● घाघरा नदी – यह बिहार के बक्सर नामक स्थान पर गंगा में मिलती है। इसे नेपाल में करनाली कहा जाता है। यह शारदा व सरयू उपनाम से जानी जाती है। Show ● गण्डक नदी – यह बिहार के पटना नामक स्थान पर गंगा में मिलती है। इसके किनारे सोनपुर पशुमेला आयोजित होता है। ● कोसी नदी – यह कटिहार नामक स्थान पर गंगा में मिलती है। यह घोसाई नाथ की पहाड़ी, तिब्बत से निकलती है तथा यहां इसे अरूण नदी के नाम से जाना जाता है। नेपाल में यह सात धाराओं में चलती है। यह नदी बिहार का शोक कहलाती है। ● महानंदा नदी – यह बाई ओर से गंगा में मिलने वाली अंतिम नदी है। यह सिक्किम से निकलती है। ➯ इसके बाद गंगा हुगली व भागीरथी नामक दो धाराओं में विभाजित हो जाती है। इस स्थान पर फरक्का परियोजना संचालित होती है। हुगली के किनारे कोलकता स्थित है। भागीरथी आगे बांग्लादेश में चली जाती है जहां यह पदमा के नाम से जानी जाती है। ➯ गोलुण्डो के निकट जमुना नदी (ब्रह्मपुत्र) पद्मा में मिलती है। इसके बाद बांग्लादेश में ही चांदपुर के निकट पद्मा, जमुना व बराक नदियां मिलकर मेघना नामक धारा का निर्माण करती है, जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है। पदमा व हुगली के बीच का क्षेत्र सुन्दरवन डेल्टा स्थित है। ➯ यहां मेंग्रोव/अनूप वनस्पति पाई जाती है जिसका मुख्य वृक्ष सुन्दरी है। इसी वृक्ष के नाम पर इसे सुन्दरवन डेल्टा कहा जाता है। पृथ्वी का गुर्दा/किडनी मेंग्रोव वनस्पति को कहा जाता है। 2. दांई ओर से गंगा में मिलने वाली नदियां- ● यमुना नदी – यह गंगा की सबसे लम्बी सहायक नदी है। यह बंदरपुंछ, उतरकाशी के यमुनोत्री नामक स्थान से निकलती है तथा प्रयागराज में आकर गंगा में मिलती है। चम्बल, सिंधु, बैतवा व केन यमुना की सहायक नदियां है। कुरूक्षेत्र, दिल्ली, मथुरा, आगरा व इटावा इसके किनारे बसे प्रमुख शहर है। ● सोन नदी – माता टीला परियोजना इसके किनारे पर स्थित है। यह तीन राज्यों (यू.पी., बिहार व मध्य प्रदेश) की संयुक्त परियोजना है। ● दामोदर नदी – यह बंगाल का शोक कहलाती है। इसे भारत की कोयला नदी कहा जाता है। यह हुगली नदी में मिल जाती है। स्वतंत्र भारत की पहली नदी घाटी परियोजना दामोदर नदी घाटी परियोजना (1948) है। जो अमेरिका के टेनेसी नदी मॉडल पर आधारित है। इससे एडन नहर निकाली गई है। ● हुगली नदी – इसके किनारे पर कोलकता शहर तथा हल्दिया बंदरगाह (पूर्व का लन्दन) स्थित है। यह नदी लौह अयस्क क्षेत्रो को जल आपूर्ति करती है। यह गंगा की वितरिका है। जो फरक्का परियोजना (प. बंगाल) से गंगा से अलग होती है। इसे विश्व की सबसे अधिक विश्वासघाती नदी कहा जाता है। ● मयूराक्षी नदी – यह पश्चिम बंगाल में बहने वाली हुगली की दुसरी सहायक नदी है। इस पर कनाडा बांध बनाया गया है। ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र➯ इसका बेसिन चार देशो (चीन, भारत, भूटान व बांग्लादेश) में विस्तृत है। अपवाह क्षेत्र में यह भारत की सबसे बड़ी नदी है। गंगा के साथ संयुक्त रूप से यह मेघना कहलाती हैं। इसका उद्गम मानसरोवर झील के निकट जिमा यॉन्गजॉन्ग ग्लेशियर/चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से होता है। इसे यार लांग सांग्पो भी कहा जाता है। तिब्बत में यह सांग्पो / यरलूंग जंगबो के नाम से प्रसिद्ध है। ➯ नामचा बरवा पर्वत के पास से अरूणाचल प्रदेश में यह भारत में प्रवेश करती है। अरूणाचल में इसे देहांग कहा जाता है। असम में यह नदी माजुली नदी द्वीप बनाती है, जो दूनियां का सबसे बड़ा नदी द्वीप है। माजुली जिला भारत का पहला नदी जिला है। अरूणाचल में इसमें देबांग व लोहित नदी मिलती है, इसके बाद ही यह ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। ➯ असम मे यह ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है। सादिया व धुबरी/थुबरी के मध्य यह नदी ब्रह्मपुत्र के मैदान का निर्माण करती है। सादिया से धुबरी/थुबरी के मध्य राष्ट्रीय जलमार्ग – 2 स्थित है। धुबरी शहर के बाद गारो पहाड़ी से मुड़कर यह नदी बांग्लादेश में प्रवेश करती है, जहां इसमे तीस्ता नदी आकर मिलती है। ➯ सुबनसिरी (ब्रह्मपुत्र की सबसे बड़ी सहायक नदी), जिया भरेली, धनसिरी (काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से गुजरती है), पुथीमारी, संकोश (भूटान मे इस पर भारत की सहायता से सबसे बड़ी जल विद्युत परियोजना संचालित) पगलादिया, कपिली और मानस (भूटान की सबसे बड़ी नदी प्रणाली, असम में मानस अभ्यारण्य) इसकी अन्य सहायक नदिया है। ● तीस्ता नदी :- इसका उद्गम सिक्किम की चोलामू झील से होता है, जो भारत की सबसे उंचाई पर स्थित झील है। इसकी सहायक नदी रंगीत है। ● बराक नदी :- इसका उद्गम मणिपुर की पहाड़ीयों से होता है तथा यह बांग्लादेश में भैरव बाजार के निकट पद्मा व जमुना में मिल जाती है। प्रायद्वीपीय नदी तंत्र➯ प्रायद्वीप की नदियां हिमालय की तुलना में अधिक पुरानी है तथा अपनी प्रौढावस्था को प्राप्त कर चुकी है अर्थात आधार तल को प्राप्त कर चुकी है जिससे उनकी ढाल प्रवणता अत्यंत मंद है। इनके मार्ग लगभग निश्चित है। यहां की मुख्य नदियां दो भागो में विभक्त है 1. बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियां 2. अरब सागर में गिरने वाली नदियां बंगाल की खाड़ी नदी तंत्र➯ इसमे उतर से दक्षिण में बहने वाली नदियों का क्रम:- स्वर्णरेखा – वैतरणी – ब्राह्मणी – महानदी – गोदावरी – कृष्णा – पेन्नार – पलार – कावेरी – बैंगाई – ताम्रपर्णी प्रमुख नदियां – ● स्वर्णरेखा नदी – इसका उद्गम छोटा नागपुर के पठार से होता है। इसके किनारे पर जमशेदपुर शहर बसा हुआ है। इसे भारत का पिट्सबर्ग, इस्पात नगरी/स्टील सिटी कहा जाता है। स्वर्णरेखा व दामोदर को संयुक्त रूप से जैविक मरूस्थल नदी के नाम से जाना जाता है। रांची के निकट यह नदी हुण्डरू जलप्रपात का निर्माण करती है। ● वैतरणी नदी – यह उड़ीसा के क्योंझर पठार से निकलती है। ● ब्राह्मणी – यह कोयल व शंख नामक दो