भारत में ब्रिटिश शासन के अंतर्गत भू राजस्व व्यवस्था Show
इस्तमरारी या स्थायी बंदोबस्त व्यवस्था 1784 के पिट्स इंडिया एक्ट में ब्रिटिश सरकार के द्वारा कंपनी के संचालको को यह स्पष्ट आदेश दिया गया कि वे भारत में वहां की न्याय व्यवस्था तथा संविधान के अनुरूप उचित भूमि व्यवस्था लागू करे । अस्थायी बंदोबस्त से सम्बन्धित मुख्य बातें निम्नलिखित हैं-
स्थाई बंदोबस्त के प्रभाव
रैयतवाड़ी व्यवस्था रैयतवाड़ी व्यवस्था में प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार भूमि का स्वामी बन गया और लगान जमा करने का दायित्व भी किसानों को ही दे दिया गया । क्योंकि यह व्यवस्था प्रत्यक्ष रूप से किसानों या आम जनता के साथ लागू की गयी अतः इसे रैयतवाड़ी कहा गया । इस व्यवस्था के महत्वपूर्ण पहलू निम्नलिखित हैं-
मुंबई में रैयतवाड़ी बंदोबस्त
महालवाड़ी व्यवस्था
ब्रिटिश भू राजस्व व्यवस्था क्या थी?इस व्यवस्था के अंतर्गत ब्रिटिश भारत के कुल क्षेत्रफल का लगभग 19 प्रतिशत भाग सम्मिलित था। इस व्यवस्था के अंतर्गत जमींदारों को भूमि का स्थायी मालिक बना दिया गया। भूमि पर उनका अधिकार पैतृक एवं हस्तांतरणीय था। जब तक वो एक निश्चित लगान सरकार को देते रहें तब तक उनको भूमि से पृथक् नहीं किया जा सकता था।
ब्रिटिश शासन के दौरान भारत में कितने प्रकार की भूमि व्यवस्था थी?लार्ड हेस्टिंग्स के काल में ब्रिटिश सरकार ने भू-राजस्व की वसूली के लिये भू-राजस्व व्यवस्था का संशोधित रूप लागू किया, जिसे महालवाड़ी बंदोबस्त कहा गया। यह व्यवस्था मध्य प्रांत, यू.पी. (आगरा) एवं पंजाब में लागू की गयी तथा इस व्यवस्था के अंतर्गत 30 प्रतिशत भूमि आयी।
बनारस और गाजीपुर में कौन सी भू राजस्व व्यवस्था लागू थी?ये भूराजस्व व्यवस्था : रैयतवाड़ी, महालवाड़ी, स्थायी/इस्तमरारी बंदोबस्त थीं।
बंगाल में कौन सी भू राजस्व व्यवस्था लागू थी?महालवाड़ी व्यवस्था, ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा सन १८२२ में उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश में लागू की गयी भू-राजस्व की प्रणाली थी। यह भू राजस्व भारत के 30% भूभाग पर लागू किया गया। इसके पहले कम्पनी बंगाल में स्थायी बन्दोबस्त (सन १७९३ ई में) तथा बम्बई, मद्रास आदि में रैयतवाड़ी (सन १८२० में ) लागू कर चुकी थी।
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