1- वो गई भी वहां छोड़ कर मुझे, ज़रुरत थी उसकी सबसे ज्यादा जिस मोड़ पर मुझे। 2- खुद को कोसने का बहाना मैं खोज लेता हूँ, कभी उस बेवफा को बुरा कहता हूँ कभी खुद की बुरी क़िस्मत को दोष देता हूँ। 3- मेरे लिए वो कभी पूरा ना होने वाला खूबसूरत ख़्वाब थी, वो क़िस्मत वालों के लिए खुदा ने बनाई थी और मेरी क़िस्मत ही खराब रही। 4- कभी कभी मैं अपने इस हाल की वजह समझ नहीं पाता, मेरी क़िस्मत ज्यादा बुरी थी की वो समझ नहीं आता। 5- मेरी लकीरें भी कभी-कभी मुझसे चीख कर कहती है तू नहीं मैं ही गलत हूँ। 6- मुक़द्दर की लिखावट का एक ऐसा भी कायदा हो, देर से किस्मत खुलने वालो का दुगना फायदा हो। 7- मुकद्दर ही रूठा हुआ है मुझसे मैं तो वहां भी हार जाता हूँ जहाँ सब जीत जाते हैं। 8- क़िस्मत से मैं उम्मीद भी तो तब रखूँ जब वो कहीं मेरा साथ दे कर मेरी इज़्ज़त रखे। 9- क्यों करते हो मुक़द्दर पर भरोसा वो मौसम की तरह होता है कभी भी बदल सकता है। 10- कमी मेरी मोहोब्बत में कोई ना निकलना कोई पूछे की वो क्यों ना मिल सके तो कह देना मेरी क़िस्मत ही खराब थी। 11- मोहोब्बत खेल ही किस्मत का था और हम यहाँ अपनी मोहोब्बत आज़मा रहे थे। 12- इतनी दुआ इतनी मन्नते कर चूका हूँ तेरे लिए की अब समझ नहीं आ रहा की तू खुदा को मंज़ूर नहीं की क़िस्मत को। 13- क़िस्मत की लकीरें इतनी नाराज़ है मुझसे की अक्सर मुझे वही ले जाती है जहाँ मैं जाना नहीं चाहता। 14- क़ीमत हमे वो दिन दिखा रही है की दिन में हमे रोज़ तारे दिखाई देते हैं। 15- दिल मेरा आज भी अच्छा है बस क़िस्मत ही खराब है मेरी। 16- सीधे रास्तों पर भी टेढ़े मुँह गिर रहा हूँ ये खुदा की मार नहीं क़िस्मत की मार है। 17- मेरा हिस्सा भी मेरे हिस्से में नहीं आता अब इसके सिवाय और क्या ही कहूँ की किस्मत खराब है। 18- मेरे साथ रहने वाले बदल गए, मेरे हक़ में उछले हर सिक्के पलट गए अब ऐ क़िस्मत तुझसे मुझे कोई उम्मीद नहीं। 19- हाल बुरा कर दिया हर उस शख्स ने जो मुझे अच्छा लगता था समझ नहीं आता की मैं बुरा हूँ या मेरी क़िस्मत बुरी है। 20- जो मुझे पसंद नहीं करते मुझे आदत भी उसकी पड़ी है, ऐ क़िस्मत तू कितनी बुरी है। 21- मेरी क़िस्मत ने मेरे संग सब गलत किया और मेरे अपनों ने कहा सही हुआ। 22- किस्मत में नहीं था ये सोचकर जिन्दगी भर खुद को तसल्ली देने से अच्छा है कि जिंदगी भर किस्मत से लड़ा जाए। 23- ख़ुशक़िस्मत हो तुम जो हम रो रहे हैं तुम्हारे लिए बदक़िस्मत हो जाओगे जो कोई हमे हँसाने वाला मिल जाएगा। 24- मेरी किस्मत और दिल की कभी नहीं बनी क्यूंकि जो भी दिल में होता है वो मेरी क़िस्मत में कभी नहीं होता। 25- मेरी मेहनत और बुरी क़िस्मत लड़ते बहुत है पर नाजाने कैसे किस्मत हमेशा जीत कर मुझे हरा देती है। इन्हे भी पढ़े :-