जलधाराओ के मिलने से बनती है। ब्राह्मणी व महानदी को उड़ीसा का शोक कहा जाता है। इसका उदगम छोटा नागपुर के पठार से होता है। ● महानदी – इसका उद्गम अमरकंटक (दण्डकारण्य) के दक्षिण में स्थित सिंहावा पहाड़ी, छतीसगढ़ से होता है। उड़ीसा में इस नदी पर स्थित हीराकुण्ड बांध भारत का सबसे लम्बा बांध है। इसकी लम्बाई 4.8 किमी/4800 मीटर है। यह नदी बंगाल की खाड़ी में गिरने से पहले उड़ीसा में उत्कल का मैदान बनाती है। उत्कल का मैदान उतरी सरकार तट का सबसे बड़ा तट है। कटक के पास यह अपना डेल्टा बनाती है। कटक में भारतीय चावल अनुसंधान केन्द्र स्थित है। ➯ टिकरापार व नराज इस नदी पर संचालित अन्य प्रमुख बहुउद्देशीय परियोजनाएं है। ➯ जोंक, तेल, शिवनाथ, हंसदो, मंड आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां है। ● गोदावरी – इसका उद्गम नासिक जिले में त्रयंबक की पहाड़ी, महाराष्ट्र से होता है। इसकी कुल लम्बाई 1465 किमी है। यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है। इसे दक्षिण की गंगा/बुढी गंगा/वृद्ध गंगा उपनाम से जाना जाता है। यह तेलंगाना के पठार को दो भागो में बांट देती है। आन्ध्र प्रदेश में रामगुण्डम परियोजना व पोचमपाद परियोजना इस नदी पर स्थित है। राजमुंद्री, आन्ध्रप्रदेश में यह अपाना डेल्टा बनाती है, जहां भारत का तम्बाकु अनुसंधान केन्द्र है। ➯ मंजरा, दुधना, पूर्णा, प्राणहिता, पेनगंगा, इंद्रावती आदि इसकी सहायक नदियां है। मंजरा/मंजिरा इसकी दाईं ओर से मिलने वाली एकमात्र नदी है। पेनगंगा इसकी सबसे लम्बी सहायक नदी है। ● कृष्णा – इसका उद्गम महाबलेश्वर पहाड़ी, महाराष्ट्र से होता है। इसकी कुल 1400 लम्बाई किमी है, जो दक्षिण भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है। इस नदी पर अलमाटी परियोजना (कर्नाटक), नागार्जुन सागर परियोजना व श्री सेलम परियोजना (आन्ध्र प्रदेश) में स्थित है। विजयवाड़ा, आन्ध्रप्रदेश में यह अपना डेल्टा बनाती है। ➯ भीमा, कोयना, मुसी, घाटप्रभा, पंचगंगा, दुधगंगा, मालप्रभा व तुंगभद्रा इसकी सहायक नदियां है। मुसी के किनारे तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद स्थित है। कोयना नदी पर ओरंगाबाद स्थित है जंहा पर अंजता व ऐलोरा की गुफाएं है। तुंगभद्रा इसकी सबसे लम्बी सहायक नदी है। ● कावेरी – इसका उद्गम ब्रह्मगिरी की पहाड़ी, कुर्ग जिला, कर्नाटक से होता है। इसकी कुल लम्बाई 825किमी है। इसे दक्षिणी गंगा व दक्षिण भारत की गंगा कहा जाता है। यह भारत की एकमात्र ऐसी नदी है जो दोनो मानसुनो से वर्षा जल प्राप्त करती है। तमिलनाडू इस नदी पर शिवसमुद्रम परियोजना व मैटूर परियोजना संचालित की जा रही है। ➯ इन परियोजनाओ के कारण केरल व तमिलनाडू के मध्य जल के बंटवारे के लिए विवाद बना हुआ है। शिवसमुद्रम जलप्रपात भी तमिलनाडु में है। भारत की प्राचीनतम नदी घाटी परियोजना शिवसमुद्रम है, जो 1902 में बनाई गई। कावेरी कोलार व गोलकुण्डा नामक हीरो की खानो