधिक संपत्ति होगी तथा जिनके पास सरकारी जमीन डीडीऐ तथा निगम की जमीन पर अपना मकान होगा, उन्हें भी इसका लाभ नहीं मिलेगा | आरक्षण के अन्य मानदंड (Other Criteria For Reservation)
आरक्षण के प्रकार (Types Of Reservation)जाति पर आधारित आरक्षण (Caste based Reservation)भारत सरकार के द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध सीटों में से 22.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति (दलित वर्ग) तथा अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के छात्रों के लिए आरक्षित की गयी हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत ) तथा ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27 प्रतिशत आरक्षण तथा सामान्य जाति को प्राप्त 10 प्रतिशत आरक्षण को सम्मिलित करके आरक्षण का यह प्रतिशत 59.5% तक बढ़ा दिया गया है | 10 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) में सीटें 14 प्रतिशत अनुसूचित जातियों और 8 प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए केवल 50 प्रतिशत अंक ग्रहणीय हैं। यहां तक कि संसद और सभी चुनावों में यह अनुपात लागू होता है, जहां कुछ समुदायों के लोगों के लिए चुनाव क्षेत्र निश्चित किये गये हैं। तमिलनाडु जैसे कुछ राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए 18 प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए 1 प्रतिशत है, जो स्थानीय जनसांख्यिकी पर आधारित है। आवश्यक वस्तु अधिनियम क्या है लिंग आधारित आरक्षण(Gender Based Reservation)महिलाओं को ग्राम पंचायत में आरक्षण (जिसका अर्थ है गांव की विधानसभा, जो कि स्थानीय ग्राम सरकार का एक रूप है) और नगर निगम के होने वाले चुनावों में 33 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है | बिहार जैसे राज्य में ग्राम पंचायतमें महिलाऔ को 50 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है | 9 मार्च 2010 को 186 सदस्यों के बहुमत से राज्य सभा में “महिला आरक्षण विधेयक” पारित किया गया था , इसके विपक्ष में केवल एक वोट होने के कारण अब यह विधेयक लोकसभा में जायेगा, पारित होने के बाद यह लागू कर दिया जायेगा | प्रबंधन कोटा (Management Quota)जाति-समर्थक आरक्षण के अंतर्गत प्रबंधन कोटा पर सर्वाधिक विवाद होते रहे है, प्रमुख शिक्षा विदों द्वारा भी इसकी गंभीर आलोचना की गयी है, क्योंकि जाति, नस्ल और धर्म पर ध्यान दिए बिना आर्थिक स्थिति के आधार पर यह कोटा है, जिसके पास भी पैसे हों, वह अपने लिए सीट खरीद सकता है | इसमें निजी महाविद्यालय प्रबंधन की अपनी कसौटी के आधार पर तय किये गये | विधार्थियो के लिए 15 प्रतिशत सीट आरक्षित कर सकते हैं | इस कसौटी में महाविद्यालयों की अपनी प्रवेश परीक्षा या कानूनी तौर पर 10+2 के न्यूनतम प्रतिशत शामिल होते हैं | धर्म आधारित आरक्षण (Religion based reservation)कुछ राज्यों में धर्म पर आधारित आरक्षण भी लागू किया गया है जैसे- तमिलनाडु सरकार के द्वारा मुसलमानों और ईसाइयों के लिए 3.5-3.5 प्रतिशत सीटें आवंटित की गयी हैं, जिससे ओबीसी आरक्षण 30 प्रतिशत से 23 प्रतिशत तक कर दिया गया है, क्योंकि मुसलमानों या ईसाइयों या मुसलमानों से संबंधित अन्य पिछड़े वर्ग को इससे हटा दिया गया | तमिलनाडु में ओबीसी के 30 प्रतिशत आरक्षण के अतिरिक्त अति पिछड़ी व विमुक्त जातियों को 20 प्रतिशत आरक्षण कोटा की व्यवस्था है | केंद्र सरकार ने अनेक मुसलमान समुदायों को पिछड़े मुसलमानों में सूचीबद्ध कर रखा है, इससे वे आरक्षण के हकदार होते हैं | राज्य के स्थायी निवासियों के लिए आरक्षण (Reservation For Permanent Residents of State)कुछ अपवादों को छोड़कर, राज्य सरकार के अधीन सभी नौकरियां उस राज्य में रहने वाले सभी निवासियों के लिए आरक्षित होती हैं | पीईसी (PEC) चंडीगढ़ में, पहले 80 प्रतिशत सीट चंडीगढ़ के निवासियों के लिए आरक्षित थीं और अब यह 50 प्रतिशत कर दी गयी है | पूर्वस्नातक के लिए आरक्षण (Reservation For Postgraduate )जेआईपीएमईआर (JIPMER) जैसे संस्थानों में परास्नातक सीट के लिए आरक्षण की नीति उनके लिए है, जिन्होंने जेआईपीएमईआर (JIPMER) से एमबीबीएस (MBBS)पूरा किया है | एम्स (AIMS) में इसके 120 परास्नातक सीटों में से 33 प्रतिशत सीट 40 पूर्वस्नातक छात्रों के लिए आरक्षित हुआ करती हैं (जिन विधार्थियो ने एम्स से एमबीबीएस पूरा किया उन प्रत्येक छात्रों को परास्नातक में सीट मिलना निश्चित है) | आज इस पृष्ठ पर आपको आरक्षण (Reservation) से सम्बन्धित सम्पूर्ण जानकारी उपलब्ध कराई है | अब उम्मीद है कि आपको यह जानकारी पसंद आएगी | अब इससे समबन्धित अन्य जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो कमेंट करके अपना सुझाव दे सकते है, आपकी प्रतिक्रिया का जल्द ही उत्तर देने का प्रयास किया जायेगा | अधिक जानकारी के लिए hindiraj.com पोर्टल पर विजिट करते रहे | संसद क्या है भारत में किसको कितना आरक्षण है?भारत सरकार के द्वारा वित्त पोषित उच्च शिक्षा संस्थानों में उपलब्ध सीटों में से 22.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति (दलित वर्ग) तथा अनुसूचित जनजाति (आदिवासी) के छात्रों के लिए आरक्षित की गयी हैं (अनुसूचित जातियों के लिए 15 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए 7.5 प्रतिशत ) तथा ओबीसी के लिए अतिरिक्त 27 प्रतिशत आरक्षण तथा सामान्य ...
आरक्षण से क्या फायदा होता है?आर्थिक आधार पर आरक्षण न्याय संगत है।. आरक्षण करता है जो उसे करना चाहिए, वह अनुसूचित जाति और जनजाति लोगों को दरिद्रता से बचाता है ।. भारत में आर्थिक असमानता को घटाता है ।. अनुसूचित जाति और जनजाति लोगों को वास्तव में विद्या और काम पाने में कठिनाई आती है, आरक्षण उनकी सहायता करता है, जीने में ।. भारत में ओबीसी कितने प्रतिशत है?देश के 17.24 करोड़ ग्रामीण परिवारों में से 44.4 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से हैं(फोटो सोर्स: PTI)।
भारत में आरक्षण की शुरुआत कब हुई?1908- अंग्रेजों द्वारा बहुत सारी जातियों और समुदायों के पक्ष में, प्रशासन में जिनका थोड़ा-बहुत हिस्सा था, के लिए आरक्षण शुरू किया गया। 1909 - भारत सरकार अधिनियम 1909 में आरक्षण का प्रावधान किया गया।
|