किस्मत खराब शायरी1- खोना चाहता मैं तुझे किसी क़ीमत में नहीं, मगर क्या करूँ जब तू क़िस्मत में नहीं। 2- मेरी बदक़िस्मती देखो मैं उसे चाहता हूँ जिसकी चाहत सिर्फ क़िस्मत वालों की क़िस्मत में है। 3- माना मैं बदक़िस्मत हूँ जो तू मेरी क़िस्मत में नहीं मगर मैं तेरी क़िस्मत में नहीं तो तू भी कोई खुश क़िस्मत नहीं। 4- मैं तो चलता रहा ताउम्र मंज़िल की तलाश में पर कम्बख्त मेरी क़िस्मत ही नहीं चली। 5- चारा होते हुए भी बेचारा है वो, क्या करे भला क़िस्मत का मारा हूँ वो। 6- क़िस्मत का लिखा तो सभी के नाम आ जाता है मगर इतिहास वो लिखता है जो म्हणत करता है। 7- वो मेरे साथ क्या होगा भला मेरे साथ तो मेरी क़िस्मत भी नहीं। 8- क़िस्त सिक्का और वक़्त पर कभी भरोसा मत करना ये तीनों कभी भी पलट सकते हैं। 9- क़िस्मत की एक जीत से बेहतर मैं म्हणत से हारना पसंद करूंगा। 10- क़िस्मत का लिखा पढ़ने से बेहतर है की पढ़ लिया जाए और कुछ कर लिया जाए। 11- मैं सब कुछ पाकर भी बदक़िस्मत हूँ, और तुझे पाने वाला सब कुछ खोकर भी खुश क़िस्मत है। 12- क़िस्मत पर भरोसा वो करे जो क़िस्मत के भरोसे बैठा हो, हम तो कर्मठ है कुछ करामात करेंगे। 13- मेरी लकीरें मुझे उस मोड़ पर ला कर खड़ा कर देती है, जहाँ से समझ ही नहीं आता की जाना कहाँ है। 14- क़िस्मत और मेहनत में बस इतना सा फ़र्क़ है की किस्मत कभी कभी साथ देगी और मेहनत हमेशा साथ देगी। 15- अगली बार खुदा से जब क़िस्मत लखऊंगा तो सब बाद में लिखूंगा पहले उसमे तेरा नाम लिखवाउबगा। 16- जो क़िस्मत के मारे होते हैं वही वक़्त के मारे होते हैं, फिर ना ऐसो की कोई कश्ती होती है और ना ऐसों के कोई किनारे होते हैं। 17- ना जाने किस किस्म की है ये क़िस्मत मेरी, मेरा वो भी खो जाता है जो सभी को मिल जाता है। 18- मेरी क़िस्मत के हक़ में फिर भला आया ही क्या जो तुझपर हक़ जताने का हक़ मुझे नहीं मिला। 19- मेहनत का सिक्का हर दूकान में चलता है और किस्मत के सिक्के सिर्फ उन्ही दुकानों पर चलते हैं जहाँ क़िस्मत चलती है। 20- भरोसा खुद पर है और खुदा पर है, बाकी ना फिर क़िस्मत पर है ना दुआ पर है। 21- क़िस्मत का लिखा तो कुत्ते को भी मिलता है, मैं तो वो ढूंढना चाहता हूँ जो मैं पाना चाहता हूँ। 22- ये मर्ज़ तो नज़र भी नहीं आता, सच बदक़िस्मती से बड़ी कोई बीमारी नहीं। 23- क़िस्मत के भरोसे वही बैठते है जिन्हे खुद पर भरोसा नहीं होता। 24- बदक़िस्मती के दलदल से कोई भला कैसे निकले, ना कोई सहारा है ना कोई हमारा है अब तू ही बता खुदा अब कैसे निकले। 25- क़िस्मत की लकीरों के जंजाल में रह गए, हम अमीरों की बस्ती में रहते हुए भी फ़क़ीरों के हाल में रह गए। Manish mandola is a co-founder of bookmark status. He is passionate about writing quotes and poems. Manish is also a verified digital marketer (DSIM) by profession. He has expertise in SEO, GOOGLE ADS and Content marketing. |