के कारण हीरा नदी कहलाती है। ● पेन्नार – इन दोनो नदियों का उद्गम नंदीगढ / नंदीदूर्ग की पहाड़ीयां, कोलार जिला, कर्नाटक से होता है। इसका अपवाह क्षेत्र कृष्णा व कावेरी के मध्य स्थित है। जयमंगली, कुन्देरू, सागीलेरू, चित्रावती आदि इसकी सहायक नदियां है। ● पलार- इसका उद्गम कर्नाटक राज्य के कोलार जिले से होता है। यह आन्ध्र प्रदेश के चितूर तथा तमिलनाडु के अर्काट जिले से प्रवाहित होती हुई बंगाल की खाड़ी में गिर जाती है। ● बैंगाई – इसका उद्गम वरशानंद की पहाड़ी, पुरूषपुर, तमिलनाडू से होता है। यह अपना जल पाक स्ट्रेट में गिराती है। इसके किनारे मदुरै शहर है, जिसे मंदिरो व त्यौहारो की नगरी कहा जाता है। यहां मीनाक्षी मंदिर स्थित है। यह रामेश्वरम में अपना डेल्टा बनाती है। ● ताम्रपर्णी – इसका उदगम अगस्त्यमलाई पहाड़ी, तमिलनाडु से होता है तथा इस पर तमिलनाडु में पापनाशम परियोजना संचालित की जा रही है। यह अपना जल मन्नार की खाड़ी में गिराती है। सेतुसमुन्द्रम परियोजना पाक जलसंधि को जोड़ती है। अरब सागरीय नदी तंत्र➯ इसमे उतर से दक्षिण में बहने वाली नदियों का क्रम :– भादर – शतरंजी – नर्मदा – ताप्ती – काली – माण्डवी – जुआरी – शरावती – पेरियार – भरतपुंझा प्रमुख नदियां – ● भादर – यह प्रायद्वीपीय भारत की अरब सागर में गिरने वाली पहली नदी है। इसका उद्गम जसदान गुजरात से होता है। ● शतरंजी – यह गिर की पहाड़ी, धार जिला गुजरात से निकलती है। ● नर्मदा – इसका उदगम अमरकंटक की पहाड़ी के नर्मदा कुण्ड से होता है। इसे मध्य प्रदेश की जीवन रेखा कहा जाता है। इसके बाद यह सतपुड़ा व विंध्यांचल पर्वत के बीच यह भ्रंश घाटी के मध्य चलती है। इसके बाद यह पूर्व से पश्चिम की ओर प्रवाहित होती है। मध्यप्रदेश में जबलपुर के समीप यह कपिलधारा व कन्दरा/धुआंधर नामक जलप्रपात का निर्माण करती है। ➯ गुजरात में इस पर स्थित सरदार सरोवर परियोजना के तहत इसमें से एक नहर (नर्मदा नहर) निकाली गई है। इस नहर से सिंचाई हेतु इजराइली/टपकन/बुंद बुंद/फव्वारा पद्धति का प्रावधान है। इसके किनारे पर ही स्टेच्यु ऑफ यूनीटी निर्मित है। यह अरब सागर में गिरने वाली प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है। ओरिसन, दुधी, शक्कर, हिरन, बरना आदि इसकी सहायक नदियां है। ● ताप्ती – इसका उदगम मध्यप्रदेश में बैतुल जिले के मुल्ताई से होता है। यह सतपुड़ा व अजंता की पहाड़ीयो के मध्य भ्रंश घाटी में बहती है। महाराष्ट्र का एक प्रमुख शहर सुरत इसके किनारे स्थित है। इस नदी पर काकरापार व उकाई परियोजना संचालित की जा रही है। पूर्णा इसकी प्रमुख सहायक नदी है। ● काली – यह कनार्टक में डिग्गी नामक स्थान से निकलती है। ● माण्डवी – इसका उद्गम कर्नाटक से होता है। इसे गोआ की जीवन रेखा कहा जाता है। पणजी शहर माण्डवी के किनारे स्थित है। इस पर दुधसागर व वज्रपोहा जलप्रपात स्थित है। ● जुआरी नदी – इसका उद्गम हेमद बार्शम से होता है। यह गोआ की सबसे लम्बी नदी है। इस नदी के मुहाने मार्मागांव बंदरगाह स्थित है। ● शरावती – इसका उदगम शिमोगा, कर्नाटक से होता है। कर्नाटक में इस नदी पर भारत का सबसे बड़ा जलप्रपात जोग गरसप्पा/महात्मा गांधी जलप्रपात स्थित है। नोट – भारत का सबसे उंचा झरना कुचीकल (वराह नदी) पर स्थित है। जो 455 मी. उंचा है। ● पेरियार – इसका उदगम अन्नामलाई की पहाड़ियों से होता है। यह केरल की जीवन रेखा कहलाती है। इस पर इडुक्की परियोजना संचालित है। यह केरल की सबसे लम्बी नदी है। ● भरतपुझा – इसका उदगम अन्नामलाई की पहाड़ियों से होता है। यह केरल की दूसरी सबसे लम्बी नदी है। अन्य नदियां – ●लूणी – यह अरावली की नाग पहाड़ी से निकलती है। बालोतरा नामक स्थान पर यह खारी हो जाती है। यह राजस्थान के बाद गुजरात में कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। सरस्वती, जवाई, सूखड़ी, लीलड़ी, मीठड़ी आदि इसकी प्रमुख सहायक नदियां है। सरस्वती नदी का उद्गम पुष्कर झील से होता है। ● साबरमती – यह राजस्थान में अरावली की जयसमंद/ ढेबर झील (उदयपुर) से निकलती है। इसके किनारे पर अहमदाबाद, गांधीनगर व गांधी आश्रम स्थित है। यह अपना जल खम्भात की खाड़ी में अपना जल गिराती है। नोट :- खम्भात की खाड़ी में गिरने वाली नदियां (समानता) साबरमती, माही, नर्मदा व ताप्ती है। ● माही – इसका उद्गम मध्य प्रदेश के धार जिला के मिण्डा ग्राम की मेहद झील से होता है। यह कर्क रेखा को दो बार काटती है। सोम व जाखम इसकी प्रमुख सहायक नदियां है। नोट :- भूमध्य रेखा को कांगो नदी तथा मकर रेखा को लिम्पोपो नदी दो बार काटती है। अपवाह तंत्र कितने प्रकार के होते हैं?भारत के प्रमुख अपवाह तंत्र. सिन्धु अपवाह तन्त्र. गंगा अपवाह तन्त्र. ब्रह्मपुत्र अपवाह तन्त्र. सहायक नदियाँ. पूर्वीवर्ती अपवाह. क्रमहीन अपवाह. खण्डित अपवाह. मालाकार अपवाह. भारत के अपवाह तंत्र को कितने भागों में बांटा गया?ऐसा माना जाता है कि कालांतर में इंडो- ब्रह्म नदी तीन मुख्य अपवाह तंत्रों में बँट गई : (1) पश्चिम में सिंध और इसकी पाँच सहायक नदियाँ, (2) मध्य में गंगा और हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ और (3) पूर्व में बह्मपुत्र का भाग व हिमालय से निकलने वाली इसकी सहायक नदियाँ ।
भारत के अपवाह तंत्र को कितने वर्गों में विभाजित किया है प्रकार लिखकर समझाइये?अपवाहित क्षेत्र/ जलग्रहण क्षेत्र या जल संभर क्षेत्र के आधार पर अपवाह क्षेत्र को तीन भागो में विभाजित किया जाता है। प्रमुख नदी द्रोणी। मध्यम नदी द्रोणी। लघु नदी द्रोणी।
भारत के अपवाह तंत्र कौन कौन से हैं?अपवाह क्षेत्र के आधार पर भारत में नदियों का सही क्रम है-गंगा > सिंधु > ब्रह्मपुत्र > कावेरी. प्रायद्वीपीय अपवाह तंत्र हिमालयी अपवाह तंत्र से पुराना है। ... . नर्मदा,ताप्ती एवं महानदी रिफ्ट घाटी से होकर बहने वाली प्रायद्वीपीय नदी।. अपवाह क्षेत्र के घटते क्रम के अनुसार प्रायद्वीपीय नदियों का क्रम:-गोदावरी>कृष्णा>महानदी>कावेरी. |